Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post Reply
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

मम्मी--कोई कहीं नही जाएगा....अगर तुम दोनो बे फ़ैसला कर ही लिया है तो ठीक है...लेकिन मुझे बस एक बात का जवाब दो....नेहा का में क्या करूँ??

नेहा को खुश रखने की आख़िरी उम्मीद मुझे तू ही दिख रहा था....लेकिन शाआद उसकी किस्मत में दुख ही लिखे है....


नीरा--मम्मी अगर आप नेहा भाभी की शादी भैया से करवाना चाहते हो तो मुझे इसमें कोई हर्ज नही है....में भाभी को अपनी सोतन मानने को रेडी हूँ....लेकिन सिर्फ़ एक शर्त है....भाभी जब तक खुद भैया से शादी के लिए हाँ नही कहेंगी उन से इस बारे में कोई कुछ नही कहेगा....

अगर उनकी किस्मत में भैया का प्यार लिखा है तो कभी ना कभी वो इनको मिल ही जाएगा...


मम्मी--ये किस्मत विस्मत कुछ नही होती...ना किसी ने कल क्या होने वाला है किसी ने देखा है....में सुबह ही नेहा से इस बारे में बात करूँगी....


में--नही मम्मी आप भाभी से इस बारे में कोई बात नही करोगी....और रही किस्मत की बात तो...जब में उस रात को घर छोड़ कर निकला था....मुझे हर बात पर यकीन हो गया है..इसलिए आपको भाभी से कोई बात नही करनी है....


मम्मी--ठीक है में कोई बात नही करूँगी....लेकिन अगर मुझे लगा कि वो अकेले नही रह पा रही है , उस पल में उस से बात ज़रूर करूँगी.... इतना बोलकर मम्मी बेड पर से उठ गयी और नीरा का हाथ पकड़ कर लेजाते हुए बोली...


मम्मी--अभी तेरी शादी नही हुई है...इसलिए अब से तू अकेले जय के साथ नही रहेगी....चल मेरे साथ और अपने रूम में जाकर चुप चाप सो जा .....


मम्मी की ये बात सुबकर नीरा उनसे अपना हाथ छुड़ा कर मेरे पास आई...और मेरे गालो पर एक ज़ोर दार किस करते हुए....


नीरा--अब जल्द ही हम दोनो की शादी हो जाएगी....उसके बाद हमे कोई अलग नही कर सकेगा....


फिर नीरा और मम्मी रूम से बाहर चले जाते है...


में मुस्कुराता हुआ शराब की उस बोतल को देखने लगता हूँ वो अभी तक आधी ही हुई थी...


मैने बोतल खाली करते हुए तीन बड़े बड़े पेग बोतल से बनाए और जल्दी जल्दी पी जाता हूँ...


अब मुझे नशा चढ़ गया था और में बेड पर लुढ़क जाता हूँ...और सपनो में खो जाता हूँ...


में पूरी तरह से बेहोशी की नींद में था...


तभी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैने अपनी जाँघ पर कुछ गीलापन महसूस किया जो कि नीरा के आँसुओ की वजह से हो गया था मैने उसको रोता देख उसे अपने सीने से लगा लिया....और मम्मी से कहने लगा...


में--मम्मी में कसम खा चुका हूँ अब मुझे कोई नही रोक सकता...नीरा के कॉलेज के बाद में उस से शादी करूँगा...चाहे कुछ भी हो जाए...


नीरा--सुबक्ते हुए....भैया मेरी वजह से आप घर मत छोड़ना...में ही सब कुछ छोड़ कर चली जाउन्गि...


में--तू जहाँ भी जाएगी मेरे साथ ही जाएगी...

नीरा मेरी बाहो में बिल्कुल किसी बच्चे की तरह समा रही थी...और मम्मी पता नही क्या सोचे जा रही थी...


मम्मी--कोई कहीं नही जाएगा....अगर तुम दोनो बे फ़ैसला कर ही लिया है तो ठीक है...लेकिन मुझे बस एक बात का जवाब दो....नेहा का में क्या करूँ??

नेहा को खुश रखने की आख़िरी उम्मीद मुझे तू ही दिख रहा था....लेकिन शाआद उसकी किस्मत में दुख ही लिखे है....


नीरा--मम्मी अगर आप नेहा भाभी की शादी भैया से करवाना चाहते हो तो मुझे इसमें कोई हर्ज नही है....में भाभी को अपनी सोतन मानने को रेडी हूँ....लेकिन सिर्फ़ एक शर्त है....भाभी जब तक खुद भैया से शादी के लिए हाँ नही कहेंगी उन से इस बारे में कोई कुछ नही कहेगा....

अगर उनकी किस्मत में भैया का प्यार लिखा है तो कभी ना कभी वो इनको मिल ही जाएगा...


मम्मी--ये किस्मत विस्मत कुछ नही होती...ना किसी ने कल क्या होने वाला है किसी ने देखा है....में सुबह ही नेहा से इस बारे में बात करूँगी....


में--नही मम्मी आप भाभी से इस बारे में कोई बात नही करोगी....और रही किस्मत की बात तो...जब में उस रात को घर छोड़ कर निकला था....मुझे हर बात पर यकीन हो गया है..इसलिए आपको भाभी से कोई बात नही करनी है....
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

मम्मी--ठीक है में कोई बात नही करूँगी....लेकिन अगर मुझे लगा कि वो अकेले नही रह पा रही है , उस पल में उस से बात ज़रूर करूँगी.... इतना बोलकर मम्मी बेड पर से उठ गयी और नीरा का हाथ पकड़ कर लेजाते हुए बोली...


मम्मी--अभी तेरी शादी नही हुई है...इसलिए अब से तू अकेले जय के साथ नही रहेगी....चल मेरे साथ और अपने रूम में जाकर चुप चाप सो जा .....


मम्मी की ये बात सुबकर नीरा उनसे अपना हाथ छुड़ा कर मेरे पास आई...और मेरे गालो पर एक ज़ोर दार किस करते हुए....


नीरा--अब जल्द ही हम दोनो की शादी हो जाएगी....उसके बाद हमे कोई अलग नही कर सकेगा....


फिर नीरा और मम्मी रूम से बाहर चले जाते है...


में मुस्कुराता हुआ शराब की उस बोतल को देखने लगता हूँ वो अभी तक आधी ही हुई थी...


मैने बोतल खाली करते हुए तीन बड़े बड़े पेग बोतल से बनाए और जल्दी जल्दी पी जाता हूँ...


अब मुझे नशा चढ़ गया था और में बेड पर लुढ़क जाता हूँ...और सपनो में खो जाता हूँ...


में पूरी तरह से बेहोशी की नींद में था...


तभी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,



में पूरी तरह से बेहोशी की नींद में था...


तभी मेरे रूम का दरवाजा खुलता है और एक साया मेरे सिर के पास आकर बैठ जाता है....सब से पहले वो अपने होंठो से मेरे होंठो पर किस करता है...उसके बाद उसका हाथ धीरे धीरे मेरे नंगे सीने से सरकता हुआ मेरे बरमोडे में घुसने लगता है....
शराब के नशा और थकान से भरी नींद की वजह से मुझे कुछ भी होश नही था मेरे साथ क्या हो रहा है...उस साए ने मेरे बरमोडे में हाथ डालकर मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया....

मानव शरीर की कुछ इंद्रिया ऐसी होती है जो दिमाग़ के सोए रहने पर भी जाग्रत हो जाती है....उन्ही इंद्रियो में से लिंग भी एक है.,.


मेरा लिंग पूरी तरह से ताव में आचुका था और उस साए ने अपनी पकड़ लिंग पर मजबूत बना ली...
अगले ही पल उसने अपना हाथ बाहर निकाला और मेरे बरमूडे को मेरी टाँगो के नीचे तक सरका दिया...
कुछ पल तक वो साया मेरे पूरी तरह से तन्नाये लिंग को देखता रहा और अगले ही पल वो खुद के कपड़े उतारने लग गया....उसने अपने एक हाथ से मेरा हाथ उठा कर अपने चेहरे पर घुमाया फिर अपने बूब्स पर मेरे हाथ को रगड़ने लगा...

उसके बाद वो मेरे एक पैरों पर बैठ गयी और मेरा पूरा लिंग जड़ समेत अपने मुँह में भर कर उसे चूसने लगी...वो बिना घबराए मेरे लिंग को लगातार चूसे जा रही थी...तभी वो मेरे घुटने पर अपनी चूत को रगड़ने लग गयी...

में इस समय एक सपना देख रहा था जिस में रिया मेरे लिंग को चूसे जा रही थी...लेकिन में ये नही जानता था कि सपने से बाहर भी कोई मेरे जिस्म से अपनी आग बुझा रहा है...

वो मेरे घुटने पर अपनी चूत रगड़ते रगड़ते झड़ने लगी और उसी वक़्त में भी उसके मुँह में अपना लावा भरने लग जाता हूँ...

अब सब तरफ शांति छा गयी थी सपने में रिया और में भी शांत थे...और सपने के बाहर वो साया भी...उसके बाद उसने मेरे बरमूडा वापस उपर कर दिया...और अपने कड़े पहन कर वो साया बाहर चला गया....और में घनघौर नींद में आनद की अनुभूति करते हुए सोया पड़ा रहा....

सुबह एक हाथ लगातार मेरे कंधे को झींझोड़े जा रहा था...

भैया....भैया...उठो जल्दी उठो देखो सूरज सिर पर आ गया है और आप अभी तक सो रहे हो....

ये आवाज़ में पहचानता था....इतने सालो से जो मुझे नींद में से उठा रही थी ये आवाज़...


में--नींद में ही....क्या हुआ दीदी सोने दो ना...


रूही--अबे उठ जा बाहर चाचा जी इंतजार कर रहे है नाश्ते पर...

दीदी की ये बात सुनकर में चोंक कर बैठ जाता हूँ...चाचा जी....


में--तुम लोग कब आए...


रूही-- हम लोग सुबह ही आए है , अब जल्दी चलो चाचा जी बुला रहे है....

उसके बाद रूही वहाँ से चली जाती है और में हाथ मुँह धोकर बाहर हॉल में आजाता हूँ...वहाँ सभी लोग बैठे हुए थे बस भाभी ही वहाँ नही थी...



चाचा--रात को देर तक जागता रहा क्या जय...


में--नही चाचा जी वो थकान की वजह से नींद थोड़ी ज़्यादा गहरी आ गयी थी...


चाचा--चल ठीक है आजा बैठ नाश्ता कर तेरी चाची ने आज आलू और मूली के परान्ठे बनाए है ....


में--तब तो बैठना हे पड़ेगा पता नही क्यो मुझे भी बड़े ज़ोर की भूक लग रही है...


मम्मी--रात को खाना नही खाएगा तो भूक तो लगेगी ही...


में--तभी में सोचु मुझे इतनी ज़ोर से भूक क्यो लग रही है रात को तो में खाना बिना खाए ही सो गया था...


चाचा--बेटा एक बात कहनी थी तुम से...


में--हाँ चाचा जी बोलिए क्या बात है...


चाचा--बेटा में सोच रहा था कोमल और दीक्षा का अड्मिशन इसी शहर में करवा दूं..तुम सब के साथ ये दोनो रहेंगी तो अच्छे बुरे की समझ भी आज़एगी और आगे पढ़ भी लेगी.........

में--चाचा जी आपके कहने से पहले ही में इन दोनो से बात कर चुका हूँ....नीरा भी अभी स्कूल में बात कर लेगी और में भी कल कॉलेज में जाकर बात कर लूँगा....आप चिंता ना करे...


चाचा--तब फिर ठीक है अब में निश्चिंत होकर गाँव जा सकता हूँ....



में--चाचा जी में ऐसे नही जाने दूँगा आपको यहाँ से...कुछ दिन तो हमारे साथ रहना ही होगा...


चाचा--बेटा मुझे और तेरी चाची को जाना ही पड़ेगा नयी फसल लगाने का टाइम अब आ गया है इसलिए मुझे रोक मत...


में--ठीक है चाचा लेकिन जैसे ही आप लोग काम से फ्री हो जाओगे आप सीधा यहाँ आओगे...


चाचा--ठीक है बेटा जैसा तू चाहे...बल्कि में तो ये चाहूगा जब तुम लोगो की छुट्टियाँ हो तब एक बार तुम सब लोग गाँव ज़रूर आओ...


में--हाँ चाचा जी हम लोग ज़रूर आएँगे...


चाचा--ठीक है बेटा में यहाँ के बाज़ार घूम कर आता हूँ...खेती के लिए बीज और खाद सोच रहा हूँ यही से ले जाउ....

में--जैसा आप चाहे चाचा जी....


उसके बाद नीरा स्कूल चली गयी और चाचा बाज़ार मुझे कॉलेज जाना था लेकिन मैने आज कॉलेज जाने का प्रोग्राम कंसिल कर दिया...


चाची--जय तेरे लिए परान्ठे और लेकर आउ...


में --नही चाची...मेरा पेट भर गया है अब...


चाची मेरे पास खड़ी होकर बोलती है...


चाची--तू आज कॉलेज नही जाएगा क्या....


में--नही चाची ....में आज आप से कुछ बात करना चाहता हूँ...इसलिए कॉलेज नही जा रहा...



चाची--अरे वाह मुझ से बात करनी है इसलिए तू कॉलेज नही जा रहा ....आज कुछ ख़ास बात करनी लगता है...


में--हाँ चाची बात तो ख़ास ही है लेकिन में आप से थोड़ी देर अकेले में बात करना चाहता हूँ..आप मेरे रूम में चलिए में अभी आता हूँ हाथ धो कर...

में हाथ धो कर रूम में पहुँच जाता हूँ...चाची वहाँ मेरी कुछ बुक्स देख रही थी...मुझे रूम में आता देख कर उन्होने वो बुक्स वही रख दी और कहने लगी....


चाची-- हाँ बोल क्या बात है......ऐसी क्या बात करनी थी तुझे अकेले में.......
मैने अंदर आने के बाद दरवाजा लॉक कर दिया और चाची की तरफ बढ़ने लगा...



में--चाची में आपसे ये जानना चाहता हूँ आपने मेरी बहनों को मुझ से दूर क्यो किया....



चाची--पागल ये कैसा सवाल है....में भला क्यो तेरी बहनों को तुझ से दूर करूँगी...
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

में--चाची मुझे सब पता चल गया है....कोमल और दीक्षा किसका खून है....में बस आपसे सच सुनना चाहता हूँ...



चाची--ये क्या बकवास कर रहा है तू...मुझे अब बाहर काम है में बाहर जा रही हूँ.....


मैने चाची को अपने बाहो में भरते हुए....आप क्यो सोई थी पापा के साथ....में ये सच जाने बिना आपको कहीं नही जाने दूँगा...

चाची की आँखो में अब आँसू आचुके थे....और वो अपनी सारी भडास निकालती चली गयी....जब उनके दिल का बोझ कम हुआ तो वो मेरे सामने किसी निर्जीव प्राणी को तरह खड़ी थी...


मैने अपना हाथ आगे बढ़कर उनके सीने से उनका पल्लू हटा दिया....

वो अचानक मेरी इस हरकत से वापस होश में आजाती है....


चाची ये क्या कर रहा है तू.....में तेरी चाची हूँ....तुझे ये सब शोभा नही देता....

मैने चाची को अपने बाहो में भरते हुए....आप क्यो सोई थी पापा के साथ....में ये सच जाने बिना आपको कहीं नही जाने दूँगा...

चाची की आँखो में अब आँसू आचुके थे....और वो अपनी सारी भडास निकालती चली गयी....जब उनके दिल का बोझ कम हुआ तो वो मेरे सामने किसी निर्जीव प्राणी को तरह खड़ी थी...


मैने अपना हाथ आगे बढ़कर उनके सीने से उनका पल्लू हटा दिया....

वो अचानक मेरी इस हरकत से वापस होश में आजाती है....


चाची ये क्या कर रहा है तू.....में तेरी चाची हूँ....तुझे ये सब शोभा नही देता....


में--आपको बेटा देने की कोशिश कर रहा हूँ चाची.....लेकिन बिना आपकी मर्ज़ी के नही....


चाची-- क्या तू सच में मुझे बेटा दे सकता है....


में--हाँ चाची मेरे मन में जो विश्वास भरा है....उसी के कारण मुझे पूरा भरोसा है में आपको बेटा दे सकता हूँ....लेकिन मेरी एक शर्त है....


चाची--अगर तू मुझे बेटा दे देगा तो तू जो कहेगा में वो करूँगी....
एक बार फिर से चाची के मन में बेटा पैदा करने की लालसा जाग गयी थी...


में--आपको कोमल और दीक्षा को मेरे हवाले करना होगा और धीरे धीरे उन्हे सारे सच भी बताने होंगे...


चाची--ये कैसी बात कर रहा है जय तू...एक खुशी देकर तू मेरी दोनो खुशिया छीनना चाहता है....


में--चाची में आपकी कोई भी खुशी नही छीन रहा हूँ...आप हमेशा कोमल और दीक्षा की माँ ही रहोगी....लेकिन उन्दोनो मे खून मेरे पापा का है इसलिए आप से ज़्यादा हक हमारा बनता है उन दोनो पर....और अगर वैसे भी आप उन्दोनो को ये सच नही बताऑगी तो ये सच मुझे ही बताना होगा....में आपको बेटा इस लिए देना चाहता हूँ ताकि आपका मन उन दोनो से अलग होने के बाद तडपे ना....


चाची--जय अगर तू मुझे बेटा दे सकता है तो में कुछ भी करने को रेडी हूँ लेकिन याद रखना तेरे बाप की तरह तूने भी मुझे धोका दिया तो तेरे बाप के पूरे वंश को जड़ से ख़तम कर दूँगी में....


में अब चाची के ब्लाउस के बटन खोल चुका था उन्होने अंदर से एक पिंक कलर की ब्रा पहन रखी थी....मैने उनका ब्लाउस और ब्रा दोनो उतार कर साइड में रख दिया और पहाड़ की छोटी की तरह उनके बड़े बड़े बूब्स देखे ही जा रहा था....उनके बूब्स की निप्पल्स अब बिल्कुल कठोर होकर तन चुकी थी....

में उनकी निप्पेल्स पर अपनी नाक को रगड़ने लगता हूँ और अचानक किसी बच्चे की तरह उनकी निपल अपने मुँह में भर कर चूसने लग जाता हूँ...

में अपने एक हाथ से उनका दूसरा बूब दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी खोलने लग गया था....

साड़ी खुल कर अब ज़मीन पर बिखर गयी थी. और मेरा हाथ उनके पेटिकोट के नाडे को खोलने में उलझ गया था...मैने एक ही झटके में वो नाडा खीच दिया और चाची का पेटिकोट सॅर्र्र्र की आवाज़ करता हुआ उनके पैरो में जा कर गिर गया.....चाची अब सिर्फ़ एक पिंक कलर की पैंटी में मेरे सामने खड़ी ग़ज़ब की खूबसूरत लग रही थी....मुझे इस तरह देख चाची ने शर्म से अपने चेहरे पर अपने हाथ रख लिए....में अपने घुटनो के बल बैठा और चाची की पैंटी एक ही झटके में उतार कर उनकी खूबसूरत चूत को देखने लग गया वो चूत काले बालो से धकि लगातार रिस रही थी....उसकी गर्म भभक मुझे अपने चेहरे पर महसूस होने लगी थी....


में उनकी चूत पर हाथ फेरता हुआ खड़ा हो गया और चाची को बाहो में लेकर उनके होंठ चूसने लग गया....होंठो के मिलन ने चाची की आग को और ज़्यादा भड़का दिया था...

उन्होने मुझे धक्का दिया और जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया ...उसके बाद चाची ने फिर से मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड लिया. ....और धीरे धीरे एक हाथ से मेरे लिंग को सहलाने लगती है....काफ़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे की बाहो में लिपटे रहने के बाद में चाची को आराम से बेड पर लेटा देता हूँ....और उनकी गान्ड के नीचे एक पिल्लो रख कर उनकी टांगे फैला देता हूँ...उसके बाद अपने लिंग को चाची की चूत पर टिका कर एक ज़ोर दार धक्का लगा देता हूँ....एक हे झटके में मेरा आधा लिंग चाची की चूत में समा जाता है....

में चाची की दोनो जांघे अपने कंधे पर रखता हूँ और एक ज़ोर दार झटका फिर से लगा देता हूँ....चाची की दर्द की वजह से आहह निकल जाती है.....उसके बाद में उनके बूब्स सहलाता हुआ धीरे धीरे चाची की चूत के अंदर अपना लिंग रगड़ने लगता हूँ....

उसके बाद मेरे कमरे में एक तूफान सा आजाता है....में अपने धकको की रफ़्तार लगातार बढ़ाता ही चला जा रहा था...पता नही इतनी ताक़त मुझ में कहाँ से आ गयी....चाची अब तक 3 बार झड चुकी थी और जब चाची ने मेरी आँखो को बंद होते देखा उसी पल चौथी बार वो झड़ने लगती है इस बार मेरा भी लावा उनके गर्भ की दीवारो पर दस्तक दे रहा था....अब हम दोनो बेसूध पड़े थे....
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

उसके बाद मेरे कमरे में एक तूफान सा आजाता है....में अपने धकको की रफ़्तार लगातार बढ़ाता ही चला जा रहा था...पता नही इतनी ताक़त मुझ में कहाँ से आ गयी....चाची अब तक 3 बार झड चुकी थी और जब चाची ने मेरी आँखो को बंद होते देखा उसी पल चौथी बार वो झड़ने लगती है इस बार मेरा भी लावा उनके गर्भ की दीवारो पर दस्तक दे रहा था....अब हम दोनो बेसूध पड़े थे....


तभी दरवाजे पर हुई दस्तक से मुझे होश आया....

में ऐसे ही बिना कुछ पहने ही दरवाजे की तरफ बढ़ गया और पूछा कौन है....

बाहर से मम्मी की आवाज़ सुनते ही मैने तुरंत दरवाजा खोल दिया....मम्मी जैसे ही अंदर आई रूम का हाल देख कर उनकी आँखे खुली की खुली रह गयी..

चाची अभी भी बेसूध अपनी टांगे चौड़ी करे बेड पर पड़ी थी....उनकी चूत में से हम दोनो के मिलन का सबूत रह रह कर बाहर रिस रहा था........कभी मम्मी मेरी तरफ़ देखती और कभी चाची की तरफ....

अपनी फटी फटी आँखो से लगातार ये नज़ारा वो देखे ही जा रही थी........

में बिल्कुल नंगा मम्मी के सामने खड़ा था...मम्मी लगातार मुझे देखते हुए....


मम्मी--जय अपने कपड़े पहन....और बता मुझे ये सब क्या चल रहा है....

मम्मी की आवाज़ सुन कर चाची को जैसे होश आ गया वो तुरंत अपने बेड से उठकर खुद के कपड़े पहनने लगी...

मेने अपना बरमूडा डाल लिया था जब तक...मम्मी ने दरवाजा लॉक किया और बेड पर जाकर बैठ गयी अपने सिर पर हाथ रख कर....


मम्मी--जय मैने तुझ से कुछ पूछा है जवाब दे मुझे....ये क्या हो रहा है....और क्यो हो रहा है...
ये बात लगभग उन्होने चीखते हुए कही थी....


में--मैने चाची से सौदा किया है....


मम्मी--कैसा सौदा....कहना क्या चाहता है तू...


में--इनको बेटा चाहिए था....और मुझे मेरी बहनें

इनकी कोख में बेटा मैने डाल दिया है अब इनका अपनी बेटियों पर कोई हक़ नही है....


मम्मी--ये उन लड़कियों की माँ है....तू ये हक़ कैसे ले सकता है...


में--वो सिर्फ़ मेरी बहनें है...उन लड़कियो को कभी इन्होने अपना समझा ही नही...इनको बेटा चाहिए था सो मैने इनको वो दे दिया....


मम्मी--माना ये तेरी बहने है लेकिन इन पर तेरा कोई हक़ नही है...


में--हक है मम्मी मेरी हर बहन पर मेरा हक़ है इन दोनो में भी पापा का ही खून है...बस कोख आपकी जगह चाची की है....मेरी एक बहन और है...जो कहीं दूर मुझे याद कर रही है...में उसे भी ढूँढ कर यहाँ ले आउन्गा...मेरा बस एक ही लक्ष्य है अपनी बहनो की खुशी...ये दोनो भी चाची के साथ नही रहना चाहती....उनको भी हमारी ज़रूरत है...जब उन्हे सच पता पड़ेगा तो वो वैसे भी मेरे साथ ही रुकेंगी.

मम्मी मेरी ये बात सुनकर चाची को एक टक घुरे जा रही थी...और चाची अपना सिर झुकाए वही पास में खड़ी थी...



मम्मी--जय तुझे हो क्या गया है पहले तो तू ऐसा नही था ये एक दम से जानवरों जैसा कैसे बन गया...


में--पहले मुझे कुछ पता नही था....
लेकिन में अब सब समझ गया हूँ...मेरी बहने अब कभी उस गाँव में नही जाएँगी और ये मेरा आख़िरी फ़ैसला है...अगर आपको मुझ पर यकीन नही है तो चाची भी मेरी इस बात को मना नही करेंगी....


मम्मी--लेकिन तू इतनी गॅरेंटी के साथ कैसे कह सकता है कि इसको अब बेटा ही होगा....


में--ये मेरा खुद पर विश्वास है..,इनको लड़का ही होगा...


मम्मी--लेकिन कल को तूने वो बच्चा भी इस से छीन लिया तो....


में--ये उस दिन होगा जब चाची अपना किया हुआ वादा तोड़ देंगी....मेरा काम है प्यार बाटना...अब वो प्यार चाहे आप सौदे के रूप में समझो या हवस के रूप में...



मम्मी--हो क्या गया है तुझे ये कैसी बहकी बहकी बाते कर रहा है...
तुझे इतना भी समझ में नही आरहा तेरी माँ खड़ी है तेरे सामने...


में--अगर आप को भी कुछ चाहिए तो मुझे बोल देना...

ये सुनने के साथ ही मम्मी ने मेरे बेड के पास पानी से भरा जग उठाया और मेरे सिर पर उडेल दिया.....


में जैसे नींद से जागा....


में --मम्मी मुझे गीला क्यो किया...


मम्मी--तू ये क्या अनापशनाप बके जा रहा था...



में--क्या बोला मैने मम्मी....में तो बाहर था यहाँ अंदर कैसे आया....


मम्मी--ये क्या बकवास कर रहा है पिछले आधे घंटे से हम बहस कर रहे है....और तू कहता है कि तूने क्या कहा....
Post Reply