फोरेस्ट आफिसर

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rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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'मृग तृष्णा के पीछे भागने से कोई फायदा नहीं है दीदी।' केसरी उसे समझाने के ढंग में बोला-मानता हूं जगतार के अहसान हैं हम पर। उसने मेरी जान बचाई है। मगर यह क्यों भूलती हो कि वह जेल से भागा हुआ कैदी है। फिर हरिया की भी हत्या कर दी है उसने। मौत के चंगुल से तो तुम्हारी प्रार्थनाएं उसे बचा लाई। लेकिन पुलिस के चंगुल से उसे कोई नहीं बचा सकेगा। तुम्हारी प्रार्थना भी नहीं।' 'मेरा भाग्य जैसा भी है उसे मैं स्वीकार कर चुक हू केशो।' साधना ने दढू और स्थिर स्वर में कहा-'यह भाग्य नहीं तो और क्या हैं कि हम लोगों की लड़ाई उनकी लड़ाई बन गई। हमारा नुकसान वो सह रहे हैं? आखिर क्यों?'
इसका कोई जवाब केसरी के पास नहीं था। होता भी तो देने का कोई फायदा नहीं था। क्योंकि वह जानता था कि उसकी दीदी के निश्चय को सारी दुनिया के जवाब भी मिलकर नहीं बदल सकते थे।
लाचारी के साथ हइ हास्पिटल के उस गलियारे में इधर से उधर नजरें दौड़ाने लगा।
तभी रधुबर वहा से गुजरा।
केसरी जानता था कि वह कालिया का आदमी है। उसे भी तो कल रात बेहोशी की हालत में जीप में डालकर हास्पिटल लाया था वह। लेकिन कोई ज्यादा चोट भी नहीं आई थी उसे। वस सिर में एक मामूली-सा जख्म आया था। इसलिए प्राथमिक उपचार के बाद पुलिस उसे अपने साथ ले गई थी।

उसका बयान लेने के लिए। कालिया के कमरे की ओर जाते हुए रघुबर को देखते हुए केसरी सोचता रहा कि पुलिस ने छोड़ दिया इसे। तभी उसने किसी को कहते सुना-'रात जो कुछ घटा उसका मुझे बड़ा अफसोस है मिस्टर केसरी।'
उसने चौंककर सर घुमाया। मेयर खड़ा था उसके निकट।

'आखिर तुमने मेरी बात नहीं मानी।' हास्पिटल में कालिया के पलंग के पास बैठे हुए जगन सेठ ने कहा-'नतीजा देख लिया उसका? खुद भी मरते-मरते बचे और हम सबको भी मुसीबत में डाल दिया।'
'तुम्हीं कहा करते थे जगन सेठ कि आदमी को मुसीबत से नहीं घबराना चाहिए।' कालिया बोला-'सो कालिया न तो
आज तक कभी मुसीबतों से धबराया है और न आगे कभी धबराने वाला है। वैसे क्या मैं जान सकता हूं कि तुम्हें मैंने किस मुसीबत में डाल दिया है?'
जगन सेठ को कालिया का स्वर पसन्द नहीं आया था। फिर भी अपने आपको संयत रखते हुए कहा-'तुम्हें मालूम है कि वह बधनखा खून से लथपथ तुम्हारे हाथ में था। बघनखे ने पिछले फारेस्ट आफिसैर की मौत पर से परदा उठा दिया है। दोनों सिपाहियों का बयान है कि हरिया और रघुबर ने उन्हें शराब पिलाकर बेहोश किया था। बची हुई शराब की पुलिस ने जांच करके देख ली है। उसमें बेहोशी की दवा मिली हुई थी। चारों ओर से फंसे पड़े हो तुम?'
'मैं चारों ओर से फैमा पड़ा हूं।' कालिया जगन सेठ को घूरता हुआ बोला-'और तूम लोन साफ बचे हुए हो।'
'तुम्हारे साथ तो हम भी घिर रहे हैं।' जगन सेठ बोला- अब उस मेयर की बन आएगी। मैंने अच्छी भली उसकी नाक में नकेल डाल दी थी लेकिन तुम्हारी इस बेवकूफी की वजह से...।'
'देखो जगन सेठ यह बेकार की पालिटिक्स मुझसे तो चलो मत।' कालिया उसकी बात काटता हुआ बोला-अगर पुलिस इस सारे मामले को दबा नहीं सकती तो फिर उस पुलिस कमिश्नर को बराबर का हिस्सा देते रहने का हमे फायदा क्या है?'
'तुम क्या समझते हो कि पुलिस तुम्हारी इस तरह की
खुलेआम गुंडागर्दी को बर्दाश्त करती रहेगी?' 'मैं खुलेआम गुंडागर्दी कर रहा हूं? उस फारेस्ट आफिसर के बच्चे ने मेरे मुंह पर थप्पड़ मारा, तम्हारे कहने पर मैं चुप रहा। वह चौराहे पर मुझे मेरे भाई को पीट गया तुम्हारी वजह से मैं फिर भी चुप रहा और फिर भी तुम कह रहे हो कि मैं
खुलेआम गुंडागर्दी कर रहा हूं। कान लिकर सुन लो जगन सेठ कालिया बहुत बर्दाश्त कर चुका है। अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।'
'ज्यादा जोर से मत बोलो।' जगन से ने उसे चेताया-'बरना पेट के जख्मों से खून बहने लगेगा।'
'अब खून बहने की चिन्ता नहीं है जगन सेठ, जितना चाहे मरजी खन वह जाए। लेकिन कालिया का कलेजा तब तक ठंडा नहीं होगा जब तक कि वह अपने भाई की मौत
का अपने अपमान का बदला नहीं ले लेगा।'
कालिया की बे-सिर पैर की ब'तों ने जगन सेठ को खिन्न कर दिया था। फिर भी वोला -'तुम्हारा दिमाग अभी ठिकाने नहीं है। फिलहाल आराम करो मैं फिर आऊंगा।'
'बैठ जाओ जगन सेठ।' कालिया अधिकारपूर्ण स्वर में बोला-'आब तक कालिया तुम्हारी सुनता रहा है आज तुम कालिया की सुनो।'
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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जगन सेठ ने चौंककर कालिया की ओर देखा। उसे उसकी आंखों मे एक यहशियाना सी चमक दिखाई दी। ऐसी चमक जो किसी पागल की ही आंखों में दिखाई दे सकती थी।
'सबसे पहले तो मुझे जगतार की मौत चाहिए।'
'पागल हो मए हो क्या?' जगन सेठ ने एकदम उछलकर कहा-'वैसे मी उसे मारने से फायदा क्या है। अधमरा वह वैसे ही है। जेल से भागा हुआ है वहां की पुलिस को खबर कर दी है। वह आ चुकी होगो या आने वाली होगी। अब उसकी सारी जिन्दगी जेल म चक्की पीसते हुए ही बीतेगी।'
'मुझे उससे चक्की नहीं पिसवानी है।' कालिया अपने एक एक शब्द पर जोर देता हुआ बोला-'मुझे उसकी मौत
चाहिए।'
'होश की दवा करो कालिया।' जगन सेठ ने कड़े स्बर में
कहा-'जिस काम को करने से कोई फायदा नहीं उसे करने की क्या जरूरत है। जगतार खुद कानून की उलझनों में इतना उलझा पड़ा है कि अब वह जिन्दगी भर जेल के बाहर की दुनिया नहीं देख सकेगा। हो सका तो हरिया के कत्ल के जुर्म में उसे फांसी पर ही चढ़वा दूंगा मैं।' 'कह चुके या कुछ और भी कहना है?'
'देखो कालिया।' जगन सेठ ने उसे समझाने के से ढंग में कहा-'स्थिति इतनी बिगड़ चकी है कि में तुम्हें बता नहीं सकता। लेकिन मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूं कि मैं इसे सम्हाल लूंगा। तुम सिर्फ मेरी इतनी मदद करो कि यहां चुपचाप पड़े हुए तन्दुरुस्त होते रहो। बाकी सब मुझ पर छोड़ दो।'
'और कुछ?' 'बस फिलहाल के लिए इतना ही काफी है।'
'तो अब मेरी सुन लो।' कालिया बोला-'सारे मामले को जैसे तुम सम्हालना चाहो सम्हाल सकते हो। लेकिन रही जगतार की बात तो न मुझे उससे जेल में चक्की पिसवानी है न उसे फांसी के फंदे पर चढ़वाना है। उसने मेरे भाई को मारा है और अपने भाई की मौत का बदला लेना कालिया का धर्म है, कर्ज हैं। इसलिए मुझे जगतार की मौत चाहिए।'
जगन सेठ ने कालिया को घूरा।
'मुझे इतनी बात तुमसे कहने की जरूरत भी नहीं पड़ती
लेकिन भैरो इन दिनों तुम्हारे कहने में जरा ज्यादा चल रहा है
और मैं धायल होने की वजह से भैरों के बिना यह काम नहीं कर सकता। मुझे जगतार की मौत चाहिए जगन सेठ।
'तुम्हारा तो दिमाग मूम गया लगता है कालिया। जगन सेठ ने
शुष्क स्वर में कहा-'पहले तुम्हें उस फारेस्ट आफिसर का बुखार सा चढ़ा था, अब जगतार की गरदन पढ़ रहे हो। मेरी राय मानो और सब कुछ भूल-भाल कर कुछ दिन आराम करो।'
'मुझे बातों से बहलाने की कोशिश मत करो जगन सेठ। फारेस्ट आफिसर का तुम जो चाहे मरजी करो। लेकिन जगतार की मौत के बाद। वरना।'
'वरना क्या?'
'वरना मेरे सीने में जो बदले की आग धधक रही है उसमें मेरा क्या होगा इसकी मुझे अब कोई परवाह नहीं रही है। लेकिन अगर जगतार की मौत मुझे नहीं मिली तो उसमें तुम सब भी जलकर राख हो जाओगे।'
'मतलब?' तिरछी नजरों से देखा जगन सेठ ने।
'मतलब यही कि कालिया तुम्हारी और उस पलिस कमिश्नर की सबकी पोल खोल कर रख देगा।' कालिया बोला-'तुम्हीं कहा करते थे जगन सेठ कि इस दुनिया में हर चीज की कीमत होती है। आज कालिया अपनी दोस्ती की कीमत मांग रहा है। नुझे वह दे दो और कालिया हमेशा की तरह तुम्हारा गुलाम बना रहेगा।'
जगन सेठ को कोई शक नहीं रहा कि कालिया वाकई पागलसा हो गया है। फिर भी अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए उसने कहा-'तुम्हारी भावनाओं को मैं समझ रहा हूं कालिया। भाई की मौत में तुम्हें इतना दुखी कर दिया है कि फिलहाल तुम सही ढंग से सोच नहीं पा रहे। लेकिन तुम्हारी
दोस्ती मेरे लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज है। तुम कहते हो तो जगतार की मौत तुम्हें मिल जाएगी। लेकिन इसेके लिए कुछ दिन इन्तजार करना पड़ेगा तुम्हें।'
'कितने दिन?'
'काम तो पहले ही हो जाएगा। लेकिन फिर भी दो-तीन दिन
का वक्त तो तुम्हें देना ही पड़ेगा।' 'मंजूर है।' तभी रघुवर ने वहां प्रवेश किया।

उसे इधकके ही जैसे जनन सेठ को कुछ याद आया।'
बोला-'और हां, वह उस फारेस्ट आफिसर की बहन से फोटोग्राफ थे तुम्हारे पास।'
'हां।'
'उन्हें जरा मेरे पास भिजवा दो फौरन।' जगन सेठ बोला-'शायद वे ही इस मुसीवत से निकलने में हमारी कुछ मदद कर सके। मैं यहां से सीधा अपने आफिस ही जा रहा
जगन सेठ के जाने के बाद कालिया ने रघुबर को बुलाया और अलमारी की चाबी देता हुआ बोला-'अलमारी में से वे फोटो निकाल कर जगन सेठ के आफिस में दे देना।'
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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'हर बुराई में कोई न कोई अच्छाई होती है मिस्टर केसरी।'। मेयर कह रहा था उससे-'रात जो कुछ भी घटा उसे किसी भी रूप में सही तो नहीं कहा जा सकता। लेकिन मुझे यह लगता है कि दुश्मन की यह बेककूफी हमारे लिए फायदेमंद ही साबित होगी। लोगों को इस घटना का पता तो लग गया है लेकिन अखबारों में कोई खबर इसके बारे में न होने के कारण कोई खास सनसनाती सी नहीं फैली है। मैं आज शाम को ही एक प्रेस कांफ्रेस बुला रहा हूं। उसमें आप अपना बयान दीजिए। फिर देखिए कल क्या हंगामा मचता है।' वे लोग गलियारे की एक दीवार के साथ खड़े हुए बातचीत कर रहे थे। मेयर उसे समझा रहा था कि किस तरह कालिया के इस शर्मनाक हमले का प्रसारण अखबारों के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाए कि वह कालिया और उसके साथियों के अत्याचारों के प्रति उत्तेजित हो उठे।
केसरी अनमने ढंग से ही उसकी बात सुन रहा था। अब उसे मेयर और उसकी जनता की शक्ति में कोई खास विश्वास नहीं रह गया था। लेकिन बह यह भी जानता था कि इस अनजान शहर में केवल वही एक उसका हितचिंतक था। इसलिए स्पष्ट उपेक्षा भी नहीं दिखा सकता था।
वे लोग बात कर रहे कि तभी केसरी ने एक स्थूलकाय व्यक्ति को कालिया के कक्ष से बाहर निकलते देखा। केसरी उसे पहचानता नहीं था। लेकिन कालिया के किसी भी परिचित के लिए उसके दिल में कोई अच्छी भावना उदय होने की सम्भावना नहीं थी।
उस व्यक्ति ने उन दोनों को देखा और फिर निकट गुजरते हुए थोड़ा रुककर बोला-'कहिए शर्माजी क्या हाल है अगर मैं गलती नहीं कर रहा तो आप नये फारेस्ट आफिसर मिस्टर केसरी हैं?'
'सही पहचाना है आपने।'
'मुझे जगन सेठ कहते हैं।' अपना कार्ड निकालकर उसे देते हुए जगन सेठ ने कहा-'अगर आज मौका निकालकर मुझसे मेरे आफिस में मिल लेगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी।'
जगन सेठ के जाने के बाद मेयर ने उससे कहा-'जरूर मिल लेना इससे। पता तो चले कि क्या कहना चाहता है।'

'कमिश्नर साहब, नमस्कार जगन सेठ बोल रहा हूं।'
अपने आफिस में पहुंचते ही जगन सेठ ने पुलिस कमिश्नर को फोन किया-'अभी-अभी कालिया से मिलकर आ रहा हूं।' 'क्या हाल हैं उसके।' दूसरी ओर से पुलिस कमिश्नर की
आवाज आई-'आपने कहा नहीं कि यह क्या बेवकूफियां करता फिर रहा है वह।'
'बहुत कुछ कहा है उसे और उसने भी वह कुछ कह दिया जो
उसे नहीं कहना चाहिए था।'
'मैं कुछ समझा नही।' 'फोन पर सारी बातें नहीं की जा सकतीं। अगर आप मेरे
आफिस में आ जाएं तो बड़ी मेहरबानी होगी।'
'अभी?'
'जी हां।' जगन सेठ ने गम्भीर स्वर में कहा-'क्योंकि इसे आवश्यक से भी अत्यधिक आवश्यक काम समझिए।'
पुलिस कमिश्नर ने वहां पहुंचने में देर न लगाई।
'कालिया क्या पागल हो गया हैं।' सारी बात सुनने के बाद
पुलिस कमिश्नर ने कहा।
'बस ऐसा ही समझिए।'
'जगतार के साथ कुछ भी करना असम्भव है जगन सेठ। पुलिस कमिश्नर ने कहा-'बह इस वक्त बाहर की पुलिस कं
निगरानी में है। मैंने रात ही खबर भिजवा दी थी कि जेल से फरा धह कैदी यहां हास्पिटल में मौजूद है। वे लोग आ गए हैं

और उन्होंने उसके कमरे के गिर्द अपना पहरा लगा दिया है। यह न भी होता तो भी भ्या उसे मार देना आसान था। अगर स्वस्थ होता तब तो चलो यह कहकर मरवा दिया जाता कि भागने की कोशिश कर रहा था या मुठभेड़ में मारा गया। मगर ऐसी हालत में असम्भव उसके हाथ भी लगाया तो लेने के देने पड़ जाएंगें। आप समम रहे हैं ना मेरी बात को।' 'मैं तो समझ रहा हूं। लेकिन कालिया समझे तब ना?'
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