विकास फिर चीखते हुए बोला- "तो कर ली ना... तो अब क्या जिंदगी भर चुदवाते रहना है?"
शीतल तुरंत उससे ज्यादा जोर से चीखते हुए जवाब दी- "हौं, अब अगर एक बार चुदवा चुकी हूँ तो और जरूरत पड़ी तो जिंदगी भर चुदवाऊँगी..."
विकास शीतल को बस देखता ही रह गया।
शीतल फिर बोली- "अगर एक बार सेक्स करने के बाद भी हालत बही रहे तो फिर फायदा क्या हुआ इतना बड़ा फैसला लेने का। अब जब इन्हें अपना जिश्म दें हो चुकी हैं तो जितनी बार जरवत होगी उत्तनी बार दूँगी..."
विकास को शीतल से इस तरह की उम्मीद नहीं थी। वो भी गस्से में बोल पड़ा- "तो फिर इन्हीं की मदद करती रहा, मुझे छोड़ दो.." वो सोफे पे गिरता हुआ सा बैठ रहा।
वसीम सोफा से उठ खड़ा हुआ और विकास और शीतल दोनों को कहा- "चुप हो जाओ, प्लीज चुप जो जाओ। उफफ्फ... मुझे माफ कर दो। ये मेरी गलती है। कल रात में जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाना और मुझे माफ कर देना। मैं बहुत ही बगैरत और बेकार इंसान हूँ। मुझे ऐसा कुछ करना ही नहीं चाहिए था। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई.." बसौम रुआंसी आवाज में बोला। उसका चेहरा ऐसा था जैसे वो कितने दर्द में हो और अब रो देगा।
शीतल तुरंत बोली- "आप ऐसा क्यों कह रहे है? आपकी कोई गलती नहीं है। आप तो इंसान नहीं देवता हैं। आपनें तो खुद को पूरी तरह रोका हुआ था। कल जो कुछ भी हुआ वो हमारी मज़ी में हुआ और मेरे कहने पे आपने किया। अब कोई अगर अपने वाद से मुकर जाए तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं?"
वसीम की आँखों में आँसू आ गये थे। वो सिर को नीचे झुकते हुए बोला- “नहीं, ये पूरी तरह मेरी गलती है। मुझे ये समझना चाहिए था की मैं किसी और की बीवी के साथ अपने अरमान पूरे कर रहा हूँ उफफ्फ... बेहद घटिया इंसान हूँ मैं। मेरी वजह से एक हँसता खेलता परिवार उजड़ रहा है। मैं बेहद शर्मसार हूँ। मैं खुद को सम्हाल नहीं पाया। कुछ भी हो, तुम लोगों के कहने के बाद भी अगर मैंने ऐसा कुछ किया तो बहुत नीचुकाम किया है मैंने...
कोई कुछ नहीं बोला।
वसीम- "नहीं ये गलत है, मैं अपनी हवस मिटाने के लिए किसी और की शादीशुदा जिंदगी में आग लगाने लगा। मुझे जिंदा रहने का कोई हक नहीं। मुझे यहां से जाना होगा। अगर मैं यहाँ रहा तो फिर ये घामला उजड़ जाएगा। मेरे जैसे बगैरत और नीच इंसान का यहाँ तो क्या इस धरती पें कहीं रहने का कोई हक नहीं है। जहाँ भी रहँगा किसी ना किसी का बसा बसाया आशियाना ही उजाग...' बोलता हुआ क्सीम एक झटके में बाहर निकल गया।
शीतल और विकास हक्के-बक्के खड़े रह गये।
जब तक काई कुछ समझता वसीम बाहर निकलकर जा रहा था।
शीतल तुरंत दौड़कर बाहर गई लेकिन तब तक वसीम रोड पे उतरता हुआ दूर जा चुका था। शीतल एक पल के लिए भी कुछ नहीं सोची और उसी हालत में रोड में आ गई और दौड़ते हए वसीम के पीछे जाने लगी। शीतल भल गई की वो बस नाइटी में हैं और दौड़ने की वजह से उसकी चूचियां गोल-गोल हिल रही हैं। वो भूल गई की रोड पे मौजूद सभी लोग नाइटी के अंदर उसके जिश्म का मुआयना कर रहे हैं। वो उसी तरह अपनी चूचियों और गाण्ड को हिलाते हुये रोड प चलती रही। शीतल भले नाइटी पहने थी लेकिन लोगों की नजरों में वो नंगी ही थी।
शीतल ने चार-पाँच बार वसीम चाचा, वसीम चाचा बोलकर आवाज भी दी। लेकिन वसीम ने उसे सुना ही नहीं। जब शीतल को लगा की वो वसीम को नहीं पकड़ पाएगी तो वो वापस तेजी से चलते हए घर आ गई। रोड पे खड़े लोगों को पोर्न मूवी का टेलर देखने मिल गया और सबके लण्ड इस हश्न की देवी को देखकर टाइट हो गये
वसीम में शीतल की आवाज सुन ली थी। वो मन ही मन बहुत खुश हुआ की उसकी रंडी उसकी खातिर रोड में नंगी ही दौड़ पड़ी है।
शीतल को इस तरह वसीम के पीछे जाते देखकर विकास को हँसी आ गई की उसकी 23 साल की बीबी एक 55 साल के बूढ़े आदमी के लिए पागल हो गई है। उसका जी चाहा की घर का अंदर से लाक कर लें, लेकिन वो कोई तमाशा नहीं करना चाहता था।
Adultery शीतल का समर्पण
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
शीतल घर आते ही अपने फोन से वसीम को काल करने लगी लेकिन उसका मोबाइल स्विच आफ हो चुका था। शीतल विकास को बोली- "जल्दी से जाकर वसीम चाचा को लेकर आओ, कहीं वो कुछ कर ना लें। अगर उन्हें कुछ हो गया तो जिंदगी भर ना मैं खुद को माफ कर पाऊँगी ना तुम्हें..."
विकास कुछ नहीं बोला और रूम में चला गया।
शीतल भी उसके पीछे-पीछे रूम में आ गई, और कहा- "प्लीज विकास ऐसा मत करो। तुम्हें जो भी कहना है मुझे कह लो, लेकिन वसीम चाचा को रोक लो। वो बहुत भले इंसान हैं। उन्होंने तो हर बार खुद को रोका था। इसमें भला उनकी क्या गलती है? मैंने तो सोचा की हम उनकी मदद कर रहे हैं। किसे पता था की तुम इस तंवर के साथ आओगे। प्लीज विकास उठा ना। वो इंसान अपनी जान दे देगा.." कहकर शीतल रोने लगी थी।
विकास भी वसीम के इस तरह चले जाने से चकित था। शीतल के आँसुओं में रही सही कसर भी पूरी कर दी। उसका गुस्सा अब उत्तर गया था और वो सोचने लगा "सच में वसीम चाचा की क्या गलती थी? वो तो खुद को रोक हए थे। मेरे और शीतल की मर्जी होने के बाद उन्होंने शीतल के साथ सेक्स किया। मैंने तो शीतल को उकसाया ही था चुदवाने के लिए। कल भी तो मैंने ही कहा था की वसीम चाचा का पूरा साथ देना। आह्ह... पता नहीं कल रात से मुझे क्या हो गया है? उफफ्फ... मैंने शीतल को भी क्या-क्या कह दिया? इसकी भी कोई गलती नहीं है। में बेचारी तो बस मदद कर रही थी वसीम चाचा की। दूसरे को ये दुखी देख ही नहीं पाती है। ये भी तो मुझसे पूछूकर ही सब कुछ की और मैंने अच्छा करते हुए भी सब कुछ बुरा कर दिया।
विकास उठा और रोती हुईशीतल को अपनी बाहों में लेकर उठाया, और कहा "आईआम सारी शीतल, मझे माफ कर दो। पता नहीं कल रात से मुझे क्या हो गया था। तुम्हें किसी और की बाहों में सोचकर मैं पागल हो गया था। आई आम सारी शीतल, प्लीज मुझे माफ कर दो..."
शीतल और जोर-जोर से रोने लगी और विकास के गले में लिपट गई। फिर तुरंत अलग हुई और बोली- "प्लीज जल्दी में जाकर वसीम चाचा को देखो। कहीं वो कुछ कर ना लें? प्लीज विकास जल्दी जाओ। प्लीज़.."
विकास भी शीतल से अलग हुआ और कहा- "हॉ... हाँ, मैं तुरंत जा रहा है." बोलता हुआ अपनी बाइक लेकर निकल पड़ा।
दो-तीन घंटे तक बो इधर से उधर घूमता रहा। वसीम के दुकान में, बस स्टैंड, स्टेशन, पानी टंकी हर तरफ। लकिन वसीम उसे कहीं नहीं मिला। वो बहुत परेशान हो गया था। उसकी बजह से कोई इंसान अपनी जान दे रहा था। उसके गुस्से की वजह से वसीम पता नहीं कहाँ चला गया था? विकास बहुत अपराधी महसूस कर रहा था। उसने कई बार वसीम का फोन ट्राई किया लेकिन हर बार स्विच आफ। उसने घर में भी शीतल को काल करके पूछा की वसीम चाचा आए हैं क्या?
शीतल लगातार रोती जा रही थी और विकास के काल के बाद में पता चलते ही की उनका कुछ पता नहीं चला है शीतल और रोने लगती थी। थक हार कर विकास घर आ गया। शीतल को भी सम्हालना बहुत जरूरी था। विकास घर आया तो शीतल गुमसुम सी बैठी हुई थी सोफा पे। वो अपने कपड़े चेंज करके साड़ी पहन ली थी और उसने पैटी और ब्रा भी पहन लिया था।
शीतल विकास को अर्कला आता देखकर उदास सी हो गई, और बोली- "ये तुमने क्या कर दिया विकास? इतना कुछ किए लेकिन सब बेकार हो गया। इससे तो अच्छा था की हम उन्हें इसी तरह छोड़ देते। बेचारा घुट-घुट के जीता लेकिन जीता तो। कहीं वा उन्होंने कुछ कर लिया होगा तो मैं कहीं भी सुकन से जी नहीं पाऊँगी..."
विकास कुछ नहीं बोला और रूम में चला गया।
शीतल भी उसके पीछे-पीछे रूम में आ गई, और कहा- "प्लीज विकास ऐसा मत करो। तुम्हें जो भी कहना है मुझे कह लो, लेकिन वसीम चाचा को रोक लो। वो बहुत भले इंसान हैं। उन्होंने तो हर बार खुद को रोका था। इसमें भला उनकी क्या गलती है? मैंने तो सोचा की हम उनकी मदद कर रहे हैं। किसे पता था की तुम इस तंवर के साथ आओगे। प्लीज विकास उठा ना। वो इंसान अपनी जान दे देगा.." कहकर शीतल रोने लगी थी।
विकास भी वसीम के इस तरह चले जाने से चकित था। शीतल के आँसुओं में रही सही कसर भी पूरी कर दी। उसका गुस्सा अब उत्तर गया था और वो सोचने लगा "सच में वसीम चाचा की क्या गलती थी? वो तो खुद को रोक हए थे। मेरे और शीतल की मर्जी होने के बाद उन्होंने शीतल के साथ सेक्स किया। मैंने तो शीतल को उकसाया ही था चुदवाने के लिए। कल भी तो मैंने ही कहा था की वसीम चाचा का पूरा साथ देना। आह्ह... पता नहीं कल रात से मुझे क्या हो गया है? उफफ्फ... मैंने शीतल को भी क्या-क्या कह दिया? इसकी भी कोई गलती नहीं है। में बेचारी तो बस मदद कर रही थी वसीम चाचा की। दूसरे को ये दुखी देख ही नहीं पाती है। ये भी तो मुझसे पूछूकर ही सब कुछ की और मैंने अच्छा करते हुए भी सब कुछ बुरा कर दिया।
विकास उठा और रोती हुईशीतल को अपनी बाहों में लेकर उठाया, और कहा "आईआम सारी शीतल, मझे माफ कर दो। पता नहीं कल रात से मुझे क्या हो गया था। तुम्हें किसी और की बाहों में सोचकर मैं पागल हो गया था। आई आम सारी शीतल, प्लीज मुझे माफ कर दो..."
शीतल और जोर-जोर से रोने लगी और विकास के गले में लिपट गई। फिर तुरंत अलग हुई और बोली- "प्लीज जल्दी में जाकर वसीम चाचा को देखो। कहीं वो कुछ कर ना लें? प्लीज विकास जल्दी जाओ। प्लीज़.."
विकास भी शीतल से अलग हुआ और कहा- "हॉ... हाँ, मैं तुरंत जा रहा है." बोलता हुआ अपनी बाइक लेकर निकल पड़ा।
दो-तीन घंटे तक बो इधर से उधर घूमता रहा। वसीम के दुकान में, बस स्टैंड, स्टेशन, पानी टंकी हर तरफ। लकिन वसीम उसे कहीं नहीं मिला। वो बहुत परेशान हो गया था। उसकी बजह से कोई इंसान अपनी जान दे रहा था। उसके गुस्से की वजह से वसीम पता नहीं कहाँ चला गया था? विकास बहुत अपराधी महसूस कर रहा था। उसने कई बार वसीम का फोन ट्राई किया लेकिन हर बार स्विच आफ। उसने घर में भी शीतल को काल करके पूछा की वसीम चाचा आए हैं क्या?
शीतल लगातार रोती जा रही थी और विकास के काल के बाद में पता चलते ही की उनका कुछ पता नहीं चला है शीतल और रोने लगती थी। थक हार कर विकास घर आ गया। शीतल को भी सम्हालना बहुत जरूरी था। विकास घर आया तो शीतल गुमसुम सी बैठी हुई थी सोफा पे। वो अपने कपड़े चेंज करके साड़ी पहन ली थी और उसने पैटी और ब्रा भी पहन लिया था।
शीतल विकास को अर्कला आता देखकर उदास सी हो गई, और बोली- "ये तुमने क्या कर दिया विकास? इतना कुछ किए लेकिन सब बेकार हो गया। इससे तो अच्छा था की हम उन्हें इसी तरह छोड़ देते। बेचारा घुट-घुट के जीता लेकिन जीता तो। कहीं वा उन्होंने कुछ कर लिया होगा तो मैं कहीं भी सुकन से जी नहीं पाऊँगी..."
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
शीतल विकास को अर्कला आता देखकर उदास सी हो गई, और बोली- "ये तुमने क्या कर दिया विकास? इतना कुछ किए लेकिन सब बेकार हो गया। इससे तो अच्छा था की हम उन्हें इसी तरह छोड़ देते। बेचारा घुट-घुट के जीता लेकिन जीता तो। कहीं वा उन्होंने कुछ कर लिया होगा तो मैं कहीं भी सुकन से जी नहीं पाऊँगी..."
विकास बेचारा बहुत परेशान हो चुका था। उसने शीतल को बताया की वो कहाँ-कहाँ ढूँद चुका है। विकास के मन में बहुत कुछ चल रहा था। वो चाह रहा था की वसीम चाचा वापस घर आ जाएं। एक इंसान की मौत का कारण बो नहीं बन सकता था। ये बोझ वो अपने सिर पे नहीं रख सकता था। लेकिन उसे ये भी लग रहा था की अगर वसीम चाचा वापस आ गये तो क्या वो अपनी सुंदर बीवी को उनसे चुदवाने के लिए छोड़ देंगा। फिर उसने सोचा की ये सब बा बाद में सागा, अभी किसी तरह वसीम चाचा वापस आ जाएं बस।
अचानक शीतल को याद आया की मकसूद तो वसीम को काफी पहले से जानता है। वो दौड़कर विकास को बताई
और विकास काल लगाकर मकसद से पूछा।
मकसूद पूछने लगा- "क्या हुआ सर? वसीम के बारे में क्यों पूछ रहे हैं?"
विकास ने उसे बताया की- "वसीम चाचा घर से गये हैं लेकिन वापस आए नहीं हैं। उनका मोबाइल भी बंद है.."
मकसूद बताया- "उसके घर में कोई नहीं है और बो कभी कभार ही अपने गाँव जाता है। ये हमेशा अकेला ही रहता है। उसका दूसरा और कोई नम्बर भी नहीं बताया.."
शीतल और भी परेशान हो गईं।
शाम में शीतल और विकास दोनों वसीम के दुकान पे गये और वहाँ भी उन लोगों ने अगल-बगल के दुकान वालों से पूछताछ की। लेकिन सबका एक ही जवाब था की ये अकेला ही रहता है और कभी कहीं आता जाता नहीं है। अगर इसकी दुकान खुली नहीं है तो या तो ये कहीं बाहर गया होगा या फिर इसकी तबीयत खराब होगी। एक दुकानदार ने ये भी बताया की इसकी जायदाद के लालच में इसके दर के रितंदार इसके पास आना चाहते हैं। लेकिन क्सीम सबसे दूर ही रहता है।
रात में शीतल और विकास ने खाना बाहर से ही पैक करवा लिया और घर ले आए। शीतल सुबह से भूखी बैठी थी अपने वसीम के इंतजार में। किसी तरह विकास के समझाने के बाद वो थोड़ा सा खाई और सोने चली गई। विकास बाहर आकर सोफे पे बैंठकर सोचने लगा। अगर वसीम चाचा नहीं मिले तो क्या होगा? कोई ना कोई तो उन्हें टूटने आएगा ही ना। सही बात है की इस जगह पे इतना बड़ा मकान और मुख्य मार्केट में दुकान कोई मामूली चीज नहीं है। वसीम चाचा का कोई नहीं है तो इस संपत्ति के लालच में तो लोग पड़ेंगे ही। विकास के मन में भी लालच आ गया की कितना अच्छा हो की वसीम चाचा आए हो ना, और ये घर उसका हो जाए। लेकिन फिर उसे खयाल आया की वो अगर नहीं भी आए तो भी ये घर उसका तो नहीं ही हो सकता।
विकास का मोबाइल चार्ज में लगा हुआ था, और शीतल का मोबाइल वहीं सोफा पे रखा हुआ था तो वो शीतल के मोबाइल से ही वसीम का काल ट्राई किया, लेकिन मोबाइल अभी भी स्विचआफ ही था। विकास यूँ ही शीतल के मोबाइल में कुछ-कुछ करने लगा। वो गैलरी खोला तो उसमें वसीम की नंगी पिक्स थी, जो वो सुबह में तब ली थी जब वो तीसरी बार चोदकर गहरी नींद में सोया हुआ था। 8-10 पिक्स को देखकर विकास उदास हो गया। वसीम का लण्ड उसकी जांघों के बीच में सौंप की तरह लटक रहा था। उसका लण्ड टाइट नहीं था लेकिन फिर भी इतना बड़ा और माटे साइज का था, जिसका आधा भी विकास का फुल टाइट होने पे नहीं होता। वो मायूस हो गया और समझ गया की अब शीतल कभी उसकी नहीं हो पाएगी। जिस चूत को एक बार इस लण्ड का टेस्ट मिल गया है वो भला अब विकास का लण्ड क्यों लेंगी?
विकास और पिक्स देखने लगा। उसे छिपाई हुई बा पिक्स भी दिख गईं जो शीतल ने खुद ली थी और वसीम के
मोबाइल में भेजी थी।
उधर मकसूद परेशान हो गया की विकास सर वसीम के बारे में इतना परेशान होकर क्यों पूछ रहे हैं? वो शाम में वसीम के घर के पास आया। उसे यहाँ कई लोग पहचानते थे। वो उनसे बातों ही बातों में वसीम के बारे में पूछा तो उसे पता चल गया की दिन में वसीम यहाँ से गया है, और शीतल सिर्फ नाइटी में उसके पीछे दौड़ी है। लेकिन उसे पकड़ नहीं पाई तो फिर वापस आ गई है, और फिर थोड़ी देर बाद विकास बदहवास सा घर में बाइक में निकला है। सब हँसकर बता रहे थे की कैसे शीतल सिर्फ नाइटी में भी और बिना ब्रा पैंटी के कमाल की माल लग रही थी? कैसे उसकी चूचियां और गाण्ड मटक रही थी?
विकास बेचारा बहुत परेशान हो चुका था। उसने शीतल को बताया की वो कहाँ-कहाँ ढूँद चुका है। विकास के मन में बहुत कुछ चल रहा था। वो चाह रहा था की वसीम चाचा वापस घर आ जाएं। एक इंसान की मौत का कारण बो नहीं बन सकता था। ये बोझ वो अपने सिर पे नहीं रख सकता था। लेकिन उसे ये भी लग रहा था की अगर वसीम चाचा वापस आ गये तो क्या वो अपनी सुंदर बीवी को उनसे चुदवाने के लिए छोड़ देंगा। फिर उसने सोचा की ये सब बा बाद में सागा, अभी किसी तरह वसीम चाचा वापस आ जाएं बस।
अचानक शीतल को याद आया की मकसूद तो वसीम को काफी पहले से जानता है। वो दौड़कर विकास को बताई
और विकास काल लगाकर मकसद से पूछा।
मकसूद पूछने लगा- "क्या हुआ सर? वसीम के बारे में क्यों पूछ रहे हैं?"
विकास ने उसे बताया की- "वसीम चाचा घर से गये हैं लेकिन वापस आए नहीं हैं। उनका मोबाइल भी बंद है.."
मकसूद बताया- "उसके घर में कोई नहीं है और बो कभी कभार ही अपने गाँव जाता है। ये हमेशा अकेला ही रहता है। उसका दूसरा और कोई नम्बर भी नहीं बताया.."
शीतल और भी परेशान हो गईं।
शाम में शीतल और विकास दोनों वसीम के दुकान पे गये और वहाँ भी उन लोगों ने अगल-बगल के दुकान वालों से पूछताछ की। लेकिन सबका एक ही जवाब था की ये अकेला ही रहता है और कभी कहीं आता जाता नहीं है। अगर इसकी दुकान खुली नहीं है तो या तो ये कहीं बाहर गया होगा या फिर इसकी तबीयत खराब होगी। एक दुकानदार ने ये भी बताया की इसकी जायदाद के लालच में इसके दर के रितंदार इसके पास आना चाहते हैं। लेकिन क्सीम सबसे दूर ही रहता है।
रात में शीतल और विकास ने खाना बाहर से ही पैक करवा लिया और घर ले आए। शीतल सुबह से भूखी बैठी थी अपने वसीम के इंतजार में। किसी तरह विकास के समझाने के बाद वो थोड़ा सा खाई और सोने चली गई। विकास बाहर आकर सोफे पे बैंठकर सोचने लगा। अगर वसीम चाचा नहीं मिले तो क्या होगा? कोई ना कोई तो उन्हें टूटने आएगा ही ना। सही बात है की इस जगह पे इतना बड़ा मकान और मुख्य मार्केट में दुकान कोई मामूली चीज नहीं है। वसीम चाचा का कोई नहीं है तो इस संपत्ति के लालच में तो लोग पड़ेंगे ही। विकास के मन में भी लालच आ गया की कितना अच्छा हो की वसीम चाचा आए हो ना, और ये घर उसका हो जाए। लेकिन फिर उसे खयाल आया की वो अगर नहीं भी आए तो भी ये घर उसका तो नहीं ही हो सकता।
विकास का मोबाइल चार्ज में लगा हुआ था, और शीतल का मोबाइल वहीं सोफा पे रखा हुआ था तो वो शीतल के मोबाइल से ही वसीम का काल ट्राई किया, लेकिन मोबाइल अभी भी स्विचआफ ही था। विकास यूँ ही शीतल के मोबाइल में कुछ-कुछ करने लगा। वो गैलरी खोला तो उसमें वसीम की नंगी पिक्स थी, जो वो सुबह में तब ली थी जब वो तीसरी बार चोदकर गहरी नींद में सोया हुआ था। 8-10 पिक्स को देखकर विकास उदास हो गया। वसीम का लण्ड उसकी जांघों के बीच में सौंप की तरह लटक रहा था। उसका लण्ड टाइट नहीं था लेकिन फिर भी इतना बड़ा और माटे साइज का था, जिसका आधा भी विकास का फुल टाइट होने पे नहीं होता। वो मायूस हो गया और समझ गया की अब शीतल कभी उसकी नहीं हो पाएगी। जिस चूत को एक बार इस लण्ड का टेस्ट मिल गया है वो भला अब विकास का लण्ड क्यों लेंगी?
विकास और पिक्स देखने लगा। उसे छिपाई हुई बा पिक्स भी दिख गईं जो शीतल ने खुद ली थी और वसीम के
मोबाइल में भेजी थी।
उधर मकसूद परेशान हो गया की विकास सर वसीम के बारे में इतना परेशान होकर क्यों पूछ रहे हैं? वो शाम में वसीम के घर के पास आया। उसे यहाँ कई लोग पहचानते थे। वो उनसे बातों ही बातों में वसीम के बारे में पूछा तो उसे पता चल गया की दिन में वसीम यहाँ से गया है, और शीतल सिर्फ नाइटी में उसके पीछे दौड़ी है। लेकिन उसे पकड़ नहीं पाई तो फिर वापस आ गई है, और फिर थोड़ी देर बाद विकास बदहवास सा घर में बाइक में निकला है। सब हँसकर बता रहे थे की कैसे शीतल सिर्फ नाइटी में भी और बिना ब्रा पैंटी के कमाल की माल लग रही थी? कैसे उसकी चूचियां और गाण्ड मटक रही थी?
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Re: Adultery शीतल का समर्पण
मकसूद उस दृश्य को कल्पना करके सोचने लगा और उसका लण्ड टाइट हो गया। उसे समझ में आने लगा की कुछ तो चक्कर चला रहा है? वो सोचने लगा की जब वसीम यहाँ नहीं है तो गया कहाँ होगा? उसने भी वसीम का काल लगाया तो लगा नहीं। उसने अपने एक-दोस्त को काल लगाया जो एक होटेल चलता था। उसने बताया की वसीम दिन से उसके ही होटेल में रुका हुआ है।
मकसूद हसता मुश्कुराता हुआ उस होटेल में जा पहुंचा। वो होटेल एक स्लम एरिया में था और बेहद सस्ता सा होटेल था। मकसूद वसीम के पास पहुँच गया और दरवाजा पे जोर का धक्का दिया। ये दरवाजा पूरा लाक नहीं होता था तो दरवाजा खुल गया।
मकसूद- "वन्या किए हो रे मादरचोद तुम, जो यहाँ छुप के बैठे हो? विकास की उस रंडी बीवी को चोद दिए हो क्या?" मकसूद रूम में घुसते ही वसीम से बोला।
वसीम अकेला साया हुआ होटेल के टीवी पे शीतल की चुदाई देख रहा था। उसने तुरंत ही टीवी बंद कर दिया। वो मकसूद को देखकर हँस दिया और बोला- "तुझे कैसे पता रे मादर चोद की मैं यहाँ हैं?"
मकसूद बोला- "तेरी रग-रग से वाकिफ हूँ। क्या किया है तूने?"
वसीम बोला. "कुछ नहीं, बाद में बताऊँगा..."
मकसूद भला चुप कहाँ रहने वाला था। और उसपे से शीतल की बात बीच में आ रही थी तो उसे ज्यादा ही बैचैनी हो रही थी।
वसीम ने उससे कहा "सबर रख सब बताऊँगा। त बस विकास को मेरे बारे में और यहीं के बारे में मत बता देना। और मेरा एक कम कर." वसीम ने उसे बहुत कुछ समझाया और मकसूद चला गया।
मकसूद जानता था की भले उसे वसीम कुछ नहीं बता रहा लेकिन बताएगा जर सब।
इधर विकास बहुत कुछ सोचता हुआ अपने रूम में आया और शीतल को साते हए देखा। वो फिर से सोचने लगा की- इस गोरे और हसीन जिश्म के ऊपर चढ़ कर काले और मोटे वसीम ने अपने मोटे और काले लण्ड से इसकी चुदाई की होगी। इतने मोटे लण्ड के अंदर जाने में शीतल कैसे कर रही होगी? उसे लगा की अब अगर में शीतल की चुदाई करूगा तो या तो शीतल चुदाएगी नहीं और अगर चुदवाई भी तो उसे कुछ मजा नहीं आएगा. विकास शीतल के बगल में लेट गया। उसने देखा की शीतल साई नहीं थी बल्कि रो रही थी। विकास उसे चुप कराने लगा।
शीतल बोली- "वसीम चाचा बहुत अच्छे आदमी हैं विकास। उन्होंने खुद को बहुत काबू में करके रखा था। उस देवता समान आदमी के साथ बहुत गलत हुआ.."
विकास शीतल को बाहों में भरकर चुप कराने का प्रयास करने लगा।
शीतल फिर बोली- "वो तो पहले भी मुझसे दूर रहते थे। कल रात में भी उन्होंने कुछ करने से पहले मुझसे पूछ लिया था और जब मैं बोली तब ही उन्होंने आगे कुछ किया। फिर खाना खाने के बाद जब हम लोग सोने आए तो मुझे लगा की शायद वो कुछ करेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया और यूँ ही सो गये। लेकिन नींद में तो कोई अपनी दबी भावनाओं पे तो काबू नहीं पा सकता ना... तो नींद में वो पागलों की तरह मुझे नोचने खसाटने लगे। नींद में उन्होंने मुझें दो बार चोदा जिससे मुझे लगा की उनके अंदर कितना गुबार भरा है। तभी मैं सोच ली थी की इस तरह एक बार से उन्हें सुकून नहीं मिलेगा और में उनका साथ देती रहूंगी, जब तक बा ठीक नहीं हो जाते। लेकिन वो जब सुबह जागे तो बहुत परेशान थे की उन्होंने नौद में मेरे साथ क्या-क्या कर दिया? वो खुद कह रहे थे की मैं उन्हें एक रात के लिए मिली हैं, और अब वो मुझसे हमेशा के लिए दूर रहेंगे। लेकिन मेरे समझाने में उन्होंने ये वादा किया की वो मुझसे बातें करेंगे, हँसी मजाक करेंगे लेकिन चाटेंगे नहीं। फिर भी मैं ही उन्हें बोली की कोई बंधन मत रखिए। नहीं करना हो तो मत करिएगा, लेकिन ऐसा कोई सीमा नहीं है। अगर कभी भी आपके मन में ख्वाहिश जागी तो आप उसे पूरा कर सकते हैं और मैं आपके लिए हाजिर रहुंगी..."
विकास शीतल को बाहों में भरकर चुप कराता रहा और शीतल सुबक्ती रही। फिर इसी तरह वो सो गई।
मकसूद हसता मुश्कुराता हुआ उस होटेल में जा पहुंचा। वो होटेल एक स्लम एरिया में था और बेहद सस्ता सा होटेल था। मकसूद वसीम के पास पहुँच गया और दरवाजा पे जोर का धक्का दिया। ये दरवाजा पूरा लाक नहीं होता था तो दरवाजा खुल गया।
मकसूद- "वन्या किए हो रे मादरचोद तुम, जो यहाँ छुप के बैठे हो? विकास की उस रंडी बीवी को चोद दिए हो क्या?" मकसूद रूम में घुसते ही वसीम से बोला।
वसीम अकेला साया हुआ होटेल के टीवी पे शीतल की चुदाई देख रहा था। उसने तुरंत ही टीवी बंद कर दिया। वो मकसूद को देखकर हँस दिया और बोला- "तुझे कैसे पता रे मादर चोद की मैं यहाँ हैं?"
मकसूद बोला- "तेरी रग-रग से वाकिफ हूँ। क्या किया है तूने?"
वसीम बोला. "कुछ नहीं, बाद में बताऊँगा..."
मकसूद भला चुप कहाँ रहने वाला था। और उसपे से शीतल की बात बीच में आ रही थी तो उसे ज्यादा ही बैचैनी हो रही थी।
वसीम ने उससे कहा "सबर रख सब बताऊँगा। त बस विकास को मेरे बारे में और यहीं के बारे में मत बता देना। और मेरा एक कम कर." वसीम ने उसे बहुत कुछ समझाया और मकसूद चला गया।
मकसूद जानता था की भले उसे वसीम कुछ नहीं बता रहा लेकिन बताएगा जर सब।
इधर विकास बहुत कुछ सोचता हुआ अपने रूम में आया और शीतल को साते हए देखा। वो फिर से सोचने लगा की- इस गोरे और हसीन जिश्म के ऊपर चढ़ कर काले और मोटे वसीम ने अपने मोटे और काले लण्ड से इसकी चुदाई की होगी। इतने मोटे लण्ड के अंदर जाने में शीतल कैसे कर रही होगी? उसे लगा की अब अगर में शीतल की चुदाई करूगा तो या तो शीतल चुदाएगी नहीं और अगर चुदवाई भी तो उसे कुछ मजा नहीं आएगा. विकास शीतल के बगल में लेट गया। उसने देखा की शीतल साई नहीं थी बल्कि रो रही थी। विकास उसे चुप कराने लगा।
शीतल बोली- "वसीम चाचा बहुत अच्छे आदमी हैं विकास। उन्होंने खुद को बहुत काबू में करके रखा था। उस देवता समान आदमी के साथ बहुत गलत हुआ.."
विकास शीतल को बाहों में भरकर चुप कराने का प्रयास करने लगा।
शीतल फिर बोली- "वो तो पहले भी मुझसे दूर रहते थे। कल रात में भी उन्होंने कुछ करने से पहले मुझसे पूछ लिया था और जब मैं बोली तब ही उन्होंने आगे कुछ किया। फिर खाना खाने के बाद जब हम लोग सोने आए तो मुझे लगा की शायद वो कुछ करेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया और यूँ ही सो गये। लेकिन नींद में तो कोई अपनी दबी भावनाओं पे तो काबू नहीं पा सकता ना... तो नींद में वो पागलों की तरह मुझे नोचने खसाटने लगे। नींद में उन्होंने मुझें दो बार चोदा जिससे मुझे लगा की उनके अंदर कितना गुबार भरा है। तभी मैं सोच ली थी की इस तरह एक बार से उन्हें सुकून नहीं मिलेगा और में उनका साथ देती रहूंगी, जब तक बा ठीक नहीं हो जाते। लेकिन वो जब सुबह जागे तो बहुत परेशान थे की उन्होंने नौद में मेरे साथ क्या-क्या कर दिया? वो खुद कह रहे थे की मैं उन्हें एक रात के लिए मिली हैं, और अब वो मुझसे हमेशा के लिए दूर रहेंगे। लेकिन मेरे समझाने में उन्होंने ये वादा किया की वो मुझसे बातें करेंगे, हँसी मजाक करेंगे लेकिन चाटेंगे नहीं। फिर भी मैं ही उन्हें बोली की कोई बंधन मत रखिए। नहीं करना हो तो मत करिएगा, लेकिन ऐसा कोई सीमा नहीं है। अगर कभी भी आपके मन में ख्वाहिश जागी तो आप उसे पूरा कर सकते हैं और मैं आपके लिए हाजिर रहुंगी..."
विकास शीतल को बाहों में भरकर चुप कराता रहा और शीतल सुबक्ती रही। फिर इसी तरह वो सो गई।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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