Incest घर की मुर्गियाँ

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mastram
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दिव्या- “उईईई... आह्ह... सस्स्स्सी ..” दिव्या को फिर से दर्द होने लगा। मगर दिव्या होंठ भींचे बर्दाश्त करती रही।

समीर धीरे-धीरे लण्ड को अंदर-बाहर किए जा रहा था। दिव्या की चूत पुरी गीली हो चकी थी। लण्ड का अंदर बाहर होना दिव्या को अच्छा लग रहा था। मगर अभी तक लण्ड सिर्फ आधा ही घुसा था और समीर एक और धक्का मारना चाहता था। इस बार समीर ने दिव्या के होंठों को पहले ही अपने होंठों में जकड़ लिया और एक जोरदार धक्का लग दिया। लण्ड झिल्ली फड़ता हआ चूत की गहराई में जड़ तक समा गया।

दिव्या जैसे बेहोश हो गई और एकदम निढाल सी पड़ गई।

समीर घबरा गया और यूँ ही रुक कर दिव्या को सहलाने लगा। थोड़ा सा बेड पर रखी पानी की बोतल से पानी की छीटें मुँह पर डाली, तो दिव्या को जैसे होश आया।

दिव्या- तुम तो मेरी जान लेना चाहते हो।

समीर- “सारी जान, मगर पहली बार में थोड़ी तकलीफ तो होती ही है। देखो अब पूरा घुस चुका है। जितना दर्द होना था हो गया, अब सिर्फ मजा आयेगा.." और समीर दिव्या को सहलाने चूमने लगा।

जिससे दिव्या का ध्यान बँट गया, और समीर लण्ड को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। 5 मिनट ऐसे ही करने
से दिव्या भी समीर का साथ देने लगी।

समीर- अब कैसा लग रहा है दिव्या?

दिव्या- “जी अच्छा लग रहा है..” दिव्या झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी। दिव्या की अहह की सिसकी निकाल रही थी- “आह्ह... इह्ह.. उईईई.. सस्स्सी ... उम्म्म्म... उईईई." और दिव्या एकदम से समीर को जकड़ लेती है। इतनी जोर से की समीर की कमर पर नाखून के निशान गड़ गये, और समीर भी दिव्या पर गिर पड़ा। दोनों तृप्त हो चुके थे। एक दूसरे पर लिपटे यूँ ही लेटे रहे।


उधर नेहा दुल्हन बनी राहुल के साथ कार में बैठी सुसराल जा रही थी। नेहा बीच में बैठी थी। राहुल खिड़की के दाहिने तरफ था। दूसरी तरफ काजल बैठी थी। रात के अंधेरे में राहुल का हाथ नेहा के हार्थों को सहला रहा था। नेहा एकदम चुपचाप बैठी थी। कार में हल्का म्यूजिक चल रहा था।

काजल का ध्यान भी सिर्फ म्यूजिक पर था।

मगर राहुल की हरकतें बढ़ती जा रही थीं। नेहा कब तक कंट्रोल करती, मुँह से एक हल्की सो सिसकी निकल गई। बस ये सिसकी काजल का ध्यान भंग कर गई, और काजल का सारा ध्यान अब नेहा और राहुल पर पहुँच गया। काजल से राहुल सिर्फ 4 साल बड़ा था। मगर आज तक दोनों भाई बहन आपस में ज्यादा फ्री नहीं थे। अब काजल को म्यूजिक में कोई इंटेरस्ट नहीं था।

राहल का हाथ नेहा की जांघे सहला रहा था। नेहा कार में अनकंफर्टेबल महसूस कर रही थी, और राहुल के हाथ को अपने हाथ से हटाने का प्रयास भी किया मगर बेकार। राहुल कहां मानने वाला था। काजल को भी ये सब देखने में बड़ा मजा आ रहा था।

सुबह करीब 5:00 बजे राहुल की कार जयपुर पहुंची।

नेहा का बड़ा ही शानदार स्वागत हुवा। नेहा इतना प्यार पाकर बड़ी खुश हुई।

काजल नेहा से बोलती है- "भाभी आप मम्मी के रूम में बैठिए, तब तक मैं आपका रूम सजा दूं..." और नेहा काजल को प्यारी सी स्माइल देकर चली गई।

काजल इस वक्त राहुल के रूम में थी, और अपने भाई की सुहाग-सेज को फूलों से सजा रही थी। जाने क्यों आज काजल की चूत में भी खुजली सी मच रही थी। बार-बार चूत वाली जगह खारिश हो जाती। बेचारी हल्के हाथ से चूत को खुजला देती। मगर ये खारिश खुजाने से कम नहीं हो रही थी।

काजल- "आज इसे क्या होने लगा..."

काजल ने थोड़ी देर में ही बेड को फूलों से सजा दि गुलाबी की पत्तियों को बेड पर ऐसे बिछाया, जैसे कोई चादर बिछी हो। एक बार तो काजल का भी की बेड पर लेट जाऊँ। मगर फिर ये सोचकर की नहीं ये तो नेहा के लिए है। काजल रूम से बाहर जाने लगती है। मगर काजल का दिल नहीं माना और पलटकर धम्म से बेड पर लेट गई, और बेड पर लेटते ही काजल की चूत गीली हो गई। अनायास ही एक हाथ चूत को सहलाने लगा। काजल को डर भी था की कोई आ ना जाय। इस खयाल से उसका हाथ चूत से हट गया और एक प्लान ने दिमाग में जन्म ले लिया।

काजल- “आज भाभी का शो देखूगी। मगर ये सब कैसे होगा?"

काजल का रूम नीचे था, और राहुल का ऊपर। काजल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे? और यूँ ही राहुल के रूम से बाहर आ गई। तभी उसकी नजर रूम के बराबर स्टोर पर गई।
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mastram
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काजल- “शायद यहां से काम बन जाय..."

काजल स्टोर खोलती है। उफफ्फ... कितना सामान भरा था स्टोर में। पैर रखना की भी जगह नहीं थी। काजल को जाने क्या धन सवार थी? स्टोर का सामान जो फर्शस पर बिखरा पड़ा था, उसको सलीके से लगाया तो इतनी जगह बन गई की एक बेड का गद्दा भी बिछच जाय। स्टोर में एक रोशनदान था, जो राहुल के रूम में खुलता था। काजल ने एक स्टूल ठीक रोशनदन के साथ लगाया और स्टूल पर बैठकर जो रोशनदान से झाँका, तो काजल की खुशी का ठिकाना ना रहा।

रोशनदान के ठीक नीचे राह के बेड का पूरा नजारा दिखाई रहा था, और काजल ने स्टोर बंद करके ताला की चाबी अपनी ब्रा में कैद कर ली, और नीचे आ गई।

गाँव की औरतें नेहा को देखने आ रही थीं। नेहा का पूरा दिन यूँ ही जुजर गया।

रात 10:00 बजे काजल नेहा को लेकर राहल के रूम में छोड़ने जाती है, और नेहा को सुहाग-सेज पर बिठाकर काजल ने कहा- “अच्छा भाभी बेस्ट आफ लक... अच्छे से खुद भी एंजाय करना और भइया को भी कराना। मैं भइया को भेजती हूँ...” और मुश्कुराती हुई रूम से बाहर चली गई।


नेहा सोचने लगी- “ये काजल तो बिल्कुल टीना की तरह है.." और नेहा दुल्हन बनी बेड पर राहुल का इंतेजार करने लगी।

काजल रूम से निकलकर नीचे पहुँचती है। उसकी नजर किचेन में राहुल पर पहुँची। राहुल किचेन में फ्रिज़ से कुछ निकाल रहा था। काजल भी किचेन में पहुँच गई, और कहा- "अरे... भइया क्या चाहिए मैं कुछ हेल्प करूं?"

राहुल एकदम हड़बड़ा जाता है- “नहीं, मैं ले लूँगा। तू जा..."

काजल सोचती है- “भैया ऐसा क्या ले रहे हैं नेहा के लिए, जो मुझसे भी छुपा रहे हैं." काजल मुश्कुराते हुए मन में- “छुपा लो भइया, मगर आज आप मुझसे कुछ भी छुपा नहीं पाओगे..."

राहुल हाथ में कोई पैकेट लिए अपने रूम की तरफ ऊपर चल पड़ा। रात के 11:00 बज चुके थे। थोड़ी देर में घर के सभी लोग सो गये।

काजल को नींद कहां आने वाली थी। थोड़ी देर बाद धीरे से अपने रूम से निकलकर ऊपर स्टोर में पहुंच गई। स्टोर में काफी अंधेरा था। काजल ने रोशनदान के ठीक नीचे टेबल रख दी थी। काजल बड़े ही सावधानी से टेबल पर चढ़ गई, और काजल की आँखों के ठीक सामने राहल का बेड नजर आ गया। कमरे में काफी उजला था। नेहा और राहुल दोनों बातें कर रहे थे।

राहुल- नेहा, मैं सबसे ज्यादा अपनी माँ से प्यार करता हूँ।

नेहा- जी... आप फिकर ना कीजिए, मैं भी माँ जी की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दूंगी।

राहुल- "ओहह... नेहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी..." और राहल नेहा को गले से लगा लेता है। फ़र कहता है- "कुछ अपने बारे में भी बताओ..


नेहा- बस एक दोस्त है टीना, उसी के साथ वक्त गुजरता था। आप सुनाइए कुछ?

राहल- बस अभी तक तो कालेज दोस्तों के संग ही मस्ती की है।

नेहा थोड़ा मुश्कुराते हुए- “गर्लफ्रेंड संग?"

राहल- क्या? नहीं जी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। मुझे तो लड़कियों से बातें करते हुए बड़ी झिझक होती है। गर्लफ्रेंड तो छोड़ो, मैं तो अपनी बहन दिव्या से भी बातें करते हुए झिझकता हूँ..”

नेहा- क्या मुझसे भी झिझकोगे?

राहुल- “भला तुम कोई झिझकने की चीज हो?” और राहुल अपना चेहरा नेहा के बहुत करीब ले जाता है।

दोनों की सांसें आपस में घुलने लगीं। काजल ये सब बड़े ही ध्यान से देख रही थी। राहुल के होंठ अभी तक नेहा के होंठों से चिपके नहीं थे। काजल का दिल धड़कने लग चुका था।
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दोनों की सांसें आपस में घुलने लगीं। काजल ये सब बड़े ही ध्यान से देख रही थी। राहुल के होंठ अभी तक नेहा के होंठों से चिपके नहीं थे। काजल का दिल धड़कने लग चुका था।

फिर राहुल ने अपने होंठों को नेहा के होंठों से जोड़ दिया। नेहा के होंठ राहुल को बड़े ही साफ्ट महसूस हो रहे
थे। राहल बड़े ही प्यार से होंठों को किस कर रहा था।

नेहा को टीना की बात याद आती है। टीना ने कहा था- “सेक्स में बिल्कुल मत शर्माना, खुल के एंजाय करने वाली लड़कियां ही लड़कों को पसंद आती हैं." और नेहा ये सोचकर किसिंग में राहुल का साथ देने लगी। नेहा ने राहल के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसना शुरू कर दिया।

उधर नेहा का इस तरह किस करना, काजल के जिश्म में कंपन पैदा कर गया।

राहुल और नेहा थोड़ी देर किस करते रहे। फिर राहुल ने नेहा से कपड़ों की दीवार हटाने को कहा। नेहा जैसे ये ही सुनने को रुकी थी और झट से अपनी चूड़ियां ज्वेलरी पाजेब लहँगा चुनरी उतार दी, और सिर्फ ब्लाउज़ और लेगी पहने रह गई।

काजल आँखें फाड़े नेहा को देख रही थी, और सोचने पर मजबूर भी हो गई। हमारी भाभी तो बड़ी बिंदास है, खूब पटेगी संग हमारे।

राहल ने भी पैंट शर्ट उतार दी, सिर्फ अंडरवेर बनियान में रह गया, और फिर नेहा को बेड से नीचे उतारकर अपनी बाँहो में भर लिया, और कहा- “बहुत खूबसूरत हो नेहा तुम.."

नेहा- कहां से?
राहुल- आपका चेहरा।

नेहा- बस?

राहुल- आपकी आँखें।

नेहा- और?

राहल- आपके होंठ।

नेहा- और?

राहुल- और अभी देखना बाकी है।

नेहा- माना किसने किया देखने को?

राहुल ये सुनकर मुश्कुराये बिना ना रह सका, और नेहा का ब्लाउज़ खोलने लगा। राहुल नेहा की चूचियां देखकर “वाओ... नाइस कितने प्यारे हैं"

नेहा मस्ती के मूड में आ चुकी थी- “क्याsss?

राहुल- “ये आपकी चूचियां और... ..."

नेहा ये सुनते ही थोड़ी देर के लिए खामोश हो जाती है।

राहुल अपना हाथ चूचियों पर हल्का-हल्का फेरने लगता है, कहा- “और बस इन्हें चूमने को दिल कर रहा है..."

काजल अब तक गरम होनी शुरू हो गई थी। उसका एक हाथ अपने आप चूचियों पर पहुँच गया था।

राहल हल्का-हल्का अपना हाथ चूचियों पर फेरता जा रहा था। नेहा के निप्पल तनकर खड़े हो गये। बस फिर क्या था? राहुल ने झुक कर अपने होंठ निप्पल से लगा दिए।

नेहा सिहर सी गई- “आहह... इसस्स्स्श
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उधर काजल का भी बुरा हाल था। ऊपर से टी-शर्टत उतार चुकी थी, और खुद भी अपनी चूचियां सहलाने लगीथी। अंदर का नजारा धीरे-धीरे हाट होता जा रहा था।


नेहा के निप्पल बड़ी ही मस्ती में पी रहा था, जैसे कोई बच्चा दूध पीता है। नेहा की सिसकियां काजल को और भड़का रही थीं

नेहा- “आअहह... सस्स्सी ... आअहह... आईई.. ओहहह... स्स्स्सी ... उम्म्म्म
...” कर रही थी।

राहुल नेहा को बेड पर लिटाकर लेगी उतार देता है, नेहा सिर्फ पैंटी पहने रह जाती है। राहुल नेहा की जांघे सहलाने लगता है और नेहा की जांघों को किस करने लगता है। फिर एक हाथ पैंटी में फँसाकर उसे भी उतार देता है। अब नेहा बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। बिन कपड़ों के बेड पर लेटी नेहा को राहुल निहारता रहा।

नेहा- ऐसे क्या देख रहे हो?

राहुल- “अंदर की खूबसूरती... ऊपर से लेकर नीचे तक नंबर वन हो तुम..." और राहुल झुक कर अपने हाथ नेहा की नाभि पर फेरने लगता है।

नेहा भी अब गीली हो चुकी थी। नेहा का दिल कर रहा था काश... राहुल चूत को किस कर दे।

अब राहुल के हाथ चूत से टच हो चुके थे, और वो धीरे-धीरे चूत पर हाथ को फेरने लगा। नेहा का बुरा हाल हो चुका था, चूत पानी छोड़े जा रही थी। राहुल की उंगली भी पानी में भीग गई।

नेहा- "आअहह... आss आअहह... सस्स्स्सी ...” करने लगी।

राहुल ने एक उंगली चूत के छेद पर रखकर अंदर करनी चाही। चूत पहले से गीली थी। उंगली चूत में सरकती चली गई, राहुल धीरे-धीरे उंगली को अंदर-बाहर किए जा रहा था। नेहा की तड़प अब बर्दाश्त से बाहर हो चुकी
थी।

उधर काजल भी ये सीन देखकर पूरी गीली हो चुकी थी। अब काजल ने भी अपनी सलवार उतार फेंकी, और अपने हाथ से चूत को रगड़ने लगी। काजल को बड़ा सुकून मिला। काजल के मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलँ लगी- “आहह... सस्स्स्सी सस्स्सी ... अहह... सस्सीईए..."

काजल भी अपनी उंगली चूत के छेद पर रखकर अंदर करने की कोशिश करने लगी। मगर काजल की उंगली अंदर नहीं घुस रही थी। काजल हल्का सा जोर लगाती है तो हल्की सी उंगली अंदर घुसने लगी। एकदम काजल को दर्द का अहसास हआ। काजल- “उईईई... मान...” की और अपनी उंगली बाहर निकाल लेती है।


काजल ने अंदर झाँका की अब तक दो उंगलियां अंदर-बाहर होने लगी थीं। ऐसा लग रहा था जैसे नेहा को भी बड़ा मजा आ रहा है। नेहा की सिसकियां भी ऐसे ही लग रही थी- “अहह... अहह... आहह... अहह... उम्म्म्म ..."

काजल सोचने पर विवश हो गई।

नेहा को जरा भी दर्द नहीं हो रहा था। फिर राहल ने झुक कर अपने होंठ नेहा की चूत के होंठों से मिला दिए। नेहा की हालत खराब हो गई, बिन मछली सी तड़पने लगी। नेहा का पानी तगातार बहे जा रहा था, जिसे राहल बड़े मजे में स्वाद लेकर पी रहा था।

काजल को ये सब बड़ा अजीब लग रहा था।
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