Fantasy मोहिनी

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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

तुर्की जादूगर ने मुझे लपक लिया। मैं अपने अजनबी मित्र से प्रार्थना करूँगा कि वह अपनी कला का कोई प्रदर्शन करें।

हॉल में तालियाँ बजने लगी। लोगों की ज़ोरदार पेशकश के कारण आख़िर मुझे हामी भरनी पड़ी। और फिर मैंने उसी जादूगर को अपना जमूरा बनाया

मैंने पूछा- “कितने मिनट बाकी हैं ?”

आवाजें आईं- “पाँच मिनट।”

“यह अधिक है।” मैंने कहा और मुस्कराकर जादूगर की तरफ़ देखा। फिर मोहिनी को संकेत कर दिया।

मोहिनी के लिए भला ऐसे जादूगरों को कब्जाना क्या महत्व रखता है।

दो मिनट के अंदर ही जादूगर लम्बा हो चुका था। फिर मेरी आज्ञा पर वह किसी मशीन की तरह काम करने लगा। वह पूरी तरह मेरे आदेशों का ग़ुलाम था।

मैं कभी उसे नाचने का हुक्म देता, कभी किसी दर्शक का बेंत और चश्मा लाने का, कभी कुछ, कभी कुछ...। यह दिलचस्प प्रदर्शन चंद मिनट में समाप्त हो गया और फिर सारा हॉल तालियों से गूँज उठा।

मोहिनी जादूगर को छोड़कर मेरे पास आ गयी तो वह जैसे किसी ख्वाब से जागा और बौखलाए अंदाज़ में मुझे सीट पर जाते देखता रहा।

अपने सीट पर आने के बाद मेरे लिए मुश्किल हो गयी। भीड़ ने मुझे घेर लिया। बड़ी मुश्किल से रास्ता बनाते मैं वहाँ से आया।

शो का समय समाप्त हो चुका था और हॉल में अफरा-तफरी मची हुई थी।

सारा प्रसन्नता भरी दृष्टि से मेरा चेहरा तक रही थी। उस दिन से बेचारा तुर्की जादूगर लंदन में कोई शो नहीं कर सका। उसने कई बार मुझसे मिलने की कोशिश की लेकिन मैंने उससे मिलना उचित नहीं समझा। मैं हमेशा उसे बड़ी खूबसूरती से टाल देता था।

लंदन में यह एक अकेली घटना नहीं थी। इस प्रकार की कई छोटी-बड़ी घटनाएँ हैं।

यह एक दिलचस्प ज़िंदगी थी जिसकी कल्पना मैंने कभी नहीं की थी। यहाँ न कोई हरि आनन्द था, न पुलिस। मैं केवल अपनी मोहिनी को साथ लिए वहाँ के लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा था। वह मुझे कोई जिन्न या भूत समझ रहे थे। उन्हें नहीं मालूम था कि अभी मेरी मोहिनी ने उनके सामने दो-चार हाथ दिखाए हैं। अभी क्या है।

सारा के सामने मैं अधिकतर कोशिश करता कि मोहिनी कोई हंगामा बरपा न करे और मैं उससे एक साधारण इंसान की तरह मिलता रहूँ। वरना वह मुझसे भयभीत हो जाती और सारा मज़ा किरकिरा हो जाता।

फिर भी कुछ घटनाएँ कुदरती घट जातीं। बाज़ चैलेंज कबूल करने ही पड़ते।

किंतु एक रात...।
मैं उस रात राल्फ स्मिथ के यहाँ मेहमान था। वह मुझे लम्बी-चौड़ी पुरानी बातें सुनाने में व्यस्त था। लार्ड को शैंपेन प्रिय लगती थी। जब मैं उससे बातें करता रहता तो सारा इस लम्बी बातचीत से उकताकर बाहर चली जाती। और जाते-जाते मुझसे खिसकने का इशारा करती।

उस रात भी वही हुआ। लार्ड की बातें खत्म होने को नहीं आ रही थी। सारा झुंझला कर चली गयी।

आख़िर किसी तरह बहुत देर बाद लार्ड से मेरा पीछा छूटा और मैं नीचे से ही सारा को लिए हुए अपने होटल की तरफ़ चल पड़ा। सारा कुछ देर मेरे होटल में मेरे साथ रही, फिर चली गयी।

उसके जाने के बाद मैं बिस्तर पर लेटा और मोहिनी से नोंक-झोंक करने लगा। फिर मुझे जल्दी नींद आ गयी लेकिन अभी मुझे सोए हुए आधा घंटा हुआ था कि टेलिफ़ोन की घंटी ने मुझे चौंका दिया।

सारा भयभीत स्वर में कह रही थी- “अमित, पापा अपने कमरे में मुर्दा हालत में पाए गए।”
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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

सारा की यह सूचना एक धमाके की तरह थी। मैं कुछ ही देर पहले तो उनके पास बैठा था। मुझे क्या मालूम था कि मेरी और उनकी आख़िरी मुलाक़ात है।

इस हैरतअंगेज समाचार को सुनकर मैं स्तब्ध रह गया।

मैं उससे शोक के शब्द भी न कह सका और न आश्चर्य प्रकट कर सका।

उसने फोन बंद कर दिया। लार्ड स्मिथ बहुत शानदार और दिलचस्प व्यक्तित्व का मालिक था। इतने समय में ही वह मुझसे बहुत निकट आ चुका था। उसकी अचानक मृत्यु से मुझे बड़ा सदमा पहुँचा।

मेरी नींद उड़ गयी।

और तब मैंने फ़ोन पर सारा द्वारा कहे वाक्य पर गौर किया तो एक सनसनी सी मेरे शरीर में दौड़ गयी।

क्या लार्ड की मौत में किसी का हाथ है ? क्या इतनी दूर आ जाने के बाद भी मुसीबतों ने राज ठाकुर का पीछा नहीं छोड़ा ?

अगर यह कत्ल का मामला था तो क़ातिल ने बड़ा सूझ-बूझ से काम लिया और उसी वक्त कत्ल किया जब सारा अपराध मेरे सिर मढ़ा जा सकता था। मगर लार्ड को कत्ल क्यों किया गया ?

वह तो एक निखरे हुए व्यक्तित्व का स्वामी था। तो क्या कोई खानदानी दुश्मनी ? दौलत का चक्कर ? कोई पुरानी रकावत ? या फिर सारा ?

मैंने मोहिनी की तरफ़ देखा। उसके धीमे-धीमे खर्राटे मेरे कानों में पड़ रहे थे। वह हमेशा की तरह मेरे बालों को मखमली बिछौना बनाए, हाथ का तकिया बनाए, बायीं करवट ली सो रही थी। आराम की नींद।

लंदन में यूं भी वह कुछ बेफिक्र सी हो गयी थी। घंटों पाँव पसार कर सोती रहती या टक-टक अंग्रेज़ों का शहर देखती रहती। उसे सारा के फ़ोन की भी खबर न हो सकी।

हिन्दुस्तान में तो वह सतर्क और हर समय चौकस रहती थी। वहाँ उसके चाहने वाले जो बहुत थे। लेकिन यहाँ आकर वह सभी खतरों से दूर थी।

मुझे अब अपनी सुरक्षा का प्रबंध करना था। अन्यथा वही पुलिस, वही जासूस, वही कानून। ज़िंदगी लंदन में भी दुभर हो जाती। यहाँ से भागकर कहाँ जाता।

मैंने झल्लाहट में आकर अपने वस्त्र बदले और मोहिनी को जगाने की कोशिश की। मोहिनी की उपस्थिति में मौत के असली कारण का पता लगाना कोई कठिन नहीं था।

मैंने उसे दो-चार आवाजें दीं तो उसने एक तौबा शिकन अंगड़ाई ली और आँखें खोलते हुए बोली-
“क्या मुसीबत है राज ? मैं इस समय बड़े मज़े में सो रही थी।”

“सोने के दिन गए मेरी जान, अब जाग जाओ।”

“क्यों ? यहाँ भी कोई मनहूस हरि आनन्द आ गया ?”

“हरि आनन्द से तुम बहुत भयभीत हो।” मैंने व्यंग्य किया फिर उदासी से बोला- “मोहिनी रानी, हरि आनन्द तो हर जगह मौजूद है।”

“क्योंकि कुँवर राज ठाकुर भी हर जगह मौजूद है।” मोहिनी ने तेजी से कहा।

“यह छेड़खानियाँ फिर करना। मैं तुम्हें एक महत्वपूर्ण खबर सुनाना चाहता हूँ।”

मोहिनी मेरी बात सुनकल अचानक खड़ी हो गयी। चंद क्षणों तक वह शून्य में निहारती रही। उसकी आँखों में चमक पैदा हो गयी और उसने कहना शुरू किया-

“लार्ड की मौत में रॉबर्ट का हाथ है। उस खूबसूरत नौजवान ने पूरी महारत से तुम्हारे गिर्द खूबसूरत जाल फैला दिया। तमाम सबूत तुम्हारे ख़िलाफ़ हैं। रॉबर्ट ने तुम्हें फाँसी के फंदे तक ले जाने के लिए सारे प्रबंध कर दिए हैं।”

“मेरी ज़िंदगी के दिन बहुत हैं, यह अंग्रेज़ का बच्चा मुझे क्या मारेगा। मुझे पूरा विवरण चाहिए।” मैंने नाराज़गी से कहा- “रॉबर्ट के फैलाए जाल की फ़िक्र उस वक्त होती जब तुम साथ न होती और जब तुम साथ न होती तो सारा कैसे मिलती ?”

लार्ड के घर में मेरी इतनी निकट ही कौन होती ? मैं लंदन कैसे आता ? मैं तो किसी दफ़्तर की सीट पर बैठी वहीं क्लर्की कर रहा होता और मेरे बच्चे चीथड़े सजाए गली में खेल रहे होते।”

“क्या तुम इस समय बहुत उदास हो। सारा के बाप की मौत का सदमा कुछ अधिक ही मालूम होता है। हाँ, सारा तुमसे क़रीब भी तो आ गयी।”

मोहिनी उस घटना को अधिक महत्व नहीं दे रही थी।

“मैं उदास इसलिए हूँ मोहिनी कि मैं यहाँ आराम के कुछ दिन गुजारना चाहता हूँ। मैं किसी मामले में पड़ना नहीं चाहता।”

“इसकी चिंता बेकार है लेकिन तुम्हें इसी समय सारा के घर जाना होगा, राज! तुम बहुत निठल्ले हो गए। अब आएगा मज़ा। मैं भी उदास थी। न कुछ हंगामा, न शोर मेरे राजा। अब जरा कसरत करो। तुम्हारी टक्कर अंग्रेज़ पुलिस से है। और दूसरी तरफ़ तुम्हारी रानी मोहिनी है। मैं चली।”

“लेकिन मोहिनी मुझे विवरण चाहिए।”

“विवरण बाद में। जरा मैं रॉबर्ट के घर तक तफरीह कर आऊँ जिसने तुम्हें रास्ते से हटाने के लिए और सारा को प्राप्त करने के लिए यह जाल बुना है। लार्ड की दौलत और दौलत से भी बढ़कर सारा क्या इतनी आसानी से उसे दे दोगे राज। समय कम है। इस समय एक-एक क्षण क़ीमती है। मैं वापस आकर तुम्हें सबकुछ बताऊँगी।”

फिर मुझे यूँ लगा जैसे सोयी हुई मोहिनी जाग गयी। छिपकली अपने असली रूप में आ गयी।

न जाने अब लंदन में क्या हंगामे होने वाले थे।

हंगामा मोहिनी की फितरत थी। कभी-कभी मुझे उससे खौफ होने लगता। वह मुझे प्यार करती थी। मैं उसे दिलो-जान से चाहता था। उस जहरीली को ही अपनी दुनिया समझता था पर वह मोहिनी थी।

इंसानों का खून पीने वाली एक छिपकली। एक खून की प्यासी। एक आफत की पुतली। एक जहरीली और उसे हंगामे पसंद थे।

कुँवर राज ठाकुर की यही ज़िंदगी थी। वह बढ़ा जा रहा था लार्ड स्मिथ की हवेली की ओर।
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ramangarya
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by ramangarya »

Pls upadates jaldi dijiye.
chusu
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by chusu »

sahi...............
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