Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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chusu
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

Post by chusu »

sahi..... keep posting...
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Sexi Rebel
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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राज ने सहमति में सिर हिला दिया। डॉक्टर सावंत खामोश और निश्चल खड़ा रहा।

तभी उनकी आंखें एक बार फिर हैरत से फटी की फटी रह गई।

वो नीली-हरी चमकती हुई धुंध, जिसके दरम्यान छ: सौ साल पूर्व की राजकुमारी ज्योति राजसी रूप में खड़ी थी, उस धुन्ध में से धीरे-धीरे ज्योति का आकार नष्ट होने लगा। फिर वो हिलती बोलती ज्योति बिल्कुल गायब हो गइ। केवल मानवाकार में धुन्ध बची रह गई थी, जो धीरे-धीरे राजकुमारी ज्योति की लाश पर छाती जा रही थी।

लाश पूरी तरह धुन्ध से ढक गई थी और फिर धुन्ध गायब हो गई। अगले ही क्षण मेज पर लेटी लाश में जैसे प्राण पड़ गए
और लाश उठकर बैठ गई। डॉक्टर सावंत और राज को मानो काटो तो खून नहीं, दोनों पत्थर बने देखते रहे ओर उनके
देखते-देखते लाश धीरे-धीरे मेज से उतरी और दरवाजे की तरफ बढ़ी। उसके दरवाजे के पास पहंचते ही दरवाजा अपने आप खुल गया वो बाहर चली गई।

राज ने कोशिश की कि वो ज्योति के पीछे जाए, लेकिन चाहने के बावजूद वो अपनी जगह से हिल भी न सका। उसके साथ ही डॉक्टर सावंत भी खड़ा रह गया और कमरे की लाईटें जल उठीं।

वो दोनों उसी तरह बुत बने खड़े रहे। फिर राज बोला
"वो....दोनों ज्योति ही थीं, डॉक्टर सावंत ने माथे पर से पसीना पौंछते हुए कहा, ” उसे हम बाजार में देख कर आए थे, घर पहुंचे तो उसकी लाश पड़ी थी। उस लाश के ऊपर एक ओर ज्योति प्रकट हुई, उसने हमें छ: सौ साल पुरानी कहानी सुना कर अपना दुखड़ा प्रकट हुई, उसने वो लाश भी उठ कर चली गई

और दूसरी ज्योति भी गायब हो गई। मेरी तो अक्ल हैरान
"अब तो हमें मानना ही पड़ेगा डॉक्टर साहब।" राज ने गहरी सांस लेकर कहा, "बाजार में हमने उसे जिन्दा देखाा, यहां पहुंच गई और उसकी लाश पर किसी ने मसाला भी लेप कर दिया, यह नामुमकिन है।"

डॉक्टर सावंत कुछ नहीं बोला, उसके चेहरे पर गहन गम्भीरता छाई हुई थी। बाहरी दरवाजे पर घंटी की आवाज सुनाई दी और
दोनों चौंक कर एक साथ लेब्रॉटरी से निकल पड़े।

सतीश उनके लेब्रॉटरी में रहने के वक्त जाग उठे उल्लू की तरह पलकें झपका-झपका कर इधर-उधर देख रहा था।

राज का दिमाग चकरा रहा था। अभी-अभी जो चमत्कार उसने देखा था, उसकी अक्ल उसे कबूल नहीं कर रही थी, इच्छाधारी नागिन के बारे में उसने बहुत कुछ सुना और पढ़ा था, लेकिन सच बात तो यह है कि अब तक वो ऐसी बातों को पुराने जमाने के नाटककारों की कपोल कल्पना ही समझता आया था, लेकिन.....उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि कुछ देर पहले की घटना को क्या समझे, वहम या हकीकत?

लेकिन वो उस घटना को वहम कहकर भी तो नहीं टाल सकता था। वो अकेला होता शायद वहम समझ भी लेता, लेकिन उसके साथ डॉक्टर मेहता भी था, जो सारी घटना का चश्मदीद गवाह था।

दोनों आमने-सामने सोफों पर बैठे गए। दोनों अपनी-अपनी जगह सोच में गुम थे। फिर कुछ देर सोचने के बाद डॉक्टर सावंत ने ही कहा
"राज, एक बात मेरी समझ में नहीं आई.....।"

"आपकी समझ में एक बात नहीं आई?" राज ने गहरी सांस लेकर कहा-" मेरी समझ में तो कोई बात नहीं आई है। कहिए, आपकी समझ में कौन सी बात नहीं आई?"

"यह ज्योति कारों में घूमती है, ट्रेन पर भी सुर करती होगी। अगर वो परालौकिक चीज है तो उसे सवारियों की जरूरत क्यों पड़ती है?"

"क्योंकि उसके पास एक इन्सानी जिस्म भी है।” राज ने जवाब दिया, "अगर सिर्फ नागिन का मामला होता तो शायद वो यहां न आती, लेकिन उसकी मणि छिन जाना उसके लिए भारी मुसीबत का करण बना हुआ है। जिससे वो मजबूर है। वर्ना इच्धारी नाग तो पल भर में कहीं भी गायब होकर कहीं भी पहुंच सकते हैं।"

"क्या तुम गम्भीर हो राज ?"

"इन परिस्थितियों में जितना गम्भीर रहा जा सकता है, उतना ही हूं। राज ने कहा," हम बाजार गए थे। मेज पर कुछ नहीं था, बाजार में हमें ज्योति दिखाई दी जो वहां से गायब हो गई। यहां लौटे तो लेब्रॉटरी की मेज पर छः सौ साल पुरानी रामगढ़ की राजकुमारी ज्योति की लाश पड़ी हुई थी।

उसके बाद ज्योति की या इच्छाधारी नागिन की आत्मा प्रकट हुई
और उसने हमें एक कहानी सुना दी। आप ही कहिए इसे क्या समझा जाए? हम लोग डॉक्टर हैं और आमतौर पर हम लोग वहमी या अनधविश्वासी नहीं होते । लेकिन जो कुछ हमने देखा है, उसे क्या कहा जाए?"
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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"कहीं वो सारा हिप्नोटिज्म का करिश्मा तो नहीं है?" डॉक्टर सावंत ने हैरानी से पूछा।

" हो सकता है, ऐसा भी हो सकता है।" राज गम्भीरता से बोला-''जिस मामले में ज्योति और डॉक्टर जय इन्वाल्व थे उस मामले के बारे में कुछ भी हो सकता है।"

"अगर वो सब हम दोनों ने सम्मोहन की हालत में देखा था तो फिर यह भी मुमकिन है कि ज्योति की सुनाई कहानी मनघड़त
हो और यह भी उन दोनों की किसी नई साजिश का हिस्सा हो, हमें हमारी जांच से भटकाने के लिए उन्होंने यह लाश , मणि
सपेरे और इच्छाधारी नागिन की स्क्रिप्ट लिखी हो?"


"अगर है तो अब हमें और ज्यादा होशियारी से काम लेना होगा,
और यही सोचकर चलना होगा कि यह ज्योति और डॉक्टर जय की साजिश ही है। ऐसा न हो कि हम एक मजबूर इच्छाधारी नागिन की मदद करने के चक्कर में खुद किसी जाल में फंसें ।" राज ने कहा।

"हां, हमें ऐसा ही करना चाहिए।” डॉक्टर सावंत ने सोचते हुए कहा, "एक और बात भी मेरी समझ में नहीं आ रही है।"

"वो कौन सी?"

"हमने जब बाजार में ज्योति को देखा था तो उसने काली ड्रेस पहन रखी थी। लेकिन जब यहां उसकी लाश थी तो उसने
मटियाले रंग का लम्बा सा लबादा पहन रखा था?"

"यह कोई खास बात नहीं हैं।" राज ने कहा, "जो औरत आधे घंटे में मर कर जिन्दा हो सकती है, उसके लिए ड्रेस चेंज कर लेना क्या मुश्किल है?"

"ऐसे नहीं। यह मान कर बताओ कि वो भूत-प्रेत या इच्छाधारी नागिन नहीं, बल्कि एक आम औरत है।"

"अगर आम औरत के तौर पर मान कर चलें तो , वो हमसे जल्दी यहां पहुंच गई होगी और कपड़े या तो उसने रास्ते में ही किसी काले शीशों वाली कार में बदल लिये होंगे या फिर यहां पहुंचकर किसी बाथरूम वगैरह में बदल लिये होंगे, उसके साथ कोई दूसरा भी होगा, जो उसके उतारे हुए कपड़े साथ ले गया होगा।"

"तो अब क्या करना है?'' डॉक्टर सावंत ने पूछा।

"किस बारे में?"

"ज्योति के अनुरोध पर औरंगाबाद जाना है या उसे नजरअन्दाज कर देना है?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।

"अगर ज्योति को इच्छाधारी नागिन न मानकर हम उसे डॉक्टर जय की साजिशी कठपुतली भ समझ लें, तब भी उसकी उस बात में मुझे दम लगता है कि डॉक्टर जय का स्थाई ठिकाना औरंगाबाद से उन्नीस किलोमीटर दूर एलोरा की गुफाओं में या गुफाओं के आसपास कहीं होना चाहिए। वो अपेक्षाकृत सुनसान इलाका है, जहां डॉक्टर जय को खेल खेलने का भरपूर मौका सो मजबूरी में वहां जाना ही पड़ेगा।"

डॉक्टर सावंत ने सहमति में सिर हिला दिया और बोला
"तुम कहो तो हम इंस्पेक्टर त्यागी को इस मामले में सूचना देकर उसका सहयोग भी प्राप्त कर लें?" ।

"नहीं साहब।" राज ने दृढ़ता से कहा," मेरे ख्याल में पहले हम दोनों को अकेले ही उस ओ के बारे में खोजबीन करनी चाहिए। उसके बाद कोई सबूत पाते ही हम इंस्पेक्टर
त्यागी को खबर कर देंगे। पहले हम दोनों ही औरंगाबाद जाएंगे।"

"और सतीश?" डॉक्टर सावंत ने कहा।

" सतीश को तो पता तक नहीं लगना चाएि डॉक्टर साहब कि हमारा क्या प्रोग्राम है।"

"क्यों?" डॉक्टर सावंत ने हैरत से पूछा।

"वो इसलिए कि ज्योति को देखते ही उसके होशोहवास जवाब दे जाती हैं। उसे साथ रखकर हमें परेशानी के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।"

"चलो ऐसे ही सही....।" डॉक्टर सावंत बोला, "तो फिर तैयारी करो औरंगा बाद जाने की।"

"जैसा आपका हुक्म ।" राज ने बड़ी देर बाद मुस्कराते हुए कहा।
उन्हें औरंगाबाद आए एक दिन ही गुजरा था, यह अलग बात है कि उन्हें बम्बई से चलते-चलते दो दिन लग गए थे। जब से वो
औरंगाबाद आए थे, कोई उल्लेखनीय घटना नहीं घटी थी।


अब उनके सामने सिर्फ एक ही मकसद था, और वो था ज्योति की तलाश । लेकिन ज्योति अब तक उन्हें नजर नहीं आई थी, जबकि वो दो घंटे गोखले मार्किट में भी गुजार आए थे।

इंस्पेक्टर विकास त्यागी को उन्होंने पूरा किस्सा बताए बगैर कहीं बाहर जाने की सूचना दी थी और सतीश को भी राज ने
झूठ बोलकर बहका दिया था कि उसे अपनी रिसर्च के सिलसिले में दो तीन दिन के लिए कोल्हापुर जाना पड़ रहा है।

इंस्पेक्टर त्यागी तो डॉक्टर जय ओर ज्योति की तस्वीरों को अखबारों में छपवा कर उन्हें तलाश करवाना चाहता था, लेकिन राज ने उससे कुछ दिन इंतजार कर लेने के लिए कहा था, जिसकी वजह से वो अपने इस पुलसिया सुझाव पर अमल नहीं
कर पाया था।

लेकिन अगले दिन ज्योति उन्हें नजर आ गई।

राज और डॉक्टर सावंत एक रेस्टोरेंट से काफी पीकर निकले थे, राज एक दुकान के शे-केस में रखे सामान को देखने के लिए ठहर गया।

अचानक डॉक्टर एक दुकान के शो-केस में रखे सामान को देखने के लिए ठहर गया।
अचानक डॉक्टर सावंत ने उसका बाजू पकड़ कर खींचते हुए तेज स्वर में कहा
"राज ,जरा उधर देखो...।"
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Re: Fantasy नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

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राज ने हैरत से पलटकर उधर देखा जिधर डॉक्टर सावंत इशारा कर रहा था। सामने ही ज्योति एक छोटा सा पैकेट लिए
अकेली जा रही थी। शायद वो कुछ खरीदकर लाई थी।

"ज्योति....।" राज के मुंह से निकला।

"वही लगमी है।" डॉक्टर सावंत ने जल्दी से कहा, " आओ उसका पीछा करते हैं।"

राज ने समर्थन में सिर हिलाया और दोनों थोड़ा फासला बीच में रखकर ज्योति के पीछे लग गए। ज्योति अपना पीछा किए जाने से लापरवाह सीधी चलती रही।
डॉक्टर सावंत ने कहा
"क्यों न हम किसी पुलिस वाले को बुलाकर उसे गिरफ्तार करवा दें?"

"उससे कोई फायदा नहीं होगा डॉक्टर सावंत।" राज ने कहा, " मैं पहले उसका ठिकाना देखना चाहता हूं, हो सकता है यह पहले की तरह अब भी डॉक्टर जय के साथ ही रहती हो और हम एक साथ दोनों पर हाथ डाल सकें, अगर यह वाकई आम औरत है तो।"

"और अगर यह आम औरत न हुई तो?"

"फिर हम इसकी मदद करेंगे।" राज ने दृढ़ स्वर में कहा।

"ठीक है, पहले इसे आम औरत के तौर पर ही ट्रीट करेंगे, जब तक कोई पक्का सबूत इसके इच्छाधारी नागिन होने का सामने नहीं आ जाता।"

डॉक्टर सावंत खामोश हो गया। कुछ दूर चलने के बाद ज्योति एक जनरल स्टोर में घुस गई। वो दोनों बाहर खड़े उसका इन्तजार करते रहे।

आधे घंटे बाद ज्योति दुकान से बाहर निकली तो उसके पास कुछ और पैकेट थे।
वो फिर आगे चल पड़ी तो डॉक्टर सावंत ने कहा
"ऐसा लगता है कि उसकी गाड़ी यहीं कहीं करीब ही खड़ी है, वर्ना वो इतने पैकेट न उठा लाती....।" ।

"शायद।" राज ने ज्योति की तरफ देखते हुए जवाब दिया।
डॉक्टर सावंत का ख्याल सही निकला। करीब पच्चीस गज के फासले पर एक काली एम्बेसडर कार खड़ी चमचमा रही थी। ज्योति ने हाथों के पैकेट कार की खिड़की में से अन्दर डाल दिए
और दरवाजा खोल कर खुद ड्राईविंग सीट पर बैठ गई।

"अब....।" डॉक्टर सावंत ने राज की तरफ सवालियां निगाहों से देखा।

राज ने फौरन मार्किट में खड़ी दो खाली टैक्सियों की तरफ हाथ से इशारा किया। जब तक टैक्सी राज के करीब पहुंची, ज्योति की काली कार चल दी।
राज ने टैक्सी में डॉक्टर सावंत के साथ बैठते हुए टैक्सी ड्राईवर से कहा
"उस काली ऐम्बेसडर का पीछा करो.....।"

ड्राईवर ने एक बार जिज्ञासा भरी निगाहों से उसकी तरफ देखा।

"यह पुलिस मैटर है, जल्दी करो।" राज अक्खड़ लहजे में बोला।

ड्राईवर ने बगैर कुछ कहे-सुने टैक्सी स्टार्ट कर दी।

कुछ देर दोनों गाड़ियां शहर केक ट्रेफिक में आगे-पीछे चलती रहीं, फिर ज्योति की कार शहर से बाहर जाने वाली सड़क पर मुड़ गई।
"यह सड़क किधर जाती है?" राज ने ड्राईवर से पूछा।

"गुफाओं और पुराने मन्दिरों के खण्डहरों की तरफ।” ड्राईवर ने सड़क पर नजरें जमाए-जमाए जवाब दिया। डॉक्टर सावंत ने आवाज दबाकर कहा

"लगता है, यह उधर ही जा रही है....।"


"ऐसा ही मेरा भी ख्याल है।" राज ने सिर हिलाकर कहा।

कुछ देर बाद ही दोनों गाड़ियां शहर से बाहर निकल आईं। आगे सड़क बिल्कुल सुनसान थी और काफी दूर तक दिखाई दे रही थी।
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