Fantasy मोहिनी

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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

मैंने सारा से गैररस्मी बातें शुरू कर दी। उसके साथ सिनेमा, क्लब, थिएटर वगैरा जाने की इच्छा प्रकट किया। सारा बहुत मज़बूत इरादे की लड़की थी। मोहिनी के जरिए मैं उसका खूबसूरत जवान जिस्म किसी भी समय प्राप्त कर सकता था। लेकिन इस बढ़ते समय और धीरे-धीरे क़रीब आने में जो आनंद प्राप्त हो रहा था वह खत्म हो जाता।

यह अवश्य था कि मोहिनी के जरिए मैं सारा को कुछ हैरतअंगेज करिश्मे दिखाने पड़े। कुलवंत भी पूना क्लब में मुझसे इसी तरह प्रभावित हुई थी।

एक थिएटर में जब हम साथ बैठे हुए थे तो मैंने कहा- “लो तुम्हें एक करिश्मा दिखाते हैं, यह अभिनेत्री स्टेज पर अभिनय करते हुए तुम्हारे पास आ जाएगी।”

“यह किस तरह हो सकता है ? असंभव।”

“और अगर संभव हो तो ?”

“शर्त रख लीजिए।”

“जो माँगूँगा, तुम दोगी ? निश्चय ही मैं ऐसी चीज़ माँगूँगा जो तुम्हारे लिए कठिन न होगी। “

“अगर यह बात है तो मुझे मंज़ूर है।”

“तो फिर कान इधर लाइए।” मैंने उसके कान में एक ऐसी इच्छा प्रकट की जिससे उसका चेहरा सुर्ख हो गया। मेरी इच्छा बहुत साधारण थी किंतु यह उसे निकट लाने और बेतकल्लुफ करने की शुरुआत रखती थी। उसने शर्माकर अपने लबों को छूने की अनुमति दे दी।

फिर वह उस समय बुहत भयभीत हो गयी जब सारे दर्शकों के सामने अभिनेत्री अभिनय करते हुए स्टेज से उतरकर सारा के पास आ गयी और उसने सारा से हाथ मिलाया। कुशलता पूछी। सारा की जुबान गूँगी होकर रह गयी।

यह एक विचित्र घटना थी। सब लोग स्तब्ध रह गए। सारा मेरी सूरत देख रही थी और मैं लापरवाही से अपनी सीट पर बैठा मुस्कुरा रहा था।

उसने अटक-अटक कर कहा- “क्या यह सपना था ?”

“नहीं! तुम मेरे साथ बैठी हो और मैं खुद पर नाज कर रहा हूँ।”

“तुम कोई जादूगर हो। माय गॉड! यह सब कुछ बहुत हैरतअंगेज है।”

“यह तो कुछ भी नहीं। कुछ और शर्त रखोगी ? क्या ख़्याल है ?”

“तुमसे डर लगता है।” उसने कानों पर हाथ रखकर पूर्वी अंदाज़ में कहा।

“नहीं, यह तो मज़ाक था! तुम कोई इच्छा प्रकट करो। उसे पूरा करने में मुझे ख़ुशी होगी।”

उस रात का ज़िक्र कर दिया जाए जब उस शर्त के अनुरूप मेरे क़रीब आना था। वह शर्त पूरी करने के लिए तैयार थी। रुखसत होते समय मैंने उसे क्षमा कर दिया। मेरे इस फराख दिली का उस पर अच्छा प्रभाव पड़ा।
और फिर हुआ यह कि मैं और सारा लंदन में एक साथ देखे जाने लगे।

वह मुझसे हाथ के इलाज के लिए निवेदन करती रही और मैं उसे टालता रहा कि चलते वक्त करा लूँगा।

यूँ तो मैं होटल में ही ठहरा था परंतु दूसरे रूप में मैं लार्ड स्मिथ का मेहमान था। उसकी चरागाहों में मेरी कार दौड़ती रहती थी। मैं उसके साथ शिकार खेलता और इस तरह मैं सारा के और निकट आता रहा।

लंदन के नाइट क्लब जहाँ औरतें लिबास की ज़रूरत महसूस नहीं करती। उन धीमी रोशनियों में उनके बदन हमेशा चमकते रहते हैं। औरत वहाँ आम थीं। हर एक का तेवर अलग ही था।

यह लोग शायद बहुत थक गए थे और शांति की तलाश में न जाने कहाँ से कहाँ तक चले गए थे। सारे इंग्लैंड में दुनिया की दौलत जमा होकर आती थी।

सारा जैसी लड़की मेरे साथ थी। बहुत से लोगों को यही बात अखरने लगती थी।

लंदन में पुराने ढंग की मैली-कुचैली इमारतें, कुहरा-धुंध, चंद यादगार चीज़ें, ब्रिटिश म्यूजियम, हाईडिंग पार्क, डाईनिंग स्ट्रीट, बाकिंघम पैलेस, पिकैडली नाइट क्लब- इनके अलावा क्या था। मगर तबियत वहाँ बहुत लगी। इसकी वजह यह थी कि मैंने पिछले चंद बरसों में बड़ी दर्दनाक ज़िंदगी गुजारी थी। यहाँ न कोई हरि आनन्द था, न कोई पुराना सिलसिला।

मैं एक नया आदमी था। एक आज़ाद आदमी। जहाँ चाहता घूमता। दौलत जब चाहता प्राप्त कर लेता, लूटा देता।

मैंने सब कुछ भूला देना चाहा। मोहिनी भी मग्न थी। वह मेरे सिर पर बैठी नई-नई चीज़ें, नए-नए चेहरे देखते रहती।

लार्ड स्मिथ के निकट संबंधी तो मुझसे परिचित हो गए थे लेकिन मैंने महसूस किया कि मुझसे प्रभावित होने के बावजूद भी वह मुझे उतना सम्मान नहीं देते। उन्हें सारा का मेरे साथ घूमना पसंद नहीं था। यह बात सारा ने भी मुझे बताई और मैंने भी महसूस की।

उनमें लार्ड जार्ज फेदर का बेटा रॉबर्ट फेदर सबसे अलग था।

मोहिनी ने मुझे बताया कि वह अक्सर सारा के साथ घूमा-फिरा करता था और उसका प्रेमी था। लंदन में इस उम्र तक पहुँचते-पहुँचते लड़कियाँ कई प्रेमी बदल देती हैं। परंतु सारा के लिए मैं दूसरा ही था।

मेरे आने के बाद रॉबर्ट की शामें अक्सर तन्हाई में गुजरने लगी। जब पहली बार राल्फ स्मिथ के यहाँ मेरा उससे परिचय हुआ तो उसने मुझे व्यंग्य बाणों का निशाना बनाया। मैं खूबसूरती से निभा गया। इसलिए कि लंदन में कोई झगड़ा मोल लेना नहीं चाहता था।

एक शाम रॉबर्ट ने मुझे और सारा को डिनर की दावत दी। मुझे मालूम था रॉबर्ट मुझे सारा के सामने अपमानित करना चाहता है। उसके बावजूद भी मैंने इनकार नहीं किया।
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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

रात का खाना हमने एक आलीशान होटल में खाया जहाँ सिर्फ़ मेम्बर ही जा सकते थे। वहाँ नृत्य का प्रोग्राम था। मैं अपने टूटे हुए हाथ के कारण नृत्य में कठिनाई महसूस कर रहा था।

सारा रॉबर्ट के साथ चली गयी और मैं तन्हा मोहिनी से उलझने लगा।

जब संगीत का शोर खत्म हुआ तो वह दोनों मुस्कराते हुए मेज़ पर आ गए। रॉबर्ट ने कुछ चुभी बातें शुरू कर दी। उसने हिन्दुस्तानी लोगों की मूर्खताओं के लतीफे सुनाए और उन्हें गंदे-जाहिल और न जाने क्या-क्या कहने लगा। मैं चुप रहा।

सारा इस शाम को बेरौनक महसूस करने लगी। वह हम दोनों के बीच बैठी थी। सारा ने थिएटर वाली घटना रॉबर्ट को बताई तो रॉबर्ट कहकहे लगाने लगा।

फिर रॉबर्ट हमें एक जादूगर के शो में ले गया और बोला- “मिस्टर अमित ठाकुर, इस जादूगर के बारे में आपका क्या ख़्याल है ?”

मैंने कहा- “खूब है! मुझे आनंद आ रहा है।”

“क्या आप ऐसा कोई प्रदर्शन कर सकते हैं ?” उसने अचानक कहा।

“मैंने ऐसा कोई दावा नहीं किया।” मैंने कहा। “लेकिन यह सब क्या है ?”

“यह महारत है सारा। यह कला है। कोई भी चालाकी नहीं।”

“संभव है।” मैं किसी तरह बहस को बदलना चाहता था।

इस अरसे में जादूगर ने हॉल से किसी व्यक्ति को स्टेज पर आने का निमंत्रण दिया।

उसी क्षण रॉबर्ट बोला- “मिस्टर अमित ठाकुर, आप चले जाइए! मेरे ख़्याल में यह दिलचस्प रहेगा।”

मोहिनी ने मुझे टहोका दिया- “यह आगे बढ़ रहा है। इसे क़ाबू करो।”

मैंने हाथ उठा दिया। हम अगली कतार में थे। मैं उठा स्टेज पर पहुँच गया। तुर्की के जादूगर ने मुझे एक नज़र गौर से देखा और फिर मुझे नमस्कार कहा।

“आपका नाम ?” उसने पूछा।

“कुँवर अमित ठाकुर!”

“आप कमज़ोर दिल के आदमी तो नहीं हैं। मैं आपको जमूरा बनाऊँगा।”

“मैं अपने कमज़ोर दिल पर क़ाबू पाने की चेष्टा करूँगा।” मैंने सही उत्तर दिया।

“खूब!” उसने कहा और मेरी आँखों में देखना शुरू किया।

वह एक फन था और हिप्नोटिस्म का माहिर था। मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसकी विशेषताएँ साधारण जादूगरों से कहीं अधिक हैं। उसने पाँच मिनट का समय माँगा था।

वह मेरी आँखों में आँखें गाड़े पाँच मिनट तक कोशिश करता रहा। मैं बहुत सादगी और बेपरवाही से खड़ा रहा। वह मुझे माध्यम नहीं बना सका।

हाल में सरगोशियाँ उभरने लगीं।

मोहिनी मुझे क़ाबू किए होती थी। उसने दर्शकों से क्षमा माँगी और पाँच मिनट और माँगे। दर्शकों में हलचल थी।

वह झुंझला रहा था और उसके माथे पर शिकनें उभरने लगी थीं। परिणाम, उसने एक और वार किया। उसने जादू की सहायता से ऐसा अमल किया कि मैं पागलों की सी हरकतें करने लगा। वह इसमें भी असफल हो गया।

फिर वह मेरे निकट आया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा- “यह मेरी ज़िंदगी का पहला अवसर है। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि मेरी इज़्ज़त रख लीजिए।

“मैं आपसे मुलाक़ात करना चाहता हूँ। लेकिन इस वक्त आप मुझ पर रहम कीजिए।”

दूसरी कोई सूरत होती तो मैं उसकी प्रार्थना स्वीकार कर लेता लेकिन यहाँ मामला ही दूसरा था।

मैंने उसका हाथ थामा और बाज़ू बुलंद किया।

“उपस्थित सज्जनों, मेरा जमूरा न बनने में इस जादूगर का कोई कसूर नहीं है। दरअसल मैं स्वयं फन का माहिर हूँ। मुझे अफ़सोस है कि आपका खासा क़ीमती वक्त जाया हुआ।” यह कहकर मैं चलने लगा।

तुर्की जादूगर ने मुझे लपक लिया। मैं अपने अजनबी मित्र से प्रार्थना करूँगा कि वह अपनी कला का कोई प्रदर्शन करें।

हॉल में तालियाँ बजने लगी। लोगों की ज़ोरदार पेशकश के कारण आख़िर मुझे हामी भरनी पड़ी। और फिर मैंने उसी जादूगर को अपना जमूरा बनाया

मैंने पूछा- “कितने मिनट बाकी हैं ?”

आवाजें आईं- “पाँच मिनट।”

“यह अधिक है।” मैंने कहा और मुस्कराकर जादूगर की तरफ़ देखा। फिर मोहिनी को संकेत कर दिया।

मोहिनी के लिए भला ऐसे जादूगरों को कब्जाना क्या महत्व रखता है।
ramangarya
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by ramangarya »

Pls post updates.
chusu
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by chusu »

sahi.................
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