Incest मर्द का बच्चा

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josef
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Re: Incest मर्द का बच्चा

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दोनो उस कुंड में नहा कर बाहर आ गये.
वही पास में एक बच्चा इनके लिए कपड़ा ले कर खड़ा था.
बच्चा- ये आप दोनो के लिए.

लल्लू और ऋतु फिर एक दूसरे को देखने लगे. उन्हे समझ ही नही आ रहा था की ये हो क्या रहा है.
खैर अभी उनके कपड़े तो भींग गये थे तो दोनो उस बच्चे से कपड़ा ले कर जल्दी से बदल लिए.
वहाँ से वो लोग मंदिर में पहुच गये.

मंदिर में जा कर फिर दोनो एक जोड़े की तरह पूजा अर्चना की प्रभु सोमेश्वर महादेव की.

वहाँ प्रभु सोमेश्वर को गंगा जल और फूल अर्पण कर जैसे ही प्रणाम करने को छुआ लल्लू ने उसे लगा जैसे उसके पूरे शरीर में चीटियाँ फेंग गई हो.

बदन के सारे रोए खड़े हो गये.
लल्लू पूरा पसीने से भीग गया.
उसकी धडकन बहुत तेज चलने लगा. आँखे मूंद गई.

चलो जल्दी पूजा कर निकलो यहाँ से. दूसरे भक्तो को पूजा करने दो. वहाँ खड़ा एक पंडा लल्लू के कंधे से पकड़ कर हिलाता बोला.

तब कही जा कर लल्लू को होश आया. फिर ऋतु को साथ ले कर लल्लू मंदिर से बाहर आ गया.

वहाँ से निकल कर फिर चारो पहुचे चौथे नायक भारद्वाज आश्रम.

यहाँ भारद्वाज आश्रम में महर्षि भारद्वाज ने एक शिव लिंग की स्थापना की है जिन्हे भारद्वाजेश्वेर शिव के नाम से जानते है.
ये सभी लोग वहाँ जा कर उनकी पूजा अर्चना करते है.

वहाँ से आगे पाँचवा नायक नाग वाशुकी का मंदिर.
यहाँ नाग वाशुकी के साथ उनके भाई सेशनाग की भी मूर्ति है इनकी भी पूजा की जाती है यहाँ.

लल्लू को यहाँ लग रहा था जैसे कोई उसे मंदिर में खिच रहा है. अपने आप को बहुत रोकने की कोसिस कर रहा था लेकिन उसके कदम रुक ही नही रहे थे.

मंदिर में वो सब से पहले जा पहुचा. कई बार तो दूसरे को धक्का भी लग गया.
सब से बचता बचाता वो मंदिर में पहुच गया और वहाँ सीधा प्रभु वाशुकी के पास चला गया.
ऐसा लग रहा था जैसे वो खुद लल्लू को अपने पास खिच लाए हो.

लल्लू उनको च्छू कर प्रणाम करने को जैसे ही हाथ बढ़ाया वैसे ही उस के पूरे शरीर में बड़ी तेज झटका लगा. जैसे लगा किसी ने उसके हाथ में काट लिया हो.

उसने गौर से देखा तो वहाँ दो निशान भी थे जिस से हल्का खून बह रहा था.

लल्लू के होश फाख्ता हो गये. उसे लगा की अब वो जिंदा नही बचेगा. उसके आँखो के आगे अंधेरा च्छा गया.
लल्लू भगवान वाशुकी की मूरत के आगे ही चकरा कर गिरने लगा की किसी ने उसे पीछे से पकड़ लिया.

उस के सिर पर पानी डाला. तब जा कर लल्लू को थोड़ा होश आया.

तब तक ऋतु भी पास आ गई थी.

फिर ऋतु लल्लू को ले कर नाग सेशनाग जी के मूरत के पास आ गई पूजा के लिए.
लल्लू वाशुकी की पूजा में जो हुआ उस से डर गया था.
फिर भी अभी यहाँ ऋतु भी साथ थी तो लल्लू डरता हुआ हाथ बढ़ा कर भगवान शेस्नाग पर गंगाजल और पुष्प अर्पण किया.
डरते डरते हाथ बढ़ाया ऋतु के हाथ को पकड़े हुए. लल्लू डर गये उसका पूरा शरीर कांप रहा था.
लल्लू जल्दी से हाथ बढ़ा कर उन्हे च्छू लिया. छूते ही एक बार फिर लल्लू को लगा जैसे उसके पूरे शरीर में शीतलता समा गई हो.

इस बार कुछ अलग हुआ था.
पहली बार उसे लगा जैसे बिजली का झटका लगा है और किसी ने हाथ में काट लिया है लेकिन इस बार उसके पूरे शरीर में शीतलता से भर गया. अब लल्लू को बहुत अच्छा लग रहा था.

फिर वहाँ से निकल कर चारो चल दिए नायक की पूजा में.
नायक है अक्षय वट.
संगम के निकट ये अक्षय वट.
कहा गया है की ऐसे तीन वट और है भारत में जिन में से एक मथुरा के वृंदावन में है बंशिवट.

गया में है गया वट या बोधिवृक्ष.

तीसरा है उज्जैन में सिद्ध वट.

तो ये चारो लोग अक्षय वट की पूजा अर्चना की.

सातवा नायक नाग सेशनाग.
इनका और नाग वाशुकी का मंदिर दोनो एक ही है.
दोनो की पूजा साथ हो जाती है.
आठवा नायक तीर्थ राज प्रयाग . जिन्हे माधव राज भी कहा जाता है.

यहाँ इनकी पूजा की और फिर पराशद और घर वालो के लिए थोड़ा बहुत समान खरीद कर ये लोग धर्मशाला चले गये.
धर्मशाला पहुच कर फ्रेश हुए और जल्दी से खाना खा कर अपना सारा समान समेट रेलवे स्टेशन पहुच गये.
वहाँ ट्रेन खुलने वाली ही थी.
जल्दी जल्दी करते हुए जैसे तैसे ये लोग ट्रेन पकड़ लिए.

ट्रेन में अपने बर्थ पर बैठने के बाद इन्हे सुकून का साँस लेने को मिला.

घूमने पूजा करने में बहुत समय लग गया और आज ही निकलना भी था इन्हे. कल का दिन तो इनका वैसे ही खराब हो गया था.
फिर भी आज भी घूमे तो लेकिन कई महत्वपूर्ण मंदिर पूजा करने को रह गया जिसका मलाल इन लोगो को अभी भी हो रहा था.
josef
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अपडेट 14.


सुबह के 3 बजे ये लोग अपने स्टेशन पर पहुच गये थे.

स्टेशन से बाहर सुनील काका गाड़ी ले कर खड़े थे.
लल्लू सारा समान अपने कंधे पर लटकाए दादू काका काकी के साथ स्टेशन से बाहर आ गया.

सारा समान गाड़ी में रखने के बाद एक एक कर सब गाड़ी में बैठ गये.

थोड़ी देर में ही ये लोग घर पहुच गये.

घर पहुच कर सब समान निकाल लल्लू दालान पर रखा. काकी आँगन में चली गई. दादू और अनिल हाथ पैर धो अपने पाने बिस्तर पर लेट गये.
लल्लू दादू का समान वही दालान क कमरे में रख बाकी समान ले कर आँगन आ गया.

काजल- आ गया मेरा लाल. कितना सुना हो गया था ये घर तेरे बिना. ( काजल लल्लू के गाल को सहलाता बोला)

लल्लू- मा अभी बहुत जोरो की नींद आई है. मुझे कही सोने दो. बहुत थक भी गया हूँ.
काजल- आ मेरे लाल. पहले हाथ पैर धो आ. आज मेरे प्यारा बेटा अपनी मा के साथ सोएगा.

लल्लू नलका पर जा कर हाथ पैर धो आया.
वापस आ कर अपने मा क कमरे में चला गया.

काजल के कमरे में डबल बेड था.
लल्लू की मा लल्लू का लाया बॅग सही से रख रही थी.

लल्लू आ कर अपने कपड़े बदल एक धोती लपेट कर बेड पर आ गया.
लल्लू- मा मुझे आज कोई उठना मत जबतक में खुद ना उठ जाऊ.

मा- ठीक है बेटा सो जा अब तू.

लल्लू आँख बंद कर सोने की कोशिश करने लगा.

काजल भी समान रख कर बेड पर आ गई और लल्लू के ललाट पर एक चुम्मि दे कर सोने को लेट गई.


सुबह बाहर सब के शोर गुल से काजल की नींद खुल गई.

काजल उठने लगी तो देखती है की लल्लू पीछे से उसे अपने बाहों में ले कर सोया हुआ है.
काजल मुस्काती हुई आहिस्ते से लल्लू के हाथ को अपने ऊपर से हटा कर बेड से नीचे उतर गई.

काजल पलट कर जाने लगी की उसे कुछ दिखा जिसे देख कर काजल की आँखे बाहर को आने को हो गई.

काजल घूर घूर कर देख रही थी.

लल्लू जो धोती पहन कर सोया था वो खुल गया था और लल्लू का बाबूराव सुबह सुबह उठ खड़ा हुआ था.
बाबूराव का भायनक रूप देख कर काजल हैरान हो गई.

आज तक उसने एक ही लॉडा देखी थी वो भी अपने पति का मूँगफली जितना.
लल्लू का ये विकराल रूप काजल को पसीना छुड़ाने के लिए काफ़ी था.

काजल वापस लल्लू के बदन पर धोती डाल कर उसके ऊपर एक चादर डाल दी.

काजल अपने सीने पर हाथ रख कर खुद की बढ़ी सासो को संभालती दरवाजा खोल कर बाहर आ गई.

काजल- क्यू हल्ला कर रहे हो इतना. काकी और लल्लू सुबह आए है कुंभ से. अभी सो रहे है. हल्ला मत करो.

कोमल- मा, काकी क्या लाई है हमारे लिए दो ना.
कोमल के साथ बाकी बहने भी आ कर खड़ी हो गई.

काजल- अभी काकी सो रही है. जब सो कर उठेगी तब खुद देगी.

सोनम- काकी आप ही दे दो ना प्लीज़. आप तो मेरी प्यारी काकी हो ना.

काजल- ज़्यादा मस्का मत लगा तुम लोग चल घर की सफाई कर सब मिल कर. ( काजल सोनम क कान को पकड़ती बोली.)

सब लड़किया मूह टेढ़ा करती घर के कामों में लग गई.

रागिनी- कब तक सोए रहेंगे ये लोग. काजल जा कर दोनो को उठा दे अब. नहाए धोए फ्रेश हो कर खाना खाए. अब फिर रात में भी सोना है इन्हे नही तो फिर रात नींद नही आएगी.

काजल जा कर पहले ऋतु को उठा दी. फिर अपने कमरे में जा कर लल्लू को उठाने लगी.
लल्लू अंगड़ाई लेता उठ कर बैठ गया. सामने मा को देख कर उसे गले लगा लिया.

काजल- अब प्यार करना हो गया हो तो जा नहा कर कुछ खा पी ले.

लल्लू काजल के गाल को चूमता बाहर चला गया.
काजल अपने पागल बेटे क हरकत पर मुस्काती बेड साफ कर दूसरा चादर बिछा दी फिर गौरी को रूम में झारी लगाने को बोल कर बाहर आ गई.

लल्लू उठ कर दालान पर आ गया. यहाँ अब दादू और अनिल सो कर उठ गये थे और स्नान कर लिए थे.

दादू- लल्लू बेटा. तुम नहाए या नही.
लल्लू- दादू अभी अभी सो कर उठा हूँ.

अनिल- बेटा जा कर नहा ले फिर सब खाना खाते है.

लल्लू वही दालान पर बाथरूम में फ्रेश हुआ फिर नलका पर नहा कर आँगन में आ गया.
लल्लू- मा.. माआ..

रागिनी- क्यू चिल्ला रहा है. काजल रसोई में खाना बना रही है.

लल्लू- काकी कपड़ा चाहिए पहनने को.
इस समय लल्लू सिर्फ़ एक टवल कमर पर लपेटे आँगन में खड़ा था.

रागिनी- हाय्यी रामम्म ये टट्टू कहाँ से बनवा ली तू ने.

लल्लू- टट्टू…:

रागिनी- हा देख कितना करा रखा है. क्या पूरे बदन पर करवा लिया है.

लल्लू- अपने बदन को देखते हुए कहाँ है कुछ काकी.क्या टट्टू बोल रही हो.

रागिनी- बुद्धू पीठ पर देख. पूरे जगह टट्टू बना हुआ है अजीब सा.

लल्लू- काकी अपने पीठ को कैसे देख सकता हूँ में.

रीगिनी काकी एक दर्पण ला कर लल्लू की पीठ को दिखाती है.
लल्लू दर्पण में अपने पीठ देख कर चौक जाता है.
पूरी पीठ पर अजीब सा टॅटू बना हुआ था.
लल्लू- बहनचोद ये क्या है. ये कब हो गया.

रागिनी काकी- क्या मतलब. तुम्हारी पीठ पर इतना बड़ा पूरे पीठ में टट्टू बना है और तुम्हे ही पता नही.

लल्लू- नही मेरा मतलब. में बोला था छोटा बनाने को उस ने तो पूरे पीठ पर बना दिया है.
josef
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अपडेट 15.


लल्लू- काकी मेरा कपड़ा दो ना.आई कब तक टवल में खड़ा रहूँ.

रागिनी काकी- देती हूँ बाबा. वैसे लल्लू बेटा. बॉडी सॉफ्ट तो बड़ा जबरदस्त बना ली है तुम ने. मैने तो आज गौर किया है.

लल्लू- क्या हो गया है आज आप को काकी. ऐसा कुछ नही है. में जैसा पहले था वैसा ही अब भी हूँ.
लल्लू अपने आप को निहारता हुआ बोल रहा था तभी उसे भी अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस हुआ.

गाँव का गँवार जैसे बोलते है एक तरह से लल्लू वही था. ज़्यादा पढ़ नही पाया था.
बहने जब घर में पढ़ती है तो कभी कभी वही बैठ जाया करता था. बाकी गाँव में घूमना. काका लोगो के साथ खेत में मेहनत करना और समय बच गया तो सुबह शाम नदी किनारे बैठा रहना. यही तो उसकी दिनचर्या था.

आज उसे अपना शरीर पहले क मुक़ाबले थोड़ा मजबूत लग रहा था. छाती फूल गई थी. बाह की मछलिया निकल आई थी. पेट भी अंदर धश गया था. कही कोई चर्बी नही था.

लल्लू को तो कुछ समझ ही नही आ रहा था की आख़िर ये हुए क्या है और कैसे.

रागिनी कपड़ा निकाल कर दे दी.
लल्लू फटाफट धोरी लपेट लिया. ऊपर जब टीशर्ट पहनने लगा तो वो बिल्कुल टाइट हो गया.
लल्लू मा के पास चला गया जो रसोई में सब के लिए शालिनी और ऋतु के साथ खाना निकाल रही थी.

लल्लू-मा, ये देखो ना. कितना छोटा हो गया ये कपड़ा. जैसे लगता है मेरा सब शरीर इस में दब गया है.

सारे लॅडीस लल्लू की बात सुन कर उसकी और सर उठा कर देखने लगे की अब लल्लू कोई उल्टी सीधी बाते बोल कर सब को हसाएगा. लेकिन जब सब ने लल्लू की और देखा तो सही में ये टीशर्ट लल्लू के लिए छोटा हो गया था.

काजल- कोमल के पास चला जा और उसे बोलना दूसरा देगा.

लल्लू जैसे तैसे उस टीशर्ट को निकल कर लड़कियो क कमरे में चला गया.
सारी लड़किया दो कमरे ले रखी थी जो एक दूसरे से जॉइंट था. उसी में ये सभी एके साथ रहती थी.

लल्लू- दीदी दीदी कहाँ हो.
लल्लू बाहर से ही आवाज़ देता हुआ अंदर घुश गया.
अंदर सोनम कमरे में कपड़ा बदल रही थी.
अभी वो सिर्फ़ एक चड्डी में थी.

लल्लू के कमरे में घुसते ही चटाक़ से थप्पड़ लगा.

रोमा- हरामी, गधे, पागल. दरवाजा खटका कर नही आ सकता था.
लल्लू गाल पे हाथ रखे स्तब्ध खड़ा रह गया.
उसे समझ ही नही आया की उसे मारा क्यू गया है.
लल्लू- दीदी, मुझे क्यू मारा आप ने. ( अब लल्लू के आँखो से आँसू निकल रहे थे)

कोमल- कुत्ते दरवाजा बजा कर नही आ सकता था अंदर. घुसता हुआ आ गया. सोनम दी कपड़े बदल रही थी.

लल्लू- तो क्या हो गया. में भी तो कुछ नही पहना है. मैने तो किसी को नही मारा. ( अब लल्लू हिचकिया ले कर रोता हुआ बोला)
लल्लू- मा...में मा.आ.आ को बा..ता डू.न.गा की सब म.उजह.ए मा.रा है. और पा..गा.एल बोला है..

लल्लू वहाँ से निकल कर रोता हुआ रसोई में आ गया.

लल्लू- ( रोता हुआ) दी..दी गा..न्ड है..मु.झे मा.. रती है. में..नही जा.उँगा. उन लो.गो के पास . वो सब म.उजह.ए प.आ.ग.आ.ल कहते है.

ऋतु- किस ने मारा तुम्हे.

काजल ऋतु रागिनी शालिनी सब लल्लू की और देख रहे थे.

लल्लू- सब ने मुझे मारा है. रोमा दीदी कोमल दीदी.
सब गंदे है.

लल्लू टीशर्ट फेक कर दालान की और चला गया रोता हुआ.
दालान से सब आँगन में खाना खाने आ रहे थे.
दादू के साथ लल्लू के तीनो काका और उसके पापा सब साथ ही थे.
लल्लू को रोता देख कर सुनील आगे आ कर उसे पकड़ लिया.

सुनील- क्या हुआ मेरे बेटे को.
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