Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

में--सच में मम्मी मुझे नही पता में यहाँ कैसे आया...में तो बाहर नाश्ता कर रहा था और ये मेरे कपड़े कैसे चेंज हो गये....
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मम्मी मेरी ऐसी हालत होते देख घबरा गयी और मेरे गीले बदन को अपनी साड़ी से पोछने लग गयी.....


ये क्या हुआ था मुझे....कुछ समझ नही आ रहा था....मुझे कुछ याद क्यों नही आ रहा....में अंदर कैसे आ गया....मम्मी को मैने ऐसा क्या बोल दिया जिस से उन्होने मुझे गीला कर दिया........

मम्मी मेरी बातो से काफ़ी घबरा गयी थी और वो मेरे सीने से लगकर रोने लगती है....


मम्मी--ये क्या हो गया है मेरे घर को किस की नज़र लग गयी है इसे....


चाची--भाभी मुझे लगता है किसीने जय के खाने पीने के सामान में कुछ मिलाया है....


मम्मी--मेरे घर में कोई ऐसा करने की सोच भी नही सकता.....लेकिन फिर भी कुछ तो ग़लत हुआ है इसके साथ...में अभी इसे पंडित जी के पास लेकर जाती हूँ और तू ये बात किसी को नही बताएगी तुझे जो चाहिए था वो तुझे मिल गया...अब मेरे घर से जाने की तैयारी कर लो...


उसके बाद चाची अपनी गर्दन झुकाए....रूम से बाहर निकल गयी....


मम्मी--जय तू अपने कपड़े बदल कर बाहर आजा हम लोगो को कहीं चलना है....



उसके बाद मम्मी बाहर चली जाती है और में अपने ख्यालो में डूबा हुआ अपने कपड़े चेंज करके बाहर निकल आता हूँ....बाहर आकर देखता हूँ मम्मी कार के पास खड़ी है और मुझे चलने के लिए बोल रही है....


में कार स्टार्ट करता हूँ और मुमनी के कहे अनुसार.....चलाने लगता हुँ....

थोड़ी ही देर में हम एक मंदिर के सामने पहुँच गये थे....मम्मी वही उतर गयी और मुझे कार पार्किंग में लगाकर आने का बोल कर वो लगभग भागते हुए मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ने लगी...

में कार पार्क कर के मदिर में चला आया और अपने जूते बाहर ही उतार दिए...


अंदर गया तो वहाँ एक पुजारी के सामने मम्मी बैठी हुई थी...



मम्मी--पुजारी जी इसे देखिए मुझे लगता है इस पर किसी ने कुछ कर दिया है....

में भी वही मम्मी के पास बैठ जाता हूँ...और पुजारी मेरा हाथ पकड़ कर अपनी आँखे बंद करके ध्यान में चला जाता है....


थोड़ी देर बाद जब पुजारी आँखे खोलता है...तो वो मेरी तरफ आश्चर्य से देख रहा होता है

पुजारी--बेटी तेरा बेटा एक महान इंसान है...इसने वो पा लिया जो हम लोगो के नसीब में शायद ही होगा....लेकिन तुम्हारे घर की एक कन्या ने इसके खाने में कुछ ऐसा मिला दिया था जिस से ये अजीब सा व्यवहार करने लग गया है....उस चीज़ के प्रभाव से इसका भीतरी मन जिसे ये हमेशा दबा कर रखता था वो उजागर हो जाता है.....मेडिकल की भाषा में इसे स्प्लिट पर्सनली कहते है....तुम इसे बिल्कुल सही समय पर यहाँ ले आई हो....वैसे उस चीज़ का प्रभाव इस पर से जा चुका है लेकिन इसे बार बार वो चीज़ दी जाती रही तो एक दिन ये पूरी तरह से बदल जाएगा ....
उसके बाद कोई कुछ नही कर पाएगा....


मम्मी--लेकिन में कैसे पता लगाऊ....कि ऐसा कौन कर रहा है....


पुजारी--इसके खाने पीने का ध्यान तुम खुद रखो....जब तुम इसकी हर चीज़ का ध्यान रखोगी तो वो कन्या कोई ना कोई ग़लती ज़रूर करेगी....या तो वो क्रोधित होकर तुम्हे भला बुरा कहेगी या फिर किसी भी तरह से तुम्हे अपने वश में करने की कोशिश करेगी....जो इसे दिया जा रहा है वो शायद किसी ख़ास प्रायोजन से अपना मतलब सिद्ध करने के लिए दिया जा रहा है.



मम्मी--पुजारी जी आपका आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखिए....में अब से इसके खाने पीने का ध्यान रखूँगी....
लेकिन आपने शुरू में कहा कि इसने ऐसा काम किया है जो आप शायद ही अपने जीवन में कर पाए...ऐसा क्या काम किया है इसने...


पुजारी जी-- मुस्कुराते हुए...आपका बेटा महादेव के दर्शन कर चुका है....जो हम सब को इतनी सेवा के बाद भी नही हुए....



उसके बाद पुजारी मेरे पैर छुने लग जाता है....और में पुजारी जी को रोकते हुए उन्हे फिर से अपनो जगह बैठा देता हूँ...



मम्मी--अगर इसके सिर पर महादेव का हाथ है फिर कोई कैसे इसका बुरा कर सकता है....


पुजारी--ये तो उनकी लीला वो ही जाने लेकिन....तुम्हे ये सब भूलकर बस इसके उपर ध्यान देना होगा....कुछ ही दिनो में उसकी सच्चाई तुम्हारे सामने होगी....


उसके बाद में और मम्मी पुजारी जी का आशीर्वाद लेकर घर की तरफ चल पड़ते है....रास्ते में गन्ने के जूस की दुकान देख कर में गाड़ी वहाँ लगा लेता हूँ और जूस वाले से 2 बड़े ग्लास बनाने की बोल देता हूँ....

हम दोनो जूस पीने के बाद वापस घर की तरफ बढ़ जाते है...घर पहुँच कर में मेरे रूम में घुस जाता हूँ और अपनी बुक्स उठा कर पढ़ने बैठ जाता हूँ....कल से कॉलेज जाना था .


थोड़ी देर बाद नीरा मेरे रूम में आती है....


नीरा--क्या बात है भैया आज बुक्स कैसे उठा ली...


में--कुछ नही यार कल से कॉलेज जाना है...और पता नही वहाँ कुछ पढ़ाया गया है भी या नही... तेरा आज स्कूल कैसा रहा वहाँ कोमल के लिए बात करी तूने....


नीरा--हाँ भैया प्रिन्सिपल ने कल कोमल को स्कूल बुलाया है और कुछ फ़ौरमलिटी है जो में करवा दूँगी कोमल के साथ जाकर...



में--चल अच्छा किया....अब कल में भी दीक्षा दीदी के लिए कॉलेज में बात कर लूँगा...


नीरा--भैया एक किस मिलेगी क्या....


ये सुनते ही में उसे कस कर बाहो में भर लेता हूँ और उसके गालो पर खूब सारी किस कर देता हूँ....बदले में नीरा भी मेरे गाल पर किस कर देती है....


में--मिल गयी किस??अब जा यहाँ से थोड़ी देर पढ़ने दे मुझे....और मम्मी को मेरे लिए एक कॉफी बनाने के लिए बोल दे...


नीरा--मम्मी को क्यो परेशान करते हो....में ही आपके लिए कॉफी बना कर ले आती हूँ...


में-- मुस्कुरा कर नीरा से कहता हूँ....तू मम्मी से बोल कर देख अगर वो तुझे बनाने दे तो बना ला....


उसके बाद नीरा रूम से निकल कर सीधा किचन में चली जाती है वहाँ मम्मी उसे मिल जाती है....


नीरा--मम्मी में भैया के लिए कॉफी बना रही हूँ आप भी लोगि....


मम्मी--कॉफी में बना देती हूँ....तुझे अगर पीनी है तो बोल दे मुझे....



नीरा--ठीक है मेरे लिए भी एक फुल मग कॉफी का बना दो...उसके बाद नीरा वहाँ से उछलती कुदति बाहर निकल जाती है....


तभी दीक्षा अंदर किचन में आजाती है....


दीक्षा--ताई जी आप क्या बना रही हो क्या में आपकी कुछ मदद करूँ....


मम्मी--नही बेटा में बना लूँगी....तेरी माँ क्या कर रही है....



दीक्षा--उनके सिर में दर्द हो रहा है...वो लेटी हुई है....आप बोलो तो बुलाउ उनको....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

मम्मी--नही आराम करने दे....तुझे कॉफी पीनी है तो बोल दे में कॉफी बना रही हूँ....और कोमल और नेहा से भी पुच्छ कर आजा...


दीक्षा--ठीक है ताई जी...में अभी पूछ कर आजाती हूँ....



मम्मी--ये ताई ....ताई क्या लगा रखा है तूने या तो मम्मी बोल या फिर बड़ी मम्मी....दुबारा ताई बोली ना तो देख लेना...


दीक्षा--ठीक है ताई जी.....ओह्ह्ह इम सॉरी बड़ी मम्मी जी....


मम्मी--चल भाग यहाँ से और सब से पूछ कर बता दे मुझे....


उसके बाद वो सब से पूछ कर आजाती है बस चाची कॉफी के लिए मना करती है और बाकी सब कॉफी माँग रहे थे....दीक्षा जब रूही से पूछने के लिए रूम में जाती है...तो रूही भी दीक्षा के साथ किचन में आ जाती है...



रूही--मम्मी मुझे ही बोल देती कॉफी बनाने के लिए...आपने क्यो तकलीफ़ करी...


मम्मी--में बना लूँगी तो घीस नही जाउन्गि...चल अब तू तेरा काम कर और जब आवाज़ दूं तब कॉफी लेने आ जाना तेरी...
तेरे चाचा चाची भी शाम को निकलने वाले है वापस गाँव के लिए उनके लिए भी खाना बनाना है मुझे...


रूही--मम्मी आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है...क्या आप थोड़ी देर बाद मुझ से बात कर सकती हो....



मम्मी--बोल क्या ज़रूरी बात है...यहीं बोल दे...


रूही--मम्मी रूम के अंदर बोलने वाली बात है किचन में कैसे बोल दूं....

उसके बाद रूही मम्मी के गाल पर किस करती है और किचन से बाहर चली जाती है.

सभी अपने अपने रूम्स में आ गये थे....में पढ़ता पढ़ता कॉफी की चुस्किया भी लगता जा रहा था....आज मेरा मन काफ़ी शांत था....

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उधर मम्मी भी अपने रूम में चली गयी थी....और उनके पीछे पीछे रूही भी अंदर आ गई थी....

रूही ने मम्मी को पिछे से हग कर लिया था और अपने दोनो हाथ उनके बड़े बड़े बूब्स पर रख कर मसलने लगती है....



मम्मी--रूही क्या हुआ आज तू बड़े मूड में लग रही है...

रूही अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मम्मी की चूत सारी के उपर से ही भींच देती है दूसरे हाथ उनके ब्लाउस में डालकर उनका बूब मसल्ने लग जाती है....


रूही--आप की याद मुझे बहुत आई...मन कर रहा है अभी आपके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर आपसे मेरी चूत चुस्वा....



मम्मी--चल अब मुझे छोड़ जो करना हो वो रात को कर लेना...मुझे एक बात बता तुम तो कल शाम को आने वाले थे फिर इतनी रात को कैसे आए वहाँ से....



रूही--में अपने और आपके लिए किसी चीज़ का बंदोबस्त कर रही थी हमेशा के लिए....

रात को जब में जय के रूम में गयी उसे देखने के लिए और फिर मेरा मन नही माना तो मैने उसके होंठो पर किस करदी....जब मैने उसे किस किया तब उसमें से शराब की काफ़ी ज़्यादा स्मेल आरहि थी....मैने इस मोके का फ़ायदा उठा कर जय का लंड भी चूसा और उसका पानी भी पिया....

अब जल्दी ही हम दोनो की चूत में उसका लंड होगा....आपने तो कभी मेरी चूत में उंगली भी नही डाली....लेकिन कल जय का लंड देख कर,मेरी चूत उसका लन्द लेने को तड़प रही है....

हरिद्वार में जब हम निकलने वाले थे तब मुझे पता पड़ा था कि वहाँ कोई बड़ा तांत्रिक आया हुआ है...मैने जब उन्हे अपनी परेशानी बताई तब उन्होने एक दवाई मुझे जय के खाने मिलाने के लिए दे दी थी....जिस की वजह से जल्दी ही हम दोनो की चूत की आग ठंडी हो सकेगी.....



तड़ाक्ककक......एक ज़ोर दार थप्पड़ से रूही का पूरा वजूद झन्झना उठता है....


मम्मी--तेरी हिम्मत कैसे हुई जय को कुछ भी ऐसा वेसा खिला देने की....कहाँ है वो दवाई लेकर आ मेरे पास उसे....


रूही ने अपनी ब्रा के अंदर छुपि हुई एक पूडिया निकाल कर दे दी....और अपने गालो को मसल्ते हुए कहने लगी....



रूही--में जानती हूँ आप मुझे जय से सुख लेने नही दोगि और ना ही खुद लोगि....लेकिन में उसे अपना बना कर ही रहूंगी....


मम्मी--तू शायद जानती नही है तेरे जाने के बाद यहाँ क्या क्या हंगामा हुआ है...

और मम्मी रूही को नीरा से लेकर चाची तक की सारी बाते बताती चली जाती है....



रूही को जब ये सारी बाते पता चलती है तो उसको रुलाई फूट पड़ती है...वो मम्मी के पैरों में बैठकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है....


लेकिन मम्मी की आँखो में बस रूही के लिए नफ़रत ही थी....


रूही--मम्मी मुझे माफ़ कर दो....अगर मुझे ऐसा पता होता कि मेरे जाने के बाद यहाँ इतने तूफान आगये है....तो में कभी भी ऐसी हरकत नही करती....


मम्मी--तेरी ये ग़लती जय को पागलपन के अंधेरे में धकेल देती....तूने देखा नही था उसका वो रूप अगर देख लेती तो वही बेहोश हो जाती...मैने नीरा और जय की शादी के लिए हाँ इस लिए करी क्योकि नीरा उसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती है....उसे जय के जिस्म का लालच नही है....



रूही--मगर में भी जय से प्यार करती हूँ....में भी उसके लिए जान दे सकती हूँ....और रही बात हवस की तो ये तोहफा आपने ही मुझे बचपन में दे दिया था.....में जय के बिना ज़िंदा नही रह सकती....


मम्मी को भी अब शायद अपनी ग़लतियो का एहसास होने लगा था....कैसे उसने खुद के स्वार्थ के लिए उस मासूम को हवस के गहरे दल दल में धकेल दे दिया था..

मम्मी रूही को उठाते हुए...


मम्मी--रूही जो हुआ वो ग़लत था लेकिन उसके बाद तू जो कर रही थी ये उस से भी ज़्यादा ग़लत है....अगर तू जय से प्यार करती है तो उसका दिल जीत....उसका प्यार जीत....तभी तू उसे पा सकती है....लेकिन इस तरह टोने टॉट्को से तू उसका शरीर तो पा लेगी लेकिन कभी उसका प्यार नही पा पाएगी....

बोल मुझे तुझे क्या चाहिए अगर तुझे जय का शरीर चाहिए तो मेरे बोलने भर से वो तेरे साथ वो सब कुछ कर लेगा जो तू चाहती है....लेकिन अगर तुझे उसका प्यार चाहिए तो ये काम तुझे खुद करना पड़ेगा....

अब अपने आँसू पोछ और जो तूने किया है उसके बारे में सोच.....और सोच जय का प्यार तू कैसे पा सकती है....
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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उसके बाद मम्मी रूही को रूम के अंदर छोड़ कर बाहर निकल जाती है...
और अंदर रूम में रूही बेतहाशा रोए जा रही थी.....बस रोए जा रही थी....
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अब सब कुछ बदल गया था...मेरा हर रिश्ता बदल गया था....जिस बहन से में अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता था वो अब मुझे पति के रूप में देखने लगी थी....चाची के साथ जो मैने किया.....उस वजह से एक रिश्ता और बदल गया....चाची की कोख में अपना बीज रोपीत कर चुका था....कुछ रिश्ते अभी और बदलने वाले थे....लेकिन रिश्ते बदलते बदलते कहीं में तो नही बदल जाउन्गा....कहीं में उस प्यार को तो नही भूल जाउन्गा जो मुझे मेरे संस्कारों में मिले ....ये क्या बेचैनी छा गयी है मेरे जीवन में....कैसे ख़तम होगा ये अध्याय....कौन निभाएगा मेरा साथ....क्या बस यही लिखा है मेरे जीवन में.....
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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मम्मी--जय उठ जा रात होने वाली है कब तक सोता रहेगा ऐसे ही....


में--मम्मी पढ़ते पढ़ते मुझे कब नींद आ गयी कुछ पता ही नही चला ....


मम्मी--चल हाथ मुँह धो ले....और जल्दी से खाना खाने आजा...


उसके बाद तेरे चाचा चाची भी थोड़ी देर में जाने वाले है....


में-- मम्मी में खाना उनके जाने के बाद खा लूँगा अभी कुछ खाने का मन नही है....


मम्मी--ठीक है तेरा जब मन करे तब खा लेना...लेकिन फ्रेश होकर बाहर तो आजा तेरे चाचा कब से तेरा वेट कर रहे है...



में--ठीक है मम्मी में थोड़ी देर में आता हूँ...

उसके बाद में हाथ मुँह धोकर बाहर चाचा के साथ सोफे पर बैठ जाता हूँ...



में--चाचा हो गया आपका काम....ले लिए खाद और बीज...


चाचा--हाँ बेटा यहाँ अच्छी किस्म के बीज मिल्गये....और अगर इस बार बारिश अच्छी हुई तो फसल भी देखने लायक होगी...


उसके बाद चाचा अपने बेग में से 10 लाख रुपये निकाल कर मेरे हाथ मे रख देते है...



में चाचा जी ये पैसे किस लिए...


बेटा ये वैसे तो तेरे पापा की अमानत थी लेकिन अब ये तेरी है....में अपने हिस्से की खेती के साथ साथ तेरे पापा वाले हिस्से में भी खेती करता था....ये उसी खेती के हिस्से के पैसे है जो में जमा करता रहता था....पहले कभी उस बात पर ध्यान नही दिया मैने लेकिन जब में यहाँ आरहा था तब मुझे अहसास हुआ कि मुझे तेरे पापा के हिस्से वाले पैसे भी देने चाहिए....



में--चाचा जी ये पैसे में नही रख सकता...ये आपकी मेहनत का फल है अगर आप उस ज़मीन पर मेहनत नही करते तो वो बंज़र पड़ी रहती....इसलिए इसे आप ही रखिए...



चाचा--बेटा हिस्से का धन चाहे मेहनत का हो या ज़मीन का वो हिस्सा ही रहता है....अगर तू ये पैसे मुझ से नही लेगा तो में हमेशा तुम्हारा कर्ज़दार ही बना रहूँगा....इसलिए तू ये पैसे रख ले....


उसके बाद चाचा ज़बरदस्ती वो दस लाख रुपये मेरे हाथो में रख देते है....

में मम्मी को आवाज़ लगाकर अपने पास बुलाता हूँ और उनसे ये कहता हूँ...

में--मम्मी ये पैसे कल कोमल और दीक्षा दीदी का बॅंक में खाता खुलवाकर एफडी करवा देना और अपनी तरफ से भी 5-5 लाख रुपये मिला देना....


मम्मी--मुस्कुरा कर....मुझे तुझ से यही उम्मीद थी बेटा अपने परिवार का ध्यान अब तुझे ही रखना है और तूने पहला फ़ैसला ही बिल्कुल सही लिया है में कल तुम लोगो के स्कूल कॉलेज से आने के बाद इन्हे बॅंक ले जाउन्गि....



चाचा--जय है तो तू भी तेरे पापा की तरह जिद्दी का जिद्दी....अच्छा मेरा एक काम करेगा जहाँ से में ये बीज लेकर आया था उनके लड़के की परसो शादी है....मैने जब उन्हे बताया कि में किशोर भाई साब का छोटा भाई हूँ तो उन्होने ज़िद्द करते हुए अपने बेटे की शादी का कार्ड थमा दिया अब में तो वहाँ जा पाउन्गा नही इसलिए एक बार वहाँ जाकर उन्हे शादी का तोफ़ा ज़रूर दे आना...


में--ठीक है चाचा जी में चला जाउन्गा...


चाचा--बेटा वो कार्ड मैने तेरी मम्मी को दे दिया है तू वहाँ जाना भूल मत जाना क्योकि ये बुलावा मुझे नही है बल्कि तेरे पापा के सम्मान को था इसलिए अपने पापा के मान के लिए तू वहाँ ज़रूर चले जाना....


में--ठीक है चाचा जी में चला जाउन्गा आप चिंता ना करे...


उसके बाद चाचा और चाची अपना समान लेकर और हम सभी बच्चो को अपने गले से लगाकर विदा लेते है....

उसके बाद में भी अपनी बाइक उठा कर बाहर निकल जाता हूँ...मुझे डॉक्टर के यहाँ से वो डीयेने रिपोर्ट्स लेनी थी...जो कि में सुबह लेना भूल गया था.....

में हॉस्पिटल पहुँच गया था डॉक्टर आलोक अभी किसी मरीज को देखने में व्यस्त थे तब तक में बाहर ही वेट करने लग गया था....
में अपने आस पास दीवारो पर टॅंगी पंटिंग्स देख रहा था....तभी मेरी नज़र एक फॅमिली ट्री पर बनी हुई पैंटिंग पर पड़ी....


उसमे ट्री की रूट्स को पुरखो के रूप में दर्शाया गया था....और तने को फादर के रूप में....उस ट्री की ब्रॅंचस सन्स के रूप में थी और उन ब्रॅंचस में से छोटी छोटी ब्रॅंचस और निकल रही थी जो सन्स के सन्स की थी.....

तभी एक चपरासी मेरे पास आजाता है और कहता है....


चपरासी--डॉक्टर साहब आपको बुला रहे है....अब आप उनसे मिल सकते है....


में--ठीक है काफ़ी जल्दी फ्री हो गये...में आता हूँ...


इतना कह कर में अपनी जगह से उठ गया और डॉक्टर आलोक के कॅबिन की तरफ़ बढ़ गया....


डॉक्टर--आओ जय....लगता है तुम सुबह आना भूल गये थे....कोई बात नही....ये रिपोर्ट्स रेडी है तुम इन्हे ले जा सकते हो....


में--सर मुझे आप से एक सवाल पूछना है...मैने जो आपको डीयेने सम्पेल्स दिए थे वो एक पिता के एक बेटे के और दो बहनों के थे जो कि आपस में मिल रहे थे....लेकिन में एक बेटे के सम्पेल्स देना भूल गया क्या वो ज़रूरी है....


डॉक्टर--अगर कोई ऐसी वेसी प्रॉब्लम. नही है तब तक तो ठीक है लेकिन अगर उस बेटे का डीयेने भी मिल जाता तो अच्छा होता....वैसे तुम कहना क्या चाहते हो सॉफ सॉफ कहो....

ये बात सुनकर नीरा मुस्कुरा देती है....और मेरे गालो पर किस करके वहाँ से चली जाती है....



नीरा का मेरे प्रति प्यार लगातार बढ़ता ही जा रहा था....वो मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करने लग गयी थी......



में बाहर हॉल में आकर बैठ गया था वहाँ दीक्षा भी बैठी हुई थी और टीवी देख रही थी....



में--दीदी कल कॉलेज का आपका पहला दिन है आइ थिंक आपने अपनी सारी तैयारी पूरी कर ली होगी...



दीक्षा--हाँ जय भैया.,,,तैयारी तो लगभग पूरी हो गयी है....बस अब तो वहाँ जाने का वेट कर रही हूँ....



में--में आपसे एक बात कहना चाहता.....कॉलेज में और स्कूल लाइफ में काफ़ी अंतर होता है....इसलिए अपने दोस्त हमेशा चुन कर बनाना....



दीक्षा--भैया में ये बात जानती हूँ...आप चिंता मत करे...


इतनी देर में मम्मी मेरे लिए खाना लेकर आ गयी थी....और में वही बैठ कर खाना खाने लगता हूँ.......
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