आखिरी शिकार complete

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

वे लोग पहले ही मालूम कर चुके थे कि मारिट के पास कार थी । तय यह हुआ कि राज मारिट के साथ उसके काटेज में जायेगा, मारिट गैरेज से कार निकालेगी, राज उसके साथ कार में छुपा रहेगा ताकि मारट भाग न सके । मार्गरेट कार को कम्पाउण्ड में से बाहर निकाल ले जायेगी और फिर उसे घुमाकर हावर्ड के काटेज के पिछवाड़े में ले आयेगी । जान फ्रेडरिक, रोशनी और अनिल साहनी पिछवाड़े से छुपकर कार में सवार हो जायेंगे ।

राज और मार्गरेट दीवार फांदकर मार्गरेट के काटेज के बैक यार्ड में पहुंच गये ।

इमारत के बीच में से ही साइड में बने गैरेज में जाने का रास्ता था । दोनों बिना काटेज की कोई बत्ती जलाये गैरेज में पहुंच गये ।
राज के संकेत पर मार्गरेट कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गई। उसने कार का इंजन चालू कर दिया |

राज अंधेरे में टटोलता हुआ आगे बढा । उसने गैराज का दरवाजा थोड़ा-सा खोला और बाहर झांका ।
बाहर का दृश्य देखकर वह सन्नाटे में आ गया ।

सशस्त्र पुलिस के कई सिपाही दबे पांव मिशन कम्पाउन्ड में दाखिल हो रहे थे ।
उसने तत्काल गैरेज का द्वार बन्द कर दिया ।

"मारिट" - वह तीव्र स्वर से बोला - "इंजन बन्द कर दो और कार से बाहर निकल आओ।"
"क्या हुआ?" - मारिट बोली । उसने इंजन तत्काल बंद कर दिया।

"पुलिस !" मार्गरेट कार से बाहर निकल आई । "लेकिन पुलिस तो जा चुकी थी !” - वह बोली ।

"पुलिस फिर वापिस आ गई है और इस बार पूरी सशस्त्र फौज आई है । लगता है उन्हें हमारा कोई नया सुराग मिल गया है।"
राज मार्गरेट की बांह थामें पिछले यार्ड में आ गया।

वह लपककर पिछली दीवार पर चढ गया । उसने पिछली ओर की गली में दायें-बायें झांककर देखा।

गली सुनसान पड़ी थी । दाई ओर गली के मोड़ पर एक बिजली का बल्ब जल रहा था जिसका प्रकाश उस स्थान तक नहीं पहुंच रहा था ।
राज ने मारिट को सहारा देने के लिये उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया ।

अगले ही क्षण मार्गरेट भी दीवार पर थी ।
दोनों चुपचाप पिछवाड़े की गली में कूद गये ।
वे दबे पांव गली में आगे बढे ।

उसी क्षण राज को गली के मोड़ के समीप के एक लैम्प पोस्ट के पास खड़ा एक पुलिसमैन दिखाई दिया।
मार्गरेट ठिठकी।

“रुको मत ।" - राज उसकी बांह पकड़कर उसे जबरदस्ती आगे चलाता हुआ फुसफुसाया - “बढती रहो । अगर हम रुके या वापिस घूमने की कोशिश की तो उसे सन्देह हो जायेगा।"
मार्गरेट ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया ।

"तैयार रहना ।" - राज बोला - "मेरा संकेत मिलते ही भाग खड़ी होना । और कोई शरारत मत करना।"

"कैसी शरारत ?" "मुझसे अलग होकर गायब हो जाने की कोशिश मत करना । शायद तुम्हारे भाई की जिन्दगी तुम्हारी वजह से ही बचने वाली हो ।"

"मेरा भाई मर..."

"यह बहस करने का वक्त नहीं । तुम हजार बार कह चुकी हो कि तुम्हें अपने भाई के जीवित होने का विश्वास नहीं ।"

मार्गरेट चुप हो गई।

जहां पुलिसमैन खड़ा था उसने पचास गज पहले ही बाई ओर एक गली मुड़ती थी । राज और मार्गरेट उस गली की ओर घूमे । "ठहरो !" - पुलिसमैन का अधिकारपूर्ण स्वर गली में गूंज गया।
दोनों ठिठक गये।

पुलिसमैन लम्बे डग भरता उनकी ओर बढा ।

"तैयार ?" - राज सिगरेट के कान में फुसफुसाया ।

"तुमने हमें आवाज दी है ?" - राज उच्च स्वर में बोला और फिर लम्बे डग भरता समीप आते पुलिसमैन की ओर बढा ।

पुलिसमैन उसके समीप आकर रुक गया । वह लैम्प पोस्ट से इतनी दूर आ गया था कि लैम्प पोस्ट का प्रकाश वहां तक नहीं पहुंच रहा था । वह अन्धकार में घूर-घूरकर राज की सूरत देखने की कोशिश करने लगा |

"क्या बात है ?" - राज बोला ।

"कौन हो तुम ?" - पुलिसमैन बोला - "और इस गली में क्या कर रहे हो?"

उसी क्षण राज की निगाह गली के मोड़ की ओर उठ गई। दो पुलिसमैन गली में प्रविष्ट हो रहे थे ।

एक क्षण की देर भी खतरनाक सिद्ध हो सकती थी। उत्तर के स्थान पर राज का दायां हाथ बिजली की तरह हवा में घूमा और एक प्रचण्ड पूंसा पुलिसमैन के जबड़े से टकराया ।

"भागो ।" - राज दबे स्वर से चिल्लाया ।

मार्गरेट बाई ओर की गली में भाग खड़ी हुई।
पुलिसमैन जमीन पर पड़ा धूल चाट रहा था ।
राज जी छोड़कर बाई ओर की गली में मारिट के पीछे भागा।

उसी क्षण उसके कानों में कम्पाउन्ड की ओर से आती फायरिंग की आवाज पड़ी।

साथ ही पुलिसमैनों के भारी बूटों की आवाज से अन्धेरी गली गूंज उठी।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

जान फ्रेडरिक यों ही पिछवाड़े के किचन में गया । संयोगवश ही उसको यह ख्याल आया था कि वह पिछवाड़े के बैडरूम में बंधे पड़े हावर्ड को देखता जाये।

उसने बैडरूम का दरवाजा खोला ।
हावर्ड गायब था ।

जान फ्रेडरिक कुछ क्षण हक्का-बक्का-सा खाली कमरे को देखता रहा फिर उसकी दक्ष निगाह कमरे में चारों ओर फिर गई।

जिन रस्सियों से हावर्ड को बांधा गया था, वे खुली हुई फर्श पर पड़ी थीं । हावर्ड किसी प्रकार अपने बन्धन खोलने में सफल हो गया था और तब वह, रोशनी और अनिल साहनी सामने के कमरे में बैठे थे तब हावर्ड चुपचाप पिछवाड़े के रास्ते वहां से खिसक गया था ।
हावर्ड कब से उस कमरे से गायब था, यह जानने का उसके पास कोई साधन नहीं था। और यही सबसे बड़ी चिन्ता का विषय था । फिर उसने अपने हाथ में थमी सैंडविच को बैडरूम के फर्श पर फेंक दिया और भागता हआ सामने कमरे में पहुंचा।

"क्या हुआ ?" - रोशनी और अनिल साहनी लगभग एक साथ बोले । जान फ्रेडरिक के चेहरे पर लिखा था कि कोई भारी गड़बड़ हो गयी है |

"हावर्ड भाग गया है ।" - जान फ्रेडरिक जल्दी से बोला - "पुलिस किसी भी क्षण यहां पहुंच सकती हैं

रोशनी और अनिल साहनी हड़बड़ा कर अपने स्थानों से उठ खड़े हुये ।

फिर अनिल साहनी ने पर्दा जरा-सा हटाकर बाहर झांका । तत्काल क्षण उसने परदे को यथास्थान कर दिया।
"पुलिस पहुंच गयी है ।" - वह वापिस जान फ्रेडरिक और रोशनी के पास आकर बोला ।

"कितने आदमी हैं ?" - जान फ्रेडरिक ने पूछा ।

"मैंने गिने नहीं लेकिन कई हैं।" - अनिल साहनी बोला - "हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते ।"

"एक मिनट यहीं ठहरो ।" - जान फ्रेडरिक बोला | वह तेजी से काटेज के बैकयार्ड की ओर भागा | अपने एक ही हाथ की सहायता से वह किसी प्रकार बैकयार्ड को पिछली दीवार पर चढ गया ।
उसने सावधानी से गली में झांका ।

उसे दो सशस्त्र पुलिसमैन गली में उस ओर दिखाई दिये । उसके देखते-देखते वे बाई ओर की एक गली में घूमकर गायब हो गये ।

जान फ्रेडरिक दीवार से हटा और भागता हुआ वापिस सामने के कमरे में आ गया।

"फिलहाल पिछली गली खाली है" - वह जल्दी से बोला - "लेकिन वहां भी किसी भी क्षण पुलिस आ सकती है । मैंने दो पुलिस वालों को बायीं ओर की गली में भागते देखा है । वे भी वापिस लौट सकते हैं । तुम दोनों पिछवाड़े से निकल जाओ।" "हम दोनों !" - अनिल साहनी हैरानी से बोला - "और तुम ?"
एकाएक जान फ्रेडरिक बेहद शान्त दिखाई देने लगा । उसने अपना दायां हाथ अपनी जेब में डाला और राज की दी हुई रिवाल्वर निकाल
ली।

"मैं यहीं रहूंगा ।" - वह धीरे से बोला - "मैं तुम लोगों को कवर करूगा । मैं बाहर कम्पाउन्ड में मौजूद पुलिस का ध्यान अपनी ओर आकर्षित
कर लूंगा | इससे तुम्हें भागने में सहूलियत होगी

"लेकिन तुम्हारा क्या होगा ?" - रोशनी व्यग्र स्वर से बोली - "वे लोग तुम्हें भून कर रख देंगे।"

"जाहिर है" - जान फ्रेडरिक शांति से बोला - "लेकिन बजाय इसके कि हम तीनों मारे जायें, अच्छा है कि एक ही आदमी मारा जाये ।"

"लेकिन..."

"बहस मत करो । वक्त भी बरबाद मत करो । जैसा मैं कहता हूं, करो।"

"तुम हमारी खातिर जान दे रहे हो?"

"मैं तो वैसे ही एक मरा हुआ इन्सान हूं।" - जान फ्रेडरिक अपने दांये हाथ में थमी रिवाल्वर की नाल से अपने बांये कन्धे को उस स्थान पर टटोलता हुआ बोला जहां से आगे बांह गायब थी - "और फिर मैं अपनी जान पार्टी की खातिर भी तो दे रहा हूं । अगर हम तीनों मारे गये तो जार्ज टेलर की खबर कौन लेगा? मुझ जैसे अपाहिज आदमी के मुकाबले में तुम लोग उस काम को बेहतर अन्जाम दे सकते हो ।"

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

रोशनी और अनिल साहनी में से किसी ने हिलने की कोशिश नहीं की।

"जल्दी करो ।" - जान फ्रेडरिक उन्हें जबरदस्ती पिछवाड़े की ओर धकेलता हुआ बोला ।

अनिल साहनी और रोशनी भारी कदमों से पिछवाड़े की ओर बढ़ चले ।

जान फ्रेडरिक द्वार से आगे नहीं बढा ।

"अलविदा !" - वह होंठों में बुदबुदाया - "अलविदा मेरे दोस्तो ।"

अनिल साहनी और रोशनी भारी कदमों से चलते हुये वहां से विदा हो गये। जान फ्रेडरिक अकेला रह गया । उसने कमरे की बत्ती बुझा दी। वह खिड़की के समीप पहुंचा। उसने रिवाल्वर की नाल से खिड़की पर पड़ा परदा एक ओर सरका दिया ।
पुलिस बड़ी तत्परता से काटेज पर घेरा डाल रही थी।

जान फ्रेडरिक ने खिड़की के एक पल्ले को धक्का दिया । खिड़की खुल गई। फिर जन फ्रेडरिक ने बिना अन्जाम की परवाह किये पुलिस पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी।

सारा मिशन कम्पाउण्ड फायरिंग की आवाज से गूंज उठा।
***

राज और मारिट प्रिन्स एल्बर्ट रोड के इलाके से सुरक्षित निकल आये ।

वे लोग टैक्सी पर बैठे और सोहो के एक गन्दे से रेस्टोरेंट में पहुंच गये।

नौ बजे के न्यूज ब्राडकास्ट में मिशन कम्पाउण्ड में घटित घटनाओं का बड़ा गर्मागर्म वर्णन था । उस न्यूज ब्राडकास्ट को सुनकर ही राज को मालूम हुआ कि पीछे रह गये जान फ्रेडरिक, अनिल साहनी और रोशनी पर क्या गुजरी।

न्यूज ब्राडकास्ट के अनुसार हावर्ड नाम के एक व्यक्ति ने स्काटलैंड यार्ड में फोन किया था कि प्रिंस एल्बर्ट रोड पर स्थित मिशन कम्पाउन्ड के तीन नम्बर काटेज में कुछ ऐसे व्यक्ति छुपे हुये हैं जिनकी पुलिस को पहले से ही तलाश थी और हावर्ड स्वयं उन व्यक्तियों द्वारा उसके अपने ही काटेज में गिरफ्तार करके रखा गया था और वह किसी प्रकार चुपचाप अपने बन्धन खोलकर वहां से भाग निकलने में सफल हो गया था ।
यह पुलिस का दुर्भाग्य था कि उनकी भरपूर तत्परता के बावजूद किसी प्रकार अपराधियों को उनकी खबर लग गई थी और अपने एक साथी को छोड़कर वे सब वहां से भाग निकलने में सफल हो गये थे । अपराधियों
का एक साथी, जो कि एक अंग्रेज था और जिसकी एक आंख और एक बांह गायब थी, हावर्ड के काटेज में से पुलिस पर गोलियां चलाता रहा था । स्वयं पुलिस की गोलियां का शिकार होने से पहले वह एक पुलिसमैन की हत्या और दो पुलिसमैनों को सख्त घायल करने में सफल हो गया था । मृत के दो साथी हावर्ड के काटेज के पिछवाड़े से भागे थे । पिछवाड़े में मौजूद एक पुलिसमैन ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी लेकिन वे दोनों पुलिसमैन को सख्त घायल करके वहां से भाग निकलने में सफल हो गये थे।
घायल पुलिसमैन के बयान के अनुसार वे दोनों काले थे और उनमें से एक युवती थी और दूसरा एक देव जैसा लम्बा चौड़ा व्यक्ति था। उससे केवल तीन मिनट पहले उसी पुलिसमैन ने दो अन्य व्यक्तियों को भी रोकने की कोशिश की थी। उन दोनों में भी एक युवक था और दूसरी युवती थी । गली में

--
प्रकाश की कमी के बावजूद पुलिसमैन उस युवक की सूरत देखने में सफल हो गया था। वह युवक भी काला था और वह उसके जबड़े पर चूंसा जमा कर उसे धराशायी करके भागने में सफल हो गया था । उस युवक की साथी युवती की सूरत वह नहीं देख पाया था। अन्त में एनाउन्सर ने अनिल साहनी, रोशनी
और राज का हुलिया बयान किया और लन्दन की जनता के सामने पुलिस की यह अपील दोहराई कि जो कोई भी उन तीन अपराधियों में से किसी को देखे, वह फौरन पुलिस को सूचित करे। न्यूज ब्राडकास्ट समाप्त हो गया। राज ने मार्गरेट को उठने का संकेत किया । दोनों रेस्टोरेंट से बाहर निकल आये ।

राज को चिन्ता थी कि रेडियो पर ब्राडकास्ट किये गये उसके हुलिये के दम पर कोई उसे पहचान न ले। न्यूज ब्राडकास्ट से जाहिर था कि जान फ्रेडरिक पुलिस के हाथों मारा गया था लेकिन रोशनी और अनिल साहनी भाग निकलने में सफल हो गये थे और यह कि मारिट के बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी | अगर हावर्ड ने पुलिस को यह बताया भी हो कि मार्गरेट अपराधियों के बन्धन में थी तो भी पुलिस को मार्गरेट की वर्तमान स्थिति का ज्ञान नहीं था ।

"अब?" - बाहर आकर मारिट ने पूछा।

"अब तुम मेरे साथ डेनवर चलोगी ।" - राज बोला - "मैं अनिल साहनी और रोशनी को डेनवर के समीप स्थित तुम्हारे भाई के टापू के बारे में पहले ही बता चुका हूं । मुझे पूरा विश्वास है कि वे लोग वहां जरूर पहुंचेंगे । वे तुम्हारे भाई की हत्या करने के लिये पूर्णतया दृढप्रतिज्ञ हैं।"
मार्गरेट ने कुछ कहने के लिये मुंह खोला लेकिन फिर उसने अपना इरादा बदल दिया ।

"और हमें फौरन लन्दन से निकल जाना है । मेरा हुलिया रेडियो पर ब्राडकास्ट किया जा चुका है। लन्दन में मेरी मौजूदगी मेरी लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकती है । तुम्हें डेनवर की ओर जाने
वाली गाड़ियों के समय की कोई जानकारी है?"

"ग्यारह बजे किंग्स क्रास स्टेशन से एक घड़ी डेनवर की ओर जाती है।"

"डेनवर कितने बजे पहुंचती है वह ?"

"अगले दिन दस बजे ।"

"ठीक है ।" - राज सन्तुष्टपूर्ण ढंग से सिर हिलाता हुआ बोला - "और टिकट वगैरह तुम खरीदना । हो सकता है स्टेशन पर भी पुलिस मेरी तलाश कर रही हो । तुम्हारी ओर किसी को ध्यान नहीं जायेगा । मैं ट्रेन चलने से एक-दो। मिनट पहले किसी प्रकार चुपचाप ट्रेन में सवार हो जाऊंगा।"
मार्गरेट चुप रही।

वे एक टैक्सी पर सवार हुये और किंग्स क्रास स्टेशन की ओर रवाना हो गये।
***

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

अनिल साहनी और रोशनी एक बनती हुई इमारत की तीसरी मंजिल पर छुपे हुये थे । वह इमारत प्रिंस एल्बर्ट रोड के बहत समीप थी । इमारत ग्यारह मंजिलों तक उठाई जा चुकी थी और अभी और ऊंची बन रही थी । यह उनका सौभाग्य था कि वे लोग इस इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचकर छुपने में सफल हो गये थे । बहुत-सी घटनायें थीं जिनका जिक्र नौ बजे के न्यूज ब्राडकास्ट में नहीं था । जैसे मिशन कम्पाउन्ड के पिछवाडे की गली में जिस पलिसमैन को घायल करके वे दोनों भागे थे, वह अपनी सीटी बजाने में सफल हो गया था और जो दो पुलिसमैन राज और मार्गरेट के पीछे भाग रहे थे उनमें से एक सीटी की आवाज सुनकर वापिस आ गया था । उसने अनिल साहनी और रोशनी को भागते देखा था और उन पर अपनी सर्विस रिवाल्वर से फायर झोंकने आरम्भ कर दिये थे।
उस पुलिसमैन की एक गोली अनिल साहनी के बायें कन्धे को फाड़ती हुई गुजर गई थी।
फायरिंग और सीटी की आवाज सुनकर कई और पुलिसमैन उस गली में पहुंच गये थे और उनकी बाकायदा तलाश शुरू हो गई थी। अगर उस बनती हुई इमारत में उन्होंने शरण न ली होती तो वे जरूर पुलिस के हाथों में पड़ जाते

बड़ी कठिनाई से अनिल साहनी ने अपने शरीर से अपना कोट अलग किया । उसके कन्धे से इतना खून बह चुका था और अभी भी बह रहा था कि उसकी कमीज का बाई बांह कलाई तक खून से तर हो गयी थी ।
रोशनी के मुंह से सिसकारी निकल गई ।

"तुम्हारा चाकू कहां है?" - एकाएक वह बोली ।

"कोट की जेब में ।" - अनिल साहनी क्षीण स्वर से बोला - "क्यों?"
रोशनी ने कोई उत्तर नहीं दिया । उसने उसके कोट की जेब से चाकू निकाल लिया । उसने अनिल साहनी की कमीज की खून से तर बांह को कन्धे से काटकर अलग कर दिया । इसी प्रकार उसने कमीज की दूसरी बांह भी कन्धे से काट दी।
उसने अपना रूमाल निकालकर उसके कन्धे के जख्म पर बांधा और फिर जख्म को मजबूती से कमीज की बांह से बांध दिया । खून बहना बन्द हो गया।

"थैक्यू ।" - अनिल साहनी भर्राये स्वर से बोला - "थैक्यू ।"

रोशनी ने ऊपर से उसे उसका कोट पहना दिया ।

दोनों प्रतीक्षा करने लगे।
रात के दस बज गये।

"राज और मारिट का क्या हुआ होगा?" - एकाएक अनिल साहनी बोला |

"वे लोग भाग निकलने में सफल हो गये होंगे।" - रोशनी आशापूर्ण स्वर से बोली । "या शायद वे पुलिस की पकड़ में आ चुके हों !"

"हो सकता है।"

"शायद मामले की पेचीदगियां बढती देखकर राज हमारी मदद से हाथ खींच ले ?"

"मुझे वह ऐसा आदमी तो नहीं लगता था ।"

"लेकिन अगर ऐसा हो भी गया तो क्या हम दोनों जार्ज टेलर की तलाश करके उसका काम तमाम करने में सफल हो पायेंगे?"

"हमें सफल होना ही है ।" - रोशनी दृढ स्वर में बोली - "राज हो या न हो ।"

"वह लड़की कहती थी कि जार्ज टेलर मर चुका था ।"

"वह बकती है । वे ऐसा इसलिए कहती है कि हम उसके भाई को मरा समझदार उसका पीछा छोड़ दें।" - रोशनी कुद्ध स्वर से बोली ।

अनिल साहनी चुप रहा। "हमें हर हालत में जार्ज टेलर को टापू पर पहुंचना है ।" - रोशनी बोली - "रास्ता साफ होते ही हमें डेनवर के लिये रवाना हो जाना है । मुझे उम्मीद है कि वहीं हमारी राज से भी मुलाकात हो जायेगी।"

"डेनवर कैसे पहुंचेंगे हम ?"

"हमें किसकी प्रकार किंग्स क्रास रेलवे स्टेशन पर पहुंचना है । डेनवर के लिये गाड़ियां वहां से जाती हैं।"

"लेकिन क्या हम रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर पुलिस की निगाहों से बच पायेंगे? ऐसी जगहों पर तो हमारी विशेष रूप से तलाश हो रही होगी

"हमें कोई साधन निकालना ही पड़ेगा।" - रोशनी दृढ स्वर से बोली - "हमें हर हालत में डेनवर पहुंचना है।"

"कोई साधन सोचा है तुमने ?"

"हां । हम चुपचाप मालगाड़ी पर सवार होकर डेनवर की ओर रवाना हो सकते हैं । मालगाड़ी में हम रेलवे यार्ड से ही सवार हो सकते हैं । इस प्रकार हम रेलवे स्टेशन पर पुलिस की या किसी की भी निगाहों में आने से बचे रह सकते हैं।"

"किंग्स क्रास स्टेशन कहां है ?"

"ग्रेज इन रोड के समीप ।" “

वहां तक कैसे पहुंचेंगे हम ?"

"पैदल चल कर ।"

"लेकिन मैं पैदल नहीं चल सकता।" - अनिल साहनी क्षीण स्वर से बोला - "मेरे शरीर में से बहुत ज्यादा खून बह चुका है । मुझमें पैदल चलने की हिम्मत नहीं है ।"

"तो फिर हमें टैक्सी पर सवार होने का खतरा उठाना पड़ेगा ।" - रोशनी बोली ।

अनिल साहनी चुप रहा।
*** ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: आखिरी शिकार

Post by rajaarkey »

सुबह साढे छ: बजे ट्रेन बारविक स्टेशन पर रुकी
डेनवर पहुंचने से पहले बारविक ट्रेन का आखिरी स्टापेज था।

ट्रेन के एक थर्ड क्लास कम्पार्टमेंट में बैठे राज ने सावधानी से खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर झांका । कहीं उसे पुलिस के दर्शन नहीं हुए । उसने शान्ति की गहरी सांस ली । किंग्स क्रास स्टेशन पर पुलिस का तगड़ा पहरा था।

राज ने मारिट से अपना टिकट ले लिया था और यार्ड का लम्बा चक्कर लगाकर रेलवे लाइनों में से होता हुआ चुपचाप ट्रेन के प्लेटफार्म से विपरीत दिशा में पहुंच गया था । ट्रेन स्टार्ट होने
पर वह चलती गाड़ी में सवार हुआ था । सारे रास्ते उसने अपनी पलक नहीं झपकने दी थी । सारा सफर उसने बड़ी सजगता से तय किया था | बारविक से पहले ट्रेन पीटरबोरोह, यार्क, डालिंगटन, डरहाम और न्यूकैसल स्टेशनों पर रुक चुकी थी लेकिन कहीं उसे पुलिस की सन्देहजनक गतिविधि के लक्षण दिखाई नहीं दिये थे और न ही ऐसा कोई खतरा अब बारबिक
स्टेशन पर दिखाई दे रहा था ।

उसी क्षण खिड़की के पास से एक अखबार वाला गुजरा | राज ने एक अखबार खरीदा और उसे बिना खोले लपेटकर बगल में दबा लिया। ट्रेन चल पड़ी। वह अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ |
मार्गरेट ट्रेन के अगले डिब्बों में कहीं थी । डेनवर पहुंचने से पहले राज उसे तलाश कर लेना चाहता था।

यात्रियों से ठसाठस भरी गाड़ी में राज आगे बढा । ट्रेन के सारे डिब्बे एक-दूसरे से मिले हुये थे । डिब्बों को मिलाने वाले गुफा जैसे झूलते रास्तों से होता वह आगे बढा ।
अन्त में वह उस कम्पार्टमेंट में पहुंच गया जहां एक कोने की सीट पर मार्गरेट बैठी थी।
मार्गरेट ने व्यग्र नेत्रों से उसकी ओर देखा ।

राज ने उसे आंख से संकेत किया और आगे बढ गया । वह दो डिब्बों को मिलाने वाले प्लेटफार्म पर जा खड़ा हुआ और मारपीट की प्रतीक्षा करने लगा।
उसने अपनी बगल में दबा अखबार निकाला और उसे खोलकर पहले पृष्ठ पर निगाह डाली । अखबार उसके हाथों से छूटता-छूटता बचा | पहले ही पृष्ठ पर उसकी तस्वीर छपी हुई थी।
कई क्षण वह अपलक अपनी तस्वीर को घूरता रहा । वह सोच रहा था कि उसकी तस्वीर पुलिस के हाथ में कैसे पड़ गई। फिर उसने इस तस्वीर को पहचान लिया । वह उसके पासपोर्ट की तस्वीर थी।

पिछली रात को रेडियो पर उसका हुलिया ब्राडकास्ट किया गया था । शायद कैलवर्ली गैस्ट हाउस के मैनेजर ने उस हुलिये के दम पर राज को पहचान लिया था और पुलिस को सूचित कर दिया था कि उस हुलिये का आदमी उनके गैस्ट हाउस में ठहरा हुआ था । पुलिस ने गैस्ट हाउस में उसके कमरे पर छापा मारा होगा और राज का सामान अपने अधिकार में कर लिया होगा । राज के सामान में उसका पासपोर्ट भी था जिस पर उसकी तस्वीर लगी हुई थी।
अखबार में तस्वीर छप जाने के बाद स्थिति बड़ी विकट हो गई थी । हुलिया किसी को याद नहीं रहता था या लोग सुनकर भूला देते थे लेकिन तस्वीर हर किसी को याद रह सकती थी।
तस्वीर के नीचे जनता से अपील की गई थी कि वह तस्वीर वाले आदमी को पकड़वाने में पुलिस को सहयोग दें।

"क्या है यह ?" - उसे मार्गरेट की आवाज सुनाई दी।

राज ने देखा वह भी अखबार में छपी उसकी तस्वीर को घूर रही थी।
राज ने अखबार मोड़ कर जेब में रख लिया

और बोला - "मैडम, मुझे लग रहा है कि अब मैं जल्दी ही गिरफ्तार होने वाला हूं । इसलिये तुम मुझसे अलग ही रहो ।"

"अलग रहूं? क्या मतलब ?"

“मतलब यह कि लगभग आधे घण्टे में ट्रेन डेनवर पहुंच जायेगी । तुम डेनवर उतर कर दूसरी गाड़ी पकड़ कर वापिस लन्दन चली जाओ । मैं तुम्हारी मदद के बिना ही तुम्हारे भाई के टापू पर उसे तलाश कर लूंगा ।"

"तुम ऐसा नहीं कर पाओगे? तुम जरूर कहीं दलदल में फंस कर अपनी जान से हाथ धो बैठोगे।"

"देखा जायेगा । बहरहाल मुझे अब तुम्हारी मदद की जरूरत नहीं।"

"लेकिन अब मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं। अगर मेरा भाई जिन्दा है तो मैं उसे चेतावनी देना चाहती हूं कि तुम उसकी हत्या करना चाहते हो
?"

"तुम ऐसा कर सकती हो ?"

"शायद कर सकू । शायद न कर सकूँ लेकिन मैं कोशिश जरूर करूंगी।"

"लेकिन कल तक तो तुम बड़ी दृढता से यह कह रही थीं कि तुम्हारा भाई मर चुका था फिर तुम चेतावनी किसे देना चाहती हो?"
वह कुछ क्षण चुप रही और फिर धीरे से बोली "शायद वाकई कोई करिश्मा हो गया हो ।"

"अगर अनिल साहनी और रोशनी भी डेनवर पहुंच गये हुये तो तुम अपनी जान से हाथ धो सकती हो ।”
मार्गरेट चुप रही।

"नादानी मत करो।" - राज बोला - "जाकर अपनी सीट पर बैठो । डेनवर उतर कर लन्दन की वापिसी की ट्रेन पकड़ लेना ।"
और राज उसको वहीं खड़ा छोड़कर लम्बे डग भरता वापिस अपने कम्पार्टमेंट की ओर बढ़ गया

अभी वह अगली बोगी के गलियारे के मध्य में ही पहुंचा था कि गलियारे के एक कम्पार्टमेंट का दरवाजा खुला और एक आदमी राज के रास्ते में आ खड़ा हुआ ।

राज ठिठक गया । उसकी निगाह उस आदमी के चेहरे पर पड़ी और उसका दिल धड़कने लगा वह वही पुलिसमैन था कि जिसके जबड़े पर उसने मिशन कम्पाउण्ड को पिछली गली में चूंसा मारा था । वह उस समय यूनीफार्म के स्थान पर सूट पहने हुये था लेकिन फिर भी राज ने उसे पहचान लिया था ।
राज ने घूमकर देखा । उसके पीछे एक और आदमी खड़ा था । उसकी कठोर आंखें राज के चेहरे पर टिकी हुई थी और उसके होंठों पर मुस्कुराहट थी।
पुलिसमैन और उस आदमी की निगाहें मिलीं। पुलिसमैन ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिला दिया।

"इन्स्पेक्टर मार्श ऐट योर सरविस, मिस्टर राज ।" - पिछला आदमी मीठे स्वर से बोला और । उसने अपना पर्स खोल कर राज के आगे कर दिया ।

पर्स में इन्स्पेक्टर का पुलिस बैज लगा हुआ था । राज के मुंह से बोल नहीं फूटा ।

"भीतर तशरीफ लाइये ।" - इन्स्पेक्टर उसे उस कम्पार्टमेंट की ओर धकेलता हुआ बोला, जिसका दरवाजा खोलकर पुलिसमैन बाहर निकला था।

राज उस कम्पार्टमेंट में घुस गया । इन्स्पेक्टर और पुलिसमैन उसके पीछे भीतर प्रविष्ट हो गये

"साहब की तलाशी लो ।" - इन्स्पेक्टर ने आदेश दिया ।

पुलिसमैन ने उसकी तलाशी ली।

"क्लीन ।" - वह बोला। इन्स्पेक्टर ने सन्तुष्टपूर्ण ढंग से सिर हिलाया ।

"आप सोच रहे होंगे कि हम यहां कैसे पहुंच गये ?" - इन्स्पेक्टर बोला ।
राज चुप रहा।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply