एक अधूरी प्यास- 2

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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रात को निर्मला की मदमस्त जवानी देखकर अशोक से रहा नहीं गया और वह बिस्तर पर लेटी हुई निर्मला की गाउन में से झांकती आर्ट की गांड को देखकर उत्तेजित हो गया और उत्तेजना वश वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर निर्मला की गोल-गोल कहां पर रखते हुए उसके बेहद करीब होकर उसके कान में बोला।

तुम बहुत खूबसूरत हो निर्मला.....(लेकिन निर्मला उसकी बात को अनसुना करके आंख बंद करके लेटी रही.. निर्मला की गोरी गोरी गांड उसे पागल बना रही थी वह अपनी हथेली उस पर फिरा रहा था... नितंबों का मखमली एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ा रहा था। महीनों गुजर गए थे अशोक ने निर्मला के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाया था। अशोक तो अपनी बहन के साथ मस्ती भरे पल बिता कर अपनी वासना शांत कर लेता था। क्योंकि जिस तरह की हरकत अशोक चाहता था उस तरह की हरकत निर्मला उसके साथ बिल्कुल भी नहीं करती थी इसलिए वह निर्मला के साथ कभी भी शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा नहीं रखता था लेकिन आज बिस्तर पर अपनी बीवी की अधनंगी गांड देखकर उसकी टांगों के बीच हलचल होने लगी। उससे रहा नहीं गया और वह अपनी बीवी की गोल-गोल गांड को से लाते हुए उसे अपने साथ संबंध बनाने के लिए प्रेरित करने लगा। लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि अशोक के साथ चुदवाने में उसे जरा भी मजा नहीं आएगा।... जहां पर तलवार से जंग जीतना जरूरी होता है वहां पर सुई से लड़ना बेवकूफी होती है यह बात निर्मला को अच्छी तरह से समझ में आ गई थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पति का लंड छोटा और ज्यादा मोटा नहीं था उसके मुकाबले उसके बेटे का लंड उसके पति की अपेक्षा काफी मोटा और काफी लंबा था जिससे वह चुदकर संतुष्टि भरा एहसास महसूस करती थी.. और वैसे भी अशोक का व्यवहार उसके प्रति कुछ कुछ नहीं बल्कि बहुत ही ज्यादा अच्छा नहीं था इसलिए उसकी इच्छा नहीं हो रही थी कि वह अशोक का साथ दें इसलिए वह उसका हाथ हटाते हुए बोली।

हटिए मुझे सोने दीजिए मुझे नींद आ रही है....

क्या कर रही हो जान मेरी नींद उड़ा कर तुम खुद चैन से सोना चाहती हो। (इतना कहते हुए वह निर्मला की गाउन को थोड़ा और ऊपर उठाकर उसकी मस्त गोरी गांड को सहलाने लगा जिस पर लाल रंग की पेंटी बहुत ही ज्यादा फब रही थी। इस बार फिर से निर्मला उसका हाथ पकड़कर दूर हटा दी. )

क्या कर रही हो निर्मला मैं तुम्हारा पति हूं और मुझे पूरा हक है तुम्हारे साथ कुछ भी करने के लिए।....

पति ......आज तुम्हें यह ख्याल आया कि आप मेरे पति हो आप मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो और तभी जब तुम्हारे बदन में आग लगी हो और उस आग बुझाने के लिए आप मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो...(निर्मला गुस्से में अपनी पति की तरफ देखते हुए बोली...) बरसों से मैं आप से तिरस्कृत का एहसास करते आ रही हूं... मुझे तो अब अहसास ही नहीं होता कि आप मेरे पति हैं मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मैं इस घर में नौकर हूं....


यह क्या कह रही हो निर्मला तुम अच्छी तरह से जानती हो कि मैं काम में व्यस्त रहता हूं मुझे टाइम ही नहीं मिलता कि मैं तुम्हारे साथ बैठकर प्यार की बातें कर सकूं....


अब रहने दो बातें बनाने को मैं अच्छी तरह से जानती हूं मैं आपको पहले से ही पसंद नहीं हूं क्योंकि मैं दूसरी औरतों की तरह तुम्हारे साथ खुलकर प्यार नहीं कर सकती इसलिए तुम मुझसे प्यार नहीं करते....

(निर्मला की बातें सुनकर अशोक का मन थोड़ा पिघल रहा था उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह निर्मला के साथ अब तक पहुंच ज्यादा ज्यादती करता आ रहा था... वह अपने मन में यह सोच रहा था कि उसे मिला के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था क्योंकि इंसान भटक कर थक हार कर आखिरकार अपने घर पर ही वापस लौटता है जहां पर उसे सुकून मिलता है इस बात का एहसास उसे भी अच्छी तरह से ताकि देवला बेहद खूबसूरत औरत थी जो कि उसकी हर जरूरत को पूरा कर सकती है लेकिन वही उसकी तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत ना देखकर उससे मुंह मोड़ लिया था और इस समय उसके बदन में आग लगी हुई थी उसे बुर की जरूरत है जो कि निर्मला के पास बेहद खूबसूरत बुर थी। वैसे भी लगभग लगभग 7 दिन तक उसे चोदने के लिए कोई बुर मिलने वाली नहीं थी क्योंकि उसकी बहन की पीरियड चालू थे और ऐसे में शारीरिक संबंध बनाना ठीक नहीं था इसलिए वह आज अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए अपनी पत्नी का सहारा लेना चाहता था जो कि उसके व्यवहार की वजह से ही आज वह उसे हाथ लगाने नहीं दे रही थी वह मन में सोचने लगा कि अगर वह अपनी पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार रखता तो बिना किसी झिझक के वह उससे प्यार करती है या तो उसे प्यार करने देती लेकिन अब उसे मनाना जरूरी था इसलिए वह बोला।)

मैं जानता हूं निर्मला कि मैंने तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया हूं लेकिन मैं दिन-रात काम करता हूं किसके लिए सिर्फ तुम्हारे लिए तुम्हारी खुशियों के लिए कि तुम्हें और शुभम को किसी बात की तकलीफ ना हो तुम दोनों अच्छे से रहो इसलिए तो मैं दिन रात मेहनत कर रहा हूं....

सिर्फ ऑफिस में ही काम करते रहना कभी इस बात की खबर मत लेना कि घर में तुम्हारी बीवी भी है जो कि तुम्हारा इंतजार करती रहती है तुम्हारे तरफ से दो प्यार के बोल सुनने के लिए तड़पती रहती है।...

ओफ्फौ.... निर्मला किसने कहा कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।... चलो कोई बात नहीं अब से मैं तुम्हें रोज प्यार करूंगा मैं तुमसे वादा करता हूं...

आप झूठ कह रहे हैं सुबह होते ही सब कुछ भूल जाएंगे...(निर्मला कोई ऐसा बच्चा तो नहीं लग रहा था लेकिन पत्नी धर्म निभाना भी बहुत जरूरी था इसलिए वह ऊपरी मन से यह सब बातें कर रही थी।)

निर्मला यह कैसी बातें कर रही हो मैं दिल से वादा कर रहा हूं चलो मैं तुम्हें कल घुमाने ले चलूंगा और ढेर सारी शॉपिंग भी कराऊंगा...बहुत दिनों से तुम्हारे लिए किसी भी तरह की मैंने ज्वेलरी नहीं खरीदा हूं चलो कल तुम्हें अच्छा सा हार दिला देता हूं..
(हार के बारे में सुनते ही निर्मला अंदर ही अंदर खुश होने लगी क्योंकि उसे भी ज्वेलरी का बहुत शौक था लेकिन बहुत सालों से उसने यह शौक भी अपने अंदर दबाकर दफन कर दी थी... अशोक निर्मला से वादा करते हुए अपने होठ आगे बढ़ा कर उसके होठों पर रखकर उसे चूमना शुरू कर दिया... और उसे चूमते हुए उसका गाउन पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा दिया जो कि उसकी बांहों से होता हुआ उसे निकालकर निर्मला को लगभग लगभग नंगी कर दिया उसके बदन पर केवल लाल रंग की पेंटी और लाल रंग की ब्रा ही रह गई थी उसे भी अशोक उतारने में जरा भी समय नहीं लिया। बिस्तर पर निर्मला एकदम नंगी बैठी हुई थी..
निर्मला की बड़ी-बड़ी गोल चुचियों को देखकर अशोक के मुंह में पानी आ गया काफी समय के बाद अशोक अपनी बीवी को नंगी देख रहा था और उसकी कसी हुई चूची को देखकर वह एकदम पागल हो गया वह दोनों चूचियों को हाथ में लेकर उसे बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया...निर्मला की इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी कि वह बिस्तर पर अशोक का साथ दें लेकिन एक औरत होने की वजह से एक मर्द के द्वारा इस तरह की हरकत पाकर हुआ भी गर्म होने लगी...लेकिन जैसा कि वह पहले थी उसी तरह से वह कोई भी हरकत नहीं कर रही थी क्योंकि वह जानबूझकर ऐसा नहीं कर रही थी वह जानबूझकर अशोक के सामने ठंडी औरत बने रहना चाहती थी क्योंकि उसकी कोई भी ऐसी हरकत अशोक को शक करने पर मजबूर कर सकती थी क्योंकि अच्छी तरह से जानता था कि निर्मला की तरफ से उसे किसी भी प्रकार की हरकत की उम्मीद नहीं थी। इसलिए वह उसी तरह से बैठी रही और अशोक की हरकतों का आनंद लेने लगी.... अपनी बीवी की गोरी गोरी बाहों में बाहें डाल कर उसके मदमस्त जवानी का रस पी रहा था अशोक पागल में जा रहा था धीरे-धीरे वह उसे बिस्तर पर पीठ के बल लेटा दिया और अपने कपड़े उतारने लगा देखते ही देखते वह भी पूरी तरह से नंगा हो गया उसका लंड ऊतेजना के मारे खड़ा था लेकिन शुभम के लंड के आगे आधा ही लग रहा था। अपने पति के लंड पर नजर पड़ते ही निर्मला मन ही मन उसे गाली देने लगी लेकिन क्या करते हैं एक वफादार और शरीफ पत्नी होने के नाते अपना पत्नी धर्म निभा रही थी। देखते ही देखते अशोक की आंखों में उत्तेजना और मादकता की खुमारी छाने लगी.... निर्मला के अंगों के मादक उठाव और कटाव को देखकर वह मदहोश होने लगा ... अशोक निर्मला की टांगों को खोल कर उसकी बुर के दर्शन करके मस्त हो गया क्योंकि उस पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे जो कि अशोक की हरकतों की वजह से उसके बदन में भी उत्तेजना का असर देखने को मिल रहा था जिसकी वजह से उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई थी....
इस समय ऐसा लग रहा था कि निर्मला की रसभरी बुर मदन रस से भरा हुई कुंवा हो और अशोक प्यासा... वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था... निर्मला बिस्तर पर एकदम नंगी लेटी हुई थी और उसका दूधिया गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में और ज्यादा चमक रहा था उसकी उन्नत तनी हुई चूचियां अशोक के होश उड़ा रही थी .. वास्तव में निर्मला की मदहोश अंगड़ाई लेती हुई बेलगाम जवानी को संभाल पाना अशोक के बस में बिल्कुल भी नहीं था.... देखा जाए तो अशोक को खामखा निर्मला की जवानी से उलझ रहा था क्योंकि यह तय था कि उसके कमजोर लंड से उसकी मदहोश जवानी पानी फेंकने वाली बिल्कुल भी नहीं थी निर्मला की मदहोश जवानी जोकि शुभम की संगत में बेलगाम हो चुकी थी और उस बेलगाम जवानी को बस में करने के लिए केवल शुभम के बस की बात थी...
अशोक नऎ खिलाड़ी की तरह मैदान में अपना करतब दिखाने के लिए डंटा हुआ था। उसे काफी समय हो चुका था इस नए मैदान को समझने के लिए इसलिए तरह से कहा जाए तो यह मैदान अशोक के लिए बिल्कुल नया हो चुका था क्योंकि इस मैदान पर कोई मंजा हुआ खिलाड़ी रोज बल्लेबाजी करता था।
और उस खिलाड़ी ने इस मैदान के हवामान को अच्छी तरह से समझ लिया था ।
देखते ही देखते अशोक निर्मला की टांगों को फैला कर उसकी टांगों के बीच आ गया और अपनी बीवी की फूली हुई कचोरी जैसी बुर देखकर अपनी लालच को रोक नहीं पाया और अपना मुंह आगे बढ़ाकर किसी कुत्ते की तरह दूध से भरे हुए कटोरी नुमा जीभ से चाटना शुरु कर दिया.... निर्मला के बदन में भी उत्तेजना अपना असर दिखा रही थी लेकिन जिस तरह की सनसनाहट उसे अपनी बुर में उसके बेटे के चाटने से होती थी उस तरह की सनसनाहट अपने पति के चाटने से बिल्कुल भी नहीं हो रही थी वह केवल शून्य मनष्क आंखों से अशोक की तरफ देख रही थी जो कि लपालप उसकी बुर के मदन रस को जीभ से चाट रहा था। उसी अपनी बुर का मदन रस बेहद स्वादिष्ट लग रहा था... देखते ही देखते एक औरत होने के नाते अपने बदन में बदलते भाव को देखकर उसे भी मजा आने लगा जीतो कर रहा था कि वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अशोक के बालों को मुट्ठी में भींचकर उसे अपनी बुर से सटा दें...लेकिन वह अपनी तरफ से इस तरह की कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी क्योंकि अशोक के साथ उसने अभी तक इतना खुलापन कभी भी नहीं दिखाई थी इसलिए वह इस तरह की हरकत करने से डर रही थी कि कहीं ऐसा करने से उसके पति को शक ना हो जाए कि कहीं उसकी पत्नी किसी गैर मर्द के साथ संबंध नहीं बनाती है क्योंकि काफी दिनों से अशोक के मुताबिक वह शारीरिक संबंध नहीं बनाई थी ।

अशोक को मजा आ रहा था वह जितना हो सकता था उतनी चीप अपनी बुर के अंदर डालकर जा रहा था और एक हाथ से अपने लंड को लगातार हिला रहा था क्योंकि बुर चटाई पर ध्यान देने पर उसका लंड ढीला पड़ जा रहा था और वह ऐसे नहीं होने देना चाह रहा था। थोड़ी देर तक बुर से उलझने के बाद वह फिर से टांगों के बीच आ गया और इस बार वह निर्मला की दोनों टांगों को पकड़कर अपनी जांघों पर चढ़ा लिया.. निर्मला से ज्यादा तेज गति से अशोक की सांसे चल रही थी। निर्मला अपनी गर्दन उठाकर अपने पति के लेने की तरफ देखी तो उसमें जवानी से भरा हुआ कड़क पन बिल्कुल भी नहीं था बार-बार ढीला पड़ जा रहा था। उसे देखते ही वह समझ गए कि रात भर उसे करवट बदल कर रात काटनी पड़ेगी और इससे ज्यादा उसके पास जुगाड़ भी नहीं था देखते ही देखते अशोक अपनी ढीले लंड को निर्मला की कसी हुई बुर में डालने की कोशिश करने लगा जैसे तैसे करके वह बुर की गहराई में अपना लंड डाल कर कामयाब हुआ लेकिन निर्मला को कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था । इसमें उसका दोष बिल्कुल भी नहीं था जहां पर वहां घोड़े जैसे मजबूत लंबे मोटे तगड़े लंड से चुदाई का रोजाना दिल लूट रही थी वही उसी गुलाबी छेद में पतले से छोटे लंड से कहां पता चलने वाला था हालांकि पत्नी धर्म निभाते हुए वह उसी तरह से बिस्तर पर पड़ी रही और अशोक पागलों की तरह अपनी कमर को ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया।
लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे अशोक इस मैदान पर बार-बार फिसल जा रहा हो.... ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सामने हर एक बोल बाउंस फेंकी जा रही हो और वह कोशिश तो भरपूर कर रहा था लेकिन एक भी गेंद उसके बल्ले पर आ नहीं रही थी। वह काफी ताकत लगाकर धक्के पर धक्के लगा रहा था लेकिन उसका हर एक धक्का निर्मला को महसूस ही नहीं हो रहा था और जैसा कि उसने अपने पति से उम्मीद बांध रखी थी ठीक वैसा ही हुआ 10:12 धक्को मे ही उसकी विकेट उखड़ गई।
उसके लंड में पानी फेंक दिया निराशा तो अशोक को भी हुई क्योंकि वह कुछ देर तक अपनी बीवी के बदन से खेलना चाहता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया जैसे ही उसके लंड ने पानी फेंका हुआ निढाल होकर उसके ऊपर ही गिर गया ऐसा लग रहा था कि जैसे शरीर में से जान चली गई हो और दूसरी तरफ निर्मला का दिमाग खराब हो गया था अच्छी तरह से समझ गई थी कि अशोक से कुछ भी होने वाला नहीं है बेवजह पहले अशोक से शारीरिक सुख की इच्छा रखती थी जब से अपने बेटे से उसके लंड से चुदने लगी तब से अशोक को वह लगभग भूल ही चुकी थी।
खेल थोड़ा ही सही लेकिन अशोक को मजा आ गया था वह निढाल होकर सो गया और निर्मला कुछ देर तक अपने हाथों से अपने बुर रगड़ती हुई सो गई...
दूसरे दिन शुभम नहा धोकर तैयार हो गया था स्कूल जाने का समय हो गया था। वह अपनी मम्मी से स्कूल जाने के लिए कहा था वह इंकार कर दी...
निर्मला अशोक से कह चुकी थी कि शुभम को भी ले चलते हैं लेकिन वह यह कहकर इंकार कर दिया कि सिर्फ मैं और तुम चलेंगे बस शुभम को स्कूल जाने दो इसलिए निर्मला शुभम से बोली।

बेटा आज तुम अकेले चले जाओ मुझे शॉपिंग करने जाना है और मैं तुम्हारे लिए भी अच्छे अच्छे कपड़े खरीद कर ले आऊंगी।....

लेकिन मैं जाऊंगा कैसे...

बेटा आज ऑटो से चले जाओ...

क्या पापा....?

देखो बेटा आज तुम औरतों से स्कूल चले जाओ और आज शाम को तुम्हें तुम्हारी नई बाइक मिल जाएगी।
(नहीं भाई के बारे में सुनते ही शुभम खुशी से झूम उठा और खुशी के मारे वह अपने पापा के गले लगते हुए बोला।)

ओ पापा तुम बहुत अच्छे हो..... ठीक है मैं ऑटो से चला जाता हूं लेकिन अपना वादा मत भूलना शाम को मुझे नई बाइक चाहिए।

प्रॉमिस शाम को तुम्हें तुम्हारी नई बाइक मिल जाएगी.
(अपने पापा की बात सुनकर शुभम बहुत खुश हुआ और जाते-जाते बोला था।)

बाय मम्मी बाय पापा शाम को भूलना मत मेरी नई बाइक (और इतना क्या करवा चला गया..... निर्मला नई ज्वेलरी और शॉपिंग को लेकर काफी उत्साहित ही काफी समय हो गया था उसे इस तरह से शॉपिंग किए हुए अपने पति के साथ वाह शॉपिंग करना लगभग भूल ही गई थी... उसके पति ने नवी जवेरी और शॉपिंग का वादा देकर रात को उसके साथ चुदाई सुख प्राप्त किया था हालांकि इस जुदाई में निर्मला को जरा भी फर्क नहीं पड़ा था लेकिन फिर भी वह खुशी अपनी पत्नी धर्म निभा कर उसके एवज में उसे महंगे गहने खरीदने का मौका मिल रहा था लेकिन उसे अंदर ही अंदर ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह कोई रंडी हो जिसे लालच देकर उसकी बुर हासिल कर लिया गया हो...
फिर भी वह उत्सुक थी खरीदारी के लिए शुभम के जाने के बाद थोड़ी ही देर बाद दोनों कार में निकल गए शॉपिंग करने के लिए...

स्कूल में शीतल अपनी स्कूटी पार्क कर रही थी कि तभी ऑटो से शुभम को अकेला उतरता हुआ देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ गई उसके मन में उत्सुकता होने लगी क्योंकि निर्मला उसके साथ नहीं थी इसलिए वह खुद आगे बढ़कर उसके पास जाने लगी और शीतल को अपने करीब आता देखकर शुभम भी काफी खुश नजर आ रहा था।

क्या बात है आज तुम अकेले आए हो तुम्हारी मम्मी कहां है।

मम्मी आज शॉपिंग करने गई है मैं अकेला ही आया हूं। (अकेला आने की बात सुनते ही सीतल की बुर कुलबुलाने लगी। . इस बात को लेकर उसके चेहरे की चमक बढ़ गई थी और होठों पर मुस्कान आ गई थी। शुभम भी कहां पीछे रहने वाला था उसकी प्यासी नजरें शीतल की दोनों घाटियों के बीच फंसी हुई थी वह नजर भर कर उन घाटियों में खो जाना चाह रहा था। इस पल का फायदा उठाते हुए शीतल जानबूझकर लंबी सांस लेकर छोड़ने लगी क्योंकि ऐसा करने से उसकी उन्नत चुचीयां और ज्यादा उभार लेकर ऊपर नीचे हो रही थी... यह देखकर शुभम का लंड अंगड़ाई लेने लगा... वह दोनों कुछ और बातें कर पाते इससे पहले ही स्कूल के शुरू होने की घंटी बज गई और शीतल सिर्फ इतना ही कह पाए कि रिसेस में मुझसे मिलना इतना कह कर चली गई शुभम भी शीतल को जाते हुए कुछ पल तक देखता रहा वह शीतल को नहीं बल्कि शीतल के कमर के नीचे भाग को देख रहा था जो कि इस समय से इधर कुछ ज्यादा ही अपनी गांड को मटका कर चल रही थी वह जानती थी कि शुभम की नजर उसके नितंबों पर होगी और वह यही देखने के लिए एक बार पीछे मुड़कर देखी तो वास्तव में शुभम उसकी मधभरी गांड को ही देख रहा था और यह देखकर वो हंसती हुई चली गई शुभम भी अपने क्लास में जाकर बैठ गया। और रिशेष होने का इंतजार करने लगा।

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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शुभम क्लास में बैठकर बेसब्री से रिसेस की घंटी बजने का इंतजार कर रहा था क्योंकि आज उसके मन में जरा सा भी डर नहीं था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां आज स्कूल नहीं आई है और अपनी मां की ही वजह से वह शीतल से मिलना जुलना बंद कर दिया था हालांकि उसके मन में उत्सुकता बहुत होती थी शीतल जैसी खूबसूरत औरत से मिलने के लिए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था बहुत दिनों बाद आज मौका हाथ लगा था कि वह शीतल से मिल पाएगा इसलिए उसके मन में घंटी बज रही थी।.... यही हाल शीतल का भी हो रहा था निर्मला की स्कूल आने की वजह से उसके तन बदन में रोमांच की लहर उठ रही थी क्योंकि काफी दिनों बाद वह आज शुभम से मिलने वाली थी उसके तन बदन में हलचल मचने लगी खास करके उसकी दोनों चिकनी जांघों के बीच की उस पतली दरार के अंदर जिसमें शुभम के मोटे लंड को अंदर लेने के लिए वह मचल रही थी....... क्लास में पढ़ाते पढ़ाते उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी....
उत्तेजना की वजह से उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई थी जो कि वह बहुत देर से रोके हुए थी.. वह रिसेस होने का इंतजार कर रही थी। ऐसा नहीं था कि स्कूल के सारे लड़के केवल निर्मला को ही ताड़ने में लगे रहते थे। शीतल के साथ भी बिल्कुल वैसा ही होता था जब भी शीतल खड़ी होकर ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखती थी तो सारे मनचले लड़कों की प्यासी आंखें शीतल की थीरकती हुई मदमस्त गांड पर ही टिकी रहती थी। सारे लड़कों की एक ही ख्वाहिश होती थी कि वह शीतल की मदमस्त नंगी गांड को अपनी आंखों से देख सकें... लड़कों को इतना तो पता ही था कि शीतल की मदमस्त गांड जब कसी हुई साड़ी में इतना कर जाती है तब साड़ी के अंदर कैसा जलवा बिखेरती होगी... हालांकि जिस तरह से स्कूल के मनचले लड़के बाथरूम में बने छोटे से छेद से झांककर निर्मला की मदमस्त अद्भुत और अतुल्य गांड के दर्शन करते थे उस तरह का मौका उन्हें शीतल की गांड देखने को नहीं मिल पाती थी क्योंकि शीतल बाथरूम का उपयोग बिल्कुल भी नहीं करती थी... वह घर से ही पेशाब करके आती थी और घर पर जाकर ही करती थी कभी कबार ऐसा हो जाता था जब उसे महसूस होने लगता था कि अब उसे से पेशाब रोक पाना नियंत्रण के बाहर है तब वह स्कूल में बने बाथरूम का उपयोग जरूर कर लेती थी लेकिन वह भी चालू क्लास में ना कि रिसेस में लेकिन आज वह रीशेष होने का इंतजार कर रही थी।....

आखिरकार इंतजार की घड़ियां खत्म हुई और दीवार घड़ी में जैसे ही रितेश का समय हुआ वैसे ही तुरंत शीतल के कानों में घंटी की मधुर ध्वनि सुनाई देने लगी।इस घंटी की आवाज के साथ ही स्कूल में बहुत लोगों की उत्सुकता खत्म होने लगी क्योंकि बहुत से लोगों को घंटी बजने का इंतजार था उनमें से क्लास के कुछ मनचले लड़के और शुभम भी था।
दूसरी क्लास के लड़कों को क्लास में निर्मला की के हाजिरी से इतना तो पता चल ही गया था कि आज उनकी सपनों की रानी निर्मला स्कूल नहीं आई थी इसलिए उन लोगों में निराशा फैल गई थी क्योंकि उनकी सुबह का तो पता नहीं लेकिन दिन की शुरुआत निर्मला की मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करके ही होती थी लेकिन आज का दिन शायद उन लोगों के लिए कुछ खास गुजरने वाला नहीं था लेकिन फिर भी अपने मन की तसल्ली के लिए वह लोग भी बाथरूम की तरफ जाने लगे जहां पर शीतल गई हुई थी शीतल को इतने जोरो की प्रेशर के साथ पेशाब लगी हुई थी कि वह लगभग दौड़ने के अंदाज में बाथरूम की तरफ जा रही थी ... शीतल को बाथरूम की तरफ जाता हुआ देखकर मनचले लड़कों में रोमांच की लहर दौड़ने लगी उन्हें आशा की किरण नजर आने लगी जहां कुछ नहीं वहां तिनके का सहारा ही सब कुछ होता है लेकिन यह तिनका भी कोई ऐसा वैसा तिनका नहीं था यह भी एक पहाड़ जैसा ही सहारा था। उनके धड़कते दिल की तसल्ली के लिए शीतल ही काफी थी। जैसे ही सीतल बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में प्रवेश की वैसे ही उसके ठीक बगल वाले बाथरूम में मनचले लड़कों की फौज सटासट अंदर की तरफ घुस गई ।

यार आज तो शीतल मैडम की गांड देखने को मिल जाती तो भी दिन सुधर जाता।

हां यार तू सच कह रहा है लेकिन जो बात निर्मला मैडम की गांड के दर्शन करने में है वह किसी मैडम की गांड में नहीं. ।

लेकिन आज निर्मला मैडम आई क्यों नहीं...

अरे आज दोनों टांगे फैला कर ले रही होंगी किसी का।...

नहीं नहीं ऐसा मत बोल मेरा दिल बैठा जाता है निर्मला मैडम ऐसी बिल्कुल भी नहीं है देखता नहीं उनके चेहरे से कितना नूर टपकता है।

साले चेहरे से तो नूर टपकता ही है उनकी बुर से भी नुर टपकता है...

काश निर्मला मैडम हमें मौका देती तो सच कहता हूं मैं तो उनकी बुर पर मुंह लगाकर उनका पैसाब कोका कोला समझकर गटक जाता।

सालों तुम लोग बस इतना ही सोच सकते हो निर्मला रानी की गांड देखकर जिस तरह से मेरा लंड खड़ा होता है कसम से अगर मुझे मौका मिल जाए तो उनकी बुर का कचुंबर बना दुं....

बस बस अब बिल्कुल भी बात मत करो आवाज नहीं आना चाहिए ..
(उन सभी लड़कों को आपस में इस तरह की गंदी बातें करते हुए उन्हें रोकते हुए एक लड़का बोला और सबको छोटे से छेद में नजर गड़ाने के लिए इशारा किया... सभी लड़के एकदम खामोश हो गए क्योंकि वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि जरा सी भी आहट से बाजू वाले बाथरूम में आवाज साफ से नहीं देती है इसलिए सब लोग शांत हो गए और उत्सुकता के साथ अपने खड़े लंड को ठंडा करने के लिए छोटे से छेद पर नजर रख दिए...... वह लोग उस छोटे से छेद पर नजर गड़ाए हुए थे और तभी धीरे से दरवाजा खोलकर शुभम अंदर प्रवेश किया और उसकी हाजिरी का उन लड़कों को आभास तक नहीं हुआ। शुभम को समझ में नहीं आया कि आखिरकार इतने सारे लड़के छोटे से छेद से क्या देखने की कोशिश कर रहे हैं वह भी उत्सुकता वश देखने लगा तो अंदर दूसरी तरफ के बाथरूम का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया उसे साफ नजर आ रहा था कि दूसरी तरफ के बाथरूम में शीतल थी ...
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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जोकि...धीरे-धीरे अपनी साड़ी ऊपर की तरफ उठा रही थी यह देखकर उसके साथ-साथ सारे लड़कों की दिल की धड़कन बढ़ने लगी और देखते ही देखते शीतल ने जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी साड़ी को एकदम कमर तक उठा दी और ऐसा करने से उसकी लाल रंग की पेंटी जो कि जालीदार थी एकदम साफ नजर आने लगी...

यार शीतल मैडम भी क्या जोरदार माल है।

हां यार तू सच कह रहा है देख तो सही शाली पेंटी कितनी जालीदार पहनती है...

पहनती खुद होगी लेकिन उतारता कोई और होगा...

काश मुझे मौका मिलता इसकी पैंटी उतारने का तो जिंदगी सफल हो जाती है...
(शुभम दूसरी तरफ के बाथरूम के अंदर का नजारा देखते हुए उन लड़कों की गंदी बातें सुनकर मस्त हुए जा रहा था। उसे एक ही नहीं हो रहा था कि वह अपनी आंखों से जो देख रहा है वह हकीकत है शीतल को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसे इस तरह से पेशाब करते हुए उसके ही उस स्कूल के मनचले लड़के देखकर गंदी गंदी बातें कर रहे हैं। देखते ही देखते शीतल अपनी लाल रंग की पेंटी को उतारने लगी जैसे-जैसे पेंटी नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे ऐसा लग रहा था कि जैसे बहुत ही खूबसूरत दृश्य के ऊपर से पर्दा उठ रहा हो ..और अगले ही पल शीतल की नंगी गोल-गोल बड़ी गांड सारे मनचले लड़कों की आंखों के सामने थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ठंडी के मौसम में शीतल की मद भरी गरम गरम जवानी से वह लोग अपना हाथ सेक रहे हैं।
शीतल की नंगी गोरी गोरी गांड देखकर सभी लड़कों के मुंह से सिसकारी छूटने लगी शुभम को तब और ज्यादा हैरानी होने लगी जब एक साथ सभी लड़के अपने पेंट में से अपना लंड बाहर निकालकर उसे हीलाना शुरू कर दीए... यह नजारा देखकर तो शुभम के होश उड़े जा रहे थे...

हाय कातिल जवानी मेरे सपनों की रानी क्या गांड है यार इसकी... शादी दोनों टांगे फैला कर जब लंड पर बैठती होगी तो सामने वाले को कुदरत का हसीन तोहफा मिलता होगा..

हां यार सच कह रहा है तू कितना किस्मत वाला होगा इसका पति जो हर रात इसकी लेता होगा।।

अरे ना जाने कितने लोग इसकी लेते होंगे हमें क्या पता कितने लोगों को यह अपनी दोनों टांगे फैलाकर देती होगी।

साला अपना नंबर भी लग जाता तो मजा आ जाता...(शुभम को उन लोगों की गंदी बातें बेहद उत्तेजित कर रही थी और उन लोगों की बातें सुनते सुनते शुभम अंदर का नजारा देख रहा था और अगले ही पल शीतल अपने प्रेशर को रोक नहीं पाए और नीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दें वह इतनी जोर से पेशाब कर रही थी कि उसकी बुर से आ रही सीटी की आवाज बाथरूम के बीच की दीवार के छेद को पार करके उन लड़कों के कानों तक सुनाई दे रही थी और पेशाब से आ रही सीटी की आवाज सुनते ही सभी लड़के एक साथ गर्म आहहह भरने लगे....

ससहहहहहहहहह.....आहहहहहहह..... क्या मधुर संगीत है यार कसम से ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत से शीतल मैडम को बनाया है....


लेकिन सच कहूं यार जो बात अपनी निर्मला मैडम की मदमस्त गार्ड और उनकी बुर में है वैसा मजा शीतल मैडम की गांड से नहीं आ रहा है लेकिन फिर भी मस्त कर दे रही है।

यार तुम सच कह रहा है अपनी निर्मला मैडम की बात ही कुछ और है जब वह अपनी साड़ी उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए नीचे बैठकर पेशाब करती है तो समझ लो ऐसा लगता है कि सारी दुनिया वही थम सी गई हो और कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी सांस रुक जाए।

हां यार सच कह रहा है तू अपनी निर्मला मैडम की बात ही कुछ और है दिन भर में ना जाने कितनी बार निर्मलामैडमकीमत मस्त गांड के बारे में सोच सोच कर और उन्हें अपनी कल्पना में ना जाने कितनी बार चोद कर अपना पानी निकाल देता हूं।
(शुभम तो उन लोगों के मुंह से अपनी मां का जिक्र सुनते ही एकदम सन्न रह गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह सब लड़के उसकी मां के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन यह हकीकत है कि वह लड़के सभी निर्मला के बारे में ही बातें कर रहे थे उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन जिस तरह से वह लोग उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहे थे उसे सुनकर शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी अभी तक उन लड़कों को इस बात का आभास तक नहीं हुआ था कि वह जिस औरत के बारे में बातें कर रहे थे उसका बेटा उनके पीछे खड़ा होकर वह भी अंदर के नजारे का मजा ले रहा था....)

हां सच कह रहा है तू मैं तो उसको लाने से पहले बाथरूम में जाकर निर्मला का नाम ले लेकर उनकी याद में अपना लंड हिला कर पानी निकाल देता हूं।
(उन लोगों की चर्चा के बीच शीतल कुछ देर तक वहीं बैठ कर पेशाब करती रही...उसकी पुर से आ रही सीटी की आवाज से यह साफ पता चल रहा था कि वह कितने प्रेशर के साथ अपनी बुर से पैसाब फेंक रही थी। और उस सीटी की आवाज सुनकर शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था।)

लेकिन यार आज पता नहीं चल रहा है कि निर्मला मैडम आई क्यों नहीं....

ले रही होगी शाली किसी का दोनों टांगे फैलाकर वैसे भी इस तरह की खूबसूरत औरतों के दीवाने हजार होते हैं..
(उस लड़के की बात सुनकर शुभम को बहुत गुस्सा आ रहा था वह कुछ बोलना चाह रहा था लेकिन अपने आप को संभाले हुए था)

तो क्या यार आज शीतल मैडम दोनों टांगे फैला कर अपनी बुर किसी को दे रही होंगी।

हां तो दे ही रही होंगी ना इतनी खूबसूरत बुर को कौन नहीं लेना चाहेगा अरे उनका पति नहीं लेता होगा तो दूसरा कोई लेता होगा।

यार मुझे तो शुभम पर तरस आता है कितना भोला भाला है कसम से अगर मैं उसकी जगह होता तो अब तक कितनी बार निर्मला रानी की चुदाई कर चुका होता...भले ही वह रिश्ते में मेरी मां लगती तो क्या हुआ ऐसी खूबसूरत औरत को भला कौन चोदना नहीं चाहेगा...

साले तू क्या अगर मैं भी उसका बेटा होता तो अब तक न जाने कितनी बार चढ़ गया होता....

साला सुभम में एकदम बेकार है इतनी खूबसूरत मम्मी होने के बावजूद बेकार की जिंदगी जी रहा है। साला हम लोग निर्मला मैडम की टांगों के बीच झांकने के लिए तरसते रहते हैं और मौका ढूंढते रहते हैं कि कब ऐसा सुनहरा मौका मिले की निर्मला मैडम की बुर के साथ-साथ उसे चोदने का मौका मिल जाए और शुभम साला भोला बना बैठा...यहां पर वह पौधा पढ़ने के लिए आ गया और घर पर कोई और उसकी मां की चुदाई कर रहा होगा ।
(शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसे गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं उन लोगों की बातें और वह भी उसकी मां की गंदी बातें सुनकर उसके मन में उत्सुकता के साथ साथ उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी... सामने दूसरी तरफ के बाथरूम में दृश्य पर पर्दा पढ़ने वाला था क्योंकि शीतल मैडम मुत चुकी थी... और वह खड़ी होने जा रही थी वह कपड़े पहन कर वह बाथरूम से बाहर निकलती इससे पहले ही शुभम दबे पांव से बाथरूम से बाहर निकल गया और दो कदम पीछे हट कर दीवाल की ओट से खड़े होकर शीतल के निकलकर जाने का इंतजार करने लगा और कुछ ही सेकेंड बाद शीतल अपने कपड़े ठीक करते हुए बाथरूम से बाहर निकली और अपनी क्लास रूम की तरफ जाने लगी और थोड़ी ही सेकेंड बाद सारे के सारे मनचले लड़के अपना पानी निकाल कर बाहर निकल आए...
अपनी मां के बारे में और शीतल मैडम की मदमस्त गांड को देखकर और उसे पेशाब करता हुआ देखकर शुभम काफी उत्तेजित हो गया था और वहां भी शीतल की क्लास रूम की तरफ जाने लगा।.....


बाथरूम में शीतल के खूबसूरत नंगे बदन के दर्शन करके और अपने सहपाठियों के द्वारा खुद अपनी ही मां के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर पूरी तरह से गर्मा चुका था... पजामे में लंड लोहे के रोड की तरह हो गया था जिसे वह सब की नजरों से छुपा कर निर्मला के क्लास रूम की तरफ आगे बढ़ रहा था।
क्लासरूम के करीब पहुंचा तो क्लास का दरवाजा हल्का खुला हुआ था वह धीरे से दरवाजा खोलकर अंदर की तरफ देखा तो कुर्सी पर शीतल बैठी हुई थी जो कि उसी का ही इंतजार कर रही थी शुभम को देखते ही बोली।

आओ सुभम मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हुं...(इतना कहकर वो खुद कुर्सी पर से उठकर उसकी तरफ आगे बढ़ी.... शुभम क्लास में प्रवेश कर चुका कि तभी आगे बढ़कर शीतल क्लास रूम का दरवाजा बंद करके सीटकिनी लगा दी.. दरवाजे को इस तरह से बंद करना एक तरह से शुभम के लिए इशारा था कि वह उससे प्यार करना चाहती है...शुभम के मन में लड्डू फूटने लगे जब वह इस तरह से शीतल को दरवाजा बंद करते हुए देखा तो.... दरवाजा बंद होते ही सीतल अपने आप पर काबू नहीं कर पाई और तुरंत शुभम की तरफ घूम कर उसे अपनी बाहों में भरते हुए बोली ....)

औहहहहहह शुभम तुम्हारे बिना में कितना तड़प रही हूं तुम नहीं जानते.... महीना गुजर गया लेकिन ऐसा लग रहा है कि तुम से मिले मुझे बरसों हो गया है....निर्मला नहीं आई है तब जाकर मुझे मौका मिला है तुम्हें इस तरह से अपनी बाहों में भरने का... क्या शुभम तुम्हें मेरे बिना अच्छा लगता है जो मुझसे बात तक नहीं करता.....

नहीं मैडम...

मैडम नहीं शीतल बोलो ...(शुभम की आंखों में देखते हुए बोली।)

शीतल सच कहूं तो तुम्हारे बिना मुझे एक पल भी अच्छा नहीं लगता लेकिन क्या करूं मजबूरी है ना तो हम दोनों उस दिन पकड़े जाते....

उस दिन की बात मत करो शुभम....

क्यों ना करूं शीतल सच कहूं तो मुझे उस दिन बहुत मजा आ रहा था जब तुम मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं हवा में उड़ रहा हूं...(शुभम जानबूझकर शीतल को उस दिन वाली बात और भाभी लंड चूसने वाली बात याद दिला रहा था क्योंकि उसका मन आज बहुत कर रहा था किसी पर उसका लंड मुंह में लेकर चूसने क्योंकि वैसे भी बाथरूम में शीतल की नंगी बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जो कि भेजा में में ठोकर मार रहा था बाहर निकलने के लिए....)

क्या सच में तुम्हें शुभम अच्छा लग रहा था उस दिन .

बहुत अच्छा लग रहा था शीतल बल्कि मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि वह एन मौके पर आ गई थी। ...(शुभम थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने दोनों हाथों को शीतल की मखमली कमर पर रखते हुए धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ाया और शीतल की मदमस्त बड़ी-बड़ी कसी हुई गांड को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया जिससे शुभम का मोटा तगड़ा लंड पजामी मिल होने के बावजूद भी अपनी ठोकर का एहसास शीतल की बुर की दिवारी के ऊपरी भाग पर करा गया ...
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

आहहहहहहहह .. शुभम धीरे तुम्हारा यह लंड बहुत चुभता है ....(शीतल कुछ भी छुपाना नहीं चाहती थी इसलिए सीधे-सीधे लंड शब्द का उपयोग कर गई क्योंकि वह सब कुछ जल्दी जल्दी करना चाहती थी इसलिए कोई झिझक मन में नहीं रखना चाहती थी शीतल के मुंह से लंड शब्द सुनकर शुभम की उत्तेजना बढ़ गई और वह और जोर से शीतल की गांड को मसलते हुए अपने लंड की तरफ दबाव देने लगा)

क्या करूं शीतल तुम्हें देखकर इसका बुरा हाल हो जाता है।

इसका बुरा हाल हो जाता है पागल हो गए हो बल्कि यह तुम्हारा यह लंड किसी औरत की बुर में चला जाए तो उसका बुरा हाल कर दे...(शीतल एकदम अश्लील गंदी शब्दों का प्रयोग करते हुए बोली जो कि शुभम को निरंतर उत्तेजना में वृद्धि कर रहा था शीतल के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे मज़ा आ रहा था वह शीतल की बात का जवाब देते हुए बोला....)

क्यों शीतल ऐसा कह रही हो मुझे तो नहीं लगता कि मेरे लंड में कुछ दम है कि जिस तरह का तुम कह रही हो उस तरह का हाल हो जाएगा....

तुम पागल हो शुभम मैं एक औरत हूं और एक औरत होने के नाते अच्छी तरह से जानती हूं कि औरतों की बुर को किस तरह का लंड चाहिए रहता है। सच कहूं तो हम मरते तुम्हारे जैसे मर्द के साथ-साथ तुम्हारे जैसे मोटे तगड़े लंड की कल्पना करते रहते हैं और शायद ही किसी को ऐसा लंड नसीब होता है....(शीतल पजामे के ऊपर से शुभम के तने हुए लंड को मसलते हुए बोली।)

तो क्या शीतल तुम्हारी मतलब कि तुम्हारी...(शुभम जानबूझकर अपनी बात कहते हुए डरने का नाटक करते हुए बोला...)

क्या तुम्हारी अरे जो कहना है साफ साफ कहो मुझसे क्यों शर्मा रहे हो...

मैं क्या कहना चाह रहा था शीतल की क्या मेरा लंड का तुम्हारी बुर में जाएगा तो क्या तुम्हें अच्छा लगेगा...(शुभम के मुंह से इस तरह से खुली बातें सुनकर और वह भी सीधे-सीधे उसकी चुदाई की बात सुनकर वह खुश होते हुए बोली ।)

तू पागल है मैं तो तड़प रही हूं तेरे लंड को अपने बुर में लेने के लिए बस मौका नहीं मिल रहा....

मौका तो है....(खाली क्लास रूम की तरफ देखते हुए बोला।)

नहीं नहीं यहां मौका बिल्कुल भी नहीं है..... हां लेकिन इतना कर सकती हूं....(इतना कहते हुए सीता एक बार फिर से शुभम के सामने अपने घुटनों के बल बैठ गई शुभम को समझते देर नहीं लगी कि आप वहां क्या करने वाली है अभी भी उन लोगों के पास 10 मिनट जैसा समय था.... शीतल एक पल भी गवांए बिना तुरंत शुभम के पेंट की बटन खोल कर तुरंत पेंट को घुटनों तक नीचे सरका दी... अंडरवियर में ऐसा लग रहा था कि जैसे खूंटा गड़ा हो जिसे देखते ही शीतल की बुर कुल बुलाने लगी और अपनी स्वीकृति दिखाने हेतु उसमें से मदन रस की दो-तीन बूंदे टपक गई जो कि पेंटी को गीला करने लगी। शीतल फुर्ती दिखाते हुए तुरंत शुभम की अंडरवियर को पकड़कर नीचे खींच दी अंडरवियर के नीचे आते हैं शुभम का मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा और बड़ा ही भयानक लग रहा था लेकिन शुभम के भयानक मोटे तगड़े लंड को देखकर शीतल को जरा भी भय नहीं लग रहा था बल्कि उसकी आंखों में उसे पाने की उसे निकल जाने की चमक साफ नजर आ रही थी। शीतल शुभम की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए शुभम के लंड को पकड़ कर उसे अपने मुंह में भर कर तुरंत चूसना शुरू कर दी मानो कि जैसे वह लंड ना हो कोई आइसक्रीम कौन हो... देखते ही देखते शीतल इंच दर इंच शुभम के लंड को अपने मुंह में गले तक उतार कर उसे चूसने का आनंद लेने लगी शुभम का लंड इतना ज्यादा मोटा था कि ऐसा लग रहा था कि शीतल के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया गले तक उतार कर चूसने में शीतल को तकलीफ हो रही थी लेकिन शुभम के मोटे तगड़े लंड को इस तरह से चूसने की लालच वह रोक नहीं पाई और लगातार चूसना शुरू कर दी...शुभम तो जैसे हवा में उड़ रहा हूं ऐसा लग रहा था कि कोई जादुई उड़न खटोला उसे उड़ाए लिए चला जा रहा है।
Sheetal is tarah se Shubham k note tagde lund Ko muh me lekar Chus rahi thi..




PURA gale tak lekar Chus rahi thi



सब कुछ भूल कर व शीतल के द्वारा लंड चुसाई का आनंद लूट रहा था शीतल की मदमस्त


जवानी के खुमारी में उसकी आंखें बंद होने लगी थी.... शीतल पागलों की तरह लंड का मजा ले रही थी.... टेबल पर घर से लाया हुआ टिफिन पड़ा हुआ था जिसमें खाना ज्यों का त्यों पड़ा हुआ था शीतल एक निवाला भी अपने मुंह में नहीं डाली थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी भूख मिटाने के लिए व शुभम के लंड को ही खा जाएगी.... शुभम भी पागलों की तरह अपने दोनों हाथों से शीतल का खूबसूरत चेहरा पकड़ कर अपनी कमर को आगे-पीछे करते हुए हिलाने लगा ऐसा लग रहा था मानो वह शीतल की बुर में लंड पेल रहा हो....
एक शिक्षिका होने के नाते शीतल को यह गंदा काम बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए था और वह भी क्लास रूम में लेकिन वह एक शिक्षिका होने से पहले एक खूबसूरत लेकिन प्यासी औरत थे जिसके लिए सब कुछ जायज था। वह अपनी प्यास बुझाने के लिए शुभम के मोटे तगड़े लंड का स्वाद ले रही थी उसकी बहुत इच्छा हो रही थी कि मुंह से निकालकर शुभम के लंड को अपनी बुर में पेलवा ले ... लेकिन समय का अभाव था और महीनों बाद मिले इस मौके को वह ऐसे ही जाने नहीं देना चाहती थी इसलिए दोनों टांगे फैला कर मुंह में लेने से अच्छा था कि समय का सही उपयोग करने के लिए वह घुटनों के बल बैठकर शुभम के लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी।
और वैसे भी शीतल इस तरह से जल्दबाजी में शुभम से नहीं सुनना चाहती थी वह शुभम से चुदवाना तो चाहती थी लेकिन इतने महीनो से बरसो से दबी चिंगारी को इस तरह से दो चार बुंदो में शांत नहीं होने देना चाहती थी बल्कि उसे सावन की फुहार की प्यास थी जोकि उसके लिए शायद समय नहीं आया था।
शीतल की बुर में आग लगी हुई थी क्योंकि एक बेहद तगड़े मोटे लंड को हाथ में लेने के बावजूद भी वह इतनी मजबूर थी कि उसे अपनी बुर का रास्ता नहीं दिखा पा रही थी इसलिए वह एक हाथ से साड़ी के ऊपर से अपना फूली हुई बुर को दबा दबा कर उसे शांत करने की कोशिश कर रही थी दूसरी तरफ शुभम पागलों की तरह शीतल के मुंह में अपना लंड पेल रहा था।

शीतल की मदहोश कर देने वाली जवानी के नशे में हुआ इस कदर खो गया कि उसे इस बात का भी अहसास नहीं हुआ कि वह इस समय क्लासरूम में शीतल के मुंह में अपना लंड पेल रहा है। वह भी क्या कर सकता था हाथ में आए इतनी सुनहरे मौके को वह हांथ से गवाना नहीं देना चाहता था।
शुभम का लंड ईतना मोटा था कि वह पूरा मुंह खोल कर भी आराम से उसके लंड को अपने गले तक नहीं उतार पा रही थी लंड की मोटाई की वजह से उसे अपने होंठों पर उसकी रगड़ साफ महसूस हो रही थी....आज दूसरी बार शुभम के लंड को इस कदर मुंह में लेकर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जब शुभम का मोटा तगड़ा लंड मुंह में इतना मजा दे रहा है तो जब उसका लंड उसकी कसी हुई बुर में जाएगा तो कितना मजा देगा इस बात का एहसास उसे और ज्यादा उत्तेजित कर गया और वह जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को मसलना शुरू कर दी.....
दोनों की सांसें चल रही थी दोनों अपनी-अपनी तरह से मजा ले रहे थे शुभम शीतल के मुंह में ही धक्के पर धक्के लगा रहा था उसका पानी निकलने वाला था इस बात का अहसास उसे हो गया और वह हकलाते स्वर में बोला...

शशशशशशीतल . मुंह में से निकालो मेरा निकलने वाला है.... (इतना कहते हुए शुभम अपनी कमर को पीछे की तरफ ले रहा था कि तभी शीतल एक हाथ पीछे की तरफ ले जाकर शुभम की गांड को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर और जोर से उसका लंड चूसने लगी... जो कि यह शीतल की तरफ से शुभम के लिए इशारा था कि वह उसके लंड को अपने मुंह में ही झाड़ना चाहती है.... शुभम भी शीतल का इशारा पाकर और ज्यादा उत्तेजित होते हुए दुगनी रफ़्तार से अपनी कमर चलाने लगा और अगले ही पल उसके लंड में से पानी की पिचकारी भल भलाकर निकलने लगी जो कि देखते ही देखते शीतल के मुंह को भर दे लेकिन शीतल इतनी ज्यादा कामाग्नि की तपन में तप रही थी कि शुभम के लंड से निकले पानी की एक-एक बूंद को अपने गले से नीचे उतार ले गई.....
दोनों शांत हो चुके थे शुभम अपने कपड़े ठीक करते हुए बोला...

शीतल तुमने तो आज मुझे एकदम खाओ खुश कर दी मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि इतनी खूबसूरत औरत के साथ मैंने यह काम किया हूं...(शीतल अपने बालों को ठीक कर रही थी और उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि वह उसकी तारीफ ही कर रहा था...) लेकिन पता नहीं है मौका आप कब मिलेगा लेकिन जाते-जाते शीतल मैं तुम्हारी मैं तुम्हारी.... अब कैसे कहूं मुझे समझ में नहीं आ रहा है....

बेझिझक कह दो मेरे सामने शर्माने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।(शीतल पर्स में से अपना रुमाल निकाल कर मुंह साफ करते हुए बोली)

मैं तुम्हारी एक बार बुर देखना चाहता हूं....

बस इतनी सी बात (शीतल मुस्कुराते हुए बोली।.. इतना कहने के साथ ही सीतल रुमाल को टेबल पर रख कर अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी.... एक बार फिर से शीतल की नंगी मांसल टांगें नजर आने लगी लेकिन अभी भी उसके बदन पर लाल रंग की पेंटी चढ़ी हुई थी जिस पर उसकी नजर पड़ते ही वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सीतल बोली ।)

ले अपने हाथों से पेंटी उतार कर देख ले..... (शीतल की यह बात सुनकर शुभम मन ही मन खुश होने लगा उसके मन में लड्डू फूटने लगे... वैसे तो उसने बेहद हसीन और खूबसूरत और कई ज्यादा रसीली बुर के दर्शन के साथ साथ उनका स्वाद भी चख चुका था लेकिन उसे नई-नई बुर के दर्शन करने का जैसे शौख सा हो गया था... इसलिए वह शीतल की बुर को बेहद करीब से देखना चाहता था उसे स्पर्श करना चाहता था वैसे तो वह शीतल की मदमस्त गोरी गोरी नंगी गांड को बाथरूम में देख ही चुका था... शीतल की तरफ से स्वीकृति पाकर वह अपना कदम आगे बढ़ाया ही था कि शीतल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)

वैसे तुमने अब तक बुर् के दर्शन किए हो कि नहीं..?
(शीतल अपनी काम इच्छाओ के अधीन होकर और
शुभम की संगत में एकदम निर्लज्ज होती जा रही थी उसके मुंह से गंदी गंदी बातें ही निकल रही थी। और शीतल किस तरह की गंदी बातें सुनकर जो की एक शिक्षिका थी इस वजह से शुभम के तन बदन में और अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था। .. शीतल की बात सुनकर वह जवाब देते हुए बोला..)

सच कहूं तो मैंने आज तक औरत की बुर क्या उनके नंगे बदन को नहीं देखा हूं इसलिए सोचता हूं कि औरत के अंग कैसा होगा इसलिए मैं तुम्हारी बुर देखना चाहता हूं... उसकी बनावट देखना चाहता हूं उसे छूकर देखना चाहता हूं...
(शुभम जानबूझकर झूठ बोल रहा था वह यह जताना चाह रहा था कि उसकी जिंदगी में आने वाली वह पहली औरत है और अब तक वह औरत के भूगोल बारे में बिल्कुल अज्ञान है इसलिए तो शुभम की बात सुनते ही शीतल मन ही मन मुस्कुराने लगी... और मुस्कुराते हुए बोली ...)

कोई बात नहीं सुबह मैं आ गई हूं ना तुम्हारी जिंदगी में एक-एक अंग को अच्छी तरह से दिखा दूंगी औरत के भूगोल के बारे में तुम्हें अच्छी तरह से ज्ञान दे दूंगी.... (शीतल उसी तरह से अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए बोली उसकी लाल रंग की पेंटी के बीचो बीच बना पानी जैसा धब्बा साफ नजर आ रहा था जो कि उसकी बुर से निकला हुआ मदन रस था।... शुभम तो शीतल की गीली पैंटी को देखकर पागल हुए जा रहा था उसकी आंखों में चमक के साथ-साथ एक अजब सा नशा था खुमारी थी जोकि शीतल के मदहोश बदन की गर्माहट का असर था ।)

जल्दी करो शुभम विशेष पूरी होने वाली है....
(शीतल की बात सुनते ही शुभम आगे बढ़ा और अपने हाथ आगे बढ़ा कर पेंटी को अपने दोनों हाथों की उंगलियों में थाम लिया.....लेकिन उसे उतारने का समय बिल्कुल भी नहीं था वह अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए वह एक हाथ से पेंटिं पकड़ कर थोड़ा सा खींच लिया जिससे कि शीतल की पेंटी के अंदर उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर साफ नजर आने लगी अंदर का नजारा देखकर शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई....शीतल की बुर कचोरी जैसे फुली हुई थी और एकदम चिकनी थी बस हल्के हल्के रोएदार बाल नजर आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि जैसे दो-तीन दिन के अंदर ही वह क्रीम लगाकर साफ की हो....
शीतल की मदमस्त बुर देखकर शुभम के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि पतली सी दरार जैसी नजर आने वाली बुर् के बीचोबीच गुलाब की पंखुड़ियों जैसी दो पत्तियां हल्की सी बाहर निकली हुई थी और मदन रस में भीगे होने की वजह से उस की बूंदे मोती की तरह चमक रही थी। शुभम का जी ललच रहा था शीतल की बुर पर अपने होंठ को रखकर उसके रस को पीने के लिए.... जिस तरह से फटी आंखों से शुभम शीतल की पेटी के अंदर झांक उसकी बुर के दर्शन कर रहा था यह देखकर शीतल मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और उत्तेजित भी हुए जा रही थी।


सच में तू लगता है पहली बार ही औरत की बुर को देख रहा है छू कर देख ले....
(इतना सुनते ही शुभम से रहा नहीं गया और वह एक हाथ से पेंटी पकड़कर दूसरा हाथ पेंटी के अंदर डालकर शीतल की मदमस्त मखमली नरम नरम बुर को अपने हाथ की उंगलियों से स्पर्श करके छूने लगा .. मदहोशी से भरी हुई शीतल की बुर गरम तवे की तरह तप रही थी और ऐसी ही गरमपुर शुभम को पसंद थी.... शुभम से रहा नहीं जा रहा था वह जोश में आकर अपनी उंगलियों का हल्के हल्के शीतल की बुर पर रगड़ने लगा शीतल मदहोश होने लगी.... वह जिस तरह से अपनी उंगली का दबाव बनाते हुए बुर को रगड़ रहा था शीतल के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी.... शीतल के बदलते हुए हाव भाव को देखकर शुभम से रहा नहीं गया और वह तुरंत अपनी बीच वाली उंगली को सीधे शीतल की मखमली बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच सरका दिया... शीतल शुभम की इस कार्रवाई के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए एकाएक अपनी पुर के अंदर उंगली जाने की वजह से वह उछल पड़ी ... लेकिन काफी उत्तेजित हो चुकी थी शुभम भी एकदम पागल हुए जा रहा था उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि किसी भी वक्त रिसेस पूरी होने की घंटी बज सकती है और ना ही यह एहसास शीतल को था वह भी शुभम की हरकतों की वजह से एकदम गर्म होने लगी थी...
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

शुभम अपनी हरकत जारी रखते हुए अपनी उंगली को शीतल की बुर की गहराई में उतारते हुए बस एक-दो बार ही अंदर बाहर किया था कि रिशेष पूरी होने की घंटी बज गई। घंटी की आवाज सुनते ही सीतल एकदम से चौंक गई और वह तुरंत अपनी कमर को पीछे की तरफ करते हुए शुभम को अपनी उंगली बाहर निकालने का इशारा कर दी . शुभम भी मौके की नजाकत को समझते हुए तुरंत अपनी उंगली को बुर से बाहर खींच लिया और शीतल अपने कपड़े को व्यवस्थित करने लगी...... शुभम की उंगली पर अभी भी शीतल की बुर् का मदन रस लगा हुआ था। शीतल के मदन रस में शुभम की उंगली पूरी तरह से भीगी हुई थी... वह शीतल की तरफ देखते हुए एक हाथ से दरवाजे की कड़ी खोलने लगा और दूसरे हाथ की उंगली को शीतल को दिखाते हुए अपने मुंह में भर कर उसे चाटने लगा मानो कि उस पर कोई सहद लगा हो... शीतल शुभम को इस तरह से अपनी बुर के रस में सनी हुई उंगली को इस तरह से मुंह में भरकर चाटता हुआ देखकर एकदम रोमांचित हो उठी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि उसकी बुर से फिर से एक बार मदन रस बह निकला...
कोई कमरे की तरफ आता इससे पहले ही शुभम कमरे से बाहर निकल कर अपनी क्लास की तरफ चला गया।

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