वो लाल बॅग वाली

Post Reply
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

वो वापिस रूम मैं आया और रागिनी को मोबाइल लगाने के लिए अपना मोबाइल ओन किया जो उसने मेले वाले कांड के बाद से ऑफ कर रखा था | मोबाइल ओन हुआ और अविश्वास से उसकी आँखे मोबाइल की स्क्रीन पर जम गई, उसने देखा मोबाइल पूरी तरह से खाली था, रागिनी की एक मात्र पिक्चर सहित सारी पिक्चर मोबाइल में नहीं थी, न कोई कांटेक्ट नम्बर, न कोई विडियो पूरी तरह से ब्लेंक मोबाइल |

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और उसका ध्यान टुटा उसने दरवाजा खोला – सामने तन्यल खड़ा था |
वो दोनों एक दुसरे को देख रहे थे |

पुलिस स्टेशन में तन्यल पाचवी बार मयूर से पूछ रहा था –

वो लडकी कौन थी, कहा से आई थी ?

मुझे नही मालूम |

उसके हाथ में पिस्तौल कहा से आई थी ?

मुझे नही मालूम |

वो दोनों गुंडे कौन थे, वो उस लडकी को क्यों मारना चाहते थे ?

मुझे नहीं मालूम |

तुमने पुलिस से भागने में उसकी मदद क्यों की ?

क्योकि में उस लडकी से प्यार करता हूँ |

बकवास मत करो – तन्यल गुराया – तुम नही जानते हो तुम किस मुसीबत मैं हो, अगर मेरी खोपड़ी बिगड़ गई तो तुमसे तोते की तरह सब उगलवा लूँगा, उस लडकी को बचा कर तुमको कुछ नही मिलने वाला है, अगर तुमने पुलिस की मदद की तो मैं तुमको सरकारी गवाह बना कर बरी करवा दूंगा |

मयूर ने बैचेनी से पहलू बदला और कहा – जो सवाल आप पूछ रहे है उनका जवाब मुझे भी नही मालूम मैं खुद विचित्र स्थिति मैं फसा हु |

तन्यल ने कहा – तुमको मालूम है, मैंने हर उस जगह पर तलाश करवाया जहा तुम दोनों गये थे, पर किसी भी जगह उस लडकी का एक भी फोटो नही है, न कोई उसे जनता है न कोई पता ठिकाना किसी को मालूम है, बाय गॉड मैंने अपनी जिन्दगी मैं ऐसा केस नही देखा, वो दोनों गुंडे भी गायब है, लडकी भी, पिस्तौल भी, कोई फोटो भी नहीं आश्चर्य !

मयूर ने कहा – उसने मुझे उसके बारे मैं कुछ नही बताया, आप मुझे जाने दीजिये, मैं केवल उस लडकी की मदद कर रहा था |

ऐसा नही हो सकता – तुम जितना भोला दिखने का प्रयास कर रहे हो वास्तव मैं हो नहीं, लगता है मुझे थर्ड डिग्री इस्तमाल करनी ही पड़ेगी – उसका चेहरा अब गुस्से से लाल हो रहा था |

वो उठा और उसने सिपाही को इशारा किया – सिपाही ने मयूर के कंधे पर हाथ रखा और कहा – चल

मयूर समझ गया अब क्या होने वाला है, उसने सिपाही का हाथ झटका और कहा – आप लोग मेरे साथ ऐसा बर्ताव नही कर सकते, मुझे एक फ़ोन कॉल करना है, और कानून मुझे एक फ़ोन कॉल करने की इजाजत देता है, मुझे अपने एडवोकेट को बुलाना है |


जवाब में जवान हंसा पर बोला कुछ नही |

जैसे ही मयूर ने जवान का हाथ अपने कंधे से झटका तन्यल की त्योरिया चढ़ गई, फिर बेइज्जती, ये लड़का मेरे थाने मैं ऐसे व्यवहार कर रहा है जैसे कोई फिल्म स्टार हो, उसने पास पड़ा डंडा उठाया और मयूर की तरफ बढ़ा |

मयूर ने अपनी सांसे रोक रखी थी उसे मालूम था अब ये मानेगा नही, तभी थाने के फ़ोन की घंटी बजी, दीवान जी ने फ़ोन उठाया, तब तक तन्यल डंडा लेकर मयूर के पास पहुच चूका था, दीवानजी ने कहा - सर कमिश्नर साहेब का फ़ोन है |

तन्यल – दूसरी तरफ से कमिश्नर की भारी भरकम आवाज गूंज उठी

जी सर – तन्यल सावधान की मुद्रा में आते हुए बोला |

तुमने आज सुबह एक लडके को अरेस्ट किया है, क्या नाम है उसका मयूर

जी सर – वो लड़का और उस लडकी ने ......

बकवास मत करो जो बोलता हु पहले उसे ध्यान से सुनो – मयूर सर से फ़ौरन माफ़ी मांगो और इज्जत के साथ उन्हें उनके घर तक छोड़ कर आओ |

आश्चर्य में पड़े तन्यल ने मयूर की दिशा मैं देखा – और बोला सर उसने मुझ पर हमला किया है – उसने सोचा था कोई लोकल नेता का प्रेशर होगा तभी कमिश्नर साहब इस लडके को छोड़ने का बोल रहे है |

तन्यल तुम मुर्ख हो क्या तुम्हारे पास उस लडके के खिलाफ कोई सबूत है, न तुम लडकी को पकड़ सके, न पिस्तौल जब्त कर सके, और तो और वो दोनों गुंडे भी भाग गये, तुम्हारे पास उन मेडम का एक फोटो भी नही है, क्या साबित करोगो कोर्ट में, तुम्हारी कहानी को मनघडनत बोलकर वकील तुम्हारी मजाक उड़ायेंगे |
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

तन्यल तुम मुर्ख हो क्या तुम्हारे पास उस लडके के खिलाफ कोई सबूत है, न तुम लडकी को पकड़ सके, न पिस्तौल जब्त कर सके, और तो और वो दोनों गुंडे भी भाग गये, तुम्हारे पास उन मेडम का एक फोटो भी नही है, क्या साबित करोगो कोर्ट में, तुम्हारी कहानी को मनघडनत बोलकर वकील तुम्हारी मजाक उड़ायेंगे |

तन्यल ने एक सेकंड सोचा और अनमन से बोला – ठीक है सर, मैं उसको छोड़ता हु |

और सुनो, मेरे ऊपर बहुत ऊपर से प्रेशर है, तुम्हारा ट्रांसफर लेह कर दिया गया है, अभी एक घंटे के अन्दर तुम्हे रिलीव आर्डर मिल जायेंगे, तुम आज अभी अपने डिप्टी को थाने का चार्ज दे दो |

तन्यल के पांव के निचे से जमीन खिसक गई, उसने कल्पना में अपने आप को लेह की बर्फीली हवाओ मैं एक थाने पर बैठा पाया जहा दूर दूर तक इन्सान का नामो निशान नही था |

उसने धीरे से रिसीवर वापस रखा और मयूर के पास आया कुछ देर उसको देखता रहा |

मयूर ने समझा वो फिर वही सवाल पूछेगा जो पिछले एक घंटे से पूछ रहा था उसने कहा – में आपको बता चूका हु मुझे नही मालूम वो लडकी कौन थी |

तन्यल ने उसकी और बड़ी दयनीय नजर से देखा और पूछा – भाई तुम कौन हो, मुझे माफ़ कर दो |

उधर दूर कही समुद्र के किनारे एक आलीशान रिसोर्ट मैं स्विमिंग सूट पहने एक लडकी अपने हाथ में लेमन कॉकटेल के गिलास का सिप कर रही थी, समुद्र की लहरें उसके पांव को छु कर जा रही थी, उसकी आखे बंद थी, वो कुछ सोच रही थी, तभी उसके पास रखे फ़ोन की घंटी बजी उसने फ़ोन उठाया और दूसरी तरफ से आवाज गूंजी – आपका आर्डर पूरा हो गया है मेडम, उस थाने के इन्चार्जे का ट्रान्सफर दूर लेह कर दिया गया है और वो लड़का भी आजाद हो गया है, अब उसको कोई परेशान नही करेगा |


उसने बोला – ठीक है और फ़ोन रख दिया

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

भाग 2

वो कौन थी ? कहा से आई थी ? और उसे अकेला छोड़कर कहा गायब हो गई थी ? वो गुंडे उसको क्यों मारना चाहते थे ?

क्या वो उन गुंडों के हाथ लग गई थी ? नहीं – अपने अँधेरे कमरे की खिड़की में से रोड पर देखते हुए मयूर ने सोचा – अगर वो गुंडे उसे ले जाते तो वो नोट नहीं छोडती, नोट छोड़ने का मतलब ही ये है की वो अपनी इच्छा से गई है

उसके हाथ में वो लाल बेग था जो वो थाने से ले आया था, तन्यल के अब वो किसी काम का नही था, उसने अपनी रिपोर्ट में कुछ इस तरह लिखा – मेले में झूले का केबिन गिरने से अफरा तफरी मची थी तभी मेरी नजर बाहर खड़ी एक लडकी पर गई, जिसके हाथ में रिवाल्वर थी, हमने उस लडकी को पकड़ने की रात भर कोशिश की पर वो नही मिली, असल में वो पुलिस से भाग ही नही रही थी, उसके हाथ में जो रिवाल्वर थी वो एक खिलौना पिस्तौल थी जो उसने मेले की एक दुकान से खरीदी थी, जो की गलत फहमी के कारण असली पिस्तौल समझ ली गई, अतः अब आगे इस ताफ्दिश को बढ़ाने का कोई फायेदा नहीं है |

एक फाइल तो निपट गई, उसके और रागिनी के खिलाफ अब पुलिस थाने में कोई केस नही था, और न ही पुलिस उन्हें तलाश कर रही थी, पर क्या मुझे रागिनी की तलाश करनी चाहिए– बैचेनी से उसने करवट ली और कुर्सी के पीछे सर टिका दिया, रागिनी तुम कहा हो |

बिना कुछ खाए पिए वो कुर्सी पर ही सो गया |

रात भर हो रही बारिश के बाद सुबह मौसम साफ था और हलकी धुप भी निकली गई थी, पर उसको अपने सवालों के जवाब नहीं मिल पाए थे |

क्या उसको उन सवालों के जवाब ढूंढने चाहिए ? – पर उसमे बहुत खतरा था – वो खतरों से नही डरता – उसने फिर सोचा और निश्चय किया – आखिर वो कौन थी, उसकी क्या मजबूरी थी जो वो मुझे इस तरह छोड़ कर चली गई, वो भी मुझे नहीं छोड़ना चाहती थी पर उसकी मजबूरी क्या थी ?

उसने बिस्तर छोड़ा करीने से शेव किया और शावर लिया, उसने चेहरे में देखा – उसे दो नीली आँखे और एक चार्मिंग चेहरा दिखाई दिया, ब्लू जींस और वाइट शर्ट पे क्लोंज का स्प्रे कर के वो घर से निकला अपनी महबूबा रागिनी की तलाश में क्या पता ये उसका असली नाम है या ये भी उसी की तरह नकली है – मुस्कुराते हुए उसने सोचा – फ़िलहाल उसके जीवन में एक ही लक्ष्य है नकली की असलियत पता करना |

उसकी गाड़ी यूनिवर्सल गर्ल्स हॉस्टल के बाहर जा कर रुकी, वो सीधे कदमो से चलता हुआ वार्डन के ऑफिस में पहुचा, उसने देखा वार्डन पिछले दिन वाली लडकी के साथ बैठी थी, उसने स्किन कलर की साड़ी पहनी थी जो उसकी नाभि दर्शा रही थी |

उसने सीधे वार्डन की आँखों में आँखे डाली और मुस्कुराते हुए बोला – हेल्लो

वार्डन ने सहमती से सर हिलाया, प्रश्न वाचक नजर से उसकी और देखा |

मैं रागिनी के बारे में पता करने आया हूँ, क्या आप मुझे बता सकती है वो इस समय कहा मिलेगी – उसने दूसरी बार वार्डन की आखो में आखे डाल कर अपना जादू चलाने की नाकाम कोशिश की पर वो उसमे कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी |

हम किसी अजनबी को अपने हॉस्टल की लडकियों की जानकारी नही देते सॉरी – और वो अपने काम में लग गई |

एक्चुली – उसने मुझसे कुछ रूपये उधार लिए थे – और एकाएक गायब हो गई, वो कहा की रहने वाली थी बस इतना जानना था ?

वार्डन ने मुस्करा कर कहा – सो सेड आपने बिना पता ठिकाना पूछे ही रूपये उधार दे दिए, अगली बार किसी लडकी को रूपये दो तो उसका पता पहले पूछ लेना |

वो निराश हो गया – इसे मुझमे कोई दिलचस्पी नही है, इतनी आसानी से बात बनने वाली नहीं है उसने कहा – ट्राय टू अंडरस्टैंड – मेरा उससे मिलना बहुत जरूरी है |

देखो मिस्टर – वार्डन ने सख्त होते हुए बोला – ये हॉस्टल के रूल के खिलाफ है और में रूल नही तोड़ सकती |

ओके थैंक्यू – बोलते हुए वो मुड़ा और तभी उसकी नजर वार्डन के पास बैठी लडकी पर पड़ी, और उसने उसकी आखो में आखे डाली, लडकी मुस्कुराई और उसके चेहरे पर भी एक कातिल मुस्कान उभर आई, दोनों मैं आखो में बात हुई – आशा की किरण उसने सोचा - मयूर ने अपना कार्ड लडकी की और बढाते हुए कहा अगर वो आये तो उसको ये कार्ड दे दीजियेगा |

लडकी ने कार्ड लिया और धीरे से दराज में डाल दिया |

हॉस्टल के दरवाजे पर जा कर मयूर ने मुड़ कर देखा लडकी एक टक उसे ही देखे जा रही थी, मछली कांटे में फंस चुकी थी, रागिनी तुम्हारे लिए मुझे किसी लडकी की भावनाओ से खेलना पड़ेगा – उसके मन से एक आह निकली |

उसने घर जा कर अपने मोबाइल की बेटरी फुल चार्ज की और साउंड फुल किया, उसे डर था कही हॉस्टल वाली लडकी उसको फ़ोन लगाये और वो चुक न जाये, पूरा एक दिन निकल गया लेकिन लडकी ने फ़ोन नही लगाया, अगले दिन सुबह उसके मोबाइल की घंटी बजी और उसने फुर्ती से मोबाइल उठाया – मयूर – किसी लडकी की खनकती हुए आवाज सुनाई दी |

यस मयूर और तुम हॉस्टल वाली लडकी बोल रही हो ऍम आई राईट ,

यस – हाउ आर यू –

बस तुम्हारे ही फ़ोन का इंतजार कर रहा था बेबी – मयूर ने अपना जाल डाला

दूसरी तरफ से ही ही की आवाज सुनाई दी – वो तुम्हारा कार्ड वार्डन ने रद्दी में डाल दिया था, मैंने बड़ी मुश्किल से ढूढा उसे |

थैंक्यू बेब्स – आज शाम क्या कर रही हो – उसने अपना जाल पूरी तरह से डाला

कुछ खास नही तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ?

में भी आज शाम को फ्री हु सोच रहा हु मेरिन ली होटल में डिनर करने चले तो कैसा रहेगा ?

डेट विल बी फाइन – शाम को मिलते है 8 बजे मेरिन ली होटल में – लडकी ने जवाब दिया

बाय सी यू और उसने फ़ोन कट कर दिया |

जैसे ही छोटा काटा 8 पर पहुचा मयूर मेरिन ली होटल के रेस्तरा में था |

वेटर ने उसको तुरंत पहचान लिए और एक टेबल की और इशारा किया |
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

वो एक बड़ा सा हॉल था जिसमे लकड़ी की कश्मीरी नक्काशी वाला फर्नीचर सजा हुआ था, हर टेबल के दोनों और बड़े बड़े मोटे गद्दे वाले सोफे लगे थे, उसने देखा मिस हॉस्टल पहले से ही वहां बैठी उसका इंतजार कर रही थी, उसके मुंह से एक सिटी निकल गयी |

मयूर ने लडकी को देखा और अपनी आखे उसकी आखो में डालते हुए अपनी भारी आवाज में कहाँ – हेल्लो बेबी, मुझे ज्यादा देर तो नही हुई ?

नही मैं ही जल्दी आ गई थी – बैचेन थी तुमसे मिलने को उसने मन ही मन कहा

आई ऍम सॉरी बेब – मैं तुमको यूज़ कर रहा हु पर और कोई रास्ता भी नहीं है – मयूर ने अपराध भाव से सोचा |

तो मिला तुमको उसका पता ?

मयूर ने अपने चेहरे पर कातिल मुस्कान लाते हुए कहाँ कहा – जाने दो उसको तुम अपनी बात करो, और उसने मेनू उठाया और वेटर को इशारा किया |

वेटर जानता था उसका स्थाई ग्राहक क्या आर्डर करेगा – क्रीम टोमेटो सूप, फिंगर चिप्स, बटर पनीर, ग्रीन सलाद, और वेज बिरियानी

लडकी ने सारी डीसेस देखी और कहा – तुमने मुझे क्या भैंस समझा है जो इतना सब खा जाउंगी - और हसने लगी |

दोनों ने चुपचाप अपना खाना खाया और खाना खत्म होने के बाद लडकी बोली – तुमने इतना लजीज खाना रिश्वत में खिलाया है तो तुम्हारी मदद तो करनी ही पड़ेगी, कल डेढ़ बजे हॉस्टल में आ जाना, उस समय वार्डन मेडम के लंच का समय होता है, तुम्हारे सामने ही रजिस्टर खोल कर रागिनी का पता दे दूंगी, उसका सारा समान परसों ही दो लोग आ कर ले गये थे और वार्डन बहुत खुश है क्योकि उन दोनों ने जमा 6 महीने का किराया भी वापिस नहीं माँगा था |

मयूर उसको अवाक् सा देख रहा था – उसने कहा मैंने तो तुम्हारा नाम भी नहीं पूछा, लेकिन थैंक यू वैरी मच तुम्हारी हेल्प के लिए, मैं तुम्हारे जज्बातों से नहीं खेलना चाहता था, तुमने मुझे बचा लिया |

मैंने तुम्हारी आखो में उसके लिए मोहब्बत पढ़ ली है मयूर, तुम पहले उसको ढूंढ लो अगर वो ना मिले तो मेरा नाम मोहिनी है |

अजीब सयोंग है रागिनी और मोहिनी – उसने सोचा
और एक बार फिर उसे थैंक्स बोला |

दोनों कार में बेठे और बस स्टैंड के सामने से गुजरे वहाँ पुलिस जीप में वो पुलिस वाले बैठे थे जिन्होंने उस रात मयूर का पिछा किया था, उन्होंने जैसे ही एक नई लडकी को उसके साथ देखा उन्होंने अपनी नजरे फ़ौरन निचे कर ली - ये फिर रात भर दुड्वायेगा और सुबह ट्रान्सफर करवा देगा |

अगले दिन मयूर एक बजकर पैतीस मिनिट पर हॉस्टल में पहुचा मोहिनी ने तुरंत रजिस्टर निकला और एक पन्ना खोल कर मयूर के आगे कर दिया – उसने देखा पता लिखा था

रागिनी रामदयाल शर्मा, 144, सिनेमा रोड, मुंबई, एक मोबाइल नो. भी लिखा था |

उसने दोनों अपने दिमाग में लिख लिए, अब वो ये दोनों कभी नहीं भूल सकता था |

उसने मोहिनी को थैंक यू कहा और पूछा - क्या तुम्हारे पास उसका कोई फोटो है ?

एक मिनिट लडकी ने कहा – उसके एडमिशन फार्म में जरुर उसका फोटो होगा |

उसने एक फाइल खोली जिसपर लिखा था एडमिशन फार्म |

उसने कुछ फार्म पलटे और उसमें से एक फार्म खीच कर निकल लिया, उसपर लिखा था – रागिनी शर्मा, 144, सिनेमा रोड, मुंबई

उन दोनों ने अविश्वास से देखा – फार्म पे से फोटो गायब था, किसी ने फोटो को खीच कर निकाल लिया था जिस कारण फोटो चिपकाने की जगह से कागज फट गया था |

क्या ये वार्डन मेडम का काम है ? उसने मोहिनी से पूछा

नही में दावे के साथ कह सकती हूँ ये वार्डन मेडम का काम नहीं है |

क्या यहाँ कोई सीसीटीवी कैमरा है ?

नहीं अभी तक इसकी यहाँ कोई जरूरत नहीं पड़ी |

उसके होठ गोल हुए और एक अजीब सी आवाज निकल पड़ी |

वो अपने घर पहुचा, सामान जमाया, अपना लैपटॉप निकल कर मुंबई की फ्लाइट का एक टीगीट बुक किया और अपनी माँ से बोला मैं मुंबई जा रहा हूँ |

उसकी माँ ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला और फिर कुछ सोच कर चुप हो गई |

दोपहर के 4 बजे वो मुंबई एअरपोर्ट से बाहर निकला, सीधी टैक्सी पकड़ी और बोला 144, सिनेमा रोड चलो |

टैक्सी मुंबई की बड़ी बड़ी इमारतो, मल्टीप्लेक्स, शोरूम्स को पीछे छोडती हुई एक जगह जा कर रुकी और ड्राईवर ने सामने इशारा करते हुए कहा – साहब ये पूरी रोड सिनेमा रोड है, इसके अन्दर कही 144 नम्बर होगा जो आपको ढूँढना पड़ेगा |

मयूर ने उसकी दिखाई ऊँगली की दिशा में देखा – सामने कई छोटी छोटी झोपडिया बनी थी, वो मुंबई का स्लम एरिया था, जिनको झोपड़ पट्टी बोलते है |

वो एक छोटी सी गली में घुसा और उसने एक छोटी सी किराना दुकान वाले से पूछा – रामदयाल शर्मा, 144 मकान नम्बर कहा आएगा ?

दुकानदार ने कहा – इस पुरे इलाके किसी भी मकान का कोई नम्बर नही है, हर गली में कई गलिया है, और कई इलाके के अपने अपने नाम है, यहाँ कम से कम 50 ऐसे मकान होंगे जिनके नम्बर 144 होंगे |

वो आगे बढ़ा, एक गली में से निकल कर दूसरी गली, दूसरी से तीसरी, उनसे जुडी कई सकरी गलिया कई बार घूम कर वही आ गया जहाँ वो अभी घूम कर निकला था |

उसने कई जगह लोगो को पूछा – रामदयाल शर्मा, 144, सिनेमा रोड ?

सबने अनभिज्ञता से अपने कंधे उचका दिये, कुछ ने इधर उधर इशारा किया |

वो थक कर एक चाय की छोटी सी गुमटी के पास पड़ी छोटी सी टेबल पर बैठ गया |

तभी एक बेवडा सा दिखने वाला आदमी आया और उसने पूछा – किसे ढूंढ रहे हो ?

मयूर ने पता दोहरा दिया, और आशाभरी नजरो से उस शराब के नशे में झूम रहे आदमी को देखा |

आओ मेरे साथ – उसने कहा और एक गली में घुस गया, मयूर भी उसके पीछे पीछे हो लिया कुछ छोटी बड़ी गलिया पार करने के बाद वो आदमी उसको एक दुकान नुमा ऑफिस के बाहर ले गया और बोला – ये यहाँ के कोर्पोरेटर का ऑफिस है, इनको सब मालूम है कौन कहा रहता है, मुझे 100 रूपये दो, तो तुम्हारी बात करवाता हु उनसे |

मयूर ने उसको 100 का नोट दिया और वो ऑफिस के अन्दर घुस गया |
Post Reply