Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

उसी वक़्त उन्होने अमेरिका के बड़े से बड़े डॉक्टर को फोन लगा दिया....और हमे वहाँ भिजवा भी दिया पूरे 3 करोड़ रुपये मेरे बेटे के इलाज में खर्च हो चुके थे अमेरिका में....लेकिन उन्होने कभी मुझ से हिसाब नही माँगा....में जब अमेरिका से वापस भारत आया तब में उनसे एक बार मिला था...तब उन्होने मुझे कहा....एक समय था जब में किशोर गुप्ता अपने धंधे की शुरूवात पर था....तब किसी ने मेरी मदद नही करी....मैने अपना सब कुछ खोकर ये मुकाम हासिल किया है....और जब तुम मेरे सामने अपने बेटे की जिंदगी के लिए कुछ रुपये माँगने आए तब....मेरे सामने वही पुराने दिन आ गये थे....जो मैने खोया वो अब दुबारा नही होगा,,तुम्हारे बेटे के इल्लज में जो भी खर्चा आएगा वो में भरुन्गा....और जिस दिन ये ठीक हो जाय उस दिन मुझे बुलाना मत भूल जाना.....

ये कहते कहते नंदू अंकल की आँखो में आँसू आगये और साथ ही साथ मेरे पापा की ये बात सुनकर गर्व से मेरी भी आँखे छल्छला गयी थी....


नंदू--एक बेग मेरी तरफ बढ़ाते हुए....बेटा ये 50 लाख रुपये है....बाकी पैसे भी में जल्दी ही चुका दूँगा....आज मेरा बेटा पूरी तरह से ठीक हो गया है काश तुम्हारे पिता यहाँ होते....इसीलये मैने तुम्हे यहाँ बुला लिया....शायद तुम्हारे पिता की मेरे से जताई गयी आख़िरी इक्षा भी यही थी.....

इसीके साथ वो फूट फूट के रोने लगते है....में उन्हे अपने गले से लगाकर उन्हे धाँढस बांधने की कोशिश करने लगता हूँ....थोड़ी देर बाद वो कुछ नौरमल होते है....उसके बाद में वो बेग उठाता हूँ और बाहर उनका हाथ पकड़ कर ले आता हूँ....


उनके बेटे और बहू के सामने में वो बेग रख देता हूँ और अपने साथ लाए हुए गिफ्ट भी उनके सामने रख देता हूँ....


में--नंदू अंकल से.....मेरे लिए आपके दिए हुए ये 50 लाख भी अनमोल है....और जो गिफ्ट में इन दोनो के लिए लाया हूँ ये भी...

आप अपने बेटे और बहू से इनमें से एक अपने पास रखने के लिए बोल दीजिए ये मान लेना ये पापा की तरफ से वर वधू को तोहफा है....

नंदू अपने बेटे बहू को वो 50 लाख वाला बेग उठाने के लिए बोल देता है....


नंदू--बेटा ये 50 लाख तो में वापस ले रहा हूँ लेकिन बाकी की रकम तुम मुझ से लेने के लिए कभी मना नही करोगे....में एक कर्ज़दार की तरह कभी मरना नही चाहूँगा...


में--अंकल में वो रकम तो आपसे ज़रूर लूँगा....क्योकि अब आपको भी अपना वादा जो पूरा करना है....


नंदू--बेटा तुम बिल्कुल अपने पापा की तरह हो....तुम्हारे बड़े भैया तुम्हारे पापा की परच्छाई थे....लेकिन तुम तुम्हारे पापा की आत्मा हो....


उसके बाद वो मुझे अपने गले से लगा लेते है और मेरे सिर पर अपना हाथ फेरने लग जाते है....

नंदू--बेटा तुम्हारे पापा की कुर्सी खाली पड़ी है उसे सम्भालो....उस कुर्सी पर किसी और का हक़ नही है वो अब से तुम्हारी ही रहेगी....

में--जैसा आप चाहे अंकल....अब में जाने की इजाज़त चाहूँगा....


नंदू--बेटा घर पर आए हो कुछ खा पी कर तो जाओ...

में--नही अंकल आज नही फिर किसी और दिन सही....


नंदू--जैसा तुम चाहो बेटा ये घर तुम्हारा ही है आते रहा करना....


उसके बाद में वहाँ से निकल कर जाने लगता हूँ....में हॉल के दरवाजे के बाहर ही निकला था और अपनी जेब में से चाबी निकालने की कोशिश में वो डीयेने वाले लिफाफे नीचे गिर जाते है.....लेकिन किसी की नज़र उन पड़ जाती है और जैसे ही वो दरवाजे को खोलने की कोशिश करती है उसकी एक उंगली दरवाजे के बीच में आजाति है....और उसकी उंगली से खून की धारा फूट पड़ती है.....वो मेरा लिफ़ाफ़ा उठाए मेरे पीछे पीछे बाहर सड़क पर आजाती है....


सुनिए......सुनिए......

में अपनी तरफ आती उस सुरीली आवाज़ की तरफ अपनी एडियों के बल घूम जाता हूँ मेरे सामने वही लड़की खड़ी थी घूँघट में....एक दम दूध से धुला हुआ रंग....होंठ पर जैसे गुलाब रख दिए हो किसीने....


में--जी आप मुझे आवाज़ लगा रही है क्या.....


लड़की--जी ये आपकी जेब में से कुछ गिर गया था वही देने आई हूँ...

में जैसे ही उसके हाथ की तरफ देखता हूँ मुझे वो डीयेने सॅंपल वाले लिफाफे नज़र आजाते है साथ ही साथ उसकी उंगली से निकलता हुआ खून भी जो उन लिफाफो को भिगोएे जा रहा था....

आज कुछ अजीब सा लग रहा था सीने में....उसके चेहरे को देखे बिना ही....वो शक्श मुझे अपना सा लगने लगा था....कुछ तो बात है उसमें....वरना किसी को जानने की बेचेनी मेरे दिल ने कभी महसूस नही करी थी....

में बाइक आगे दौड़ाए जा रहा था उसकी उंगली से अभी भी खून बह रहा था उसके खून से...मेरा बाँधा हुआ रुमाल पूरी तरह से सन चुका था.....उस से काफ़ी ज़िद करने के बाद में उसे डॉक्टर के पास चलने को मना पाया था....

उसके होंठो पर पानी की कुछ बूंदे आ गयी थी जो ऐसा लग रहा था जैसे गुलाबो पर किसीने मोती रख दिए हो...ये बूंदे उसके आँसू थे जो उसकी आँखो से बह रहे थे....


मैने जल्दी ही एक क्लिनिक के बाहर अपनी बाइक रोक दी और लगभग उसे खिचते हुए अपने साथ वहाँ बने एमर्जेन्सी रूम की तरफ बढ़ गया....


डॉक्टर ने उसके घाव पर स्टिचिंग कर के दवा लगाकर बॅंडेज बाँध दी...

उसके बाद वहाँ की फीस भरने के बाद हम लोग फिर से बाइक पर बैठ चुके थे....उसने अपना नाम मुझे शमा बताया था....,



में--शमा जी अब आप को दर्द तो नही हो रहा.....



शमा--नही दर्द नही होता मुझे....दर्द की आदत पड़ चुकी है....



में--ऐसा क्यो कह रही है आप....क्या मुझे आप अपने बारे में कुछ बता सकती है....



शमा--मेरे बारे में जानकार आप क्या करेंगे साहब....ना मेरा कोई जीवन है और ना ही कुछ ऐसा जिसे बताने में मुझे खुशी मिले....


में--अगर आप नही बताना चाहती तो ठीक है...लेकिन सुना है दिल का दर्द बाटने से दर्द कम हो जाता है...इसलिए में आपके दर्द को कम करने की कोशिश कर रहा हूँ....



शमा--पेशे से में एक तवायफ़ हूँ....गाना सुनाकर लोगो का मन बहलाती हूँ....अभी कुछ दिन पहले ही मैने अपना अट्ठरवा साल पूरा किया है....

अब कुछ दिनो बाद में गाने के साथ साथ अपना जिस्म लोगो को देकर उन सब का मन बहलाउन्गि....कुछ दिनो बाद मेरी नथ उतराई की रस्म होने वाली है....में चाह कर भी ये सब होने से नही रोक सकती...

उसकी ये बात सुनकर मैने झटके से अपनी बाइक ब्रेक लगा कर रोक दी....हमारे पास में से काफ़ी सारी गाड़िया तेज रफ़्तार में हॉरेन बजा बजा कर निकल रही थी....लेकिन ये बात सुनके हम लोगो के दरम्यान एक बहुत बड़ी खामोशी छा गयी थी....
उसकी ये बात सुनकर में ये कहने से खुद को रोक नही पाया....


में--अगर आप नही चाहती तो कोई आपको ज़बरदस्ती इस दलदल में कैसे फेक सकता है.....आप पोलीस में कंप्लेन क्यो नही कर देती.....


शमा अपने एक हाथ अपने घूँघट में डालकर अपने बह रहे आँसू पोछते हुए कहती है....

शमा--साहब यहाँ मेरी फरियाद सुनने वाला कोई नही है...और जिन लोगो के पास अपनी दरख़्वास्त ले जाने के लिए भेजना चाहते है....हम उन्ही लोगो की महफील रोशन करते है.....


में--अगर आप चाहो तो में आपकी मदद कर सकता हूँ आपको इस दलदल में से निकालने के लिए....


शमा--मेरी मदद तो मेरा भगवान भी नही करता साहब.....और आप क्यो एक तवायफ़ के पिछे अपना वक़्त ज़ाया करेंगे....


में--में तुम्हे वहाँ से निकालने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा दूँगा....तुम मुझे बोलो बस में तुम्हारे लिए क्या करसकता हूँ....


शमा--साहब आज से 10 दिन बाद मुझ पर बोली लगाई जाएगी....अगर कोई मेरी बोली लगाकर मुझे जीत जाता है तो मुझे सारी उमर उसकी गुलाम उसकी रखेल बन कर रहना होगा...लेकिन अगर कोई भी बोली नही लगाता है तो....मुझे एक रंडी का जीवन जीना होगा....मुझ पर खर्च हुए बचपन से अब तक का पैसा मुझे मेरा जिस्म बेच कर देना होगा....


में--अगर में तुम्हे अभी यहाँ से गायब कर दूं तो....वो लोग तुम्हे ढूँढ नही पाएँगे.....


शमा एक दर्दभरी मुस्कुराहट अपने होंठो पर ले आती है....



शमा--साहब छुप तो परछाई भी नही सकती....उसे भी छुप्ने के लिए अंधेरे में ही जाना पड़ता है...में कही भी भाग जाउ ये लोग मुझे ढूँढ ही लेंगे.....


में--अगर तुम चाहो तो में पोलीस की मदद लेकर तुम्हे वहाँ से निकलवा सकता हूँ....मेरे संबंध काफ़ी बड़े बड़े लोगो से है.....



शमा--हन साहब ऐसा हो सकता है....लेकिन फिर भी आपको मेरी कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी.....



में--अगर तुम उस दलदल से निकलना चाहती हो तो में तुम्हे वहाँ से निकालने के लिए कोई भी कीमत दे सकता हूँ.....



शमा--साहब आप मेरे लिए इतना सब क्यो कर रहे है....आप आज से पहले ना मुझे जानते थे ना ही अब तक आपने मेरा चेहरा देखा है....अगर मैने आपको धोका दे दिया तो....या सिर्फ़ आपसे पैसे लूटने के लिए आपका इस्तेमाल कर रही हूँ तो....आप मेरी मदद क्यो करना चाहते है....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

में--तुम्हारी मदद में तुम्हे अपनी छोटी बहन समझ कर कर रहा हूँ...मेरी वो खोई हुई बहन जिसे में पता नही कैसे ढूँढ पाउन्गा....

मुझे किसी ने कहा था कि मेरी एक बहन और है जिसके बारे मे मैं नही जानता और वो तक़लीफ़ में अपना जीवन जी रही है..... इस लिए तक़लीफ़ से गुजरती हर लड़की मुझे अपनी बहन ही लगती है......


शमा--कितनी खुशनसीब होगी आपकी वो बहन जिस दिन आप उसे ढूँढ लेंगे....भगवान से में आज ही आपकी बहन के लिए प्रार्थना करूँगी....



में--शमा अगर आप बुरा ना मानो तो क्या में आपका चेहरा देख सकता हूँ......



शमा--इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है आप ने मुझे अपनी बहन बोला है....बस बुरा एक ही बात का लग रहा है....आप मुझे बार बार मुझे आप कह कर मत बुलाए....


में--ठीक है शमा में तुम्हे आप नही कहूँगा....


इसके साथ शमा अपना चेहरे पर से अपना घूँघट हटा देती है.....

उसकी बड़ी बड़ी आँखे उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी उसके माथे पर एक छोटी सी बिंदी बड़ी ही मनमोहक लग रही थी.... लेकिन ये चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था....कहाँ देखा मैने इस चेहरे को कुछ समझ नही आ रहा.....



में--शमा क्या हम पहले भी मिल चुके है....तुम्हारा चेहरा मुझे जाना पहचाना सा लग रहा है....


शमा--में तो आपको देखते ही पहचान गयी थी साहब.....


में--अब तुम भी मुझे साहब कहना बंद करो मेरा नाम जय है....तुम मुझे भैया भी बुला सकती हो....


शमा--भैया शायद आपको याद नही होगा....आप कुछ दिन पहले दुबई जा रहे थे....आप बस बैठे बैठे शराब ही पिए जा रहे थे....में उस वक़्त आपकी बगल वाली सीट पर ही बैठी थी और जानना चाहती थी कि आप ऐसा क्यो कर रहे है....आपकी आँखे दर्द से सुलग रही थी जैसे किसी ने आपकी आँखो में तेज़ाब डाल दिया हो उस वक़्त....लेकिन में आपसे बात कर पाती उस से पहले ही वहाँ की एर होस्टेस्स ने आपको संभाल लिया था....



में--तुम मेरे पास बैठी थी और में तुम्हे पहचान भी नही पाया....


शमा--आपने सिर्फ़ एक बार ही मेरी तरफ देखा था....लेकिन में आपको देखे ही जा रही थी....आपके दर्द को में अपने अंदर महसूस कर रही थी....


में--शमा तुम चिंता मत करो अब में...तुम्हे वहाँ से ज़रूर निकाल पाउन्गा....अगर में सही हूँ तो मेरी खोई हुई बहन तुम ही हो....बाकी सारी बाते में तुम्हे अपने घर लेकर आने के बाद करूँगा....क्या मुझे तुम्हारा एक बाल मिल सकता है....में कुछ पहेलियो के जवाब ढूँढ रहा हूँ....शायद कल सुबह तक सारी पहेलिया सुलझ जाएँगी.... मुझे तुम अपना अड्रेस और मोबाइल नंबर भी दे दो...



उसके बाद शमा अपना अड्रेस और मोबाइल नंबर मुझे बता देती है और वो सारी डीटेल में मेरे फोन में एड कर लेता हूँ....



शमा--भैया आप मुझे बचा तो लेंगे ना....??



में--तेरी कसम....बहन तुझे में इस दलदल से निकाल कर ही दम लूँगा....तेरी कसम.....तेरी कसम.....

शमा मेरे सीने से लग कर ज़ोर ज़ोर से रोने लग जाती है.....

शमा--भैया मुझे वहाँ से निकाल लो....वहाँ रोज मुझे नंगा करके वहाँ के आदमियो से मालिश करवाई जाती है....मुझे अपने आप से घिंन आने लग गयी है अब....या तो मुझे वहाँ आकर बचा लो या फिर में खुद खुशी कर लूँगी....मुझ से सहन नही हो रहा है ये सब कुछ....मुझे बचा लो भैया.... मुझे बचा लो.....


में--तू अब चिंता मत कर तेरे आँसुओ को देख कर भगवान ने मुझे तेरे पास भेज दिया....अब ये तेरा भाई तुझे इन सब से बचा कर अपने घर जल्दी ही ले आएगा....तू चिंता मत कर मेरी बहन तू चिंता मत कर....


उसके बाद में वहाँ से अपनी बाइक वापस नंदू के बंगलो की तरफ बढ़ा देता हूँ....वहाँ पहुँचकर में उसे अपने गले से एक बार फिर से लगा लेता हूँ और उसे वापस आने का वादा देकर में वहाँ से निकल जाता हूँ....


में अब सब से पहले कमिशनर ऑफीस की तरफ बढ़ जाता हूँ....वहाँ मुझे कमिशनर जे. प्रसाद से मिलना था....वो मुझे अच्छे से जानते थे....



प्रसाद--जय बेटा कैसे हो....आज यहाँ का रास्ता कैसे भूल गये...



में--अंकल मुझे आपकी मदद चाहिए...मुझे एक लड़की को नरक में से निकालना है....



प्रसाद--किस की बात कर रहे हो तुम बेटा....कौन जी रहा है नरक में.....



में--अंकल एक लड़की है जिसे तवायफ़ के धंधे में ज़बरदस्ती झौंक दिया गया है....मैने उसे अपनी बहन माना है....और में किसी भी कीमत पर उसे वहाँ से निकालना चाहता हूँ....


प्रसाद--कुछ सोच कर.....बेटा तुम कहाँ इन चक्करो में पड़ रहे हो....वो लड़की शायद तुम से पैसा लूटना चाहती है....इसलिए वो तुम्हे एमोशनल ब्लॅकमेन्ल कर रही होगी.

में--नही अंकल वो लड़की झूठ नही बोल रही....और मेरा दिल कहता है ये लड़की ही मेरी खोई हुए बहन है....प्लीज़ अंकल आप मेरी मदद करिए उसे वहाँ से निकालने के लिए जितना भी पैसा मुझे खर्च करना होगा में उसके लिए करूँगा....







प्रसाद--सोच लो बेटा कहीं ऐसा ना हो कि वो लड़की बाद में तुम्हे धोका देकर तुम्हारा पूरा जीवन बर्बाद कर दे....







में--मैने सोच लिया है अंकल बस आप मेरी मदद कर दीजिए....





प्रसाद--ठीक है बेटा जैसा तुम चाहो....



अंकल अपनी टॅबेल पर रखी हुई बेल बजाते है जिसे सुनकर एक चपरासी अंदर आजाता है....

उस चपरासी को इनस्पेक्टर शर्मा को बुलाने के लिए कहते है....फिर वो चपरासी. बाहर चला जाता है....

कुछ देर बाद हे दरवाजे पर दस्तक होती है....और प्रसाद अंकल उसे अंदर आने के लिए कहते है....







प्रसाद--जय बेटा ये है इनस्पेक्टर राजेश....ये तुम्हारी मदद उस लड़की को वहाँ से निकालने में करेंगे....





राजेश एक 6 फीट लंबा सुघटित जिस्म का मालिक था गोरा रंग, चेहरे पर आत्मविश्वास अच्छे से झलक रहा था उसके....





राजेश--सर किसे कहाँ से निकालना है....





पसद--राजेश....जय को तो तुम जानते ही हो....इन्होने एक लड़की को तवायफ़ के धंधे से बाहर निकालने की ज़िम्मेदारी उठाई है...और इन्होने उस लड़की को अपनी बहन भी माना है इसलिए तुम्हे जय के साथ मिलकर उस लड़की को वहाँ से आज़ाद करवाना है....





राजेश--सर....क्या इनको ये पता है कि ये धोके का शिकार भी हो सकते है उस लड़की को आज़ाद करवाने के चक्कर में....







प्रसाद--में इन्हे वो सब कुछ बता चुका हूँ लेकिन ये फिर भी उसे बचाने की रिस्क ले रहे है....इनकी नेक नियत पर भरोसा करते हुए तुम्हे उस लड़की को वहाँ से किसी भी तरह निकालना होगा...





राजेश--ठीक है सर पर जाना कहाँ है....







में--बनारस.....







राजेश--कुछ सोच कर.... लगता है उस लड़की के साथ साथ अब कुछ ज़िंदगियाँ और बर्बाद होने से बच जाएँगी....हम कल सुबह ही बनारस के लिए निकल जाएँगे सर.....मुझे खुशी है आपने मुझे इतना अच्छा काम दिया....इस भलाई के काम को में ज़रूर पूरा करूँगा...

उसके बाद में और राजेश अपना अपना मोबाइल नंबर एक्सचेंज कर लेते है और फिर में वहाँ से उठ कर सीधा डॉक्टर आलोक के क्लिनिक की तरफ अपनी बाइक मोड़ लेता हूँ.....



शाम के 7 बज गये थे....में डॉक्टर आलोक के क्लिनिक में बैठा हुआ उनसे मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था....

कितना अजीब दिन था आज का...जिसे में अपना दुश्मन समझ रहा था वो तो मेरे पापा के अहसानो से वैसे ही दबा हुआ है....और फिर शमा से मिलना....जिसे देख कर मेरा रोम रोम कह रहा है....हां ये मेरी वही बहन है जो खो चुकी है....मुझे अब अपनी बहन को वहाँ से निकालने के अलावा ये भी पता करना है...कि इसकी माँ कौन है....क्या शमा का कोई और परिवार तो नही है....??



ये ही सवाल मेरे मन में लगातार हथोडे की तरह प्रहार कर रहे थे....तभी चपरासी ने आकर मुझे डॉक्टर के कॅबिन में जाने के लिए बोल दिया और में वहाँ से उठ कर सीधा कॅबिन में घुस गया.....







डॉक्टर--मुस्कुराते हुए....तुम कभी टाइम पर क्यो नही आते....में तुम्हे सुबह बुलाता हूँ तो शाम को आते हो और शाम को बुलाता हूँ तो सुबह.....







में--सर क्या करूँ....आज कल समय भी कुछ ज़्यादा ही तेज़ भागने लग गया है....देर हो ही जाती है....







डॉक्टर--कोई बात नही बोलो चाय लोगे या कॉफी...







में--सर थॅंक्स लेकिन मुझे थोड़ी जल्दी है कॉफी आपके साथ फिर किसी दिन ज़रूर पियुंगा....







डॉक्टर--अच्छा कोई बात नही....तुम वो सम्पेल्स मुझे दे दो....





उसके बाद में वो सारे लिफाफे डॉक्टर आलोक की टॅबेल पर रख देता हूँ और डॉक्टर आलोक एक एक करके सारे लिफाफे देखने लगते है.....







डॉक्टर--क्या बात है जय आज एक लिफ़ाफ़ा और बढ़ गया....तुम तो सिर्फ़ बड़े भाई वाला लिफ़ाफ़ा लाने वाले थे ये किसका सॅंपल ले आए तुम...और इन सब लिफाफो पर खून किसका लगा है....और लिफाफो पर तुम्हारे पापा भैया का तुम्हारा नाम क्यों है बाकी 3 नामो के अलावा....





में--सर कोई कन्फ्यूषन ना हो इस लिए मैने अपने घर वालो के नाम लिख दिए इस मे....और ये खून उसका है जिसका सॅंपल दूसरे लिफाफे में है....





डॉक्टर--इंट्रेस्टिंग.... लग रहा है कुछ पहेलियाँ सुलझाने में लगे हुए हो....खेर अगर मुझे तुम ना बताना चाहो तो ना सही लेकिन कुछ तो गड़बड़ चल रही है तुम्हारे दिमाग़ में....







में--सर जिस दिन ये पहेली सुलझ जाएगी....में उस दिन आपको सब कुछ सच सच बता दूँगा....अभी में आपसे इजाज़त चाहूँगा जाने की....







डॉक्टर--ठीक है....तुम कल आकर ये रिपोर्ट्स ले जाना....अभी तुम जा सकते हो.,..







में--कल कब आउ सर....?





डॉक्टर--जब तुम्हारा मन करे वैसे भी तुम मेरे दिए हुए वक़्त पर तो आओगे नही....







में--सर में वैसे भी कल बाहर हूँ रूही दीदी आएँगी आपसे रिपोर्ट्स लेने आप उन्हे ये रिपोर्ट्स दे देना....







डॉक्टर-ठीक है जय जैसा तुम चाहो....





उसके बाद में वहाँ से निकलकर सीधा अपनी बाइक एक शराब की दुकान के बाहर रोकता हूँ और एक स्कॉच की बोतल ले कर घर की तरफ बढ़ जाता हूँ....





घर पहुँच कर मम्मी को में वो ज्यूयलरी वाला बॉक्स दे देता हूँ....और उनसे कहता हूँ कल कोई आएगा आप उसे ये दे देना...उसके बाद में अपने रूम में आजाता हूँ और अपने कपड़े बदलने लगता हूँ....तभी रूम के दरवाजे पर दस्तक होती है...और में उसे अंदर आने के लिए कह देता हूँ....





भाभी--क्या बात है हीरो....कहाँ घूमते रहते हो आज कल सारा सारा दिन....चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग़ में....मम्मी से पूछती हूँ तो वो भी तेरा ही पक्ष उठाती है....कुछ मुझे भी बताएगा....





में--भाभी आपको सब कुछ बता दूँगा बस मुझे कुछ काम और करने है उसके बाद सब कुछ पहले की तरह हो जाएगा.....





भाभी--क्या सब कुछ पहले की तरह हो सकता है....??
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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भाभी की आँख में आँसू आ गये थे ये बात बोलते हुए.....मैने कितनी बड़ी ग़लती करदी उनके जख्म को कुरेद कर....



में तुरंत आगे बढ़ा और भाभी को अपने गले से लगा लिया.....वो भी बिल्कुल मुझ से चिपक सी गयी थी...और मेरे कंधे पर सिर रख कर सिसकने लग गयी

में तुरंत आगे बढ़ा और भाभी को अपने गले से लगा लिया.....वो भी बिल्कुल मुझ से चिपक सी गयी थी...और मेरे कंधे पर सिर रख कर सिसकने लग गयी....



मैने बड़ी मुश्किल से उन्हे संभाला....और थोड़ी देर बाद वो बाहर चली भी गयी...





कैसे कर पाउन्गा में ये सब....कैसे सब के जीवन फिर से खुशिया आ पाएँगी....कैसे फिर से मेरा घर फिर से खुशियो से भर जाएगा....क्या करूँ....क्या करूँ में....???



रात मेरी आँखो में ही कट गयी....बस यही सोचते सोचते कि कैसे में फिर से खुशिया ला पाउन्गा मेरे घर में....सुबह 11 बजे निकलना है और अभी सुबह के 4 बज चुके थे...



यही सोचते सोचते जाने कब मेरी आँख लग गयी....जो कुछ घंटी बाद रूही की आवाज़ से खुल गयी....







रूही--जय उठ जा....कितना सोएगा....चल जल्दी से उठ जा कॉलेज नही जाना है क्या....







में--नही दीदी में आज भी आप लोगो के साथ नही चल पाउन्गा....क्या मेरा एक काम कर दोगि....







रूही--तुझे मैने कभी किसी काम के लिए मना किया है जो पूछ रहा है....







में--दीदी डॉक्टर. आलोक के यहाँ से एक रिपोर्ट लेकर आनी है कॉलेज से आने के बाद आप मेरे मोबाइल पर उसकी एक फोटो भी भेज देना....







रूही--चल ठीक है....में कॉलेज से आते वक़्त तेरा ये काम कर दूँगी....वैसे तू आज कहाँ जा रहा है....कॉलेज में अटेंडेन्स शॉर्ट्स पड़ जाएँगी....वैसे ही छुट्टियाँ काफ़ी ज़्यादा हो गयी है....







में--दीदी ये काम कॉलेज से ज़्यादा ज़रूरी है...प्ल्ज़ आप मेरा वो काम ज़रूर याद से कर देना....भूल मत जाना...





रूही--नही भूलूंगी बाबा....







में--अच्छा नीरा उठ गयी क्या....







रूही--वो तो सुबह सब से पहले उठ गयी थी अभी भाभी के साथ किचन में है....







में--क्या बात है आज वो आलसी जल्दी कैसे उठ गयी....





रूही--पता नही सुबह से ही किचन में घुसी हुई है वो भी नहा धो कर....







तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और दरवाजा खोल कर नीरा अंदर आजाती है....वो अपने साथ मेरे लिए कॉफी लेकर आई थी....







नीरा--आप उठ गये....ये लो में आपके लिए अपने हाथो से कॉफी बना कर लाई हूँ....





में--आज सूरज कहाँ से उगा है....आज तो मेरा बर्तडे भी नही है जो तू मुझे सुबह सुबह कॉफी पिलाने आ गयी है....







नीरा--अब से में ही आपके लिए सुबह कॉफी लाउन्गी और नाश्ता भी अपने हाथो से बनाया हुआ ही खिलाउन्गि....







में--मम्मी ने तुझे किचन में काम कैसे करने दिया....वो तो भाभी को भी बड़ी मुश्किल से किचन में घुसने देती है काम करने के लिए....इसीलिए घर में आज तक उन्होने कोई नोकर नही रखा....क्योकि वो घर का सारा काम खुद ही करना पसंद करती है....फिर तुझे कैसे घुसने दिया....







नीरा--वो क्या है ना....मैने मम्मी को एक बात बोली....इस वजह से मुझे वो काम करने से मना नही कर पाई और वैसे भी कॉफी बनाने के लिए तो मम्मी रूही दीदी को भी मना नही करती....तो मुझे क्यो करेगी....







में--चल ठीक है अब ये कॉफी का मग यहाँ रख और स्कूल जाने की तैयारी कर...









नीरा--वो मुझे आप से एक काम था....





में--कौनसा काम....







नीरा--बाद में बताउन्गी पहले आप फ्रेश हो जाओ और बाहर आ जाओ....







उसके बाद नीरा और रूही दोनो बाहर चले जाते है...तभी एक मिनिट बाद ही मेरे रूम का दरवाजा वापस खुल जाता है और नीरा भागते हुए मेरे बेडपर चढ़ कर मेरे उपर बैठ जाती है.....





में--ओये मोटी उठ....क्यो दबा रही है सुबह सुबह....





नीरा--पहले मुझे एक गुड मोर्निंग किस दो उसके बाद ही में यहाँ से जाउन्गि....







में--तुझे रोका किसने है जो चाहिए वो ले ले..

फिर उसके बाद नीरा मुझे पर झपट पड़ती है और मेरे पूरे चेहरे पर अपने होंठों से निशान बना देती है....और फिर लास्ट में मेरे नीचे वाले होंठ पर एक हल्का सा बाइट कर के कहती है ....





नीरा--गुड मोर्निंग जान....





और में भी कस कर उसे अपने गले से लगा लेता हूँ....उसके बाद में उसे बाहर जाने को कहता हूँ और बाथरूम में घुस जाता हूँ....



नीरा का इस तरह मेरा ख्याल रखना मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था....में जल्दी जल्दी फ्रेश हो कर बाहर निकल कर आ गया....बाहर सभी हॉल में बैठ कर मेरा वेट कर रहे थे नाश्ते के लिए....







कोमल--भैया क्या बात है आज कल कॉलेज की खूब छुट्टियाँ मार रहे हो आप....







में--क्यो तेरा भी स्कूल से छुट्टी मारने का मन कर रहा है क्या....





कोमल--स्कूल से छुट्टी मारने का तो नही लेकिन कहीं घूमने जाने का ज़रूर मन कर रहा है.....







में--में एक बार ये काम निपटा लूँ उसके बाद नेक्स्ट वीक हम 4 दिनो के लिए कहीं बाहर चलेंगे....





कोमल--पक्का ना भैया.....





दिखसा--अब उनसे क्या लिख कर लेगी....चुप चाप खाना खा और स्कूल जाने की तैयारी कर....







मम्मी--अरे दीक्षा बेटा बोलने दे उसे वो अपने भाई को ही बोल रही है कोई दूसरा बाहर वाला नही है....







कोमल--बड़ी मम्मी दीदी हमेशा मुझे डाँटती रहती है...





मम्मी--क्या बात है दीक्षा कुछ दिनो से तेरा बर्ताव क्यो बदला हुआ है....







दीक्षा--कुछ नही बड़ी मम्मी.. मम्मी पापा ने गाँव जा कर एक बार भी हमसे फोन करके बात नही करी....ऐसा लग रहा है जैसे एक बोझ था उनके सीने पर जिसे वो इस घर में छोड़ कर चले गये है....ये कहते कहते दीक्षा की आँखो में आँसू आ गये...और मम्मी ने वहाँ से उठ कर दीक्षा के माथे को अपने सीने में दबा लिया....
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#92
मम्मी--ऐसा नही बोलते दीक्षा ...तुम उनके लिए बोझ नही हो....वो बस तुम्हारी पढ़ाई में डिस्टर्ब ना हो इसलिए तुम्हे फोन नही कर रहे होंगे....तू कॉलेज से आजा उसके बाद तुम दोनो बहनो के साथ तेरे माँ बाप की मिल कर क्लास लगाएँगे....





उसके बाद वो सब कार में बैठ कर अपने अपने स्कूल कॉलेज की तरफ रवाना हो गये....





और में वही बैठा बैठा अख़बार पढ़ने लग गया....इसी तरह टाइम पास करते करते 10 बज गये तभी मेरे पास राजेश का फोन आ गया....





रहेश--जय रेडी हो गये ना....







में--हाँ राजेश भाई में बस आपके फोन का ही वेट कर रहा था....बोलिए कहाँ मिलेंगे आप...में अपनी कार लेकर वही आ जाता हूँ....





राजेश--ठीक है तुम मुझे ऑफीस के बाहर से ही पिक कर लो 11.15 की फ्लाइट है ज़्यादा देर मत करना....





में--में बस निकल ही रहा हूँ....10.30 आपके पास पहुँच जाउन्गा....





राजेश--ठीक है आ जाओ अब में फोन रखता हूँ....







उसके बाद में फोन अपनी जीन्स में डालकर एक छोटे से ट्रॅवेल बेग में कुछ ज़रूरी सामान भर लेता हूँ....और मम्मी से कहता हूँ जुगल किशोर अंकल की दुकान से कोई आएगा उन्हे वो बॉक्स दे देना....





मम्मी--ठीक है में वो दे दूँगी लेकिन तेरे दिमाग़ में चल क्या रहा है बताएगा मुझे....





में--बहुत जल्दी इस घर में खुशिया आने वाली है....बस मुझे थोड़ा वक़्त और दे दो....उसके बाद में सब कुछ ठीक कर दूँगा....





मम्मी--ठीक है जा जहाँ जाना है....लेकिन अपना ख्याल रखना....





में उसके बाद वहाँ से निकल कर सीधा राजेश के ऑफीस की तरफ बढ़ जाता हूँ वहाँ मुझे राजेश बाहर ही नज़र आजाता है....







उसके बाद हम तेज़ी से एरपोर्ट की तरफ बढ़ जाते है....



हम लोग वाराणसी एरपोर्ट पहुँच गये थे...वहाँ से हमे एक कार लेकर 2 घंटे के सफ़र पर निकलना था....मैने शमा को फोन करके यहाँ पहुँचने के बारे में बता दिया....उसकी आवाज़ से घबराहट काफ़ी सॉफ दिखाई पड़ रही थी....



शमा से बात करने के बाद हम लोग एक पोलीस हेडक्वॉर्टर में पहुँचे जहाँ राजेश ने कुछ मालूमात करी...





राजेश--जय भाई मामला बड़ा गंभीर है....यहाँ कुछ धर्म के ठेकेदार है जो वेश्याव्रती को सही मानते है....और ये लोग पोलिटिकली भी काफ़ी साउंड है....हमे कुछ और ही करना होगा....





में--क्या करना होगा राजेश भाई...





राजेश--तुम्हे शमा को यहाँ से खरीद कर ही ले जाना होगा....अगर में यहाँ पुलिस के साथ रेड डालता हूँ उसमें किसी को चोट भी पहुँच सकती है....और दूसरी बात ये काम बिना मीडीया के पासिबल भी नही है....और अगर मीडीया इस काम में एंवोल्व हो गयी तो तुम खुद समझ सकते हो तुम्हारे परिवार की कितनी बदनामी होगी....







में--बात तो सही है राजेश भाई....मेरे दिमाग़ में एक प्लान है अगर आप सुनना चाहे तो....







राजेश--अगर वासत्व में कोई सेफ प्लान है तो में ज़रूर सुनना चाहूँगा....







में--हमारा सब से पहला मकसद शमा को यहाँ से कोई भी कीमत देकर निकालना है....हम लोगो के निकलने के बाद अगर आप....यहाँ रेड कर दे तो शमा भी बच जाएगी और काफ़ी सारी लड़कियो की जिंदगी भी बच जाएगी....





राजेश--मेरे दिमाग़ में भी यही चल रहा है जय....





रेड के टाइम तुम्हारे दिए हुए पैसे भी बरामद हो जाएँगे....लेकिन रेड से पहले में तुम्हारे साथ उस कोठे पर नही जा सकता....







में--हम लोग जैसे ही वहाँ से निकलेंगे आपको इनफॉर्म कर देंगे आप हमारे वहाँ से निकलते ही कोठे पर रेड कर देना....







राजेश--ठीक है जय अभी....7 बज रहे है और वहाँ का महॉल भी रंगीन हो रखा होगा....मेरे ख्याल से तुम्हे वहाँ एक बार जाना चाहिए....





उसके बाद में राजेश से विदा लेकर कोठे की तरफ बढ़ जाता हूँ....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

फिर उसके बाद नीरा मुझे पर झपट पड़ती है और मेरे पूरे चेहरे पर अपने होंठों से निशान बना देती है....और फिर लास्ट में मेरे नीचे वाले होंठ पर एक हल्का सा बाइट कर के कहती है ....





नीरा--गुड मोर्निंग जान....





और में भी कस कर उसे अपने गले से लगा लेता हूँ....उसके बाद में उसे बाहर जाने को कहता हूँ और बाथरूम में घुस जाता हूँ....



नीरा का इस तरह मेरा ख्याल रखना मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था....में जल्दी जल्दी फ्रेश हो कर बाहर निकल कर आ गया....बाहर सभी हॉल में बैठ कर मेरा वेट कर रहे थे नाश्ते के लिए....







कोमल--भैया क्या बात है आज कल कॉलेज की खूब छुट्टियाँ मार रहे हो आप....







में--क्यो तेरा भी स्कूल से छुट्टी मारने का मन कर रहा है क्या....





कोमल--स्कूल से छुट्टी मारने का तो नही लेकिन कहीं घूमने जाने का ज़रूर मन कर रहा है.....







में--में एक बार ये काम निपटा लूँ उसके बाद नेक्स्ट वीक हम 4 दिनो के लिए कहीं बाहर चलेंगे....





कोमल--पक्का ना भैया.....





दिखसा--अब उनसे क्या लिख कर लेगी....चुप चाप खाना खा और स्कूल जाने की तैयारी कर....







मम्मी--अरे दीक्षा बेटा बोलने दे उसे वो अपने भाई को ही बोल रही है कोई दूसरा बाहर वाला नही है....







कोमल--बड़ी मम्मी दीदी हमेशा मुझे डाँटती रहती है...





मम्मी--क्या बात है दीक्षा कुछ दिनो से तेरा बर्ताव क्यो बदला हुआ है....







दीक्षा--कुछ नही बड़ी मम्मी.. मम्मी पापा ने गाँव जा कर एक बार भी हमसे फोन करके बात नही करी....ऐसा लग रहा है जैसे एक बोझ था उनके सीने पर जिसे वो इस घर में छोड़ कर चले गये है....ये कहते कहते दीक्षा की आँखो में आँसू आ गये...और मम्मी ने वहाँ से उठ कर दीक्षा के माथे को अपने सीने में दबा लिया....







मम्मी--ऐसा नही बोलते दीक्षा ...तुम उनके लिए बोझ नही हो....वो बस तुम्हारी पढ़ाई में डिस्टर्ब ना हो इसलिए तुम्हे फोन नही कर रहे होंगे....तू कॉलेज से आजा उसके बाद तुम दोनो बहनो के साथ तेरे माँ बाप की मिल कर क्लास लगाएँगे....





उसके बाद वो सब कार में बैठ कर अपने अपने स्कूल कॉलेज की तरफ रवाना हो गये....





और में वही बैठा बैठा अख़बार पढ़ने लग गया....इसी तरह टाइम पास करते करते 10 बज गये तभी मेरे पास राजेश का फोन आ गया....





रहेश--जय रेडी हो गये ना....







में--हाँ राजेश भाई में बस आपके फोन का ही वेट कर रहा था....बोलिए कहाँ मिलेंगे आप...में अपनी कार लेकर वही आ जाता हूँ....





राजेश--ठीक है तुम मुझे ऑफीस के बाहर से ही पिक कर लो 11.15 की फ्लाइट है ज़्यादा देर मत करना....





में--में बस निकल ही रहा हूँ....10.30 आपके पास पहुँच जाउन्गा....





राजेश--ठीक है आ जाओ अब में फोन रखता हूँ....







उसके बाद में फोन अपनी जीन्स में डालकर एक छोटे से ट्रॅवेल बेग में कुछ ज़रूरी सामान भर लेता हूँ....और मम्मी से कहता हूँ जुगल किशोर अंकल की दुकान से कोई आएगा उन्हे वो बॉक्स दे देना....





मम्मी--ठीक है में वो दे दूँगी लेकिन तेरे दिमाग़ में चल क्या रहा है बताएगा मुझे....





में--बहुत जल्दी इस घर में खुशिया आने वाली है....बस मुझे थोड़ा वक़्त और दे दो....उसके बाद में सब कुछ ठीक कर दूँगा....





मम्मी--ठीक है जा जहाँ जाना है....लेकिन अपना ख्याल रखना....





में उसके बाद वहाँ से निकल कर सीधा राजेश के ऑफीस की तरफ बढ़ जाता हूँ वहाँ मुझे राजेश बाहर ही नज़र आजाता है....







उसके बाद हम तेज़ी से एरपोर्ट की तरफ बढ़ जाते है....



हम लोग वाराणसी एरपोर्ट पहुँच गये थे...वहाँ से हमे एक कार लेकर 2 घंटे के सफ़र पर निकलना था....मैने शमा को फोन करके यहाँ पहुँचने के बारे में बता दिया....उसकी आवाज़ से घबराहट काफ़ी सॉफ दिखाई पड़ रही थी....



शमा से बात करने के बाद हम लोग एक पोलीस हेडक्वॉर्टर में पहुँचे जहाँ राजेश ने कुछ मालूमात करी...





राजेश--जय भाई मामला बड़ा गंभीर है....यहाँ कुछ धर्म के ठेकेदार है जो वेश्याव्रती को सही मानते है....और ये लोग पोलिटिकली भी काफ़ी साउंड है....हमे कुछ और ही करना होगा....





में--क्या करना होगा राजेश भाई...





राजेश--तुम्हे शमा को यहाँ से खरीद कर ही ले जाना होगा....अगर में यहाँ पुलिस के साथ रेड डालता हूँ उसमें किसी को चोट भी पहुँच सकती है....और दूसरी बात ये काम बिना मीडीया के पासिबल भी नही है....और अगर मीडीया इस काम में एंवोल्व हो गयी तो तुम खुद समझ सकते हो तुम्हारे परिवार की कितनी बदनामी होगी....







में--बात तो सही है राजेश भाई....मेरे दिमाग़ में एक प्लान है अगर आप सुनना चाहे तो....







राजेश--अगर वासत्व में कोई सेफ प्लान है तो में ज़रूर सुनना चाहूँगा....







में--हमारा सब से पहला मकसद शमा को यहाँ से कोई भी कीमत देकर निकालना है....हम लोगो के निकलने के बाद अगर आप....यहाँ रेड कर दे तो शमा भी बच जाएगी और काफ़ी सारी लड़कियो की जिंदगी भी बच जाएगी....





राजेश--मेरे दिमाग़ में भी यही चल रहा है जय....





रेड के टाइम तुम्हारे दिए हुए पैसे भी बरामद हो जाएँगे....लेकिन रेड से पहले में तुम्हारे साथ उस कोठे पर नही जा सकता....







में--हम लोग जैसे ही वहाँ से निकलेंगे आपको इनफॉर्म कर देंगे आप हमारे वहाँ से निकलते ही कोठे पर रेड कर देना....







राजेश--ठीक है जय अभी....7 बज रहे है और वहाँ का महॉल भी रंगीन हो रखा होगा....मेरे ख्याल से तुम्हे वहाँ एक बार जाना चाहिए....





उसके बाद में राजेश से विदा लेकर कोठे की तरफ बढ़ जाता हूँ....



उस गली में एक अलग सी खुश्बू एक अलग सी मादकता का अहसास मुझे उस गली में घुसते ही हो गया....सड़क पर काफ़ी चहल पहल थी....लड़किया बाहर खड़ी हो कर ग्राहको का वेट कर रही थी....कुछ लड़कियो ने मुझे भी घेर लिया लेकिन मैने उनसे ये कह कर पीछा छुड़ाया कि में यहाँ किसी और काम से आया हूँ....और उसके बाद मैने उनसे ही शमा वाला अड्रेस भी पूछ ही लिया....





में सीधा चलता हुआ एक पतली सी गली में घुस गया....उसके बाद कुछ सीढ़िया चढ़कर एक हॉल में पहुँच गया....वाहन काफ़ी ज़्यादा सजावट करी गयी थी....खूबसूरत झामर...और कालीन उस हॉल की शोभा बढ़ा रहे थे....वहाँ साइड में कुछ गद्दे और मसंद भी रखे हुए थे....जो शाआद मेहमानो के बैठने के लिए रखे हुए थे....एक साइड में कुछ वध्य यंत्र भी रखे हुए थे तबला सारंगी सहनाई....



मेरे दिल की धड़कने मेरे पसलियो पर लगातार हथौड़े मारे जा रही थी...मेरे माथे पर घबराहट की वजह से पसीने की कुछ बूंदे भी आ गयी थी....तभी एक हाथ मुझे मेरे कंधे पर महसूस हुआ....



में हड़बड़ा कर पीछे देखता हूँ तो वहाँ एक सुंदर लड़की घाघरा चोली में खड़ी हुई मुझे देखे जा रही थी....





लड़की--क्या हुआ बाबूजी किसे ढूँढ रहे है आप यहाँ....इस कोठे की शान ही ऐसी है कि कोई भी यहाँ बेचैन हो जाता है....क्या में आपकी मदद कर सकती हूँ....







में--क्या कामली बाई का कोठा यही है....





लड़की--आप बिल्कुल सही जगह आए है बाबूजी...आप इस वक़्त कामली बाई के कोठे पर ही खड़े है.....







में--मुझे कामली बाई से मिलना था....किसी बारे में उनसे बात करनी थी....





लड़की--आप मुझे बता दीजिए आपको उन से क्या काम है....में आपका संदेशा उन तक पहुँचा दूँगी.....







में--मैने सुना है यहाँ नथ उतरने की रसम होने वाली है....में उसी रसम में बोली लगाने के लिए आया हूँ....





लड़की--बाबूजी उस रसम में तो अभी काफ़ी वक़्त है.....लेकिन फिर भी आप का संदेश में कामली बाई तक पहुँचा देती हूँ.....आप मेरे साथ आइए में आपको मेहमानो के कमरे में ले चलती हूँ...उसके बाद में कामली बाई को आपके बारे मे बता दूँगी.....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

उसके बाद वो.मुझे एक खूबसूरत रूम में ले आती है जहा चार कुर्सिया और एक एक शानदार लकड़ी की टेबल रखी हुई थी....एक छोटा सा मिनी बार भी उस कमरे में बना हुआ था...





में वहाँ एक कुर्सी पर शालीनता के साथ जा बैठा....कुछ देर इंतजार करने के बाद वो लड़की फिर से आ गई और वहाँ बने मिनी बार की तरफ बढ़ गयी....







लड़की--बाबूजी आप क्या लेना पसंद करेंगे...





में--जो तुम्हे पसंद हो वो ले आओ....लेकिन कामली बाई ने क्या कहा....







लड़की--कामली बाई बस कुछ ही देर में आपसे मिलने के लिए आरहि है....जब तक आप खुद को शराब से तरोताज़ा कर लीजिए....





में--क्या में तुम्हारा नाम जान सकता हूँ....







लड़की--नज़्म....नज़्म नाम है मेरा बाबूजी....







में--तुम्हे यहाँ कितना समय हो गया नज़्म....







नज़्म--मेरा जनम यही हुआ है.....







में--क्या तुम्हारी भी नाथ उतराई.....







नज़्म--नही बाबूजी अभी उस में वक़्त है....अगले साल मेरा नंबर है....अभी में बस मेहमानो की सेवा करती हूँ..,.और नाचने गाने का अभ्यास करती हूँ.....







में--क्या तुमने पढ़ाई नही करी नज़्म....







नज़्म--जब से होश संभाला मेरे पैरो में घुंघरू पड़ गये...और पढ़ाई करके कौनसा मुझे कही नोकरि करनी थी....मैने जो भी सीखा इसी कोठे की चारदीवारी के भीतर ही सीखा....





तभी दरवाजा खुलने की आवाज़ होती है....और 50 - 55 साल की खूबसूरत औरत मेरे सामने बड़ी अदा से झुक का सलाम करती है..,.में भी तुरंत अपनी जगह से खड़ा हो जाता हूँ....वो कामली बाई थी....







कामली--लगता है आप पहली बार किसी कोठे की शान बढ़ाने निकले है घर से....







में--आपने ठीक पहचाना.....में पहली बार ही किसी कोठे पर आया हूँ....और पहली बार में ही निराश होकर नही जाना चाहता.....







कामली--अरे जनाब....यहाँ तो लोग अपनी निराशा भगाने के लिए आते है....में पहला शक्श देख रही हूँ जो यहाँ से निराश हो कर जाने की बात कर रहा है....





में--शायद मुझे यहाँ कुछ दिन बाद आना चाहिए था....लेकिन कुछ दिनो बाद में हमेशा के लिए भारत छोड़ कर जा रहा हूँ....में एक शादी शुदा मर्द हूँ....लेकिन मेरी बीवी माँ नही बन पा रही है....उसके कहने पर ही में आपके यहाँ से लड़की खरीदने आया हूँ....







कामली--माँ ना बन पाने का दर्द एक लड़की से सब कुछ करवा देता है....क्या में जान सकती हूँ आप की पत्नी माँ क्यो नही बन सकती.....







में--मेरी पत्नी की बच्चेदानी कमजोर है....अगर हम बच्चा करने की कोशिश भी करेंगे तो उसकी जान को ख्तरा भी हो सकता है....इसीलिए में आपके पास आया हूँ....,







कामली--क्या आपकी पत्नी एक सोतन बर्दास्त कर लेगी....





में--जैसा कि आपने बोला एक लड़की माँ बनने के लिए कुछ भी कर जाती है....शायद इसीलिए वो ये सब बर्दाश्त करने के लिए तैयार है....







कामली--लेकिन जनाब रस्म होने मे अभी वक़्त है...और वक़्त से पहले.....आपको कैसे में लड़की दे सकती हूँ.....





में--तो इसका मतलब जो कभी नही हुआ वो आज होगा....







कामली--आपका मतलब नही समझी में....







में अपना बना हुआ पेग एक ही साँस में ख़तम करता हूँ और वहाँ से उठ कर बोलता हूँ...







में--आज पहली बार आपके इस कोठे से कोई निराश होकर जा रहा है....
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