Romance दंगा

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“राज तुम कुछ भी कहो…पर मैं ये प्यार नही निभा सकती. किसी के पति को छीन-ने का इल्ज़ाम नही लेना चाहती अपने सर पर. ना ही ये इल्ज़ाम लेना चाहतीं हू की किसी लालच के कारण पड़ी हूँ मैं पीछे तुम्हारे.”
“बंद करो ये बकवास तुम.”
“ये बकवास नही है. अपने दिल पर पत्थर रख कर बोल रही हूँ.”
“मुझे खुद से दूर करने की बजाए एक खंजर गाढ दो मेरे सीने में तो ज़्यादा अच्छा होगा. अरे मैं कैसे निभा लूँ शादी अवनी से जबकि मेरे मन मंदिर में तुम हो. तुम मेरी जींदगी हो जान. नही जी सकता हूँ तुम्हारे बिना. मर जाऊंगा तुमसे अलग हो कर तो पता चलेगा तुम्हे की क्या हो तुम मेरे लिए.”
आलिया कदमो में बैठ गयी राज के और रोने लगी, “मैं भी कहा जी सकती हूँ तुम्हारे बिना. सोच कर भी डर लगता है.पता नही ये उलझन क्यों आ गयी हमारे जीवन. बड़ी मुश्किल से तो एक साल बाद मिले थे. अभी शांति से प्यार के मीठे दो बोल भी नही बोल पाए थे एक दूसरे को की ये सब हो गया. ऐसा क्यों हो रहा है हमारे साथ राज.”
“उठो पहले तुम. मेरे कदमो में अच्छी नही लगती तुम.” राज ने आलिया को कंधे से उठाते हुवे कहा.
“क्या हम अवनी के गुनहगार नही बन जाएँगे. उस से मिली नही थी तो कुछ फरक नही पड़ता था. उस से मिली तो उसकी आँखो में तुम्हारे लिए प्यार देखा. खुद को एक लुटेरा महसूस कर रही हूँ. जिसने अचानक तुम्हारी जींदगी में आकर तुमको अवनी से छीन लिया. मैं मर जाना चाहती थी आज. पर पता नही क्यों रुक गयी. क्योंकि मेरी जींदगी पर तुम्हारा हक़ है इसलिये शायद खुद को मार नही पाई.”
“जान अगर मैं भी अवनी को चाहता तो तुम्हारा सोचना सही होता. मैने कभी इतने सालो में अवनी को सोचा तक नही…चाहने की तो दूर की बात है. अब वो मुझसे प्यार कर बैठी तो इसमे मेरा तो कोई कसूर नही है. मैं तो उस से मिला तक नही. और एक बात बता दूं. मम्मी, पापा की मौत के बाद मैं भी बिखर चुका था. तुम मिली मुझे तो जीने का हौसला सा हुवा. हम दोनो की हालत एक जैसी थी जब हम मिले थे. हम मिले और दो कदम साथ चल कर हमें एक दूसरे से प्यार हो गया. जान हम किसी कीमत पर जुदा नही हो सकते. ये तुम भी जानती हो और मैं भी जानता हूँ.”
आलिया राज के सामने थी और राज की आँखो में देख रही थी. दोनो खो गये थे एक दूसरे में. कब आँसू टपक गये दोनो के एक साथ उन्हे पता ही नही चला.
“बोलो आलिया क्या जी पाओगी मेरे बिना?”
“ऐसा सोच भी नही सकती राज….मत पूछो ऐसी बात.” आलिया सुबक्ते हुवे बोली.
“फिर क्यों भाग आई थी मुझे छोड कर वहा से तुम.”
“मरने के लिए निकली थी वहा से…जीने के लिए नही.”
राज ने आगे बढ़ कर बाहों में जाकड़ लिया आलिया को, “ओह जान कभी छोड कर मत जाना मुझे चाहे कुछ हो जाए. नही जी सकता हूँ तुम्हारे बिना ये बात समझ लो अच्छे से आज.”
“मैं भी कहा जी सकती हूँ तुम्हारे बिना. क्या हाल हुवा मेरा तुम्हे थप्पड़ मार कर सिर्फ़ मैं ही जानती हूँ. मुझे माफ़ कर दो प्लीज़.”
“माफी ऐसे नही मिलेगी”
“क्या करना होगा मुझे?”
राज ने आलिया के चेहरे को अपने दोनो हाथो में थाम लिया. आलिया सिहर उठी. वो समझ गयी थी कि राज क्या करना चाहता है. उसने अपनी आँखे बंद कर ली. उसके होन्ट खुद-ब-खुद थिरकने लगे.
राज आलिया के थिरकते होंटो को देख कर मुस्कुरा उठा, “क्या चूम लूँ इन थिरकते लबों को.”
“मुझसे मत पूछो…कुछ भी नही कह पाउंगी.” आलिया आँखे बंद किए हुवे ही बोली.
राज ने बिना वक्त गवायें अपने होन्ट आलिया के थिरकते लबों पर टीका दिए. आलिया सर से लेकर पाँव तक सिहर उठी… ऐसा लग रहा था जैसे की राज ने सितार के तार छेड़ दिए हों.
दोनो के होन्ट दहक्ते अंगारों की तरह एक दूसरे से टकरा रहे थे. दोनो के प्यार का पहला चुंबन उनके प्यार की ही तरह अद्वित्य और सुंदर था. वक्त जैसे थम सा गया था. बहुत देर तक दीवानो की तरफ चूमते रहे दोनो.
दोनो को ऐसा चुंबन करने का पूरा अधिकार था. प्यार जो करते थे बेईंतेहा एक दूसरे को. होंटो की भाषा भी बहुत प्यारी होती है. इसे भी होन्ट ही बोलते हैं और होन्ट ही सुनते हैं. चुंबन के उन पलों में दोनो के होन्ट बहुत कुछ कह रहे थे एक दूसरे को. लबों की हर हरकत कुछ कहती थी जिसे दोनो अपनी आत्मा की गहराई तक महसूस कर रहे थे.
वैसे तो कुछ भी और कहना मुश्किल हो रहा है दोनो के इस पहले चुंबन के बारे में. मगर इतना ज़रूर कह सकता हूँ की प्यार ही प्यार था दोनो के बीच चुंबन के उन पलों में जो की दोनो के प्यार को एक और गहराई दे रहा था. ये बात किस करते वक्त दोनो ही बखूबी समझ रहे थे.
चुंबन में लीन आलिया और राज दीन दुनिया सब कुछ भूल गये थे. वक्त का अहसास भी खो गया था. वो चुंबन किसी मेडिटेशन से कम नही था. जिस तरह मेडिटेशन में लीन हो कर हम अपने अंदर बहुत गहराई में उतर जाते हैं ठीक उसी तरह आलिया और राज अपने अंदर भी उतर गये थे और एक दूसरे की आत्मा को भी छू रहे थे. ये एक अद्विद्य घटना थी. वैसे ये प्यार करने वालो के साथ रोज होती है.
जब दोनो की साँसे उखाड़ने लगी तो एक दूसरे से अलग हुवे. दोनो की आँखे नम थी और साँसे बहुत तेज चल रही थी. एक दूसरे की बाहों में बने हुवे थे दोनो और बड़े प्यार से एक दूसरे को देख रहे थे. साँसे एक दूसरे से टकरा रही थी.
“आलिया चाहे कुछ हो जाए…मुझसे जुदा होने की बात सोचना भी मत. तुम जानती हो ना…मर जाऊंगा तुम्हारे बिना मैं.”
“ओह राज प्लीज़ ऐसा मत कहो…..”
दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा. आँखो ही आँखो में जाने क्या बात हुई. दोनो की आँखे नम हो गयी देखते-देखते और अचानक दोनो के होन्ट फिर से खुद-ब-खुद एक दूसरे से जुड़ गये.
किसी ने सच ही कहा है, भावनाओ में बह कर दो प्रेमियों में जो प्यार होता है वो होश में रहकर कभी नही हो सकता. प्यार की गहराई में उतरने के लिए दीवानेपन की बहुत ज़रूरत होती है.
अचानक राज को कुछ ध्यान आया और उसने आलिया के होंटो से अपने होन्ट हटा लिए. “हाथ पर क्या किया तुमने?”
“चाकू से चीर दिया था.”
“पागल हो गयी थी क्या तुम… रूको मैं अभी आता हूँ.”
“राज कही मत जाओ प्लीज़…हो जाएगा ठीक अपने आप.”
राज ने आलिया की बात को अनसुना कर दिया और कमरे से बाहर आ गया. कुछ देर बाद वो वापिस आ गया. वो केमिस्ट से मरहम-पट्टी ले आया था.
“लाओ हाथ आगे करो.”
“नही डेटॉल मत लगाना बहुत जलन होती है इस से….प्लीज़” आलिया छोटे बच्चे की तरह गिड़गिडाई.
“हाथ चीरते वक्त सोचना चाहिए था ये…ये लगाना ज़रूरी है. लाओ हाथ आगे करो.”
“नही प्लीज़…” आलिया गिड़गिडाई.
राज ने हाथ पकड़ा ज़बरदस्ती और घाव को डेटॉल से सॉफ किया.
“आअहह….धीरे से बहुत जलन हो रही है.”
“दुबारा ऐसा मत करना कभी…समझी”
“समझ गयी.” आलिया ने मासूमियत से कहा.
डेटॉल से घाव साफ करने के बाद राज ने लोशन लगा कर पट्टी बाँध दी हाथ पर. “सब ठीक हो जाएगा.”
“राज मैं अवनी से मिलना चाहती हूँ.”
“छोडो अब जरीना…क्या अपनी और ज़्यादा बेज़्जती करवाना चाहती हो.”
“अवनी ने मुझे कुछ नही कहा ऐसा राज. मुझे उस से मिलकर सॉरी तो बोलना चाहिए ना. प्लीज़ कुछ करो…मैं उस से मिलना चाहती हूँ.”
“वो तो दिल्ली के लिए निकल रही थी. शायद एयर पोर्ट पहुँच भी गयी हो.”
“तो हम एयर पोर्ट ही चलते हैं. वही मिल लेंगे.”
“ठीक है फिर चलो जल्दी…वैसे तुम्हारा सॉरी बोलना नही बनता है क्योंकि सारी ग़लती मेरी है. फिर भी तुम कहती हो तो चलो.”
दोनो तुरंत होटेल से बाहर आए और एयर पोर्ट के लिए टॅक्सी लेकर चल दिए. जैसे ही वो दोनो एयर पोर्ट पहुँचे अवनी अपनी टॅक्सी से उतर रही थी. राज की नज़र उस पर पड़ गयी.
“वो रही अवनी. अच्छा हुवा की यही बाहर ही मिल गयी..आओ जल्दी” राज ने आलिया से कहा.
वो दोनो तुरंत टॅक्सी से निकल कर अवनी की तरफ बढ़े.
“अवनी!” राज ने आवाज़ दी.
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अवनी चोंक कर रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. आलिया और राज उसकी तरफ बढ़े आ रहे थे.
“अवनी…क्या थोड़ी देर रुक सकती हो, आलिया तुमसे कुछ बात करना चाहती है.” राज ने कहा
अवनी ने आलिया की तरफ देखा. दोनो ने आँखो ही आँखो में कुछ कहा. आलिया की आँखो में रिक्वेस्ट थी और अवनी की आँखों में उस रिक्वेस्ट के लिए मंज़ूरी.
“हां शुवर…” अवनी ने कहा.
आलिया ने राज को वहा से दूर जाने का इशारा किया. राज बात समझ कर वहा से हट गया.
आलिया अवनी के करीब आई और बोली, “मुझे माफ़ कर दो अवनी. तुम्हारा हक़ अंजाने में छीन लिया मैने. अगर कोई सज़ा देना चाहो तो दे दो मुझे. खुशी-खुशी सह लूँगी. अपने प्यार की कसम खा कर कहती हूँ कि मरने के लिए निकली थी वहा से. पर पता नही क्यों मर नही पाई. ये जींदगी राज ने दी है मुझे. उसे ही हक़ है इसे लेने का. हां पर एक हक़ तुम्हे भी है. मुझे जो सज़ा देना चाहे दे दो. पर प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.
मुझे सच में नही पता था कि राज पहले से शादी शुदा है वरना मैं हरगिज़ दिल नही लगाती राज से. और अवनी मैं किसी लालच के कारण राज के साथ नही हूँ. बस एक ही लालच है, वो है अपनी जींदगी का. जी नही सकती राज के बिना. इसलिए आज मरने जा रही थी. अब तुम बताओ मेरी क्या सज़ा है”
अवनी ने आलिया के चेहरे पर हाथ रखा और बोली, “तुम्हे आज इतना कुछ सुन-ना पड़ा वहा उस कमरे में. वो सज़ा क्या कम थी जो और माँग रही हो. तुम जब राज को थप्पड़ मार कर वहा से गयी तो मुझे रीयलाइज़ हुवा की हम लोग क्या पाप कर रहे थे. कितना गिर गये थे हम सब. मुझे खुद ना जाने क्या हो गया था. शायद चाची जी और आरजु की बातों का असर था मुझ पर. माफी तो मुझे माँगनी चाहिए तुमसे. मेरे कारण तुम्हे इतना अपमान सहना पड़ा. क्या कुछ नही सुना तुमने आज.
“अवनी तुम्हे मेरे दुख का अहसास हुवा और मुझे क्या चाहिए. मगर इस से मेरा गुनाह कम नही हो जाता. अंजाने में ही सही पर गुनाह तो हुवा है मुझसे. पता नही मैं कैसे माफ़ करूँगी खुद को.” आलिया ने कहा.
“प्यार करती हो ना राज से…तो खुद को गुनहगार मत मानो तुम. प्यार खुदा की देन है और ये किसी भी हालत में गुनाह नही हो सकता. तुम अपने दिल से ये बात निकाल दो कि मेरा कुछ छीन लिया तुमने. हां पहले-पहले मुझे भी यही लग रहा था. मगर आज जब तुम दोनो का प्यार देखा तो समझ में आया कि असल में प्यार क्या है. मैं तो राज से एक तरफ़ा प्यार करती हूँ. राज की आँखो में मैने अपने लिए कुछ नही देखा. बल्कि मेरे लिए उतनी परेशानी भी नही देखी जितनी तुम्हारी आँखो में है. ऐसे में मैं उनके गले में पड़ जाऊ ७ साल पहले हुई शादी का वास्ता दे कर तो बिल्कुल ग़लत होगा. ज़बरदस्ती रिश्ते निभाए जा सकते हैं आलिया कोई बड़ी बात नही है. ऐसा बहुत लोग कर रहे हैं दुनिया में. मगर ज़बरदस्ती बनाया हुवा रिश्ता कभी प्यार का वो फूल नही खिला पाएगा जिसकी कि एक पति पत्नी के रिश्ते में संभावना होती है. राज की नज़रो में तुम्हारे लिए बेईंतेहा प्यार देखा है मैने. तुम दोनो का साथ लिखा है भगवान ने. जाओ दोनो खुश रहो. भगवान मेरी सारी खुशीया तुम दोनो को दे दे.” आँखे टपक गयी अवनी की ये आखरी कुछ शब्द बोलते हुवे.
आलिया ने फ़ौरन अवनी के होंटो पर हाथ रख दिया, “बस…तुम्हारी और कोई खुशी नही चाहिए हमें. जितना लिया है…वही बहुत ज़्यादा हो गया है. दुवा तो मैं करती हूँ कि मेरे हिस्से की सारी खुशीया अल्लाह तुम्हे दे दे.”
“बस-बस अब और मत रुलाओ मुझे. जाओ अपने राज के पास. और तुम दोनो मुझे भूल मत जाना. मिलते रहना मुझसे. तुम दोनो से कोई गिला शिकवा नही है अब. बल्कि प्यार है तुम दोनो से. जाओ अब मैं बहुत भावुक हो रही हूँ.”
आलिया ने अवनी को गले लगा लिया और बोली, “काश दंगो में मर जाती मैं तो तुम्हे कोई भी तकलीफ़ नही होती.”
“बस थप्पड़ मारूँगी तुम्हे मैं अब. दुबारा मत कहना ऐसा.”
राज ये सब देख कर रोक नही पाया खुद को और आ गया दोनो के पास.
राज को देख कर अवनी बोली, “आप आलिया का ख्याल रखना. पता नही कैसा नाता जुड़ गया है इसके साथ. इसे हमेशा खुश रखना. ये खुश रहेगी तो मैं भी खुश रहूंगी. कोई तकलीफ़ नही होनी चाहिए मेरी आलिया को.”
ये सुन कर राज की आँखे नम हो गयी और वो भावुक आवाज़ में बोला, “थॅंक यू अवनी. थॅंक यू वेरी मच…कुछ नही सूझ रहा कि क्या कहूँ तुम्हे.”
“कुछ कहने की ज़रूरत नही है. ये बताओ की शादी कर चुके हो या करने वाले हो?”
जरीना, अवनी से अलग हुई और बोली, “ये तुम तैय करोगी अब कि हम कब शादी करें.”
“मेरी तरफ से तो आज कर लो…”
“अवनी तुम्हारे पेरेंट्स तो कोई समस्या नही करेंगे ना. कोई क़ानूनी उलझन तो पैदा नही करेंगे ना.”
“वो सब मुझ पर छोड दो. और क़ानूनी अड़चन कोई नही है तुम्हारे सामने. बाल-विवाह को कोर्ट नही मानता. सिर्फ़ एक अप्लिकेशन से सेटलमेंट हो जाएगा. तुम दोनो बिना किसी चिंता के शादी करो. कोई दिक्कत नही आने दूँगी मैं. बाल-विवाह का कोई लीगल स्टेटस नही है.”
“बहुत जानकारी है लॉ की तुम्हे?” राज ने कहा.
“लॉ स्टूडेंट हूँ ना. इसलिये” अवनी ने हंसते हुवे कहा.
“चाचा, चाची छोड़ने नही आए?”
“नही वो लोग आ रहे थे पर मैने ही मना कर दिया. अच्छा मैं लेट हो रही हूँ. कही फ्लाइट मिस ना हो जाए.” अवनी ने कहा
“हां-हां तुम निकलो…हम मिलते रहेंगे.” आलिया ने कहा.
अवनी ने आलिया के माथे को चूमा और बोली, “गॉड ब्लेस्स यू. हमेशा खुश रहना. किसी बात की चिंता मत करना.”
अवनी ने राज की तरफ देखा और बोली, “आप भी अपना और आलिया दोनो का ख़याल रखना.”
“बिल्कुल आपका हुकुम सर आँखो पर.” राज ने हंसते हुवे कहा.
अवनी चल पड़ी दोनो को वही छोड कर. राज और आलिया दोनो उसे जाते हुवे देखते रहे.
अवनी और आलिया की ये मुलाक़ात और उनकी वो बातें किसी चमत्कार से कम नही थी. कई बार चमत्कार हमें वहा देखने को मिलता है जहा पर उसकी उम्मीद तक नही होती. अवनी चली गयी थी एयर पोर्ट के अंदर. मगर जाते जाते आलिया और राज के लिए एक सुकून भरी जींदगी छोड गयी थी. वो दोनो अब बिना गिल्ट के साथ रह सकते थे. अवनी ने ना बल्कि दोनो को माफ़ किया था बल्कि खुले दिल से दोनो के प्यार को स्वीकार भी किया था. ये किसी चमत्कार से कम नही था.
जींदगी में जब तूफान आता है तो इंसान का सुख चैन सब कुछ छीन कर ले जाता है. मगर तूफान हमेशा नही रहता. तूफान के बाद शांति भी आती है.
अवनी के जाने के बाद आलिया और राज कुछ देर तक एक दूसरे की तरफ देखते रहे. दोनो की आँखो में सुकून था और चेहरे पर शांति के भाव थे. तूफान के थमने के बाद अक्सर इंसान को एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है. कुछ ऐसा ही आलिया और राज के साथ हो रहा था.
“चले होटेल वापिस…मेरे होन्ट बेचैन हो रहे हैं.”
“क्या मतलब?” आलिया ने हैरानी में पूछा.
“हमारी पहली किस कितनी प्यारी थी ना. खो गये थे हम एक दूसरे में.” राज ने मुस्कुराते हुवे कहा.
“प्लीज़ ऐसी बाते मत करो वरना तुम्हारे साथ होटेल जाना मुश्किल हो जाएगा.” आलिया शर्मा गयी किस की बात पर. उसके चेहरे पर उभर आई शरम की लाली देखते ही बनती थी.
“कितनी देर तक किस की थी हमने. तुम्हारे होन्ट तो अंगरों की तरह तप रहे थे. तुम्हारे होंटो की तपिस से मेरे होन्ट झुलस गये हैं क्या तुम्हे खबर भी है.”
“प्लीज़ राज और कुछ मत कहो मैं सुन नही पाउंगी.” आलिया ने अपने सीने पर हाथ रख कर कहा.
“ये नया रूप देखा तुम्हारा जो की बहुत सुंदर है. मुझे नही पता था कि मुझे गमले और हॉकी से मारने वाली शर्मा भी सकती है.” राज ने आलिया को कोहनी मार कर कहा.
“राज अब बस भी करो.”
“ठीक है…मैं टॅक्सी बुलाता हूँ. डिनर होटेल में ही करेंगे.”
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राज ने एक टॅक्सी रोकी और दोनो उसमें बैठ कर होटेल की तरफ चल दिए. रास्ते भर आलिया गुमसूम रही. कभी-कभी राज की तरफ देख कर हल्का सा मुस्कुरा देती थी. मगर ज़्यादातर वो चुपचाप और खोई-खोई सी रही. राज जान गया था की कोई बात आलिया को परेशान कर रही है. पर उसने टॅक्सी में कुछ पूछना सही नही समझा. उसने तैय किया की वो होटेल जा कर ही आलिया से बात करेगा.
प्यार में एक दूसरे के चेहरे पर हल्की सी शिकन भी बर्दाश्त नही कर पाते प्रेमी. यही वो चीज़ है जो रिश्ते में और ज़्यादा गहराई और सुंदरता लाती है. एक दूसरे की चिंता और फिकर ही वो इंसानी जज़्बा है जो प्रेमी जोड़ो में कूट-कूट कर भरा होता है.
होटेल के रूम में घुसते ही राज ने आलिया का हाथ पकड़ लिया और बोला, “तुम कुछ परेशान सी हो जान. बात क्या है?. क्या मुझसे कोई भूल हो गयी है.”
“नही राज तुमसे कोई भूल नही हुई है. बस वक्त ही कुछ अज़ीब है.” आलिया ने कहा.
“मैं कुछ समझा नही जान…खुल कर बताओ ना क्या बात है.”
“राज…मैं शादी किए बिना वापिस अपने घर नही जाना चाहती. लोगो की नज़रो का सामना और नही कर सकती मैं. ऐसा लगता है जैसे की मैं कोई गुनहगार हूँ.”
“अरे अब तो सब सॉल्व हो गया. शादी में ज़्यादा देरी नही होगी. मैं गुजरात पहुँचते ही किसी वकील से मिल कर कोर्ट में अप्लिकेशन लगवाऊंगा.”
“कोर्ट के फ़ैसले कितनी जल्दी आते हैं ये तुम भी जानते हो और मैं भी. जब तक ये क़ानूनी अड़चन दूर नही होगी हमारी शादी नही हो सकती. तब तक अपने ही घर में रहना मेरे लिए मुश्किल रहेगा. तुम नही जानते मैं कैसे लोगो की नज़रो का सामना करती हूँ. एक तो मेरा अधर्मी होना ही गुनाह है उपर से लड़की हूँ…लोगो की नज़रो में नफ़रत और गली होती है मेरे लिए. तुम ही बताओ कैसे वापिस जाऊंगी मैं वहा.” आलिया सूबक पड़ी बोलते-बोलते.
“समझ सकता हूँ जान. तुम्हारे किसी भी दर्द से अंजान नही हूँ मैं. जो बात तुम्हे दुख पहुँचाती है वो मेरे तन बदन में भी हलचल मचा देती है. तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा.”
“पर सब ठीक होने तक मैं कैसे रह पाउंगी तुम्हारे साथ.”
“तो क्या मुझे छोड कर जाना चाहती हो कही.”
“नही ऐसा तो मैं सपने में भी नही सोच सकती. रहूंगी तुम्हारे साथ ही चाहे कुछ हो जाए.”
“इस दुनिया की चिंता करेंगे तो जीना मुश्किल हो जाएगा. छोडो इन बातों को. मैं दिल्ली जा कर आउट ऑफ कोर्ट सेटल्मेंट की बात करूँगा अवनी के घर वालो से. शायद बात बन जाए. अवनी तो हमारे साथ है ही.”
“हां कुछ ऐसा करो की हम जल्द से जल्द शादी के बंधन में बँध जायें.”
“मैं तुम्हे तुम्हारे अब्दुल चाचा के यहा छोड कर दिल्ली चला जाऊंगा.”
“अकेले तो तुम्हे कही नही जाने दूँगी मैं. चाहे कुछ हो जाए.”
“अच्छा बाबा तुम भी साथ चलना.”
“वो तो चलूंगी ही.”
“अरे यार हमने ये सब पहले क्यों नही सोचा. हम अवनी के साथ ही दिल्ली जा सकते थे. चलो कोई बात नही कल चल देंगे हम दिल्ली. सही कहा तुमने ये मामला कोर्ट में अटक गया तो हमारी शादी अटक जाएगी...कोर्ट के बिना ही ये मसला हल करना होगा. अब जबकि अवनी हमारे साथ है तो कोई ज़्यादा दिक्कत नही होनी चाहिए.”
आलिया हल्का सा मुस्कुराई मगर अगले ही पल उसके चेहरे पर फिर से शिकन उभर आई.
“अब क्या हुवा जान. कोई और बात भी है क्या जो तुम्हे परेशान कर रही है.”
“नही और कुछ नही है चलो खाना खाते हैं.”
“नही कुछ तो है. तुम्हारे चेहरे पर ये शिकन इशारा कर रहा है कि कुछ और बात भी है जो की तुम्हे अंदर ही अंदर खाए जा रही है.”
“नही तुम्हे दुख होगा रहने दो.”
“बोलो ना क्या बात है जान. इस प्यारे रिश्ते में अब कोई भी बात पर्दे के पीछे नही रहनी चाहिए. बोलो ना प्लीज़ क्या बात है?”
“हमारे बीच शादी से पहले ही सेक्स शुरू हो गया. मेरे अम्मी-अब्बा ज़िंदा होते आज अगर और उन्हे इस बारे में पता चलता तो वो मुझे जान से मार देते.” आलिया नज़रे झुका कर बोली.
“क्या कहा तुमने सेक्स शुरू हो गया हाहहहाहा….. इस से ज़्यादा लोटपोट कर देने वाला चुटकुला नही सुना मैने कभी. अरे पागल हमने भावनाओं में बह कर बस किस ही तो की है एक दूसरे को. वो किस सेक्स के दायरे में नही आती.”
“तुम्हे क्या मैं बेवकूफ़ लगती हूँ या फिर तुम्हे ये लगता है कि मेरा दिमाग़ खिसका हुवा है. मेरे मज़हब ने मुझे शादी से पहले किसी बात की इज़ाज़त नही दी. किस तो बहुत बड़ी बात होती है.”
“हां मानता हूँ जान. शादी से पहले सेक्स में उतर जाना ग़लत है. पर हमारी किस पवित्र थी. उस पर कोई इल्ज़ाम बर्दाश्त नही करूँगा मैं.”
“सॉरी राज मेरी परवरिश ऐसे माहोल में हुई है जहा शादी से पहले सेक्स से जुड़ी हर चीज़ को ग्लानि से देखा जाता है.” आलिया ने कहा.
“तो क्या तुम हमारी किस को अब ग्लानि से देख रही हो?”
“नही मैं ये पाप भी नही कर सकती क्योंकि इस प्यार में वो अब तक का सबसे हसीन पल था मेरे लिए. ऐसा लग रहा था जैसे मैं तुम्हारे बाहुत करीब पहुँच गयी हूँ.”
“और क्या तुमने एक बात नोट की.”
“कौन सी बात.”
“तुमने कहा था कि मुझे चुंबन लेना नही आता मगर तुम्हारे होन्ट तो खूबसूरत चुंबन की एक दास्तान लिख रहे थे मेरे होंटो पर.”
आलिया का चेहरा लाल हो गया ये सुन कर. वो कुछ देर खामोश रही. फिर अचानक नज़रे राज के कदमो पर टिका कर बोली, “हमने कुछ ग़लत तो नही किया ना राज.”
“मैं तो इतना जानता हूँ आलिया कि प्यार भगवान है. अगर इस प्यार में बह कर हम कुछ कर बैठे तो वो हरगिज़ ग़लत नही हो सकता. बल्कि मैं तो बहुत खुश हूँ उस चुंबन के बाद. रह रह कर मेरे होंटो पर मुझे अभी तक तुम्हारे होंटो की छुवन महसूस हो रही है. बहुत प्यारा अहसास मिला है जींदगी में ये.”
“अच्छा खाना मॅंगा लो. भूक लग रही है.”
“एक बात तो तुम्हे बतानी ही पड़ेगी. चुंबन लेना कहा से सीखा तुमने.”
“हटो…मैं इस बात को लेकर परेशान हूँ और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.”
“उस वक्त तो तरह-तरह से मेरे होंटो से खेल रही थी अब परेशान हो रही हो हहेहहे. मेरी आलिया गिरगिट की तरह रंग बदलती है.”
“राज अब तुम्हारी खैर नही…” आलिया ने कहा. प्यार भरा गुस्सा था उसकी आवाज़ में.
राज भाग कर टॉयलेट में घुस्स गया और कुण्डी लगा ली.
“निकलो बाहर. तुम्हारी जान ले लूँगी मैं आज.”
“उस से पहले खाना खिला दो मुझे. खाने का ऑर्डर कर दो. मैं नहा कर ही निकलूंगा बाहर अब हाहहाहा.”
आलिया पाँव पटक कर रह गयी.
प्यार हमें हर तरह के रंग दीखता है. लड़ाता भी है, हँसाता भी है, रुलाता भी है और कभी-कभी प्यारी सी नोक झोंक पैदा कर देता है रिश्ते में. प्यार का हर रंग अनमोल और अद्विद्या है. चुंबन का भी अपना ही महत्व है. चुंबन तो बस एक बहाना है प्यार का मकसद हमें ऐसी जगह ले जाना है जहा हम बस एक दूसरे में खो जायें. क्योंकि प्यार एक दूसरे में खो कर ही होता है…अपने आप में होश में रह कर नही………
राज नहा कर चुपचाप दबे पाँव बाहर निकला वॉशरूम से. आलिया बिस्तर पर आँखे बंद किए पड़ी थी.
“खाने का ऑर्डर कर दिया क्या?”
“हां कर दिया…आता ही होगा?” आलिया ने कहा.
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राज आलिया के पास आकर बैठ गया और बोला, “क्या हुवा फिर से चेहरे पर १२ बजा रखे हैं…अब कौन सी नयी समस्या है तुम्हारी.”
“कुछ नही…बस सोच रही थी की अवनी के घर वाले मान तो जाएँगे ना.”
“बातचीत करने से हर मसला हाल हो जाता है जरीना. हम एक कोशिश करेंगे बाकी भगवान की मर्ज़ी.”
“राज तुम मुझे चिढ़ा क्यों रहे थे…तुम्हे शरम नही आती ऐसा बोलते हुवे. मैं तुमसे नाराज़ हूँ.”
“उफ्फ अभी तक नाराज़ हो. जाओ नहा कर आओ फटाफट… दीमाग ठंडा हो जाएगा. और किसी बात की चिंता मत करो सब ठीक होगा.” राज ने कहा.

अगली सुबह राज और आलिया मुंबई एयर पोर्ट के लिए निकल पड़े. दोपहर १२ बजे वो दिल्ली में थे. अवनी कारोल बाग में रहती थी. उन्होने कारोल बाग में ही एक होटेल में रूम ले लिया.
कुछ घंटे रेस्ट करने के बाद आलिया को होटेल में ही छोड कर राज अवनी के घर आ गया. अवनी घर में सब कुछ बता चुकी थी इसलिये राज का कोई ख़ास स्वागत नही हुवा.
“तो तुम अब जले पर नमक छिड़कने आए हो” अवनी के पापा ने कहा. अवनी एक तरफ खड़ी सब सुन रही थी.
“जी नही मैं माफी माँगने आया हूँ. आप मुझे माफ़ कर दीजिए. अवनी ने आपको सब कुछ बता ही दिया है. हम सभी के लिए यही अच्छा है कि हम बैठ कर आपस में ही इसका हल निकाल लें. कोर्ट जाने से हमारा वक्त ही बर्बाद होगा. मानता हूँ मेरा स्वार्थ है इसमें पर इसमें आप लोगो का भी भला ही है”
अवनी के पापा कुछ बोले बिना उठ कर चले गये. अवनी ने राज को इशारा किया मैं समझाती हूँ इन्हे तुम चिंता मत करो.
राज चुपचाप वही बैठा रहा. कोई एक घंटे बाद अवनी अवनी कमरे में दाखिल हुई.
“आप अभी जाओ…कल इसी वक्त आ जाना तब तक मैं पापा को मना लूँगी. वो मेरी बात नही टालेंगे.”
“ठीक है अवनी…सॉरी तुम लोगो को डिस्टर्ब करने के लिए पर मेरे पास कोई चारा नही था. ये मामला कोर्ट में पता नही कब तक लटका रहेगा. तुम तो लॉ स्टूडेंट हो ये बात बखूबी समझ सकती हो.”
“हां मैं समझ रही हूँ. पापा भी समझ जाएँगे. कल से आगे नही जाएगी बात.”
“थॅंक यू अवनी…चलता हूँ मैं.”
“आलिया कहा है?”
“साथ ही आई है. होटेल में छोड कर आया हूँ. वो अकेले मुझे कही जाने ही नही देती.”
“ये तो अच्छी बात है ना. उसे दिल्ली घूमाओ आप आज. कल आएँगे तो निराश नही जाएँगे यहा से.”
“जानता हूँ. आपके होते हुवे निराशा हो ही नही सकती. चलता हूँ मैं.” राज घर से बाहर निकल आया.
अगले दिन जब राज अवनी के घर पहुँचा तो अवनी के पापा ने उसे देख कर गहरी साँस ली और बोले, “ठीक है मैं कुछ लोगो को बुलाता हूँ. आज ही ये किस्सा निपटा देते हैं. और ये मैं तुम्हारे लिए नही बल्कि अपनी बेटी के लिए कर रहा हूँ. इसका भी इस बंधन से आज़ाद होना ज़रूरी है ताकि हम इसका घर बसाने की सोच सकें तुमने तो उजाड़ने में कोई कसर नही छोडी.”
राज ने चुप रहना ही सही समझा.जब आप मूह तक पानी में डूबे हों तो मूह बंद ही रखना चाहिए वरना दिक्कतें और ज़्यादा बढ़ सकती हैं. राज ये बात बखूबी समझ रहा था.
कुछ लोग इकट्ठा हुवे उस घर में और स्टॅम्प पेपर पर राज और अवनी को वैवाहिक संबंध से आज़ाद कर दिया. स्टॅम्प पेपर की एक कॉपी अवनी के पापा ने रख ली और एक राज को थमा दी.
राज अपनी खुशी छुपा नही पाया और अवनी के पापा के पाँव छू लिए आगे बढ़ कर, “ये अहसान मैं जींदगी भर नही भूलूंगा.”
“हम भी तुम्हे जींदगी भर नही भूलेंगे.”
राज को अवनी कही दीखाई नही दे रही थी. वो उसे बाइ करना चाहता था जाने से पहले. उसने अवनी के बारे में पूछना सही नही समझा क्योंकि माहोल गरम था. वो स्टॅम्प पेपर को लेकर चुपचाप बाहर आ गया.
बाहर आकर उसने पीछे मूड कर देखा तो पाया की अवनी छत पर खड़ी थी. जैसे ही दोनो की नज़रे टकराई अवनी ने हंसते हुवे हाथ हिला कर अलविदा कहा.
राज की आँखे नम हो गयी अवनी को देख कर. “मुझे माफ़ करना अवनी. तुम्हारे सच्चे प्यार को ठुकरा दिया मैने. लेकिन कोई चारा नही था अवनी. मेरे रोम-रोम में आलिया बस चुकी है. मैं चाहूं तो भी खुद को आलिया से जुदा नही कर सकता क्योंकि मर जाऊंगा उस से जुदा होते ही. यही दुवा करता हूँ की हमेशा खुश रहो तुम. जींदगी में कोई भी गम या दुख तुम्हारे पास भी ना भटक पाए. हे भगवान अवनी को हमेशा खुश रखना.”
राज आँखो में नमी लिए आगे बढ़ गया. होटेल तक पहुँचते-पहुँचते आँखो की नमी सूख चुकी थी और धीरे-धीरे उनमें एक अद्भुत चमक उभरने लगी थी. अब राज और आलिया की शादी में कोई रुकावट नही थी. राज ये बात सोच-सोच कर झूम रहा था. पाँव ज़मीन पर नही टिक रहे थे उसके.राज होटेल की तरफ बढ़ते हुवे ये गीत गुनगुना रहा था
राज ने जब होटेल के कमरे की बेल बजाई. आलिया ने भाग कर दरवाजा खोला.
“क्या हुवा राज?”
“तुम्हे क्या लगता है…”
“जल्दी बताओ ना प्लीज़…मेरी साँसे अटकी हुई हैं जान-ने के लिए.”
राज ने जेब से निकाल कर स्टॅम्प पेपर दिखाया और बोला, “अब हमारी शादी में कोई रुकावट नही है जान. हम जब जी चाहे शादी कर सकते हैं.”
“सच!” आलिया उछल पड़ी ये बात सुन कर.
“हां अब तुम जी भर कर खेलना मेरे होंटो से…जितना जी चाहे उतना झुलसा देना इन्हे अपने अंगरो से. मैं उफ्फ तक नही करूँगा. तुम्हारी किस का कोई जवाब नही.”
“राज तुम मार खाओगे अब मुझसे.”
“अपने होने वाले पति को मारोगी तुम.”
“पागल हो क्या…मज़ाक कर रही हूँ.”
“पता है मुझे…अब ये बताओ कब बनोगी मेरी दुल्हनिया.”
“आज, अभी…इसी वक्त…बनाओगे क्या बोलो.”
“खुशी-खुशी……बस एक बात बात बताओ धर्मी रीति रिवाज से शादी करना चाहोगी या फिर अधर्मी रीति रिवाज से.”
“उस से कुछ फरक पड़ेगा क्या?”
“बिल्कुल भी नही?”
“फिर क्यों पूछ रहे हो.”
“यू ही तुम्हारा व्यू लेना चाहता था इस बारे में.”
“मेरा कोई व्यू नही है इस बारे में सच कह रही हूँ मैं. तुम मुझे जैसे चाहो अपनी दुल्हन बना लो. वैसे तुम्हारे भगवान के मंदिर में शादी करना चाहती हूँ मैं तुमसे. तुम मुझे एक साल बाद मंदिर में ही तो मिले थे.”
“पक्का…”
“हां पक्का.”
“ठीक है फिर. हम दिल्ली से ही शादी करके चलते हैं. तुम अब अपने घर में मेरी दुल्हन बन कर ही प्रवेश करोगी.”
“आज जाकर दिल को सुकून मिला है. अल्लाह अब कोई और मुसीबत ना डाले हमारी शादी में.”
“कोई मुसीबत नही आएगी. बी पॉज़िटिव. जींदगी में उतार चढ़ाव तो चलते रहते हैं. तुम्हारी मौसी को भी बुला लेंगे हम.”
“नही…नही मौसी को मत बुलाओ. किसी को वहा भनक भी लग गयी तो तूफान मचा देंगे लोग. तुम नही जानते उन्हे. जीतने कम लोग हों उतना अच्छा है.”
“ह्म्म बात तो सही कह रही हो.”
“जान बस और इंतजार नही होता मुझसे. मैं अभी सब इंतजाम करके आता हूँ. हम कल सुबह शादी कर लेंगे”
“हां राज बस अब और नही. मुझे मेरा हक़ दे दो ताकि दुनिया के सामने सर उठा कर जी सकूँ.”
राज निकल तो दिया होटेल से शादी का इंतजाम करने के लिए पर उसे इस काम में बहुत भाग दौड़ करनी पड़ी. मंदिरों के पुजारी तैयार ही नही थे शादी करवाने के लिए.राज दरअसल हर जगह आलिया का नाम ले कर ग़लती कर रहा था. आलिया का नाम सुनते ही पुजारी मना कर देते थे. लेकिन दुनिया में हर तरह के लोग रहते हैं. एक जगह पुजारी ना बल्कि तैयार हुवा शादी करवाने को बल्कि बहुत खुश भी हुवा धर्मी-अधर्मी का ये प्यार देख कर.
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