मनीष दिव्या से बात तो कर रहा था पर लगातार उसके बदन पर अपनी पकड़ और मजबूत कर रहा था, जहाँ एक और मनीष का लंड दिव्या की गांड में दबाव बढ़ाता जा रहा था वहीं उसके हाथ अब दिव्या की चून्चियो की और बढ़ने लगे थे, दिव्या की सांसें तेज चलने लगी थी। वह ऊपर से मनीष को रोकने की कोशिश करती है पर अपनी गांड को मनीष के लंड पर मसलने से नहीं रोक पाती।
मनीष भी उसकी की और हाथ बढ़ाते हुए उसके गले की चैन को अपने होंठों से साइड में कर उसके कानों को अपने होंठों के बीच में ले लेता है।
मनीष: आपका बदन कितना आग उगलता है मैडम। आज तो आपने मुझे वो दिन याद दिला दिया जब आप बस में मेरे लंड पर अपनी गांड मसल बैठी थी।
मनीष की बात सुन के दिव्या को अहसास होता है कि वह किस तरह बेशर्मी से मनीष के लंड को मसल रही है। वह अपने आप को रोकती है और मनीष की और पलट जाती है।
मनीष: क्या हुआ मैम, कितना मजा आ रहा था हम दोनों को। थोड़ी देर और ऐसे ही खड़ी रहो ना।
दिव्या: मनीष तुम प्लीज जाओ, राजेश किसी भी वक्त जाग सकता है।
मनीष: वो इतनी जल्दी नहीं जागने वाला, अभी तो बेचारा थक कर सोया है।
दिव्या: तुम्हे कैसे पता?
मनीष: मैंने सब देखा है मैम, आज मुझे समझ आया कि आप इतनी प्यासी क्यों है। लेकिन इसमें आपके पति की कोई गलती नहीं है, आपका बदन है ही ऐसा कि अगर आप कुछ देर और अपनी गांड मेरे लंड पर मसलती तो शायद मेरा भी काम हो जाता। हाहाहा।
दिव्या: वो मैं नहीं जानती तुम प्लीज जाओ।
मनीष: पहले आप बताओ कि आपने मुझे इग्नॉर क्यों किया था।
Adultery दिव्या का सफ़र
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
दिव्या: मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। मैं सच में सो गई थी।
मनीष: हाँ सोते हुए तो मैंने भी आपको देखा है।
दिव्या: तुम जाओ ना प्लीज, मुझे डर लग रहा है।
मनीष: पहले मुझे अपनी गांड से कुछ देर मजे लेने दो, अब यहां आया हूँ तो आपको सजा तो दे ही दूंगा मुझे इग्नॉर करने की।
दिव्या: अब आगे से कभी ऐसे इग्नोर नहीं करूंगी तुम प्लीज जाओ।
मनीष: समझो ना मैडम, बस कुछ देर, मुझे पता है आप फिर ऐसा चांस नहीं देने वाली।
दिव्या: फिर कभी कर लेना लेकिन अभी नहीं।
मनीष: देख लो मैडम, जब मैं कहूंगा आपको आज का हिसाब पूरा करना होगा।
दिव्या: ठीक है बाबा अब जाओ।
मनीष: जाता हूँ पर आपकी ऐनिवर्सरी पर आपको ऐसा तड़पता नहीं छोड़ सकता।

इतना कह कर मनीष नीचे की और बैठने लगता है और दिव्या की चूत पर कपड़ों के ऊपर से किस करते हुए उसकी कमर को पकड़ लेता है। दिव्या चाह कर भी मनीष को रोक नहीं पाती और मनीष उसकी पेंटी को साइड कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर देता है।
मनीष: हाँ सोते हुए तो मैंने भी आपको देखा है।
दिव्या: तुम जाओ ना प्लीज, मुझे डर लग रहा है।
मनीष: पहले मुझे अपनी गांड से कुछ देर मजे लेने दो, अब यहां आया हूँ तो आपको सजा तो दे ही दूंगा मुझे इग्नॉर करने की।
दिव्या: अब आगे से कभी ऐसे इग्नोर नहीं करूंगी तुम प्लीज जाओ।
मनीष: समझो ना मैडम, बस कुछ देर, मुझे पता है आप फिर ऐसा चांस नहीं देने वाली।
दिव्या: फिर कभी कर लेना लेकिन अभी नहीं।
मनीष: देख लो मैडम, जब मैं कहूंगा आपको आज का हिसाब पूरा करना होगा।
दिव्या: ठीक है बाबा अब जाओ।
मनीष: जाता हूँ पर आपकी ऐनिवर्सरी पर आपको ऐसा तड़पता नहीं छोड़ सकता।

इतना कह कर मनीष नीचे की और बैठने लगता है और दिव्या की चूत पर कपड़ों के ऊपर से किस करते हुए उसकी कमर को पकड़ लेता है। दिव्या चाह कर भी मनीष को रोक नहीं पाती और मनीष उसकी पेंटी को साइड कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर देता है।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
दिव्या कुछ कह नहीं पाती, बस सिसकियाँ भरती रह जाती हैं, वो कब मनीष के लिए अपनी टाँगे और फैला लेती है, उसे खुद पता नहीं चलता। धीरे-धीरे मनीष दिव्या की पेंटी को नीचे की सरकाते हुए उतार लेता है। दिव्या के मचलने से वो समझ जाता है कि अब दिव्या किसी भी वक्त झड सकती है।
दिव्या: मनीष, राजेश घर में ही है समझो।
मनीष: आप चाहती हैं कि मैं अभी चला जाऊँ।
मनीष जानकर अपना मुँह दिव्या की चूत से हटा कर उसके चेहरे की और देखता है और उससे नजरे मिलाने की कोशिश करता है।
दिव्या बस अपना मुंह दूसरी और कर लेती है। मनीष दिव्या की एक टांग घुटनों से पकड़कर ऊपर की और उठाने लगता है जिसमें उसे कुछ मेहनत नहीं करनी पड़ती, क्योंकि दिव्या उसका पूरा साथ देती है।
मनीष उसकी टांग उठा कर अपने कंधे पर रख लेता है और एक बार फिर उसकी चूत पर अपना मुंह लगा देता है। इस बार मनीष का हमला और भी तेज था, वह सीधा दिव्या की कई लंडो से चुदी हुई चूत में अपनी जीभ डाल देता है और उसका सारा रस चूसने लगता है।

कुछ ही पलों में दिव्या झड़ने लगती है और उसकी आह इतनी तेज हो जाती है कि उसे खुद के मुंह को अपने हाथों से दबाना पड़ता है। मनीष दिव्या की चूत को तब तक चाटता रहता है जब तक कि उसे पूरा साफ़ ना कर दे, जिस समय मनीष वापस ऊपर उठता है उसका मुंह दिव्या के रस में पूरा सना पड़ा था, जाने से पहले वह दिव्या की आँखों में देख कर स्माइल करता है और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर अपने होंठ उसकी ओर बढ़ा देता है, आज मनीष के किस करने में हवस से ज्यादा मोहब्बत थी।
दिव्या भी मनीष की किस में पूरा साथ देती है। दिव्या भी मनीष की किस में पूरा साथ देती है। मनीष अपना एक हाथ दिव्या की मोटी गांड पर फिराने लगता है और दिव्या आहें भरने लगीं। दिव्या सोचती है की आज तक सबने उसे जबरदस्ती ही चोदा है बस एक मनीष ही है जो उसकी बात मान लेता है। वो सोचती है की क्यों न आज वो टीचर स्टूडेंट का रिश्ता अपने मन से निकाल कर मनीष का साथ दे।
सच तो ये था की उसके इस ख्याल के पीछे उसकी वो प्यास थी जो राजेश आज भी बुझाने में नाकाम रहा था। दिव्या मनीष को दुसरे कमरे में चलने का इशारा करती है तो मनीष की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता। वो फ़ौरन दिव्या के साथ दुसरे कमरे में चला जाता है और दिव्या रूम का दरवाजा बंद कर लेती है। मनीष दिव्या को बेड पर लिटा कर उसके साथ लेट जाता है और उसे फिर से किस करने लगता है।
अब दिव्या मनीष की शर्ट खोलने लगती है। मनीष समझ जाता है की आज उसे सब्र का फल मिलने वाला है। दिव्या बेताबी से मनीष के कपड़े उतार रही और मनीष चुपचाप उसको देख रहा था।
फिर मनीष भी दिव्या को चूमते हुए उसकी ब्रा खोलने की कोशिश करने लगता है।
दिव्या: जल्दी करो मनीष। हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है।
दिव्या के इतना कहते ही मनीष दिव्या के मम्मों को ब्रा की कैद से आजाद कर देता है। ब्रा खुलते ही दिव्या के मम्मे हवा में लहराने लगे। मनीष दिव्या के एक निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा। दिव्या सिसकारी भरने लगती है।
दिव्या की पैंटी मनीष पहले ही उतार चूका था तो अब दोनों पूरे नंगे थे। दिव्या मनीष के लंड को सहलाती है और फिर मनीष के इशारा करने पर लंड को मुँह में लेकर आइसक्रीम के जैसे चूसने लगती है।

दिव्या: मनीष, राजेश घर में ही है समझो।
मनीष: आप चाहती हैं कि मैं अभी चला जाऊँ।
मनीष जानकर अपना मुँह दिव्या की चूत से हटा कर उसके चेहरे की और देखता है और उससे नजरे मिलाने की कोशिश करता है।
दिव्या बस अपना मुंह दूसरी और कर लेती है। मनीष दिव्या की एक टांग घुटनों से पकड़कर ऊपर की और उठाने लगता है जिसमें उसे कुछ मेहनत नहीं करनी पड़ती, क्योंकि दिव्या उसका पूरा साथ देती है।
मनीष उसकी टांग उठा कर अपने कंधे पर रख लेता है और एक बार फिर उसकी चूत पर अपना मुंह लगा देता है। इस बार मनीष का हमला और भी तेज था, वह सीधा दिव्या की कई लंडो से चुदी हुई चूत में अपनी जीभ डाल देता है और उसका सारा रस चूसने लगता है।

कुछ ही पलों में दिव्या झड़ने लगती है और उसकी आह इतनी तेज हो जाती है कि उसे खुद के मुंह को अपने हाथों से दबाना पड़ता है। मनीष दिव्या की चूत को तब तक चाटता रहता है जब तक कि उसे पूरा साफ़ ना कर दे, जिस समय मनीष वापस ऊपर उठता है उसका मुंह दिव्या के रस में पूरा सना पड़ा था, जाने से पहले वह दिव्या की आँखों में देख कर स्माइल करता है और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर अपने होंठ उसकी ओर बढ़ा देता है, आज मनीष के किस करने में हवस से ज्यादा मोहब्बत थी।
दिव्या भी मनीष की किस में पूरा साथ देती है। दिव्या भी मनीष की किस में पूरा साथ देती है। मनीष अपना एक हाथ दिव्या की मोटी गांड पर फिराने लगता है और दिव्या आहें भरने लगीं। दिव्या सोचती है की आज तक सबने उसे जबरदस्ती ही चोदा है बस एक मनीष ही है जो उसकी बात मान लेता है। वो सोचती है की क्यों न आज वो टीचर स्टूडेंट का रिश्ता अपने मन से निकाल कर मनीष का साथ दे।
सच तो ये था की उसके इस ख्याल के पीछे उसकी वो प्यास थी जो राजेश आज भी बुझाने में नाकाम रहा था। दिव्या मनीष को दुसरे कमरे में चलने का इशारा करती है तो मनीष की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता। वो फ़ौरन दिव्या के साथ दुसरे कमरे में चला जाता है और दिव्या रूम का दरवाजा बंद कर लेती है। मनीष दिव्या को बेड पर लिटा कर उसके साथ लेट जाता है और उसे फिर से किस करने लगता है।
अब दिव्या मनीष की शर्ट खोलने लगती है। मनीष समझ जाता है की आज उसे सब्र का फल मिलने वाला है। दिव्या बेताबी से मनीष के कपड़े उतार रही और मनीष चुपचाप उसको देख रहा था।
फिर मनीष भी दिव्या को चूमते हुए उसकी ब्रा खोलने की कोशिश करने लगता है।
दिव्या: जल्दी करो मनीष। हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है।
दिव्या के इतना कहते ही मनीष दिव्या के मम्मों को ब्रा की कैद से आजाद कर देता है। ब्रा खुलते ही दिव्या के मम्मे हवा में लहराने लगे। मनीष दिव्या के एक निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा। दिव्या सिसकारी भरने लगती है।
दिव्या की पैंटी मनीष पहले ही उतार चूका था तो अब दोनों पूरे नंगे थे। दिव्या मनीष के लंड को सहलाती है और फिर मनीष के इशारा करने पर लंड को मुँह में लेकर आइसक्रीम के जैसे चूसने लगती है।

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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
मनीष भी दिव्या चूत की पंखुड़ियों पर उंगली रखकर चूत को मसलते हुए एक उंगली अन्दर तक डाल देता है। दिव्या उंगली को चूत में लेकर आहें भरने लगती है। कुछ बाद दिव्या लंड को मुँह से निकाल कर लंड को अपनी चूत पर सेट करती है। दरअसल आज वो खुद डोमिनेट करना चाहती थी और मनीष को भी इससे कोई दिक्कत नहीं थी।
दिव्या: अब मुझे और मत तड़पाओ मनीष, जल्दी से मेरी प्यास मिटा दो।
मनीष ने दिव्या की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख लिया और एक जोर का धक्का दे दिया और मनीष का लंड दिव्या की चूत की फांकों को चीरता हुआ अन्दर चला गया। आज मनीष का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया। दिव्या दर्द से कराह उठीं।

दिव्या: अह्ह्ह मनीष … दर्द हो रहा है … धीरे करो तुम्हारा बड़ा है।
मनीष: ठीक है मैम आप बता देना, अगर दर्द ज्यादा हुआ तो रुक जाऊंगा।
ये कह कर मनीष ने दिव्या की चूत में धीरे धीरे लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
दिव्या: आह आअह यह्ह्ह फ़क ओह्ह यह्ह स्लो आंह!
दिव्या सीत्कार करने लगीं तो मनीष ने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही देर में पूरा रूम फच फच की आवाजों से गूँजने लगा। दिव्या के मुँह से भी ‘आह्ह्ह आह्ह्ह यह्ह्ह …’ के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था।
दिव्या: आअह आह्ह यह्ह उम्म यह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह्ह फ़क मी … आंह जरा रुक जाओ प्लीज … मुझे सांस तो ले लेने दो।
मगर मनीष को दिव्या इतनी मुश्किल से मिली थी तो उसने दिव्या की एक नहीं सुनी और उसे धकापेल चोदता रहा। कुछ देर बाद मनीष ने चूत से लंड निकाला और दिव्या को कुतिया के पोज़ में खड़ा कर दिया और पीछे से लंड चूत में पेल कर दिव्या की चुदाई करने लगा।

दिव्या: अह्ह अह्ह मनीईस्श्ह्हह्ह रुक जा … आह्ह्ह मर जाऊंगी धीरे आह्ह्ह्ह… अह्ह्ह यह्ह ह्ह्ह उम्म उह हह!
कुछ बीस मिनट बाद दिव्या की चूत से रस निकलने लगा। मनीष भी झड़ने वाला था इसलिए मनीष ने स्पीड और तेज कर दी।
दिव्या अब रोने सी लगी थी: अह्ह अह्ह य्ह्ह् उम्म्ं मार डालोगे क्या?
मनीष ने दिव्या के मम्मे पकड़े हुए थे और उसकी चूत में तेजी से धक्के मार रहा था। जब वो झड़ने लगा तो मनीष ने लंड बाहर निकाल लिया। दिव्या ने भी झट से पलट कर लंड मुँह में भर लिया और सारा माल अपने मुँह में ले लिया। सलमान ने उसे ये सब तो सिखा ही दिया था। वो लंड को चूस चूस कर एक बूंद भी खराब न करती हुई सारा माल निगल गईं। चुदाई के बाद मनीष बिस्तर पर निढाल लेट गया।
दिव्या: अब रुको मत मनीष। तुम्हे जो चाहिए वो मैंने दे दिया है और राजेश जाग भी सकते हैं तो अब तुम जाओ।
मनीष: ठीक है मैडम, मैं जाता हूँ पर मैं जब आपको बुलाऊंगा आपको आना होगा और आज जो जल्दी में किया है वो पूरी तसल्ली से करना होगा।
दिव्या: ठीक है, मैंने कब मना किया है लेकिन अभी तो जाओ न।
मनीष कपडे पहन कर जाने लगता है।
दिव्या: मनीष, वो मेरी पेंटी।
मनीष: (पेंटी को सूंघते हुए) ये तो आपको अब कभी नहीं मिलेगी।
इतना कह, मनीष किचन की खिड़की से लगे पाइप के सहारे नीचे उतर जाता है। मनीष के जाने के बाद दिव्या चैन की साँस लेती है और अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ अपने बेडरूम में जाकर राजेश के पास लेट जाती है, वह सोने की कोशिश तो करती है पर उसे पूरी रात नींद ही नहीं आती।
दिव्या: अब मुझे और मत तड़पाओ मनीष, जल्दी से मेरी प्यास मिटा दो।
मनीष ने दिव्या की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख लिया और एक जोर का धक्का दे दिया और मनीष का लंड दिव्या की चूत की फांकों को चीरता हुआ अन्दर चला गया। आज मनीष का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया। दिव्या दर्द से कराह उठीं।

दिव्या: अह्ह्ह मनीष … दर्द हो रहा है … धीरे करो तुम्हारा बड़ा है।
मनीष: ठीक है मैम आप बता देना, अगर दर्द ज्यादा हुआ तो रुक जाऊंगा।
ये कह कर मनीष ने दिव्या की चूत में धीरे धीरे लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
दिव्या: आह आअह यह्ह्ह फ़क ओह्ह यह्ह स्लो आंह!
दिव्या सीत्कार करने लगीं तो मनीष ने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही देर में पूरा रूम फच फच की आवाजों से गूँजने लगा। दिव्या के मुँह से भी ‘आह्ह्ह आह्ह्ह यह्ह्ह …’ के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था।
दिव्या: आअह आह्ह यह्ह उम्म यह्ह अह्ह्ह ह्ह्ह्ह फ़क मी … आंह जरा रुक जाओ प्लीज … मुझे सांस तो ले लेने दो।
मगर मनीष को दिव्या इतनी मुश्किल से मिली थी तो उसने दिव्या की एक नहीं सुनी और उसे धकापेल चोदता रहा। कुछ देर बाद मनीष ने चूत से लंड निकाला और दिव्या को कुतिया के पोज़ में खड़ा कर दिया और पीछे से लंड चूत में पेल कर दिव्या की चुदाई करने लगा।

दिव्या: अह्ह अह्ह मनीईस्श्ह्हह्ह रुक जा … आह्ह्ह मर जाऊंगी धीरे आह्ह्ह्ह… अह्ह्ह यह्ह ह्ह्ह उम्म उह हह!
कुछ बीस मिनट बाद दिव्या की चूत से रस निकलने लगा। मनीष भी झड़ने वाला था इसलिए मनीष ने स्पीड और तेज कर दी।
दिव्या अब रोने सी लगी थी: अह्ह अह्ह य्ह्ह् उम्म्ं मार डालोगे क्या?
मनीष ने दिव्या के मम्मे पकड़े हुए थे और उसकी चूत में तेजी से धक्के मार रहा था। जब वो झड़ने लगा तो मनीष ने लंड बाहर निकाल लिया। दिव्या ने भी झट से पलट कर लंड मुँह में भर लिया और सारा माल अपने मुँह में ले लिया। सलमान ने उसे ये सब तो सिखा ही दिया था। वो लंड को चूस चूस कर एक बूंद भी खराब न करती हुई सारा माल निगल गईं। चुदाई के बाद मनीष बिस्तर पर निढाल लेट गया।
दिव्या: अब रुको मत मनीष। तुम्हे जो चाहिए वो मैंने दे दिया है और राजेश जाग भी सकते हैं तो अब तुम जाओ।
मनीष: ठीक है मैडम, मैं जाता हूँ पर मैं जब आपको बुलाऊंगा आपको आना होगा और आज जो जल्दी में किया है वो पूरी तसल्ली से करना होगा।
दिव्या: ठीक है, मैंने कब मना किया है लेकिन अभी तो जाओ न।
मनीष कपडे पहन कर जाने लगता है।
दिव्या: मनीष, वो मेरी पेंटी।
मनीष: (पेंटी को सूंघते हुए) ये तो आपको अब कभी नहीं मिलेगी।
इतना कह, मनीष किचन की खिड़की से लगे पाइप के सहारे नीचे उतर जाता है। मनीष के जाने के बाद दिव्या चैन की साँस लेती है और अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ अपने बेडरूम में जाकर राजेश के पास लेट जाती है, वह सोने की कोशिश तो करती है पर उसे पूरी रात नींद ही नहीं आती।
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Re: Adultery दिव्या का सफ़र
बहुत ही उम्दा. बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा

अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा




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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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