उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था।
"प्लेन का अगला स्टापेज कौन-सा है ?" - राज ने गैंगवे से गुजरती एयर होस्टेस से हिन्दोस्तानी में पूछा।
"पेरिस ।" - उत्तर मिला।
ठीक नौ बजकर पांच मिनट पर प्लेन पेरिस के ओरली एयरपोर्ट पर उतरा ।
एयर होस्टेस से ही उसे मालूम हुआ था कि वहां प्लेन चालीस मिनट रुकने वाला था ।
पेरिस से प्लेन में कितने ही और यात्री सवार हो गये । एयर होस्टेस उन्हें विभिन्न सीटों की ओर निर्देशित करती रही।
वहां उतरने वाला कोई नहीं था ।
एकाएक राज अपने स्थान से उठा और एयर होस्टेस के समीप पहुंचा।
"आई एम सारी टु बादर यू" - वह बोला - "लेकिन मुझे यहीं उतरना पड़ेगा।"
"लेकिन आप तो हमारे साथ मुम्बई तक जाने वाले थे?" - एयर होस्टेस बोली ।
"जाने वाला था लेकिन अब नहीं जा पाऊंगा।" - राज खेदपूर्ण स्वर से बोला - "मेरे कुछ बहुत महत्वपूर्ण कागजात लन्दन में ही रह गये हैं । मुझे यहीं से फौरन वापिस जाना होगा | भारत के लिये मैं शाम तक कोई दूसरी फ्लाइट पकड़ लूंगा
"ऐज यू विश ।"
"मैं कस्टम पर जा रहा हूं मेरा सामान उतरवा दीजिये ।"
"ओके।"
राज अपना हैट दुबारा अपने सिर पर जमा लिया और एयरपोर्ट की इमारत की ओर बढा । कस्टम से निपटने के बाद वह एयपोर्ट से बाहर निकल गया।
वह ओरली एयरपोर्ट से टैक्सी पर सवार हुआ और सेन्ट्रल बस टरमिनल पर पहुंच गया । वहां से वह एक बस में सवार हो गया । बस नारमंडी के समुद्र तट पर स्थित इलाके शेरबोर्ग तक जाती थी।
लगभग साढे बारह बजे वह शेरबोर्ग पहुंचा । अपना सूटकेस उसने बस टरमिनल के क्लाकरूम में जमा करवा दिया । और ब्रीफकेस हाथ में लटकाये समुद्र तट की ओर बढा ।
अगले दो घन्टों में उसने एक ऐसा मछियारा खोज निकाला जो एक स्टीमर का स्वामी था और जो रात के अन्धकार में इंगलिश चैनल पार करके उसे इंगलैंड के किसी सुनसान समुद्र तट पर छोड़
आने के लिये तैयार था बशर्ते कि उसे एक मोटी रकम एडवांस में दे दी जाती ।
राज ने ऐसा ही किया ।
उसने भोजन किया, बस टरमिनल से अपना सूटकेस लिया और वापिस मछियारे के स्टीमर में पहुंच गया । दिन भर वह स्टीमर में सोया रहा ।
रात के लगभग सात बजे मछियारे ने स्टीमर को पायर से खोला और उसे समुद्र की छाती पर दौड़ा दिया । इंग्लैंड और फ्रांस दोनों देशों की पैट्रोल पुलिस से बचता हुआ वह मछियारा राज को इंग्लैंड में साउथेम्पटन के एक उजाड़ समुद्र तट पर छोड़ गया ।
राज फिर इंग्लैंड में था ।
अपना सूटकेस और ब्रीफकेस सम्भाले लोगों की निगाहों से बचता-बचाता वह रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया । वहां वह लन्दन की ओर जाती एक ट्रेन पर सवार हो गया ।
लन्दन रेलवे स्टेशन पर उतर कर वह एक टैक्सी पर सवार हुआ और वोरचेस्टर स्क्वायर पर स्थित कैलवर्ली गैस्ट हाउस के सामने टैक्सी से उतर गया । गैस्ट हाउस में उसे बड़ी सहूलियत से एक कमरा मिल गया । उसने ब्रीफकेस और सूटकेस कमरे में रखा और लगभग फौरन ही बाहर निकल आया।
उसने एक टैक्सी पकड़ी और उस पते पर पहुंच गया जहां पिछली रात वह मिलर के साथ गया था।
राज गली से बाहर ही टैक्सी से उतर गया ।
उसने घड़ी पर दृष्टिपात किया। साढे ग्यारह बज चुके थे।
पथरीले रास्ते से होता हुआ वह उस पुरानी-सी इमारत के सामने पहुंच गया जहां पिछली रात उसे मिलर लाया था ।
उसने धीरे से कालबैल का पुश दबाया और प्रतीक्षा करने लगा। भीतर से कोई उत्तर नहीं मिला। राज ने फिर घन्टी बजायी।
भीतर से किसी प्रकार की आवाज नहीं आई।
राज ने द्वार को धीरे से धक्का दिया।
द्वार थोड़ा-सा खुल गया । वह भीतर से बन्द नहीं था ।
राज सावधानी से भीतर प्रविष्ट हो गया । उसने पीछे द्वार बन्द कर दिया ।
भीतर एकदम अन्धेरा था ।
आखिरी शिकार complete
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Re: आखिरी शिकार
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Re: आखिरी शिकार
उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था।
"प्लेन का अगला स्टापेज कौन-सा है ?" - राज ने गैंगवे से गुजरती एयर होस्टेस से हिन्दोस्तानी में पूछा।
"पेरिस ।" - उत्तर मिला।
ठीक नौ बजकर पांच मिनट पर प्लेन पेरिस के ओरली एयरपोर्ट पर उतरा ।
एयर होस्टेस से ही उसे मालूम हुआ था कि वहां प्लेन चालीस मिनट रुकने वाला था ।
पेरिस से प्लेन में कितने ही और यात्री सवार हो गये । एयर होस्टेस उन्हें विभिन्न सीटों की ओर निर्देशित करती रही।
वहां उतरने वाला कोई नहीं था ।
एकाएक राज अपने स्थान से उठा और एयर होस्टेस के समीप पहुंचा।
"आई एम सारी टु बादर यू" - वह बोला - "लेकिन मुझे यहीं उतरना पड़ेगा।"
"लेकिन आप तो हमारे साथ मुम्बई तक जाने वाले थे?" - एयर होस्टेस बोली ।
"जाने वाला था लेकिन अब नहीं जा पाऊंगा।" - राज खेदपूर्ण स्वर से बोला - "मेरे कुछ बहुत महत्वपूर्ण कागजात लन्दन में ही रह गये हैं । मुझे यहीं से फौरन वापिस जाना होगा | भारत के लिये मैं शाम तक कोई दूसरी फ्लाइट पकड़ लूंगा
"ऐज यू विश ।"
"मैं कस्टम पर जा रहा हूं मेरा सामान उतरवा दीजिये ।"
"ओके।"
राज अपना हैट दुबारा अपने सिर पर जमा लिया और एयरपोर्ट की इमारत की ओर बढा । कस्टम से निपटने के बाद वह एयपोर्ट से बाहर निकल गया।
वह ओरली एयरपोर्ट से टैक्सी पर सवार हुआ और सेन्ट्रल बस टरमिनल पर पहुंच गया । वहां से वह एक बस में सवार हो गया । बस नारमंडी के समुद्र तट पर स्थित इलाके शेरबोर्ग तक जाती थी।
लगभग साढे बारह बजे वह शेरबोर्ग पहुंचा । अपना सूटकेस उसने बस टरमिनल के क्लाकरूम में जमा करवा दिया । और ब्रीफकेस हाथ में लटकाये समुद्र तट की ओर बढा ।
अगले दो घन्टों में उसने एक ऐसा मछियारा खोज निकाला जो एक स्टीमर का स्वामी था और जो रात के अन्धकार में इंगलिश चैनल पार करके उसे इंगलैंड के किसी सुनसान समुद्र तट पर छोड़
आने के लिये तैयार था बशर्ते कि उसे एक मोटी रकम एडवांस में दे दी जाती ।
राज ने ऐसा ही किया ।
उसने भोजन किया, बस टरमिनल से अपना सूटकेस लिया और वापिस मछियारे के स्टीमर में पहुंच गया । दिन भर वह स्टीमर में सोया रहा ।
रात के लगभग सात बजे मछियारे ने स्टीमर को पायर से खोला और उसे समुद्र की छाती पर दौड़ा दिया । इंग्लैंड और फ्रांस दोनों देशों की पैट्रोल पुलिस से बचता हुआ वह मछियारा राज को इंग्लैंड में साउथेम्पटन के एक उजाड़ समुद्र तट पर छोड़ गया ।
राज फिर इंग्लैंड में था ।
अपना सूटकेस और ब्रीफकेस सम्भाले लोगों की निगाहों से बचता-बचाता वह रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया । वहां वह लन्दन की ओर जाती एक ट्रेन पर सवार हो गया ।
लन्दन रेलवे स्टेशन पर उतर कर वह एक टैक्सी पर सवार हुआ और वोरचेस्टर स्क्वायर पर स्थित कैलवर्ली गैस्ट हाउस के सामने टैक्सी से उतर गया । गैस्ट हाउस में उसे बड़ी सहूलियत से एक कमरा मिल गया । उसने ब्रीफकेस और सूटकेस कमरे में रखा और लगभग फौरन ही बाहर निकल आया।
उसने एक टैक्सी पकड़ी और उस पते पर पहुंच गया जहां पिछली रात वह मिलर के साथ गया था।
राज गली से बाहर ही टैक्सी से उतर गया ।
उसने घड़ी पर दृष्टिपात किया। साढे ग्यारह बज चुके थे।
पथरीले रास्ते से होता हुआ वह उस पुरानी-सी इमारत के सामने पहुंच गया जहां पिछली रात उसे मिलर लाया था ।
उसने धीरे से कालबैल का पुश दबाया और प्रतीक्षा करने लगा। भीतर से कोई उत्तर नहीं मिला। राज ने फिर घन्टी बजायी।
भीतर से किसी प्रकार की आवाज नहीं आई।
राज ने द्वार को धीरे से धक्का दिया।
द्वार थोड़ा-सा खुल गया । वह भीतर से बन्द नहीं था ।
राज सावधानी से भीतर प्रविष्ट हो गया । उसने पीछे द्वार बन्द कर दिया ।
भीतर एकदम अन्धेरा था ।
"प्लेन का अगला स्टापेज कौन-सा है ?" - राज ने गैंगवे से गुजरती एयर होस्टेस से हिन्दोस्तानी में पूछा।
"पेरिस ।" - उत्तर मिला।
ठीक नौ बजकर पांच मिनट पर प्लेन पेरिस के ओरली एयरपोर्ट पर उतरा ।
एयर होस्टेस से ही उसे मालूम हुआ था कि वहां प्लेन चालीस मिनट रुकने वाला था ।
पेरिस से प्लेन में कितने ही और यात्री सवार हो गये । एयर होस्टेस उन्हें विभिन्न सीटों की ओर निर्देशित करती रही।
वहां उतरने वाला कोई नहीं था ।
एकाएक राज अपने स्थान से उठा और एयर होस्टेस के समीप पहुंचा।
"आई एम सारी टु बादर यू" - वह बोला - "लेकिन मुझे यहीं उतरना पड़ेगा।"
"लेकिन आप तो हमारे साथ मुम्बई तक जाने वाले थे?" - एयर होस्टेस बोली ।
"जाने वाला था लेकिन अब नहीं जा पाऊंगा।" - राज खेदपूर्ण स्वर से बोला - "मेरे कुछ बहुत महत्वपूर्ण कागजात लन्दन में ही रह गये हैं । मुझे यहीं से फौरन वापिस जाना होगा | भारत के लिये मैं शाम तक कोई दूसरी फ्लाइट पकड़ लूंगा
"ऐज यू विश ।"
"मैं कस्टम पर जा रहा हूं मेरा सामान उतरवा दीजिये ।"
"ओके।"
राज अपना हैट दुबारा अपने सिर पर जमा लिया और एयरपोर्ट की इमारत की ओर बढा । कस्टम से निपटने के बाद वह एयपोर्ट से बाहर निकल गया।
वह ओरली एयरपोर्ट से टैक्सी पर सवार हुआ और सेन्ट्रल बस टरमिनल पर पहुंच गया । वहां से वह एक बस में सवार हो गया । बस नारमंडी के समुद्र तट पर स्थित इलाके शेरबोर्ग तक जाती थी।
लगभग साढे बारह बजे वह शेरबोर्ग पहुंचा । अपना सूटकेस उसने बस टरमिनल के क्लाकरूम में जमा करवा दिया । और ब्रीफकेस हाथ में लटकाये समुद्र तट की ओर बढा ।
अगले दो घन्टों में उसने एक ऐसा मछियारा खोज निकाला जो एक स्टीमर का स्वामी था और जो रात के अन्धकार में इंगलिश चैनल पार करके उसे इंगलैंड के किसी सुनसान समुद्र तट पर छोड़
आने के लिये तैयार था बशर्ते कि उसे एक मोटी रकम एडवांस में दे दी जाती ।
राज ने ऐसा ही किया ।
उसने भोजन किया, बस टरमिनल से अपना सूटकेस लिया और वापिस मछियारे के स्टीमर में पहुंच गया । दिन भर वह स्टीमर में सोया रहा ।
रात के लगभग सात बजे मछियारे ने स्टीमर को पायर से खोला और उसे समुद्र की छाती पर दौड़ा दिया । इंग्लैंड और फ्रांस दोनों देशों की पैट्रोल पुलिस से बचता हुआ वह मछियारा राज को इंग्लैंड में साउथेम्पटन के एक उजाड़ समुद्र तट पर छोड़ गया ।
राज फिर इंग्लैंड में था ।
अपना सूटकेस और ब्रीफकेस सम्भाले लोगों की निगाहों से बचता-बचाता वह रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया । वहां वह लन्दन की ओर जाती एक ट्रेन पर सवार हो गया ।
लन्दन रेलवे स्टेशन पर उतर कर वह एक टैक्सी पर सवार हुआ और वोरचेस्टर स्क्वायर पर स्थित कैलवर्ली गैस्ट हाउस के सामने टैक्सी से उतर गया । गैस्ट हाउस में उसे बड़ी सहूलियत से एक कमरा मिल गया । उसने ब्रीफकेस और सूटकेस कमरे में रखा और लगभग फौरन ही बाहर निकल आया।
उसने एक टैक्सी पकड़ी और उस पते पर पहुंच गया जहां पिछली रात वह मिलर के साथ गया था।
राज गली से बाहर ही टैक्सी से उतर गया ।
उसने घड़ी पर दृष्टिपात किया। साढे ग्यारह बज चुके थे।
पथरीले रास्ते से होता हुआ वह उस पुरानी-सी इमारत के सामने पहुंच गया जहां पिछली रात उसे मिलर लाया था ।
उसने धीरे से कालबैल का पुश दबाया और प्रतीक्षा करने लगा। भीतर से कोई उत्तर नहीं मिला। राज ने फिर घन्टी बजायी।
भीतर से किसी प्रकार की आवाज नहीं आई।
राज ने द्वार को धीरे से धक्का दिया।
द्वार थोड़ा-सा खुल गया । वह भीतर से बन्द नहीं था ।
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Re: आखिरी शिकार
उसने द्वार के समीप की दीवार को टटोला । शीघ्र ही उसका हाथ बिजली के स्विच से जा टकराया । उसने स्विच ऑन किया लेकिन बिजली नहीं जली।
राज के कोट की जेब में एक फाउन्टेन पैन के आकार की टार्च थी जो वह सदा अपनी जेब में रखता था । उसने टार्च निकाली और उसका स्विच ऑन किया ।
लम्बे गलियारे के निपट अन्धकार में पेन्सिल टार्च का सीमित प्रकाश भी बहुत ज्यादा मालूम हो रहा था ।
राज पेन्सिल टार्च के प्रकाश में सावधानी से गलियारे में आगे बढा ।
वह गलियारे के सिर पर स्थित उस बड़े कमरे में पहुंच गया जहां वह पिछली रात को जान फ्रेडरिक, अनिल साहनी और रोशनी से मिला था | उसने पेन्सिल टार्च के प्रकाश की सहायता से द्वार के बगल में लगा बिजली का स्विच बोर्ड तलाश किया और बारी-बारी उसके सारे स्विच ऑन कर दिये।
कमरे में प्रकाश नहीं हुआ।
शायद मेन स्विच ऑफ था ।
राज कुछ क्षण उलझन में पड़ा अपने स्थान पर खड़ा रहा फिर उसने टार्च का प्रकाश उस बड़े कमरे में चारों ओर घुमाया।
कमरा खाली था।
राज ने कमरे के फर्श पर प्रकाश डाला और फिर उसका मुंह सूखने लगा।
जिन कुर्सियों पर पिछली रात जान फ्रेडरिक, अनिल साहनी और रोशनी बैठे थे उनके पीछे एक मानव शरीर पड़ा था ।
राज सावधानी से आगे बढा ।
कुर्सियों के पीछे पहुंचकर उसने शरीर के चेहरे पर प्रकाश डाला।
वह मिलर था।
मोजर रिवाल्वर की जबरदस्त गोली उसकी छाती को फाड़ती हुई गुजर गई थी। उसी क्षण राज के कानों में किसी की हल्की सी आवाज पड़ी। राज ने फौरन टार्च बुझा दी और एक कुर्सी के पीछे छुपकर द्वार की ओर देखने लगा।
आवाज गलियारे से आई थी।
राज सांस रोके प्रतीक्षा करने लगा।
एक बार फिर खट की आवाज हुई और साथ ही उसे किसी के धीरे-धीरे सांस लेने का स्वर सुनाई दिया।
फिर धीरे से कमरे का द्वार खुला ।
"फ्रेडरिक !" - फिर उसके कानों में एक भर्राया हुआ धीमा लेकिन स्पष्ट विदेशी स्वर पड़ा - "इज दैट यू फ्रेडरिक ?"
"कौन है ?" - राज धीरे बोला । '
आवाज उसके मुंह से निकलने की देर थी कि अन्धकार में एक शोला-सा लपका । साथ ही गोली चलने की आवाज से कमरा गूंज गया । गोली सनसनाती हुई राज के कान के पास से गुजर गई और पीछे दीवार के साथ जा टकराई।
फिर राज को गलियारे में भागते कदमों कीआवाज सुनाई दी।
कुछ क्षण राज स्तब्ध-सा कुर्सी के पीछे छुपा रहा फिर वह बिजली की फुर्ती से अपने स्थान से
उठा और कमरे से बाहर की ओर भागा ।
उसी क्षण उसे बाहर का दरवाजा खुलने और भड़ाक से बंद होने की आवाज सुनाई दी ।
राज तेजी से गलियारे में दौड़ा ।
वह गलियारे के सिर पर पहुंचा और दरवाजा खोलकर बाहर गली में आ गया । '
दूर गली के सिर पर राज को एक साया-सा दिखाई दिया । उसके भागते कदम गली के पथरीले रास्ते से टकराकर रात के सन्नाटे में काफी आवाज पैदा कर रहे थे ।
राज उसके पीछे भागा ।
राज के कोट की जेब में एक फाउन्टेन पैन के आकार की टार्च थी जो वह सदा अपनी जेब में रखता था । उसने टार्च निकाली और उसका स्विच ऑन किया ।
लम्बे गलियारे के निपट अन्धकार में पेन्सिल टार्च का सीमित प्रकाश भी बहुत ज्यादा मालूम हो रहा था ।
राज पेन्सिल टार्च के प्रकाश में सावधानी से गलियारे में आगे बढा ।
वह गलियारे के सिर पर स्थित उस बड़े कमरे में पहुंच गया जहां वह पिछली रात को जान फ्रेडरिक, अनिल साहनी और रोशनी से मिला था | उसने पेन्सिल टार्च के प्रकाश की सहायता से द्वार के बगल में लगा बिजली का स्विच बोर्ड तलाश किया और बारी-बारी उसके सारे स्विच ऑन कर दिये।
कमरे में प्रकाश नहीं हुआ।
शायद मेन स्विच ऑफ था ।
राज कुछ क्षण उलझन में पड़ा अपने स्थान पर खड़ा रहा फिर उसने टार्च का प्रकाश उस बड़े कमरे में चारों ओर घुमाया।
कमरा खाली था।
राज ने कमरे के फर्श पर प्रकाश डाला और फिर उसका मुंह सूखने लगा।
जिन कुर्सियों पर पिछली रात जान फ्रेडरिक, अनिल साहनी और रोशनी बैठे थे उनके पीछे एक मानव शरीर पड़ा था ।
राज सावधानी से आगे बढा ।
कुर्सियों के पीछे पहुंचकर उसने शरीर के चेहरे पर प्रकाश डाला।
वह मिलर था।
मोजर रिवाल्वर की जबरदस्त गोली उसकी छाती को फाड़ती हुई गुजर गई थी। उसी क्षण राज के कानों में किसी की हल्की सी आवाज पड़ी। राज ने फौरन टार्च बुझा दी और एक कुर्सी के पीछे छुपकर द्वार की ओर देखने लगा।
आवाज गलियारे से आई थी।
राज सांस रोके प्रतीक्षा करने लगा।
एक बार फिर खट की आवाज हुई और साथ ही उसे किसी के धीरे-धीरे सांस लेने का स्वर सुनाई दिया।
फिर धीरे से कमरे का द्वार खुला ।
"फ्रेडरिक !" - फिर उसके कानों में एक भर्राया हुआ धीमा लेकिन स्पष्ट विदेशी स्वर पड़ा - "इज दैट यू फ्रेडरिक ?"
"कौन है ?" - राज धीरे बोला । '
आवाज उसके मुंह से निकलने की देर थी कि अन्धकार में एक शोला-सा लपका । साथ ही गोली चलने की आवाज से कमरा गूंज गया । गोली सनसनाती हुई राज के कान के पास से गुजर गई और पीछे दीवार के साथ जा टकराई।
फिर राज को गलियारे में भागते कदमों कीआवाज सुनाई दी।
कुछ क्षण राज स्तब्ध-सा कुर्सी के पीछे छुपा रहा फिर वह बिजली की फुर्ती से अपने स्थान से
उठा और कमरे से बाहर की ओर भागा ।
उसी क्षण उसे बाहर का दरवाजा खुलने और भड़ाक से बंद होने की आवाज सुनाई दी ।
राज तेजी से गलियारे में दौड़ा ।
वह गलियारे के सिर पर पहुंचा और दरवाजा खोलकर बाहर गली में आ गया । '
दूर गली के सिर पर राज को एक साया-सा दिखाई दिया । उसके भागते कदम गली के पथरीले रास्ते से टकराकर रात के सन्नाटे में काफी आवाज पैदा कर रहे थे ।
राज उसके पीछे भागा ।
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Re: आखिरी शिकार
साया गली का मोड़ काट गया और राज की दृष्टि से ओझल हो गया ।
राज तेजी से गली के दहाने की ओर भागता रहा।
उसी क्षण कोई घूमा और गली में प्रविष्ट हुआ ।
कोई गली में भीतर की ओर बढ़ रहा था ।
राज तेजी से उसकी बगल से गुजर गया ।
"मिस्टर राज !" - उसके कानों में एक स्त्री स्वर पड़ा।
राज तब तक गली के दहाने पर पहुंच चुका था । उसने चारों और दृष्टि दौड़ाई । जिस साये के पीछे भागता हुआ वह वहां पहुंचा था, वह कहीं गायब हो चुका था। राज ने घूमकर गली के भीतर देखा ।
जिस आकृति ने कुछ क्षण पहले गली में कदम रखा था, वह उसकी ओर बढ रही थी। वह आकृति समीप आई तो राज को उसकी सूरत दिखाई दी।
वह रोशनी थी।
वह एक लम्बा ओवरकोट पहने थी और उसके कटे हुये बालों पर रुमाल बन्धा हुआ था ।
राज हांफता हुआ उसके समीप खड़ा रहा ।
"क्या बात है ?" - रोशनी ने पूछा ।
"तुमने अभी किसी आदमी को भागते हुये गली से बाहर निकलते देखा था ?" - राज ने हांफते हुये पूछा।
"हां ।" - रोशनी बोला - "क्यों?"
"तुमने उसकी सूरत देखी ?"
"नहीं | कौन था वह ?"
"मुझे नहीं मालूम लेकिन अभी थोड़ी देर पहले उसने मिलर की हत्या कर दी है ।"
"क्या ?" - रोशनी आश्चर्यपूर्ण स्वर से बोली
और गली के भीतर की ओर लपकी ।
राज ने उसकी बांह थाम ली ।
"वहां जाने का कोई फायदा नहीं ।" - राज जल्दी से बोला - "उस आदमी ने मुझ पर भी गोली चलाई थी । सम्भव है गोली की आवाज किसी पड़ोसी ने सुनी हो और उसने अब या पहली गोली चलने पर पुलिस को फोन कर दिया हो । पुलिस यहां किसी भी क्षण पहुंच सकती है और मैं पुलिस की निगाहों में नहीं आना चाहता
“मैं भी।" - रोशनी बोली।
दोनों तेजी से गली से बाहर की सड़क पर बढ़ चले।
राज ने समीप से गुजरती एक टैक्सी को हाथ देकर रोका । दोनों उस पर सवार हो गये ।
टैक्सी चल पड़ी।
"क्रामवेल रोड ।" - राज के कुछ कहने से पहले ही रोशनी बोल पड़ी ।
उसी क्षण उनके कान में फ्लाईंग स्क्वायड के सायरन का आवाज पड़ी।
रोशनी ने राज की ओर देखा और शान्ति की सांस ली।
"तुम यहां कैसे ?" - राज ने हिन्दोस्तानी में पूछा।
"तुम्हारी वजह से ।" - रोशनी बोली - "मैं मिलर से यह पूछने आई थी कि तुम आये या नहीं ! हमारा ख्याल मिलर को तुम्हारे होटल भेजने का था । तुमने इतनी देर क्यों की ?" राज ने उसे शुरू से आखिर तक सारी घटना कह सुनाई।
"जो आदमी तुम्हें क्राफोर्ड के रूप में मिला था" - सारी दास्तान सुन चुकने के बाद रोशनी बोली - "वही तौफीक इस्माइल के पास ज्योति विश्वास का पत्र लेकर आया था ।"
राज तेजी से गली के दहाने की ओर भागता रहा।
उसी क्षण कोई घूमा और गली में प्रविष्ट हुआ ।
कोई गली में भीतर की ओर बढ़ रहा था ।
राज तेजी से उसकी बगल से गुजर गया ।
"मिस्टर राज !" - उसके कानों में एक स्त्री स्वर पड़ा।
राज तब तक गली के दहाने पर पहुंच चुका था । उसने चारों और दृष्टि दौड़ाई । जिस साये के पीछे भागता हुआ वह वहां पहुंचा था, वह कहीं गायब हो चुका था। राज ने घूमकर गली के भीतर देखा ।
जिस आकृति ने कुछ क्षण पहले गली में कदम रखा था, वह उसकी ओर बढ रही थी। वह आकृति समीप आई तो राज को उसकी सूरत दिखाई दी।
वह रोशनी थी।
वह एक लम्बा ओवरकोट पहने थी और उसके कटे हुये बालों पर रुमाल बन्धा हुआ था ।
राज हांफता हुआ उसके समीप खड़ा रहा ।
"क्या बात है ?" - रोशनी ने पूछा ।
"तुमने अभी किसी आदमी को भागते हुये गली से बाहर निकलते देखा था ?" - राज ने हांफते हुये पूछा।
"हां ।" - रोशनी बोला - "क्यों?"
"तुमने उसकी सूरत देखी ?"
"नहीं | कौन था वह ?"
"मुझे नहीं मालूम लेकिन अभी थोड़ी देर पहले उसने मिलर की हत्या कर दी है ।"
"क्या ?" - रोशनी आश्चर्यपूर्ण स्वर से बोली
और गली के भीतर की ओर लपकी ।
राज ने उसकी बांह थाम ली ।
"वहां जाने का कोई फायदा नहीं ।" - राज जल्दी से बोला - "उस आदमी ने मुझ पर भी गोली चलाई थी । सम्भव है गोली की आवाज किसी पड़ोसी ने सुनी हो और उसने अब या पहली गोली चलने पर पुलिस को फोन कर दिया हो । पुलिस यहां किसी भी क्षण पहुंच सकती है और मैं पुलिस की निगाहों में नहीं आना चाहता
“मैं भी।" - रोशनी बोली।
दोनों तेजी से गली से बाहर की सड़क पर बढ़ चले।
राज ने समीप से गुजरती एक टैक्सी को हाथ देकर रोका । दोनों उस पर सवार हो गये ।
टैक्सी चल पड़ी।
"क्रामवेल रोड ।" - राज के कुछ कहने से पहले ही रोशनी बोल पड़ी ।
उसी क्षण उनके कान में फ्लाईंग स्क्वायड के सायरन का आवाज पड़ी।
रोशनी ने राज की ओर देखा और शान्ति की सांस ली।
"तुम यहां कैसे ?" - राज ने हिन्दोस्तानी में पूछा।
"तुम्हारी वजह से ।" - रोशनी बोली - "मैं मिलर से यह पूछने आई थी कि तुम आये या नहीं ! हमारा ख्याल मिलर को तुम्हारे होटल भेजने का था । तुमने इतनी देर क्यों की ?" राज ने उसे शुरू से आखिर तक सारी घटना कह सुनाई।
"जो आदमी तुम्हें क्राफोर्ड के रूप में मिला था" - सारी दास्तान सुन चुकने के बाद रोशनी बोली - "वही तौफीक इस्माइल के पास ज्योति विश्वास का पत्र लेकर आया था ।"
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