बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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फिर विशाल अपने काम में लग जाता है। सोचने की बात तो ये थी की आखोरकार, नेहा को गुस्सा क्यों आया आ मीरा का नाम सुनकर? क्या चल रहा था नेहा की दिमाग में? क्यों उसने किचेन में प्लेट जोर से रखा था? जो भी हो इसके पीछे वजह आगे पता चल हो जाएगी।

नेहा उधर से जाकर बाहर आती है। वहीं उसे एक जगह राज दिखता है। वो एक कार के पीछे खड़े होकर किसी को देख रहा था। नेहा थोड़ा आगे देखती है तो उसे मीरा दिखती है जो किसी से मोबाइल पर बात कर रही थी, और राज उसे ही देख रहा था। पता नहीं क्यों नेहा को ये देख कर गुस्सा आता है।

नेहा मन में- " कमीना कहीं का। जब देखो तब किसी ना किसी लड़की को देखते रहता है। कुछ और काम ही नहीं है इसको तो। और वो मीरा को देखो कैसे मटक-मटक के चल रही है। बेशर्म कहाँ की..." और नेहा ऐसा सोचते हुए वहां से चली जाती हैं।

नेहा को आखीरकार, प्राब्लम क्या थी मीरा से? क्यों वो अचानक से ऐसे बिहेव कर रही थी। नेहा नगेस्टरूम में चली जाती है। उसके चेहरे पर गुस्सा आ। वो किस बात का आ पता नहीं। नेहा जाकर बेड पर लेट जाती हैं। लेकिन कुछ था जो उसे बेचैन कर रहा था। उसी बेचैनी के चलते वो अब उठ खड़ी होती है और बाहर चली जाती हैं। वो विशाल के पास फिर से जाती है। उसे थोड़ी देर में मोरा नजर आती हैं। जो अभी भी फोन पर लगी हुई थी किसी के साथ।

कुछ देर में उसे राज भी नजर आता है जो मीरा को ही देख रहा था। पता नहीं क्यों नेहा वो देखकर थोड़ा गुस्सा होती है। , राज का उसे अनदेखा करना अजीब लग रहा था। लेकिन क्यों उसे इतना बुरा लग रहा था। देखते हैं।

तभी मीरा किसी से टकराती है और उसका मोबाइल उसके हाथ से गिर जाता है। राज उसे उठाने चला जाता है। मोबाइल के पार्टस इधर-उधर बिखरे हुए थे।

मीरा- वो नहीं।

मीरा उस टकराए हुए आदमी को देखकर- "अंधे हो क्या देखकर नहीं चल सकते?"

आदमी- सारी मेडम।

असल में मीरा को ही गलती भी। वो ही कहीं और देखकर मांबाइल मा लगी हुई थी। वो आदमी वहीं से चला जाता है। मीरा नीचे देखती हैं की राज उसके मोबाइल के पार्टस उठा रहा है। अब मीरा भी नीचे बैठकर उसकी मदद करने लगती है।

मीरा- अरे कोई बात नहीं में कर लूँगी।

राज. मैं कर देता हूँ। कोई प्रोबलम नहीं।

राज मोबाइल के पार्टस जमा कर लेता है लेकिन उसे कौन सी चीज कहाँ लगानी है नहीं पता था। जिसे देखकर मीरा थोड़ा स्माइल करती है।

मीरा- इधर दीजिये मैं करती हैं।

राज मोबाइल दे देता है उसे। जब ये हो रहा था, तो नेहा दूर से इन दोनों को देख रही थी। उसको एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी इन दोनों को मैं देखकर। जब राज मीरा को मोबाइल दे रहा था तब उसका काला गंदा हाथ मीरा के गोरे नरम हाथ से टच होता है। जिसे नेहा देख लेती हैं। मीरा मोबाइल लेकर ठीक करने राज वैसे ही मीरा को देखे जा रहा था। मीरा के बैठे होने की वजह से उसका हल्का सा क्लीवेज दिख रहा था। जिसपर राज की नजर भी। मीरा ने उसे नोटिस नहीं किया आ। फिर मीरा मोबाइल ठीक करके उठ जाती है।
और राज भी।

मीरा- थैक्स यू। वैसे क्या नाम है आपका?
राज- वो मेरा नाम राज है।
मीरा- "ओह थैक्स अगेन राजजी..' बोलकर वो वहाँ से चली जाती है।

राज मीरा को जाते हुए उसकी गाण्ड को देख रहा था। तभी वो तिरछी नजर से नेहा को देखा की नेहा उसी की तरफ देख रही थी। राज के मन में कुछ तो चल रहा था। वो हल्का सा : पड़ता है वहाँ से। वो मीरा जिस तरफ गई भी उसी तरफ चला जाता है। इधर नेहा को अब उसकता हो रही थी की आखोरकार, राज कहीं जा रहा है अब? कहाँ मीरा के साथ कछ करने तो नहाँ? उसका मन उत्तेजित हो रहा था। नेहा के कदम उसे रोक रहे थे। लेकिन उसका मन राज के पीछे जाने को बोल रहा था।

आखीरकार, वो अपने मन की सुनती हैं और उधर चली जाती है राज के पीछे, उससे छुपते छुपाते हुए। नेहा थोड़ा लेट हो गई थी। राज उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था। तभी उसे कुछ ख्याल आता है और वो मीरा के रूम की तरफ जाती है। दरवाजा खुला था। वो अंदर झाकती है लेकिन उसे ना ही मीरा कहीं दिखती है और ना ही राज। नेहा थोड़ा अंदर जाती हैं। वो सोचती है शायद बाथरूम में हो। वो बाथरूम की तरफ जाती है। वो हलके पैरों से चल रही थी ताकी कोई आवाज ना हो। वो ऐसे चल ही रही थी की दरवाजा पर राज आ जाता है। वो जानता था की ये नेहा है मीरा नहीं। वो अब धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए नेहा की पास पहुँच जाता है। और फिर एकदम से नेहा की कमर में हाथ डालकर उससे चिपक जाता हैं।

राज- हाय मेरी जान मीरा। क्या मस्त माल है तू।

नेहा समझ जाती है की ये राज है और उसे मीरा समझ रहा है।

नेहा मन में- "बड़ा कमीना कहीं का। कितना गिरा हुआ इंसान है। इतनी छोटी उम्र की लड़की के साथ ये सब करना चाहता है। और अब यहां मीरा होती तो शायद कर भी डालता। लेकिन इसमें मीरा को भी गलती है। ऐसे कपड़े पहन के जाएगी तो कोई भी कुछ भी करेगा उसके साथ। है। मीरा है ही बेशर्म। कैसे राज के साथ हँस-हँसकर बात कर रही थी बाहर।

इसी बीच नेहा की तरफ से कोई रेस्पान्स ना आता देखकर राज नेहा की दोनों चूचियां एक बार दबा देता है।

नेहा- "अहह... छोड़ मुझे ... और नेहा ऐसा बोलकर राज से हटकर थोड़ा दूर खड़ी हो जाती है, और कहती है "शर्म नहीं आती तुमको बूढ़े

राज नाटक करते हुए- "अरे तू यहां। मैं समझा....." राज ने उतना बोला ही था की
नेहा बोली- "तुम समझे की मीरा है ना?" नेहा के चेहरे पर गुस्सा था। नेहा गुस्से से राज को देख रही भी।

राज. वो हाँ ।

नेहा अब गुस्से से वहीं से जाने लगती है।

तभी राज उसका एक हाथ पकड़ लेता है। जिसे देखकर।
नेहा- "मेरा हाथ छोड़ो बूढ़े..

राज- क्यों क्या हुआ मेरी जान?

नेहा- मैं तुम्हारी जान नहीं हैं समझे। इसके बाद मुझे अपनी गंदी बदसूरत शकल दिखाना भी मत।

राज के चेहरा पर एक कमीनी स्माइल थी, कहा- "मैंने क्या किया, जो तू इतना गुस्सा हो रही है?"

नेहा- मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी। तु हाथ छोड़

राज- नहीं छोडूंगा।

नेहा अब अपना हाथ थोड़ा छोड़कर राज के हाथ को काटती है जिससे राज की पकड़ छूट जाती है और नेहा अपना हाथ छुड़ाकर एक बार राज को गुस्से से देखते हुए चली जाती है।

राज एक कमीनी स्माइल करते हुए- "मेरी जान मुझे पता है तू मीरा से जल रही हैं। साली मेरे से चुदना चाहती है, लेकिन खुलकर नहीं बताती। लेकिन जल्द ही तेरे मुँह से सब उगलवाऊँगा..."
फिर राज भी वहीं से चला जाता है। बाहर नेहा विशाल के पास खड़ी थी। तभी राज वहां आता है। नेहा राज को आता देखकर उसे गुस्से से देखती हैं। लेकिन राज उसे स्माइल देता है। तभी मीरा कहीं अजेंट जा रही थी भागते हुए।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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नेहा राज को आता देखकर उसे गुस्से से देखती हैं। लेकिन राज उसे स्माइल देता है। तभी मीरा कहीं अजेंट जा रही थी भागते हुए।

विशाल- अरे मीरा क्या हुआ?
मीरा- वो भैया वो मैंने एक गिफ्ट मैंगवाया था वहीं लेने जा रही थी।
विशाल- कोई बड़ी चीज है क्या?
मीरा- हाँ भैया बड़ी चीज तो है।
विशाल- तुम एक काम करो बाहर सको। मैं राज को भेजता हैं तुम्हारी मदद करने।
नेहा ये सुनकर विशाल की तरफ हैरानी भरी नजर से देखने लगती है।
विशाल- "अरे राज...
राज दूर से आते हुए- “हाँ साहब..."
विशाल- वो बाहर मीरा की थोड़ी मदद कर दो।
राज- "जी साहब.." फिर राज जाने लगता है।
नेहा उसको जाते हुए देख रही थी। उसका मन बाहर जाकर देखने का कर रहा था की बाहर क्या हो रहा है? लेकिन वो अपने आपको किसी तरह रोक लेती हैं। थोड़ी देर बाद राज बाहर से एक बड़ा सा बाक्स उठाए हए ला रहा था और मीरा उसके पीछे भी। नेहा दोनों को देख रही थी। राज बाक्स लेकर मीरा के रूम में चला जाता है। साथ में मीरा भी।

नेहा मन में- "ये मीरा हर वक्त राज के पीछे क्यों पड़ी है। ऐसा क्या नजर आ गया उसकी उस बटे में। बेशर्म कहीं की..."
नेहा मीरा को तो बेशर्म बोल रही थी। लेकिन वो ये भूल रही थी की वहीं बटा उसे बेशर्मी की तरह चांद चुका है। ऐसे ही कई हरकतें करके राज नेहा को जलाता है। और नेहा भी ना जाने कैसे जल रही थी मीरा से। फिर शादी भी हो जाती है। सब बहुत एंजाय करते हैं। इसी बीच कई पल ऐसे आए जब राज की नजर मीरा से हट ही नहीं रहाँ थी। जब मीरा डान्स कर रही थी तो उसकी चूचियां उस चोली में उछल कूद रही थी और उसकी गाण्ड कैसे हिल रही थी। राज को ऐसे मीरा की तरफ देखते हुए नेहा को जलन हो रही थी। बस यही सब चल रहा था। शाम में सब काम निपटाकर विशाल और नेहा रूम में बैठे थे।

विशाल- क्या बात है नेहा, खोई-खोई सी लग रही हो?
नेहा- नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।
विशाल- आर यू श्योर?
नेहा- हाँ ।
ऐसे ही रात में खाने के बाद दोनों बाहर हाल में न्यूली वेड कमल के साथ बातें कर रहे थे। लेकिन नेहा का ध्यान कहीं और ही आ। उसका मन किसी को दुद रहा था।
नेहा- विशाल एक मिनट में आई।
विशाल- कहां जा रही हो?
नेहा- कही नहीं अस ऐसे हो।
विशाल- ठीक है।
नेहा फिर बाहर की ओर जाती है। वहीं उसे नाही मीरा और ना ही राज दिखता है। फिर वो मीरा के बेडरूम में जाती है। वहां पर भी दोनों नहीं थे। वो किचेन की तरफ से गुजर रही थी की उसे किचेन से किसी के हँसने की
आवाज आती है। वो अंदर देखती है तो उसे मीरा हँसती हुई दिखती है। और उसके साइड में राज खड़ा था।
मीरा- आप भी ना राज चाचा बहुत फन्नी हो।
राज- अब हैं, तो हैं।
नेहा मन में- "ये मोरा तो हाथ धोकर काम के पीछे पड़ी हुई है। जरा भी शर्म नहीं आती क्या इसे? देखो कैसे राज से हैंस-हँसकर बातें कर रही है। जैसे वो राज की गर्लफ्रेंड हो। राज की गर्लफ्रेंड तो मैंन्।
नेहा ने उतना सोच ही था की वो रुक जाती हैं। आखीरकार, नेहा किस ओर बढ़ चली थी? क्या रीजन है नेहा को , मीरा से जलना।
XNXX NXXN कड़ी_20 फिर उधर से नेहा चली आती है वापस। रात में सोते हुए भी उसको राज और मीरा का खयाल आ रहा था। कुछ था जो उसे ठीक से सोने नहीं दे रहा था। कुछ तो आ जिससे उसको बेचैनी हो रही थी। काफी रात तक वो बेचैन रहती है। एक बार तो जाकर कटीम को देखने का सोचती है लेकिन किसी तरह से खुद को रोक लेती हैं।

अगली सुबह नाश्ता करके नेहा और विशाल तैयार हो चुके थे वापस जाने के लिए।
विशाल- चल यार हम चलते हैं।
दोस्त- यार त कुछ और दिन रुक जा जा। दो दिन ही तो हए हैं।
विशाल- रुक जाता यार, लेकिन मुझे काम है बहुत अपने आफिस में। नहीं रुक सकता समझा कर।
ऐसे वो कुछ बातें करते हैं।
विशाल- चल यार हम चलते हैं फिर।
दोस्त- जल्द आना।
विशाल- जस्ट बाइ।
फिर वो लोग वहाँ से निकल पड़ते हैं। राज कार ड्राइवर कर रहा था। नेहा इस बार राज को नहीं देख रही थी। उसके मन में एक अंजाना गुस्सा था राज के लिए। अभी कार में कोई बात नहीं कर रहा था। अभी सुबह का टाइम | विशाल आराम से बैठा हुआ आ। लेकिन नेहा के मन में अजब सा गुस्सा आ राज के लिए या फिर कहिए मीरा का राज के नजदीक जाना उसे पसंद नहीं आया था। लेकिन क्या? वो तो हमेशा राज को डिसलाइक करती है फिर भी क्यों? पता नहीं नेहा की मन में क्या चल रहा था।
वहीं राज कार चलते हुए कभी-कभी नेहा को देख रहा था। उसे पता था नेहा की क्या हालत होगी? उसने उसके मन में जलन जो पैदा कर दी थी। उसे ये भी पता था की नेहा इतनी आसानी से अपने एमोशन्स जाहिर नहीं करेगी। राज को और मजबूर करना आ नेहा को। वो अब नेहा को बार-बार मिरर से देखने लगता है। लेकिन नेहा का खयाल उधर नहीं आ। उसे तो राज पर गुस्सा था।
राज मन में- "हाय मेरी जान कितना गुस्सा कर रही हो सिर्फ मेरे लिए। बस अब घोड़ा वक्त यह जदाई बत्ति कर ले। फिर मैं तुझे जिंदगी के असली मजे दंगा..."
थोड़ी देर बाद विशाल के मोबाइल पर एक काल आता है और वो उसमें बिजी हो जाता है। इधर काम अब नेहा को मिरर से देखे जा रहा था। एक बार के लिए नेहा की नजर राज पर जाती है। नेहा उसे गुस्से से देखती है। लेकिन राज उसे स्माइल करके दिखाता है। फिट नेहा दूसरी तरफ देखने लगती है।
नेहा मन में- "बेशर्म बूढ़ा कही का। मुझे देख रहा है अब। कल तो उस बेशर्म मीरा को देख रहा था। कमीना कहीं
का... ऐसे ही सफर में ज्यादा कुछ नहीं होता। वो अब इनके सिटी में पहुँच चुके थे। ऐसे ही कार चलते हुए विशाल को काल आता है।
विशाल- "हाँ बोलो, ही." और विशाल मोबाइल पर बात कर रहा था।

नेहा को नौंद आ गई थी सफर से तो वो लेटी हुई थी।
विशाल काल खतुम कर के- “अरे राज सुनो। कार आफिस ले लो."

.
राज- जी साहब।
विशाल नेहा को जगाते हुए- "नेहा उठ.."
नेहा उठ जाती है- “हुह्ह क्या हुआ?"
विशाल- मुझे आफिस में कुछ काम है। तुमको राज ड्राप कर देगा घर पर।
नेहा- लेकिन विशाल इस वक़्त कौन सा इंपार्टेट काम है तुमको?
विशाल- समझा करी हालिंग जाना होगा।
नेहा- हमेशा तुम ऐसा करते हो।
विशाल- साली हालिंगा
नेहा कुछ नहीं बोलती है और खिड़की से बाहर देखने लगती हैं। राज इन दोनों की बातें बड़ी गौर से सुन रहा था। थोड़ी देर में आफिस आ जाता है। विशाल कार से उतरकर।
विशाल- सारी हालिंग में जल्दी आ जाऊँगा काम खतुमश करके।
नेहा कुछ नहीं बोलती।
विशाल- राज मेडम को लेकर जाओ घर।
राज- जी साहब।
फिर कटीम कार वहां से चला देता हैं। आफिस से घर का रास्ता 0 किलोमीटर आ। अभी काफी देर थी नेहा के
घर पहुँचने तक। राज और नेहा दोनों बात नहीं कर रहे थे। थोड़ी देर में ही वो ट्रैफिक में की तरह से फैंस जाते हैं। काफी लंबा ट्रैफिक लग रहा था। जिसे देखकर नेहा थोड़ा टेन्शन में आ जाती है। वो राज से तो बिल्कुल बात नहीं करना चाहती थी। लेकिन सिचुयेशन कुछ ऐसी बन गई थी की।
नेहा- कब तक क्लियर होगा ये?

राज- पता नहीं काफी ज्यादा ट्रैफिक हैं।
नेहा- तो क्या में ऐसे ही बैठी रहा
राज- और क्या कर सकती हो मेडम आप। चाहे तो आप वो कर सकती हैं।

नेहा एक बार के लिए राज का इशारा नहीं समझती है। लेकिन जल्द ही वो समझ जाती है। नेहा बोला. "चुप रही बेशर्म कहीं के..' और वो दूसरी तरफ मुँह करके बाहर देखने लगती है।
राज- मेमसाहब कीजिये ना वो।
नेहा इधर नहीं घूमती।
राज- मेमसाहब प्लीज़... कीजिये ना।
नेहा अभी भी कोई स्पान्म नहीं देती।
"दखिए अब तो मैंने बाहर भी निकाल दिया, अब
राज अब अपना काला मोटा लण्ड पेंट से बाहर निकाल दिया

नेहा इस बार राज को गुस्से से देखते हुए- "बेशर्म बूढ़े चुप रहो। और तुम ये अपनी माशूका मीरा से ही कर लो ना... मुझे क्यों बोल रहे हो?" और नेहा की कहने में जेलेसी थी जो राज को भी मालूम पड़ रहा था।
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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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राज- मेमसाहब मेरा उसके साथ कुछ भी नहीं है।

नेहा- झठ मत बोलो। मैंने अपनी आँखों से देखा है सब कुछ।

राज- क्या सबकुछ देखा है मेमसाहब?

नेहा- मुझे नहीं बताना।

राज- ऐसा क्यों करती हो मेमसाहब? अब बता भी दो क्या देखा?

नेहा- मैंने कहा ना मुझे नहीं बताना।

राज खुश था क्योंकी नेहा को जलन हो रहीं भी मोटा से, वो भी किसके लिए? उसी के लिए शोड़ी देर तक दोनों बात नहीं करते। ट्राफिक हटने का नाम ही नहीं ले रहा था। नेहा परेशान थी। उसे जल्दी से घर जाना था।

वो ऐसे में बीच सड़क में फंसे रहना नहीं चाहती थी।

नेहा- और कितनी देर लगेगी। आधा घंटा हो गया। यहीं पर हैं हम।

राज कुछ जवाब नहीं देता।

नेहा- ओ हेलो तुमसे बात कर रही हूँ।

राज. मेमसाहब अब क्या बताएं ये ट्रैफिक इतने जल्दी नहीं हटने वाला। लगता है आगे कुछ हुआ है।

नेहा- तो अन?

राज. वैसे मुझे एक शार्ट कट रास्ता पता है, लेकिन वो घोड़ा कच्चा रास्ता है, और जंगल से होकर गुजरता है।

नेहा- नहीं नहीं मुझे नहीं जाना ऐसे सूनसान रास्ते से।

राज. तो मेमसाहब ऐसे ही किये ट्रैफिक हटने तक।

नेहा चुप हो जाती है। नेहा को ऐसा यहां फैसे रहना ठीक नहीं लग रहा था| नेहा अब यही बिल्कुल सकला नहीं चाहती थी। नेहा बोली- "ठीक है। उसी रास्ते से चली लेकिन जल्दी.."

राज के चेहरे पर एक शैतानी स्माइल थी। उसके दिमाग में कुछ तो चल रहा था। राज बोला- "जी मेमसाहब में भी तो वहीं बोल रहा था..." फिर राज रिवर्स लेकर पास ही से एक कच्चे रास्ते से कार चला देता हैं। रास्ता काफी सनसाज लग रहा था, और रोड भी कुछ खास नहीं था। राज अब कुछ सोचता है।

राज- "मेमसाहब। वो जो मीरा है ना। अच्छी है ना? मतलब दिखने में?

नेहा को इस बात पर गुस्सा आता है- "मुझसे क्यों पूछ रहे हो? और मुझे नहीं पता वो कैसी है?"

नेहा मन में एकदम बेशर्म हैं वो मीरा..."

राज- मुझे लगा आपको पता होगा मेमसाहब।

नेहा- बोला ना मुझे नहीं पता।

राज- बताइए ना मेमसाहब। अच्छी दिखती है ना?

नेहा- "बेशर्म कहाँ के मुझे क्यों पूछ रहे हो? मुझे नहीं पता वो बेशर्म मीरा कैसी दिखती है?" और नेहा गुस्से में
अपनी जेलेसी राज को दिखा रही थी।

राज नेहा की बात सुनकर खुश हो जाता है। उसे पता था उसका प्लान कामयाब हो रहा है।

राज- मेमसाहब प्लीज़... मीरा को कुछ बुरा मत बोलिए।

नेहा मन में. "कमीना कहीं का। उस बेशर्म मीरा को बुरा कहा तो इसको बुरा लगता है। बूदा खूसट कहीं का.."

नेहा- "मुझे कोई शौक नहीं हैं उसको बुरा बोलने का..." इतना बोलकर वो दूसरी तरफ देखने लगती है।
राज- पता है मेमसाहब मैं अब मेरी दूसरी शादी करूँगा तो मोरा जैसी लड़की से ही करूँगा।

नेहा मन में "बुड्ढे की उमर हो गई है फिर भी अरमान बहुत सारे हैं। शादी करना है."

नेहा- मुझे क्यों बोल रहे हो? जाकर उस मीरा को ही बोलो ना।

राज. मैंने सोचा एक बार आपको बता दूं!

नेहा- कोई जररत नहीं है बताने की।

फिर दोनों चुप हो जाते हैं। कार इस वक्त काफी सनसान सड़क से गुजर रही थी। तभी अचानक कार को दो तीन झटके लगकर रुक जाती है।

नेहा- क्या हो गया?

राज- “रुको मेमसाहब अभी देखता है..' बोलकर वो कार से उतर जाता है और बानेट खोलकर देखने लगता है।

राज देखता है की सिर्फ एक केबल खराब हो गया आ जो आसानी से लगाया जा सकता है लेकिन राज के दिमाग में कुछ चल रहा था। वो अब पीछे जाकर- "मेमसाहब कार को ठीक होने में शायद कुछ टाइम लग जाएगा..."

नेहा- वो गोड... क्या मुसीवत है? जल्द ठीक करो उसे।
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राज फिर बोनट के पास चला जाता है। बड़ी देर बाद नेहा अंदर बैठे-बैठे बोर हो रही थी। इसलिए वो कार से उतरकर बाहर आती है। आस-पास हरा भरा माहौल था। जंगल वाला इलाका था इसलिए। नेहा को बाहर आकर अच्छा महसूस हो रहा था। उसके चेहरे पर मुश्कुराहट फैल जाती है, जब उधर की ठंडी ठंडी हवा उसको छूती है। इधर राज बोनट में कुछ देखने का नाटक कर रहा था।

नेहा- "पता नहीं ये कार कब ठीक होगी। वैसे ये जगह अच्छी लग रही है..." नेहा अब उधर से ही पास में एक रास्ता कहीं जा रहा था। उधर से धीरे-धीरे नेचर का मजा लेटे हुए चलने लगती है।

राज को भी नहीं पता था की नेहा उधर जा रही है। नेहा आगे बढ़ते हुए जा रही थी। हरे-भरे पेड़ों का मजा उठाते हुए। वो एक अमीर परिवार से भी तो उसे इन सब चीजो की आदत नहीं भी। ना ही कोई जान। आगे चलकर उसे ऐसा नजारा दिखता है, जिससे से उसका मह एकदम से आसम हो जाता है। उसे एक सुंदर झरना नज़र आता है। कम से पानी नीचे गिर रहा था।

नेहा- “वाउ.. क्या सुंदरता है? कितना अच्छी जगह है?"

नेहा को पता नहीं था कि जितनी जगह सुंदर होती है उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है। वो अब पानी जहाँ पर गिर रहा था वहाँ जाने का सोचती है। वो उधर जाने लगती हैं की तभी उसे शेर के दहा ड़ने की आवाज आती हैं। जिससे नेहा डर जाती है।

नेहा- ओ माई गाड... टाइगर।

नेहा अब इधर-उधर देखने लगती हैं। वो कर रही थी। उसे नहीं लगा था की वो इस हालत में भी फंस सकती है। वो इस वक्त अकेली भी इस सुनसान जंगल में। डर के मारे उसका पशीना छूटने लगा था। तभी दूर झाड़ियों में किसी जानवर की पूंछ नजर आती है। नेहा को लगता है की टाइगर की है। असल में वो एक कुत्ता था।

नेहा डर के मारे चिल्लाई- "बचाओ..." ऐसा चिल्लाते हुए भागने लगती है। वो इतना जोर से चिल्लाई की रोड पर कार के पास खड़े राज की भी सुनाई देती है।

राज- अरे इस माल को क्या हो गया अब? ये कहाँ चली गई? पता नहीं साली कहां है?

तभी फिर से नेहा की आवाज आती हैं- "बचाओ..."

राज अब उस आवाज की तरफ जाने लगता है। नेहा डर के मारे भाग रही थी। वो उसी रास्ते से वापस आ रही थी जिस रास्ते से वो गई थी।

राज- मेमसाहब्

नेहा को राज की आवाज आती है। तभी उसे राज दिख जाता है। वो बिल्कुल ही डरी हुई थी। उसको राज दिखते ही वह जाकर राज से लिपट जाती है। इस तरह अचानक, नेहा के करने से राज थोड़ा हैरान था। इस तरह अचानक लिपटने से नेहा की बड़ी-बड़ी चूचियां राज की छाती में दब जाती हैं। नेहा दूर के अहसास में भूल गई भी की वो एक काले बटे से लिपटी हुई है। नेहा के हाथ राज के पीठ तक गये थे। उसने राज को मजलती से जकड़ रखा था। जैसे वो राज को कहीं जाने नहीं देना चाहती हो।

राज भी ऐसा मौका कहाँ छोड़ने वाला था, उसने भी नेहा को जकड़ लिया था- "क्या हुआ मेमसाहब?"

नेहा डरी सहमी सी कुछ जवाब नहीं देती।

राज- मेमसाहब क्या हुआ?

नेहा इस बार थोड़ा होश में आते हए- "वो वहाँ शेर है."

राज- शेर.. कहाँ?

नेहा- वो वहाँ उधर।

राज- "आप फिकर मत कीजिये मेमसाहब मैं हूँ ना। आपको कुछ नहीं होने दूंगा..." ऐसा बोलकर राज नेहा के पीछे से हाथ ले जाते हुए उसकी नंगी गोरी पीठ पर हाथ फेरने लगता है।

नेहा उसे कुछ भी नहीं बोल रही थी। ऐसी खूबसूरत जवान औरत के यूँ खुद गले लगने से राज का लण्ड उसकी पेंट में उछलने लगा आ। उसका लण्ड उसे तंग करने लगा आ। अबराज के हाथ नेहा की गोरी पीठ से होते हए नीचे जाने लगते हैं। वो अपने हाथ नेहा की गाण्ड पर लेजाकर धीरे से दबा देता है।

नेहा बिना किसी अहसास के बस लिपटी हुई थी उससे। नेहा को अब राज का लण्ड अपने आगे से च भने लगता है। लेकिन दूर के मारे वो राज से अलग नहीं होना चाहती थी। लेकिन तभी राज खुद नेहा को अपने से अलग करने लगता है। अलग होते ही नेहा राज को देखने लगती है। उसे भी अब अहसास होने लगता है की वो तब से क्या कर रही थी। तभी राज उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ लेता है, और उसके खुशबसूरत चेहरे को देखने लगता है। नेहा भी भीड़ा हरानी से राज को देख रही थी।

राज तभी एक बार मुश्कुरा कर अपने गंदे काले होंठ नेहा के लाल नरम होंठों की तरफ बढ़ा देता है। नेहा ये बिल्कुल उम्मीद नहीं कर रही थी। वो करीब पहुँचता है की नेहा उससे दूर हटती है और बिना कुछ बोले कार की तरफ जाने लगती है। वो कार के पास जाकर राज की तरफ पीठ करके रुक जाती हैं। राज अब नेहा के पीछे जाता है और उससे चिपक जाता है।

नेहा- “आहह.."

राज अब नेहा की पीठ पर बिखरे हर बाल आगे करके उसकी गोरी पीठ को एक बार चूमता है- “क्या हो गया मेरी जान?"

नेहा ने सपोर्ट के लिए अपने दोनों हाथ दोनों तरफ कार की विंडशील्ड पर रखे हुए थे। राज फिर से उसकी पीठ को चूमता है।

नेहा- “आह्ह... राज तुम ये मत करो..."

राज- क्या मेरी जान क्या हो गया?

नेहा- ये सब उस मीरा के साथ करो।

राज- वो यहां नहीं है ... तो मैं क्या करं?

नेहा- वो मुझे नहीं पता।

तभी राज नेहा की ब्लाउज़ जो एक डोरी से बधी भी उसे निकाल देता है।

नेहा- ये क्या किया? वापस लगाओ उसे।

राज- मेरी जान। तू ऐसे ही मस्त आइटम लगती है। रहने देना।

नेहा- प्लीज.. कोई आ जाएगा।

राज- कोई नहीं आएगा फिकर मत कर।
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