Incest मर्द का बच्चा

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josef
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Re: Incest मर्द का बच्चा

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ऋतु- लल्लू तुम्हे मेरी कसम है अभी मुझे छोड़ दे. बहुत जलन हो रहा है और पैर भी दर्द कर रहा है. मुझे थोड़ा साँस लेने दे फिर करना.

लल्लू ऋतु की बात सुना ही नही.
उसके कान में तो बस काजल नाम घूम रहा था जो ऋतु झड़ते हुए बोली थी.

लल्लू सटाक से ऋतु की चूत से लंड निकाल कर उस पर ढेर सारा थूक लगाया और ऋतु जो खुश हो कर बैठने जा रही थी साँस दुरुस्त करने को, उसे उठा कर अपने गोद में ले लिया और नीचे से ठोक दिया बुर में पूरा लॉडा.

ऋतु- आहह आज ये मेरि जान ले कर मानेगा.. हे भगवान्नन् बचाअ ले.. आगे कभी नहीं चुदुन्गी इस पागल्ल्ल वहशीईई गधे के लोंडे से..

लल्लू हुमच हच कर ऋतु को उछालता हुआ चोदे जा रहा था.

थोड़ी देर में उसे ले कर वही एक फटे कॅमपिंग क्लॉत पर लिटा कर ऋतु के दोनो पैर को कंधे पर डाल छोड़ दिया अपना मिसाइल

ऋतु इस धक्के से गंगना गई…
ऋतु- कोइ बचा लो रीए. मार देगा मुझे.

लल्लू अब अपने मंज़िल के करीब था. अब उसे कुछ नही दिख रहा था. वो ऋतु के दोनो पैर को ऋतु के छाती से चिपका कर ऋतु के ऊपर सवार हो हचक हचक कर चोदे जा रहा था फुल स्पीड में.

लल्लू एक आखरी शॉट लगा कर ऋतु के अंदर ही भलभला कर झड़ने लगा.

लल्लू के हाथ से ऋतु का पैर छूट गये.
ऋतु अपने पैर को फ्री होते ही हाथ पैर फैलाए लल्लू के पानी को फील करती काँपति वो भी झड़ रही थी..
ऋतु और लल्लू पूरे पसीने से भींगे हुए थे.

काफ़ी देर तक वहाँ सोए रहे वो दोनो.
josef
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Re: Incest मर्द का बच्चा

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सुबह दरवाजा खटकने से लल्लू का ध्यान टूटा.

एक नज़र ऋतु को देखा तो वो सोई हुई थी.
लल्लू आगे बढ़ कर दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर काका खड़े थे.
अनिल- क्या बात है. आज नींद नही खुली क्या.
लल्लू- क्या करू. दिन में कोई काम नही था तो सो गया था. रात में नींद नही आई. अभी जा कर सोया था की आप आ कर उठा दिए.

अनिल- चलो कोई नही. फ्रेश हो जाओ. अपनी काकी को भी उठा देना. फिर चलते है संगम स्नान पर.

काका चले गये.
लल्लू दरवाजा लगा कर ( काकी को उठाऊ या अपनी लुगाई को) अपने आप से बड़बड़ाता ऋतु के पास आया और उसके चुचे को पकड़ कर सहलाने लगा.

ऋतु कुन्मूनाने लगी.
लल्लू ऋतु के होंठो को मूह में भर कर उसका रस चूसने लगा तो ऋतु की नींद खुल गई.
थोड़ी देर बाद ऋतु भी लल्लू का भरपूर साथ दे रही थी.

लल्लू अलग हो कर बैठ गया. मन तो नही था हटने का लेकिन अभी समय नही था ये सब करने का.

लल्लू- काका आए थे. जल्दी से जा कर फ्रेश हो जाओ फिर स्नान को चलना है.

ऋतु अंगड़ाई लेती हुई उठती है और एक चमत लगा देती है लल्लू को.
ऋतु- आअहह हरामी साले. पूरा बदन दर्द कर रहा है. मुझे पैर नही उठाया जा रहा जैसे लगता है की अभी भी लॉडा घुसा है मेरी बुर में.

लल्लू हँसता हुआ ऋतु की बुर को सहला दिया.
ऋतु सस्सिईई सस्सीई करती हुई पीछे हो गई हल्के से.
फिर ऋतु अपने कपड़े को सही कर के बाहर फ्रेश होने को चली गई.


ऋतु फ्रेश हो कर आ कर लल्लू को एक चमत फिर लगा दी.

ऋतु- कुत्ते, क्या हालत बना दिया है तू ने मेरे सोन परी का.

लल्लू- मैने क्या किया. तू ही तो बोल रही थी की ऐसे चोदना की बाहर निकलु तो लोग मेरा चाल देख कर बोले देख अपने ख़सम से सारी रात हुमच हुम्मच कर चुदवा कर आई है.

ऋतु लल्लू की बाते सुन् कर शरमा गई. शरम से उसके गाल बिल्कुल टमाटर की तरह लाल हो गये.

लल्लू बाहर निकल कर फ्रेश होने चला गया.
वहाँ से आ कर सारे कपड़े जो नहा कर पहनने थे वो एक बाग में डाल कर सभी चल दिए स्नान करने.
josef
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Re: Incest मर्द का बच्चा

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लल्लू बाहर निकल कर फ्रेश होने चला गया.
वहाँ से आ कर सारे कपड़े जो नहा कर पहनने थे वो एक बाग में डाल कर सभी चल दिए स्नान करने.

आज, कल इतनी भीड़ नही थी. कल कुंभ स्नान था. तो काफ़ी सारे लोग कल ही स्नान कर के चले गये थे. दूसरा कल भगदड़ भी मच गई थी तो कुछ दर से भी चले गये थे.

अनिल- क्या बात है ऐसे क्यू चल रही है. ( अनिल ऋतु की चाल देख कर बोला)

ऋतु शरमा गई. घबरा भी गई. अब क्या बोले अपने इस ख़सम को की वो उसको छोड़ कर अपने देवर के बेटे से, अपने बेटे से भी उम्र में छोटे लड़के से ब्याह कर के उसकी लुगाई बन गई है. उसकी रंडी बन गई है और रात भर उस से जम के चुदवाई है. इतनी चुदी है जितना तो इसने एक शाल में नही चोदा होगा. इतना इस नये ख़सम ने उसके फतार ने उसे एक रात में चोद दिया है.

ऋतु- वो रात अंधेरे में ठोकर लग गई थी. तो पैर में मोच आ गया था.

लल्लू ऋतु के की चाल को देख कर मूह दबा कर हिस्से जा रहा था. लल्लू से तो के बेटे ही नही रुक रही थी. और ऋतु बड़ी बड़ी आँख कर के लल्लू को धमकाया जा रही थी.

यू ही मज़े करते हुए चारो संगम पर पहुच गये.


चारो लोग नहा कर रोड पर आ गये.
अनिल काका ने एक ए-रिक्शा किराए पर किए कुंभ क सारे स्थल के दर्शन के लिए.

ये लोग उस में बैठ कर चल दिए भगवान के दर्शन को.
संगम में स्नान किए ही थे ये लोग तो वहाँ परतम नायक का पूजा कर ही लिए थे त्रिवेणी के

उस के बाद ये लोग चल दिए दूसरे नायक के दर्शन को. माधव मंदिर. जिन में सब से प्रमुख हैं बेनी माधव.

वैसे तो पूरे प्रयाग में कुल बारह माधव मंदिर है लेकिन सब में नही घूम सकते थे क्यू की आज ही जाना भी था घर तो ये लोग बेनी माधव मंदिर जा कर वहाँ पूजा अर्चना किए.

लल्लू ऋतु के साथ पति पत्नी के रूप में ही पूजा किया क्योंकि काका तो दादू के साथ थे.

लल्लू इन से थोड़ा आगे या पीछे हो जाता था इन समय में और दोनो पति पत्नी बन कर पूजा कर लेते है.

फिर वॉया से ये लोग तीसरे नायक को चल दिए.
तीसरे नायक है सोमेश्वर मंदिर.

यहाँ भगवान शिव की मंदिर है.
यहाँ आने पर बहुत भीड़ थी यहाँ.

दादू और काका एक लाइन में घुस गये लेकिन लल्लू और ऋतु जा ही नही पा रहे थे. तभी वहाँ एक साधु बाबा आए जो लल्लू का हाथ पकड़ कर एक और ले गये. लल्लू ऋतु का हाथ पकड़े हुए था तो दोनो साधु बाबा के पीछे खीछे चले गये.
थोड़ी दूर जाने पर साधी बाबा एक कुंड के पास आ कर रुक गये.

साधु बाबा- ये सीता कुंड है. यहाँ इस सोमेश्वर स्थान में श्व्यं चंद्रमा अमृत वर्षा किए है.

तुम दोनो एक कुंड में स्नान कर लो फिर प्रभु भोले सोमेश्वर की पूजा करना.

लल्लू और ऋतु एक दूसरे का मूह देख रहे थे.
साधु बाबा वहाँ से चले गये थे.

लल्लू ऋतु का हाथ पकड़ कर कुंड में उतर गये.
दोनो उस कुंड में नहा कर बाहर आ गये.
वही पास में एक बच्चा इनके लिए कपड़ा ले कर खड़ा था.
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