Adultery ओह माय फ़किंग गॉड
- rajsharma
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- Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: Adultery ओह माय फ़किंग गॉड
साथ बने रहने के लिए धन्यवाद दोस्तो
- rajsharma
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Re: Adultery ओह माय फ़किंग गॉड
मैं उसको माथे के पीछे से पकड़ हल्के हल्के लंड को आगे-पीछे करने लगा. लाली मेरी ओर देख बड़ी कामुकता से मुस्कुरा रही थी. जो अब एक हाथ से कुसुम की स्तनों को मसल रही थी और दूसरी से उसकी झांटो से भरी चूत को.
मेरा लंड अब अपने पुरे आकार में आ चूका था. मैंने कुसुम के मुँह से लंड निकाला और बांहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया.
लाली उठ खड़ी हुई, मेरे लंड को पकड़ कर बोली, “साहब तुम सब मज़ा करो, मैं जाती हूँ अब”
मैं हैरानी से उसको देख बोला, “लेकिन आज रात तो हमदोनो का होने वाला था?”
लाली मेरी कान में फुसफुसाते हुए बोली, “हमको जो मज़ा लेना था सो हमने ले लिया. वैसे भी आज मेरी मुनिया साफ़ नहीं है. तुम अपने लौड़े से कुसुम की सेवा करो. हमारी सेवा का मौका फिर कभी मिलेगा.” फिर मेरे लंड को एक बार जोर से दबाकर हँसते हुए बाहर निकल गयी.
कुछ देर बाहर देखने के बाद वापस कुसुम को देखा तो उसकी नज़रों में प्यास साफ़ झलक रही थी. लाली की नहीं तो कुसुम की चूत ही सही! कुसुम टांगो को हल्का फैलाकर लेटी हुई थी. लेटने के कारण उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ढलक गयी थी. उसकी आँखों में थोड़ा शर्म, थोड़ा प्यार था मेरे लिए. मैं उसको एक तक देखते रहा जबतक की वह खुद मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच नहीं ली. धीरे से अपने ऊपर खींचने के बाद उसने मेरे होंठो को अपने होंठो पर लगा लिया और बेतहाशा चूसने लगी. मैं भी खुलकर उसका साथ देने लगा और दोनों हाथों से उसकी चुचियों का मर्दन करने लगा.
मेरा लंड कुसुम की जांघों के बीच फंसा था जो उसकी चूत से बहती पानी से गीली हो रही थी. लगभग पांच मिनट लम्बे चुम्बन को तोड़ते हुए कुसुम मेरी आँखों में झांकते हुए बोली, “साहबजी, आप बहुत सही से चुम्मी लेते हो. देखो, मैं तो आपकी चुम्मी से ही झड़ गयी. अब अपना लौड़ा डाल भी दो.”
मैं अपना दांया हाथ उसकी झांटो से भरी चूत के मुहाने पर ले गया जो पहले से गीली हो चुकी थी, लेकिन झांटो के कारण चूत की मुँह का पता नहीं लगा पाया.
मैं हँसते हुए कुसुम को बोला, “कुसुम रानी, अपनी सबसे प्यारी जगह हो साफ़ रखा करो. मेरे लौड़े को पता ही नहीं चल रहा है कि कहाँ डेरा डालना है!”
मेरी बातों से कुसुम शरमाते हुए धीमी आवाज में बोली, “जी साहब!”
तब तक मुझे चूत की मुँह का ठिकाना मिल गया, मैं अंगूठे से उसकी चूत की दीवारों को मथने लगा. कुसुम की आँखें बंद हो गयी और मुँह खुल गया.
मैं कुसुम की खुली होंठो को फिर से चूमना चुसना शुरू किया और उसके साथ-साथ उसकी चूत को अंगूठे से पिसना. कुसुम शायद सिसकना चाहती थी लेकिन उसकी सिसकारी मेरे मुँह में दबकर रह गयी. अब मैं बड़ी बेदर्दी से उसकी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था और साथ ही साथ भगनासे को भी छेड़ रहा था.
कुसुम मेरे नीचे तड़प रही थी. आखिर मैं जब उससे रहा नहीं गया तो हाथों से मुझे रोक दी. मैं उसकी मुँह से हट गया तो वह जोर जोर से साँस लेने लगी. थोड़ा वक़्त लगा उसको सामान्य होने में. मैं समझ गया कि काफी दिनों के बाद इसकी मारी जा रही है.
कुसुम की आँखें अधखुली थी. मैं उसकी मम्मो को धीरे धीरे सहलाना दबाना चालू किया. कुसुम की मुँह से “हम्म्म्म.... आअह्ह्ह्ह... ह्म्म्म....” की आवाजे आ रही थी. अब और देर ना करते हुए मैंने लंड के सुपाड़े को चूत की मुँह पर टिकाया और बहुत सावधानी के साथ हल्का सा धक्का लगाया जैसे कि मैं किसी अनछुई चूत मार रहा हूँ
. चुदाई के अभाव में कुसुम की चूत वाकई किसी कुंवारी की चूत जैसी तंग लग रही थी. लंड का सिर्फ सुपाड़ा की अन्दर गया और ऐसा लगा की और अन्दर नहीं जायेगा. मैं उसकी कमर को कसकर पकड़ा और जोर से एक धक्का मार दिया. चूत की दिवार को फाड़ते हुए आधा लंड अन्दर फंस गया. इसके साथ-साथ कुसुम की मासूम चीख़ निकल गयी. मैं बड़ी मुश्किल से उसकी जुबान बंद किया. लेकिन फिर भी वह “गों...गों...” की आवाज़ कर रही थी.
कुछ सेकंड रुकने के बाद मैं दोबारा ज़ोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अन्दर चला गया. धक्का इतना ज़ोरदार था कि बिस्तर की चरचराहट निकल गयी और हमदोनो के कमर-पेट आपस में गूँथ गये. लेकिन इसबार मैंने कुसुम की होंठो को अपने होंठो से सील कर दिया था, जिससे वह चीख़ नहीं पायी. शायद इतने दिनों बाद चुदने के कारण उसको काफी दर्द हुआ, जिससे उसकी आँखों में आंसू आ गये.
मैं बिना किसी हरकत के कुछ देर उसकी चुचिओं को सहलाते हुए चूमता रहा ताकि दर्द का एहसास कम हो जाये. धीरे से उसकी कान में पूछा, “कुसुम रानी, तुम ठीक हो ना?”
वह सिर्फ हाँ में सर हिलाई.
अब मैं धीरे-धीरे कमर हो आगे-पीछे करने लगा. मेरा लंड अब कुसुम की चूत में अपनी पहचान बना चूका था और आसानी से हरकत करने लगा. कुसुम की होंठो को छोड़ मैं उसकी चुचियों को चूसने लगा और उसकी चूत मारना शुरू किया. बीच-बीच में कुसुम की सिसकारी निकल रही थी लेकिन धीमी आवाज में. कुसुम की बेचैनी बढ़ने लगी. उसकी सिसकारी भी तेज़ हो गयी. मेरे सर को अपने छाती पर दबा दी और मेरे बालों को सहलाने लगी. मैं जब-जब उसकी चुचियों को काट देता तो उसकी सिसकारी चीख़ में बदल जाती. अब मैंने चोदने की रफ़्तार तेज़ कर दी. कुसुम की चीख़ भरी सिसकारी वीरान रात में गूंजने लगी. मैं भी किसी सांड की तरह हांफते हुए उसको बेरहमी से चोद रहा था.
कुसुम का बदन बिन-पानी मछली की भांति तड़प रहा था. अचानक उसका शरीर ऐंठ गया और बुरी तरह कांपने लगा, फिर शांत हो गया. मेरे लंड पर रस की बारिश कर वह तो झड़ गयी लेकिन मेरा अभी तक खड़ा था. कुछ और धक्को के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और उसके उपर निढाल हो गया. कुसुम का बदन बिल्कुल शांत था जैसे की उसमे जान ही नहीं हो. मैं उसको तंग करना ठीक नहीं समझा और उसकी ओर करवट ले सो गया. थकान और मस्त चुदाई के कारण जल्द ही गहरी नींद में चला गया.
मेरा लंड अब अपने पुरे आकार में आ चूका था. मैंने कुसुम के मुँह से लंड निकाला और बांहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया.
लाली उठ खड़ी हुई, मेरे लंड को पकड़ कर बोली, “साहब तुम सब मज़ा करो, मैं जाती हूँ अब”
मैं हैरानी से उसको देख बोला, “लेकिन आज रात तो हमदोनो का होने वाला था?”
लाली मेरी कान में फुसफुसाते हुए बोली, “हमको जो मज़ा लेना था सो हमने ले लिया. वैसे भी आज मेरी मुनिया साफ़ नहीं है. तुम अपने लौड़े से कुसुम की सेवा करो. हमारी सेवा का मौका फिर कभी मिलेगा.” फिर मेरे लंड को एक बार जोर से दबाकर हँसते हुए बाहर निकल गयी.
कुछ देर बाहर देखने के बाद वापस कुसुम को देखा तो उसकी नज़रों में प्यास साफ़ झलक रही थी. लाली की नहीं तो कुसुम की चूत ही सही! कुसुम टांगो को हल्का फैलाकर लेटी हुई थी. लेटने के कारण उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ढलक गयी थी. उसकी आँखों में थोड़ा शर्म, थोड़ा प्यार था मेरे लिए. मैं उसको एक तक देखते रहा जबतक की वह खुद मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच नहीं ली. धीरे से अपने ऊपर खींचने के बाद उसने मेरे होंठो को अपने होंठो पर लगा लिया और बेतहाशा चूसने लगी. मैं भी खुलकर उसका साथ देने लगा और दोनों हाथों से उसकी चुचियों का मर्दन करने लगा.
मेरा लंड कुसुम की जांघों के बीच फंसा था जो उसकी चूत से बहती पानी से गीली हो रही थी. लगभग पांच मिनट लम्बे चुम्बन को तोड़ते हुए कुसुम मेरी आँखों में झांकते हुए बोली, “साहबजी, आप बहुत सही से चुम्मी लेते हो. देखो, मैं तो आपकी चुम्मी से ही झड़ गयी. अब अपना लौड़ा डाल भी दो.”
मैं अपना दांया हाथ उसकी झांटो से भरी चूत के मुहाने पर ले गया जो पहले से गीली हो चुकी थी, लेकिन झांटो के कारण चूत की मुँह का पता नहीं लगा पाया.
मैं हँसते हुए कुसुम को बोला, “कुसुम रानी, अपनी सबसे प्यारी जगह हो साफ़ रखा करो. मेरे लौड़े को पता ही नहीं चल रहा है कि कहाँ डेरा डालना है!”
मेरी बातों से कुसुम शरमाते हुए धीमी आवाज में बोली, “जी साहब!”
तब तक मुझे चूत की मुँह का ठिकाना मिल गया, मैं अंगूठे से उसकी चूत की दीवारों को मथने लगा. कुसुम की आँखें बंद हो गयी और मुँह खुल गया.
मैं कुसुम की खुली होंठो को फिर से चूमना चुसना शुरू किया और उसके साथ-साथ उसकी चूत को अंगूठे से पिसना. कुसुम शायद सिसकना चाहती थी लेकिन उसकी सिसकारी मेरे मुँह में दबकर रह गयी. अब मैं बड़ी बेदर्दी से उसकी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था और साथ ही साथ भगनासे को भी छेड़ रहा था.
कुसुम मेरे नीचे तड़प रही थी. आखिर मैं जब उससे रहा नहीं गया तो हाथों से मुझे रोक दी. मैं उसकी मुँह से हट गया तो वह जोर जोर से साँस लेने लगी. थोड़ा वक़्त लगा उसको सामान्य होने में. मैं समझ गया कि काफी दिनों के बाद इसकी मारी जा रही है.
कुसुम की आँखें अधखुली थी. मैं उसकी मम्मो को धीरे धीरे सहलाना दबाना चालू किया. कुसुम की मुँह से “हम्म्म्म.... आअह्ह्ह्ह... ह्म्म्म....” की आवाजे आ रही थी. अब और देर ना करते हुए मैंने लंड के सुपाड़े को चूत की मुँह पर टिकाया और बहुत सावधानी के साथ हल्का सा धक्का लगाया जैसे कि मैं किसी अनछुई चूत मार रहा हूँ
. चुदाई के अभाव में कुसुम की चूत वाकई किसी कुंवारी की चूत जैसी तंग लग रही थी. लंड का सिर्फ सुपाड़ा की अन्दर गया और ऐसा लगा की और अन्दर नहीं जायेगा. मैं उसकी कमर को कसकर पकड़ा और जोर से एक धक्का मार दिया. चूत की दिवार को फाड़ते हुए आधा लंड अन्दर फंस गया. इसके साथ-साथ कुसुम की मासूम चीख़ निकल गयी. मैं बड़ी मुश्किल से उसकी जुबान बंद किया. लेकिन फिर भी वह “गों...गों...” की आवाज़ कर रही थी.
कुछ सेकंड रुकने के बाद मैं दोबारा ज़ोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अन्दर चला गया. धक्का इतना ज़ोरदार था कि बिस्तर की चरचराहट निकल गयी और हमदोनो के कमर-पेट आपस में गूँथ गये. लेकिन इसबार मैंने कुसुम की होंठो को अपने होंठो से सील कर दिया था, जिससे वह चीख़ नहीं पायी. शायद इतने दिनों बाद चुदने के कारण उसको काफी दर्द हुआ, जिससे उसकी आँखों में आंसू आ गये.
मैं बिना किसी हरकत के कुछ देर उसकी चुचिओं को सहलाते हुए चूमता रहा ताकि दर्द का एहसास कम हो जाये. धीरे से उसकी कान में पूछा, “कुसुम रानी, तुम ठीक हो ना?”
वह सिर्फ हाँ में सर हिलाई.
अब मैं धीरे-धीरे कमर हो आगे-पीछे करने लगा. मेरा लंड अब कुसुम की चूत में अपनी पहचान बना चूका था और आसानी से हरकत करने लगा. कुसुम की होंठो को छोड़ मैं उसकी चुचियों को चूसने लगा और उसकी चूत मारना शुरू किया. बीच-बीच में कुसुम की सिसकारी निकल रही थी लेकिन धीमी आवाज में. कुसुम की बेचैनी बढ़ने लगी. उसकी सिसकारी भी तेज़ हो गयी. मेरे सर को अपने छाती पर दबा दी और मेरे बालों को सहलाने लगी. मैं जब-जब उसकी चुचियों को काट देता तो उसकी सिसकारी चीख़ में बदल जाती. अब मैंने चोदने की रफ़्तार तेज़ कर दी. कुसुम की चीख़ भरी सिसकारी वीरान रात में गूंजने लगी. मैं भी किसी सांड की तरह हांफते हुए उसको बेरहमी से चोद रहा था.
कुसुम का बदन बिन-पानी मछली की भांति तड़प रहा था. अचानक उसका शरीर ऐंठ गया और बुरी तरह कांपने लगा, फिर शांत हो गया. मेरे लंड पर रस की बारिश कर वह तो झड़ गयी लेकिन मेरा अभी तक खड़ा था. कुछ और धक्को के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और उसके उपर निढाल हो गया. कुसुम का बदन बिल्कुल शांत था जैसे की उसमे जान ही नहीं हो. मैं उसको तंग करना ठीक नहीं समझा और उसकी ओर करवट ले सो गया. थकान और मस्त चुदाई के कारण जल्द ही गहरी नींद में चला गया.
- naik
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- Joined: 05 Dec 2017 04:33
Re: Adultery ओह माय फ़किंग गॉड
excellent update brother keep posting
waiting your next update
thank you
waiting your next update
thank you
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- Novice User
- Posts: 430
- Joined: 21 Apr 2017 12:26
Re: Adultery ओह माय फ़किंग गॉड
very hot.....