Incest मर्द का बच्चा

Post Reply
Reich Pinto
Novice User
Posts: 382
Joined: 10 Jun 2017 21:06

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by Reich Pinto »

marvelous story update next ?
User avatar
Deerama
Posts: 33
Joined: 18 Aug 2018 22:38

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by Deerama »

(^^^-1$*7) update do yar
josef
Platinum Member
Posts: 5361
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

अपडेट 12.


लल्लू ऋतु को पीछे छोड़ कर चल दिया.
सीढ़ियो के पास आ कर गेट को लगा दिया. फिर पलट कर आ गया छत पर.

लल्लू इस बार ऋतु के पास आ कर उसके दोनो चुचे को हाथो में पकड़ कर मसलने लगा.

बड़े बड़े गोल गुब्बारे यू छत पर खुले में दबाता हुआ लल्लू ऋतु के होंठो को अपने होंठो में ले कर चूसने लगा.

ऋतु किसी बेल की तरह लल्लू से लिपटी हुई थी.

लल्लू ऋतु के होंठो को चूस्ता हुआ ऋतु के दूध को भी दबाता जा रहा था.

ऋतु- उहह, थोड़ा आराम से दबाओ दर्द करता है.

लल्लू- दिन में जो तड़पा हूँ उसका बदला लेना तो अभी बाकी है. अभी से दर्द करने लगा मेरी लुगाई को.

ऋतु- क्या करू मेरा सैया ज़रा अनाड़ी है.

लल्लू ऋतु के आँचल को हटा कर उसके ब्लाउस को खोल दिया.
ऋतु- यहाँ खुले में मत करो. नीचे रूम में चलते है ना.

लल्लू- कभी काका के साथ खुले आसमान के नीचे ठंढी ठंढी हवओ के बीच में यू कुछ की हो.

ऋतु- मुआअ, अब तू ही मेरा ख़सम है तो अब से कभी उसकी कोई बात मत करना नही तो फिर कभी च्छुने भी नही दूँगी.

लल्लू- गुस्सा क्यू करती हो. यहाँ खुले में प्यार करने का एक अलग मज़ा है.

लल्लू ऋतु के ब्लाउस को खोल कर अलग कर दिया. नीचे ऋतु ने बलक ब्रा पहनी थी.
लल्लू- क्या बात है आज तो चुचि कसनी भी पहनी है.
लल्लू पीछे हाथ ले जा कर उसका भी हुक खोल कर अलग रख दिया.

अब ऋतु ऊपर से बिल्कुल नंगी थी.
ऋतु के दो फूले हुए गुब्बारे हवा में खुल रहे थे.
लल्लू एक को अपने हाथ में थाम कर दूसरे को मूह खोल कर जितना आ पाया उतना डाल कर चुभलने लगा.
ऋतु मज़े से सस्सीई ससीई करती हुई लल्लू के बालो में उंगली घुमा रही थी.

लल्लू आज सुबह से ही परेशान था.
रात में पहली बार तो वो ये स्वाद चखा था तो अभी अब उस में सबर नही था.

कुछ देर दोनो दूध को गुठने चूसने के बाद लल्लू ऋतु को वहाँ रखी एक टूटी कुर्सी पर बैठा दिया दीवाल के सहारे और अपना लॉडा निकाल कर उसके मूह के पास कर दिया.
ऋतु लल्लू के मन की बात समझ कर लल्लू के लौड़े को ले कर मुठियाने लगी.
लल्लू ऋतु के सर को पकड़ कर अपने लौड़े पर झुकता चला गया.
लल्लू ऋतु के होंठो पर अपना लॉडा रगड़ने लगा.
ऋतु अपना मुँह खोल कर लौड़े को अपने मूह में ले कर चुप्पा लगाने लगी.

लल्लू अपना कमर हिला कर ऋतु के मूह को छोड़ रहा था.
लल्लू तो मज़े से सातवे आसमान में था.
लल्लू को बहुत मज़ा आ रहा था ऋतु के मूह को चोदते हुए.
लल्लू हाथ बढ़ा कर ऋतु के चुचे को हाथो में ले कर मसलने लगा और इधर कमर हिला कर मूह भी चोदे जा रहा था.

धीरे धीरे लल्लू का हिलना तेज होता चला गया.
अब लल्लू ने ऋतु के मूह को दोनो हाथों से पकड़ कर अंदर तक अपने लौड़े को ठोकता जा रहा था.
लल्लू का लॉडा ऋतु के गले में कंठ पर जा कर ठोकर मारता था.

लल्लू मज़े से अपने मूह से अजीब अजीब आवाज़े निकाल ता हुआ ऋतु के मूह को तूफ़ानी गति से चोदे जा रहा था. वो भूल गया था की ये ऋतु का चूत नही बल्कि उसका मूह है.

लल्लू झटके ख़ाता हुआ ऋतु के मूह में ही खाली हो गया.
ऋतु एक झटके से लल्लू को धकेल कर खाँसते हुए उल्टी करने लगी.
लल्लू तो देख कर दर गया की जोश जोश में ये क्या कर गया.

ऋतु जब थोड़ी देर बाद संभाली तो उठ कर एक थप्पड़ लगाई.
ऋतु- मुआअ में क्या मना की हूँ कुछ करने को. कम से कम आराम से तो कर. तू तो जान ही ले लेता मेरा.
लल्लू- सॉरी काकी. वो मुझे होश ही नही रहा. लेकिन आप तो बता सकती थी ना.

ऋतु- मुआअ बताती कहाँ से. मूह में तो लॉडा ठूँस रखा था तू ने और हाथ से मार रही हूँ इतनी देर से तो उसका तो तुम्हे कोई पता ही नही चला.

लल्लू- सो सॉरी काकी. आगे से में ध्यान रखूँगा. प्लीज़ आप नाराज़ ना हो.

ऋतु- ठीक है. चल अब नीचे चल.
लल्लू- क्या…. अभी तो सुरू ही हुआ है. अभी कहा नीचे जाएँगे.

ऋतु- तो आज सोच लिया है यही खुले में चोदेगा मुझे.

लल्लू- हा रानी. आज मेरा मन है की में तुम्हे नंगी कर के खूब हुमच हुमच कर इस छत पर खुले आसमान के नीचे चोदु.

ऋतु- ज़्यादा ज़ोर मत लगाना. नही तो में चिल्लाने लगी तो लोग आ कर हम दोनो को जान से मार देंगे.

लल्लू ऋतु को पकड़ कर खड़ा किया और उसके होंठो को चूसने लगा.
लल्लू को ऋतु के मूह से अपने कम की बदबू आ रही थी लेकिन ऋतु के मदमस्त जवानी को चूसने में उसे अपने कम का भी टेस्ट अच्छा ही लगने लगा.

लल्लू ऋतु को पकड़ कर अलग किया और उसकी साड़ी को खोल कर अलग कर दिया.

ऋतु- लल्लू ये सब मत खोल बेटा. अगर यहाँ कोई आ गया तो हम जल्दी से तैयार भी नही हो पाएँगे.
लल्लू- अब यहाँ कोई नही आ पाएगा मेरी जान. मैने गेट बंद कर रखा है.

लल्लू पेटिकोट का नाडा पकड़ कर खिच दिया.
पेटिकोट सरसरता हुआ ऋतु के पैरो में गिर गया
अब ऋतु मदरजात नंगी थी इस खुले आसमान के नीचे.
ऋतु को बड़ा शरम आ रहा था.
वो शरमा कर पीछे घूम गई जो लल्लू के जान पर बन आई.

ऋतु की भारी मटके जैसे गोल गान्ड अब लल्लू के आँखो के सामने था.
चाँद की रोशनी में ऋतु का संगमरमर जैसा बदन चमक रहा था. उस पर से ये कातिल गान्ड…
हाय्यी क्या कहना.
लल्लू जल्दी से अपना सारा कपड़ा खोल कर नंगा हो गया और पीछे से ही ऋतु से चिपक गया.
ऋतु का गान्ड देख कर लल्लू का लॉडा रोड की तरह खड़ा हो गया था जो चिपकने से बिल्कुल ऋतु के गान्ड के दोनो फाकॉ के बीच टेढ़ा वो कर नीचे निकल गया था.
josef
Platinum Member
Posts: 5361
Joined: 22 Dec 2017 15:27

Re: Incest मर्द का बच्चा

Post by josef »

ऋतु लल्लू के गरम रोड की तरह सखत लौड़े को फील कर के मज़े से गंगना गई.
पूरे बदन में ऋतु के चीटियाँ रेंगने लगी.
लल्लू आगे हाथ ले जा कर ऋतु के दोनो चुचे को थाम लिया और उसको अपने से चिपका कर हल्के हल्के घिस्ससा लगाने लगा.
ऋतु के पीछे चिपका लल्लू तो मज़े से आसमान में अर रहा था और यही हाल कुछ ऋतु का भी था वो नीचे से पानी बहाए जा रही थी.
अपने होंठो को दाँतों से काटते हुए मज़े से लल्लू से अपना चुचे मीस्वा रही थी और पीछे से घिस्से लगवा रही थी.
ये ऋतु का पहला अनुभब था ऐसा.
अनिल तो ढंग से कभी अपना लुल्ली भी नही डाला था उसके अंदर.

अब ऋतु से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था.

लल्लू- रानी में तुम्हारी ये मटकी फोड़ना चाहता हूँ.

ऋतु- पहले मुझे पटक कर जम के चोद खूब हुमच हुमच कर ताकि कल में चालू तो लोग समझे की में खूब जम के चुदी हूँ अपने ख़सम से सारी रात.

लल्लू ऋतु की बाते सुन् कर जोश में आ गया और उसे घुमा कर रेलिंग पकड़ कर झुका दिया.

लल्लू ऋतु के पीछे आ कर ऋतु के कमर तक लहराते बालो को इकट्ठा कर अपने हाथ में ले कर लौड़े को ऋतु की चूत पर लगा कर रगड़ने लगा

ऋतु- अब और मत तडपा रे. अब मुझसे और बर्दास्त नही होगा. ये कैसा आग लगा दिया तूने. जल्दी से अपना लॉडा ठोक मारे निगोडी भोसरे में.

लल्लू ऋतु की चूत से निकलते पानी से अपने लौड़े को अच्छी तरह से चिकना कर लिया घिस घिस कर और फिर ऋतु की चूत क च्छेद पर अपने लौड़े को टीका कर ऋतु के मखमली गान्ड को दोनो हाथो में पकड़ लिया और हुम्मच कर धक्का मारा.

एक ही धक्के में जड़ तक लल्लू का लॉडा ऋतु की चूत को फर्टी हुई जा घुसा.

ऋतु बहुत ज़ोर से चीख पड़ी.
लल्लू जल्दी से अपने हाथ से ऋतु के मूह को बंद किया लेकिन फिर भी एक बार तो वो चिल्ला ही चुकी थी.

लल्लू का लॉडा चूत की गर्मी से अंदर और फुल रहा था जैसे.
इधर ऋतु का तो बुरा हाल था.
इतना दर्द की उसे लगा जैसे किसी ने पेट तक कोई गर्म सरिया घुसा दिया है.
वो लल्लू की बाहों में मछली की तरह फड्फडा रही थी छूटने को.
लल्लू ऋतु के मूह से हाथ हटा कर उसके चुचे को दोनो हाथो से पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से मिचने लगा.

ऋतु- अया माररर दीययया रीए.. क्यू आ गइइ मे यहाँ.. आअहह अच्च्छा था रूमम में ही सो जाती. फटत्त गइइ मेरि चूत

ऋतु के आँखो से टपटप आँसू बह रहे थे.

लल्लू कभी दोनो चुचे दबाता तो कभी उसके मटके जैसी गान्ड क फांको को मसलने लगता.

कुछ देर ऐसे ही मसलने के बाद ऋतु का रोना कम हुआ तब लल्लू हल्के हल्के अपना लॉडा निकल कर धीरे डालने लगा.
अभी थोड़ा ही बाहर निकालता और फिर पूरा घुसा देता था अपना लॉडा.

ऋतु को बार बार अपने पेट में बच्चे दानी पर ठोकर लगता महसूस होता.

ऋतु- कितना बड़ा है एक मुये का लॉडा. बिल्कुल गधे का है…
पता नही किस घड़ी पैदा किया था इस गधे क लौड़े को काजल.


लल्लू अब आधे से ज़्यादा लॉडा निकल कर पेलने लगा ऋतु को.

चुचे दबाता हुआ लल्लू अब हुमच हुमच कर धक्का मारने लगा.
ऋतु हर धक्के पर कराह उठती.
ऋतु के हाथ से रेलिंग छूट
जाता तो फिर उसे मजबूती से पकड़ लेती और अगले धक्के में फिर छूट जाता.

ऋतु की गान्ड लाल हो गई थी लल्लू के कमर से लग कर.
खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में ये दोनो दिन दुनिया से बेख़बर ठप ठप ठप की मधुर संगीत बजाए जा रहे थे.

ऋतु- आअहह मुआअ कैसी चोद रहा है.. जैसे इसीई किी माआ काजरिी की भोसरा हूँ. हाय्यी माआ रीि मे गइइ..
ऋतु चिल्लाते हुए झरने लगी.

लल्लू अपने मा का नाम ऋतु के मूह से सुन कर सुन्न्ं हो गया.
उसका लॉडा जैसे और सख़्त हो गया मोटाई जैसे और बढ़ गई.
लल्लू अब तूफ़ानी गति से ऋतु के गान्ड को मसलते हुए चोदे जा रहा था.

लल्लू- ली रनडिीई बड़ी गर्मी थी चुप कर रात को लॉडा चुस्टिीई है. ले अब मेरा लोडाअ आज भोसड़ाअ बनंाअ दूँगा. आहह मेरि रनडिीई रितुऊउ.

लल्लू पता नही क्या बके जा रहा था और ऋतु के चुचे और गान्ड को तो मसल मसल कर फूला दिया था.
ऋतु लल्लू के हैवानियत को सहन नही कर पा रही थी…
जैसे उसे लग रहा था की इस से अच्छा तो वो कुवारि रह लेती. कभी नही चुदती.
अभी वो दो बार झड़ चुकी थी और अब उसको जलन हो रहा था अंदर.
लल्लू अभी वाहसी पागल था और ऋतु भी अधेड़ उम्र की गदराई .

ऋतु में गर्मी बहुत थी लेकिन एक तो उम्र और दूसरा लल्लू ठहरा अर्ध पागल.
ऋतु लल्लू को अब झेल नही पा रही थी.

ऋतु- लल्लू तुम्हे मेरी कसम है अभी मुझे छोड़ दे. बहुत जलन हो रहा है और पैर भी दर्द कर रहा है. मुझे थोड़ा सास लेने दे फिर करना.

लल्लू ऋतु की बात सुना ही नही.
उसके कान में तो बस काजल नाम घूम रहा था जो ऋतु झरते हुए बोली थी.
Post Reply