Fantasy मोहिनी

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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

लंदन के अमीरों में वह एक विशेष हैसियत रखता था। लेकिन अब मिनटों में गारत हो चुका था। उसे क्लब से बाहर निकाले जाने के बाद मोहिनी मेरे पास आ गयी।

जिम मेरे पास से उठकर उस व्यक्ति को क़ाबू करने चला गया था। अब वह भी वापस आ गया था।

वातावरण को सामान्य बनाने में कुछ समय लगा किंतु अब भी चारों तरह अफरा-तफरी और दहशत फैली हुई थी। मैं अपनी जगह से हिला तक नहीं। जब जिम ने निवेदन किया तो मैं उठा। आरमा उस बीच निरंतर पीती रही थी।

उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया। हम एक दूसरे कमरे में आ गए। यह जुए का कमरा था। वहाँ हाल की अपेक्षा ख़ासा शोर था। जिम मुझे खिलाने और उकसाने की फ़िक्र में था।

आख़िर वह कहने लगा।
“अमित ठाकुर! क्या ख़्याल है ? यह खेल कैसा रहेगा ? आप तो निश्चय ही जीतेंगे।” उसने जुए की मेज़ की तरफ़ इशारा किया।

“मिस आरमा के नाम पर आज इनका भाग्य देखेंगे।” मैंने राजसी शान से कहा। “देखें यह कहाँ तक खेलती हैं ?”

“मेरी किस्मत हमेशा ख़राब रहती है।” वह झल्लाकर बोली।

“आज आप मेरे साथ हैं। आपकी जीत की कामना के लिए दुआएँ करता रहूँगा।” मैंने शोखी से कहा।

“मैं हार जाऊँगी। आपको निराशा होगी।”

“मैं आपको संभाल लूँगा।”

“अमित ठाकुर कोई जादू करेंगे। मुझे विश्वास है।” जिम बीच में बोल पड़ा।

“क्या यहाँ अब यह भी बता दूँ कि आरमा ने किस तरह झिझकते-झिझकते पासा फेंका। उसके कयामतखेज शबाब की तरह उस रात उसकी क़ीमत भी शबाब पर थी। वह निरंतर जीतती रही। जिम सकते में रह गया और मुझे घूरकर देखने लगा।

आरमा के पास दौलत का अंबार लगते गया। आरमा को निंरतर जीतते देखकर यह खबर हाल में पहुँच गयी। एक छोटे से हजूम के साथ सारा भी आई। उसके इर्द-गिर्द दो वार्ड भी मौजूद थे। वे इस वक्त समीक्षक बने हुए थे।

वहाँ का हाल देखकर सारा एक क्षण के लिए दंग रह गयी और कुछ नाराज़ सी हो गयी। फिर वह दोनों अमीरों को छोड़कर मेरे पास आ गयी। आरमा ने उसे गौर से देखा। वह दोनों एक-दूसरे से परिचित थीं।

मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था कि मैंने सारा से बेरुखी क्यों बरती। शायद उस रात आरमा मुझ पर छा चुकी थी और शायद सारा को वहाँ देखकर मैं अपनी नाराज़गी प्रकट करना चाहता था।

सारा मेरे पास आई तो दहशत सी होने लगी। आरमा पर मेरी मेहरबानियाँ बढ़ गईं। मैं मोहिनी के जरिए चुन-चुनकर उसके सामने ऐसे आदमियों को लाया जिनकी जेबें भरी हुई थी।

सबसे पहले तो सारा के दोनों साथियों को मोहिनी ने बुरी तरह लूटा फिर क्लब में मौजूद कोई ऐसा व्यक्ति नहीं रहा जिसने उस रात बाज़ी न लगाई हो और आरमा के सामने हारा न हो।

यह खबर सुनकर धीरे-धीरे हर व्यक्ति ने बाज़ी लगाई। सिर्फ़ मैं और सारा बचे रहें। आख़िर उन्होंने मुझसे निवेदन किया कि मैं भी खेलूँ।

मैं आरमा का दिल तोड़ना नहीं चाहता था अतः मैं जानबूझकर हार गया। थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत लच्छेदार बातों से वहाँ एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गया।

यह बात सिर्फ़ सारा और जासूस के दिमाग़ में थी कि आरमा क्यों जीत रही है।

आख़िर जब रात गए मैं वहाँ से रुखसत हुआ तो आरमा ने अपनी सारी रक़म क्लब में सुरक्षित जमा करवा दी। जिम ने अगले दिन मुझसे मिलने का वादा ले लिया।

सारा को विदा करके मैं दोबारा आरमा के पास आ गया। क्लब खाली हो चुका था। क्लब के कर्मचारी मुझसे अपने व्यवहार के लिए क्षमा माँगने लगे।

लंदन में दिन और अच्छी रातें गुजारने का सामान पैदा हो गया। यह क्लब उत्तर श्रेणी की सुंदरियों और मालदार लोगों का मनोरंजन केंद्र था। यहाँ का वातावरण और प्रबंध बहुत उत्तम थे।

मुझे विश्वास था कि यहाँ का वातावरण मुझे आनंद देगा और मुझे इधर-उधर मारे-मारे नहीं फिरना पड़ेगा। सब कुछ यहीं मिल जाया करेगा।
Vivanjoshi
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Vivanjoshi »

कहानी रेगुलर अपडेट करिये ,रिक्वेस्ट है आपसे
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Dolly sharma
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

लंदन में इससे बेहतर और कौन सी जगह होगी। यहाँ मेरी पहली रात बहुत ही शानदार रात थी। मैं रात को क्लब से निकलने के बाद होटल में आया।

आरमा मुझे अपने शानदार जागीर पर ले गयी। लंदन के उस क्लब में कोई ग़रीब अंग्रेज़ प्रविष्ट होने का साहस नहीं कर सकता था।

आरमा के खूबसूरत शयनकक्ष, एक सुंदर लड़की के खूबसूरत शयनकक्ष में मुझे नशा सा हो गया। इस मामले में मोहिनी की सहायता नहीं लेनी पड़ी। वह सोती रही।

आरमा नशे में थी और बहुत उन्मादी थी। उसके शयनकक्ष में एक पूर्वी आदमी था, तन्हाई थी। उसने मेरा लिबास बदलवाकर मेरे गले में बाहें डाल दी। मैं स्वयं को दुनिया का भाग्यशाली व्यक्ति महसूस करने लगा। उसकी मदहोशी का अंदाज़ ही कुछ और था। वह रात मेरे खूबसूरत रातों में से एक थी।

मैं पूरी रात नहीं सोया।

सुबह आरमा से पीछा छुड़ाना कठिन हो गया। मुझे मालूम था कि सारा के आने से पहले मुझे होटल पहुँच जाना चाहिए। आरमा साथ चलने पर आमादा थी।

रात को दोबारा क्लब आने का वादा करके मैंने जान छुड़ाई। होटल पहुँचकर लिबास तब्दील किया। सारा समय से पहले आ गयी। उसी समय मैंने सारा को उन अंदेशों से सावधान किया जो मेरे दिल में उभर रहे थे।

सारा स्वयं बहुत उदास और परेशान थी। उसने बताया कि उसके मना करने के बावजूद लोग उसे महफिलों और हंगामों में जाने के लिए मजबूर कर देते हैं।

फिर उसने एक ऐसी बात कह दी कि मैं दंग रह गया। मैंने सारा के विषय में कभी इतनी गंभीरता से नहीं सोचा था। सारा ने मुझसे कहा कि मैं उसे हमेशा के लिए हिन्दुस्तान ले चलूँ।

वह अपनी जागीर और तमाम कारोबार का सौदा करके हमेशा के लिए मेरे साथ जाना चाहती थी।
मैं पशोपेश में पड़ गया।

बात उस हद तक पहुँच चुकी थी कि मैं सारा से साफ़ इनकार नहीं कर सकता था इसलिए कि मैंने उसे किसी और तरह सोचना शुरू कर दिया था। मेरे दिल से वह तमाम ग़लतफहमियाँ दूर हो गयी थी जो रात में उसे क्लब में दूसरे लोगों के साथ देखने से पैदा हो गयी थी।


वह पवित्र लड़की थी। एक बहुत बड़ी पेशकश कर रही थी, किसके लिए ? कुँवर राज ठाकुर के लिए। मुझे स्वयं से शर्मींदगी होने लगी और उस लड़की पर तरस खाने लगा।

उस दिन मैं देर तक होटल में ही रहा। दोपहर को कार्यक्रम के अनुसार नौजवान जासूस जिम आ गया। हम तीनों रहस्यमय विषय पर बहस करने लगे।

जिम ने मुझसे पूछा कि क्या रात आरमा की जीत में मेरी किसी दैवी शक्ति का दखल था। मैंने उत्तर दिया- “यूँ ही एक कोशिश ज़रूर की थी।”

सारा के सामने जिम कुछ कहने से झिझक रहा था। आख़िर सारा से क्षमा माँगकर वह मुझे होटल के रेस्टोरेंट में ले गया। वहाँ उसने मेरी हैसियत के संबंध में अपने विचार प्रकट करने शुरू कर दिए। जासूस जिम कोई बात कहना चाहता था मगर शब्द उसके होंठों पर आते-आते रुक जाते थे।


आख़िर मैंने उससे पूछा- “तुम कुछ कहना चाहते हो ?”

“हाँ!” वह सर्द आवाज़ में भर्राकर बोला। “मगर हिम्मत नहीं हो रही है। संभव है तुम मुझ पर संदेह करो।”

“नहीं, नहीं! कहो, क्या तुम्हें मेरी किसी सहायता की ज़रूरत है ? मैं तैयार हूँ।”

“अमित ठाकुर! तुम अदृश्य शक्तियों के स्वामी हो। मुझे सचमुच तुम्हारी शक्ति की ज़रूरत है।”

“यकीकन तुम मुझसे झूठ नहीं बोल सकते हो। कहो, क्या बात है।”

“अमित ठाकुर, बात बड़ी विचित्र है। मैंने तुम जैसा व्यक्ति पहले कभी नहीं देखा। मेरा ख़्याल है कि तुम अपने पिछले वर्षों में असाधारण घटनाओं से दो-चार रहे होगे। इसलिए तुम्हारा अनुभव सही है। तुम बहुत गहरे व्यक्ति हो।

मैंने अपनी आँखों से तुम्हारे हैरतअंगेज कारनामे देखे हैं। तुम असाधारण व्यक्ति हो। कल रात लंदन के अमीरों के क्लब में तुम्हारा बेधड़क चला जाना और पिस्तौल दिखाकर कर्मचारियों को भयभीत करना। एक नई लड़की से एकदम इश्क़ करना और रात उसके साथ बिताना। सारा जैसी मालदार और हसीन लड़की को इस तरह प्रभावित करना कि वह तुम्हारे साथ ही रहना चाहे। दूसरे अलावा रॉबर्ट के केस में तुम्हारा आत्मा को बुलाना। तुम्हारे कारनामे। तुम निश्चय ही इस दुनिया के आदमी मालूम नहीं होते।”

जिम रहस्यमय गंभीर स्वर में मेरे व्यक्तित्व का वर्णन कर रहा था।
मुझे आश्चर्य था कि इस व्यक्ति ने मेरे बारे में इतनी जानकारी प्राप्त कर रखी है।

“मैं एक ज्योतिष आदमी हूँ। मेरे साथ अन्याय मत करो जिम कि कोई व्यक्ति मुझे जिन-भूत समझने लगे।” मैंने हँसकर कहा।

“नहीं, नहीं, अमित ठाकुर! मैं हैरान हूँ कि तुम क्या-क्या हो।” उसने ज़ोर देकर कहा।

“तुम कुछ कह रहे थे।” मैंने विषय की बुनियाद पकड़नी चाही।

“मैं यह कहना चाहता हूँ कि तुम यह विशेषताएँ किसी बड़े काम के लिए कर सकते हो जो इंसानों का दुःख दूर करे। कोई ऐसा कारनामा जो इंसानों के लिए कारोबार हो। कोई ऐसा काम जो किसी बड़े पवित्र उद्देश्य के लिए किया जाए।”

“मैं समझा नहीं!” मैंने छत को घूरते हुए कहा।

“मैं चाहता हूँ कि तुम इंसानियत के लाभ के लिए इंसानियत के दुश्मनों के ख़िलाफ़ जंग करो। एक व्यक्ति भी बहुत कुछ कर सकता है। विशेष कर तुम जैसा आदमी।” उसने सरगोशी के अंदाज़ में कहा।

“तुम साफ़-साफ़ कहो।”

“अमित ठाकुर।” जिम ने इधर-उधर देखते हुए कहा। “यह बात ऐसी नहीं है जो सरेआम कही जा सके। यूँ तो तुम जानते ही हो दुनिया पर एटमी जंग का ख़तरा मंडरा रहा है। दो महाशक्तियों के खेमों की गोद में छोटे-बड़े देश बैठते जा रहे हैं और यह लोग अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए छोटे देशों को अपना ग़ुलाम बनाने का सपना देख रहे हैं। उन्हें लड़वाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।”

“जिम, मेरे दोस्त! मुझे सियासत में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही। मुझे अफ़सोस है कि इस बड़े मसले पर मैं कुछ नहीं कर सकता। फिर भी तुम चाहते क्या हो ?”

फिर जिम मेरे कानों में फुसफुसाकर बातें करने लगा।

वह मेरे जरिए किसी देश के ख़िलाफ़ जासूसी करवाना चाहता था। उसने कुछ काग़ज़ातों का हवाला दिया जो मुझे पार करने थे। मैं आश्चर्य से उसकी बातें सुनता रहा। यह खेल बड़ा ख़तरनाक था लेकिन दिलचस्पी से खाली भी न था।
फिर भी मैं जिम को टाल गया।

अगले दिन फ़ोन की घंटी बजी तो मैंने समझा जिम का फ़ोन होगा। परंतु वह जिम का फ़ोन न था। तुर्की के उस जादूगर का था जिसकी शान मैंने मिट्टी में मिला दी थी।

वह मुझसे मिलना चाहता था। उसका कहना था कि उसका उस्ताद जादूगर सुलेमान तुर्की से आया है जो स्टेज पर मुझे बुलाना चाहता है।

उसने मुझसे स्टेज पर आने की बहुत प्रार्थना की परंतु मैं उसे टाल गया।

रात होते ही मैं लंदन के उसी क्लब की ओर चल पड़ा जहाँ मैं रंगरेलियाँ मनाना चाहता था।

मैं एक सुनसान सड़क पर शेष रास्ता तय कर रहा था कि अचानक मोहिनी के पंजों की तेज चुभन महसूस करके चौंक पड़ा। ऐसा तभी होता था जब मोहिनी किसी ख़तरे का संकेत करती थी। मोहिनी एकदम खड़ी होकर दर शून्य में देख रही थी। उसका चेहरा क्रोध में तमतमाया हुआ था। और मुझे पूरी शक्ति से कार के ब्रेक लगाने पड़ गए क्योंकि सामने रुकावट खड़ी थी। सड़क पर ड्रमों की एक कतार जमा थी।

मैंने कार का दरवाज़ा खोलकर बाहर कदम रखा ही था कि मोहिनी ने मुझे सचेत किया परंतु तब तक वक्त निकल चुका था।

वह पाँच आदमी थे जिन्होंने मुझे दबोच लिया और उनके रिवॉल्वर मेरे पसलियों पर चुभने लगे। उन्होंने मुझे इसी स्थिति में वापस कार की पिछली सीट पर धकेला।

उनमें से एक ड्राइविंग सीट पर जम गया और बाकी मेरे इर्द-गिर्द। एक मेरी कमर पर रिवॉल्वर की नाल जमाए बैठ गया।
मैंने मोहिनी की तरफ़ देखा जो बड़ी बेचैनी से मेरे सिर पर चहलकदमी कर रही थी। क्रोध के कारण मोहिनी का चेहरा सुर्ख हो गया था।

कार वापस मुड़ी और फिर एक दूसरे मार्ग पर चल पड़ी।
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Re: Fantasy मोहिनी

Post by Dolly sharma »

उन्होंने तेजी से मुझे गाड़ी में डाला और गाड़ी मोड़ ली। वह पाँच आदमी थे। तीन आगे और दो पीछे बैठ गए। उनके हाथों में पिस्तौल थी। चेहरे-मोहरे से वे अपराधी मालूम होते थे। यह काम इतनी शीघ्रता से हुआ कि मैं कुछ समझ न सका। मैंने दिल ही दिल में मोहिनी को पुकारा। मोहिनी सख़्त बेचैन हो रही थी।

वह कहने लगी- “राज! तुम कठिनाई से घिर चुके हो। मैं अगर ड्राइवर के सिर पर जाकर रास्ता बदलवाती हूँ तो शेष चार कभी भी कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि उन्हें यही हुक्म मिला है।”

“यह लोग कौन है ?” मैंने घबराकर पूछा।

यह उस व्यक्ति एडवर्ड के आदमी है जो कल तुम्हें सारा के साथ नज़र आया था। उसे छोड़कर जब सारा तुम्हारे पास आई थी तो उसने उसी वक्त तुम्हें ठिकाने लगाने का निर्णय कर लिया था।

“वह समझता है कि तुम सारा की प्राप्ति की राह में उसके लिए रुकावट बन गए हो।” मोहिनी ने भर्रायी हुई आवाज़ में कहा।

“ओह्ह, यह सारा जान का जंजाल बन गयी! अब यह मुझे कहाँ ले जा रहे हैं और तुमने क्या सोचा है ?” मैंने परेशानी में पूछा।

“यह तुम्हें किसी वीराने में ले जाकर खत्म कर देना चाहते हैं। इन सबके हाथों में पिस्तौल है और यह बड़े लीडर लोग हैं।”

“तो क्या तुम इसी तरह बैठी रहोगी ?” मैंने झुंझलाकर कहा।

“मैं केवल एक समय में एक व्यक्ति के सिर पर जा सकती हूँ लेकिन पहले शेष लोगों के बारे में संतुष्ट हो जाना चाहती हूँ कि यह तुम्हारा कुछ अहित तो नहीं करेंगे।”

“लेकिन मुझे वीराने में ले जाने के बाद तो उनका काम और भी आसान हो जाएगा। तुम कोई गलती तो नहीं कर रही हो ? देखो, आबादी बहुत दूर होती जा रही है।”

“मुझे सोचने दो। तुम तो मेरे हाथ-पैर फुलाए दे रहे हो।”

मैं उनके दरम्यान फँसा बैठा था। उनकी आँखें मेरी तरफ़ लगी हुई थीं। मैंने भयभीत अंदाज़ में उनसे पूछा- “आप मुझे कहाँ ले जा रहे हैं ?”

“लारो!” एक व्यक्ति ने कहकहा लगाकर अपने साथी को संबोधित किया।”लारो, इसे बताओ कि हम कहाँ जा रहे हैं ?” इस बात पर सबने कहकहा लगाया।

फिर मैंने उनसे कोई बात नहीं की। कुछ समय के बाद उनमें से एक बोला-
“कुछ और पूछना चाहते हो ?”

“कदाचित यह मेरे अंतिम क्षण हैं।” मैंने निराश स्वर में कहा।

“तुम बुद्धिमान व्यक्ति हो। इस अंतिम समय में कोई आख़िरी इच्छा हो तो बताओ ? पूरी कर दी जाएगी।”

“मैं सोचकर बताऊँगा। इसवक्त तो मेरा मस्तिष्क निष्क्रिय है। मैं सोच रहा हूँ कि आख़िर मैंने क्या ग़लती की थी जो तुम लोग मुझे मारने के लिए ले जा रहे हो।” मैंने अटक-अटक कर कहा।

“हमें नहीं मालूम। हमें तो सिर्फ़ इतना मालूम है कि तुम्हें आज जहन्नुम पहुँचा देना है। मगर, मगर।” वह कुछ सोचकर बोला। “तुम इतने अधिक ख़तरनाक आदमी तो दिखायी नहीं देते।”

“मैं बहुत मासूम और निर्दोष व्यक्ति हूँ। शायद तुम लोगों को धोखा हो गया है।” मैंने निवेदन किया।

गाड़ी एक वृक्ष के साए में खड़ी हो गयी। उन्होंने मुझे धक्के देकर बाहर निकाला और मेरी गाड़ी वहीं छोड़कर एक दूसरी गाड़ी में बैठ गए। यह एक वैगन थी इसमें एक ड्राइवर पहले से बैठा था। अब वह छः हो गए थे। मैंने मोहिनी को देखा।

“त...तुम क्या सोच रही हो ?” मैंने दिल ही दिल में उससे पूछा।

“इन्हें चलने दो, यही बेहतर है।” मोहिनी ने जवाब दिया।

“तुम्हारी जरा सी भूल से खबर है क्या हो सकता है ?” मैंने कहा।

“मुझसे अधिक बातें न करो। ख़ामोश बैठे रहो।” मोहिनी ने किसी तरह आदेशात्मक स्वर में कहा। मुझे उसका यह व्यवहार बुरा लगा मगर मैं ख़ामोश हो गया।

वैगन पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी। फिर इस सफ़र को कोई बीस मिनट हुए होंगे कि वृक्षों की आड़ में गाड़ी रोक दी गयी। हर तरफ़ गहरा अंधेरा छाया हुआ था। हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहे थे।

वे मुझे गाड़ी से उतारकर धक्के देते हुए एक तरफ़ को बढ़ रहे थे। ऊँचे वृक्षों ने स्थान बहुत भयानक बना दिया था।

मैं खामोशी से उनके आगे-आगे चल रहा था। वे सब मेरे पीछे थे। सिर्फ़ एक व्यक्ति मेरे बाजू में था। मोहिनी बुरी तरह पहलू बदल रही थी और बेहद बेचैन नज़र आ रही थी।

आख़िर हम एक ऐसे मकान तक पहुँच गए जो ब्रिटेन की पुरातन धर्मस्थल की शैली में बना हुआ था जो बाहर से गिरजाघर की तरह नज़र आता था।

मकान में कोई खिड़की रोशन नहीं थी।उस सन्नाटे में उनके भारी जूतों की आवाजें दिल दहलाए दे रही थी।

एक व्यक्ति ने मकान के बड़े दरवाज़े पर ज़ोरदार ठोकर मारी। दरवाज़ा खुल गया। उन्होंने मुझे अंदर धकेल दिया और फिर दरवाज़ा बंद कर दिया। ठीक दरवाज़े पर मोहिनी मेरे सिर से उतर गयी।

यह एक उजाड़ और वीरान मकान था। ऐसा मालूम होता था जैसे यह मकान अर्से से यूँ ही वीरान पड़ा हो।
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