उसके बाद फोन काटने के बाद दीनू फुर्ती से वहाँ बने एक रूम मे घुस जाता है....और उस रूम के उपर बने रोशनदान मे से ओप्रेशन थियेटर मे झाकने लग जाता है....वहाँ 1 नर्स और दो डॉक्टर संध्या के चारो तरफ खड़े थे...संध्या अपनी टांगे फैलाए ज़ोर ज़ोर से चीखे जा रही थी....और डॉक्टर उसे और ज़ोर लगाने को कह रहे थे....कुछ ही देर बाद संध्या ने एक बच्चे को जन्म दिया और वो दोनो डॉक्टर्स उस नर्स से बच्चे को सॉफ करने को और कुछ देर मे वापस आने का बोल कर बाहर निकल गये...
नर्स के अंदर जाते ही....दीनू भी फुर्ती के साथ रोशनदान मे से छलाँग लगाकर उस ओप्रेशन थियेटर मे कूद जाता है....
वहाँ संध्या अभी भी उसी अवस्था में बेहोश पड़ी थी अपनी टांगे चौड़ी करे हुए....संध्या की तरफ से अपना ध्यान हटाकर दीनू तेज़ी से नर्स की तरफ बढ़ जाता है....
नर्स उसे देखकर शोर मचा पाती उस से पहले ही दीनू के एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने उस नर्स को बेहोशी की दुनिया मे पहुँचा दिया....
उस बच्चे को दीनू अपनी गोद में उठाकर फुर्ती से जिस रास्ते से यहाँ आया था उसी रास्ते से निकल जाता है....और हॉस्पिटेल से बाहर निकल कर फिर से एक फोन मिला देता है....
दीनू--साहब संध्या ने एक लड़की को जन्म दिया है....आप एक बार फिर से सोच लीजिए इस मासूम की जान लेने से किसी को कुछ नही मिलेगा....
प्रधान--गुस्से मे....मदर्चोद साले बेवड़े जितना कहा है वो कर....उस कुतिया की बच्ची को ख़तम कर वरना तू जहाँ भी होगा तुझे ढूँढ कर मारूँगा...
दीनू--ठीक है साहब आप नाराज़ मत होइए....में अपना काम ख़तम करने के बाद आपसे वापस मिलता हूँ...
एक नयी कहानी जन्म ले चुकी थी....अगर शमा ही मेरी सग़ी बहन हा तो अब तक मुझ से क्यो छुपाया गया....क्यो किसी ने भी शमा को ढूँढने की कोशिश नही करी.....मम्मी तो मुझे सब कुछ बता चुकी है फिर क्यो वो मुझ से ये बात छिपा गयी....इस कहानी के साथ एक और पहेली जन्म ले चुकी थी....और जिसका भी राज़ मुझे जल्दी ही खोलना होगा....
में--उसके बाद क्या हुआ....क्या किया तुमने उस लड़की का....
दीनू--में उस लड़की को मार तो नही सका लेकिन मुझे कुछ तो ऐसा करना ही था जिस से उसका पता कभी ना चले....
मैने उसे कामली बाई के कोठे पर बेच दिया....अगर सड़क पर छोड़ देता तो उसे भूखे जानवर नोच नोच कर खा जाते....और अगर वो कामली के कोठे पर रहती तो जवान होने तक उस पर कोई आँख भी नही उठा सकता था....यही सोच कर मैने उसे कोठे पर बेच दिया....लेकिन मुझे उसका एक रुपया भी नही मिला उल्टा मुझे मार पीट कर वहाँ से भगा अलग दिया....
में--प्रधान के बारे मे क्या जानते हो तुम....कहाँ रहता है कैसा दिखता है....कोई ठिकाना जहाँ वो मुझे मिल सके....
दीनू--बाबूजी.... में प्रधान से कभी मिला नही ना ही उसके बारे मे कुछ ज़्यादा जानता हूँ....मेरे पास एक दिन फोन आया था किसी की सुपारी लेने के लिए और उसके बाद प्रधान से बात हुई थी मेरी....10000 रुपये प्रधान ने किसी के हाथो भिजवाए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा भी नही पता....
में--उसका भी में पता कर लूँगा....
दीनू--साहब आप कौन है....क्या आप उस बच्ची को जानते है....
में--वो मेरी छोटी बहन है....और जिसने भी ये सब करवाया है उसको मैं उसकी कब्र से भी खींच के बाहर निकाल लूँगा....
दीनू--ये सब मेरी वजह से ही हुआ है साहब ना में ऐसा करता और ना उस बच्ची की बद्दुआ मुझे लगती....मेरा जीवन जहन्नुम बन गया....बस हमेशा अफ़सोस करता रहा क्यो मैने इतनी बड़ी ग़लती कर दी....
में--अब वो सुरक्षित है....इसलिए अब पछतावा करना बंद करो....ये कुछ पैसे रखो और अपना कोई काम शुरू करके मेहनत से पैसे कमाओ... क्या तुम मुझे उस हॉस्पिटल का नाम बता सकते हो जहाँ से तुमने उस बच्ची को उठाया था....
दीनू--हाँ साहब....गीतांजलि हॉस्पिटल था वो....उदयपुर मे..
में--आपका बहुत बहुत शुक्रिया....अब में चलता हूँ....और ध्यान रहे ना तुम अब उस लड़की को जानते हो और ना मेरे बारे मे...
दीनू--वो लड़की अब खुश है....ये जानकार मेरे दिल को बहुत बड़ी तस्सली मिली है....मैं किसी से कुछ नही कहूँगा साहब...
उसके बाद में वहाँ से निकल कर फिर से फ्लाइट पकड़कर उदयपुर आ जाता हूँ....
नीरा को फोन करके शमा के साथ घर आने का बोल देता हूँ....और खुद एरपोर्ट से घर की तरफ निकल पड़ता हूँ
में जब घर पहुँचा वहाँ बाहर ही नीरा और शमा भी ऑटो से उतरती हुई मिल गई....मैने अपनी कार की चाभी चौकीदार को दे दी पार्क करने के लिए और उन्दोनो के साथ पैदल ही घर की तरफ बढ़ गया....
शमा अपने चारो तरफ घूम घूम कर बस आँखे फाडे घर को ही देखे जा रही थी....
में--क्या हुआ शमा पसंद आया घर....
शमा--भैया पसंद की बात कर रहे हो....ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था....आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है....
में--आपका नही....अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है....तुम इस घर की छोटी बेटी हो....यहाँ पूरे अधिकार से रहो....
नीरा--जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले....आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती....
में--माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा....मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले....जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे...
Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
- mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
112
में--क्या हुआ शमा पसंद आया घर....
शमा--भैया पसंद की बात कर रहे हो....ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था....आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है....
में--आपका नही....अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है....तुम इस घर की छोटी बेटी हो....यहाँ पूरे अधिकार से रहो....
नीरा--जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले....आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती....
में--माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा....मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले....जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे....
हम घर के दरवाजे के बाहर पहुँच गये थे...मैने शमा को दरवाजे पर दस्तक देने के लिए कहा और नीरा और में अपना एक कदम पीछे करके खड़े होगये....
दरवाजा भाभी ने खोला.....वो शमा को पहचान ने की कोशिश कर रही थी लेकिन हम दोनो को मुस्कुराता हुआ देख कर ज़ोर से मम्मी को आवाज़ लगाने लगी..,,,
भाभी--ये लड़की कौन है जय....और तुम दोनो मुस्कुरा क्यो रहे हो.....अब बाहर ही खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे....
में--पहले मम्मी को तो आने दो उसके बाद मैं आपको सारी बाते बता देता हूँ....
इतने में मम्मी भी आ जाती है और हमे देखने लग जाती है.....
मम्मी--क्या हुआ तुम लोग बाहर क्यो खड़े हो....और ये प्यारी सी बच्ची कौन है...
में--मम्मी पहले अपने घर के नये सदस्य का स्वागत करो....उसके बाद में बताता हूँ कि ये कौन है....
मम्मी--मैं तेरे कहने का मतलब नही समझी....कौन है ये लड़की....और इस घर की सदस्य कैसे हुई...
में--पहले आप पूजा की थाली लेकर आओ इसे प्यार से अंदर बुलाओ उसके बाद में आपको सब कुछ बताता हूँ....भरोसा रखो मुझ पर....
मेरे चेहरे पर दृढ़ता के भाव देखकर उन्होने भाभी से पूजा की थाली लाने को कहा और पूरे मान सम्मान के साथ शमा की आरती उतार कर उसका घर में स्वागत किया गया....
घर के अंदर आने के बाद नीरा शमा को अपने रूम मे ले गयी और में बाहर हॉल मे बैठ गया....मम्मी और भाभी मुझे बस घुरे ही जा रही थी....शायद उन्हे लग रहा था....मैने इस लड़की से शादी कर ली है और अब उसे घर ले आया हूँ....
मम्मी--अब बोलेगा भी....इतना सस्पेनस क्यो बना रहा है....
इतने में नीरा और शमा भी चेंज करके बाहर हॉल में आगये और मेरी बगल मे ही आकर बैठ गये....
में अपनी बात की शुरूवात ढूँढते हुए कह ही देता हूँ....
में--मम्मी शमा आपकी वो बेटी है जिसके बारे में आपने कभी कुछ नही बताया था....
मम्मी--मेरी बेटी...?? ये क्या बेवकूफी भरी बाते कर रहा है तू....मेरी कोई बेटी और भी है ये मुझे ही पता नही तो में तुम्हे क्या बताउन्गी....अब पहेलिया बुझाना बंद कर और जल्दी से बता कि आख़िर बात क्या है और ये मेरी बेटी कैसे हुई...
में--पहेली तो अभी भी सुलझी नही है....लेकिन एक तरीका और बचा हुआ है....जिस से में साबित कर सकूँ कि शमा ही आपकी बेटी है....
मम्मी--जब में कह रही हूँ कि अगर ये मेरी बेटी होती तो मुझे तो पता होता ना....लेकिन फिर भी ना जाने क्यो ये लड़की मुझे अपनी तरफ़ खींच रही है....ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना ही हो....
में--मम्मी आपने गीतांजलि हॉस्पिटल मे जन्म दिया था शमा को....अब इस बारे में आप बताओ मुझे कि जो में कह रहा हूँ वो सही है या ग़लत....
मम्मी--उस हॉस्पिटल मे तो नीरा का जन्म हुआ था....अभी थोड़े दिन पहले ही तो नीरा का बर्त दे मनाया है हम लोगो ने 19वा...
मेरी समझ में कुछ कुछ आ तो रहा था लेकिन कुछ कड़िया अभी जोड़नी और बाकी रह गयी थी....
में--मम्मी नीरा के समय जिस डॉक्टर और नर्स नीरा का बर्त करवाया था क्या आप उनका नाम जानती हो...
मम्मी--हाँ नर्स का नाम ज्योति था नीरा के समय उसी ने मेरी देखबाल करी थी और डॉक्टर के नाम मुझे याद नही है
में--क्या हुआ शमा पसंद आया घर....
शमा--भैया पसंद की बात कर रहे हो....ऐसा घर तो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था....आपका ये घर बड़ा खूबसूरत है....
में--आपका नही....अपना बोलो अब से ये घर जितना हम सब का है उतना ही तुम्हारा भी है....तुम इस घर की छोटी बेटी हो....यहाँ पूरे अधिकार से रहो....
नीरा--जान मुझे माफ़ करना मैं नही चाहती कि अभी किसी को भी हमारी शादी के बारे में पता चले....आप वैसे ही इन दिनो परेशानी से घिरे हुए हो में आपको लोगो के सवालो से और परेशान होता नही देख सकती....
में--माफी माँगने की ज़रूरत नही है नीरा....मैं भी नही चाहता था कि अभी किसी को ऐसा कुछ पता चले....जल्दी ही हम सबके सामने ये खुलासा भी कर देंगे....
हम घर के दरवाजे के बाहर पहुँच गये थे...मैने शमा को दरवाजे पर दस्तक देने के लिए कहा और नीरा और में अपना एक कदम पीछे करके खड़े होगये....
दरवाजा भाभी ने खोला.....वो शमा को पहचान ने की कोशिश कर रही थी लेकिन हम दोनो को मुस्कुराता हुआ देख कर ज़ोर से मम्मी को आवाज़ लगाने लगी..,,,
भाभी--ये लड़की कौन है जय....और तुम दोनो मुस्कुरा क्यो रहे हो.....अब बाहर ही खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे....
में--पहले मम्मी को तो आने दो उसके बाद मैं आपको सारी बाते बता देता हूँ....
इतने में मम्मी भी आ जाती है और हमे देखने लग जाती है.....
मम्मी--क्या हुआ तुम लोग बाहर क्यो खड़े हो....और ये प्यारी सी बच्ची कौन है...
में--मम्मी पहले अपने घर के नये सदस्य का स्वागत करो....उसके बाद में बताता हूँ कि ये कौन है....
मम्मी--मैं तेरे कहने का मतलब नही समझी....कौन है ये लड़की....और इस घर की सदस्य कैसे हुई...
में--पहले आप पूजा की थाली लेकर आओ इसे प्यार से अंदर बुलाओ उसके बाद में आपको सब कुछ बताता हूँ....भरोसा रखो मुझ पर....
मेरे चेहरे पर दृढ़ता के भाव देखकर उन्होने भाभी से पूजा की थाली लाने को कहा और पूरे मान सम्मान के साथ शमा की आरती उतार कर उसका घर में स्वागत किया गया....
घर के अंदर आने के बाद नीरा शमा को अपने रूम मे ले गयी और में बाहर हॉल मे बैठ गया....मम्मी और भाभी मुझे बस घुरे ही जा रही थी....शायद उन्हे लग रहा था....मैने इस लड़की से शादी कर ली है और अब उसे घर ले आया हूँ....
मम्मी--अब बोलेगा भी....इतना सस्पेनस क्यो बना रहा है....
इतने में नीरा और शमा भी चेंज करके बाहर हॉल में आगये और मेरी बगल मे ही आकर बैठ गये....
में अपनी बात की शुरूवात ढूँढते हुए कह ही देता हूँ....
में--मम्मी शमा आपकी वो बेटी है जिसके बारे में आपने कभी कुछ नही बताया था....
मम्मी--मेरी बेटी...?? ये क्या बेवकूफी भरी बाते कर रहा है तू....मेरी कोई बेटी और भी है ये मुझे ही पता नही तो में तुम्हे क्या बताउन्गी....अब पहेलिया बुझाना बंद कर और जल्दी से बता कि आख़िर बात क्या है और ये मेरी बेटी कैसे हुई...
में--पहेली तो अभी भी सुलझी नही है....लेकिन एक तरीका और बचा हुआ है....जिस से में साबित कर सकूँ कि शमा ही आपकी बेटी है....
मम्मी--जब में कह रही हूँ कि अगर ये मेरी बेटी होती तो मुझे तो पता होता ना....लेकिन फिर भी ना जाने क्यो ये लड़की मुझे अपनी तरफ़ खींच रही है....ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपना ही हो....
में--मम्मी आपने गीतांजलि हॉस्पिटल मे जन्म दिया था शमा को....अब इस बारे में आप बताओ मुझे कि जो में कह रहा हूँ वो सही है या ग़लत....
मम्मी--उस हॉस्पिटल मे तो नीरा का जन्म हुआ था....अभी थोड़े दिन पहले ही तो नीरा का बर्त दे मनाया है हम लोगो ने 19वा...
मेरी समझ में कुछ कुछ आ तो रहा था लेकिन कुछ कड़िया अभी जोड़नी और बाकी रह गयी थी....
में--मम्मी नीरा के समय जिस डॉक्टर और नर्स नीरा का बर्त करवाया था क्या आप उनका नाम जानती हो...
मम्मी--हाँ नर्स का नाम ज्योति था नीरा के समय उसी ने मेरी देखबाल करी थी और डॉक्टर के नाम मुझे याद नही है
मस्त राम मस्ती में
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
113
में--क्या आपके पास हॉस्पिटल का कोई कागज पड़ा है जिस से ये पता चल सके कि वहाँ उस समय डॉक्टर कौन था....
मम्मी--रुक में अभी लाई....नेहा तू इन लोगो के लिए कॉफी और कुछ खाने के लिए बना दे देख तीनो के चेहरे कैसे भूख के मारे उतरे हुए है.......
उसके बाद मम्मी अपने रूम में चली जाती है और भाभी किचन मे....कुछ हे देर बाद दोनो बाहर आजाती है...और मम्मी मुझे वो फाइल देते हुए कहती है....
मम्मी--ज़रूर तुझे कोई ग़लतफहमी हुई है....
में--ग़लतफहमी की कोई गुंजाइश नही है शमा का डीयेने टेस्ट पूरी तरह से हमारे साथ मॅच हुआ है....
तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगती है....भाभी उठ कर दरवाजा खोलती है....और दीक्षा कोमल और रूही भागते हुए मुझ पर कूद पड़ती है मुझे दबोचते हुए रूही कहती है....
रूही--आपकी गाड़ी देखते ही हम समझ गये थे कि आप आ चुके हो....अब जल्दी से ये बताओ इतने दिन कहाँ मस्ती हो रही थी....
में--अरे पहले तू थोड़ा साँस तो खा ले....अच्छा हुआ तुम सब भी यहाँ आ गये वरना फिर से तुम्हे एक्सप्लेन करना पड़ता सब कुछ....
हमारा ऐसा प्यार देख कर शमा की आँखो से मोटे मोटे आँसू निकल गये....मैने उसे अपनी बाहो में खिचते हुए अपने सीने से लगा लिया....
शमा--सच में भैया आज में अपने आप को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की समझ रही हूँ जिसे इतना अच्छा प्यार और खुशियो से भरा परिवार मिला....
में--खुशनसीब तो ये घर है जिसे अपनी खोई हुई अमानंत फिर से मिल गयी है...अब थोड़ी देर आप सभी अपने सवालो पर विराम लगाओ...और मुझे हॉस्पिटल में बात करने दो....रूही तू जाकर वो रिपोर्ट्स ले आ जो मैने डॉक्टर आलोक से लाने के लिए कही थी तुझे....
में मम्मी से वो फाइल लेकर पढ़ने लग जाता हूँ....किसी डॉक्टर सुभाष ने वो फाइल रेडी करी थी जिसमें नीरा की बर्त डीटेल और हॉस्पिटल बिल्स के साथ कुछ प्रिस्क्रिप्षन भी थे....मैने हॉस्पिटल के लॅंड लाइन नंबर जो उसमें लिखा हुआ था उस पर कॉल लगा दिया लेकिन वो बंद आ रहा था....
में--ये नंबर बंद क्यो आ रहा है...
भाभी--बेवकूफ़ 19 साल पुराना नंबर आज तुझे कैसे चालू मिलेगा....ऑनलाइन हॉस्पिटल का नंबर सर्च कर ले पता चल जाएगा....
आख़िरकार गूगल की मदद मुझे लेनी ही पड़ी...और मैने वो नंबर लगा दिया....
लड़की--गीतांजलि हॉस्पिटल से नूरी बात कर रही हूँ....में आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ....
में--हेलो नूरी में जय गुप्ता बात कर रहा हूँ....मुझे कुछ इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए थी....
नूउरी--बताइए सर क्या इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए आपको....
में--दरअसल नूरी मुझे मेरी मम्मी की डेलिवरी के समय जो डॉक्टर था उसका कॉंटॅक्ट नंबर चाहिए....
नूरी--क्या में आपकी मम्मी का नाम या उनको उस वक़्त दी गयी फाइल नंबर जान सकती हूँ....
मैने उसे पूरी डीटेल बता दी....
नूरी--सर जैसा कि में देख पार रही हूँ....उस वक़्त डॉक्टर सुभाष और डॉक्टर रोहित ने आपकी मम्मी की डेलिवरी करवाई थी....लेकिन में आपको उनका नंबर नही दे सकती क्योकि वो अब इस दुनिया में नही है.....
में--ओह्ह्ह ये काफ़ी बुरा हुआ....एक मिनट याद आया वहाँ कोई नर्स थी जिसका नाम ज्योति था....क्या मुझे उसके बारे मे कुछ पता चल सकता है....या वो भी अब इस दुनिया मे नही है....
नूरी--नही सर वो अब हेड नर्स है में उनसे आपकी बात करवाती हूँ आप लाइन पर रहे....
कुछ देर बाद फोन पर हॉस्पिटल का घटिया सा गाना सुनते रहने के बाद ज्योति के साथ लाइन कनेक्ट हो जाती है....
ज्योति--हेलो ज्योति सक्षेना बात कर रही हूँ....
में--ज्योति मेडम आपके पापो का घड़ा भर चुका है....19 साल पहले आपका किया हुआ पाप फिर से सामने आ गया है.....
ज्योति--कौन बोल रहे हो आप....कौन्से पाप की बात कर रहे हो क्या किया है मैने....अपनी मज़ाक अपने पास रखो और मुझे काम करने दो...
में--मेडम में जय गुप्ता बोल रहा हूँ....संध्या गुप्ता याद है आपको या भूल गयी....
ज्योति--कौन संध्या गुप्ता मुझे कुछ याद नही अब दुबारा मुझे फोन मत करना....
और ये कहकर ज्योति ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....और हम सभी एक दूसरे की शकलें देख रहे थे.
में--क्या आपके पास हॉस्पिटल का कोई कागज पड़ा है जिस से ये पता चल सके कि वहाँ उस समय डॉक्टर कौन था....
मम्मी--रुक में अभी लाई....नेहा तू इन लोगो के लिए कॉफी और कुछ खाने के लिए बना दे देख तीनो के चेहरे कैसे भूख के मारे उतरे हुए है.......
उसके बाद मम्मी अपने रूम में चली जाती है और भाभी किचन मे....कुछ हे देर बाद दोनो बाहर आजाती है...और मम्मी मुझे वो फाइल देते हुए कहती है....
मम्मी--ज़रूर तुझे कोई ग़लतफहमी हुई है....
में--ग़लतफहमी की कोई गुंजाइश नही है शमा का डीयेने टेस्ट पूरी तरह से हमारे साथ मॅच हुआ है....
तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगती है....भाभी उठ कर दरवाजा खोलती है....और दीक्षा कोमल और रूही भागते हुए मुझ पर कूद पड़ती है मुझे दबोचते हुए रूही कहती है....
रूही--आपकी गाड़ी देखते ही हम समझ गये थे कि आप आ चुके हो....अब जल्दी से ये बताओ इतने दिन कहाँ मस्ती हो रही थी....
में--अरे पहले तू थोड़ा साँस तो खा ले....अच्छा हुआ तुम सब भी यहाँ आ गये वरना फिर से तुम्हे एक्सप्लेन करना पड़ता सब कुछ....
हमारा ऐसा प्यार देख कर शमा की आँखो से मोटे मोटे आँसू निकल गये....मैने उसे अपनी बाहो में खिचते हुए अपने सीने से लगा लिया....
शमा--सच में भैया आज में अपने आप को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की समझ रही हूँ जिसे इतना अच्छा प्यार और खुशियो से भरा परिवार मिला....
में--खुशनसीब तो ये घर है जिसे अपनी खोई हुई अमानंत फिर से मिल गयी है...अब थोड़ी देर आप सभी अपने सवालो पर विराम लगाओ...और मुझे हॉस्पिटल में बात करने दो....रूही तू जाकर वो रिपोर्ट्स ले आ जो मैने डॉक्टर आलोक से लाने के लिए कही थी तुझे....
में मम्मी से वो फाइल लेकर पढ़ने लग जाता हूँ....किसी डॉक्टर सुभाष ने वो फाइल रेडी करी थी जिसमें नीरा की बर्त डीटेल और हॉस्पिटल बिल्स के साथ कुछ प्रिस्क्रिप्षन भी थे....मैने हॉस्पिटल के लॅंड लाइन नंबर जो उसमें लिखा हुआ था उस पर कॉल लगा दिया लेकिन वो बंद आ रहा था....
में--ये नंबर बंद क्यो आ रहा है...
भाभी--बेवकूफ़ 19 साल पुराना नंबर आज तुझे कैसे चालू मिलेगा....ऑनलाइन हॉस्पिटल का नंबर सर्च कर ले पता चल जाएगा....
आख़िरकार गूगल की मदद मुझे लेनी ही पड़ी...और मैने वो नंबर लगा दिया....
लड़की--गीतांजलि हॉस्पिटल से नूरी बात कर रही हूँ....में आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ....
में--हेलो नूरी में जय गुप्ता बात कर रहा हूँ....मुझे कुछ इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए थी....
नूउरी--बताइए सर क्या इन्फ़ॉर्मेशन चाहिए आपको....
में--दरअसल नूरी मुझे मेरी मम्मी की डेलिवरी के समय जो डॉक्टर था उसका कॉंटॅक्ट नंबर चाहिए....
नूरी--क्या में आपकी मम्मी का नाम या उनको उस वक़्त दी गयी फाइल नंबर जान सकती हूँ....
मैने उसे पूरी डीटेल बता दी....
नूरी--सर जैसा कि में देख पार रही हूँ....उस वक़्त डॉक्टर सुभाष और डॉक्टर रोहित ने आपकी मम्मी की डेलिवरी करवाई थी....लेकिन में आपको उनका नंबर नही दे सकती क्योकि वो अब इस दुनिया में नही है.....
में--ओह्ह्ह ये काफ़ी बुरा हुआ....एक मिनट याद आया वहाँ कोई नर्स थी जिसका नाम ज्योति था....क्या मुझे उसके बारे मे कुछ पता चल सकता है....या वो भी अब इस दुनिया मे नही है....
नूरी--नही सर वो अब हेड नर्स है में उनसे आपकी बात करवाती हूँ आप लाइन पर रहे....
कुछ देर बाद फोन पर हॉस्पिटल का घटिया सा गाना सुनते रहने के बाद ज्योति के साथ लाइन कनेक्ट हो जाती है....
ज्योति--हेलो ज्योति सक्षेना बात कर रही हूँ....
में--ज्योति मेडम आपके पापो का घड़ा भर चुका है....19 साल पहले आपका किया हुआ पाप फिर से सामने आ गया है.....
ज्योति--कौन बोल रहे हो आप....कौन्से पाप की बात कर रहे हो क्या किया है मैने....अपनी मज़ाक अपने पास रखो और मुझे काम करने दो...
में--मेडम में जय गुप्ता बोल रहा हूँ....संध्या गुप्ता याद है आपको या भूल गयी....
ज्योति--कौन संध्या गुप्ता मुझे कुछ याद नही अब दुबारा मुझे फोन मत करना....
और ये कहकर ज्योति ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....और हम सभी एक दूसरे की शकलें देख रहे थे.
मस्त राम मस्ती में
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
114
में--बोलो भाभी कैसी पार्टी चाहती हो आप.....
तभी मम्मी ने रोते हुए मुझ से कहा.....
मम्मी--जो मेरी बेटी बोलेगी बस वही होगा....इसकी हर ख्वाहिश पूरी होनी चाहिए....19 साल दूर रही है मेरी बच्ची....माँ के होते हुए भी अनाथो की ज़िंदगी जी है मेरी बच्ची ने....
में--मम्मी आप खुद को सम्भालो....जैसा आप बोलोगि वैसा हो जाएगा.....
मम्मी शमा से...
मम्मी--बोल मेरी बच्ची तुझे क्या चाहिए....मुझे बता दे बस एक बार कि कैसे मैं इतने सालो का क़र्ज़ उतार सकती हूँ.....एक बार तो अपने मुँह से मुझे मम्मी बोल दे....देख तेरी माँ का कलेजा कब से तेरे मुँह से सिर्फ़ माँ सुनने के लिए तरस रहा है.....अब कभी तुझे खुद से दूर नही जाने दूँगी मैं....
शमा--मम्मी मैं भी तर्सि हो अपने परिवार के लिए.....हर पल बस भगवान से हाथ जोड़ कर अपने परिवार से मुझे मिला देने का ही आशीरवााद मांगती थी...
मम्मी--शमा मेरी बच्ची अब मुझे बता क्या चाहती है तू....किस तरह की पार्टी चाहती है तू......ऐसी आलीशान पार्टी जो इस शहर ने कभी नही देखी होगी....बोल क्या चाहिए तुझे.....
शमा--मुझे आप सब मिल गये....और मुझे क्या चाहिए.....किसी पार्टी की ज़रूरत नही है मुझे....मेरी माँ मुझे अपने हाथो से प्यार से दो नीवाले खिला देगी तो वही मेरे लिए सब से बड़ी खुशी होगी....
में--शमा तुमने बहुत बुरा वक़्त देखा है अपनी ज़िंदगी में....लेकिन अब तुम्हे वो सब कुछ भूल कर आगे कदम बढ़ाना होगा....ये घर तुम्हारा है....इसलिए कुछ भी कहने से हिचकिचाओ मत....बोलो क्या करना है....
शमा--भैया सच में मुझे नही पता कैसे क्या होता है.....
में--चल ठीक है तेरी जुड़वा से ही पूछ लेता हूँ.....नीरा बोल तू कैसे खुश करना चाहेगी शमा को....
नीरा-- मेरे हिस्सब से तो हमे कहीं चलना चाहिए.....और वहाँ शमा के साथ खूब मस्ती भी करनी चाहिए.....
में--रूही दीदी अब आप भी कुछ बोल दो....
रूही--नीरा बिल्कुल सही कह रही है....और दीक्षा और कोमल भी कहीं घूमने जाना चाहती है....मेरे हिसाब से तो यही बेस्ट रहेगा.....
में--दीक्षा....कोमल कहाँ चलने का मन है....
कोमल--भैया कहीं भी ले चलो हम दोनो तो कब से रेडी न.....
में--भाभी.....?
भाभी--फिर से वही चले.....?
मम्मी--हाँ यही ठीक होगा....हमे फिर से वही चलना चाहिए सब कुछ भुला कर....
में--ठीक है 2 दिन बाद हम वहाँ वापस जाएँगे....मुझे आज एक जगह जाना है....नीरा तू शमा को अपने साथ रूम मे ले जा....
शमा के जाते ही मैने सभी घरवालो को शमा के बारे में सारी सच्चाई बता दी बस नीरा और मेरी शादी की बात नही बताई.....और एक प्रधान के बारे में....
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में--बोलो भाभी कैसी पार्टी चाहती हो आप.....
तभी मम्मी ने रोते हुए मुझ से कहा.....
मम्मी--जो मेरी बेटी बोलेगी बस वही होगा....इसकी हर ख्वाहिश पूरी होनी चाहिए....19 साल दूर रही है मेरी बच्ची....माँ के होते हुए भी अनाथो की ज़िंदगी जी है मेरी बच्ची ने....
में--मम्मी आप खुद को सम्भालो....जैसा आप बोलोगि वैसा हो जाएगा.....
मम्मी शमा से...
मम्मी--बोल मेरी बच्ची तुझे क्या चाहिए....मुझे बता दे बस एक बार कि कैसे मैं इतने सालो का क़र्ज़ उतार सकती हूँ.....एक बार तो अपने मुँह से मुझे मम्मी बोल दे....देख तेरी माँ का कलेजा कब से तेरे मुँह से सिर्फ़ माँ सुनने के लिए तरस रहा है.....अब कभी तुझे खुद से दूर नही जाने दूँगी मैं....
शमा--मम्मी मैं भी तर्सि हो अपने परिवार के लिए.....हर पल बस भगवान से हाथ जोड़ कर अपने परिवार से मुझे मिला देने का ही आशीरवााद मांगती थी...
मम्मी--शमा मेरी बच्ची अब मुझे बता क्या चाहती है तू....किस तरह की पार्टी चाहती है तू......ऐसी आलीशान पार्टी जो इस शहर ने कभी नही देखी होगी....बोल क्या चाहिए तुझे.....
शमा--मुझे आप सब मिल गये....और मुझे क्या चाहिए.....किसी पार्टी की ज़रूरत नही है मुझे....मेरी माँ मुझे अपने हाथो से प्यार से दो नीवाले खिला देगी तो वही मेरे लिए सब से बड़ी खुशी होगी....
में--शमा तुमने बहुत बुरा वक़्त देखा है अपनी ज़िंदगी में....लेकिन अब तुम्हे वो सब कुछ भूल कर आगे कदम बढ़ाना होगा....ये घर तुम्हारा है....इसलिए कुछ भी कहने से हिचकिचाओ मत....बोलो क्या करना है....
शमा--भैया सच में मुझे नही पता कैसे क्या होता है.....
में--चल ठीक है तेरी जुड़वा से ही पूछ लेता हूँ.....नीरा बोल तू कैसे खुश करना चाहेगी शमा को....
नीरा-- मेरे हिस्सब से तो हमे कहीं चलना चाहिए.....और वहाँ शमा के साथ खूब मस्ती भी करनी चाहिए.....
में--रूही दीदी अब आप भी कुछ बोल दो....
रूही--नीरा बिल्कुल सही कह रही है....और दीक्षा और कोमल भी कहीं घूमने जाना चाहती है....मेरे हिसाब से तो यही बेस्ट रहेगा.....
में--दीक्षा....कोमल कहाँ चलने का मन है....
कोमल--भैया कहीं भी ले चलो हम दोनो तो कब से रेडी न.....
में--भाभी.....?
भाभी--फिर से वही चले.....?
मम्मी--हाँ यही ठीक होगा....हमे फिर से वही चलना चाहिए सब कुछ भुला कर....
में--ठीक है 2 दिन बाद हम वहाँ वापस जाएँगे....मुझे आज एक जगह जाना है....नीरा तू शमा को अपने साथ रूम मे ले जा....
शमा के जाते ही मैने सभी घरवालो को शमा के बारे में सारी सच्चाई बता दी बस नीरा और मेरी शादी की बात नही बताई.....और एक प्रधान के बारे में....
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मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
- mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक
115
ज्योति अपने कॅबिन मे बैठी हुई अतीत की गहराइयो मे उतरती चली गयी.....
19 साल पहले....
ज्योति उस रूम मे बेहोश पड़ी थी....तभी डॉक्टर सुभाष और राहुल वहाँ पहुँच गये....उन्होने ज्योति की ऐसी हालत देख कर उस पर पानी के छींटे डाले और उसे होश मे ले आए.....
सुभाष--ज्योति ये सब क्या हो रहा है यहाँ.....तुम बेहोश कैसे हो गयी और वो बच्ची कहाँ है.....
ज्योति--सर आपके जाने के बाद एक आदमी मुझे बेहोश कर के उस बच्ची को ले गया....
राहुल--ओह्ह्ह माइ गॉड....अब हम इनके परिवार वालो को क्या जवाब देंगे वो तो शुक्र है हमने अभी तक किसी को कुछ बताया नही है....
तभी अचानक संध्या के कराहने की आवाज़ सुन कर वो तीनो संध्या के पास पहुँच जाते है....
सुभाष--हे भगवान आज ये हो क्या रहा है.....हम इतने लापरवाह कैसे हो सकते है....
राहुल--सही कह रहे हो आप संध्या के ट्विन्स होने वाले थे और हमने बस एक का ही सोच कर अपना काम छोड़ दिया....ये देखो एक बच्चे का सिर दिखने लगा है.....
सुभाष--नर्स जल्दी से इसे इंजेक्षन दो....ये अभी भी बेहोशी की हालत में....हमे ऐसे ही इसकी डेलिवरी करनी होगी.....
ज्योति--लेकिन अगर ये ज़ोर नही लगाएगी तो बच्चा बाहर कैसे निकलेगा....ऐसे तो इन दोनो की जान को खतरा हो जाएगा.....
राहुल--एक काम करो तुम इसका पेट पुश करो जब तक हम इस बच्चे को बाहर खिचने की कोशिश करते है.....
कुछ देर कोशिश करने के बाद एक स्वस्थ बच्ची डॉक्टर सुभाष के हाथो मे थी....
राहुल--भगवान ने हमे बचा लिया सुभाष वरना हमारा पूरा करियर खराब हो जाता....
सुभाष--सही तो वैसे भी कुछ नही हुआ....क्या कहेंगे हम इन लोगो से कि बच्ची कैसे गायब हो गयी....ये तो उल्टा हमारी हे जान ले लेंगे.....
राहुल--ये बताने की ज़रूरत कहाँ है....कि इस औरत को ट्विन्स हुए थे....बस एक लड़की हुई है यही बता देंगे.....
सुभाष--ये राज़ अब इस ओप्रेशन थियेटर के बाहर नही जाना चाहिए....बाकी आगे जो होगा वो देखा जाएगा....एक बार तो भगवान ने इस बच्ची के रूप मे हमारी मुश्किल सुलझा दी है....
ज्योति--आप सही कह रहे है सर....
तभी ज्योति अपनी यादो के भवर से निकल कर बाहर आजाती है.....कोई उसके कॅबिन के दरवाजे पर दस्तक दिए जा रहा था.....
ज्योति उसे अंदर बुलाती है....वो एक चपरासी था जो ज्योति का लंच लेकर आया था....चपरासी के जाने के बाद ज्योति एक फोन लगाती है नूरी के पास.....
ज्योति--नूरी अभी थोड़ी देर पहले जो कॉल तुमने कनेक्ट करी थी वो किस नंबर से आया था वो नंबर मुझे वापस चाहिए....
नूरी--जी मेडम बस एक मिनिट में आपको वो नंबर दे देती हूँ.....
ज्योति अपने कॅबिन मे बैठी हुई अतीत की गहराइयो मे उतरती चली गयी.....
19 साल पहले....
ज्योति उस रूम मे बेहोश पड़ी थी....तभी डॉक्टर सुभाष और राहुल वहाँ पहुँच गये....उन्होने ज्योति की ऐसी हालत देख कर उस पर पानी के छींटे डाले और उसे होश मे ले आए.....
सुभाष--ज्योति ये सब क्या हो रहा है यहाँ.....तुम बेहोश कैसे हो गयी और वो बच्ची कहाँ है.....
ज्योति--सर आपके जाने के बाद एक आदमी मुझे बेहोश कर के उस बच्ची को ले गया....
राहुल--ओह्ह्ह माइ गॉड....अब हम इनके परिवार वालो को क्या जवाब देंगे वो तो शुक्र है हमने अभी तक किसी को कुछ बताया नही है....
तभी अचानक संध्या के कराहने की आवाज़ सुन कर वो तीनो संध्या के पास पहुँच जाते है....
सुभाष--हे भगवान आज ये हो क्या रहा है.....हम इतने लापरवाह कैसे हो सकते है....
राहुल--सही कह रहे हो आप संध्या के ट्विन्स होने वाले थे और हमने बस एक का ही सोच कर अपना काम छोड़ दिया....ये देखो एक बच्चे का सिर दिखने लगा है.....
सुभाष--नर्स जल्दी से इसे इंजेक्षन दो....ये अभी भी बेहोशी की हालत में....हमे ऐसे ही इसकी डेलिवरी करनी होगी.....
ज्योति--लेकिन अगर ये ज़ोर नही लगाएगी तो बच्चा बाहर कैसे निकलेगा....ऐसे तो इन दोनो की जान को खतरा हो जाएगा.....
राहुल--एक काम करो तुम इसका पेट पुश करो जब तक हम इस बच्चे को बाहर खिचने की कोशिश करते है.....
कुछ देर कोशिश करने के बाद एक स्वस्थ बच्ची डॉक्टर सुभाष के हाथो मे थी....
राहुल--भगवान ने हमे बचा लिया सुभाष वरना हमारा पूरा करियर खराब हो जाता....
सुभाष--सही तो वैसे भी कुछ नही हुआ....क्या कहेंगे हम इन लोगो से कि बच्ची कैसे गायब हो गयी....ये तो उल्टा हमारी हे जान ले लेंगे.....
राहुल--ये बताने की ज़रूरत कहाँ है....कि इस औरत को ट्विन्स हुए थे....बस एक लड़की हुई है यही बता देंगे.....
सुभाष--ये राज़ अब इस ओप्रेशन थियेटर के बाहर नही जाना चाहिए....बाकी आगे जो होगा वो देखा जाएगा....एक बार तो भगवान ने इस बच्ची के रूप मे हमारी मुश्किल सुलझा दी है....
ज्योति--आप सही कह रहे है सर....
तभी ज्योति अपनी यादो के भवर से निकल कर बाहर आजाती है.....कोई उसके कॅबिन के दरवाजे पर दस्तक दिए जा रहा था.....
ज्योति उसे अंदर बुलाती है....वो एक चपरासी था जो ज्योति का लंच लेकर आया था....चपरासी के जाने के बाद ज्योति एक फोन लगाती है नूरी के पास.....
ज्योति--नूरी अभी थोड़ी देर पहले जो कॉल तुमने कनेक्ट करी थी वो किस नंबर से आया था वो नंबर मुझे वापस चाहिए....
नूरी--जी मेडम बस एक मिनिट में आपको वो नंबर दे देती हूँ.....
मस्त राम मस्ती में
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