Incest घर की मुर्गियाँ

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mastram
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Re: Incest घर की मुर्गियाँ

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विजय टीना को रोता देखकर- “अरें... मेरा बहादुर बेटा कैसे रोने लगा?” और विजय टीना को अपने सीने से लगा लेता है- “अरें.. इसमें रोने वाली कौन सी बात है? तुझे पहनकर नहीं दिखाना तो मत दिखा.." और यूँ ही विजय टीना को अपने सीने से चिपकाये रहता है।

टीना ने सिर्फ काटन का कुर्ता पहना हुआ था, नीचे ब्रा भी नहीं थी। टीना की चूचियां विजय के सीने में धंस रही
थी और ये अहसास विजय को हो चुका था। विजय अपनी गिरफ़्त और टाइट कर लेता है।

विजय- बेटा इसमें रोने वाली क्या बात है? और रही बात गिफ्ट की तो मुझे दुकान पर बैठे हुए सी.सी.टी.वी. की रेकार्डिंग देखकर पता चला की तू और नेहा को ये कितनी पसंद है। इसलिए तेरे लिए ले आया। और मैंने तुझे पहने हुए कैमरे में भी देख लिया था, तो बोल दिया पहनकर दिखा दे..."

टीना सोचती है- “पापा इस राज की बात कर रहे थे, तो क्या पापा के हाथ डिल्डो नहीं लगा। अगर पापा को नहीं मिला तो फिर कहां चला गया? कहीं नेहा तो नहीं ले गई उसे?" अब टीना के दिल को थोड़ी राहत मिलने लगी

विजय के हाथ टीना की कमर को हल्के-हल्के सहलाने लगे थे। अब टीना को भी पापा की गिरफ़्त अच्छी लग रही थी। विजय एक हाथ टीना के बालों में फेरने लगा। अब टीना भी अपने हाथों को पापा की कमर में लपेट लेटी है, जैसे अपने आपको पापा में समा लेना चाहती हो। टीना का यूँ लिपटना विजय का हौसला बढ़ाने लगा
और अब विजय का हाथ कमर से नीचे सरकता हुआ चूतड़ों तक पहुँच गया।

विजय- "मेरी बेटी बहत खूबसूरत है, बहत ही प्यारी सी प्यारी परी है। टीना बोलकर बता ना कैसा लगा मेरा गिफ्ट?"

टीना- पापा वेरी वेरी ब्यूटीफुल, बहुत ही प्यारा है आपका गिफ्ट।

विजय ये सुनकर जोश में आ जाता है और अपने हाथ से टीना के चूतड़ों को अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा। विजय ने कहा- "क्या मेरी गर्लफ्रेंड अपने बायफ्रेंड का दिया गिफ्ट पहनकर दिखायेगी?"

टीना- मगर एक बात तो बताइए की ये गिफ्ट किस खुशी में है? ना मेरा बर्थ-डे है, ना वेलेंटाइन डे।

विजय- बेटा अड्वान्स बर्थ-डे गिफ्ट।

टीना- “नहीं जी... बर्थडे पर तो मझे आपसे दो-दो गिफ्ट चाहिए। एक अपने प्यारे पापा से और एक अपने बायफ्रेंड से..."

विजय- अच्छा जी... मगर तुम्हें भी अपने बायफ्रेंड को कुछ देना होगा।

टीना- क्यों नहीं, मैंने अपने बायफ्रेंड के लिए ऐसा गिफ्ट सोच रखा है।

विजय ने अपना चेहरा टीना की तरफ बिल्कुल माथे के करीब करके पूछा- “कैसा?"

टीना- ये तो साइज है।

विजय- “ओहह... मेरी चुलबुली नटखट.." और विजय टीना का माता चूम लेता है, कहा- “मेरी गुड़िया गिफ्ट तो
पहनकर दिखा..."

टीना- आज नहीं, सनडे को।

विजय- सनडे को क्यों?

टीना- है कुछ स्पेशल।

विजय कुछ सोचने लगता है, जिससे टीना की पकड़ थोड़ी ढीली हो जाती है, और टीना पापा की बाँहो से निकलकर बाथरूम में घुस जाती है।

विजय- “ओह्ह... मेरी गुड़िया भाग गई." और विजय भी नीचे आकर सोफे पर बैठ जाता है। तभी उसकी नजर दीवार पर टंगें कैलेण्डर पर पड़ती है- “सनडे 5 मार्च..”

विजय- “ओह्ह... 5 मार्च तो मेरा बर्थ-डे है.." और विजय के चेहरे पर मुश्कान दौड़ गई।

टीना बाथरूम से फ्रेश होकर नीचे आती है। टीना सिर्फ जीन्स और टी-शर्ट पहनती थी। मगर आज टीना सलवार कमीज पहने हुए सीने को दुपट्टे से ढके हुए विजय के पास आती है।

टीना- पापा आपका टिफिन तैयार कर दं?

विजय टीना का ये रूप देखकर- “अरे... वाह... मेरी बिटिया तो इन कपड़ों में बड़ी गजब लग रही है।

टीना भी एक प्यारी सी स्माइल देती है।

अभी विजय टीना की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था की तभी विजय का फोन बज उठता है। विजय देखता है ये तो किरण का फोन है।

विजय- “हेलो किरण, सब ठीक तो है? तुम्हारी माँ की तबीयत कैसी है अब?"

किरण- हाँ सब ठीक है। माँ की हालत में भी सुधार है। तुम आज मुझे लेने आ जाओ।

विजय- तुम तो अभी 4-5 दिन बाद आने वाली थी।

किरण- बस मम्मी की तबीयत अब ठीक है।

विजय- "ठीक है। मैं दोपहर ।

ऊँगा..." और फोन डिसकनेक्ट हो जाता है।
"
विजय टीना से- “टीना, लंच बाक्स तो कैन्सल हो गया.."

टीना- तो फिर अब नाश्ता ही तैयार कर दूं। क्या बनाऊँ नाश्ते में?

विजय- आलू के परांठे बना दे।

टीना- जी पापा।

फिर विजय नाश्ता करके तैयार होकर किरण को लेने निकल जाता है।
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mastram
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विजय के जाने के बाद टीना सोचती है- “आखीरकार, बाथरूम से रबड़ का लण्ड कहां चला गया?" टीना नेहा को काल करती है- "हाय नेहा कैसी है?"

नेहा- मजे में हूँ तू सुना?

टीना- तेरे पास कोई है क्या? काजल कहां है?

नेहा- नहीं तो कोई नहीं है। मैं अपने रूम में अकेली हैं।
जल नीचे मम्मी के पास है। क्या बात है?

टीना- यार वो डिल्डो नहीं मिल रहा, तू तो नहीं ले गई?

नेहा- क्या बात कर रही है भला मुझे डिल्डो की क्या जरूरत? मेरे लिए तो ओरिजिनल मौजूद है। वही ढूंढ रखकर भूल गई होगी।

टीना- नहीं यार, मैंने बाथरूम में ही रखा था।

नेहा- कहीं तेरे पापा के हाथ तो नहीं लग गया?


टीना- भला पापा मेरे बाथरूम में क्यों आयेंगे?

नेहा- यार मैं तो मजाक कर रही हैं। अकेले वहां पर क्या कर रही है? यहीं आ जा।

टीना- नहीं यार, आज कहीं जाने का मन नहीं है। बस लेटकर आराम करना है।

नेहा- चल ठीक है रखती हूँ बाइ।

टीना- बाइ।

अब टीना को और भी टेन्शन हो जाती है, और फिर कुछ सोचकर पापा के रूम में चल देती है, और पापा की अलमारी खोलने लगती है। मगर अलमारी में ताला लगा था। टीना सेफ की चाभी ढूँढने लगी। मगर कहीं अलमारी की चाभी नजर नहीं आती।

टीना- कहीं अलमारी के ऊपर तो नहीं है? और फिर टीना एक स्टूल पर चढ़कर देखती है, तो अलमारी की चाभी नजर आ जाती है। टीना को ऐसी खुशी मिलती है जैसे कोई खजाना मिल गया हो, और दिल की धड़कनों के साथ अलमारी खोलती है। मगर टीना को डिल्डो यहां भी नजर नहीं आया।

टीना- “आखीरकार पापा ने कहां छुपा दिया?" तभी उसे अलमारी में एक और लाकर नजर आता है, और टीना ने जैसे ही लाकर खोला तो टीना की नजरों के सामने डिल्डो रखा था। टीना ने जैसे ही डिल्डो देखा, तो टीना अपने आप से शर्मिंदा होने लगी।

टीना- आह्ह... शिट... ये सब कैसे हो गया मेरे साथ? पापा क्या सोचते होंगे?" और टीना परेशान सी पापा के बेड
पर बैठ गई। काफी देर यूँ ही बैठे रही।

टीना- “क्या करूं अब इसका? इसको उठाती हैं तो पापा की नजर में चोर भी बन जाऊँगी..." और फिर टीना यूँ ही अलमारी बंद करके नेहा के घर चली जाती है।

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उधर संजना भी अपनी कार से कंपनी जा रही थी। तभी एक बदहवास लड़की कार के सामने आ जाती है। ड्राइवर ने एक ब्रेक लगा दिए।

ड्राइवर- “ऐ पागल लड़की, मरना है क्या?"

लड़की संजना की तरफ आती है, और कहती है- “प्लीज़्ज... बचा लो। वो गुंडे मेरी इज्जत लूटना चाहते हैं.."

संजना उधर देखती है, तो 3-4 लोग दौड़ते हुए नजर आते हैं। संजना दरवाजा खोलती है- “बैठो जल्दी..” और लड़की फौरन गाड़ी में बैठ जाती है।
संजना- “चलो ड्राइवर..."

संजना उस लड़की को लेकर अपने आफिस में आ गई। संजना ने एक ग्लास में पानी भरकर उसे दिया।

संजना- क्या नाम है तुम्हारा?

लड़की- जी हिना।

संजना- ये कौन थे, जो तुम्हारी इज्जत लूटना चाहते थे?

हिना- “मैं राज होटल में काम करती हूँ। रोज आते जाते ये गुडे मुझे गंदे-गंदे कामेंटस देते हैं। आज तो इन लोगों ने मेरा हाथ पकड़ लिया...”

संजना- तुम जानती हो इन्हें?

हिना- हाँ, ये लोग हमारे मुहल्ले के ही है।

संजना- फिर तुमने पोलिस में शिकायत क्यों नहीं की?

हिना- मेम, कभी हिम्मत ही नहीं हुई घर की वजह से। मेरे घर में सिर्फ मेरी माँ और एक बहन है। पापा की पिछले साल बाइक से रोड आक्सिडेंट में मौत हो गई थी।

संजना- “आहह... सो सैड। बड़ा दुख हुआ सुनकर... फिर संजना समीर को अपने आफिस में बुलाती है, और समीर को हिना की पूरी कहानी बताती है।
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संजना- “समीर, हिना को लेकर पोलिस स्टेशन जाओ, और इन चारों के खिलाफ शिकायत लिखवाओ.."

हिना- नहीं मेडम, मुझे डर लगता है। कहीं बाद में इन लोगों ने हमारे साथ... ..."

संजना- “अरे... हिना इसमें डरने की क्या जरूरत है? आज से तुम मेरी कंपनी में काम करोगी..." और फिर समीर हिना को लेकर उन चारों के खिलाफ शिकायत लिखवाता है।

पुलिस फौरन आक्सन लेती है। चारों को उठाकर जेल में डाल देती है।

समीर हिना को उसके घर छोड़ने जाता है।

हिना- सर, वो सामने वाला मकान है।

समीर घर के सामने गाड़ी रोकता है।

हिना गाड़ी से उतरते हुए- “आइए सर, एक कप चाय पीकर जाना..."

समीर- नहीं फिर कभी।

हिना- प्लीज़्ज... सर।

समीर हिना का आफर ठुकरा नहीं सका, और हिना के साथ घर में पहुँचता है। अंदर हिना की माँ रुखसार थी। समीर बोला- “नमस्ते माँ जी..."

माँ हिना से- “ये कौन है बेटा?"

हिना अपनी माँ को पूरी बात बताती है।

रुखसार- “बेटा तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया।

समीर- अरे... माँ जी ये तो हमारा फर्ज था।

तभी कमरे से हिना की बहन हुमा निकलती है। 18-19 साल की मासूम से चेहरे वाली लड़की। समीर हमा को देखता रह गया।

माँ रुखसार- हुमा बेटा, साहब के लिए कुछ नाश्ता ले आओ।

समीर- "नहीं माँ जी, सिर्फ एक कप चाय...” और चाय पीकर समीर वापस कंप चला जाता है
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