Incest मर्द का बच्चा

Post Reply
josef
Platinum Member
Posts: 5361
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

सुनील- क्या हुआ मेरे बेटे को.

लल्लू- ( सुनील लल्लू को बाट मानता था. लल्लू भी काका में सब से ज़्यादा सुनील के ही करीब था और काकी में ऋतु के)


सुनील- किस ने मारा है मेरे बेटे को. ( सुनील लल्लू को गले लगा लिया और ले कर आँगन में खत पर बैठ गया.)

दादू- मेरा बहादुर बेटा है तु तो. तुम बच्चो की तरह क्यू रो रहे हो. ऐसे नही रोते बहादुर बच्चे. तू तो मर्द का बच्चा है.

लल्लू- …..( रुलाई और तेज हो गई उस से कुछ बोला ही नही गया.)

सुनील- रागिनी…( सुनील गुस्से में ज़ोर से चिल्लाता हुआ.)

रागिनी काकी दौड़ कर रसोई से बाहर आई.
सुनील- बहरी हो गई हो क्या घर में सब के सब. इतने देर से ये रो रहा है तुम सब को सुनाई नही देता क्या कुछ. इतनी औरते हो कर क्या कर रही हो तुम लोग.

ऋतु- क्यू गुस्सा कर रहे हो आप. अभी अभी तो यहाँ से दालान की तरफ जा रहा था. किसी लड़की ने डाँट दिया है थोड़ा सा.

लल्लू- रो..मा दी..दी और को...कोमल.. दी दी.ई. ने मारा है मु..झे. दो दो था..प्पर.

सुनील- मतलब सब को पता था की लल्लू रो रहा है और किसी ने इसे चुप नही कराया. रोने दिया इसे. कल अगर ये नही होता ना तो आप का पापा और भैया के साथ वही कुंभ में चटनी बन जाता. यही था जो बच गये सब. और इसे ही सब ने रोते हुए देख कर भी छोड़ दिया.
बांधो सब अपना बोरिया बिस्तर. कोई औरत मुझे नही चाहिए इस घर में. बहनचोद जब तुम से एक बच्चा नही संभलता तो क्या तुम सब को सिर्फ़ महारानी बन कर शृंगार करने और खाने को रखा है यहाँ. भागो सब अपने बाप के घर.

लल्लू सुनील का ये रूप देख कर डर कर चुप हो गया.

सब औरते रसोई से बाहर आ कर सिर झुकाए खड़ी हो गई.

सब को पता था की सुनील को जब गुस्सा आता है तो कोई नही बोलते थे उसके सामने यहाँ तक कि उसके खुद के पापा भी नही.

दादू- बहूँ आज हम सब जिंदा है तो लल्लू बेटे के कारण नही तो कुंभ में ही हमारा क्रिया कर्म हो गया रहता. तुम सब को लगता की हम कुंभ में है और वहाँ हमारा कही मुर्दा घर में लाश सर रहा होता.
लल्लू ही तो था जिस ने हम लोगो को बचा लिया.

रवि काका- ऐसा क्या हुआ था वहाँ पापा.
कुंभ में क्या हुआ था ये अभी किसी को पता नही था सिवाए सुनील के.
रघुवीर जी अपने बेटे को गाड़ी में सुबह स्टेशन से आते समय ही बता दिए थे.

अनिल- में बताता हूँ क्या हुआ था हमारे साथ.
हुआ ये की कुंभ स्नान करने के बाद कल हम लोग आ रहे थे की अचानक बड़ी तेज किसी कारण से भगदड़ मच गई.
मुझे तो पता भी नही चला. लोगो को जिधर जगह मिलता उधर को भाग रहे थे.
उस भगदड़ को देख कर में ठगा सा खड़ा रह गया था लेकिन लल्लू ने बहादुरी दिखा कर पापा और ऋतु के साथ मुझे हम तीनो को बचा कर उस भगदड़ से एक गली में ले आया और वहाँ दीवार से चिपका कर हमें खड़ा हो गया.
काफ़ी देर बाद जब भगदड़ कम हुआ तब हम लोगो को ले कर ये सुरक्षित धर्मशाला तक आया.

हम तीनो को कल इसी ने अपने सुख बुझ से बचाया था.

लड़किया जो सुनील काका के गुस्से क डर गये कमरे में छुप गई थी वो एक एक कर निकल कर बाहर आ गई और लल्लू के सामने कान पकड़ कर खड़ी हो गई.

रोमा- मुझे माफ़ कर दो भाई. मुझे नही पता था की तुम इतने अच्छे भाई हो मेरे. पता नही अभी मुझे क्या हो गया था की में तुम्हे मार बैठी.

कोमल- मुझे भी माफ़ कर दो भाई. मैने भी तुम्हे मारा.

लल्लू- नही में तुम लोगो से बात नही करूँगा. तुम सब से कट्टी हूँ में.( लल्लू बच्चो की तरह रुठता हुआ बोला)

सुनील- आगे से कभी मैने लल्लू को इस तरह कभी रोता देखा या किसी ने मेरे बेटे को रुलाने की कोशिश की तो वो दिल उसका इस घर में आखरी दिन होगा.

चल बेटा बहुत ज़ोर की भूख लगी है. आ जा खाना खाते है.

लल्लू अपने प्यारे काका की बात कभी नही काटता था.

लल्लू- काका मेरे कपड़े छोटे हो गये है.

सुनील- हाय्ी. एक दिन में कैसे छोटे हो गये. और ये तेरे पीठ पर क्या है.

लल्लू- वो...वो टॅटू है.

रवि काका- वाहह, तो तुम्हे ये सब भी पता है. टॅटू कहा बनवा लिया तुमने.

लल्लू- वो...वो कुंभ में.

सुनील- अच्छा अच्छा चल पहले खा ले फिर में तुम्हे ले कर बाजार चलूँगा. वहाँ नये कपड़े ले लेना.

फिर सब खाना खाने बैठ गये. खाना खा कर लल्लू वही टीशर्ट पहन लिया.

फिर लल्लू काजल के कमरे में जा कर लेट गया.

मर्द लोग खाना खा कर चले गये तब औरतो ने अपने लिए खाना निकाल कर लड़कियो के साथ बैठ गई.

काजल- क्यू मारा था अपने भाई को तुम लोगो ने.

सोनम- वो...वो..काकी रोमा और कोमल पढ़ रहे थे की भाई आ कर किताब पलट दिया इसी लिए इन दोनो को गुस्सा आ गया तो दोनो ने डाट दिया था.

लल्लू जो वही लेटा था

लल्लू- झूठ बोलती है दीदी. झूठ बोलना बुरी बात है. रोमा और कोमल दीदी पढ़ नही रही थी. में दीदी को पुकारता हुआ जा रहा था कमरे में तो सोनम दीदी कपड़े बदल रही थी.
सोनम दीदी सिर्फ़ छोटी पेंट पहने थी इसी लिए दीदी ने मारा की दरवाजा बजा कर क्यू नही आया.

मा- हूँ. बेटा तुम्हे दीदी क कमरे में ऐसे नही जाना था ना.

लल्लू- लेकिन मा में आवाज़ देता जा तो रहा था और में भी तो नंगा ही था ना ऊपर से. आप ने ही तो मुझे दीदी के पास भेजा था. तो में क्या करू.

ऋतु- कोई बात नही. सब ने सुन लिया है ना. आगे से अगर इसे किसी ने रुलाया तो तुम सब के हिटलर काका सब को घर से बाहर निकाल देंगे.
तो ध्यान रखना इस बात का.
josef
Platinum Member
Posts: 5361
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

अपडेट 16.



लल्लू खटिया पर जा कर लेट गया.
सब लॅडीस पार्टी खाना खा कर उठ गई. लड़किया सारे बर्तन समेट कर धोने को ले कर चली गई.

मा- तो मेरा बेटा बड़ा हो गया है. कुंभ में अपने दादू और काका काकी को भी बचाया है. और तो और अब कपड़े भी छोटे हो गये है.

सारी काकी हँसने लगी ये सुन् कर.
लल्लू- मा आप मेरा तारीफ कर रही हो या मज़ाक उड़ा रही हो. पता ही नही चल रहा.

एक बार फिर सब हस दिए.

सारी काकी वही मेरे पास आ कर बैठ गई.

रागिनी- तो लल्लू बेटा मेरे लिए क्या लाए हो मेले से.
शालिनी- लल्लू बेटा मेरे लिए भी क्या लाए हो.

मा- आप सब के लिए तो लाया होगा या नही लेकिन मेरे लिए तो ज़रूर लाया होगा. क्यू बेटा, क्या लाया है मेरे लिए.

लल्लू- जो भी लाया हूँ सब काकी ही लाई है. मुझे जाते वक्त कोई पैसे के लिए पुछा था की बेटा घर से दूर जा रहा है पैसे है कुछ तेरे पास या नही.

सब चुप….

लल्लू केमरे में जा कर बैग ले आया और अपने प्यारी काकी या लुगाई कहु उसे ला कर पकड़ा दिया.

ऋतु बैग से समान निकाल निकाल कर सब के लिए जो लाई थी वो देने लगी.

अपने देवरानी के लिए वहाँ से चूड़ी सिंदूर और बिंदी लाई थी.

अपने बेटियो के लिए कंगन लिपस्टिक और काफ़ी सारे फैशों के संसाधन जो एक पूरे बाग में था वो सारा उन लड़कियो को पकड़ा दी.

सब लड़किया अपने गिफ्ट्स पा कर ख़ुसी से उछलते हुई कमरे में चली गई.

रागिनी काकी- दीदी कुंभ में आख़िर हुआ क्या था.

ऋतु- अरे मत पूछ क्या हुआ. जैसे अभी वो बताए थे ना लल्लू के काका वैसे ही हम लोगो को तो कुछ पता भी नही चला था की आख़िर हुआ क्या था वहाँ. वो तो लल्लू था की समय पर खिच कर हम लोगो को गली में ले कर चला गया नही तो पीछे से भागे आते लोगो से धक्का खा कर हम नीचे गिर जाते फिर उन्ही लोगो क पैरो से रौंदे जाते.

काजल- हहाय्यी रामम्म्म कितना बड़ा अनर्थ होते होते रह गया. ( काजल अपने मूह खोल कर उसे अपने हाथ से धक कर बोली)

रागिनी- सही कहा. अगर हमारा हीरो बेटा नही होता तो पता नही क्या होता सब का.

शालिनी- हमारा बेटा है ही सब से बहादुर.

ऋतु तो चुप चाप बस अपने ख़सम लल्लू को प्यार से देखे जा रही थी.

मा- वैसे मैने एक बात और गौर किया है.

सब काजल की और सरप्राइज हो कर देख रहे थे.

मा- में देख रही हूँ की कुंभ मेले से ज्ब से आए है दीदी (ऋतु) का चेहरा कुछ ज़्यादा ही खिला खिला दिख रहा है.

ऋतु का तो सुनते ही गला सुख गया.
ऋतु- क्या बक रही है कमिनी. में तीर्थ यात्रा पर गई थी किसी उस में नही वो क्या कहते है…

शालिनी- हनिमून.

ऋतु- (शरमाती हुई) हा वही. ( ग्लो तो करेगाही ना तुम्हारे बेटे ने अपना गधे जैसा लौड़े से जो हुमच हुमच कर मार खाई हूँ.) मन में बोलती है.

मा- तो फिर ये आप का चेहरा क्यू इतना चमक रहा है. हमें भी बता दो दीदी उस राज को. हम भी अपना चेहरा चमका ले.
josef
Platinum Member
Posts: 5361
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

लल्लू जो वही पास में खटिया पर लेटा था. उसे अपनी मा की बात सुन कर खशी आ गई.

ऋतु- (मन में) हे राम क्या बोल रही है ये रंडी. अपने बेटे से चुदना चाहती है. कैसे बता डू की में अब उसकी दीदी नही बल्कि बहूँ बन गई हूँ और वो मेरी सासू मा.

मा- मुआ तुम्हे क्या हुआ तू क्यू खांसने लगा.

लल्लू- कुछ नही मा. मूह में मक्खी चला गया था.

ऋतु- चलो अब थोड़ा आराम कर लो सब.

फिर सब उठ कर अपने अपने कमरे में आराम करने चले गये.

लल्लू ऋतु की और देख रहा था की शायद बुला ले उसे लेकिन ऋतु सीधा अपने कमरे में चली गई.

लल्लू बड़ा मायूष हो गया.
खटिया पर बैठा बैठ उब् गया था अब वो.
वहाँ से उठ के वो दालान पर आ गया.
तभी ऋतु बाहर निकल कर चुपके से लल्लू को बुलाने आ रही थी लेकिन लल्लू तो जा चुका था दालान पर.
ऋतु मायूष हो कर वापस कमरे में चली गई.

लल्लू दालान पर आया तो सुनील बैठा हुआ था जो लल्लू को देख कर उसे अपने पास बुलाया.

सुनील- बेटा कब चलना है बाज़ार.
लल्लू- जब कहे आप काका.

सुनील- थी है फिर जा कर तैयार हो जा फिर चलते है.

लल्लू वापस आँगन में आ कर मा के पास चला गया.
कमरे में काजल अकेली सो रही थी सोने से उसका सारी उसकी जाँघो तक ऊपर हो गया था.
लल्लू अपनी मा का मोटी जाँघ को देख कर उसे ऋतु की मोटी गदराई जंघे याद आने लगी.
उसकी मा की जंघे ऋतु के जाँघो से और भी मोटी और गोरी लग रही थी.
लल्लू ये देख कर अपने लॉडा मसलने लगा.

तभी काजल करवट बदल कर सो गई.
लल्लू घबरा कर पीछे हो गया.

लल्लू- ( पता नही क्या हो गया है मुझे.) मा ऊ मा. उठ.. मुझे बाज़ार जाना है. ज़रा कपड़े निकाल कर दे.

मा लल्लू की बात सुन कर आँखे खोल देखी.
मा- क्या हुआ. अभी तो नींद आया था और तुम उठा दिए.
लल्लू- मा मुझे बाज़ार जाना है. कपड़े दे ना.

काजल उठ कर लल्लू को कपड़े निकाल कर दे दी.

लल्लू कपड़े ले कर वही सारे कपड़े खोल नंगा हो गया और दूसरे कपड़े जो उसे काजल निकाल कर दी थी वो पहनने लगा.

काजल- ऐसे सारे कपड़े खोल कर नंगा नही होते कही भी. अब तुम बड़े हो गये हो ना.
काजल लल्लू के लौड़े को देखते हुए बोली.

काजल लल्लू के लौड़े को देख कर बहकति जा रही थी.

लल्लू- मा में कही भी थोड़े ना कपड़े खोल रहा हूँ. में तो कमरे में हूँ.

मा- लेकिन बेटा. अब तुम बड़े हो गये हो और यहाँ में भी तो हूँ. तू मेरे सामने ही नंगा हो गये.

लल्लू- मा तुम ही तो कहती हो की बच्चे मा बाप के लिए कभी बड़े नही होते. और अब तुम ही कहती हो की में बड़ा हो गया हूँ. अब तुम ही बताओ में कौन सी बात मानु.

काजल लल्लू की बात सुन कर अपना सर पीट ली.

काजल- बेटा आगे से ऐसे किसी के भी सामने नंगा नही होना. नही तो सब हँसेंगे तुम पर.

लल्लू- ठीक है मा.

लल्लू कपड़ा पहन कर दालान पर आ गया.
वहाँ सुनील भी तैयार था.
दोनो साथ में बाज़ार को चल दिए बुलेट पर.
josef
Platinum Member
Posts: 5361
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

सुनील के पास एक बुलेट थी.

बाज़ार गाँव से 5 किमी दूर था.
वहाँ जा कर सुनील लल्लू को ले कर एक रेडीमेड गारमेंट्स क दुकान में ले गया.

सुनील- भैया ज़रा मेरे बेटे क नाप क अच्छे अच्छे चार सेट निकाल दो.

दुकान वाला गाँव का ही था जो इन लोगो को अच्छी तरह पहचानता था.

दुकानदार- इधर आ जाओ बेटा.
फिर दुकानदार लल्लू के लिए चार सेट उसके नाप के पेंट शर्ट गांजी जांघा सब निकाल कर एक थैले में पॅक कर दिया.

वहाँ से निकल कर सुनील और लल्लू दूसरे दुकान पर आ गये.
ये शूस का दुकान था वहाँ से सुनील ने लल्लू के लिए एक जोड़े संडल और एक जोड़े जुते खरीद दी.

वहाँ से ये दोनो बाहर आ गये.
सुनील- और कुछ लेना है बेटा.

लल्लू- काका क्यू ना सब के लिए कुछ खाने को ले लू. बहुत दिन हो गया सब के लिए कुछ ले कर नही गये है.

सुनील- वो तो ले लेंगे बेटा लेकिन तुम्हे अपने लिए कुछ और चाहिए तो बता.

लल्लू- नही काका जी. आप के रहते मुझे और क्या माँगना पड़ेगा. आप माँगने से पहले ही सब ला देते है.

फिर सुनील लल्लू के साथ एक चाट वाले क दुकान पर जा कर सब के लिए चाट पॅक करवा लिया और फिर वही से गरमागर्म जलेबी भी ले ली.
सब ले कर दोनो फिर अपने गाँव को चल दिए.

घर आ कर लल्लू अपने कपड़े को मा को पकड़ा दिया रखने को और खाने का समान रागिनी काकी को.

रागिनी आवाज़ दे कर अपने बड़ी बेटी मीनू को बुला कर उसे वो पॅकेट पकड़ा दी.

मीनू- इस में क्या है मा.

रागिनी- तुम लोगो को तो अपने भाई से कोई मतलब ही नही रहता. लेकिन ये तुम सब का ख़याल रखता है.

बाज़ार गया था तो सब के लिए कुछ खाने को लाया है. निकाल कर सब को दे.

मीनू खुशी से उछालती हुई वो पॅकेट ले कर रसोई में चली गई और वहाँ जा कर सब के लिए प्लेट में निकाल दी.

मीनू- वाउ चाट और जलेबी. बहुत दिन हो गये थे खाए हुए.

मीनू पहले दालान पर सभी मर्द लोगो को दे आई.
उसके बाद अपने मा और काकियों क ग्रूप में दे कर बाकी जितना बचा था सब ले कर अपने कमरे में चली गई.

लल्लू खटिया पर बैठा सब देख रहा था.
वो अपने लिए इंतजार कर रहा था की अब आएगा मेरा प्लेट अब आएगा लेकिन मीनू समझी की भाई लाया है तो वो वहाँ खा कर ही आया होगा. इसी चक्कर में लल्लू का उपवास हो गया.

काजल और ऋतु बार बार लल्लू को देख रहे थे.
काजल- मीनू… अपने भाई को नही दी तुम ने.

लल्लू- में खा कर आया हूँ. ( बोल कर वो वहाँ से उठ कर बाहर चला गया.)
बाहर आ कर लल्लू केई दिन से नदी किनारे नही गया था तो वहाँ चला गया.
अंधेरा होने तक लल्लू वही बैठा रहा.
सोचता रहा की उसकी क्या ग़लती है की वो एक जवान लड़का हो कर भी नादान है, बच्चो क जैसा है.
लल्लू को रोना आ रहा था अपने किस्मत पर की ऊपर वाले ने उसका शरीर तो बड़ा कर रहे है लेकिन दिमाग़ नही बढ़ा रहे.

अंधेरा होने के बाद लल्लू वहाँ फ्रेश हुआ ओर चल दिया घर की और.
Post Reply