Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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josef
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Re: Adultery बुरी फसी नौकरानी लक्ष्मी

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सन्नी

प्रतीक के बुलाने पर हम दोनों भी बेडरूम में आ गए। लक्ष्मी आंटी बेड पर शर्माकर बैठी थी। प्रतीक ने लक्ष्मी आंटी को अपनी बाहों में लेते हुए उसके माथे पर लगे सिंदूर को चूमा और लक्ष्मी आंटी को बेड पर लिटाकर चूमने लगा। लक्ष्मी आंटी ने शर्माते हुए प्रतीक को रोका और कहा,
"जी, मुझे शर्म आती है। बाबुओं के सामने कैसे? और आप? नहीं…?"

प्रतीक, "वहां जब मुझे दूसरी औरतों के साथ रहना होगा तब मुझे बुरा लगे कि मैं तुम्हारे साथ धोखा कर रहा हूं, यह सही होगा? नहीं? जान, मैंने हमारे लिए खुशी और परिवार चुना है। लेकिन अगर तुम अपनी खुशी से मुंह मोड़ लोगी तो मैं कैसे खुश हो सकता हूं?"

प्रतीक ने लक्ष्मी आंटी को चूमते हुए लक्ष्मी आंटी के हाथ उठाए और बेड के सिरहाने बांध दिए। लक्ष्मी आंटी ने अपने आप को बेबस पाकर चैन की सांस ली। अब उसे अपने पति से धोका करने का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। प्रतीक ने कमरे के उजाला कर दिया और कहा,
"बाबू, जैसा कि आप दोनों जानते हैं। मैंने जवानी के खेल में आज ही पहल की है। पर वहां शेख के हिसाब से मैं कई साल का माहिर हूं। अगर शेख की बीवी ने खुशी नहीं मिलने का कहा तो मुश्किल होगी। आओ अब मुझे वो सब सिखाओ जो आप दोनों ने सीखा है।"

मैंने और विक्की ने इस बात पर सोच कर फैसला लिया की प्रतीक को पहले सीखना होगा और फिर अनुभव करना होगा। प्रतीक ने हमारी बात मान ली और एक कुर्सी ले कर बेड के नीचे बैठ गया।

मैंने और विक्की ने प्रतीक को सिक्का उछाल कर हम दोनों में बारी तय करने को कहा। पहली बारी जीत कर विक्की ने लक्ष्मी आंटी को चूमते हुए प्रतीक को चूमने की कला सिखाई। लक्ष्मी आंटी ने उत्तेजना वश आहें भरते ही विक्की ने अपने होंठ नीचे लेते हुए दूधिया गोलों पर लाए। विक्की एक गोले को चूम रहा था तो दूसरे को अपने पंजे में दबोच कर उस पर बनी चूची को छेड़ रहा था। लक्ष्मी आंटी ने उत्तेनापूर्ण हरकतों से अपनी पीठ उठाते हुए अपनी चूची विक्की के मुंह में दबाने लगी। विक्की ने लक्ष्मी आंटी की चूची को चूसते हुए अपने घुटने से लक्ष्मी आंटी के पैरों को फैला दिया। लक्ष्मी आंटी की पनीयाई बुर से बहती धारा साफ नजर आ रही थी।

"प्रतीक औरत और मर्द के बीच एक खास फर्क यह है कि मर्द बिजली के बल्ब की तरह तुरंत तयार हो जाता है पर औरत बिजली की इस्त्री की तरह धीरे धीरे तपती है और काफी देर तक गरम रहती है। तो एक बात हमेशा याद रखना। लक्ष्मी आंटी को तब तक गरम करना जब तक तुम से रहा जाए और उसके बाद 10 मिनिट तक अधिक करना।"

प्रतीक सच में लक्ष्मी को खुश रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार था। वह लक्ष्मी आंटी को चुधते देखने के लिए भी तयार था ताकि वह उसे खुशी दे पाता। विक्की की हालत पस्त हो गई तो मैंने उसके साथ जगह बदल ली।

लक्ष्मी आंटी ने आह भरते हुए अपनी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और मैंने उसके पैरों को फैला कर उसके गुपतांगों को अपनी उंगलियों से खोल कर उजागर किया।

"प्रतीक, औरत के निचले होटों की दो परतें होती हैं। बाहर की पाव रोटी जैसी मांसाल परत और अंदर की नाजुक पंखुरी सी पतली परत। बाहर की परत को चूमने से लक्ष्मी आंटी की रस की धारा बहना तेज हो जाता है।"

लक्ष्मी आंटी की खुली चूत के बाहरी होटों को बारी बारी चूमते हुए उसकी आहों से कमरा भर उठा। मैंने अपनी जीभ की नोक से निचले होटों के उपरी जोड़ को छू लिया और लक्ष्मी आंटी ने अपना बदन झटक दिया।

विक्की, "प्रतीक, नीचे के बाहरी और अंदरूनी होठों के जोड़ने से बने उपरी हिस्से में छिपा होता है औरत के यौन सुख का खजाना। इसे हम दोनों लक्ष्मी आंटी का मोती कहते हैं। इसे चाटने, चूमने और चूसने से लक्ष्मी आंटी को वही होता है जो हमें अपना लौड़ा चाटने, चूमने और चूसने से होता है। लक्ष्मी आंटी की कोई चुदाई हम तब तक नहीं करते जब तक लक्ष्मी आंटी इस मोती का पूरा मज़ा नहीं लेती। देखो सन्नी ने लक्ष्मी आंटी के पैरों को कस कर पकड़ लिया है कि वह सन्नी को हिला न पाए। लक्ष्मी आंटी अक्सर झडते हुए ऐसे तड़पती है कि हम हिल जाते हैं और लक्ष्मी आंटी अधूरी रह जाती हैं।"

मैंने लक्ष्मी आंटी की जांघों को पकड़ कर अपने होठों से लक्ष्मी आंटी के मोती को चूमा। लक्ष्मी आंटी तप कर तिलमिलाने लगी तो मैंने उसके मोती को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और मोती का अब उभरा हुआ हिस्सा अपनी जीभ से चाटने लगा। लक्ष्मी आंटी ने अपनी जांघो से मेरा सर पकड़ लिया और खुद सिसक सिसक कर आहें भरते हुए उत्तेजना वश तड़पने लगी।

बेड के पास बैठ कर हमारे दर्शक मेरी कला को निहार रहे थे और उस से सीख रहे थे। मैं और विक्की कई बार एक दूसरे के सामने लक्ष्मी आंटी का पानी निकाल चुके थे पर ऐसे जान कर किसी की बीवी को उसके सामने चोदना एक अलग ही अनुभव था। मैंने लक्ष्मी आंटी की आवाज और लक्ष्मी आंटी की बुर का रिसाव देख अपनी 1 उंगली को लक्ष्मी आंटी की तपती भट्टी में डाल दिया।

"आह… सन्नी बाबू… और मत तड़पाओ!!… चोदो मुझे!!… कोई तो चोदो मुझे!!!… कोई भी चोदो मुझे!!!…", लक्ष्मी आंटी गिड़गिड़ाई।

मैंने मुस्कुराकर जवाब में अपनी दो उंगलियां उसकी गर्मी में भर दी और लक्ष्मी आंटी के मोती को चूमते हुए अपनी उंगलियों को तेज रफ्तार से चलाने लगा। लक्ष्मी आंटी की आहें तेज होते हुए एक चोटी तक गई और एक ऊंची चीख के साथ लक्ष्मी आंटी ने झडते हुए मेरा मुंह अपने रस से भर दिया। लक्ष्मी आंटी का बदन ढीला पड़ गया था पर अब भी उसमें कुछ कांपना जारी था।

"इस तरह लक्ष्मी आंटी के झडने से हम ये मान सकते हैं कि जब हम लक्ष्मी आंटी को चोद कर झड जाएं तो वह असंतुष्ट न रहे।"

विक्की ने लक्ष्मी आंटी के उपर लेटते हुए मेरी जगह ले ली थी और अब उसके माथे को चूमते हुए उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

"प्रतीक, लक्ष्मी आंटी अपने प्रेमियों को बस छूने से ही पहचान लेटी है पर फिर भी बताकर करना अच्छा होता है। अगर घर में सिर्फ दोनों ही हो फिर भी अचानक अंदर जाना अच्छा नहीं लगता।"

लक्ष्मी आंटी ने विक्की को अपनी बाहों में भर लिया तो विक्की ने लक्ष्मी आंटी के गाल चूमते हुए उसकी बुर पर अपना सुपाड़ा सटा दिया।

"अन्ह… आह… ऊंह…", लक्ष्मी आंटी ने अधीर होकर अपनी गांड़ उठाकर विक्की को अपने पैरों में पकड़ कर अपने अंदर खींच लिया।

"आह… हा… आ… हा… आनह… अम्म्म……", लक्ष्मी आंटी की यह पाष्वी उत्तेजना की भाषा हमें आगे का रास्ता दिखा रही थी और हम दोनों यही भाषा प्रतीक को सीखा रहे थे। विक्की को लक्ष्मी आंटी को चूमते हुए चोदना पसंद था पर आज वह प्रतीक को सीखने के लिए लक्ष्मी आंटी के कान और गाल को चूमते हुए उसके सुख के स्वर सुना रहा था। लक्ष्मी आंटी ने विक्की को कस कर पकड़ कर उसे तेज धक्कों से चोदने पर मजबुर कर दिया था।

"प्रतीक, लक्ष्मी आंटी को कभी प्यार से धीरे और लंबे धक्के चाहिए होते हैं। कभी तो बस तेज रफ्तार झटके से मज़ा चाहिए होता है। ये हमारा फ़र्ज़ है कि हम उसकी मर्जी को समझे और उसे उसकी मन चाही खुशी दें।"

विक्की ने लक्ष्मी आंटी को तेज रफ्तार चोदते हुए अपनी पूरी ताकत लगा दी और लक्ष्मी आंटी ने झडते हुए उसका लौड़ा निचोड़ लिया। विक्की लक्ष्मी आंटी के उपर लेट गया और लक्ष्मी आंटी ने उसे पकड़ कर चूमते हुए उसका रस अपनी कोख में भर लिया।

कुछ देर बाद लक्ष्मी आंटी ने विक्की को छोड़ दिया और विक्की एक ओर लेट गया। लक्ष्मी आंटी ने दूसरी ओर मुड़ते हुए एक घुटना तकिए पर रख कर पेट के बल अधूरी लेट गई।

लक्ष्मी आंटी की योनि की पंखुड़ियां खुली हुई थी और उनमें जमा विक्की का माल एक गाढ़ी मलाई की बूंद की तरह धीरे धीरे बाहर आता दिख रहा था।

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josef
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सन्नी

विक्की के बगल में लेट ने से लक्ष्मी आंटी एक ओर मुड़ कर अपना घुटना तकिए पर रख पेट के बल अधूरी लेट गई जिस से लक्ष्मी आंटी की चूत में जमा वीर्य बाहर झांकने लगा। लक्ष्मी आंटी को ठंडा होने देना मेरे लिए बेवकूफी होती।

मैंने लक्ष्मी आंटी को पीछे से चूमते हुए उसकी गांड़ के उपर अपना लौड़ा घुमाया।

"सन्नी बाबू!!… उफ्फ…", लक्ष्मी आंटी जानती थी कि मुझे रोकना मेरे साथ नाइंसाफी होती। प्रतीक धान से मेरे पैंतरे और उन पर लक्ष्मी आंटी की प्रतिक्रिया देख रहा था। मैंने अपने लौड़े पर विक्की के वीर्य की गाढ़ी मलाई लक्ष्मी आंटी की चूत के मुंह से उठाई और लक्ष्मी आंटी की गरमी चूत में मेरा लौड़ा पेल दिया।

"मां… आह… आह…", लक्ष्मी आंटी ने मेरा स्वागत किया ही था कि मैंने अपने लौड़े को बाहर खींच लिया।

विक्की, "औरत चाहे जितनी तयार हो उसकी गांड़ मारने से पहले अपने लौड़े को रस में अच्छे से पोत लो। यौन रस से अच्छा अगर कुछ है तो वह है वीर्य से भरा यौन रस। वैसे vaseline gel भी काम करता है पर हमें तो यही पसंद है।"

मेरे लौड़े का सुपारा लक्ष्मी आंटी की कसी गांड़ के सुराख को खोलने लगा तो लक्ष्मी आंटी फिर से आहें भरने लगी।

"आह… आंह… उंह… मां!!… हां… हा… हा… हा… आ…आह… आहा…", लक्ष्मी आंटी ने मुझे अपनी गांड़ के अंदर लेते हुए आंहे भरी।

"सन्नी बाबू!! प्यार से करो!! मैं थक गई हूं।", लक्ष्मी आंटी ने मुझे समझाते हुए कहा।

मैंने लक्ष्मी आंटी के बाल उसके माथे से पीछे लेते हुए अपने हाथ में लेकर उन्हें थोड़ा खींचा।

"सन्नी बाबू!! आह… आ…", लक्ष्मी आंटी ने शिकायत करना शुरू किया ही था कि मैंने अपने लौड़े को सुपाड़े तक बाहर खींच लिया।

"मां… आंह… आ… आ…आआह…", लक्ष्मी आंटी ने अपनी गांड़ में मेरे लौड़े को दनदनाते हुए घुसता पाया।

"डरो मत। लक्ष्मी आंटी को गांड़ मराना पसंद है। यह एक हुनर है जो हर औरत नहीं कर पाती पर लक्ष्मी आंटी ने इस में महारथ हासिल कर ली है।", विक्की ने प्रतीक के व्याकुल भाव देख कर कहा।

मैंने लक्ष्मी आंटी के बाल पकड़ कर उसे पीछे खींच कर लक्ष्मी आंटी को उठा लिया था और खुद उस पर लेट कर उसकी गांड़ के लंबे ठाप लगाते हुए चोद रहा था। लक्ष्मी आंटी ने एक हाथ से अपने आप को उपर उठाया और दूसरे हाथ से अपनी खाली चूत को सहलाने लगी।

"लक्ष्मी आंटी की गांड़ मारते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि लक्ष्मी आंटी की चूत खाली न रहे। अगर अब की तरह लक्ष्मी आंटी ने अपना इंतजाम खुद नहीं किया तो दो उंगलियों को लक्ष्मी आंटी की चूत में डाल कर अंगूठे से लक्ष्मी आंटी का मोती चलते रहना चाहिए।", विक्की ने प्रतीक को गांड़ चुदाई की बारीकियां समझते हुए हम।

मैंने लक्ष्मी आंटी के गाल को पीछे से चूमते हुए उसकी गांड़ में धमाचौकड़ी मचाने लगा। लक्ष्मी आंटी की उंगलियां मुझे चूत के परदे से महसूस हो रही थी। लक्ष्मी आंटी की उत्तेजना में बहते हुए मैंने जैसे तैसे अपने आप को लक्ष्मी आंटी के झडने तक रोके रखा। लक्ष्मी आंटी ने झड़ते हुए अपनी गांड़ को भींच लिया और मेरा लौड़ा अपनी गांड़ में बन्द कर दिया। लक्ष्मी आंटी के छूट ते ही मेरा बांध टूटा और मेरे वीर्य की धार से लक्ष्मी आंटी की गांड़ रंग दी गई।

"आह… हा… हा… आ…ह। बड़े वो हो सन्नी बाबू!!," लक्ष्मी आंटी ने अपनी उंगलियों को मेरे बालों में फेरते हुए मुझे डांटा।

प्रतीक ने आगे बढ़कर लक्ष्मी आंटी का माथा चूमा और मैंने पति पत्नी को उनकी जगह देते हुए अपना लौड़ा लक्ष्मी आंटी की गरमी में से बाहर खींच लिया।

"आप को बुरा लगा?" लक्ष्मी आंटी ने डरते हुए प्रतीक से पूछा।

"जान जिस बात से तुम्हें इतनी खुशी मिले उस से में बुरा क्यों मान लूं?" प्रतीक ने लक्ष्मी आंटी को चूमते हुए कहा।

विक्की का लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था और पत्नी को चुदा हुआ पा कर पति कि खुशी देख मेरे लौड़े में भी तकद भर गई। हम दोनों के खड़े लौड़े देख लक्ष्मी आंटी ने शर्माकर मुस्कुराते हुए प्रतीक से कहा,
"अगर मैं इन दोनों को पहले सुला दूं तो चलेगा?"

प्रतीक बस सर हिलाकर हां बोल पाया। लक्ष्मी आंटी ने मुझे बेड पर लिटाकर मेरा लौड़ा अपनी जीभ से चाट कर साफ़ करने लगी। जब मेरा लौड़ा फूल गया तब विक्की ने पीछे से लक्ष्मी आंटी की चूत में अपना मूसल ठूंस दिया।
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"मां… आह…", लक्ष्मी आंटी ने अपनी आवाज को दबाने के लिए मेरा लौड़ा निगल लिया। थोड़ी देर में ही मैं पूरी तरह तयार हो गया और विक्की लक्ष्मी आंटी को पीछे से दनदनाते हुए चोद रहा था। लक्ष्मी आंटी ने अचानक आगे बढ़ ते हुए मेरे ऊपर लेट गई जिस से विक्की का लौड़ा सुना रह गया। लक्ष्मी आंटी ने अपनी उंगलियों से अपनी बहती योनि को खोल दिया और मेरे लौड़े का सुपारा उपर घुमाने लगी। जब मेरे सुपाड़े को रस में अच्छे से धोया गया तब लक्ष्मी आंटी मेरे लौड़े पर बैठ गई।

"आह… आ… हा… हा… अन्ह… अम्मम… आह!!", लक्ष्मी आंटी ने मुझे अपनी गरमी सही जगह रख कर नीचे झुक गई और अपनी चूची को मेरे मुंह पर रखा। इतना इशारा मेरे लिए काफी था। मैंने लक्ष्मी आंटी की चूची को चूसने में पूरा ध्यान लगा दिया।

लक्ष्मी आंटी ने उदास खड़े विक्की को पीछे मुड़ कर देखा और अपनी गांड़ पर हलके से थप्पड़ लगते हुए कहा,
"विक्की बाबू, अब और कितना इंतजार करोगे? आओ अपनी लक्ष्मी आंटी को प्यार करने।"

विक्की खुशी से ऐसे कूद पड़ा की सीधे लौड़ा लक्ष्मी आंटी की गांड़ में भरकर ही रुका।

"मां!!… आह… उफ्फ… बाबू प्यार करने को कहा था पेल देने को नहीं!……", लक्ष्मी आंटी ने शिकायत की।

हम दोनों ने लक्ष्मी आंटी के दोनों छेद अपने लौड़े से पूरी तरह भर दिए पर रुक कर उसे अपनी लय पकड़ने दी। कुछ पल बाद लक्ष्मी आंटी ने आगे बढ़कर हमारे लौड़े अपने अंदर से सुपाड़े तक बाहर निकलने दिए और फिर धीरे से हमारे लौड़ों पर अपनी गांड़ दबाते हुए बैठ गई। प्रतीक फटी आंखों से देख रहा था कैसे लक्ष्मी आंटी अपनी कमर हिलाते हुए दो लौड़ों से अपनी चूत और गांड़ एक साथ मरवा रही है।

कुछ देर तक ऐसे ही अपनी मरवाते हुए लक्ष्मी आंटी ने अपनी लय पकड़ ली और प्रतीक की ओर देखते हुए कहा,
"जी सुनिए! आप ने कहा कि आप को बुरा नहीं लगता इस लिए मैंने बाबुओं को लिया है। पर आप ऐसे दूर बैठ कर देखते हुए मुझे अच्छा नहीं लगता। इधर आइए।"

प्रतीक ने आगे बढ़कर लक्ष्मी आंटी को चूमा। लक्ष्मी आंटी ने अपनी लय बदले बगैर प्रतीक से चुम्बन लिया और अब उसे खींच कर बेड के सिरहाने अपने मुंह के पास खड़ा कर दिया। प्रतीक अपने साथ क्या हो रहा है यह समझने से पहले ही हमारे खेल में शामिल हो गया था।
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