Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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Masoom
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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मैं अब तब बस रोने वाला था, मेरे गले से आवाज़ भी नही निकल रही थी , मेरी भाभी मेरे बारे मे ऐसा कैसे सोच सकती है मुझे बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था ..


“मुझे माफ़ कर दे बाबू, मैं ऐसा नही सोच सकती बस मेरे मूह से निकल गया ये , माफ़ कर दे बाबू “


उन्होने मुझे मनाने के एवज मे मेरे चेहरे को चूमना शुरू कर दिया था , उनके लार से मेरे गाल गीले होने लगे थे ..


भाभी के प्यार से मेरा भी गुस्सा काफूर हो चुका था लेकिन अब गुस्से की आक्टिंग करने मे भी मुझे मज़ा आ रहा था, भाभी मेरी बातों से थोड़ी घबरा गयी थी और मुझे मना रही थी ,मैने रूठा रहना ही सही समझा ..


“आप मुझे अपना नही समझती वरना ऐसी बात नही करती “


मेरी बात से भाभी की आँखो मे भी आँसू आ गये


“तेरे सिवा मेरा अपना कौन है बाबू , जब घर से निकली थी तो तूने ही तो साथ दिया मेरा , पूरी दुनिया ने मुझे ठुकुरा दिया लेकिन तू मेरे साथ रहा.. मुझे माफ़ कर दे बाबू मुझे माफ़ कर दे “


वो रोते हुए मेरे कंधे मे झूल गयी , अब ये थोड़ा ज़्यादा होने लगा था मैने जल्दी से भाभी को उठाया और उसके चेहरे को देखने लगा ..


उनका चेहरा आँसुओ से पूरी तरह से भीग चुका था , मैने अपने होंठ से उसे सॉफ करना शुरू कर दिया, मैने उनके आँखो पर अपने होठों को रख दिया, उन्होने भी अपनी आँखे बंद कर ली थी , उनके आँखो से धुलते हुए आँसुओ को मैं अपने होठों मे समा रहा था ..


मेरे होंठ उनके गालो से होते हुए उनके होंठ तक पहुच गये और मैने हल्के से उन्हे चूम लिया ..वो भी सिहर गयी थी और मेरे अंदर भी कुछ हो गया था .. लेकिन हम दोनो ही एक दूसरे से अलग नही हुए , मैने उन्हे चेहरे के नीचे उनकी ठोडी को भी चूमा और नीचे उनके गले मे अपने होठों को लगा दिया ..


“हुउम्म्म्म” भाभी के मूह से एक सिसकी सी निकल गयी


मैं भी उत्तेजित होने लगा था , मैं भाभी को बहुत प्यार करना चाहता था और मैने उनके होठों को फिर से अपने होठों से लगा लिया , इस बार उन्होने अपना चेहरा दूसरी ओर फेर दिया और आँखे खोलकर मुझे देखने लगी …


अब उनके आँखो से कोई आँसू नही बह रहे थे लेकिन सूखे हुए आँसुओ की बूंदे अभी भी थोड़ी नमी का कारण बन रही थी ..


उनकी बड़ी बड़ी आँखे थोड़ी लाल थी और उसमे खेलती हुई वो काली पुतलिया मुझ पर ही गड़ी हुई थी .. शायद भाभी भी समझने की कोशिस कर रही थी की मैं क्या चाहता हू लेकिन ये तो मुझे भी नही पता था , हम दोनो ही एक दूसरे के आँखो मे देखते रहे और मैं फिर से झुका और इस बार भी भाभी के होठों के उपरी फांको को अपने होठों मे भर लिया ..


मैं उसे हल्के हल्के चूसने लगा था , भाभी ने मुझे नही हटाया और मेरे होंठ थोड़े से और भी शरारती हो गये , वो भाभी के निचले होठों मे जा लगे … चुम्मन थोड़ा और भी मादक होने लगा था की मेरा जीभ सीधे ही भाभी के मूह मे चला गया और यही वो समय था जब अचानक ही जैसे भाभी को होश आया हो मुझसे अलग हो गयी ..


उनकी नज़रे झुकी हुई थी लेकिन मैं उन्हे ही देख रहा था ,


“बाबू चलो सोते है “


उन्होने कुछ भी नही कहा और बिस्तर मे जाकर लेट गयी , वही मेरे आँखो से तो जैसे नींद ही गायब हो गयी थी , मैं भाभी से बात करना चाहता था , उन्हे अपनी बाँहो मे समा कर सोना चाहता था लेकिन जैसे भाभी मुझसे नज़र छुपा रही थी मैं कुछ अजीब हरकत करके उन्हे खोना नही चाहता था ………….
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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(^%$^-1rs((7)
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rockkeysingh
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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दूसरे पोस्ट पर भी ध्यान दीजिए
Masoom
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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कॉलेज पहुचने के बाद मुझे समझ नही आ रहा था की मैं सुस के बारे मे कुछ बात करू या नही, आख़िर अज्जु ने पूछ ही लिया


"तो सुस तुझे अपने पिता से मिलवाने ले गयी थी ना? क्या हुआ…"


अब मैं उसे क्या बताता


"हुम्म उसके पापा से मिला … उन्होंने मुझे सुस का बॉडीगार्ड बना दिया है और साथ ही उसके घर मे भी रहने के लिए कहा है"


लेकिन मेरे चेहरे के भाव जैसे अज्जु से छिपे नही रह सके


"कोई और बात भी है क्या ?"


अज्जु मेरे चेहरे को घूर रहा था जिससे मुझे थोड़ी असहजता का आभास हुआ


"नही यार"


अज्जु ने उस समय तो कुछ नही कहा और बात आई गयी हो गयी…


"तो कल से स्नेहा मेडम के पास ट्यूशन शुरू करना है .."


नेहा बोल उठी थी ,वही अक्की का चेहरा लाल हो चुका था


हम सभी के होठों पर मुस्कान आ गयी..


"हा भाई याद है हमारे अक्की भाई की भी सेट्टिंग करवानी पड़ेगी"


और मैं भी हंस पड़ा,लेकिन अक्की का चेहरा थोड़ा सा मुरझा गया था..


"यार लगता है उनका तो पहले से ही सिर के साथ सेट्टिंग है...लगता है मेरा प्यार तो बस एकतरफ़ा ही रह जाएगा .."


अक्की के चेहरे मे आई ये उदासी मुझे अच्छी नही लगी..


"अबे अभी कैसे बोल सकता है की मेडम की सेट्टिंग होगी ही,हो सकता की वो महज दोस्त हो, जैसे तू और नेहा इतने अच्छे दोस्त हो अब कोई ग़लत समझ जाए तो क्या कर सकते है"


मेरी बात सुनकर जैसे अक्की की आँखो मे एक चमक आ गयी


"हा ये भी हो सकता है दोनो दोस्त ही होंगे "


अक्की की चाहत देखकर नेहा ने उसके माथे पर एक हल्की सी चपत लगा दी..


"पगलू कही का "


हम सभी के चहरे खिल चुके थे लेकिन अज्जु अभी भी मुझे अजीब निगाहो से देख रहा था…




***********




"बता बात क्या है,क्या बोला सुस ने तुझे, कुछ उल्टा सीधा किया होगा ना तो उसकी खैर नही है"


कॉलेज ख़त्म होने के बाद अज्जु ने मुझे अकेले मे बुला लिया था ,उसने अभी अभी एक सिगरेट जलाई और मेरे ओर बढ़ा दिया ..


मुझे समझ नही आ रहा था की मैं इसे कैसे बताऊ..


"अबे बोल ना ,मूह मे ताला लगा कर क्यो रखा है अब"


"यार वो बड़ी अजीब सी बात हुई कल ,बस भाई इसे अपने तक ही रखना किसी से कहना मत.."


और मैं उसे सब सच सच बताते गया ,वो कभी चौक्ता तो कभी हंस पड़ता था ,तो कभी गंभीर हो जाता था,मैने उसे ये भी बताया की भाभी सुस के दिए अपार्टमेंट मे नही जाना चाहती…


"ह्म तो तूने क्या फ़ैसला किया सुस को लेकर.."


यार मेरे दिमाग़ मे भी नही आया ये सब ,मुझे नही लगता की मुझे सुस से प्यार हो सकता है


..


"अच्छा ...और नेहा से"


मैं नेहा का नाम सुनकर चौक गया


"अब नेहा बीच मे कैसे आ गयी"


वो हल्के से हंस पड़ा


"साले तुझे क्या लगता है की हम लोग अंधे है, नेहा की आँखो मे तेरे लिए प्यार साफ साफ दिखता है ,भाई नेहा बहुत अच्छी लड़की है ... अगर तुझे सुस और नेहा के बीच चुनना पड़े तो मैं चाहूँगा की तू नेहा का साथ दे…"


नेहा और सुस , जैसे एक रस्सी के दो किनारे थे एक दूसरे से बिल्कुल ही अलग… जहाँ नेहा हल्की बयार (ठंडी हवा) थी तो सुस किसी तूफान की तरह .. नेहा किसी खिले हुए फुलो की खुसबु सी थी तो सुस जैसे इतरा का तीखा पन लिए..
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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नेहा का शरमाना उसकी जान थी तो सुस की स्वच्छंदता उसका गौरव था…


मेरे चेहरे मे टेन्षन साफ साफ दिखाने लगा था …


"अबे टेन्षन छोड़ तुझे जिससे प्यार हो जाए उससे प्यार करना , प्यार कोई ऐसी चीज़ तो नही ना जिसे ज़बरदस्ती करवाया जा सके ...बस एक चीज़ का ध्यान रखना रिलेशन्षिप मे कभी भी झूठ ना बोलना ...किसी का दिल ना तोड़ना ...दोनो ही अच्छी लड़किया है दोनो का ही दिल साफ है "


मैने उसकी बात पर सहमति मे सर हिलाया


"चल अब ये ट्राइ कर "


उसने अपने जेब से एक दूसरा सिगरेट निकाला जो की उपर से मुड़ा हुआ था..


"अबे ये क्या है"


वो हल्के से मुस्कुराया..


"बेहतरीन माल है भाई बाहर से मँगवाया है ,ट्राइ कर"


उसकी खुसबु कुछ अजीब ही थी ये तंबाखू तो नही था…


मैने उसे जलाया और पहला कश लगाया …


ऐसा लगा जैसे पूरा गला ही जल गया हो,उसका धुआ बड़ा ही तेज था ,मैं जोरो से खांसने लगा था ...मुझे देख कर अज्जु जोरो से हंस पड़ा ..


"अबे देख इसे ऐसे पीते है"उसने गहरा कस लिया और धुवे को थोड़ी देर तक अंदर रहने दिया और फिर पूरा धुआ छोड़ दिया ,धुवे के साथ साथ ही एक तीखी सी गंध पूरे महॉल मे फैल गयी थी…


उसने सिगरेट मुझे थमा दिया ..


मैने भी एक गहरा कस लिया ,अब मैं तैयार था दो गहरे कस लगाने के बाद ही मेरा शरीर गर्म होने लगा था.. हम दोनो ने मिलकर आख़िर इसे ख़त्म कर दिया..


पूरा शरीर गर्म हो चुका था ऐसा लगा जैसे मैं किसी और ही दुनिया मे खो गया हू,एक मदहोशी सी फैल गयी थी, सब कुछ थोड़ा अजीब सा लग रहा था बहुत ही मज़ा आ रहा था ...सब कुछ रंगीन हो जाता कभी ऐसा लगता जैसे मई किसी कॉमिक्स की दुनिया मे आ गया हू...ऐसे ही हालत मे मैं कब घर पहुच गया पता भी नही चला…


कमरे मे जाते ही मैं धडाम से बिस्तर मे गिर गया , सामने जैसा पूरा ब्राम्‍हांड ही नाच रहा हो , मैं जहाँ भी ध्यान लगाता मुझे ऐसा लगता जैसे मैं उसी मे खो सा गया हू , पंखे की टक टक की आवाज़ मेरे कानो मे आने लगी , पहले तो वो आवाज़ मुझे बहुत ही सुकून पहुँचाने वाली थी ऐसे लग रहा था जैसे कोई बड़ी सी पावर ही मिल गयी हो , मैं पंखे की एक एक टक टक को सुन सकता था धीरे धीरे वो और भी धीमा होने लगा था , मैं अपनी ही इस सकती पर विस्वास नही कर पा रहा था की पंखा जो की इतना तेज़ी से घूम रहा था मैं उसके हर एक मूव्मेंट को सुन सकता हू , लेकिन थोड़ी ही देर मे ये तक तक इतना भारी हो गया जैसे कोई मेरे सर मे कई किलो का हथौड़ा मार रहा हो, उसकी आवाज़ इतनी भारी थी की मुझे लगा कही मैं इस अवस्था मे मर ही ना जाऊ ,जैसे ही मेरे दिमाग़ मे मरने का ख्याल आया मेरा सारा मज़ा जैसे चूर चूर हो गया , मैने तुरंत ही अपनी आँखे खोल दी और पंखे की आवाज़ से कान को हटाने की कोशिस करने लगा लेकिन ये भी मेरे लिए बड़ा ही मुस्किल हो रहा था जैसे तैसे मैने दूसरे चीज़ मे ध्यान लगाया लेकिन हर जगह एक ही प्राब्लम ….


पहले तो मज़ा आता था लेकिन फिर वही डर की कही मैं इसी मे खो ना जाऊ…


मेरी हालत बड़ी ही अजीब सी हो गयी थी , गला बार बार सुख़्ता था ऐसा लगता था जैसे अंदर की त्वचा सुखकर चिपक जाएगी , मैं जल्दी से पानी पी लेता …


तभी मेरी नज़र दरवाजे मे गई तो जैसे मेरा दिल ही रुक गया सामने भाभी खड़ी हुई मुझे अजीब सी निगाहो से देख रही थी …


“तूने गांजा पिया है ??“


उन्होने कुछ सूंघते हुए कहा , अब मेरी फटी , इस साले अज्जु को मैं ढेरो गालिया दे रहा था उसने मुझे सिगरेट बोल कर ना जाने क्या पिला दिया था ..


“नही भाभी पता नही क्या था वो अज्जु ने “


मेरी बात सुनकर वो हल्के से हँसी ,मुझे समझ नही आया की वो क्यो हंस रही थी लेकिन उस समय डर के कारण मेरे दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी और मैं खड़ा हुआ बिस्तर का किनारा चबा रहा था ,


“चलो कोई बात नही मैं खाना यही ले आती हू खा कर सो जा “


मैने बस हा मे सर हिलाया ..


आज ऐसा लगा जैसे मैं सदियो से भूखा था खाने का स्वाद क्या होता है जैसे मुझे आज ही पता चला था, खाने का एक नीवाला मूह मे जाते ही मेरा ध्यान उसपर आ जाता था , मूह के लार के मिलने से लेकर उसके चबाने तक सब कुछ मैं ध्यान से देख पा रहा था , लेकिन अंत ऐसा लगता जैसे मैं खाते खाते सो ना जाऊ मेरी आँखे बंद हो गयी थी , इसलिए अपना दिमाग़ थोड़ा इधर उधर घुमाने की कोशिस करता, मेरी निगाहे भाभी पर पड़ी जो की मुझे मुस्कुराते हुए देख रही थी ..


मुझे खुद की ओर देखता हुआ मैं थोड़ा डर गया, कही मैं कोई अजीब हरकत तो नही कर रहा था??:?:


मैं फिर खाने की ओर देखता और फिर पेट की भूख ऐसे लगती जैसे सदियो से कुछ नही खाया हो , मैं जल्दी से नीवाला उठाता था और फिर से वही सब …


जैसे जैसे मेरा पेट भरा मेरा नशा थोड़ा और भी गहरा गया था , भाभी ने मुझे हाथ पैर धोकर सोने को कह दिया , मैने इन 15-20 मिंट मे ही जैसे कई जीवन जी लिए , नींद आ नही रही थी कमरे मे मैं अकेला था , और आज पहली बार मुझे भूतो से डर लगने लगा था, अभी अभी तो भाभी थाली उठा कर बाहर निकली थी और थोड़े देर मे ही ये अकेलापन मुझे काटने को दौड़ने लगा , हाथ पैर जैसे तैसे धो लिया लेकिन कमरे मे अकेले रहने के दर से मैं तुरंत ही कमरे से बाहर चला गया …मुझे भाभी आती हुई दिखी उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर फिर से मुझे कमरे मे ले जाकर बिठा दिया था ……..


“चल सो जा क्या बहकी बहकी हरकते कर रहा है “


उन्होने हल्के से मेरे गालो मे एक चपत लगा दी …..


और ……..


और जैसे फूल खिल गये, कुछ हो गया, उनके बोलने पर मुझे उनके दांतो की साफ पंक्तिया साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उनके गुलाबी होंठ जैसे शराब के भरे हुए प्याले थे जो छलकने को बेताब लग रहे थे , मुझे ऐसा लगा जैसे वो स्वर्ग की कोई अप्सरा हो…


मेरी नज़रें उनके चेहरे मे ही खो गयी थी , मुझे ऐसा लगा जैस वो रंग सफेद कपड़े पहने हुए कोई पारी हो जो मेरे सामने खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी …


मैं मुस्कुराता हुआ उनके चेहरे को ही देख रहा था ..


“सोनू…? बाबू..? सुन रह है मेरी बात “


भाभी मेरे आँखो के सामने आपना हाथ चला रही थी लेकिन मैं तो उनकी खूबसूरती मे ही खोया हुआ था ..


“आप परी हो … आप अप्सरा हो .. आप कितनी सुंदर हो”


मैं उन्हे देखते हुए बोलता रहा , और उन्होने अपना हाथ अपने माथे मे दे मारा ..


“हे भगवान ये लड़का भी ना गांजा मार के आ गया अब इसका नशा कैसे उतारू ..चल यहाँ सो जा “


उन्होने मुझे पकड़ कर बिस्तर मे बिठा दिया और मुझे वही लिटा भी दिया . वो खुद अपने कमरे मे जाकर समान जमाने लगी थी , लेकिन मेरी निगाहे अभी भी उनपर ही थी , लेकिन फ़र्क ये था पहले जो निगाहे उनके चेहरे पर थी अब वो उनके जिस्म मे चली गयी ..


उनके जिस्म के हर हिस्से को देखकर मेरे अंदर की चिंगारी जैसे जलने लगी थी , उनके सारी से झाँकते हुए उनके गोरे गोरे पेट को देखकर मेरा गला ही सुख गया , मेरा लिंग ऐसे अकड़ गया था जैसे की जीवन मे कभी ना हुआ हो , मेरे हाथ अपने ही आप उसपर चलने लगे थे , इतना मज़ा मुझे कभी नही आया था ,
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