Superb update dear thanks pl continue
आखिरी शिकार complete
- Dolly sharma
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Re: आखिरी शिकार
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
- rajaarkey
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Re: आखिरी शिकार
साथ बने रहने के लिए शुक्रिया दोस्तो
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- rajaarkey
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Re: आखिरी शिकार
लम्बे ओवरकोट वाला भी हाथ में छोटा-सा डन्डा लिये उसकी ओर बढ़ रहा था ।
राज ने टेलीफोन को रिसीवर सहित उठा लिया एक झटके से उसने टेलिफोन के प्लग को साकेट से निकाल दिया । उसने टेलीफोन को दुबारा
अपने पर वार करने को तत्पर इन्स्पेक्टर के ऊपर खींच मारा।
टेलीफोन भड़ाक से इन्स्पेक्टर के चेहरे पर से टकराया । उसके हाथ से रिवाल्वर निकल कर जमीन पर जा गिरी।
राज रिवाल्वर पर झपटा ।
उसी क्षण काले ओवरकोट वाला उसके सिर पर पहुंच गया। उसके हाथ में थमे डन्डे का भरपूर प्रहार फिर राज के सिर पर पड़ा। उसके बाद क्या हुआ, राज को पता नहीं लगा
उसकी चेतना लुप्त हो चुकी थी।
***
जब राज की आंख खुली तो उसने अपने आप को अस्पताल के एक कमरे में पाया ।
उसके जिस्म का जोड़-जोड़ दुख रहा था और उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।
उसने सिर घुमाकर कमरे में चारों ओर देखा । कमरा खाली था ।
फिर उसे पलंग के साथ काल बैल का पुश लटका दिखाई दिया । उसने पुश का बटन दबाया और
उस पर से हाथ हटाना भूल गया ।
एक आदमी भागता हुआ कमरे में घुसा । वह एक सफेद कोट पहने हुये था और उसके गले में स्टेथस्कोप लटक रहा था ।
"क्या करते हो, मिस्टर ?" - वह जल्दी से बोला
राज ने पुश पर से हाथ हटा लिया ।
"तुम डॉक्टर हो ?" - राज बोला ।
"हां ।" - उत्तर मिला। “
मैं कहां हूं?"
"तुम सिल्वर जुबली अस्पताल में हो ।" - डॉक्टर ने बताया ।
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"तुम एक दुर्घटना के शिकार हो गये थे ।"
"कैसे?"
"तुम्हें नहीं मालूम ?" - डॉक्टर तनिक हैरानी भरे स्वर में बोला।
राज ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया । "हद से ज्यादा शराब पीने का यही अन्जाम होता है।" - डॉक्टर धीरे से बोला ।
"किसने पी थी शराब ?" - राज तीव्र स्वर से बोली।
"तुमने और किसने ? तभी तो सड़क पर चलते हुये कार से जा टकराये थे ।"
"कहां?"
"प्रिंस एल्बर्ट रोड पर | जब तुम अस्पताल में लाये गये थे, तब भी तुम्हारे मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे।"
"लेकिन कल मैंने शराब नहीं पी थी । बल्कि शराब को चखा तक नहीं था ।"
"तुम शराब नहीं पीते ?"
"पीता तो हूं लेकिन..." '
"तो क्या रात को किसी ने शराब जबरदस्ती तुम्हारे हलक में उड़ेल दी थी ?"
"हां, यह हो सकता है।" डाक्टर विचित्र नेत्रों से उसकी ओर देखने लगा |
"मेरी हालत कैसी है ?"
"खुशकिस्मत हो तुम | कोई हड्डी नहीं टूटी है और बाकी जिस्म पर भी थोड़ी बहुत खरोचें ही आई हैं । सिर्फ सर में ज्यादा चोट आई है।"
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"किसी भले आदमी ने तुम्हें सड़क पर पड़ा पाया था । वह तुम्हें यहां अस्पताल में छोड़ गया था ।"
राज ने टेलीफोन को रिसीवर सहित उठा लिया एक झटके से उसने टेलिफोन के प्लग को साकेट से निकाल दिया । उसने टेलीफोन को दुबारा
अपने पर वार करने को तत्पर इन्स्पेक्टर के ऊपर खींच मारा।
टेलीफोन भड़ाक से इन्स्पेक्टर के चेहरे पर से टकराया । उसके हाथ से रिवाल्वर निकल कर जमीन पर जा गिरी।
राज रिवाल्वर पर झपटा ।
उसी क्षण काले ओवरकोट वाला उसके सिर पर पहुंच गया। उसके हाथ में थमे डन्डे का भरपूर प्रहार फिर राज के सिर पर पड़ा। उसके बाद क्या हुआ, राज को पता नहीं लगा
उसकी चेतना लुप्त हो चुकी थी।
***
जब राज की आंख खुली तो उसने अपने आप को अस्पताल के एक कमरे में पाया ।
उसके जिस्म का जोड़-जोड़ दुख रहा था और उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।
उसने सिर घुमाकर कमरे में चारों ओर देखा । कमरा खाली था ।
फिर उसे पलंग के साथ काल बैल का पुश लटका दिखाई दिया । उसने पुश का बटन दबाया और
उस पर से हाथ हटाना भूल गया ।
एक आदमी भागता हुआ कमरे में घुसा । वह एक सफेद कोट पहने हुये था और उसके गले में स्टेथस्कोप लटक रहा था ।
"क्या करते हो, मिस्टर ?" - वह जल्दी से बोला
राज ने पुश पर से हाथ हटा लिया ।
"तुम डॉक्टर हो ?" - राज बोला ।
"हां ।" - उत्तर मिला। “
मैं कहां हूं?"
"तुम सिल्वर जुबली अस्पताल में हो ।" - डॉक्टर ने बताया ।
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"तुम एक दुर्घटना के शिकार हो गये थे ।"
"कैसे?"
"तुम्हें नहीं मालूम ?" - डॉक्टर तनिक हैरानी भरे स्वर में बोला।
राज ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया । "हद से ज्यादा शराब पीने का यही अन्जाम होता है।" - डॉक्टर धीरे से बोला ।
"किसने पी थी शराब ?" - राज तीव्र स्वर से बोली।
"तुमने और किसने ? तभी तो सड़क पर चलते हुये कार से जा टकराये थे ।"
"कहां?"
"प्रिंस एल्बर्ट रोड पर | जब तुम अस्पताल में लाये गये थे, तब भी तुम्हारे मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे।"
"लेकिन कल मैंने शराब नहीं पी थी । बल्कि शराब को चखा तक नहीं था ।"
"तुम शराब नहीं पीते ?"
"पीता तो हूं लेकिन..." '
"तो क्या रात को किसी ने शराब जबरदस्ती तुम्हारे हलक में उड़ेल दी थी ?"
"हां, यह हो सकता है।" डाक्टर विचित्र नेत्रों से उसकी ओर देखने लगा |
"मेरी हालत कैसी है ?"
"खुशकिस्मत हो तुम | कोई हड्डी नहीं टूटी है और बाकी जिस्म पर भी थोड़ी बहुत खरोचें ही आई हैं । सिर्फ सर में ज्यादा चोट आई है।"
"मैं यहां कैसे पहुंचा ?"
"किसी भले आदमी ने तुम्हें सड़क पर पड़ा पाया था । वह तुम्हें यहां अस्पताल में छोड़ गया था ।"
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Re: आखिरी शिकार
"किसी ने मुझे कार से टकराते देखा था ?"
"उसी आदमी ने देखा था जो तुम्हें यहां छोड़ने आया था ।"
"उसके अलावा ?"
"मुझे खबर नहीं।"
"और वह भला आदमी जो मुझे यहां छोड़कर गया था, इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड था ।"
"इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड !" - डॉक्टर उलझनपूर्ण स्वर से बोला।
"हां | लाल चेहरे वाला लम्बा-तगड़ा आदमी । चेहरे पर चेचक के दाग, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान..."
"नहीं, नहीं वह आदमी तो..." “एक लम्बा ओवरकोट पहने हुए था और उसके सिर पर हैट था ।"
"तुम्हें कैसे मालूम ? तुम तो बेहोशी की हालत में यहां लाये गये थे।"
"डॉक्टर साहब, आपकी जानकारी के लिये न मैंने शराब पी थी और न मैं किसी एक्सीडेन्ट का शिकार हआ था । जो लम्बे ओवरकोट वाला आदमी मझे यहां छोडकर गया था, उसने और इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड ने मेरे कमरे में मेरी यह हालत बनाई थी।"
"क्यों ?" - डॉक्टर संदिग्ध स्वर से बोला ।
"मालूम नहीं।"
डॉक्टर के चेहरे पर से अविश्वास के भाव झलकने लगे।
"मुझे मालूम था, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं आयेगा।"
"तुमने घण्टी क्यों बजाई थी ?"
"मैं पुलिस को रिपोर्ट करना चाहता हूं । नहीं... यहां के पुलिस वालों ने ही तो मेरी यह हालत बनाई है । उन्हें रिपोर्ट करने का क्या फायदा ? मैं अपने देश के हाई कमीशन के किसी अधिकारी से बात करना चाहता हूं।"
उस समय रात के बारह बजे थे लेकिन फिर भी डॉक्टर ने राज की भारतीय हाई कमीशन के एक अधिकारी से उसकी बात करवा दी ।
राज ने अधिकारी को अपनी दास्तान सुनाई । अधिकारी ने फौरन एक्शन लेने का वादा किया और टेलीफोन बन्द कर दिया ।
रात को दो बजे उसी अधिकारी से उसकी फिर टेलीफोन पर बात हुई।
"मिस्टर राज" - अधिकारी बोला - "मैंने सार मामले की खुद छानबीन की है और मुझे खेद के साथ सूचित करना पड़ता है कि मुझे आपकी कहानी एकदम तथ्यहीन लगी है । मैंने अस्पताल के एमरजेन्सी वार्ड के डॉक्टर से बात की है। उसके कथनानुसार आप मोटर दुर्घटना के ही शिकार हुये हैं। आपके शरीर पर जिस प्रकार की
चोट आई है, उससे जाहिर होता है कि आप किसी चलती कार की साइड से टकराये थे । कार ने आपको फुटपाथ पर उछाल दिया था और आपका सिर एक बिजली के खम्भे से जा टकराया था। और यह बात हर किसी ने नोट की थी कि आपके मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे..."
"लेकिन..." - राज ने प्रतिवाद करना चाहा । "सुनते रहिये । मैं आपके होटल के कमरे में भी गया था । वहां मुझे ऐसा की सूत्र नहीं मिला था जिससे यह जाहिर होता हो कि वहां लड़ाई
झगड़ा हुआ था । वहां न टेलीफोन टूटा हुआ था
और न ही आपका सामान बिखरा हुआ था । हर चिज उसी तरतीब में थी जैसी में कि वह होनी चाहिये थी । और आपकी जानकारी के लिये लन्दन पुलिस फोर्स में क्राफोर्ड नाम का कोई इन्स्पेक्टर नहीं है और न ही उस हुलिये का कोई
आदमी पुलीस में है जो कि आपने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का सहकारी बताता था ।"
"उसी आदमी ने देखा था जो तुम्हें यहां छोड़ने आया था ।"
"उसके अलावा ?"
"मुझे खबर नहीं।"
"और वह भला आदमी जो मुझे यहां छोड़कर गया था, इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड था ।"
"इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड !" - डॉक्टर उलझनपूर्ण स्वर से बोला।
"हां | लाल चेहरे वाला लम्बा-तगड़ा आदमी । चेहरे पर चेचक के दाग, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान..."
"नहीं, नहीं वह आदमी तो..." “एक लम्बा ओवरकोट पहने हुए था और उसके सिर पर हैट था ।"
"तुम्हें कैसे मालूम ? तुम तो बेहोशी की हालत में यहां लाये गये थे।"
"डॉक्टर साहब, आपकी जानकारी के लिये न मैंने शराब पी थी और न मैं किसी एक्सीडेन्ट का शिकार हआ था । जो लम्बे ओवरकोट वाला आदमी मझे यहां छोडकर गया था, उसने और इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड ने मेरे कमरे में मेरी यह हालत बनाई थी।"
"क्यों ?" - डॉक्टर संदिग्ध स्वर से बोला ।
"मालूम नहीं।"
डॉक्टर के चेहरे पर से अविश्वास के भाव झलकने लगे।
"मुझे मालूम था, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं आयेगा।"
"तुमने घण्टी क्यों बजाई थी ?"
"मैं पुलिस को रिपोर्ट करना चाहता हूं । नहीं... यहां के पुलिस वालों ने ही तो मेरी यह हालत बनाई है । उन्हें रिपोर्ट करने का क्या फायदा ? मैं अपने देश के हाई कमीशन के किसी अधिकारी से बात करना चाहता हूं।"
उस समय रात के बारह बजे थे लेकिन फिर भी डॉक्टर ने राज की भारतीय हाई कमीशन के एक अधिकारी से उसकी बात करवा दी ।
राज ने अधिकारी को अपनी दास्तान सुनाई । अधिकारी ने फौरन एक्शन लेने का वादा किया और टेलीफोन बन्द कर दिया ।
रात को दो बजे उसी अधिकारी से उसकी फिर टेलीफोन पर बात हुई।
"मिस्टर राज" - अधिकारी बोला - "मैंने सार मामले की खुद छानबीन की है और मुझे खेद के साथ सूचित करना पड़ता है कि मुझे आपकी कहानी एकदम तथ्यहीन लगी है । मैंने अस्पताल के एमरजेन्सी वार्ड के डॉक्टर से बात की है। उसके कथनानुसार आप मोटर दुर्घटना के ही शिकार हुये हैं। आपके शरीर पर जिस प्रकार की
चोट आई है, उससे जाहिर होता है कि आप किसी चलती कार की साइड से टकराये थे । कार ने आपको फुटपाथ पर उछाल दिया था और आपका सिर एक बिजली के खम्भे से जा टकराया था। और यह बात हर किसी ने नोट की थी कि आपके मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे..."
"लेकिन..." - राज ने प्रतिवाद करना चाहा । "सुनते रहिये । मैं आपके होटल के कमरे में भी गया था । वहां मुझे ऐसा की सूत्र नहीं मिला था जिससे यह जाहिर होता हो कि वहां लड़ाई
झगड़ा हुआ था । वहां न टेलीफोन टूटा हुआ था
और न ही आपका सामान बिखरा हुआ था । हर चिज उसी तरतीब में थी जैसी में कि वह होनी चाहिये थी । और आपकी जानकारी के लिये लन्दन पुलिस फोर्स में क्राफोर्ड नाम का कोई इन्स्पेक्टर नहीं है और न ही उस हुलिये का कोई
आदमी पुलीस में है जो कि आपने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का सहकारी बताता था ।"
(¨`·.·´¨) Always
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- Joined: 10 Oct 2014 10:09
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Re: आखिरी शिकार
कुझ क्षण राज के मुंह से बोल नहीं फूटा । फिर वह गुस्से से फट पड़ा।
"तो आप" - वह चिल्लाकर बोला - "यह कहना चाहते हैं कि मैं झूठ बोल रहा हूं?"
"मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है ।" - दूसरी ओर से हाई कमीशन के अधिकारी का शान्त स्वर सुनाई दिया - "मैं तो आप पर केवल अपनी तफ्तीश का नतीजा जाहिर कर रहा हूं । सम्भव है जो आप कह रहे हैं वह सच हो लेकिन हालात इसी ओर संकेत कर रहे हैं । आप चूंकि यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि आपने प्रधानमन्त्री की प्रेस पार्टी का सदस्य होते हुए इतनी गैरजिम्मेदाराना हरकत की है यानी आप शराब पीकर एक एक्सीडेन्ट का शिकार हो गये हैं और उसी का वजह से इस वक्त अस्पताल में पड़े हैं। हालात से यह जाहिर होता है कि आपने अपने सम्मान की रक्षा की खातिर एक कहानी गढ ली है कि यहां कि पुलिस वाले आपको खामखाह फंसा रहे हैं । मेरे कहने का मतलब यह है कि वर्तमान स्थिति में हम कोई ऐसी आफिशियल शिकायत यहां की पुलिस में दर्ज नहीं करवा सकते कि
आपके साथ यहां की पुलिस द्वारा कोई ज्यादती की गई है।"
राज चुप रहा।
"और आप की सूचनार्थ इस सारी घटना की सूचना प्रधानमन्त्री के निजी सचिव तक पहुंच गई है । उनकी निगाह में आपने एक निहायत गलत हरकत की है और आपने अपने देश और देश के प्रधानमन्त्री के सम्मान को ठेस पहुंचाई है । इस विषय में शायद प्रधानमन्त्री के निजी सचिव
आपसे बात करें।"
सम्बन्ध विच्छेद हो गया ।
राज हताशापूर्ण नेत्रों के हाथ में थमे रिसीवर को देखता रहा । फिर उसने रिसीवर को क्रेडल पर पटक दिया ।
आर्डरली ने टेलीफोन प्लग साकेट में से निकाला और टेलीफोन लेकर कमरे से निकल गया ।
फिर एक नर्स कमरे में प्रविष्ट हुई।
"रात के दो बज गये हैं, मिस्टर राज ।" - वह अपने व्यवसाय सुलभ मधुर स्वर से बोली - "अब आपको आराम करना चाहिये ।" राज बिना प्रतिवाद किये पलंग पर लेट गया ।
नर्स ने उसे कम्बल ओढाया और बिजली का स्विच ऑफ करके कमरे से बाहर निकल गई।
राज ने नेत्र बन्द कर लिये ।
***
"तो आप" - वह चिल्लाकर बोला - "यह कहना चाहते हैं कि मैं झूठ बोल रहा हूं?"
"मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है ।" - दूसरी ओर से हाई कमीशन के अधिकारी का शान्त स्वर सुनाई दिया - "मैं तो आप पर केवल अपनी तफ्तीश का नतीजा जाहिर कर रहा हूं । सम्भव है जो आप कह रहे हैं वह सच हो लेकिन हालात इसी ओर संकेत कर रहे हैं । आप चूंकि यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि आपने प्रधानमन्त्री की प्रेस पार्टी का सदस्य होते हुए इतनी गैरजिम्मेदाराना हरकत की है यानी आप शराब पीकर एक एक्सीडेन्ट का शिकार हो गये हैं और उसी का वजह से इस वक्त अस्पताल में पड़े हैं। हालात से यह जाहिर होता है कि आपने अपने सम्मान की रक्षा की खातिर एक कहानी गढ ली है कि यहां कि पुलिस वाले आपको खामखाह फंसा रहे हैं । मेरे कहने का मतलब यह है कि वर्तमान स्थिति में हम कोई ऐसी आफिशियल शिकायत यहां की पुलिस में दर्ज नहीं करवा सकते कि
आपके साथ यहां की पुलिस द्वारा कोई ज्यादती की गई है।"
राज चुप रहा।
"और आप की सूचनार्थ इस सारी घटना की सूचना प्रधानमन्त्री के निजी सचिव तक पहुंच गई है । उनकी निगाह में आपने एक निहायत गलत हरकत की है और आपने अपने देश और देश के प्रधानमन्त्री के सम्मान को ठेस पहुंचाई है । इस विषय में शायद प्रधानमन्त्री के निजी सचिव
आपसे बात करें।"
सम्बन्ध विच्छेद हो गया ।
राज हताशापूर्ण नेत्रों के हाथ में थमे रिसीवर को देखता रहा । फिर उसने रिसीवर को क्रेडल पर पटक दिया ।
आर्डरली ने टेलीफोन प्लग साकेट में से निकाला और टेलीफोन लेकर कमरे से निकल गया ।
फिर एक नर्स कमरे में प्रविष्ट हुई।
"रात के दो बज गये हैं, मिस्टर राज ।" - वह अपने व्यवसाय सुलभ मधुर स्वर से बोली - "अब आपको आराम करना चाहिये ।" राज बिना प्रतिवाद किये पलंग पर लेट गया ।
नर्स ने उसे कम्बल ओढाया और बिजली का स्विच ऑफ करके कमरे से बाहर निकल गई।
राज ने नेत्र बन्द कर लिये ।
***
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