फोरेस्ट आफिसर

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rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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'उसे आपको समझाना पड़ेगा कि वह जो कुछ कह रहा है, सब पागलपन की बातें हैं।'
'वह समझने समझाने की स्थिति से बहुत दूर निकल चुका है।' जगन सेठ ने मेज पर रखा पेपरवेट घुमाते हुए कहा-'अब तो उसका सिर्फ एक ही इलाज बाकी रह गया है।'
पुलिस कमिश्नर ने प्रश्नपूर्ण दृष्टि से जगन सेठ की ओर देखा।
'वही इलाज जो पागल कुत्तों के साथ किया जाता है।'
'यानि?'
'कालिया को खत्म करना होगा।' जगन सेठ ने निर्णायक स्वर में कहा।
पुलिस कमिश्नर ने फिर अपनी सवालिया नजरें ऊंची की।
'इस परिस्थिति से निकलने का और कोई चारा नही है।'

जगन सेठ ने कहा-'कालिया अब जरूरत से ज्यादा ही अपनी मनमानी करने लगा है। इसलिए वह हम लोगों का सहायक बनने की बजाए अब जिम्मेदारी बन गया है। और अब जबकि उसने खुलेआम ब्लैकमेल करने की धमकी दी है तो उसकी उपयोगिता हमारे लिए बिलकुल ही खत्म हो जाती है। अगर इस मौके पर चूक गए तो कल को वह फिर हमारी नकेल अपने हाथों में थामने की कोशिश करेगा।'

'तो क्या सोचा है?'

'बता चुका हूं तुम्हें अपना निर्णय।' जगन सेठ ने कहा-'उसे खत्म करना ही होगा।'

'कहीं बाद में उसके आदमी कोई गुलगपाड़ा करने की न कोशिश करें।'

'इसकी अब कोई गुंजाईश नहीं रही है।' जगन सेठ ने मेंज पर शीशे के पेपरवेट को घुमाते हुए कहा-'उसका भाई हरिया मारा ही गया है और मैरी मेरे कब्जे में है। फिर गुलगपाड़ा मचाने वाला रह ही कौन जाता है। कोई इक्का-दुक्का होगा भी तो उसे सम्हाल ही लेंगे। बस आपको एक काम करना होगा।'

'मुझे तो फिलहाल इस मामले से दूर रखें तो ज्यादा अच्छा हैं।' पुलिस कमिश्नर ने कहा-'इस समय उस जगतार के चक्कर में बाहर से पुलिस के अधिकारी आए हुए हैं। इस सारे मामले को आप ही निबटा लें तो ज्यादा अच्छा है। वे लोग यहां से जगतार को लेकर चले बाएं तो देखा जाएगा। मेरा ख्याल है कि उन लोगों के जाने तक आप भी खामोश रहें तो ज्यादा अच्छा दै।'
'नहीं। वे लोग जगतार को यहां से नहीं ले जाने पाएंगें।'
'क्या मतलब?'
'बताता हूं। बस यह समझ लीजिए कि आपको सिर्फ एक
काम करना है। बाकी सब मैं सम्हाल लूंगा।'
'और वह काम क्या है?'
'जगतार तक किसी तरह यह खबर पहुंचानी है कि अगर वह भागना चाहता है तो इन्तजाम किया जा सकता है।'
तभी चपरासी ने रघुबर के आने की सूचना दी।
जगन सेठ ने उसे अन्दर भेजने के लिए कहा।
रघुबर ने भीतर आकर दोनों को सलाम किया और फिर एक बड़ा सा लिफाफा उसकी ओर बढ़ाता हुझ। बोला-'उस्ताद ने यह भिजवाया है।'
जगन सेठ ने लिफाफा खोला और उसके भीतर रखे सामान
को एक झलक देखने के बाद उसे मेंब की दराज में रखते हुए कहा-'ठीक हे। तुम जाओ।'
रघुबर के जाने के बाद कमिश्नर ने पूछा-'यह क्या है।' 'यह उस फारेस्ट आफिसर के नाक की नकेल है।' जगन सेठ ने कहा-'आपको इतने से काम के लिए भी नहीं कहता। लेकिन जैसा कि आपने बताया कि जंगल के इर्द-गिर्द बाहर की पुलिस ने पहरा लगा रखा है। इसलिए इस काम के लिए आपको तकलीफ दे रहा हूं।'

'लेकिन जगतार को भगाने से क्या फायदा?'
'उससे यह सारी मुसीबत चुटकियों में निबट जाएगी और हम लोगों की तरफ किसी का ध्यान भी नहीं जाएगा।'
'जगतार भागने के लिए तैयार हो जाएगा तो हम उसकी
भागने में मदद करेंगे। हुआ तो उसे छुपाने के लिए जगह भी दे देंगे। जिस रात जगतार भागेगा उसी रात कालिया का काम करवा दिया जाएगा। लोग यही समझेंगे कि जगतार ने अपना अधूरा काम पूरा किया और भाग निकला।'
'लेकिन जगतार क्या भागने के लिए तैयार हो जाएगा?'
'क्यों उसे क्या परेशानी होगी। जो आदमी जेल तोड़कर भाग सकता है वह यहां पुलिस के कब्जे से नहीं भागना चाहेगा?' 'लेकिन बाद में अगर जगतार ने हमारे लिए सिरदर्द बनने की कोशिश की।'
'अगर ऐसा हुआ तो आपका नाम अखबारों में छप जाएगा कि आपने जगतार को घेरने की कोशिश की। उसने मुकाबला किया और मारा गया।'
पुलिस कमिश्नर और भी देर तक जगन सेठ से बात करता रहा, जब उठा तो पूर्ण प्रसन्न था।
मुस्कराकर हाथ मिलाता हुआ बोला-'आपकी अक्ल का भी जवाब नहीं जगन सेठ। हारी हुइ बाजी को जीतना कोई
आपसे सीखे। अच्छा अब चलता हूं।
rajan
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जिस समय केसरी जगन सेठ के यहां पहुंचा उस समय पुलिस कमिश्नर जयकर जगन सेठ के केबिन से बाहर निकल रहा था। अपनी वर्दी में न होने के कारण केसरी जान न पाया कि वह' कोई पुलिस कमिश्नर है। लेकिन उसके बहुमूल्य कपड़ों से और उसके बाहर निकलने पर चपरासी ने उठकर जिस जोरदार ढंग से सलाम ठोंका उससे उसने यह अवश्य अनुमान लगा लिया कि यह कोई बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति है।
उस्के गुजर जाने के बाद उसने यूं ही सहब उत्सुकतावश चपरासी से पूछ लिया-'यह कौन थे?'
'आप नहीं जानते।' चपरासी ने आश्चयं से उसे देखते हुए
कहा-'पुलिस कमिश्नर साहब थे।' केसरी की समझ में नहीं आया कि पुलिस कमिश्नर यही क्या कर रहा था।
फिर भी उसने और कोई सवाल किए बिना चपरासी से
पूछा-'जगन सेठ है भीतर?'
'आप कौन?'
'उनसे कहो क्र फारेस्ट आफिसर केसरी मिलने के लिए आया है।'
चपरासी अन्दर गया और थोड़ी देर बाद ही बाहर लौटकर बोला-'जाइए।'
केसरी अन्दर प्रविष्ट हुआ।

बिना किली औपचारिकता का प्रदर्शन किए बिना जगन सेठ ने उसे अपने सामने की कुर्सी पर बैठने का संकेत किया और फिर बोला-मुझे खुशी है कि तुमने यहां आने का फैसला करके अपनी अक्लमंदी का सबूत दिया है। जाहिर है कि हम लोग दोस्ताना बातचीत के जरिये किसी अच्छे नतीजे पर पहुंचने की कोशिश हर सकते हैं। बैसे तुम यहां भेरे बुलाने पर अपनी मरजी से आए हो या उस मेयर शर्मा ने सलाह देकर भेजा है तुम्हें?'
'आपने मुझे किसलिए बुलाया है।' उसके सवालों को नजर
अन्दाज करते हुए उसने पूछा।
'तुम्हारे यहां आने के बाद बहुत कुछ ऐसा हो गया जो नहीं होना चाहिए था।' जगन सेठ ने अपनी कीमती कुर्सी की पुश्त से पीठ टिकाते हुए दोनों हाथों की उंगलियां एक-दूसरे में फंसाकर कहा-'वह क्यों हुआ? किसकी गलती से हुआ? इस
बहस में पड़कर मैं मामले को और नही उलझाना चाहता। मैंने तुम्हें यहां इसलिए बुलाया है कि यह जो विकट स्थिति पैदा हो गई है. पहले तो तुम मुझे यह बताओ कि वर्तमान स्थिति को तुम विकट स्थिति समझते भी हो या नहीं?'
उसकी समझ में न आया कि क्या जवाब दे। इसलिए खामोश बैठा हुआ जगन सेठ के चेहरे की ओर देखता रहा।
'तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया?' जगन सेठ ने उसकी
आंखों में झांकते हुए पूछा। 'जवाब तो तब दूं जब आपका सवाल मेरी समझ में आए।' 'हूं, और यह सवाल तुम्हारी समस में कैसे आएगा?'

'जब आप मुझे यह बताएंगे कि कालिया से बापके क्या सम्बन्ध हैं।'
'अगर मैं कहूं कि अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं तो?' 'तो मैं आपसे यह कहना चाहूंगा कि कालिया की और मेरी लड़ाई झूठ और सच की लड़ाई है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपका फर्ज बन जाता है कि इस लड़ाई में आप मुझे सहयोग दें।'
'यानि तुम्हारा यह दावा है कि तुम सब की राह पर हो?'
'जी हां।'
'लेकिन सिर्फ तुम्हारे कहने मात्र से कैसे मान लूं कि तुम सच
पर हो।' जगन सेठ ने कहा-'क्या जेलसे भागेहुए कैदी को इस जंगल में पनाह देना जिसके कि तुम आफिसर हो तुम्हारे सच के असूलों का ही एक अंग है?'
'लेकिन मैंने उसे पनाह नहीं दी।' उसने विरोध किया-'मैं तो
उसे जानता तक भी नहीं था कि वह कौन है?'
'लेकिन यह सिर्फ तुम कह रहे हो जबकि घटनाएं और हालात कुछ ओर ही कहानी बताते हैं।' जगन सेठ ने कछ-'क्या यह सच नहीं है कि कालिया के दस-बारह
आदमियों ने एक रात तुम्हारे बंगले पर हमला किया था?'
'बिलकुल सच है।' वह मेज पर आगे को झुकता हुत्रा उत्साहित स्त्रर में बोला-'यही मैं आपको।' 'क्या यह सच नहीं है कि जेल से भागा हुआ कैदी तुम्हारी मदद के लिए एकदम वहां पहुंच गया?' जगन सेठ ने उनकी बात काट कर कहा।
'यह भी सच है मगर ।'
'क्या यह सर नहीं है कि कालिया कल रात कोई षड्यंत्र रच कर जंगल तें पहुंचा था और उसके साथियों ने तुम्हारी सुरक्षा के लिए तैनात पहरेदारों को शराब पिला कर बेहोश कर दिया ला।'
'सच है।'
'क्या यह सच नहीं है कि जगतार फिर बीच में कूद पड़ा और वे दोनों इस बक्त धायलावस्था में हास्पिटल में पड़े हुए हैं?'
'यह भी सच है।'
'क्या रिश्ता है तुम्हारा उस मुजरिम कैदी से जो अपनी जान
जोखिम में डालकर हर वक्त तुम्हें बचाने की कोशिश में लगा हुआ है।'
'मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं है। यहां आने से पहले मैं उसे
जानता तक नहीं था।'
'मैं अगर तुम्हारी बात पर यकीन कर भी लूं तो क्या तुम समझते हो कि और लोग तुम्हारी बात पर यकीन कर लेगई?'
'सांच को आंच नहीं होती जगन सेठ। मैं आपको पूरा किस्सा बताता हूं।'
'किस-किस को पूरा किस्सा बताते फिरोगे आफिसर। कोई तुम्हारी बात पर यकीन नहीं करेगा और एक दिन आएगा जब तुम्हारा वह सच या तो तुम्हें पागल कर देगा या फिर आत्महत्या करने पर मजबूर।'
वह जगन सेठ की ओर देखता रह गया।
जगन सेठ अपने शब्दों पर जोर देता हुआ कहे जा रहा था-'अपनी बात साबित करने के लिए तुम्हारे पास कुछ नहीं है। जबकि तुम्हारी हर बात को गलत सावित करने के लिए सबूत मौजूद हैं।' 'कैसे सबूत?'
जगन सेठ ने दराज से लिफाफा निकाला और फिर मेज की सतह से नीचे रखकर उसने उसमें से एक फोटो निकालकर उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा-'एक सबूत तो यही देख लो।'
केसरी ने देखा और उसका सारा शरीर शर्म और अपमान से झनझना उठा। वह जगतार और साधना की फोटो थी। साधना उसकी छाती पर सर रखे हए आसमान की ओर देखती हुई खिलखिलाकर हंस रही थी।
'यह एक तस्वीर जब लोगों की नजरों के सामने पहुंचेगी तो तुम्हारा सारा सच तुम्हारी सारी दलीलें आसमान में धुआं बनकर उड़ जाएंगी। ऐसी और भी तस्वीरें मेरे पास हैं। लेकिन उस जेल से भागे हुए कैदी जगतार से तुम्हारे कोई सम्बन्ध हैं या नहीं? इसका जवाब देने के लिए यह एक ही तस्वीर काफी है।'
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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केसरी के मुंह से कोई बोल न फूटा। तस्वीर उसने उल्टी रख दी-साधना की जरा-सी नादानी की वजह से उसकी लड़ाई
कितनी कमजोर हो गई इसे वह महसूस कर रहा था। जगन सेठ गलत नहीं कह रहा था-उसने महसूस किया-यह तस्वीर लोगों के सामने पहुंची नहीं कि लोग उसकी किसी बात पर यकीन नहीं करेंगे।
'हो सकता है कि इस तस्वीर का तुम्हारे पास कोई जवाब हो।' जगन सेठ कहे जा रहा था-'मैं और लोगों की तरह बन्द दिमाग का आदमी नहीं हूं। हर बात को खुले दिमाग से सोचने का आदी हूं। माने लेता हूँ कि तुम्हें अपनी बड़ी बहन के इस गुप्त प्रेम व्यापार के बारे में कुछ भी मालूम न हो। मैं यह भी मान लेता हू कि इन दोनों के प्यार मे कोई अश्लीलता अथवा वासनात्मक सम्बन्ध की बात नहीं होगी। हालांकि एक जेल से भागे हुए कैदी के दिल में इस तरह की पवित्र भावनाओं की उम्मीद नहीं की जा सकती, लेकिन फिर भी मैं माने लेता हूं कि इन दोनों का यह प्यार प्रेम का दिव्य रूप है। लेकिन
क्या इसे देख लेने के बाद कोई भी समझदार आदमी अपने इन विचारों पर टिका रह सकेगा क्या?'
और जगन सेठ ने लिफाफे की तस्वीरों में से छांटकर एक और तस्वीर केसरी की ओर बढ़ाई।
यह तस्वीर भी साधना की ही थी लेकिन जगतार के साथ नहीं। इसमें साधना बिल्कुल नग्न थी और आंखें बन्द किए हुए किसी अन्य पुरुष की बांहों में जकड़ी हुई थी। उसे याद आ
गया झाड़ियों वाला वह किस्सा जब उसने साधना को नग्नावस्था में बेहोश पाया था।
'यह एक षड्यन्त्र है।' 'माने लेता हूं तुम्हारी बात को कि यह एक षड्यन्त्र है।' जगन सेठ ने कहा-'लेकिन दुनिया में किस-किस को बताते फिरोगे यह। और कौन यकीन कर लेगा तुम्हारी इस बात पर। इन तस्वीरों को एक साथ अखबारों में छपी देखने के बाद लोगों को कुछ समझाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे अपने आप ही अनुमान लगा लेंगे कि इस उन्मत्त ढंग से विभिन्न व्यक्तियों के साथ प्रेम सागर में किल्लोल करने वाली युवती को क्या समझा जाए? साध्वी या वेश्या?'

उसके कसते चेहरे और भिंचते जबड़े को देखकर जगन सेठ ने कहा-'बेकार उत्तेजित होने से कोई फायदा नहीं होगा। ठण्डे दिमाग से उन हालात की गम्भीरता को समझने की कोधिश करो जिनमें कि तुम फंस गए हो। मैं अपनी बात आगे कहूं उससे पहले लो यह एक फोटो और देख लो।'
जगन सेठ ने एक फोटो और छांटकर उसकी ओर बढ़ाई।
वह उसके छोटे भाई शिबू की फोटो थी। आदिवासी लड़कियों के साथ अश्लील मुद्राओं में रंगरेलियां मनाते हुए।
'यह सब फोटुएं जव अखबारों में छपेंगी तो तुम्हारे खानदान
के बारे में जो राय कायम होनी वह ऐसी होगी कि लोग तुम्हारे सच को दुनिया का सबसे बड़ा झूठ समझेगे। तम्हारा सव अपनी जिन्दगी यर लाख-लाख आंसू बहाएगा क्योंकि अपने-आपको साबित करने के लिए उसके पास कोई सबूत नहीं है। जबकि झूठ उछल-उछलकर खुशी के गीत गाएगा। क्योंकि सच को सरेआम बदनाम करने के लिए उसके पास भरपूर सबूत हैं।'
उसे लगा कि जगन सेठ सच कह रहा है। इन सारे सबूतों के आगे वह कितना निस्सहाय-सा हो गया था। साधना दीदी उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। लेकिन वह ताकत ही उस फरार मुजरिम जगतार के कारण इस नाजक वक्त में उसकी
सबसे बड़ी कमजोरी बन गई।
'अब बताओ कि अब भी मेरा सवाल तुम्हारी समझ में आया
या नहीं?' जगन सेठ उससे पूछ रहा था।
अच्छी तरह समझ चुका था वह कि वाकई एक विकट परिस्थिति में फस गया है वह। जिससे निकलने का कोई रास्ता उसे नजर नल आ रहा था। चारों ओर बस । मधेरा-ही-अंबेरा थाम। अंधेरे के सिवा और कुछ भी नहीं।
'इससे कैसे निकला जा सकता है?' पूछ बैठा वह।
जगन सेठ मुस्कराया धीरे से। जैसे यही सुनने की आशा करता था वह।
बोला-'मैं निकाल सकता हूं तुम्हें। लेकिन इसके लिए सबसे पहले तो तुम्हें उस मेयर का साथ छोड़ना होगा।'
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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जगन सेठ को बात खत्म हुई ही थी कि तमी फोन की घंटी वज उठी। उसने रिसीवर उठाया और कुछ देर बात करने के बाद रख दिया।
फिर केसरी की ओर देखकर बोला-'बोलो तैयार हो?'
'इस शहर मे वे ही तो अकेले एक हित-चिंतक हैं मेरे।'
'बकवास।' जगन सेठ ने जोर से हवा में हाथ हिलाकर कहा-'वह आदमी अपना हित नहीं देख सकता तो तुम्हारा हित कहां से देख लेगा। क्या तुमने देखा नहीं कि जो अखबारी लड़ाइ उसने शरू की थी उसमें वह कैसे खुद-ब-खुद मुंह की खा गया है। उसेको नाव डूबने वाली है। अगर तुम भी उसके साथ डूबना चाहते हो तो फिर मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना।'
'अगर मैं उनका साथ छोड़ दूं तो सब किस्से खत्म हो जाएंगे?'

'खत्म कुछ नहीं होगा।' जगन सेठ ने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा-'लेकिन सबकुछ दब जाएगा और तब तक दबा रहेगा जर तक तुम मेरे कहने पर चलते रहोगे।'
'ओह।' दीर्घ निश्वास के साथ वह बोला।
'अगर परिस्थितियों का मुकाबला न किया जा सके उनके
अनुकूल ढल जाने में ही अक्लमन्दी है।' जगन सेठ ने कहा 'अगर तुम मेरे अनुकूल चलने को तैयार हो तो मैं वायदा
करता हूं कि कालिया फिर तुम्हें कभी तंग नहीं कर पाएगा। अगर तुम चाहोगे तो जगतार भी तुम्हारी और तुम्हारी बहन की जिन्दगी से बहुत दूर भेज दिया जाएया।'
ऐसा हो जाए तो कैसा सुख मिलेगा उसे। एक फरार मुजरिम कैदी के साथ उसकी साधना दीदी के सम्बन्ध हों यह वह सहन नहीं कर पा रहा था। जगतार उन लोगों की जिन्दगी से निकल जाएगा तो शायद साधना के सिर से उसका भूत उतर
जाए।
'और यह तस्वीरें?'
'इन्हें मैं नष्ट कर दूंगा। लेकिन यह मत भूलना कि इनके नैगेटिव हमेशा मेरे कब्जे में रहेंगे।'
उसने धीरे-से गरदन हिलाई।
कुछ देर के लिए वहां एक अजीब सन्नाटा-सा छाया रहा।
फिर जयन सेठ ने ही उस सन्नाटे को तोड़ते हुए पूछा-'तो क्या मैं समझू कि तुम मेचे कहे अनुसार चलने को तैयार हो?'
'और कोई चारा भी तो नहीं है।'
.
'मुझे तुमसे इसी अक्लमन्दी की उम्मीद थी।' जगन सेठ बोला-'अब सुनो तुम्हें क्या करना है। आज शाम को मेयर जो प्रेस कांफ्रेंस बुलाने वाला हैं।' 'आपको कसे मालूम?' उसने एकदम चौंककर पूछा।
क्योंकि यह बात मेयर और उसके बीच हास्पिटल में बात करते हुए ही तय हुई थी। कोई तीसरा वहां मौजूद नहीं था। उसकी समझ में नहीं आया कि उन दोनों के बीच की वह गोपनीय वार्तालाप की खबर इतनी जल्दी जगन सेठ तक
कैसे पहुंच गई।
'इस शहर में और इसके आसपास जो कुछ होता है वह मुझे मालूम रहता है।' जगन सेठ ने धीरे से मुस्कराते हुए कहा 'उस प्रैस कांफरेंस में जाओ ही नहीं और अगर जाओ तो फिर वहां जो बयान देना है वह मुझसे सुन लो।'
जगन सेठ ने उसे जो कुछ कहने के लिए कहा उसे सुनने के बाद उसने यही बेहतर समझा कि वह मेयर द्वारा बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में न ही जाए तो अच्छा है। वैसे भी अब उसे जनन सेठ के कारण मेयर से अपने सम्बन्ध तो खत्म करने ही पड़ेंगे।
दफ्तर से बाहर निकलते हुए उसके कानों में जगन सेठ के
कहे शब्द गूंज रहै थे-अगर परिस्थितियों को अपने अनुकूल न बनाया जा सके तो अक्लमन्दी परिस्थितियों के अनुकूल ढल जाने में ही है।
जगन सेठ के अनुकूल चलने के अलावा और कोई चारा नहीं था उसके पास।
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