बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

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कड़ी_06

वो सौरभ की पत्नी रिया औ। जो 23 साल की खूबसूरत बला भी। रिया को देखते ही जय लटू हो गया था। जय 57 साल का बड़ा एक 23 साल की खूबसूरत इस घर की बहू को देखकर पागल सा हो गया था।

रिया की जींद ठीक से नहीं हुई थी। वो अंगड़ाई लेते हए किचेन में पानी पीने आई थी। इधर जय जल्दी से
आकर बैठ जाता है राज के साथ। तभी रिया भी आ जाती हैं। वो फ्रिज के पास जाती है, और दरवाजा खोलने लगती है तो दरवाजा नहीं खुलता। क्योंकी वो लाक्ड था।
रिया नींद में ही- “ये दरवाजा किसने लाक किया?
तभी उसे फ्रिज के ओड़ा ऊपर कबाड़ में चाबी नजर आती है। वो थोड़ा उंचाई पर भी तो उसका हाथ नहीं रहा था। वो ऊपर होने की पूरी कोशिश कर रही भी, लेकिन नाकामयाब भी। तभी जय को मौका मिलता है तो
वो झट से रिया के पीछे चला जाता है।
जय. "मेमसाहब... में मदद कर देता हूँ." बोलकर बो रिया से चिपकटे हुए ही अपने हाथ ऊपर लेजाकर चाबी निकालने की आक्टिंग करने लगता है। रिया हैरान भी की कैसे एक लौकर या जो भी उसके पीछे सटकर खड़ा है, रिया की गाण्ड से सटकर खड़ा आ जय। उसे अलग ही मजा आ रहा था तभी उसके गाल पर एक तमाचा पड़ता है।
रिया- "बेशम। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे चिपकने को?" रिया गुस्से में थी।
राज भी इधर खड़ा हो गया था।
जय- मेमसाहब, मैं तो बस मदद कर रहा था।
रिया- "चुप रहो। पता है तुम जैसों की मदद?" वैसा बोलकर वो गुस्से में वहाँ से चली जाती है।
राज उसके जाने के बाद जोर से हँसने लगता है।
जय- "साली रंडी की तो में... उसने मुझे थप्पड़ मारा। साली को इतना चोदंगा के साली की गाण्ड सजा देगा। इसको तो मैं चलने के लायक नहीं छोडूंगा। इस रंडी को तो यह अप्पड़ बहुत महंगा पड़ेगा..."
राज- अजे चुप हो जा। जो भी करना आराम से। इन साली अमीर औरतों की गाण्ड में बहुत दम होता है। धीरे
धीरे जाएगा तो साली के साथ बहुतू मज़े कर सकेगा। बाद में ले लेना बदला अब चुप हो जा।
स्से में था। उसने रिया के हाथ का
फिर वो दोनों नाश्ता करके अपने क्वार्टो में चले जाते हैं।
जय- उस रंडी की तो मैं। मेरे ऊपर हाथ उठाया साली ले।
राज की हँसी नहीं रुक रही थी।
जय- अबे साले तुझे बहुत हँसी आ रही है। उस रंडी ने मुझे मारा और त हँस रहा है।
राज अब ओड़ा सकते हए- "अबे मैंने बोला था जल्दबाजी मत कर। उसको क्या नीलू समझा है तो? साली कड़क माल लगती है। मुश्किल है पटना। देख ले सोच समझकर करना जो भी है."
जय- साली रंडी को एक बार मेरे लौड़े के नीचे आने दे। फिर देख मैं क्या हालत करता है उसकी। साली को चलने लायक नहीं छोइंगा। साली कल की लौंडिया ने मुझसे पंगा लिया है। उसकी मेरे लौड़े के लिए तरसा नहीं दिया तो में हरामी 100 बाप का।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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इधर रिया अपने रूम में थी। और जो भी सुबह किचेन में हमाम था सोच रही थी। कैसे वो दो कौड़ी का ट्रक ड्राइकर उससे चिपका था। इन लोगों को घर में कुछ ज्यादा ही छूट मिल गई है। सौरभ को इस बारे में बताना होगा। उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझसे चिपकने की। लेकिन हैरानी तो उसे तब होती है जब उसे अपनी टांगों के बीच गोलापन महसूस होता है। मतलब उसकी चूत ये सब सोचकर ही गीली हो गई ी। लेकिन क्यों?
रिया- "छी.... ये सब क्या है? मैं भल्ला गोली क्यों हो रही हैं? उस गंदे बटे के बारे में सोचते हो। छो..." फिर जल्दी से बाथरूम जाकर पेंटी चेंज कर लेती है। फिर बेड पर लेट जाती है। लोकन पता नहीं क्यों बार-बार उसको सुबह वाला दृश्य ही दिख रहा था।
इधर राज अपना आगे का प्लान सोच रहा था। वो नेहा को और तड़पाना चाहता था। क्योंकी वो जानता था की नेहा अब गरम होने लगी है उसके हरकतों से। वो जल्द ही उसके नीचे होगी। लेकिन इतनी आसानी से नहीं। उसे
और तड़पाना होगा। फिर मजा आएगा। यही सोचकर वो मुख्य दरवाजे के पास पहुँचता है की वहीं उसे विशाल, सौरभ, और मोहनलाल मिल जाते हैं, जो आफिस जाने के लिए आए थे।
सौरभ- अरे राज काम पर नहीं गये?
राज- वो साहब तबीयत खराब है। जय भी नहीं जा रहा है।
विशाल- आजकल तेरी तबीयत कुछ ज्यादा खराब नहीं हो रही?
राज मन में. "अबे सालों, तुम दोनों को क्या पता की हमारी तबीयत क्यों खराब हो रही है। हम तो तुम दोनों
की तबीयत खराब करने वाले हैं।
विशाल- और त अंदर कहीं जा रहा है।
राज- वो साहब, नीलू का कुछ काम था। उसने बुलाया है।
विशाल- अच्छा ठीक है।
फिर वो तीनों आफिस के लिए निकल जाते हैं। राज बड़ी ठाट से अंदर चला जाता है। वो नेहा को ट्रॅट रहा था। बाहर हाल में तो कोई नजर नहीं आ रहा था। बिल्कुल सन्नाटा था वहां। तभी वो सौदी चढ़कर ऊपर जाने लगता हैं। अभी भी उसे कोई नजर नहीं आया था। वो बिना देरी किए नेहा के रूम के तरफ निकल पड़ता है। वहां पहुँचकर वो रुक जाता है। अंदर जाने से पहले वो अपने आपको आगे के प्लान के लिए तैयार करता है। कम का दरवाजा ओड़ा खुला था शायद विशाल ले जाते हुए बंद नहीं किया था। वो धीरे से अंदर जाता है।
वहीं बेडरूम में कोई नहीं था। जिसे देखकर उसे मायूसी होती है। लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है। क्योंकी बाथरूम से पानी की आवाज आती है। मतलब वो समझ गया था की नेहा नहा रही है।
राज मन में- "साली कैसा हरामी पति है। इतनी जबान बीवी नहा रही है और दरवाजा बंद भी नहीं किया है। मुझे क्या साले की गलती से तो मेरे लिए तो मजे हैं."
राज अब्ज का प्लान सोचता है। राज आभररूम के दरवाजे पर थोड़ा पानी डालता है तो फर्श ओड़ा स्लिफी हो जाता है। यही उसका प्लान था। अब बस नेहा के बाहर आने की देरी थी।
थोड़ी देर बाद नेहा बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाहर आती हैं। नेहा एक तौलिया में थी। आह्ह... क्या मस्त माल लग रही थी। नेहा का गोरा बदल, मस्त बड़ी-बड़ी चूचियां, और तौलिया के अंदर कैद बड़ी-बड़ी गाण्ड, उसके बाल गोले थे, उसका खूबसूरत चेहरा। एकदम बला की खूबसूरत लग रही थी। लेकिन अगले ही पल नेहा को नजर सामने खड़े राज पर पड़ता है। वो कुछ बोलते हुए आगे चल ही रही थी की उसका पैर फिसल जाता है, और वो गिरने लगती हैं। लेकिन राज किसलिए खड़ा था। वो अब आगे झट से जाकर नेहा को पकड़ लेता है।

क्या मस्त हश्य था। एक काला बूदा ड्राइवर इस घर की खूबसूरत जवान बहू को, जो इस वक्त एक तौलिया में है, उसे पकड़ा हवा है। अचानक से पैर फिसलने की वजह से, दोनों आमने सामने थे। दोनों के चेहरे आमने सामने थे। नेहा हैरत में राज को देख रही थी। उसका गोरा जिश्म राज जैसे गंदे बटे से सटा हुआ था। नेहा की बड़ी-बड़ी चूचियां तौलिया के ऊपर से राज की छाती से दबी पड़ी औं। राज का लण्ड उसकी पेंट में खड़ा हो गया था और नेहा को तौलिया के ऊपर से अपनी चूत पर महसूस भी हो रहा था।
ये सब इतना अचानक हुआ था कि नेहा को संभलने का मौका नहीं मिला या फिर कहिए संभलने का मौका दिया नहीं राज ने। अगले ही पल राज नेहा को पीछे धकेलते हुए दीवार से सटा देता हैं। दोनों की नजरें फिर से मिल जाती हैं। इस बार नेहा राज को गुस्से भरी नजरों से देख रही थी। तभी राज नेहा के तौलिया के ऊपर
से ही अपना लण्ड रगड़ने लगता है। नेहा के लिए ये कामक आ। उसको ये उत्तेजित कर रहा था। एक काला बदा उसको इस तरह दीवार से सटाकर ऐसी हरकत कर रहा था। राज नेहा की तरफ एक कामुक स्माइल करता है।
लेकिन नेहा उसे गुस्से की नजरों से देखती है। जैसे नजरों से बोल रही हो- "बेशर्म कहाँ के.."
अब राज नेहा की चूत पर लण्ड से और दबाव डालने लगता है।

नेहा को कल की बात याद आती है जब इसी आदमी ने उसकी चूत चटकर प्यासी छोड़ा था। लेकिन इस त लण्ड के अहसास से उसकी आँखें बंद होने लगती हैं। राज नेहा के खबसरत चेहरे पर देखते हुए एक कमीनी स्माइल अपने बदसूरत चेहरा पर लाता है। लेकिन उसे नेहा को और तड़पाना था। अब वो अपने लण्ड से एक झटका मरता है। जिसकी वजह से नेहा को ऐसा महसूस होता है की कोई बड़ी चीज उसकी चूत से टकराई हो। लेकिन उसने आँखें नहीं खोली। राज को लगने लगा था की नेहा अब गरम हो रही है।
राज तभी नेहा के खूबसूरत चेहरे के करीब अपना बदसूरत बूढ़ा चेहरा ले जाते हुए एक बार उसके गुलाबी होठों को देखता है, और कहता है- "अपनी आँखें तो खोलो मेरी जान..."
नेहा धीरे से अपनी आँखें खोलती है तो राज के बदसरत चेहरे को अपने सामने जाती है। उसकी हालत खराब थी। एक तो नीचे इस ड्ढे का काला लण्ड बार-बार झटके दे रहा था और अब उसका गंदा बदसूरत चेहरा उसके बिल्कुल सामने था। दोनों की नजरें आपस में टकरा गई। राज की आँखों में सेक्स की भूख भी जो नेहा बखूबी जानती भी।
तभी राज अपने गंदे सूखे होंठ नेहा के गुलाबी होंठों की तरफ बढ़ाता है। नेहा जान गई थी की अब वी राज नहीं रोक पाएगी, तो वो राज का मुह अपनी तरफ बढ़ता देख कर अपनी आँखें बंद कर लेती है। नेहा जानती भी कि ये काला बुदा अब अपने काले गंदे सूखे होठों से किस करेगा।
लेकिन नेहा को हैरान कर देना वाला हो गया। नेहाने राज को अपने से दूर होता हआ पाया। जो तब से चिपका हुआ था, अब अलग हो गया था। तभी नेहा आँखें खोलकर देखती है तो राज को मुड़कर जाता हुआ पाया। लेकिन क्या क्या हो गया अचानक इसे? कल की तरह आज फिर राज ने ऐसा किया था। नेहा बड़े ही हानी भी नजर से राज को जाते हुए देख रही थी। एक काला गंदा खुट्टा गंदी सी पेंट और शर्ट में जा रहा था। नेहा के मन में बहुत से सवाल थे की क्यों राज ऐसा कर रहा है। उसके पास आकर फिर दूर जा रहा है। जबकी वो उसके साथ जो चाहे वो कर सकता था।
नेहा मन में. "कितना कमीजा आदमी हैं। लेकिन में क्यों ऐसा सोच रही हैं। भाड़ में जाए बढ़ा। में क्यों इस बड़े के बारे में इतना सोच रही हैं। छी...."
नेहा जितना चाहे डे को अनदेखा कर ले। लेकिन उसकी राज का ये व्यवहार अजीब लग रहा था। उसका ईगों उसके ऊपर हावी होने लगा था की इतना गंदा बढ़ा उस जैसी ज़बान और खूबसूरत औरत को में कुछ किए बिना ऐसे ही छोड़कर चला गया। नेहा अपने मन को फुसलाने के लिए राज के जाने का ज्यादा खयाल में नहीं लेती है। राज अब तक जा चुका था।
राज जानता था की नेहा को दिन रात खलता रहेगा की मैंने ऐसा क्यों किया? वो बस लेहा को तड़पाना चाहता
आ, और हो भी वही रहा था। नेहा का ध्यान सिर्फ राज के बारताव पा जा रहा था। उसे और कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। वो अपने कपड़े बदलते हुए भी राज के बारे में सोच रही औ। पता नहीं क्यों?
उधर राज नौकरों के क्वार्टर में जाकर बीड़ी पी रहा था। जय कहीं बाहर गया आ। राज सोच रहा था नेहा के साथ आगे क्या करना है? वो जानता है की नेहा अब गरम होती जा रही है। लेकिन इतनी आसानी से नहीं। उसको और तड़पाना होगा। तब मजा आएगा।
इधर नेहा अपने रूम में राज की हरकत को भूल भी नहीं पाई ी। उसका ईगो अब हर्ट हो रहा था। एक गंदा बूढ़ा उसके जैसी जवान खूबसूरत औरत को , अनदेखा करके चला गया। वो भी दो बार।
नेहा मन में. "उसकी तो मैं... वो बड़ा होता कौन है? कमीने बूढ़े की इतने हिम्मत? और वो लगता कौन है मेरा? दो कौड़ी का ड्राइवर .. इसके बाद उसे अपने पास आने भी नहीं दंगी में... नेहा ने बोल तो दिया था लोकल इसको कितना लागू कर पाएगी वो तो वक्त ही बताएगा।
कुछ एक घंटे बाद राज फिर से घर की तरफ आ रहा था। लेकिन तभी उसे नेहा एक मस्त साड़ी में बाहर खड़ी हुई नजर आई। नेहा को देखकर राज स्माइल करता है। जिसे नेहा देख लेती है।
नेहा को बहुत गुस्सा आता है- "हे तुम क्या दाँत निकलकर हँस रहे हो?"
राज नेहा का , गुम्सा देखकर एक पल के लिए हैरान रह जाता है। नेहा राज को खुद हामिनेट हैं ऐसा दिखाने की कोशिश कर रही थी। उसकी बातों में आटिट्यूह था।
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राज मन में- "अब इस रंडी को क्या हो गया? साली नखरे दिखा रही है। कहीं इसके साथ बिना कुछ किए
आना ज्यादा तो नहीं हो गया। इतना अच्छा साली गरम हो गई थी। कहीं मजे के चक्कर में इस माल को खो तो नहीं दिया मैंने?"
तभी वहीं गेट से एक कार अंदर आती हैं। वो घूमकर आ जाती हैं दरवाजे के पास जहाँ नेहा खड़ी भी। कार में नेहा का पति विशाल था। नेहा अब राज की तरफ गुस्से देखते हुए- “बूढ़ा कहीं का.." और फिर कार के पास चली जाती है, और कार में बैठ जाती है।
विशाल- क्या हुआ नेहा उस ड्राइवर को डॉट क्यों रही थी?
नेहा- "कछ नहीं, आप चलिए..." फिर वो कार वहाँ से चली जाती हैं।
राज बिल्कुल हरान था लेहा का ये अवतार देखक। सोचता है- "नहीं नहीं इतनी मस्त आइटम को ऐसे ही नहीं जाने दंगा। इसको तो में देखता हैं बाद में। बहुत आवाज कर रही थी. फिर वो वापस लौकों के क्वार्टर चला जाता है।
जय भी इधर वापस आ गया आ। जय राज को उदास बैठा देखकर- "क्या हआ बे?"
राज कुछ नहीं बोलता।
जय- बोलेगा भी?
राज- अबे कुछ नहीं मौं मत चाँद, चुप बैठ जा।
जय चुप हो जाता है। इसी तरह शाम हो जाती है। नेहा और उसका पति कहाँ से घूमकर आ चुके थे। और
अपने बेडरूम में एकदूसरे की बाहों में पड़े हुए थे। पति और पत्नी का प्यार चल रहा था। अब विशाल नेहा को बेड पर लिटा देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है। विशाल नेहा को रोमांटिक लुक देता है और उसकी गर्दन पर किस करने लगता है।
नेहा- “आहह..." और नेहा की आह बड़े ही सेक्सी अंदाज में निकल रही थी।
आज दोनों गोमांटिक मूड में थे। वो दोनों रोमांस के चक्कर में दरवाजा बंद करना भल गये थे। अब विशाल नेहा की साड़ी उतार देता है। नेहा अब पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी। उसका गोरा बदन मस्त झलक रहा था। विशाल बेकाबू हो जाता है अब और नेहा की बड़ी-बड़ी चूचियों पर टूट पड़ता है।
विशाल- क्या मस्त आइटम दिख रही हो।
हा- अच्छा ... आइटम और में?
विशाल- हौं।
इसपर दोनों हसते हैं। विशाल नेहा की चूचियां एक हाथ से दबाते हुए अब उसकी नाभि तक पहुंचता है धीरे-धीरे चूमता है।
नेहा- “आहह.."
विशाल नेहा की गोरी नाभि पर चूम रहा था। नेहा की सिसकारियां बढ़ रही थी।
नेहा- “आह्ह... हम्म... उमम्म.."
शोड़ी देर बाद विशाल नेहा के नीचे आ जाता है, और उसका पेटीकोट ऊपर करने लगता है। नेहा की नजर सिसकारी लेते हुए अचानक दरवाजे पर चली जाती है। उधर किसी चकित खड़ा देखकर नेहा हैरान रह जाती है।
वो और कोई नहीं राज था, जो थोड़ी देर पहले ही आया था। वो दरवाजे से छुप कर अंदर देख रहा था। राज को देखकर नेहा फिर से गुस्सा होने लगती है। लेकिन अगले ही पल विशाल नेहा की पेंटी पर उंगली रख देता है।
नेहा- “आहह... विशाल्ल." लेकिन नेहा बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी, जहाँ राज खड़ा था।

राज नेहा को देखकर एक बार स्माइल करता है। लेकिन नेहा उसे गुस्से से देखती है। नेहा को एक और झटका लगता है तब जब राज नेहा को अपना लण्ड पेंट के ऊपर से मसलकर दिखाता है। नेहा एकदम से इधर देखती है. राज की उस हरकत से।
विशाल अपने काम में लगा हुआ था। विशाल अब उठ जाता है और अपने कपड़े निकालने लगता है। नेहा राज
की तरफ देख रही थी।
नेहा मन में- "देखो तो कैसा कमीना बढ़ा झोंक रहा है। जरा भी शर्म नहीं है। अटा कहीं का.." जेङ्गा चाहे राज
को बोल रही थी बरा भला, लेकिन राज की बात आते ही उसकी चूत गीली होने लगी थी। पता नहीं क्यों? नेहा इधर विशाल की तरफ देखती है जो बेकाबू हो रहा था। नेहा जानती थी की अञ्ज विशाल उसको नंगी करेगा।
नेहा मन में- "मैं इस गंदे बूढ़े के सामने नंगी नहीं रह सकती। कमीना अदा कहीं का.."
नेहा अब दरवाजे की तरफ राज को देखते हुए- "विशाल दरवाजा तो बंद कर दो..."
राज भी ये सुनकर एक अजीब नज़र से नेहा को देखता है। जैसे कह रहा हो- "ये क्या किया तूने?'
नेहा भी अपना मान दिखाते हुए अपना मुँह इधर कर लेती हैं।
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कड़ी_07

राज जल्दी से छुप जाता है।
विशाल- "वी हाँ हालिंग, दरवाजा तो खुला रह गया.. और विशाल अब जाकर दरवाजा बंद कर देता है।
राज भी उदास मुँह लिए वापस चला जाता है लौकर क्वार्टर। नेहा और विशाल तकरीबन एक घंटा सेक्स करते हैं। और फिर वही लेट जाते हैं।
इधर नौकर क्वार्टर में। रात में राज रूम में बैठा हुआ था। तभी वहीं बाहर से कुछ आहट होती है। राज अस
अपने ख्यालों में आ, नेहा के बारे में सोच रहा था। तभी दरवाजे से जय और नीलू किस करते हुए अंदर आते हैं। दोनों एकदम पागलों की तरह किस कर रहे थे। राज भी हैरान था दोनों को ऐसे किस करता देखकर। जय किस करते हुए नीलू की चूत उसकी साड़ी के ऊपर से दबा रहा था।
नीलू- "अहह... उम्म... हुंम्म.."
राज. "अबे ये क्या चल रहा है?" अब वो दोनों किस तोड़ते हैं।
नीलू- इसको क्या हो गया जय?
जय- पता नहीं साला सुबह से ऐसा कर रहा है।
नीलू अब राज के पास जाकर उसकी गोद में बैठ जाती है और उसको किस करने लगती हैं। जय अब अपने कपड़े निकलकर नंगा हो जाता है। ओड़ी देर किस करने के बाद राज और नीलू किस तोड़ते हैं।
जय अब नीलू को अपनी तरफ खींचकर- "साली आज बहुत गर्मी है तुझमें, लगता है। चल देखते हैं कितनी गर्मी है तुझमें। कपड़े निकाल जल्दी."
नीलू अपने पूरे कपड़े निकालकर नंगी हो जाती हैं। नीलू की नंगी देखते ही जय उसपर टूट पड़ता है। वो लीलू
की चचियां पागलों की तरह चूसने लगता है।
जौल- "आअहह.. रहमान्न... धौरे करना..." और नीलू जय के सिर को अपनी चूचियों पर दबा रही थी।
राज इन दोनों को देखकर अब गरम हो गया था। इसलिए वो अब अपने कपड़े निकाला देता है। राज अब
र उसकी बालों वाली चूत में उंगली डाल देता है। नीलू एकदम से उछल पड़ती है। लीलू की दोनों मसल रहे थे। लील बस मदहोश हर जा रही औ। तभी जील के दोनों हाथ जय और राज के लण्ड पर चले जाते हैं। वो दोनों लण्ड अपने हाथों से ऊपर-नीचे करने लगती है। राज को नेहा की हरकत का बहुत गुस्सा
था। वो अब नीलू का मुँह पकड़कर अपना काला लण्ड उसकी तरफ करते हुए घुसा देता है उसके मुँह में।
नीलू और जय दोनों हरान में राज के इस अचानक हमले से। राज का काला मोटा लण्ड नीलू के छोटे मुह में अब घुसा हुआ था। राज अब जैसे जानवर बन गया था। वो अब नीलू के मुँह में अपना लण्ड तेजी से अंदर बाहर करने लगता है। नीलू को बहुत तकलीफ हो रही थी। और राज बहुत तेजी से अपना लण्ड उसके मुँह में हाल रहा था। नीलू की आँखें बड़ी हो गई थी, साइड में जय बड़े ही हैरत में देख रहा था।
जय- अबे क्या हो गया?
राज बिना कुछ बोले बस नीलू के मैंह को चोद रहा था। राज का काला बड़ा लण्ड लील को तकलीफ दे रहा था। उसकी आँखों से आँसू आ रहे थे। राज बिल्कुल जानवर की तरह आक्ट कर रहा था। जय बस अपना लण्ड साइड में हिला रहा था।
जय- अधे मुझे करने दे ना। तू अकेला करेगा क्या?
राज तो जय को सुन ही नहीं रहा था। राज के धक्के भी अब तेज हो गये थे। थोड़ी देर बाद राज अपना पूरा लण्ड अंदर तक नीलू के मुँह घुसाकर सकता है। नीलू तिलमिला रहा थी, राज को पीछे धकेलने के लिए।
लेकिन राज बस जील को वैसे पकड़े हुए रहता है।
जय- अबे छोड़ उसे क्या मार डालेगा?

राज लेकिन फिर भी नहीं छोड़ता। जय अब राज को हटाने लगता है। नीलू जैसे बेहोश होने जय अब अपनी फी ताकत लगाकर राज को हटाने में कामयाब हो जाता है। नीलू लण्ड बाहर निकलते ही जमीन पर गिर जाती हैं, खौंसते हुए। उसकी सांसें फूल गई थी। राज का लण्ड उसके गले तक जा रहा था। राज अब खड़ा था। जय उसे पकड़े हुए आ।
जय- क्या बे, क्या हो गया तुझे?
राज कुछ नहीं बोलता।
जय अब जाकर नीलू को देखता है जो बुरी तरह सांस ले रही थी- "अरे ठीक तो है त?"
नीलू खौंसते हुए "ही में ठीक हूँ.." वो राज की तरफ देखते हुए बोलती हैं। राज जो भोड़ी देर तक चुप बैठा
था अब उधर आता है। राज को आता देखकर नीलू डर जाती है।
जय- अब्जे सक त पागल तो नहीं हुआ, जान लेगा क्या उसकी?
राज उसकी बात सुने बिना अब नीलू को उठाता है और उसको किस करने लगता है। वो किस भी पागलों की तरह कर रहा था। नौलू नहीं समझ पा रही भी की आखिर राज को क्या हुआ है आज? भोड़ी देर किस करने के ब्बाद वो नीलू को छोड़ता है, और उसको जमीन पर लिटा देता है, और खुद उसके ऊपर आ जाता है। नीलू जैसे राज की तरफ भीगी बिल्ली की तरह देख रही थी। जिसे खौफ हो किसी बात का। अब राज नीलू की बलों वाली चूत पर लण्ड रखकर एक धक्का लगाता है।
नीलू- "हाय मेरी.......
राज- "क्या मेरी?" और एक धक्का लगाता है। इस बार उसका लण्ड आधे से ज्यादा अंदर चला जाता है।
नीलू- "अहह... राज मेरी चूत."
राज- क्या तेरी चूत?
जौल- “ोड़ा धीरे कर ना.."
राज अब लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है। नीलू की चदाई शुरू कर दी भी राज ने। राज के धक्के बहत तेज थे। वो नेहा का गुस्सा नीलू पर भरपूर उतार रहा था।
नीलू- आह्ह.. ोड़ा धीरे चोद रे राज।
सस
जय पीछे खड़ा देख रहा था, नीलू की चूत में राज का लण्ड अंदर-बाहर होते हुए देखते वा कुछ नहीं कर सकता था। क्योंकी राज नीलू को इतनी आसानी से छोड़ेगा नहीं उसे पता आ। राज नीलू की चुदाई अलग अलग पोजीशन में काफी देर तक करता है। जय भी थोड़ी देर उसकी चुदाई करता है फिर नीलू लड़खड़ाते हुए चली जाती है वापस।
अगली सुबह राज और जय घर के अंदर किचेन में जाते हैं। वहीं नीलू भी औ। कल रात के बाद वो ठीक से चल नहीं पा रही थी, राज ने जो उसकी हालत की भी उसके बाद। लेकिन नीलू ये भी जरूर जानती भी की राज जैसा मर्द किसी औरत की क्या हालत कर सकता है। राज और जय घोड़ी देर बाद खाकर बाहर जाने लगते हैं।
तभी लेहा सीदियों से नीचे उतरते हुए राज को देखती है। नेहा को अभी भी गुस्सा आ राज पर। अब वो राज को आटिट्यूह दिखना चाहती थी।
नेहा- नीलू।
नेहा की आवाज सुनकर राज पीछे मुड़कर देखता है, तो नेहा उसकी तरफ गुस्से से देख रही थी।
नेहा- नीलू।
तभी नीलू भागते हुए किचेन से आती है- "जी मालकिन.."
नेहा- "नाश्ता तैयार हुभा की नहीं?" और नेहा बात राज की तरफ देख कर कर रही थी। जैसे उसको गुस्सा दिखा रही हो।
जय वहाँ से जा चुका था। लेकिन राज वहाँ रुक कर लेहा को देख रहा था।
नीलू- जी मालकिन, हो गया है।
नेहा- "ठीक है, टेबल पर लगा दो... फिर नेहा वहाँ से चली जाती है अपने रूम में।
राज भी कुछ सोचता हुआ अपने क्वार्टर में चला जाता है। राज नहीं समझ पा रहा था की नेहा को क्या हो गया है? लेकिन वो सोने के अंडे देने वाली यह मुर्गी आसानी से छोड़ने वाला नहीं था। एक घंटे बाद सब मर्द काम पर चले जाते हैं। राज नहीं गया था। उसको तो बस नेहा को पाला आ। थोड़ी देर बाद वो घर के अंदर चला जाता है। घर की औरतें अपने-अपने रूम में भी
राज टहलते हुए किचेन तक पहुँचता है। वो वहाँ कक कर देख रहा था की नेहा कहाँ से आ जाए। लेकिन नेहा
का कुछ अता-पता नहीं था। राज अब अपने कदम सौदियों पर बढ़ा देता है। चलते हए वो नेहा के रूम तक पहुँचता है। दरवाजा थोड़ा सा खुला था। राज अंदर झौंक कर देखता है तो उसे नेहा बेड पर लेटी हुई नजर
आती है।
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
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Re: बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

Post by Masoom »

नेहा एक टाप और नाइट पेंट में भी। वो पीठ के बल लेटी हुई थी, जिससे उसकी चूचियां पहाड़ की तरह खड़ी
थी। बड़े आराम से वो जींद में थी।
राज बाहर से नेहा को देखकर- “आहह... मेरी यानी क्या मस्त होकर सो रही है। राज नेहा को देखकर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। अब वो धीरे से अंदर चला जाता है। नेहा की आँखें बंद भी। उसे नहीं पता आ की उसका बदा आशिक उसके काम में आया हुआ है। राज अब नेहा के करीब जाकर खड़ा हो जाता है। वो नेहा को नजदीक से देख रहा था। नेहा की चचियां उस टाप में मस्त दिख रही थीं।
राज अब बेड की तरफ झुकते हुए नेहा के चेहरे के पास अपना बदसूरत काला चेहरा ले जाता है। पास पहुँच कर नेहा के गुलाबी होंठों के पास अपने काले होंठ ले जाता है। तभी नेहा को अपने चेहरे पर गर्म-गर्म सौंसों का अहसास होता है, और उसकी आँखें खुल जाती हैं। अपने ऊपर राज के काले बदसूरत चेहरे को अचानक देखकर वो एक पल के लिए हर जाती है। तभी वो राज को अपने ऊपर से धकेलती हैं। जिसे राज बेड के नीचे गिर जाता है। नेहा भी बेड पर ठीक से बैठ जाती है।
नेहा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?
राज नीचे पड़ा हुआ अपने आपको संभालकर अब खड़ा हो जाता है, और कहता है- "क्या हालिंग, आजकल
अपने आयफ्रेंड से दूरियां बना रही हो.."
नेहा- बूटे कहीं के... मैं तेरी गर्लफ्रेंड नहीं हैं।
राज- है तू मेरी गर्लफ्रेंड मेरी जान।
नेहा- बूटू शकल देखी हैं अपनी?
राज. अब जैसी भी शक्ल है। है तो तेरे आयफ्रेंड की हो..." उतना बोलते हुए वो नेहा के पास चला जाता है।
नेहा- बूटे दूर रह मुझसे।
राज- क्या डालिंग, अपने बायफ्रेंड को नजदीक भी नहीं आने देगी?
नेहा- नहीं बिल्कुल नहीं।
लेकिन राज उसकी बात को झुठलते हर नेहा को बेड पर धकेल देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है। नेहा नीचे से राज को देख रही थी। अभी भी उसके चेहरे पर गुस्सा था। तभी राज अपने होंठ एक बार नेहा के होंठों पर लगाकर हटा लेता है, और मुश्कुरा कर नेहा को देखता है।
नेहा के पास राज की इस हरकत का कोई जवाब नहीं था। लेकिन नेहा अपना आर्टिट्यूह रखना चाहती थी। नेहा बोली- "बटे तम्म... ..." वी उतना बोली ही थी की राज ने फिर से उसके गुलाबी होंठ पर अपने काले होंठ रख दिए थे।
राज इस बार नेहा के होंठ चूसने लगता है।
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