Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

घर पहुँचते ही देखा नीरा अपना बेग लेकर घर से बाहर जा रही थी और मम्मी उसे रोकने की कोशिश कर रही थी...मेरी कार देखते ही जो जहाँ खड़ा था वो वही खड़ा रह गया....में कार से उतर कर सीधा मम्मी के पास गया और उन्हे महादेव का प्रसाद सब को बाटने की बोलने के बाद में नीरा की तरफ़ मूड गया...



में--ये बेग लेकर कहाँ जा रही है तू...



नीरा--मुझे लगा आप मेरी वजह से घर छोड़कर चले गये हो...इसलिए में भी यहाँ नही रहना चाहती थी....


में उसका बेग वापस उठाता हूँ और उस से बिना कुछ कहे घर के अंदर जाने लगता हूँ...वो भी मेरे पीछे पीछे घर के अंदर आजाती है..


में--कोई कहीं नही जाएगा इस घर को छोड़ कर...ना में कही जाउन्गा और ना तू....

मम्मी--बेटा मुझे माफ़ कर दे....


वही कौने में दीक्षा और कोमल सूबक रही थी...मैने उन दोनो को अपने पास बुलाया और अपने गले से लगा लिया...


में--मम्मी से....मुझे आप से 2 मिनट. बात करनी है अकेले में....


मम्मी--ठीक है बेटा मेरे रूम में चल वही बात करते है ....जो भी तेरे मन में सवाल है वो तू मुझ से पूछ सकता है....

उसके बाद में और मम्मी रूम के अंदर चले जाते है और वो बेड पर बैठ कर रोने लग जाती है..


में--मम्मी में आपसे नाराज़ नही हूँ...इसलिए आप रोना बंद करो...और जो में पूछना चाहता हूँ उसका सही सही जवाब आप याद करके दो...


मम्मी ने अपने आँसू पोछ लिए...बोल जय क्या पूछना है...


में--जब आपको पता चला कि में आपकी कोख में आ चुका हूँ...तब आपने ये जानने की कोशिश नही करी कि आपकी कोख में पलने वाला बच्चा किसका है...



मम्मी--मैने ऐसा कुछ नही सोचा...और जो उस समय हुआ था में उस से काफ़ी घबरा गयी थी...


में--जब पापा बाहर गये थे कुछ दिनो के लिए....तब आप लोगो के बीच में कुछ हुआ था क्या...???


मम्मी--हाँ मुझे अच्छे से याद है जब तेरे पापा टूर पर गये थे हम लोग पूरी रात वो सब करते रहे थे...


में--तब आपने कोई प्रोटेक्षन लिया था क्या...


मम्मी--नही बेटा मैने ऐसा कुछ नही किया था और उसके अगले ही दिन राज के साथ वो घटना हो गयी थी....


ये बात सुनकर मैने चैन की साँस ली.


में--मम्मी एक बात बताओ जिस तरह से आपने हम सभी के पहली बार सिर मुंडवाने के टाइम पर जो बाल उतारे वो आपने आज भी संभाल कर रख रखे है....क्या वैसे ही पापा के बाल भी संभाले हुए है....


( दोस्तो राजस्थान में बच्चो के मुंडन होने के बाद उनके बाल संभाल कर रखे जाते है यहाँ तक कि जब बच्चा पैदा होता है और बच्चे और माँ को जोड़े रखने वाली नाल को भी संभाल कर रखा जाता है...यहाँ बालो को और गर्भ नाल को काफ़ी मान देते है...बाकी राज्यो में ऐसा कोई रिवाज है या नही इसका मुझे पता नही है ...लेकिन राजस्थान में ये हर घर में होता है...)


मम्मी--हाँ संभाले हुए तो होंगे लेकिन यहाँ नही है...वो बाल सिर्फ़ माँ बाप के पास ही रहते है...लेकिन तू ये सब कुछ क्यो पूछ रहा है...


में--इसका मतलब वो बाल आज भी गाँव में संभाल कर रखे हुए होंगे...


में तुरंत चाचा को फोन लगा देता हूँ...



चाचा--हाँ जय बेटा कैसे हो...


में--चाचा में ठीक हूँ लेकिन इस समय मैने आपसे एक बात पूछने के लिए फोन किया है...


चाचा--हाँ बेटा बोल क्या बात है...


में--चाचा पापा के मुंडन के समय के बाल क्या आज भी संभाल कर रखे हुए है...


चाचा--हाँ बेटा माँ बताया करती थी कि तेरे पापा के बाल उस समय काफ़ी लंबे हो गये थे...बिल्कुल किसी लड़की के बालो की तरह...माँ ने वो संभाल कर रख रखे है...वो बाल आज भी उनकी अलमारी में एक डिब्बे के अंदर पड़े है...लेकिन तुझे उन बालो से एक दम से कैसे काम आ गया...


में--चाचा बस आप इस वक़्त कुछ मत पूछो क्या में दीक्षा दीदी को अपने साथ गाँव ले जा सकता हूँ वो बाल यहाँ ले आने के लिए...



चाचा--इसमें पूछना क्या है...वो भी तेरा ही घर है तू वहाँ से जो चाहे ले आ...


में उसके बाद चाचा से विदा लेता हूँ और फोन काट कर एक ठंडी साँस लेता हूँ........

में अब काफ़ी राहत महसूस कर रहा था...खुद को बिल्कुल तरो ताज़ा महसूस करने लगा था चाचा से बात करने के बाद...


मम्मी--जय आख़िर तू करना क्या चाहता है मेरी समझ में कुछ नही आ रहा है...क्या करेगा. तू तेरे पापा के बालो का...


में--मम्मी ये सब में अभी नही बता सकता,लेकिन जब में गाँव से आउ तो मुझे दीक्षा के और कोमल के कुछ बाल चाहिए होंगे...और इस बारे में आप किसी से कोई बात नही करोगी...


मम्मी--ठीक है बेटा जैसा तू चाहेगा वो हो जाएगा...


उसके बाद हम दोनो रूम से बाहर निकल जाते है...रूम के बाहर ही नीरा दीक्षा और कोमल दरवाजा खुलने का वेट कर रहे थे....

जैसे ही दरवाजा खुलता है नीरा भाग कर मेरे सीने से लग जाती है...में उसे अपनी बाहो में कस लेता हूँ...जब कोमल और दीक्षा को भी वहाँ देखता हूँ तो इशारा करके उन्हे अपनी बाहो में समेट लेता हूँ...वही थोड़ी दूरी पर गुम्सुम सी भाभी भी खड़ी थी...लेकिन मैने अपना ध्यान वहाँ से हटाते हुए नीरा से बोलता हूँ.....


में--नीरा में दीक्षा के साथ गाँव जा रहा हूँ कल रात तक वापस आ जाउन्गा....तुम्हे कल स्कूल जाना है और वहाँ कोमल के भी आदमिशन की बात कर लेना...



कोमल--भैया क्या में आपलोगो के साथ रहने वाली हूँ...



में--हाँ कोमल अब में तुम दोनो को खुद से दूर कभी जाने नही दूँगा....दीक्षा का भी मेरे ही कॉलेज में आदमिशन करवा दूँगा...



दीक्षा --लेकिन पापा मम्मी हमे यहाँ रहने नही देंगे...


में--तुम दोनो उस बात की चिंता में करो उन्हे में समझा दूँगा...दीक्षा तुम जल्दी से रेडी हो जाओ हम लोगो को अभी गाँव के लिए निकलना है....



दीक्षा--गाँव क्यो जाना है भैया...


में--पापा का कुछ सामान लेना है...इसलिए अब जल्दी चल...



और उसके बाद हम वहाँ से निकल जाते है और रात तक गाँव भी पहुँच जाते है...में दादी की अलमारी खोल देता हूँ...अलमारी और घर की चाबियाँ दीक्षा के पास ही थी....वहाँ थोड़ी देर ढूँढने पर मुझे दो बॉक्स दिखाई देते है....उन दोनो बोक्शो में बाल भरे पड़े थे...अब मेरी समझ में ये नही आरहा था कि पापा वाला बॉक्स कौनसा है और चाचा वाला कौनसा....


में तुरंत चाचा. को फोन लगा देता हूँ...
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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में--हेलो चाचा जी में गाँव पहुँच गया हूँ...लेकिन अलमारी में दो बॉक्स है दोनो में से पापा वाला बॉक्स कौनसा है...


चाचा--जय बेटा जो बड़ा वाला बॉक्स है उसमें ही तेरे पापा के बाल है....और दूसरे वाले में मेरे...


में--ठीक है चाचा जी में दूसरे वाले को वापस अलमारी में रख देता हूँ ....क्या में पापा वाला बॉक्स अपने साथ ले जा सकता हू...


चाचा--अरे ये भी कोई पुच्छने वाली बात है क्या.....अच्छा सुन हम लोग आज निकल रहे है यहाँ से कल रात तक घर पहुँच जाएँगे...अच्छा अब में फोन रख रहा हूँ...


और उसके बाद फोन कट जाता है...में वापस अलमारी को ताला लगा देता हूँ और घर को पहले की तरह बंद करके वापस उदयपुर की तरफ निकल जाता हूँ......


उदयपुर में.....


हम सीधा घर पहुँच जाते है....वहाँ आकर में दीक्षा. के और कोमल के चुपके से बाल तोड़ लेता हूँ....और वापस घर से बाहर निकल कर अपने फॅमिली डॉक्टर आलोक कुमार के पास बढ़ जाता हूँ...


में--सर मुझे कुछ बालो का डीयेने टेस्ट करवाना है...क्या आप के यहाँ ऐसा करना पासिबल है...


डॉक्टर--अरे ...अरे....आते ही इतने सवाल पहले बैठ तो जाओ आराम से...


में वहाँ रखी एक चेयर पर बैठ जाता हूँ...


डॉक्टर--अब बोलो किस का डीयेने टेस्ट करवाना है..


में--सर 4 अलग अलग लोगो के बाल है इनका डीयेने टेस्ट करवाना है.. इन चारो बालो के डीयेने का आपस में कोई संबंध है या नही बस यही जानना है...


डॉक्टर--तूने कुछ गड़बड़ तो नही करी ना....??



में--कैसी बात कर रहे हो सर....में कैसे कुछ गड़बड़ कर सकता हूँ....बस इन बालो का डीयेने चेक करवाना था और कुछ नही...


डॉक्टर--ठीक है सुबह तक आ जाना में रिपोर्ट रेडी रखूँगा....वो लगभग मेरी आँखो में झाँकते हुए ये बात बोलने लगे......

उसके बाद में वहाँ से बाहर निकल गया शाम हो चुकी थी और में काफ़ी थकान भी महसूस कर रहा था..में कल से लगातार ड्राइव कर रहा था...अब कुछ देर आराम करना चाहता था...मेरे सारे संदेह तो वैसे भी दूर हो चुके थे जब में साधु बाबा से मिला था...लेकिन संसार सबूत माँगता है...मेरी मम्मी को यकीन दिलाने के लिए भी सबूत चाहिए....मेरी चाची से सच बुलवाने के लिए भी सबूत चाहिए....सारा खेल बस सच और झूठ का ही तो है...झूठ को झूठ साबित करने के लिए भी सबूत चाहिए होते है....और सच को भी सच साबित करने के लिए उसी सबूत की ज़रूरत पड़ती है..........

वहाँ से गाड़ी निकाल के मैने गाड़ी का रुख़ सीधा घर की तरफ़ कर लिया....लेकिन रास्ते से एक बढ़िया शराब की बोतल ले जाना नही भुला...

में घर पहुँच गया था...और मुझे देख कर नीरा चहकते हुए मेरे गले से लग जाती है...और में भी उसे अपनी गोद में उठा लेता हूँ...


में--क्या बात है आज मेरी गुड़िया इतनी खुश कैसे लग रही है...


नीरा--में तो आपको खुश देख कर ख़ुसी के मारे फूली नही समा रही...चलो आज हम मिलकर साथ में खाना खाते है सब के साथ...


में--नही नीरा मुझे अभी भूक नही है में लेट खाउन्गा...


नीरा--ये आपके इस बेग में क्या है...ज़रा दिखाना तो मुझसे क्या छुपा कर ले जा रहे हो अपने बेग में...


नीरा वो बेग मुझ से छिनने लगती है जिसमें शराब की बोतल रखी हुई थी...


में--अरे नीरा चोट लग जाएगी तुझे....तेरे काम की चीज़ नही है इसमें...


नीरा--इसमें जो भी है मुझे वो देखना है...


में उसे दिखा देता हूँ कि बेग में क्या है...


नीरा--अब ये काफ़ी ज़्यादा ओवर हो रहा है...इस तरह से रोज शराब पीना अच्छी बात नही है...
आपने कल भी पी थी और आज फिर से बोतल ले आए...


में--कल मेरे पीने की वजह कुछ और थी लेकिन आज वो वजह पूरी तरह से बदल गयी है...आज में खुश हूँ और इसी लिए ये ले आया...


नीरा--ठीक है आप रूम में चलो में आपके लिए कुछ खाने पीने का सामान लेकर आती हूँ.


में रूम में आ चुका था और अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ एक बारमोडा पहन कर बेड पर लेट गया...थोड़ी ही देर बाद नीरा रूम में आ गयी उसके हाथ में पानी की बोतल के साथ स्नॅक्स और ड्राइ फ्रूट्स की प्लॅट्स...उसने वो मेरे पास रखी टॅबेल पर रख दिया और मुझे देखने लग जाती है...


में--क्या हुआ ऐसे क्यो देख रही है...


नीरा--आप अपनी कसम कब पूरी करने वाले हो....


में उस पर पिल्लो फेंकते हुए...


में--बदमाश पहले तो मुझे कसम में फसा लिया और अब बेशर्मो की तरह खुद की ही शादी के बारे में पूछ रही है...जब तक तेरी पढ़ाई ख़तम नही होती....तब तक उस बारे में सोचना भी नही...अब चल भाग यहाँ से और खाना खा कर पढ़ने बैठ जा...


नीरा--अगर पढ़ाई हे की बात है...तो में कल ही स्कूल से. अपना नाम कटवा लेती हूँ...ना रहेगा बाँस और ना बजेगी बाँसुरी...

में उसके पीछे भागते हुए...उसे पकड़ लेता हूँ...


में--बाँसुरी की बच्ची मेरे सामने अपना दिमाग़ कम चलाया कर....

तभी नीरा पलट कर मेरे गले से लग जाती है और मेरी नंगी पीठ पर अपने हाथ घुमाते हुए कहती है....
नीरा--- में आपका इंतजार पढ़ाई क्या...अपनी जान के जाने तक करूँगी...बस मुझे कभी अकेला मत छोड़ना...उसके बाद नीरा मेरे गाल पर एक जोरदार किस करती है और बाहर भाग जाती है...
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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रात के 11.30 हो रहे थे तभी अचानक मेरा मोबाइल बजने लगता है...

ये कॉल डॉक्टर आलोक का था...में एक पल कुछ सोचता हूँ और वो कॉल पिक कर लेता हूँ...


डॉक्टर--जय मैने वो डीयेने रिपोर्ट्स रेडी कर ली है, और ...वो सारे डीयेने एक दूसरे से मच कर रहे है जैसे एक ही परिवार के हो...मुझे लगा शायद ये जानना तुम्हारे लिए इम्पोर्टेंट होगा इसीलिए टेस्ट ख़तम होते ही मैने तुम्हे फोन कर दिया...


में--सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने इस समय कॉल करके ये न्यूज़ सुनाई है...ये मेरे एक दोस्त के परिवार के सॅंपल थे जो मैने आपको टेस्ट करने के लिए दिए थे...कुछ ग़लतफ़हमियाँ होगयि थी उन सभी को इस लिए वो टेस्ट आपसे करवाने पड़े...


डॉक्टर--ठीक है जय मेरा काम अब ख़तम हुआ...कल किसी भी वक़्त आकर तुम वो रिपोर्ट्स ले जा सकते हो...
बाइ गुड नाइट.......

मैने अब तक उस बोतल में से केवल 3 हे पेग बना कर पिए थे...डॉक्टर. के फोन आने के बाद खुशी की अधिकता की वजह से जो भी पिया उसका थोड़ा भी नशा मुझ पर नही हुआ....

तभी मेरे दरवाजे पर दस्तक होती है..में उठ कर दरवाजा खोलने से पहले वो सारा सामान अपने बेड के नीचे सरका देता हूँ...और दरवाजा खोल देता हूँ...

सामने मम्मी खड़ी थी...उन्होने उस वक़्त एक साधारण सा साड़ी ब्लाउस पहन रखा था....लेकिन मम्मी उस में से भी मुझे काफ़ी सुंदर लग रही थी...

मम्मी को देखते ही मैने उन्हे अपनी बाहो में भर लिया और उनके गालो पर किस करने लगा..

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मम्मी--अरे....अरे...पागल छोड़ मुझे क्या कर रहा है....आज इतना प्यार कैसे आ रहा है अपनी माँ पर...


में--मम्मी आज में बहुत खुश हूँ...और ये कहने के साथ ही मेने उन्हे और ज़ोर से भीच लिया खुद की बाहो में...


मम्मी--जय ऐसी क्या बात है जो मुझे इस तरह भीच रहा है...मुझे मारेगा क्या....छोड़ मुझे मेरा दम घुट रहा है...


मैने उनकी ये बात सुनकर अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर दी...और मेरी पकड़ ढीली होते ही वो ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगती है...


में--सॉरी मम्मी....वो बात ही कुछ ऐसी थी कि में खुशी के मारे आपको ज़ोर से हग कर बैठा...


मम्मी--अब मुझे बताएगा भी या अकेला ही खुश होता रहेगा...


में--मम्मी में आपका और पापा का ही बेटा हूँ...मैने उन सभी बालो का डीयेने टेस्ट करवाया था और इस से साबित हुआ कि मेरे अंदर पापा का खून है...में नाजायज़ नही हूँ माआ.....


मम्मी की आँखो में अब आँसू आ गये थे और इस बार उन्होने मुझे कस कर गले लगा लिया...


मम्मी--जय तूने आज ये बात बोलकर मेरे सीने से बहुत बड़ा बोझ उतार दिया है...


में--मम्मी में बस आपको खुश देखना चाहता हूँ...


मम्मी--तेरे मुँह से शराब की गंध कैसे आ रही है....तूने आज शराब पी है क्या....


में अपना सिर झुकाते हुए हाँ में अपनी गर्दन हिला देता हूँ...


मम्मी--सारी पी गया या मेरे लिए भी कुछ बचाया है....ये तो खुशी का मोका है...


में वहाँ से हट कर अपने बेड के नीचे से सारा सामान निकाल देता हूँ...और वापस उसे टॅबेल पर रख देता हूँ...


मम्मी मेरे बगल में ही आकर बैठ गयी थी बेड पर....और में उठ कर किचन में से ग्लास लेने चला जाता हूँ...
फिर रूम में आकर हम दोनो का ग्लास भरने के बाद मम्मी को एक ग्लास पकड़ा देता हूँ...

मम्मी उसे एक ही साँस में गटक जाती है....और उस खाली ग्लास को सामने टॅबेल पर रखते हुए कहती है....

मम्मी--ये शराब ज़्यादा मत पिया कर...ये सब कुछ खराब कर देती है...

में मम्मी को बस देखे ही जेया रहा था...तभी अचानक फिर से दरवाजे पर दस्तक होती है...में उठ पाता उस से पहले नीरा रूम में आ जाती है....वो हम दोनो को इस तरह शराब पीता देख, हम लोगो को बस एक टक देखती रहती है....

में वहाँ से उठता हूँ और नीरा को अपनी गोद में उठा कर बेड पर लेटा देता हूँ....और उसका सिर अपनी एक जाँघ पर रख देता हूँ....


में--मम्मी--में आपसे एक बात करना चाहता हूँ...


मम्मी नीरा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है...

मम्मी--बोल जय क्या बात है....ऐसी कौनसी बात है जिसे कहने के लिए तुझे मेरी पर्मिशन की ज़रूरत पड़ गयी है.....


में--मम्मी इस पागल ने मुझ से एक कसम ले ली है....और मुझे समझ में नही आरहा कि में वो कैसे पूरी करूँ...


मम्मी--ऐसी कौनसी कसम में फसा दिया तुझे इस पागल ने जो तुझ से पूरी नही हो रही है...


में--मम्मी ये मुझ से शादी करना चाहती है ....


मम्मी--तो कर ले फिर.....क्या कहा तूने...


मम्मी ने चोंक कर एक बार फिर मुझ से पूछा...


में--मम्मी हम दोनो शादी करना चाहते है.... इस बार मेरी आवाज़ में धृड़ता थी.


मम्मी--ये कैसी बात कर रहा है जय...तुम दोनो भाई बहन हो ये पासिबल नही है...छुप कर नाजायज़ रिश्ते बनाना आसान होता है लेकिन इस तरह सबके सामने शादी करना नामुमकिन...

में--मम्मी हम दोनो यहाँ से बहुत दूर चले जाएँगे जहाँ हमे कोई जानता ना हो...


मम्मी --तू ये कैसी बाते कर रहा है जय....माना मुझ से भी ग़लती हुई थी इसलिए में तुम लोगो के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती नही कर सकती....लेकिन फिर भी तुम दोनो मेरे बच्चे हो में कैसे देख पाउन्गि ये सब...

मैने अपनी जाँघ पर कुछ गीलापन महसूस किया जो कि नीरा के आँसुओ की वजह से हो गया था मैने उसको रोता देख उसे अपने सीने से लगा लिया....और मम्मी से कहने लगा...


में--मम्मी में कसम खा चुका हूँ अब मुझे कोई नही रोक सकता...नीरा के कॉलेज के बाद में उस से शादी करूँगा...चाहे कुछ भी हो जाए...


नीरा--सुबक्ते हुए....भैया मेरी वजह से आप घर मत छोड़ना...में ही सब कुछ छोड़ कर चली जाउन्गि...


में--तू जहाँ भी जाएगी मेरे साथ ही जाएगी...

नीरा मेरी बाहो में बिल्कुल किसी बच्चे की तरह समा रही थी...और मम्मी पता नही क्या सोचे जा रही थी...
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