Incest मर्द का बच्चा
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Re: Incest मर्द का बच्चा
wow super exciting lusty incest
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Re: Incest मर्द का बच्चा
सुबह हो गई थी. घर में सब एक एक कर उठ कर बाहर आ रहे थे.
लल्लू बाहर आ कर नदी किनारे चला गया.
वहाँ बैठ कर नदी के मछली, मेढक और बाकी जीवों से बात करता उसे अपना सारी कहानी बता रहा था. जो कुछ अभी उसके लाइफ में हो रहा था.
जब सूर्या की किर्ने थोड़ी तीखी हुई तो वो उठ कर फ्रेश हुआ और फिर घर को चल दिया.
नलका पर हाथ पैर धोने के बाद दालान पर आया तो दादू स्नान कर पूजा कर रहे थे.
वहाँ से आँगन आ गया. आँगन में सब चाय पी रहे थे तो लल्लू को भी एक कप पकड़ा दिया मा ने.
लल्लू- (चाय पीता हुआ) काका बुलेट चलाना कब सिखाएँगे.
सुनील- जब तुम कहोगे.
लल्लू- फिर आज से चले. अभी कोई काम तो नही आप को.
सुनील- नही उतना ज़रूरी कोई काम नही है.थोड़ी देर में चलते है.
लल्लू घर पर धोती ही पहनता था तो चाय पीने के बाद जा कर पेंट पहन आया फिर सुनील काका के साथ चला गया बुलेट चलाने.
दो घंटा बुलेट ड्राइव की ट्रैनिंग करने के बाद फिर वापस घर आ कर नाश्ता कर लिया.
सोनम- मा कल मेरा फॉर्म फिल अप का आखरी दिन होगा. अभी अभी कॉल आया था मेरे फ्रेंड का. कैसे होगा.
ऋतु- बेटा, पता करते रहना था ना. आने दे सब को खाने पर पूछती हूँ कौन साथ जायगा.
सोनम- मा भाई के साथ आज ही चली जाऊ.
ऋतु- नही आज अब लेट हो गया. अब कल ही जाना. सब तैयार कर के रख ले.
फिर सोनम अपने कमरे में चली गई.
लल्लू नाश्ता करने के बाद उठ कर अपने बहनो के कमरों की ओर चला गया.
दरवाज़ा बंद था. लल्लू जा कर दरवाजा बजाया.
सोनम ने ही दरवाजा खोला.
लल्लू- दीदी क्या कर रहे हो आप लोग.
सोनम- कुछ नही भाई. कल फॉर्म फिल अप का आखरी डेट है. उसी का सोच रही थी.
लल्लू- अरे दीदी अभी फॉर्म फिल ही तो हो रहा है कौन सा एग्ज़ॅम है जो इतना परेशान हो.
सोनम- भाई कल मेरे साथ जायगा कौन. इस लिए परेशान हूँ.
लल्लू- इस में इतना परेशान क्यू हो. कोई ना कोई तो चला ही जायगा.
सोनम- देखते है क्या होता है. ये सब छोड़. ये बता की अपना कमरा देखा क्या.
लल्लू- नही क्या वो सॉफ हो गया.
सोनम- चल देखते है.
लल्लू बाहर आ कर नदी किनारे चला गया.
वहाँ बैठ कर नदी के मछली, मेढक और बाकी जीवों से बात करता उसे अपना सारी कहानी बता रहा था. जो कुछ अभी उसके लाइफ में हो रहा था.
जब सूर्या की किर्ने थोड़ी तीखी हुई तो वो उठ कर फ्रेश हुआ और फिर घर को चल दिया.
नलका पर हाथ पैर धोने के बाद दालान पर आया तो दादू स्नान कर पूजा कर रहे थे.
वहाँ से आँगन आ गया. आँगन में सब चाय पी रहे थे तो लल्लू को भी एक कप पकड़ा दिया मा ने.
लल्लू- (चाय पीता हुआ) काका बुलेट चलाना कब सिखाएँगे.
सुनील- जब तुम कहोगे.
लल्लू- फिर आज से चले. अभी कोई काम तो नही आप को.
सुनील- नही उतना ज़रूरी कोई काम नही है.थोड़ी देर में चलते है.
लल्लू घर पर धोती ही पहनता था तो चाय पीने के बाद जा कर पेंट पहन आया फिर सुनील काका के साथ चला गया बुलेट चलाने.
दो घंटा बुलेट ड्राइव की ट्रैनिंग करने के बाद फिर वापस घर आ कर नाश्ता कर लिया.
सोनम- मा कल मेरा फॉर्म फिल अप का आखरी दिन होगा. अभी अभी कॉल आया था मेरे फ्रेंड का. कैसे होगा.
ऋतु- बेटा, पता करते रहना था ना. आने दे सब को खाने पर पूछती हूँ कौन साथ जायगा.
सोनम- मा भाई के साथ आज ही चली जाऊ.
ऋतु- नही आज अब लेट हो गया. अब कल ही जाना. सब तैयार कर के रख ले.
फिर सोनम अपने कमरे में चली गई.
लल्लू नाश्ता करने के बाद उठ कर अपने बहनो के कमरों की ओर चला गया.
दरवाज़ा बंद था. लल्लू जा कर दरवाजा बजाया.
सोनम ने ही दरवाजा खोला.
लल्लू- दीदी क्या कर रहे हो आप लोग.
सोनम- कुछ नही भाई. कल फॉर्म फिल अप का आखरी डेट है. उसी का सोच रही थी.
लल्लू- अरे दीदी अभी फॉर्म फिल ही तो हो रहा है कौन सा एग्ज़ॅम है जो इतना परेशान हो.
सोनम- भाई कल मेरे साथ जायगा कौन. इस लिए परेशान हूँ.
लल्लू- इस में इतना परेशान क्यू हो. कोई ना कोई तो चला ही जायगा.
सोनम- देखते है क्या होता है. ये सब छोड़. ये बता की अपना कमरा देखा क्या.
लल्लू- नही क्या वो सॉफ हो गया.
सोनम- चल देखते है.
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Re: Incest मर्द का बच्चा
दोनो वहाँ से निकल कर दूसरा कमरा जो की अभी जिस से निकले है, उसके साथ है जॉइंट. दोनो के बीच एक दरवाजा है. ये दो कमरे लड़कियो का है. उसके बाद वाला कमरा ये भी इन दोनो कमरो के साथ जॉइंट है. ये लल्लू के लिए सॉफ किया जाना था.
दोनो उसके मरे में पहुचे तो वहाँ सभी लड़किया जमा थी और वहाँ सब चीज़ो को व्यवस्थित ढंग से रख रहे थे.
लल्लू- ऊहहूँओ तो मेरी सारी प्यारी बहने यहाँ है.
लल्लू चारो और कमरे को देख रहा था.
कमरे में एक डबल बेड था. एक स्टडी टेबल चेयर, एक दीवार में बड़ा सा आल्मिरा.
बेड के साथ एक बड़ा सा खिड़की जिस से घर के पीछे का बगीचा दिख रहा था. जिस में कई तरह के फूल खिले हुए थे वहाँ कुछ आम अमरूद के बड़े पेर भी थे.
पूरा कमरा उजाले से भरा हुआ था.
उसके कमरे में तीन दरवाजे था.
एक लड़कियो के रूम से जॉइंट. दूसरा सामने से किसी को आँगन से आने के लिए. जिस से सोनम और लल्लू दोनो आए थे और एक तीसरा कमरा था जिस से पीछे बगीचे में जाया जा सकता है.
लल्लू- फॅब्युलस…
सोनम- ऊओहूँ, तो भाई को ये कमरा लगता है बहुत पसंद आया.
लल्लू- हा दीदी, ये कमरा बहुत बढ़िया है. मुझे सच में बहुत अच्छा लगा.
रानी- पता है भाई. पहले ये कमरा हम लोग बोले थे की हमें दे दो तो पापा मना कर दिए. बोले ये मेरा कमरा है. लेकिन तुम्हारे एक बार बोलते ही ये कमरा दे दिए.
लल्लू- दीदी अगर ये कमरा आप सब को पसंद है तो आप सब ये ले लो. में तो कही भी रह लूँगा. एक एक दिन सभी काकी के पास एक दिन मा के पास तो मेरा चार दिन तो ऐसे ही पास हो जायगा. बाकी के तीन दिन में से दो दिन आप लोगो के पास और बचा एक दिन वो दालान पर. बस हो गया मेरा पूरा वीक पास.
दूसरा वीक फिर शुरू से.
दोनो उसके मरे में पहुचे तो वहाँ सभी लड़किया जमा थी और वहाँ सब चीज़ो को व्यवस्थित ढंग से रख रहे थे.
लल्लू- ऊहहूँओ तो मेरी सारी प्यारी बहने यहाँ है.
लल्लू चारो और कमरे को देख रहा था.
कमरे में एक डबल बेड था. एक स्टडी टेबल चेयर, एक दीवार में बड़ा सा आल्मिरा.
बेड के साथ एक बड़ा सा खिड़की जिस से घर के पीछे का बगीचा दिख रहा था. जिस में कई तरह के फूल खिले हुए थे वहाँ कुछ आम अमरूद के बड़े पेर भी थे.
पूरा कमरा उजाले से भरा हुआ था.
उसके कमरे में तीन दरवाजे था.
एक लड़कियो के रूम से जॉइंट. दूसरा सामने से किसी को आँगन से आने के लिए. जिस से सोनम और लल्लू दोनो आए थे और एक तीसरा कमरा था जिस से पीछे बगीचे में जाया जा सकता है.
लल्लू- फॅब्युलस…
सोनम- ऊओहूँ, तो भाई को ये कमरा लगता है बहुत पसंद आया.
लल्लू- हा दीदी, ये कमरा बहुत बढ़िया है. मुझे सच में बहुत अच्छा लगा.
रानी- पता है भाई. पहले ये कमरा हम लोग बोले थे की हमें दे दो तो पापा मना कर दिए. बोले ये मेरा कमरा है. लेकिन तुम्हारे एक बार बोलते ही ये कमरा दे दिए.
लल्लू- दीदी अगर ये कमरा आप सब को पसंद है तो आप सब ये ले लो. में तो कही भी रह लूँगा. एक एक दिन सभी काकी के पास एक दिन मा के पास तो मेरा चार दिन तो ऐसे ही पास हो जायगा. बाकी के तीन दिन में से दो दिन आप लोगो के पास और बचा एक दिन वो दालान पर. बस हो गया मेरा पूरा वीक पास.
दूसरा वीक फिर शुरू से.
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Re: Incest मर्द का बच्चा
सोनम- नही नही. हमें नही चाहिए ये कमरा. वैसे भी तुम यहाँ आ जाओगे तो हम ये अंदर वाला दरवाजा खोल देंगे फिर ये तीनो कमरा एक ही तो हो जायगा. फिर जिस को जहा मन करेगा वो वहाँ रह सकता है.
सभी बहनो ने इस बात को ही माना.
गौरी- भाई तो आप आज से यहाँ रहेंगे ना.
लल्लू- नही दीदी में कुछ दिन बाद से यहाँ रहूँगा. अभी मा मुझे यहाँ नही सोने देगी.
रोमा- कोई बात नही भाई. हम सब ने इस कमरे को पूरा तैयार कर दिया है. आप का जब से दिल करे आ जाना.
लल्लू- यहाँ से बगीचा कितना प्यारा दिखता है. दीदी बगीचा चले क्या.
कोमल- हा भाई चलो वहाँ अमरूद भी होंगे.
फिर सभी बहन लल्लू का हाथ पकड़ बगीचे में आ गये अमरूद एक पेड़ केपास .
मीनू- भाई काफ़ी सारे अमरूद है तोड़ कर दो ना.
लल्लू पेड़ पर चढ़ कर काफ़ी सारे अमरूद तोड़ कर बहनो को पकड़ा दिया.
सभी खुश हो कर मज़े से खाने लगे.
फिर थोड़ी देर बगीचे में घूम टहल कर ये लोग कुछ अमरूद काकियों के लिए ले कर आँगन आ गये.
गौरी- मा मा हम ने आज काफ़ी सारे अमरूद खाए.
(गौरी दौड़ कर शालिनी के पास आ कर उसे बाहों में पकड़ कर बोली.)
शालिनी- कहाँ से खाए. किस ने दिया.
गौरी- खुश होते हुए, भाई ने पीछे बगीचे से तोड़ कर दिया.
शालिनी- ऊहहो तो ये बात है. इसी लिए इतना खुश है.
लल्लू सारे अमरूद ले कर रागिनी के पास आ कर रख दिया.
रागिनी किचन में खाना बना रही थी. अभी वो वहाँ अकेले ही थी.
लल्लू- काकी क्या बात है. मुझ से कोई ग़लती हो गई है क्या. में देख रहा हूँ आप मुझ से बात नही कर रही है.
रागिनी रोती हुई लल्लू को और पीठ कर ली.
लल्लू- काकी अगर मुझ से कोई ग़लती हो गया है तो मुझे मार लो लेकिन इस तरह तो मत रूठो मुझ से.
रागिनी पलट कर लल्लू को बाहों में भर कर रोने लगी.
रागिनी- बेटा उस दिन मेरे वजह से तुम्हारी तबीयत खराब हो गया. में बिना सोचे समझे तुम्हे थप्पड़ मार बैठी और…
लल्लू- (रागिनी का मूह बंद करते हुए) पहले आप रोना बंद कीजिए. और आप किस दिन की बात कर रहे है मुझे तो कुछ याद ही नही आ रहा.
रागिनी- बेटा तू बहुत महान है. बहुत प्यारा बेटा है तू. में तेरे जैसे प्यारे बेटे को मार बैठी. मुझे माफ़…
लल्लू- बीच में ही बोलते हुए. ऊहहो काकी में कहा ना की मुझे कुछ याद नही आप कब की बात कर रही है. आप इतना क्यू रोए जा रही है. अगर आप और रोई तो में आप को गुदगुदी लगा दूँगा.
लेकिन रागिनी को सच में बहुत दुख हुआ था तो उसका रोना रुक ही नही रहा था.
लल्लू अंत में रागिनी को पकड़ कर उसे गुदगुदी लगाने लगा.
रागिनी पहले तो रोती ही रही फिर थोड़ा थोड़ा रोने पर कंट्रोल की लेकिन पूरा नही.
लल्लू रागिनी के कभी पेट पर तो कभी बगल में गुदगुदी कर रहा था. और रागिनी इस से लल्लू की बाहों में रोटी सिसीक्टी मचल रही थी. इसी चक्कर में एक बार लल्लू के हाथ में रागिनी की मीडियम साइज़ का एक चुचि आ गया और लल्लू गुदगुदी लगते लगते उसे ग़लती से दबा दिया जिस का लल्लू को पता भी नही चला.
रागिनी अचानक हुए इस हरकत से हड़बड़ा गई और वो शांत खड़ी हो गई.
लल्लू को लगा की काकी फिर रोने लगी तो लल्लू फिर रागिनी को गुदगुदी करने लगा. रागिनी फिर से हँसते हुए लल्लू को भी गुदगुदी करने लगी.
लल्लू को भी अब इस खेल में मज़ा आने लगा था तो वो फिर से ऐसे ही कर रहा था. जिस कारण दोनो का शरीर एक दूसरे से कभी कभी रगड़ जाते तो दोनो को एक रोमांच का अहसास होता.
ऋतु- तो दोनो की सुलह हो गई.( ऋतु रसोई में आती बोली.)
लल्लू- झगड़ा कब हुआ था और आप क्या मान रही हो की हमारा झगड़ा हो.
ऋतु- आआयईी मारूँगी अगर मेरा टाँग खिचने की कोशिश की तो.
सभी बहनो ने इस बात को ही माना.
गौरी- भाई तो आप आज से यहाँ रहेंगे ना.
लल्लू- नही दीदी में कुछ दिन बाद से यहाँ रहूँगा. अभी मा मुझे यहाँ नही सोने देगी.
रोमा- कोई बात नही भाई. हम सब ने इस कमरे को पूरा तैयार कर दिया है. आप का जब से दिल करे आ जाना.
लल्लू- यहाँ से बगीचा कितना प्यारा दिखता है. दीदी बगीचा चले क्या.
कोमल- हा भाई चलो वहाँ अमरूद भी होंगे.
फिर सभी बहन लल्लू का हाथ पकड़ बगीचे में आ गये अमरूद एक पेड़ केपास .
मीनू- भाई काफ़ी सारे अमरूद है तोड़ कर दो ना.
लल्लू पेड़ पर चढ़ कर काफ़ी सारे अमरूद तोड़ कर बहनो को पकड़ा दिया.
सभी खुश हो कर मज़े से खाने लगे.
फिर थोड़ी देर बगीचे में घूम टहल कर ये लोग कुछ अमरूद काकियों के लिए ले कर आँगन आ गये.
गौरी- मा मा हम ने आज काफ़ी सारे अमरूद खाए.
(गौरी दौड़ कर शालिनी के पास आ कर उसे बाहों में पकड़ कर बोली.)
शालिनी- कहाँ से खाए. किस ने दिया.
गौरी- खुश होते हुए, भाई ने पीछे बगीचे से तोड़ कर दिया.
शालिनी- ऊहहो तो ये बात है. इसी लिए इतना खुश है.
लल्लू सारे अमरूद ले कर रागिनी के पास आ कर रख दिया.
रागिनी किचन में खाना बना रही थी. अभी वो वहाँ अकेले ही थी.
लल्लू- काकी क्या बात है. मुझ से कोई ग़लती हो गई है क्या. में देख रहा हूँ आप मुझ से बात नही कर रही है.
रागिनी रोती हुई लल्लू को और पीठ कर ली.
लल्लू- काकी अगर मुझ से कोई ग़लती हो गया है तो मुझे मार लो लेकिन इस तरह तो मत रूठो मुझ से.
रागिनी पलट कर लल्लू को बाहों में भर कर रोने लगी.
रागिनी- बेटा उस दिन मेरे वजह से तुम्हारी तबीयत खराब हो गया. में बिना सोचे समझे तुम्हे थप्पड़ मार बैठी और…
लल्लू- (रागिनी का मूह बंद करते हुए) पहले आप रोना बंद कीजिए. और आप किस दिन की बात कर रहे है मुझे तो कुछ याद ही नही आ रहा.
रागिनी- बेटा तू बहुत महान है. बहुत प्यारा बेटा है तू. में तेरे जैसे प्यारे बेटे को मार बैठी. मुझे माफ़…
लल्लू- बीच में ही बोलते हुए. ऊहहो काकी में कहा ना की मुझे कुछ याद नही आप कब की बात कर रही है. आप इतना क्यू रोए जा रही है. अगर आप और रोई तो में आप को गुदगुदी लगा दूँगा.
लेकिन रागिनी को सच में बहुत दुख हुआ था तो उसका रोना रुक ही नही रहा था.
लल्लू अंत में रागिनी को पकड़ कर उसे गुदगुदी लगाने लगा.
रागिनी पहले तो रोती ही रही फिर थोड़ा थोड़ा रोने पर कंट्रोल की लेकिन पूरा नही.
लल्लू रागिनी के कभी पेट पर तो कभी बगल में गुदगुदी कर रहा था. और रागिनी इस से लल्लू की बाहों में रोटी सिसीक्टी मचल रही थी. इसी चक्कर में एक बार लल्लू के हाथ में रागिनी की मीडियम साइज़ का एक चुचि आ गया और लल्लू गुदगुदी लगते लगते उसे ग़लती से दबा दिया जिस का लल्लू को पता भी नही चला.
रागिनी अचानक हुए इस हरकत से हड़बड़ा गई और वो शांत खड़ी हो गई.
लल्लू को लगा की काकी फिर रोने लगी तो लल्लू फिर रागिनी को गुदगुदी करने लगा. रागिनी फिर से हँसते हुए लल्लू को भी गुदगुदी करने लगी.
लल्लू को भी अब इस खेल में मज़ा आने लगा था तो वो फिर से ऐसे ही कर रहा था. जिस कारण दोनो का शरीर एक दूसरे से कभी कभी रगड़ जाते तो दोनो को एक रोमांच का अहसास होता.
ऋतु- तो दोनो की सुलह हो गई.( ऋतु रसोई में आती बोली.)
लल्लू- झगड़ा कब हुआ था और आप क्या मान रही हो की हमारा झगड़ा हो.
ऋतु- आआयईी मारूँगी अगर मेरा टाँग खिचने की कोशिश की तो.
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