Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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ऋतू ने सारा रस ऐसे पिया जैसे कोक पी रही हो, और फिर वो खड़ी हो गयी, उसका पूरा चेहरा भीगा हुआ था.
पूजा का चेहरा एकदम लाल सुर्ख हो गया था, आँखें नशे में डूबी हुई लग रही थी, और वो होले से मुस्कुरा रही थी.
फिर उसने ऋतू को धक्का देकर बेड पर लिटाया,
पूजा अब ऋतू के सामने आकर लेट जाती है, उसकी पाव रोटी जैसी फूली हुई चूत देखकर उसके मुंह में पानी आ जाता है, वो थोडा झुकती है और चूत के चारो तरफ अपनी जीभ फिराने लगती है, पर ऋतू की वासना की आग इतनी भड़की हुई थी की वो उसका मुंह पकड़ कर सीधे अपनी चूत पर लगा देती है, पूजा भी समझ जाती है और अपनी जीभ ऋतू की चूत में डाल कर उसे चूसने लगती है, ऋतू के मुंह से आआआआअह आआआआआह की आवाजें निकलने लगती है, उसका एक हाथ पूजा के सर के ऊपर और दूसरा अपनी चुचियों को मसलने में लग जाता है, वो अपने निप्पलस को बुरी तरह से मसल रही थी जिसकी वजह से वो पिंक कलर से रेड कलर में बदल गए थे...वो तेजी से अपने चर्मोकर्ष पर पहुँचने वाली थी......आआआआआआआआह .....mmmmmmmmmmmm.. माआआआर दाआआआआआआआ .......... और तेज...... और तेज......हाँ चाआआआअत मेरीईईई चूऊऊऊऊऊउत ...... हाआआआआआआआअ.
और वो तेजी से झड़ने लगती है. पूजा को काफी रस पीने को मिला. मेरे मुंह में भी पानी आने लगा...और लंड में भी....मैं जल्दी से अपने लंड को झटके देने लगा और आखिर मैंने भी ४-५ लम्बी धार अपनी अलमारी के अन्दर मार दी.
फिर थोड़ी देर माद दोनों नंगी ही चादर के अन्दर घुस गयी और अपनी लाइट बंद कर दी.
मैं थोड़ी देर वहीँ खड़ा रहा पर जब लगा की अब कुछ और नहीं होगा तो अपने बेड पर आकर लेट गया.
अगले दिन सुबह दोनों को नाश्ते की मेज़ पर देखकर ऐसा नहीं लगा की दोनों इस तरह की है, दोनों ने नाश्ता किया और स्कूल चली गयी मैं भी कालेज गया और सारा दिन दोनों के बारे में सोचता रहा, शाम को घर पहुंचकर ऋतू का इंतज़ार करने लगा,
वो स्कूल से आते ही सीधे मेरे रूम में घुसी और मुझसे लिपट गयी... और मुझसे पुछा..."तुमने देखा...कैसा लगा...मजा आया के नहीं...बोलो न."
"अरे हाँ, मैंने देखा, और बहुत मजा आया"
"हाइ... मैं तुम्हे क्या बताऊँ, पूजा की चूत का रस इतना मीठा था के मजा आ गया.." और मेरे लंड पर हाथ रखकर बोली "पर इसका कोई मुकाबला नहीं हा हा .."
"क्या तुम्हे देखने में अच्छा लगा" उसने आगे पूछा.
"हाँ, मेरा मन तो कर रहा था की काश मैं तुम्हारे रूम में होता, तुम्हारे साथ."
"कोन जाने , शायद एक दिन तुम भी वहां पर हो, हम दोनों के साथ" उसने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा.
"तो क्या मैं सन्नी और विकास को बुला लूं तुम दोनों का शो देखने के लिए, तुम्हे कोई आपत्ति तो नहीं है न ?"
ऋतू : "तुम कितना चार्ज करोगे उनसे"
मैं : "१००० एक बन्दे से, यानी टोटल दो हजार रूपए पर शो"
ऋतू : " पर अब हम दो लोग हैं, क्या तुम्हे नहीं लगता की तुम्हे ज्यादा चार्ज करना चाहिए"
मैं : "हाँ, बात तो सही है, कितने बोलू उनको...पंद्रह सो ठीक है क्या..?"
ऋतू :"हाँ १५०० ठीक हैं.."
मैं : "तो ठीक है, अगला शो कब का रखे, पूजा कब आ सकती है दुबारा तुम्हारे साथ रात को रुकने के लिए ?"
ऋतू :"उसको जो मजे कल रात मिले है, मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ, वो रोज रात मेरे साथ बिताने के लिए तैयार होगी.." और वो हंसने लगी.
ऋतू :"मुझे भी एक आईडिया आया है, जिससे हम और ज्यादा पैसे कम सकते हैं"
मैं :" कैसे"
ऋतू :"अगर मैं भी अपनी फ्रेंड्स को अपने रूम में बुलाकर तुम्हे मुठ मारते हुए दिखाऊं तो..... "
मैं :"मुझे मुठ मारते हुए...इसमें कौन रूचि लेगा.."
ऋतू :"जैसे तुम लड़के, लड़कियों को नंगा देखने के लिए मचलते रहते हो, वैसे ही हम लड़कियां भी लडको के लंड के बारे में सोचती हैं और उत्तेजित होती हैं , अगर कोई लड़की तुम्हे मुठ मारते हुए देखे तो इसमें तुम्हे क्या आपत्ति है ?"
मैं :" लेकिन ये तुम करोगी कैसे"
ऋतू :" मैं कल पूजा को अपने साथ लेकर ४ बजे घर आउंगी, तुम ३:३० पर ही आ जाते हो, तुम ठीक ४:०० बजे मुठ मारनी चालू कर देना, मैं उसको बोलूंगी की मेरा भाई रोज ४:०० बजे अपने रूम में मुठ मारता है, और मैं इस छेद से रोज उसको देखती हूँ, मुझे विश्वास है की वो भी तुम्हे देखने की जिद करेगी तब मैं उससे पैसो के बारे में बात करके तुम्हे मुठ मारते हुए दिखा दूँगी....क्यों कैसी रही??"
मैं :" वाह मैं तो तुम्हारी अक्ल का कायल हो गया...तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो"
ऋतू : "आखिर बहन किसकी हूँ हा हा ..."
मैं : "और तुम उससे कितना चार्ज करोगी?"
ऋतू : "वोही...एक हजार रूपए, ठीक है ना .."
मैं : "ठीक है..."
ऋतू : "और फिर रात को सन्नी और विकास भी आ सकते हैं और वो दोनों, हम दोनों को देखने के ३००० हजार रूपए अलग से तुम्हे देंगे...तो हम एक दिन में चार हजार रूपए कमा सकते हैं"
मैं तो अपने दिमाग में हिसाब लगाना शुरू किया की ४००० एक दिन के, हफ्ते में 2 बार, अगर लड़के या लडकियां बढती हैं तो ज्यादा भी हो सकते है, और इस तरह से १ महीने में कितना हुआ....शायद कैलकुलेटर की मदद लेनी होगी.."
ऋतू : "अरे क्या सोचने लगे"
मैं :"कुछ नहीं...कुछ नहीं"
ऋतू :"वैसे एक बात बताऊँ, मुझे काफी एक्साईटमेंट हो रही थी की तुम मुझे छेद से वो सब करते हुए देख रहे हो, काफी मजा आ रहा था "
मैं : "मुझे भी काफी मजा आ रहा था, मेरा लंड तो अभी भी कल की बातें सोचकर खड़ा हुआ है"
ऋतू : "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ"
मैं : "अभी....मम्मी पापा आने वाले हैं, तुम मरवाओगी "
ऋतू : "अरे इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा...प्लीज़ ...अपना लंड निकालो न..जल्दी"
मैंने जल्दी से अपनी पैंट नीचे उतारी और ऋतू झट से मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी, मेरा अंडरवीयर एक झटके में नीचे करके मेरे फड़कते हुए लंड को अपने नरम हाथों में लेकर ऊपर नीचे किया और फिर उसे चूसने लग गई, उसकी बेकरारी और मेरी उत्तेजना लायी और सिर्फ एक मिनट में ही मैंने एक के बाद एक कई पिचकारी उसके मुंह में उतार डाली.
वो उठी और अपना मुंह साफ़ करी हुई बोली "मुझे तो तुम्हारा वीर्य ने अपना दीवाना ही बना दिया है..और फिर मेरे लंड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी गरम साँसे छोडती हुई बोली "आगे से तुम इसे कभी व्यर्थ नहीं करोगी...समझे न."
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई.
मैं : "अगर तुम चाहो तो बाद मैं मैं भी तुम्हारी चूत चूस सकता हूँ " मैंने धीरे से कहा.
ऋतू : "तुमने तो मेरे दिल की बात छीन ली...मैं रात होने का इन्तजार करुँगी."
मैं : "मैं भी रात होने का इन्तजार करूँगा ...बाय"
ऋतू : "बाई"
रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गए, मैं अपने बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था की पिछले कुछ दिनों में, मैं और ऋतू एक दुसरे से कितना खुल गए हैं, लंड-चूत की बातें करते हैं,मुठ मारना एक दुसरे को नंगा देखना और छूना कितना आसान हो गया है. मैं अपनी इस लाइफ से बड़ा खुश था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मसलना शुरू कर दिया, मुझे ऋतू का इन्तजार था, मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा, करीब पंद्रह मिनट में ही वो धीरे से मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गयी और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देखकर चहक कर बोली.
"वाह, तुम तो पहले से ही तैयार हो, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूँ"
मैं : "पर मैंने कहा था की मैं तुम्हारी चूत चुसना चाहता हूँ..!"
ऋतू :"कोई बात नहीं, तुम मेरी चूत चुसो और मैं तुम्हारा लंड, हम 69 की पोज़ीशन ले लेते हैं."
मुझे ये आईडिया पसंद आया.
ऋतू ने जल्दी से अपना गाउन खोला, हमेशा की तरह आज भी वो अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी, उसके भरे हुए मुम्मे और तने हुए निप्पल्स देखकर मेरे लंड ने एक-दो झटके मारे, और मैंने नोट किया की आज उसकी चूत एकदम साफ़ थी, चिकनी.
शायद उसने आज अपनी चूत के बाल साफ़ किये थे... मेरे तो मुंह में पानी आ गया.
वो झुकी और अपने गीले मुंह में मेरा लंड ले लिया और अपनी टाँगे उठा कर घुमाते हुए, जैसे कोई घोड़े पर चढ़ रहा हो, बेड पर फैलाई और उसकी चूत सीधे मेरे खुले हुए मुंह पर फिक्स हो गयी, उसके मुंह में मेरा लंड था पर फिर भी उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी, उसकी चूत जल रही थी, एकदम गरम, लाल, गीली, रस छोडती हुई...मैं तो अपने काम में लग गया, उसकी चूत के लिप्स को अपनी उँगलियों से पकड़ के मैंने अन्दर की बनावट देखी, उबड़ खाबड़ पहाड़ियां नजर आई, और उन पहाड़ियों से बहता हुआ उसका जल...मैंने अपनी लम्बी जीभ निकाली और पहाड़ियां साफ़ करने में लग गया, पर जैसे ही साफ़ करता और पानी आ जाता...मैं लगा रहा...लगा रहा..साथ ही साथ मैं अपनी एक ऊँगली से उसकी क्लिट भी रगड़ रहा था.
josef
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मेरे लंड का भी बुरा हाल था वो उसको आज ऐसे चूस रही थी जैसे कुल्फी हो..अन्दर तक ले जाती जीभ से चारों तरफ सर्किल बनाती और फिर बाहर निकालते हुए हलके से दांतों का भी इस्तेमाल करती..वो लंड चूसने में परफेक्ट हो चुकी थी.
मैंने अब उसकी चूत के मुंह पर अपने दोनों होंठ लगा दिए, और बिना जीभ का इस्तेमाल किये बिना चुसना शुरू कर दिया, किसी वैक्यूम क्लीनर की तरह सक करने लगा, वो तो बिफर ही गयी मेरे इस हमले से और उसकी चूत में से ढेर सारा रस निकलने लगा और वो झड़ने लगी...
मैं भी अब कगार पर था, मेरे लंड ने भी विराट रूप ले लिया और पूजा ने जैसे ही मेरी बाल्स को अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया, मैं झड गया और वो मेरा पूरा माल हड़प कर गयी..
फिर हम दोनों उठे और एक दुसरे की तरफ देखा, दो के चेहरे गीले थे हम ये देखकर हंसने लगे.
ऋतू :"तुमने तो मुझे अपने ज्यूस की लत्त लगा दी है..कितना मजा आता है तुम्हारा लंड चूसने में और तुम्हारा वीर्य पीने में."
मैं : "मैं भी तुम्हारे मीठे रस का आदि हो चूका हूँ, जी करता है सारा दिन तुम्हारी चूत चूसता रहूँ."
मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था, वो मेरे साथ लेट गयी, उसके मोटे-२ चुचे मेरे सीने से लगकर दब गए, उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगी, मैंने अपनी आँखे बंद करली और मजे लेने लगा. उसकी गरम साँसे मेरे कानो पर पड़ रही थी.
उसकी एक टांग मेरे ऊपर थी और वो उसको रगड़ रही थी जिससे ऋतू की गीली चूत मेरी जांघ से रगड़ खा रही थी.
ऋतू : "वाउ , तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है...मेरी चूत के अन्दर भी कुछ कुछ हो रहा है..." और फिर उसने जो किया मैं स्तब्ध रह गया..
ऋतू उठी और अपनी दोनों टाँगे फैला कर मेरे ऊपर आ गयी, उसकी दोनों बाहें मेरे सर के दोनों तरफ थी और ऋतू के दोनों मोटे मोटे मुम्मे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे, और उसकी रसीली चूत मेरे खड़े हुए लंड को छु रही थी, वो थोडा झुकी और मेरे होंठो को चूसने लगी, उसके मुंह में से मेरे वीर्य की गंध आ रही थी, मैंने भी उसके नर्म होंठो को चुसना और चाटना शुरू कर दिया, फिर जब उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली तो मैं उसकी मचलती जीभ को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते हुए जोर जोर से उसे चूसने लगा, मेरे हाथ अपने आप उसकी छाती पर जा चिपके और मेरी उंगलियाँ उसके निप्पल्स को सहलाने लगे, लटकने की वजह से उसके मुम्मे काफी बड़े लग रहे थे, मेरी हथेली में भी नहीं आ रहे थे.
वो धीरे धीरे अपनी चूत की बाहरी दीवारों पर मेरे खड़े हुए लंड को रगड़ रही थी, और उसकी चूत की गरम हवाओं से मेरा लंड झुलस रहा था. मैंने भी अपनी जीभ अब उसके मुंह में डाल दी, वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे मेरा लंड हो, पूरी तरह से वो मुझे पीना चाहती थी..दूसरी तरफ मेरा लंड अब उसकी चूत की दरार में फंस गया था, उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ नशीली आँखों से देखा, और मुझसे कहा "आई लव यू " मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने अपनी गांड का दबाव मेरे ऊपर डाल दिया. और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाता चला गया .
ऋतू के मुंह से एक कराह निकल गयी आआआआआआआईईई ....म्म्मम्म्म्मम्म .... माआआअर ग्यीईईईईईईईईई आआआआआआअह
मैं तो भोचक्का रह गया, मुझे इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी, पर जब मैंने ऋतू का तृप्ति भरा चेहरा देखा, उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा तब मुझे एक सुखद एहसास हुआ, और मैं भी पुरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा,
उसने अपनी बाहों से मेरी गर्दन के चारो तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मुम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे, मैंने अपने हाथ उसकी चोडी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा, उसके होंठ मेरे कानो के बिलकुल पास थे, और वो मीठे दर्द से हलके हलके चिल्ला रही थी..
आआआआआआआआअह ..आशु.....i love you .......fuck me .....आई लव यौर बिग cock ....तुम्हारा मोटा लंड.....आआआआआ...मेरी चूत में अन्दर तक दाआआआअलो .................और जोर से.....और जोर से.....आआआआअह्ह्ह मेरी चूत तुम्हारी है.......मारो मेरी चूत.....चोदो मुझे......
वो अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी..
बहिन चोद....चोद न......आआआआआआआअह... चोद अपनी बहन को.......अपने लम्बे लंड से.........पूरा ले लुंगी...............आआआआआआअयीईईईइ हरामखोर........चोद मुझे.....फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊऊऊत ....आआआआह.....
बेहेण के लोडे......माआआआआआआऐन तो गयीईईईईईईई ......आआआआआअह.... और वो झड़ने लगी ..
मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया.
वो गहरी गहरी साँसे लेकर ढीली पड़ गयी...
फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड डाल दिया. उसकी फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी...
मैंने उसको स्टीयरिंग की तरह पकड़ा और अपनी गाडी की स्पीड बड़ा दी. उसके मुंह से ओह्ह्हह्ह...ओफ्फ्फफ्फ्फ्फ़.aaaahhhhh की आवाजें दुबारा आने लगी. मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया...मैंने कहा...........ऋतू मैं आया..............वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया....मेरे लिए ये काफी था, मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया... वो सारी रसमलाई खा गयी.
फिर वो उठी और आई लव यू कहकर मेरे सीने से लग गयी मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए आई लव यू टू ..आई लव यू टू ...कहने लगा.
हाँफते हुए ऋतू ने अपनी नजर मुझसे मिलायी और मुस्कुराकर बोली.."मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया, ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है, डिल्डो को अन्दर ले लेकर मैं थक गयी थी, ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है."
मैंने कहा "तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है, कितना आनंद आ रहा था, तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में, इस आनंद की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी."
ऋतू : "अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में" उसने उठते हुए कहा.
मैं :"उठाने के लिए ? पर किसलिए ??"
ऋतू : "क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए..कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खुबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे..और अब तो हम बिज़नस पार्टनर हैं..हैं ना"
मैं : "हाँ हाँ बिलकुल हैं." मैंने खुश होते हुए कहा.
ऋतू : "ठीक है फिर..गुड नाईट " और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया और बाहर निकल गयी.
मैं : " गुड नाईट " मैंने कहा.
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josef
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अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गयी और मैंने जब छेद से ऋतू के रूम में देखा तो वहां अँधेरा था, मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया, थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें एडजस्ट करने के बाद मैंने देखा की ऋतू अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही है, वो एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से उसकी चूत अलग ही चमक रही थी. मेरा लंड ये नजारा देखकर फुफकारने लगा, मैंने रिकॉर्ड टाइम में अपने कपडे उतारे और उसकी खुली हुई टांगो के बीच कूद गया, मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गयी, जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गयी और उसके मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी..
म्म्म्मम्म्म्मम्म आआआआआआआआआशु .......गुड मोर्निंग.
मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला "गुड मोर्निंग"
हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं सड़प-२ करके उसे पीने लगा..ऋतू ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खीचने लगी..मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे मुम्मो पर किस्स करता चला गया और अंत में उसके अधीर होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा की मेरे मुंह से भी आह निकल गयी, मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया, उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुंहाने पर रख दिया, बाकी काम मैं जानता था, और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गरम चूत में डाल दिया, उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर ३-४ झटको के बाद वोही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह-२ की आवाजें आने लगी...
चोदो मुझीईईईईईईए ..................मुझे तुम्हारा लंड रूऊऊऊऊज चहियीईईईईई आआआआआआआअह ...............जोर से sssssssssssssssssss और जूऊऊऊऊऊऊऊर से sssssssssssss
मैंने अपना मुंह ऋतू के मुंह से जोड़ दिया, और उसकी जीभ चूसने लगा, मैं झड़ने के करीब था, मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतू समझ गयी और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया, मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा, अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.
वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी, जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था. मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया. और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतू के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गयी.
फिर उसने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गयी उसकी चूत ने मेरे होंठो को ढक लिया, मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चुसना शुरू कर दिया, और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हलके से चिल्लाकर झड़ने लगी.
वो उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दुसरे की किस्स ली.
फिर उसने किस्स तोड़ी और बोली "अब तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ इससे पहले की मम्मी पापा उठ जाएँ...और कॉलेज भी तो जाना है ना तुम्हे, मुझे भी स्कूल के लिए तैयार होना है "
मैं : "ओह्ह मैं तो भूल ही गया था...मुझे तो बस आज रात का इन्तजार है."
ऋतू : "मुझे भी"
और फिर मैंने अपने कपडे पहने और रूम में जाकर तैयार हुआ.
नाश्ता करते हुए ऋतू ने सबको बता दिया की आज रात उसकी फ्रेंड पूजा रात को यहीं रुकेगी.
कॉलेज जाकर मेरा मन सारा दिन कहीं नहीं लगा मुझे तो बस शाम का इन्तजार था.
मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया, घड़ी देखी तो ३ बजने वाले थे, ऋतू साड़े तीन बजे तक स्कूल से आती थी, मैं अपने रूम में जाकर उसका इन्तजार करने लगा.
ठीक ३:३० पर ऋतू और पूजा घर आ गए, मैंने छेद से देखा तो दोनों अपने रूम में बैठकर बातें कर रहे थे. वो उसे बता रही थी की कैसे वो रोज मुझे छेद के जरिये मुठ मारते हुए देखती है और अगर वो भी देखना चाहती है तो उसे एक हजार रूपए देने होंगे. पैसो का नाम सुनकर पूजा ऋतू को हैरानी से देखने लगी पर जब ऋतू बोली की अगर तुम्हे लगे की ये "शो" मैं कोई वर्थ नहीं हैं तो तुम पैसे मत देना..कुछ सोचने के बाद वो मान गयी, क्योंकि उसने भी आज तक कोई असली लंड नहीं देखा था.
मैंने घडी की तरफ देखा तो ४ बजने वाले थे. मैं अपने बेड पर आकर बैठ गया और सकुचाते हुए अपनी जींस और अंडर्वीयर उतार दिया और मुठ मारना शुरू किया. मुझे इस बात का आभास हो गया था की छेद से अब वो दोनों बारी-२ से मुझे देख रहे हैं.
दुसरे रूम में से जब ऋतू ने देखा की मैंने अपनी जींस उतार दी है और मुठ मारना चालू कर दिया है तो उसने पूजा को बुलाया और उसे छेद में से देखने को कहा.
"वाव sssssssssssssssssssss....तुम्हारे भाई का लंड तो काफी बड़ा है..और सुन्दर भी." पूजा ने धीरे से कहा.
"हाँ शायद, क्योंकि मैंने कभी और किसी का लंड तो देखा नहीं है...ले देके सिर्फ अपना डिल्डो ही है जिससे हम भाई के लंड को कंम्पेयर कर सकते हैं" ऋतू बोली. और दोनों हंसने लगी.
"ये सच में डिल्डो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है, और इसे देखने में भी कितना मजा आ रहा है, लंड के ऊपर नसें कैसे चमक रही है..सच में its really beautifull ." पूजा ने गहरी सांस लेते हुए कहा.
मैं भी अपने रूम में बैठा उत्तेजित होता जा रहा था, ये सोचकर की पूजा और ऋतू मुझे दुसरे रूम से देख रही हैं. मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और जब मैं झड़ने वाला था तो थोडा सा घूम कर अलमारी की तरफ हो गया और खड़े होकर अपनी धारें मारनी शुरू करदी.
ये देखकर, दुसरे रूम में पूजा आश्चर्यचकित रह गयी, वो बोली "हाई ...वो तो खड़ा हो गया है और अब उसका लंड मेरे बिलकुल सामने है....वाव ...अब उसके लंड में से रस निकल रहा है....कितना सुन्दर दृश्य है..मजा आ गया."
मैंने गहरी साँसे लेते हुए झाड़ना बंद किया और बेड पर लेट गया और सोचने लगा की काश पूजा मेरे सामने होती तो मैं उसके चेहरे के भाव देख सकता.
दुसरे रूम में पूजा ने उछलते हुए ऋतू को गले से लगा लिया और उसके होंठो को चूम लिया और बोली "मैंने इससे ज्यादा सुन्दर चीज आज तक नहीं देखी, मेरी तो चूत से पानी निकलने लगा है,निप्पल्स खड़े हो गए हैं...ये देख ..और उसने ऋतू का एक हाथ अपनी चूची पर और दूसरा सीधे अपनी चूत पर टिका दिया..ऋतू दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और पूजा से पुछा "मतलब तुम मानती हो न की ये शो एक हजार रूपए की वर्थ का था"
पूजा ने कुछ नहीं बोला और सीधे अपने पर्स में से एक हजार रूपए निकाल कर ऋतू को दे दिए और बोली "बिलकुल था...ये लो" और आगे बोली "काश ये सब मुझे बिलकुल मेरे सामने देखने को मिल जाएँ, तो मजा ही आ जाए"
ऋतू : "तो चलो चलकर उससे पूछ लेते हैं" और हंसने लगी "देखते हैं वो क्या कहता है"
पूजा : "पागल हो गयी है क्या, मैं तो सिर्फ बात कर रही हूँ, इसका मतलब ये नहीं की मैं उससे जाकर बोलू की वो मेरे सामने मुठ मार सकता है या नहीं"
ऋतू : "तुम मत जाओ, मैं जाकर उसको बोलती हूँ तुम्हारी तरफ से, अगर तुम चाहो तो"
पूजा : "वो कभी भी नहीं तैयार होगा इस पागलपन के लिए, ये सिर्फ मेरे मन के विचार हैं और कुछ नहीं इन्हें ज्यादा गंभीरता से मत लो "
ऋतू : "अरे ट्राई तो करते हैं ना...वो या तो हाँ करेगा या ना, और वो ये बात मोम डैड को भी नहीं बता पायेगा, क्योंकि उसे ये बातें उन्हें बताने में बड़ी शर्म आएगी...मैं तो ये सोच रही हूँ की उसको क्या देना पड़ेगा ये सब करवाने के लिए "
पूजा : "क्या मतलब ??"
ऋतू : "मतलब की वो शायद कर सकता है अगर बदले में हम उसे कुछ ऐसा दे जिसकी उसे जरुरत है"
पूजा :"जैसे की.....?"
ऋतू : "मुझे नहीं पता...कुछ भी हो सकता है, ये तो सिर्फ मेरा आईडिया है, चलो एक काम करते हैं, मैं जाकर उससे पूछती हूँ की क्या वो हमारे सामने मुठ मारने को तैयार है और उसके बदले में क्या चाहिए"
पूजा : "तुम्हारे में इतनी हिम्मत ही नहीं है, की अपने सगे भाई से इस तरह की बात पूछ सको, और अगर पूछती भी हो तो वो तैयार नहीं होगा"
ऋतू : "अगर ऐसी बात है तो मैं अभी जाकर पूछती हूँ " और वो दरवाजे की तरफ चल पड़ी " अगर तुम भी आना चाहो तो आ सकती हो या फिर छेद में से देख सकती हो"
पूजा : "ना बाबा ना..मुझे तो बड़ी शर्म आएगी इस सबमे...तुम ही जाओ"
ऋतू ने आकर मेरे रूम का दरवाजा खडकाया और अन्दर आ गयी, मैंने बड़ी हैरानी से उसे देखा...वो जल्दी से मेरे पास आई और मेरे मुंह पर ऊँगली रख कर मुझे चुप रहने के लिए कहा और फुसफुसाकर बात करने लगी.
दूसरे रूम से पूजा बड़ी बेसब्री से ये सब देख रही थी, उसने देखा की ऋतू ने मुझसे कुछ कहा और १-२ मिनट बात करने के बाद ऋतू का भाई झटके से अलग हुआ और अपने हाथ हवा में उठाकर मना करने के स्टाइल में कुछ बोलने लगा...पूजा सांस रोके ये सब देख रही थी, फिर ऋतू दुबारा अपने भाई के पास गयी और उसे कुछ और बोला, फिर भाई ने भी आगे से कुछ कहा और ऋतू सोचने के अंदाज में सर खुजाने लगी, और फिर कुछ और बातें करने के बाद दोनों एक दुसरे के गले लग गए और ऋतू बाहर निकल गयी.
अन्दर आते ही पूजा ने ऋतू से बड़ी अधीरता से पूछा "तुमने उससे क्या कहा..कैसे पूछा ??"
ऋतू : "वोही जो हमने तय किया था..मैंने पूछा की क्या वो हमारे सामने हस्तमैथुन कर सकता है क्योंकि हमने कभी भी असली में ऐसा नहीं देखा.."
पूजा : "और उसने क्या कहा?"
ऋतू : "वो तो यह सुनकर काफी भड़क गया था"
पूजा : "देखा...मैंने कहा था न"
ऋतू : "पर जब मैंने उससे कहा की हम इसके लिए उसे कुछ पैसे देंगे या फिर कुछ और भी जो वो चाहे तो बात आगे बड़ी"
पूजा : "तो उसने क्या कहा " उसने एक्साईटमेंट में आगे पूछा
ऋतू : "बोटम लाइन इस , वो तैयार है और वो इसके लिए २००० रूपए मांग रहा है."
पूजा ने आश्चर्य के भाव दिए और बोली "क्या सच में...वो सब हमारे सामने करने को तैयार है और उसे सिर्फ २००० रूपए चाहियें"
ऋतू : "हाँ...और साथ ही साथ वो चाहता है की हमें भी उसके सामने नंगा होना पड़ेगा" उसने धीरे से कहा.
पूजा : "वाह बहुत बढ़िया...वो हमें नंगा देखना चाहता है तभी वो हस्तमैथुन करेगा " उसने कट्टाक्ष भरे स्वर में कहा.
ऋतू : "पर जरा सोचो...उसका लम्बा और खुबसूरत लंड तुम्हारी नाक से सिर्फ कुछ ही दुरी पर होगा" ऋतू ने उसे उकसाया.
पूजा कुछ सोचते हुए "चलो वो तो ठीक है पर क्या तुम अपने भाई के सामने नंगी हो सकती हो ?"
ऋतू : "उसे अपने सामने मुठ मारता हुए देखने के लिए तो मैं ये सब कर ही सकती हूँ, ये कोई बड़ी बात नहीं है, और जब हम दोनों करेंगे तो मुझे इसमें ज्यादा शर्म भी नहीं आएगी"
पूजा : "हम दोनों से तुम्हारा क्या मतलब है...मैं तो अभी तक इसके लिए तैयार ही नहीं हुई"
ऋतू ने अपनी आवाज में थोड़ी कठोरता लाते हुए कहा "तुम मुझे ये बताओ तुम तैयार हो या नहीं...ये तुम्हारा लास्ट चांस है"
पूजा : " ठीक है, जब तुम्हे अपने भाई के सामने नंगा होने में कोई परेशानी नहीं है तो मुझे क्या...वो ये सब कर करेगा"
ऋतू : "शायद आज रात को सबके सोने के बाद"
पूजा : "मुझे तो बड़ी घबराहट हो रही है...क्या सच में तुम ये सब करना चाहती हो"
ऋतू : "अरे हाँ ...ये एक नया adventure होगा...मजा आएगा...और फिर हम बाद में......समझ गयी न"
पूजा : "ठीक है...पर सच में तुम बड़ी पागल हो"
ऋतू : "पागलपन करने में भी कभी -२ बड़ा मजा आता है...चलो अब अपना होमेवोर्क कर लेते है...फिर रात को तो कुछ और नहीं कर पायेंगे"
जब रात को सभी डिन्नर कर रहे थे तो ऋतू ने सारी बातें मेरे कान में बता दी, बीच - २ में जब मैं पूजा की तरफ देखता था तो वो शरमा कर अपना चेहरा नीचे कर लेती थी.जब खाना ख़त्म हुआ तो ऋतू और पूजा अपने रूम में चले गए बाकी का बचा हुआ homework करने के लिए.
और आखिरकार सारे घर में शांति छा गयी, ऋतू और पूजा अपने रूम में नाईटगाउन पहनकर मेरा वेट कर रहे थे. पूजा ने सोचा की शायद आशु नहीं आएगा और कुछ बोलने के लिए अपना मुंह खोला ही था के उसे दरवाजे पर हलकी सी knओके सुनाई दी,आवाज सुनते ही ऋतू उछल कर दरवाजे के पास गयी और मुझे अन्दर खींच लिया. मुझे खींचकर वो बेड के पास तक ले गयी और वहां बैठी पूजा के पास बैठ गयी, मैं उन दोनों के सामने नर्वस सा खड़ा हुआ था.
"अरे किस बात का वेट कर रहे हो...तुम ये करना भी चाहते हो या नहीं..." ऋतू ने पूछा.
मैं : "मुझे लगा तुम मुझे पहले पैसे दोगी.."
ऋतू : "बिलकुल देंगें, (पूजा की तरफ देखकर), हमने बोला है तो जरुर देंगे"
मैं : "तुमने बोला था की तुम मुझे २००० रूपए दोगे और नंगे भी होगे "
ऋतू : "क्या तब तुम हस्तमैथुन करना शुरू करोगे ??"
मैं : (सकुचाते हुए...) " ह्म्म्म हाँ sss "

ऋतू : "ओके देन ...और पूजा की तरफ देखकर उसे कुछ इशारा करती है, पूजा झट से अपने purse में से २००० रूपए निकाल कर मुझे दे देती है"
पर मुझे कुछ न करते देखकर वो समझ जाती है की आगे क्या करना है.
ऋतू : "come on पूजा..चलो एक साथ करते हैं"
फिर धीरे-२ पूजा उठती है और दूसरी तरफ मुंह करके अपना गाउन खोल कर नीचे गिरा देती है..ऋतू भी उसके साथ - २ वही करती है, दोनों की गांड मेरी तरफ थी, मैं तो वो दृश्य देखकर पागल ही हो गया, एक गोरी और दूसरी सांवली,एकदम ताजा माल, भरी हुई जांघें और सुडौल पिंडलियाँ, फिर दोनों घूम कर वापिस मेरी तरफ मुंह करके बेड के किनारे पर बैठ गयी, पूजा के चुचे देखकर मेरे मुंह से आह निकल गयी और मैं अपने लंड को अपने पायजामे के ऊपर से ही मसलने लगा..ये देखकर ऋतू ने मुझे घूरकर गुस्से के लहजे में देखा और अगले ही पल हंसकर मुझे आँख मार दी, पूजा ये सब नहीं देख पायी, वो तो अपनी नजरें भी नहीं उठा रही थी.
josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

Post by josef »

मैंने देखा की उसके चुचे ऋतू से काफी बड़े हैं, थोड़े लटके हुए , शायद ज्यादा भार की वजह से, और उसके काले-२ निप्पलस इतने बड़े थे की शायद मेरे पैर की ऊँगली के बराबर...पेट बिलकुल गोल मटोल और सुडौल, मैं खड़ा हुआ उसकी चूत भी देख पा रहा था, वो बिलकुल काली थी, बालों से ढकी हुई, और बीच में जो चीरा था, उसमें से गुलाबी पंखुडियां अपनी बाहें फैला कर जैसे मुझे ही बुला रही थी. मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. ऋतू की तरफ देखा, उसके चूचो का तो मैं वैसे ही दीवाना था, मुझे अपनी तरफ देखते पाकर उसकी ऑंखें बंद सी होने लगी और अपनी एक ऊँगली अपने मुंह में डालकर वो बोली.
"चलो अब तुम्हारी बारी है" ऋतू ने मुझसे कहा.
मैंने एक गहरी सांस लेकर अपना पायजामा और जॉकी नीचे गिरा दिया, और अपनी टी-शर्ट भी उतार दी, फिर मैंने अपना तना हुआ लंड हाथ में लिया और उसे आगे पीछे करने लगा.
"इतना दूर नहीं, यहाँ हमारे पास आकर खड़े हो जाओ और फिर हिलाओ" ऋतू ने आर्डर सा दिया.
मैं खिसककर आगे आ गया और अब मेरे पैर बेड से टकरा रहे थे, दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों का चहरा मेरे लंड से सिर्फ 4 -5 इंच की दुरी पर ही था, मैं उसे हिलाने लगा, पूजा ने ऋतू की तरफ देखा, वो मुस्कुरा दी, जवाब में पूजा भी मुस्कुरा दी और उसकी थोड़ी टेंशन कम हुई, और वो अब अपने सामने के नज़ारे के मजे लेने लगी.
मेरा पूरा ध्यान अब पूजा की तरफ था, वो अपनी आँखें फाड़े मेरे लंड को देख रही थी, उसका मुंह खुला हुआ था, चुचे तन कर खड़े हो गए थे, लगता था वो अपनी सुध बुध खो चुकी है, मैंने ऋतू की तरफ देखा तो वो बड़े ही कामुक स्टाइल से मेरी ही तरफ देख रही थी, उसका एक हाथ अपनी चूत की मालिश कर रहा था, और वो अपने होंठो पर अपनी लाल जीभ फिर रही थी, जैसे वो मेरा लंड चुसना चाहती हो...पर क्या वो पूजा के सामने मेरा लंड चूस लेगी..शायद हाँ.
ये सोच-सोचकर मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और मैं छुटने के बिलकुल करीब पहुँच गया.
ऋतू को शायद इस बात का अंदाजा हो गया था, वो थोड़ी और आगे खिसक आई...साली मेरे रस की भूखी..और मेरे लंड ने अपना रस उबालकर बाहर उडेलना शुरू कर दिया..मेरी पहली धार सीधे ऋतू के चेहरे से टकराई वो थोडा पीछे हटी तो दूसरी धार सीधे पूजा के खुले हुए मुंह के अन्दर और तीसरी और चोथी उसके गालों और माथे पर जा लगी, फिर मैंने थोडा लेफ्ट टर्न किया और बाकी की बची हुई पिचकारी अपनी बहन के चेहरे पर खाली कर दी.
पूजा तो अवाक रह गयी जब मैंने अपना वीर्य उसके मुंह में डाला पर जब उसने अपना मुंह बंद करके स्वाद चखा तो उसे साल्टी सा लगा और वो उसे निगल गयी, उसने सोचा,इसका स्वाद ऋतू के रस से थोडा अलग है पर टेस्टी है, फिर उसने अपने चेहरे से बहते हुए रस को अपनी उँगलियों से समेटा और निगल गयी, उसने देखा की ऋतू बड़े मजे से अपना मुंह खोलकर मेरी धारें अपने चेहरे और मुंह पर मरवा रही है और बड़े मजे से पी भी रही है.
मेरा लंड धीरे से मुरझाने लगा और ऋतू ने पूजा की तरफ देखा और उसे गले से लगा लिया, और बोली "देखा..कितना मजा आया...कितना एक्साईटिंग था "और उसके चेहरे पर बचा हुआ रस चाटने लगी.
पूजा : "हाँ बड़ा ही एक्साईटिंग था, मुझे भी देखने में काफी अच्छा लगा"
ऋतू : "क्या तुम्हे इसके रस का स्वाद पसंद आया"
पूजा : (शर्माते हुए) "हाँ....ठीक था."
ऋतू : "चलो फिर मेरे चेहरे से सारा रस चाट कर इसे साफ़ करदो...जल्दी"
'ठीक है" और पूजा ने सकुचाते हुए अपनी लम्बी जीभ निकालकर ऋतू का चेहरा चाटना शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में वो बिलकुल साफ़ हो गया और पूजा चटखारे लेते हुए पीछे हो गयी.
"और इसका क्या होगा", मैंने अपने मुरझाये हुए लंड को निचोड़ कर आगे किया और उसके सिरे पर बड़ी सी वीर्य की बूंद चमकने लगी.
ऋतू : "पूजा तुम चाट लो इसे.."
पूजा : "मैं.....नहीं मैं कैसे.." वो घबरा रही थी.
मैं : "जल्दी करो..नहीं तो मैं जा रहा हूँ"
ऋतू : "अरे चलो भी पूजा, अब क्यों शरमा रही हो...चूस लो"
पूजा : "नहीं मैं नहीं कर सकती"
ऋतू : "बिलकुल कर सकती हो.." और पूजा का चेहरा पकड़ कर आगे किया और दुसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसके मुंह में डाल दिया.
मैंने महसूस किया की उसके होंठ मेरा लंड मुंह में लेते ही बंद हो गए और उसकी जीभ मेरे लंड के सिरे को कुरेदने लगी, एक दो चूपे लेने के बाद उसने मेरे लंड को बाहर निकाल दिया.
"कैसा लगा " ऋतू ने पूछा
"मजेदार...काफी नरम और गरम है ये तो..मुझे नहीं लगता ये जल्दी पहले जैसा कड़ा हो सकेगा." पूजा बोली.
"थोडा और चुसो तब बोलना.." मैंने कहा.
"हाँ हाँ चलो थोडा और चुसो पूजा, देखते हैं क्या होता है " ऋतू ने उसे उकसाया .
उसने अपना मुंह जल्दी से खोला और मैंने आगे बढकर उसका मुंह अपने लंड से भर दिया, वो उसे अब पहले से ज्यादा तेजी से चूसने लगी, अपनी जीभ का इस्तेमाल भी कर रही थी अपने दुसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़कर हलके से दबा भी रही थी, मेरे लंड ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया. मैंने पूजा को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया, मेरा लंड अभी भी उसके मुंह में था, और मैं उसके सख्त और गद्देदार चूचो पर हलके भार से बैठ गया, पीछे से ऋतू ने बिना कोई वक़्त गवाएं झुक कर अपना चेहरा उसकी काली चूत पर टिका दिया और चूसने लगी. मैं अपने लंड से पूजा का मुंह चोद रहा था और ऋतू अपनी जीभ से उसकी चूत.
josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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