Incest रुतबा या वारिस

Post Reply
vnraj
Novice User
Posts: 323
Joined: 01 Aug 2016 21:16

Re: Incest रुतबा या वारिस

Post by vnraj »

मस्त जबरदस्त 😆 (^^d^-1$s7)
Raone
Rookie
Posts: 99
Joined: 01 Feb 2020 11:55

Re: Incest रुतबा या वारिस

Post by Raone »

सुबह हुई माँ चाय लेकर मुझे जगा रही थी,

माँ-- राज उठ जा, चाय पि, और आज तेरी बुआ के पास जाने को बोल रहे है तेरे पापा,
आज तेरे दादा की पुण्यतिथि भी है तेरी दादी का भी ध्यान रखना है जल्दी चल,
मै-- जल्दबाजी के चक्कर मे तो रात को माया को पता चल जाता,
माँ-- क्या हुआ राज डरती हुई
मैने माँ को वीर्य वाली सारी बात बताई,
माँ-- माया को तो नही पता चला, आगे से ध्यान रखना होगा राज, जब कोई नही होगा तब ही करेंगे, वैसे रात को मुझे बहुत अच्छी नींद आई,
चल हम भी तैयार होते है तुम भी तैयार हो जाओ,
मै माँ और पापा तैयार होकर बुआ के पास चले गये,...
बुआ और दादी ने पापा को साथ देख खुश होती हुई
बुआ-- भैया आपको यहा देखकर दिल खुश हो गया,
पापा-- रमा सब राज का कमाल है, भगवान ने हमारी सहायता के लिए इसको यहा भेजा है,
मै बुआ और दादी को मस्त नजरो से देख रहा,
तभी माँ दादी से माँ जी आज ससुर जी की पुण्यतिथि है हम उनको याद करते है और हर दम आपके साथ है, इतना सुनते ही दादी ने माँ को जोर से रोती हुई माँ को गले लगा लिया,
दोनो की चुन्चिया आपस मे मिल गयी,
दादी ने पहली बार माँ को गले लगाया था आज
सब देख कर खुश थे की आज सास बहू एक जगह हो गयी,
माँ ने पापा के पास गयी और उनका हालचाल पूछा, तभी मेरे सामने दादी आई,,
दादी-- क्यु बेटा अपनी दादी को भूल गया क्या
मै-- नही दादी आपको कैसे भूल सकता हु, आप ही तो सब कुछ हो, कहते हुए दादी को गले लगा लिया,
बुआ-- चलो अंदर चलो खाना खाते है,
हम सब अंदर आ गये,, अंदर शाम तक बाते करते रहे तभी
माँ-- ठीक है रमा अब हम चलते है घर पर
बुआ-- नहीं भाभी, आज आज रुक जाओ कल चले जाना,
दादी-- नही रमा आज जाना है मुझे तेरे पापा की यादे है उस घर मे,
बुआ-- ठीक है माँ एक काम करो, आप और राज दोनो चले जाओ, भैया और भाभी कल आ जायेंगे,
दादी आज उदास सी थी,
दादी-- ठीक है बेटा चल हम चलते हैं
मै मन ही मन मे खुश हुआ, आज दादी और मै अकेले होंगे आज दादी की चूत का स्वाद लूंगा,
माँ-- मेरी तरफ देखती हुई, बेटा राज अपनी दादी का ख्याल रखना,
मै-- हा माँ मै दादी का अच्छे से ख्याल रखूँगा
मै और दादी गाड़ी मे बैठ घर आ जाते है, दादी गाड़ी मे भी उदास लग रही थी कुछ नही बोल रही थी,
दादी अपने कमरे मे चली गयी, माया आई भैया खाना तैयार है आप दोनो खा लो,
मै दादी के पास कमरे मे गया दादी आओ खाना खाते है,
दादी बेड पर उदास सी बैठी हुई, नही बेटा मुझे भूख नही है तुम खा लो,
मै दादी के पास गया, दादी क्या हुआ इतनी उदास क्यु हो,
दादी-- बेटा आज तेरे दादा की पुण्यतिथि है आज उनकी बहुत याद आ रही है,
मै-- दादी पहले खाना खाओ फिर हम बैठकर बात करते है
दादी-- तुम खा लो बेटा,
मै-- दादी का हाथ पकड़ कर, नही आपको मेरे साथ खाना है, अगर आप खाना नही खाओगी तो दादा जी को भी अच्छा नही लगेगा, चलो आओ
दादी मेरी तरफ देखती हुई चल बेटा तु नही मानेगा
मै-- मेरी दादी को भूखी कैसे रहने दु, बताओ,
दादी थोड़ी सी हस्ती हुई झूठा कही का, इतने दिन तो याद भी नही किया
मै-- दादी बहुत याद आई आपकी लेकिन पापा के ईलाज मे व्यस्त था,
मै दादी दोनो खा लेते है दादी अपने कमरे मे चली जाती है
माया-- भैया हुक्का लगा दु क्या,
मै-- नही दीदी आज दादी उदास है उनको खुश करता हु हसी मज़ाक से,
एक काम करो तुम जाओ आराम करो
माया चली जाती है मै दादी के पास कमरे मै आता हु,
दादी खड़ी हुई दीवार पर लगी दादा की फोटो को देख रही थी,
मैने अपनी पेंट निकाल लुंगी पहन ली,
मै-- दादी दादा को देख रही हो, दादी की नज़र फोटो पर थी
मैने आज सोच लिया था की आज दादी को चोद कर ही मानुगा,,
दादी-- बेटा तेरे दादा बहुत अच्छे थे, मुझे बहुत प्यार करते थे, लेकिन मुझे अकेला छोड़ कर चले गये, दादी की आवाज मे भारीपन आने लगा,
मैने दादी को पीछे से पकड़ अपने दोनो हाथ दादी के पेट से पकड़,
मै-- दादी ऐसा मत कहो, आप अकेली कैसे है, मै हु ना आपके साथ,
दादी-- हा मेरे लाल तु ही तो अब सहारा है मेरा, तु भी अपने दादा की तरह ही है जो मेरी इतनी परवाह करता है
मै दादी के पीछे एकदम चिपक गया,
दादी--- बेटा तेरे दादा मुझे बहुत प्यार करते थे, हमेशा मेरे साथ ही रहते,
मैने दादी का पेट सहलाना शुरु कर दिया, और अपना लंड को दादी के बड़े बड़े चुतडो की खाई मे लगा दिया,
मै-- दादी मै भी तो प्यार करता हु आपसे,
दादी-- हा मेरे लाल, लेकिन उनका प्यार अलग था तु तो बेटा है
मै-- तो क्या हुआ दादी, चलो आज से मै भी दादा वाला प्यार करूँगा,
मै दादी को चोदने की कह रहा था,
दादी के चुतडो मे लंड खडा हो गया पूरा,
और मै पूरा जोर से चिपक रहा, दादी भी मेरे लंड को खूब जानती थी, लेकिन दादी आराम से खड़ी थी,
दादी पीछे मुड़ी और मेरी तरफ देखती हुई बड़ा आया दादा का प्यार देने, चल सोते है, मेरा लंड लुंगी मै खडा तम्बू बना रखा था, मै और दादी बेड पर लेट गये और कंबल ओढ़ ली,
लेकिन मुझे कहा नींद आ रही थी, मैने तो दादी को चोदने का प्लान बना रखा था,
दादी ब्लाउस और पेटिकोट मे लेटी थी सीधी,
उनकी पहाड़ जैसी चुन्चिया ब्लाउस को उपर कर रही थी,
दादी-- बेटा तुझे मैने बहुत याद किया, तेरे बिना तो मै अकेली सी हो गयी थी,
और तो मुझ बुढी औरत से बात कोन करेगा, बस तु ही करता था,
वैसे बेटा तूने सीता को भी अच्छे से समझाया है, पूरी ही बदल गयी वो तो,
मै-- दादी किसने कहा आप बुढी हो, आप तो अभी बहुत जवान हो, आप तो पापा की माँ नही बहन जैसे दिखती हो,
दादी आपने अच्छा खान पान किया है
दादी-- हा बेटा तेरे दादा मेरा बहुत ध्यान रखते थे,
मै-- तभी तो अब तक जवान हो,
दादी-- तुझे बड़ी जवान लगी,
मै-- दादी मैने तो आपको देखा है इसलिए बता रहा हूँ
दादी-- अच्छा दादी को तभी जवान बता रहा है
चल सोजा अब, दादी अपना चेहरा मेरी तरफ कर लेट गयी
कुछ देर मै दादी की तरफ देखता रहा और एकदम पास आकर दादी की टांग पर मैने अपनी एक टांग रख रख दी और अपना मुंह दादी के ब्लाउस के पास ले जाके और हाथ दादी की कमर पर रख दिया,
दादी वैसे पहले कई बार मेरे साथ ऐसे सोई थी ,
मेरी आँखों के सामने दादी का ब्लाउस सांस के साथ उपर नीचे हो रहा था, और थोड़ी सी चुन्चि की घाटी भी दिख रही,
दादी -- बेटा आज सर्दी बहुत है शायद, मुझे तो बहुत ठण्ड लग रही हैं
मै-- हा दादी आज कुछ ज्यादा ही है दादी सरक कर पूरी मेरे से चिपक गयी, और अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया, मेरे चेहरे से ब्लाउस एक दम पास हो गया था, मेरी साँसे गर्म होने लगी जो सीधी चुन्चियो की घाटी पर लग रही थी,
मैने अपने हाथ से दादी की कमर पर जोर देकर मै और पास हो गया जिससे मेरा मुंह सीधा चुन्चियो की घाटी पर लगा, दादी की कोमल चुन्चियो को मैने होठों से छु लिया, और अपनी टांग को दादी की मासल जांघो पर चडा दिया, मेरा खड़ा लंड लुंगी मे फड़ फड़ा रहा था,
मैने दादी की कमर से हाथ हटा अपनी लुंगी को खोल लंड को आजाद कर दिया, लंड का टोपा सीधा दादी के पेट पर लगा,
दादी-- समझ गयी थी lakin,
दादी-- क्या हुआ बेटा नींद नही आ रही क्या,
मै-- दादी कई दिन हो गये ऐसे सोये हुए, आज कपड़े खोल कर सोना चाहता हु
दादी-- लुंगी खोल तो दी है तुमने
मै-- दादी आपको कैसे पता चला
दादी-- देख मेरे पेट से लग रहा है तेरा
कोई नही सोजा बेटा,
दादी ने करवट लेली और मेरी तरफ पीठ कर दी,
मैने फिर से दादी के चिपक अपना हाथ पेट पर डाल दिया, और लंड अब जो की दादी के चुतडो की खाई पर लगा पड़ा था, मेरी गर्म साँसे दादी की गर्दन से लग रही थी,
मैने धीरे धीरे अपना हाथ दादी के पेट पर घुमान शुरु कर दिया, दादी आँख बंद किये लेटी थी
तभी मैने अपनी एक उंगली दादी की नाभि मे लगा दी,
दादी अचानक से पीछे हुई और मेरे से पूरी तरह टच हो गयी,
मैने दादी की नाभि मै उंगली घुमाने लगा, दादी की साँसे तेज होने लगी, मै समझ गया दादी गर्म हो रही है
दादी-- बेटा नींद नही आ रही क्या, तु अभी तक ऐसे सोना भुला नही क्या,
मै-- दादी आपके साथ होता हु तो अपने आप ही नींद उड़ जाती है
कहते हुए मैने लंड पर जोर देकर चुतडो की खाई मे लगाने लगा,
दादी-- वो तो दिख रहा है तभी तूने अपना लंड खडा कर रखा है
मै-- दादी आपके साथ सोता हु तो खडा हो ही जाता है
दादी-- ठीक है खडा रख, मुझे तो सोने दे,
कहती हुई फिर आँखों को बंद कर लिया,
मै कुछ देर तक दादी की नाभि मे उंगली करता रहा
तभी मैने अपना हाथ नीचे कर धीरे से पेटिकोट के नाड़े की गांठ खोल दी,
दादी चुपचाप लेटी रही , मै एक हाथ से पेटिकोट को धीरे धीरे नीचे करने लगा,
उपर की कमर से तो हो रहा, मैने उपर से तो पेटिकोट नीचे कर एक चुतड को नंगा कर दिया था,लेकिन नीचे वाली कमर से पेटिकोट दबा पड़ा था तभी दादी ने मेरी तरफ करवट ली, मेरा काम आसान हो गया, नीचे वाली साइड अब उपर हो गयी थी, मैने पेटिकोट पकड़ नीचे किया और घुटनों तक लाकर छोड़ दिया, दादी पैंटी मे थी नीचे से, दादी की साँसे तेज थी, मेरा लंड सीधा दादी की पैंटी से लग रहा था, तभी मैने अपना एक हाथ दादी के बड़े चुतड पर रख दिया,
रुतबा या वारिस.. Running
Raone
Rookie
Posts: 99
Joined: 01 Feb 2020 11:55

Re: Incest रुतबा या वारिस

Post by Raone »

मैने अपने लंड को दादी की जांघो के बीच डाल पैंटी के उपर से फँसा दिया, मेरा एक हाथ दादी के चुतड को दबाने लगा,
दादी मेरे गर्म लंड से गर्म होने लगी,
मैने अपना मुह दादी की घाटियों पर लगा किस करने लगा धीरे धीरे,
दादी की साँसे तेज हो चली, दादी की चुन्चियो का स्पर्श से मेरे लंड मे उबाल आना शुरु हो गया, मै अपनी कमर हिलाने लगा जिससे दादी की चूत पर रगड़ होने लगी,
मैने अपना मुंह दादी की चुन्चियो की घाटी पर लगा उनको होठो से चुम रहा था,
फिर मैने अपना हाथ चुतड से हटा दादी के ब्लाउस पर रख दिया, दादी थोड़ी सी हिली और अपनी कमर को आगे कर चूत को लंड पर दबाने लगी,
दादी नींद का बहाना कर सब मज़ा ले रही थी,
मैने अपने हाथ से दादी का ब्लाउस के बटन खोलने लगा, थोड़ी ही देर मे पूरा ब्लाउस के बटन खोल दिये,
दादी की ब्रा मे बड़ी बड़ी चुन्चियो का नज़ारा बड़ा ही मस्त था, मैने जल्दी से अपना चेहरा दोनो चुन्चो के बीच लगा दिया,
दादी अचानक से हिली और बोली, क्या कर रहा है बेटा,
दादी मेरे साथ पहले खुल चुकी थी पूरी,
मै-- दादी कुछ नही, दादी आपको दूध आता है क्या,
दादी-- नही रे पागल, अब दूध नही आता, पहले तो बताया था,
मैने अपना हाथ ब्रा के उपर से ही एक चुन्ची को पकड़ दबा दिया,
दादी आह..... सी...
क्या कर रहा है लाल
मै-- दादी आपके चुन्चै इतने बड़े क्यु है, जब की इनमे तो दूध नही आता बता रही हो,
दादी पूरी गर्म हो गयी थी मेरे हाथ से चुन्चै दबाने से से,,
दादी-- बेटा ये सब जवानी मे हुआ है, अब दूध सुख गया है,
मै- दादी आप झुठ बोल रही हो, कहता हुआ एक साइड से ब्रा को उपर कर दिया, दादी का एक बड़ा सा पहाड जैसे आज़ाद हो गया हो, निकल कर थोडा सा लटकने लगा, गोरी गोरी चुन्ची और उस पर काला सा निप्पल, मानो कश्मीर मे कोई फुल खिला हो,
मैने चुन्ची को हाथ मे ले जोर से मुलायम चुन्ची को दबा दिया,
दादी--- आह... ई..... क्या कर रहा है बेटा,
मै-- दबा कर देख रहा हु क्या पता दूध निकल आये,
दादी-- नही अरे पागल अब नही आयेगा,
मैने अगले ही पल अपना मुंह को चुन्ची के पास ले जाके चुन्ची को मुंह मे ले लिया,
दादी--- आई... ई..... ई........
दादी का हाथ मेरी पीठ पर आ गया और जोर लगा कर मुझे अपने से चिपका लिया,
दादी-- पागल आज क्या हो गया तुझे,
दादी ने चूत को लंड पर दबा रखा था, और चुन्ची मेरे मुंह मे थी,
दादी का निप्पल कड़ा हो गया, और मे उसको मस्ती से चुस रहा था,
दादी की साँसे तेज हो गयी,, आह.. बेटा.. सी....
क्यु अपनी दादी को परेशान कर रहा है,
सी.... अम्म...
मै दादी के चुन्चै को पूरा मुंह खोल चूसने लगा, दादी का हाथ मेरे सर पर आ गया और दादी जोर देकर दाब देने लगी, दादी चूत को लंड पर पूरा जोर देकर दाबने लगी,
और मस्ती से आह.. बेटा.. लगता है तू दूध निकाल कर ही मानेगा,, सी.. ई...
दादी मस्ती सहन नहीं कर सकी, और मेरे लंड पर पूरा जोर दे मेरे सर को जोर से दबा झटके खाने लगी, और झटको के साथ ही दादी का पैसाब निकल गया,
चल... चल्.... की आवाज से गर्म पैसाब पैंटी मे से निकल लंड को भिगो रहा,
दादी-- आह,, गई.. ई... रे..... कहती हुई झड़ने लगी
मेरे लंड और पेर दादी के पैसाब से गीले हो चुके,
दादी की पकड़ थोड़ी देर मे ढ़ीली हुई,
दादी-- बेटा तू तो मुझे जवानी की याद दिला देता है,,, कई दिनों बाद आज तूने मुझे शांति दी है, देख मेरा पैसाब भी निकल गया,
दादी ने अपनी गीली पैंटी कंबल मे ही निकाल दी
मै-- दादी मुझे भी मस्त होना है मेरा भी पानी निकाल दो ना,
दादी-- बेटा तो निकाल ले ना, देख कैसे खडा कर रखा है जल्दी से निकाल ले और इसको आराम दे,
मै-- हा दादी कई देर से खडा है अब इसका भी पानी निकाल आराम दे देता हु,
दादी मै आपकी चूत पर रगड़ कर पानी निकाल दु क्या,
दादी-- अरी अभी तो रगड़ दिया है, मुझे क्यु सता रहा है,
मै-- दादी आपकी चूत से जल्दी से मेरा पानी निकल जायेगा, इसलिए बोल रहा हु,
दादी-- ठीक है बेटा, आजा जल्दी करले,, वैसे भी कई दिनों बाद निकालेंगा,
दादी को नही पता की की मैने चूत का स्वाद चख लिया है
मै-- हा दादी,, दादी मे आपके पेरो के बीच आता हु, वहा सही से होगा,,
दादी अपने पेरो को खोलते हुए आजा बेटा जल्दी कर,, क्यु की दादी की चूत मे आग लगी हुई थी, वो तो लंड के लिए वैसे भी तड़प रही थी,
मै जैसे ही दादी के पेरो के बीच आया, सामने देखा दादी की काले झांटो मे अपनी पंखुड़ियों को खोले हुए चूत मेरे लंड का इंतज़ार कर रही थी,
दादी-- जल्दी कर लो ना,
मै-- हा दादी लो,,
मैने लंड को पकडा, और लंड का टोपा दादी की चूत की फांकों के बीच लगा गीली और गर्म चूत पर टोपा रगड़ने लगा,
दादी--- आह,, उई..... बेटा तेरा लंड बहुत गर्म है रे,,
जैसे जैसे मै लंड रगड़ता दादी की सिसकियां निकल जाती,
मै-- दादी आप लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ दो ना
दादी पूरी गर्म और मस्ती मे थी ही
दादी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और गीली चूत पर लंड के टोपे को रगड़ने लगी,
मै-- दादी आपने झांट इतने बड़े क्यु कर रखे है काट लिया करो ना,,
दादी लंड की रगड़ से आह,, हाय,, .... बेटा अब जरूरत नही पड़ती,
कितना मोटा कर रखा है तूने मेरे लाल.. सी..... लंड के लिए बोलती हुई
मै-- क्यु दादी, अब क्यु नही पड़ती जरूरत
दादी-- बेटा तेरे दादा थे तब साफ रखती थी अब वो नही है तो कई दिनो से करती हूँ साफ,,
दादी लंड की रगड़ से पागल हो चुकी थी, और तेज साँसों से सिसकारिया ले रही थी, लंड की रगड़ से पक.... पक.. पक ... की आवाज आ रही थी,
दादी की आँखे मस्ती से लाल हो चली थी, मैने अपना कुर्ता उतार दिया, अब मै पूरा नंगा हो गया था,
दादी की चूत और झांटे पूरी तरह से पानी से गीली हो गयी थी,
मैने दादी का हाथ से लंड को छुड़ा खुद पकड़ लंड के टोपे को जल्दी जल्दी रगड़ने लगा,.
दादी मद्होश हो गयी पूरी, हाय... आह.... बेटा...... ओ.......
मैने थोड़ा झुक कर दादी की ब्रा नीचे कर दोनो पहाड जैसे चुन्चियो को बाहर निकाल दिया,,
और एक हाथ से बारी बारी दोनो चुन्चियो को दबाने लगा,,
दादी-- हाय तेरे हाथो मे कैसा जादू है बेटा,, इतना मज़ा तो तेरे दादा भी नही देते थे आह.. दबा बेटा जोर से पूरा रस निकाल दे इनका आह... सी....
दादी पूरी मस्ती से अपने पेरो को और खोल दिया, जिससे उनकी चूत का गुलाबी भाग दिखने लगा,
मैने बिना देर करते हुए चूत के छेद पर लंड को रोक कर थोड़ा सा जोर दिया जिससे दादी की चूत मे टोपा घुस गया और फस गया, लंड मोटा और लम्बा होने के कारण.
दादी.. उई....... मार दिया र... उफ.... ऊ.......
गीली चूत होने के कारण मैने और जोर दिया जिससे आधा लंड दादी की चूत मे उतर गया,
दादी-- लाल.. उफ़.... क्या डाल दिया रे.. मारेगा.. उफ..... सी...........
मेरा आधा लंड दादी की चूत मे फसा पड़ा, दादी की चूत की गर्मी बहुत ज्यादा हो रखी थी, मैने लंड से हाथ हटा मै दादी के उपर झुक गया, और अपना चेहरा दादी के चेहरे के पास ले जाके दादी के होठो पर अपने होठो को रख दिया,,
दादी लंड से पागल हो चुकी थी, उसने मेरे सर को पकड लिया और होठों को चूमने लगी,
मै और दादी आपस मे होठों को खाने लगे, मैने अपनी कमर को ढीला छोड़ दिया,
मेरा लंड घुसता हुआ दादी के बच्चेदानी से लगा, दादी मस्ती मे हो गयी पूरी और मेरे होठो को खाने लगी,
मेरे दोनो दादी की चुन्चियो पर आ गये और उनको जोर जोर से दबाने लगा,
दादी मेरे होठो को इस कदर खा रही थी जैसे किसी शेरनी को कई सालों बाद कोई शिकार मिला हो,,
मैने अपनी कमर को पीछे ले कर फिर से जोर दिया, लंड पीछे होकर फिर से अंदर घुस गया,
दादी मेरे होठों से दूर हो..
हाय..... आह... बेटा........ मस्ती से बोली..
मैने भी अपना चेहरा नीचे कर लिया और दोनो चुन्चियो पर टूट पड़ा,
और अपनी कमर के झटके लगाने शुरु कर दिये,
दादी मेरे सर पर हाथ रख मेरे मुंह से चुन्चियो को चूसवा रही थी,
दादी के पेर मेरी कमर पर आ गये, और मैने दादी की चूत में लंड से चुदाई शुरू कर दी,
चलक्.... चलक्.... चल्....... की आवाज से दादी की चुदाई चल रही थी,
दादी-- आह... मेरे घोड़े..... आह.. फाड़ दिया रे.... आह....
मेरे लंड की चोट दादी के बच्चेदानी पर लग रही थी,
चुदाई मे हम दोनो की झांटे आपस मे मिल रही थी,
दादी की चूत बुरी तरह से पानी पानी हो रही थी.
मैने दादी की चुदाई तेज करनी शुरू कर दी,
अब लंड गिला होने से आराम से दादी की चुदाई कर रहा था, तभी दादी अकड़ने लगी, मै समझ गया अब दादी झड़ने वाली है
दादी ने अपने पेरो को जोर देकर कमर पर लगाने लगी, और मेरे सर को जोर से अपनी चुन्चियो पर दबाने लगी,
दादी की चूत की गर्मी मेरे लंड से अब सहन नही हो रही थी, और मेरे लंड की पिचकारी दादी की बच्चेदानी से लगने लगी,
दादी कई सालों बाद चूत मे गर्म वीर्य पाकर मेरे साथ ही झटके खाकर झड़ने लगी,
दोनो एक दूसरे की बाहों मे कस कर झड़ रहे थे, कुछ देर तक झड़ने के बाद दोनो शांत हुए,
दोनो की साँसे धीमी हो चली,
मैने अपना लंड निकाल एक तरफ लेट गया, लंड के साथ ही दादी की चूत से वीर्य की नदी निकलने लगी,
दादी आज कई सालों बाद चुदाई से खुश थी,
कुछ देर हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे...
आगे.......
रुतबा या वारिस.. Running
Raone
Rookie
Posts: 99
Joined: 01 Feb 2020 11:55

Re: Incest रुतबा या वारिस

Post by Raone »

Image Image Image Image Image Image Image Image Image Image Image Image Image
रुतबा या वारिस.. Running
Raone
Rookie
Posts: 99
Joined: 01 Feb 2020 11:55

Re: Incest रुतबा या वारिस

Post by Raone »

दादी-- बेटा तूने तो मेरी ज़िंदगी में आज खुशिया भर दी, तेरे लंड से मेरी जान ही निकल रही थी, बड़ा ही दमदार है तेरा लंड,,
मै-- दादी आज से ये आपका ही तो है, जब दिल करे बता दिया करो, आपको खुश कर देगा ये लंड,
दादी-- हा बेटा लेकिन समाज मे इस बात का पता नही चले, ये सही है या गलत, पता नही लेकिन तूने मुझे बहुत खुश किया है, तेरा दिल इस बुढी पर कैसे आ गया पता नही,
मै-- अरे दादी आप बुढी कहा हो आपकी चूत मे अभी बहुत गर्मी है
दादी-- बेटा ये तेरे लंड ने आग लगा रखी थी, इतने दिन तो इसकी रगड़ से झड़ती थी, तूने आज इसकी गर्मी शांत की है, मेरी दो बार चूत झड़ी है लाल,,
मै थक गयी हु बेटा, अब तु भी सोजा,
मै-- दादी एक बार और चूत मारने दो ना,
दादी-- नही बेटा अब मेरी हिम्मत नहीं है, तूने थका दिया है देख कितना सारा वीर्य पड़ा है, पूरा घोड़ा है और लंड भी घोड़े जैसे लिया हुआ है,
मै-- दादी आपको बच्चा पैदा हो गया तो मैने तो आपकी चूत मे वीर्य डाला है,
दादी-- नही बेटा अब मुझे बच्चा नही हो सकता, मुझे माहवारी नही आती अब, तुम चिंता मत करो,
अगर मुझे माहवारी आती होती तो पक्का तु बच्चा लगा देता, तेरे वीर्य मे बहुत ताकत है लाल,
लो खडा हो ये गीले बेडशीट अलग कर रख दे देती हु, पूरी वीर्य से गीली पड़ी है
मै और दादी दोनो नंगे खड़े हो बेडशीट को अलग कर कोने मे रख कंबल ओढ़ आपस मे लिपट कर सो गये,
दादी अपने पेर मेरे पेरो मे फसा और चुन्चिया मेरे सीने पर लगा सो गयी,
सुबह के 6 बजे सी मेरी नींद टूटी, दादी आज मस्त होकर सो रही थी मेरी बाहों मे,
दोनो आपस मे लिपट कर सोने से मेरे लंड मे हलचल हो गयी और लंड पूरा खडा हो गया,
मैने दादी की चुन्चियो को मुंह मे ले चूसने लगा,
थोड़ी ही देर मे दादी नींद से जगी, आँख खोलती हुई मुझे देखा मै दादी की चुन्चियो को चूस रहा,
दादी-- अरे बेटा इतनी जल्दी उठ गया, मेरी चुन्चियो को पी रहा है कहती हुई मेरे सर पर हाथ रख सहलाने लगी,
दादी-- हा दादी आपको और चोदने का दिल किया इसलिए नींद नही आई,
दादी-- अरे चोद लेना बेटा, मै कहा जा रही हु, वैसे तेरी चुदाई से मुझे बड़ी अच्छी नींद आई, ऐसी चुदाई तेरे दादा ने भी नही की,
चल अब खडा हो जा, माया आती होगी,
मै-- दादी चोदने दो ना एक बार,, देखो मेरा लंड पूरा खडा हो गया है,
दादी-- अभी नही बेटा, अभी माया आती होगी, रात मे कर लेना फिर से चुदाई, मेरी भी तो इच्छा है बेटा,
दादी मुझसे दूर होती हुई खड़ी हो गयी, और अपने कपड़े पहनने लगी,
इतने में ही माया आवाज दी, दादी आओ चाय तैयार है चाय पी लो,
दादी ने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर चली गयी, मैने जल्दी से लुंगी पहन ली,
माया चाय लेती हुई,
माया-- भैया आप उठ गये, लो चाय पिलो,
माया चाय देती हुई बैठ गयी,
माया-- भैया हुक्का लगाऊ क्या, आप आये नही घर की तरफ हुक्का पीने,
मै-- दीदी आप पिलाओ और हम ना पिये, ये तो हो नही सकता,
माया हुक्का लगा कर ले आती है हम दोनो हुक्का पीते है, माया के दिमाग मे अब भी फर्श पे पड़ा उस दिन वाला वीर्य याद आ रहा था,
मै हुक्का पी शौच के लिए चला गया माया कमरा साफ करने लगी,
माया ने देखा बेडशीट नही है बेड पर, बेडशीट एक कोने मे पड़ी थी,
माया सोचने लगी की बेडशीट यहाँ कैसे,,
माया बेडशीट को उठाई तो देखा बेडशीट गीली थी उसमे वीर्य की खुशबू आ रही थी
माया सोचती हुई ये गिला पैसाब का तो नही है इसमे तो वीर्य की खुशबू आ रही हैं, लेकिन ये कैसे...
कही भैया तो नही,.. लेकिन वीर्य.... कही भैया मुठ तो नही मारते, लेकिन पूरी रात दादी थी पास, अगर मुठ मारा भी तो कैसे, और बेडशीट यहा,,
माया के दिमाग मे चक्कर चल रहा था,
माया ने सोच लिया कभी अकेला मिला तो जरूर पूछूँगी,
तभी गाड़ी की आवाज आती है माँ और पापा दोनो जल्दी घर आ जाते है,
मै-- माँ पापा इतनी जल्दी कैसे आ गये,
माँ-- बेटा राज तेरे पापा की दवाई यही भूल गयी थी, रात को भी नही दी इसलिए जल्दी आ गये,
पापा-- हा बेटा, तुझे और तेरी दादी को भी बुलाया है, अभी चले जाओ,
मै तो माँ को आज चोदने की सोच रहा लेकिन अब दादी के साथ बुआ के घर जाके दादी को ही चोद लूंगा,
इतने मे दादी बेटा मै नहा लेती हू फिर तु भी नहा ले, हम तेरी बुआ के घर ही रहेंगे कुछ दिन, दादी खुश होती हुई, क्यु की वहा चुदाई आराम से हो सकेगी..
दादी नहाने चली गयी, माँ पापा को कमरे मे छोड़ कर दूसरे कमरे मे चली गयी, माया घर के काम मे लगी हुई थी,
मै माँ के कमरे मे गया, माँ दुसरी तरफ मुंह करके अपनी साड़ी निकाल रही थी,
मैने माँ को पीछे से पकड़ लिया,
सीता मेरी जान तेरे बिना रुका नही जाता यार,
माँ जल्दी से खुद को छुड़ाते हुए, क्या कर रहा है राज,
कितनी बार बोल दिया है की घर मे माँ ही बोलना, कोई सुन या देख लेगा, राज
माँ-- राज हमारा ये रिश्ता ऐसे ही रहेगा, दुनिया के सामने हम माँ बेटे ही है, राज मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हु, लेकिन मजबूर हु, हमे जब भी सही मोका मिलेगा हम जरूर मिलेंगे,,
मै-- ठीक है माँ,, लेकिन मेरा आपको चोदने का मन कर रहा है,
माँ-- नही राज अभी सही मौका नहीं है, अभी तुम दादी के साथ बुआ के पास जाओ, जब आ जाओगे तब मौका देखेंगे,
इतने मे ही पापा की आवाज आती है माँ को आवाज दे रहे थे, माँ पापा के पास चली जाती है
रुतबा या वारिस.. Running
Post Reply