मुझे उसकी बातो से और भी गुस्सा आ गया और मेंने उस लड़के के पेट में ज़ोर से घुसा मार दिया ...
तभी पीछे से उसका दोस्त आ जाता है और मुझे पीछे से पकड़ लेता है ...
मगर में उसको ऐसा दाँव मारता हूँ वो लड़का चारो खाने चित हो जाता है ...
डॉली... ओह्ह्ह वूओव पापा आप तो बॉक्सिंग भी करते थे..फिर क्या हुआ
पंकज.. फिर पहले वाला लड़का पीछे से आकर मेरे ऊपर चाकू से हमला कर देता है ...
डॉली... ऊहह गॉड कुत्ता कमीना पीछे से वार करता है ...
फिर क्या हुआ पापा
उसके बाद मुझे हॉस्पिटल में होश आया था ..
रानी भी वही थी उसकी नम आँखे देखकर लग रहा था..मेरी चोट का दर्द मुझसे ज़्यादा उसे हो रहा था ...
डॉली... पापा जब आप हॉस्पिटल में थे घर के सभी लोग भी वही पर होंगे रानी वहाँ कैसे..
पापा ये रानी कौन थी
पंकज.. बेटा बस रानी के बारे में तुझे नही बता सकता ..
डॉली... अच्छा पापा फिर क्या हुआ
पंकज.. उसके बाद तो रानी मेरी ऐसी दीवानी हो गई थी जब तक मुझे ना देख ले कुछ भी नही खाती थी ....
डॉली.. अच्छा पापा ये तो बताओ क्या रानी आपके साथ ही रहती थी ...
पंकज.. हा बेटा हम साथ ही रहते साथ ही खाते पीते ...
डॉली को समझ नही आ रहा था पापा रानी के साथ साथ रहते ..आख़िर ये रानी कौन थी ..
डॉली.. फिर क्या हुआ पापा आप दोनो में इतना प्यार इतना विश्वास जेसे एक दूजे के लिए ही बने हो.. फिर आपका प्यार अधूरा कैसे रह गया .....
पंकज.. बेटा ये प्यार अधूरा तो रहना ही था रानी के लिए रिश्ते जो आने लगे थे ..
रानी ने कितने ही रिश्ते ठुकरा दिए मगर
रानी के रिश्ते ठुकराने से पापा का गुस्सा बढ़ता जा रहा था आख़िर पापा की ज़िद के आगे रानी को झुकना पड़ा .. और रानी ने शादी के लिए हा कर दी .... रानी की शादी के साथ ही हमारे प्यार की चिता भी जल जाती है ...
बिदाई के वक़्त उसकी आँखो से जो आँसू निकल रहे थे वो बाबुल से बिछड़ने की जगह हमारे प्यार की चिता जलने के अनसो थे ...
डॉली... उफफफफ्फ़ पापा मेरी तो कुछ समझ नही आ रहा आपके सामने रानी की शादी हो जाती है और आप बिना कुछ कहे देखते रहते है .
पंकज..में मजबूर था बेटा
डॉली..ऐसी क्या मजबूरी थी पापा ...
पंकज..में नही बता सकता डॉली बेटा ..
डॉली.. आपको मेरी कसम पापा बताओ
ये रानी कौन थी ...
Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
excellent story, update please.
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Re: Incest परिवार मे प्यार बेशुमार
.अपडेट.. 42...
पंकज... बेटा मुझसे कसम खाने को मना कर ती है और खुद मुझे कसम दे रही है ..
डॉली... पापा आपने भी तो मुझे इतने सस्पेंस में डाल दिया अब प्लीज़ बता दीजिए मुझसे रहा नही जायगा ...
पंकज ... और अगर मेंने तुझे रानी के बारे में बता दिया तो शायद में तुझसे नज़र नही मिला पाउन्गा ...
डॉली... ओह्ह्ह गुड आप फिर से मुझे सस्पेंस दे रहे है.. अब चाहे कुछ भी हो मुझे आप रानी के बारे में बताओगे..
डॉली पापा पर अपना हक़ सा जताते हुए ...
पंकज... तेरी ज़िद के कारण बता रहा हूँ
मगर मेरा ये राज सिर्फ़ तुझ तक रहेगा प्लीज़ किसी को मत बताना ...
डॉली ... आप मुझपर भरोसा रखिए पापा आपका राज मेरे सीन में महफूज रहेगा ...
पंकज को लगता है डॉली को बताने में कोई हर्ज नही है आख़िर डॉली मेरी बेटी ही तो है ...
पंकज...तो सुन बेटा ...
डॉली भी अपनी सांस रोके रानी का नाम सुनने को बेताब थी ...
पंकज... में जिससे प्यार करता था वो और कोई नही तेरी बुआ यानी रेणुका दीदी थी ...
ये सुनते ही डॉली को ज़ोर का झटका लगता है और डॉली की आँखे खुली की खुली रह जाती है ....
.
डॉली ..... क्याआआआआआअ आप्प्प और बुआ
ऊओह मयययी गूऊद्ददड ...
डॉली को तो पहले ही मम्मी और मामा के संबंध से झटका लग चुका था ..
अब एक और झटका उसके पापा ने दे दिया था..
डॉली के तो पैरों तले ज़मीन खिसक गई थी ..
मम्मी के संबंध देख डॉली को लगा था.. एक पापा ही है जिनके गले लग कर रो सकु मगर पापा भी मम्मी जेसे ही निकले ....
कमरे में बिल्कुल खामोशी चाय थी ..
ना पापा ही कुछ बोल रहे थे और ना डॉली ही कुछ बोल रही थी ....
शायद पापा को भी लगने लगा था डॉली को अपना राज बताकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी ... इसलिए पापा खामोश थे ...
काफ़ी देर बाद खामोश रहने के बाद डॉली को लगता है पापा शर्मिंदा हो रहे है.. मेरे फोर्स करने पर ही तो बताया था पापा ने ..
और ये सोचकर ही डॉली खामोशी तोड़ती है ...
डॉली .. पापा आपको बुआ से ही प्यार क्यूँ हुआ था ...
पंकज... इस बात का में क्या जवाब दूँ..
बस एक गाना सुनता हूँ ...
प्यार किया नही जाता हो जाता है
दिल दिया नही जाता खो जाता है ...
डॉली... उफफफ्फ़ पापा क्या रेणुका बुआ भी आपको इतना ही प्यार करती थी ...
पंकज... शायद मुझसे भी ज़्यादा ...
डॉली... किस हद तक चाहती थी वो आपको .
डॉली जाने अपने पापा से क्या सुनना चाह रही थी हर सवाल के बाद एक और सवाल पूछने लगती थी ...
पंकज..प्यार में कोई हद नही होती
डॉली ... ओह्ह्ह गुड यानी आप दोनो सारी हद पर कर चुके थे.. ये जानते हुए भी की आप दोनो में रिस्ता क्या है ...
पंकज फिर से खामोश हो जाता है.. शायद डॉली ने रिश्ते की बात जो कर दी थी ....
डॉली.. अच्छा पापा एक लास्ट सवाल और पूछती हूँ..
क्या शादी के बाद भी आप दोनो ने हद परकरने की कोशिश की..
पंकज... नही बेटा शादी के बाद में तेरी कसम खाकर कह सकता हूँ मेंने तेरी मा के अलावा.. हद पार करना तो दूर किसी को उस नज़र से देखा भी नही ......
पापा के इस जवाब से डॉली को बड़ा सकूँ सा मिलता है. उसकी नज़र में अपने पापा फिर से बेस्ट पापा लगने लगते है ...
और डॉली अपने पापा की तरफ देखकर मुस्कुरा जाती है .. जेसे उससे अपने पापा की बातो से अब कोई शिक़वा शिक़ायत नही थी ...
डॉली को मुस्कुराते हुए देखकर पंकज भी मुस्कुरा जाता है जेसे अब सबकुछ पहले जेसा नॉर्मल हो गया हो ....
पंकज... डॉली बेटा हमे यहाँ काफ़ी देर हो गई अब चलना चाहिए ..
शायद ट्रेन भी आने वाली होगी ...
डॉली एक बार फिर मुस्कुरा कर ...
चलिए पापा
और दोनो स्टेशन पहुचते है तभी नोएडा जाने वाली ट्रेन भी आ जाती है ..
डॉली अपने पापा के साथ नोएडा आ जाती है...
रात के लगभग 11 बज चुके थे घर का गेट राज खोलता है.....
राज पापा और डॉली को ही देखकर पूछता है
मम्मी नही आई ..
पंकज..बेटा तेरी नानी की तबीयत अभी ठीक नही है इसलिए उन्ही के पास रुक गई ...
राज ... ओह
डॉली राज से पूछती है
डॉली.. राज ज्योति सो गई क्या बड़ी भूक लगी है कुछ खाने को होगा..
राज .. दीदी ज्योति तो जाने कब की सो गई है
खाने में उसने राजमा चावल बनाए थे...
डॉली अपने पापा से कहती है ..
डॉली... पापा आप फ्रेश हो जाइए तब तक में खाना गरम कर देती हूँ ...
और पापा फ्रेश होने के लिए अपने रूम में चले जाते है ...
तभी राज अपनी दीदी से कहता है ...
राज ... दीदी आप भी फ्रेश हो जाइए आपके लिए खाना में गरम कर देता हूँ .....
डॉली को राज पर बड़ा प्यार सा आ जाता है और
डॉली राज के गाल पकड़ कर
डॉली... ओह्ह्ह सच मेरा भाई कितना अच्छा है मेरा इतना ख़याल रखता है ...
और डॉली मुस्कुराती हुई फ्रेश होने चली जाती है ... ....
पहले मम्मी फिर पापा का राज जानकर
डॉली के दिल में भी राज के प्यार की चिंगारी
सुलगने लगी थी .......
पंकज... बेटा मुझसे कसम खाने को मना कर ती है और खुद मुझे कसम दे रही है ..
डॉली... पापा आपने भी तो मुझे इतने सस्पेंस में डाल दिया अब प्लीज़ बता दीजिए मुझसे रहा नही जायगा ...
पंकज ... और अगर मेंने तुझे रानी के बारे में बता दिया तो शायद में तुझसे नज़र नही मिला पाउन्गा ...
डॉली... ओह्ह्ह गुड आप फिर से मुझे सस्पेंस दे रहे है.. अब चाहे कुछ भी हो मुझे आप रानी के बारे में बताओगे..
डॉली पापा पर अपना हक़ सा जताते हुए ...
पंकज... तेरी ज़िद के कारण बता रहा हूँ
मगर मेरा ये राज सिर्फ़ तुझ तक रहेगा प्लीज़ किसी को मत बताना ...
डॉली ... आप मुझपर भरोसा रखिए पापा आपका राज मेरे सीन में महफूज रहेगा ...
पंकज को लगता है डॉली को बताने में कोई हर्ज नही है आख़िर डॉली मेरी बेटी ही तो है ...
पंकज...तो सुन बेटा ...
डॉली भी अपनी सांस रोके रानी का नाम सुनने को बेताब थी ...
पंकज... में जिससे प्यार करता था वो और कोई नही तेरी बुआ यानी रेणुका दीदी थी ...
ये सुनते ही डॉली को ज़ोर का झटका लगता है और डॉली की आँखे खुली की खुली रह जाती है ....
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डॉली ..... क्याआआआआआअ आप्प्प और बुआ
ऊओह मयययी गूऊद्ददड ...
डॉली को तो पहले ही मम्मी और मामा के संबंध से झटका लग चुका था ..
अब एक और झटका उसके पापा ने दे दिया था..
डॉली के तो पैरों तले ज़मीन खिसक गई थी ..
मम्मी के संबंध देख डॉली को लगा था.. एक पापा ही है जिनके गले लग कर रो सकु मगर पापा भी मम्मी जेसे ही निकले ....
कमरे में बिल्कुल खामोशी चाय थी ..
ना पापा ही कुछ बोल रहे थे और ना डॉली ही कुछ बोल रही थी ....
शायद पापा को भी लगने लगा था डॉली को अपना राज बताकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी ... इसलिए पापा खामोश थे ...
काफ़ी देर बाद खामोश रहने के बाद डॉली को लगता है पापा शर्मिंदा हो रहे है.. मेरे फोर्स करने पर ही तो बताया था पापा ने ..
और ये सोचकर ही डॉली खामोशी तोड़ती है ...
डॉली .. पापा आपको बुआ से ही प्यार क्यूँ हुआ था ...
पंकज... इस बात का में क्या जवाब दूँ..
बस एक गाना सुनता हूँ ...
प्यार किया नही जाता हो जाता है
दिल दिया नही जाता खो जाता है ...
डॉली... उफफफ्फ़ पापा क्या रेणुका बुआ भी आपको इतना ही प्यार करती थी ...
पंकज... शायद मुझसे भी ज़्यादा ...
डॉली... किस हद तक चाहती थी वो आपको .
डॉली जाने अपने पापा से क्या सुनना चाह रही थी हर सवाल के बाद एक और सवाल पूछने लगती थी ...
पंकज..प्यार में कोई हद नही होती
डॉली ... ओह्ह्ह गुड यानी आप दोनो सारी हद पर कर चुके थे.. ये जानते हुए भी की आप दोनो में रिस्ता क्या है ...
पंकज फिर से खामोश हो जाता है.. शायद डॉली ने रिश्ते की बात जो कर दी थी ....
डॉली.. अच्छा पापा एक लास्ट सवाल और पूछती हूँ..
क्या शादी के बाद भी आप दोनो ने हद परकरने की कोशिश की..
पंकज... नही बेटा शादी के बाद में तेरी कसम खाकर कह सकता हूँ मेंने तेरी मा के अलावा.. हद पार करना तो दूर किसी को उस नज़र से देखा भी नही ......
पापा के इस जवाब से डॉली को बड़ा सकूँ सा मिलता है. उसकी नज़र में अपने पापा फिर से बेस्ट पापा लगने लगते है ...
और डॉली अपने पापा की तरफ देखकर मुस्कुरा जाती है .. जेसे उससे अपने पापा की बातो से अब कोई शिक़वा शिक़ायत नही थी ...
डॉली को मुस्कुराते हुए देखकर पंकज भी मुस्कुरा जाता है जेसे अब सबकुछ पहले जेसा नॉर्मल हो गया हो ....
पंकज... डॉली बेटा हमे यहाँ काफ़ी देर हो गई अब चलना चाहिए ..
शायद ट्रेन भी आने वाली होगी ...
डॉली एक बार फिर मुस्कुरा कर ...
चलिए पापा
और दोनो स्टेशन पहुचते है तभी नोएडा जाने वाली ट्रेन भी आ जाती है ..
डॉली अपने पापा के साथ नोएडा आ जाती है...
रात के लगभग 11 बज चुके थे घर का गेट राज खोलता है.....
राज पापा और डॉली को ही देखकर पूछता है
मम्मी नही आई ..
पंकज..बेटा तेरी नानी की तबीयत अभी ठीक नही है इसलिए उन्ही के पास रुक गई ...
राज ... ओह
डॉली राज से पूछती है
डॉली.. राज ज्योति सो गई क्या बड़ी भूक लगी है कुछ खाने को होगा..
राज .. दीदी ज्योति तो जाने कब की सो गई है
खाने में उसने राजमा चावल बनाए थे...
डॉली अपने पापा से कहती है ..
डॉली... पापा आप फ्रेश हो जाइए तब तक में खाना गरम कर देती हूँ ...
और पापा फ्रेश होने के लिए अपने रूम में चले जाते है ...
तभी राज अपनी दीदी से कहता है ...
राज ... दीदी आप भी फ्रेश हो जाइए आपके लिए खाना में गरम कर देता हूँ .....
डॉली को राज पर बड़ा प्यार सा आ जाता है और
डॉली राज के गाल पकड़ कर
डॉली... ओह्ह्ह सच मेरा भाई कितना अच्छा है मेरा इतना ख़याल रखता है ...
और डॉली मुस्कुराती हुई फ्रेश होने चली जाती है ... ....
पहले मम्मी फिर पापा का राज जानकर
डॉली के दिल में भी राज के प्यार की चिंगारी
सुलगने लगी थी .......
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete