Incest सपना-या-हकीकत

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rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

Post by rajan »

अब तक आपने पढा राज अपनी मा के साथ मामा के यहा जाने के लिए बस स्टैंड की तरफ निकल गया है

अब आगे

मै घर से मा के साथ अपने एक बडे बैग को लेकर निकल गया

रास्ते मे

मै - मा आज आप बहुत खुबसूरत लग रही हो
मा मुस्कुराते हुए एक बार मेरी तरफ देखा और सामने चलते हुए - वो क्यू बेटा
मै - बुआ की साडी आप पर बहुत अच्छी लग रही है और आप तो एकदम भोजपुरी फिल्मों की आम्रपाली लग रही हो ,,जैसे वो साडी मे दिखती है वैसे ही आप
मा ह्स्ते हुए - अच्छा बेटा,,, बुआ रानी चटर्जी और मा आम्र्पाली को बना कर मै जानती हू तू क्या गुल खिलाना चाह रहा है ।
मै - अरे सच मे मा आज वैसे ही लग रहे हो और
मा - और क्या बोल
मै - और मै आपको गुल मंजन क्यू खिलाउँगा हिहिहिहिही
मा - चल बदमाश मा से मज़ाक करता है
मै - क्यू मा से मज़ाक नही कर सकते क्या
मा मुस्कुराते हुए - नही
मै - हा मा से चाहो सेक्स कर लो लेकिन मज़ाक ना करो ,,,है न मा
मा बीच सड़क पर सेक्स के बात पर शर्मा गयी और बोली - चुप कर पागल हम लोग रास्ते मे है और तू क्या बाते कर रहा है बिच मे
मै - अरे मा कोई नहीं सुनेगा ,,, देखो पुरा मार्केट बन्द है एक्का दुक्का लोग है ।
मै - मा सुनो ना
मा - हा बोल
मै - कल रात के थैंक यू
मा मुस्कुराते हुए- थैंक यू किस लिये बेटा
मै - वो कल रात मे आपने पापा के सामने ही मेरी तकलीफ दूर की और उन लोगो को पता भी नही चला
मा - कोई बात नही मा हू ना तेरी तुझे कैसे तकलीफ मे देख सकती हू।

मै सोचा क्यू ना थोडा पब्लिक मे मज़ा लू मा से
मै - मा मुझे फिर तकलीफ हो रही है
मा मुस्कुराते हुए लेकिन अचरज के भाव मे - क्या ,,, तू पागल है क्या राज यहा बीच सड़क पर ऐसी बात कर रहा है
मै हस्ते हुए - मा सड़क पर थोडी मै तो चंदू के उस मकान मे जाकर करने की बात कर रहा था ,हिहिहिही
इस समय हम लोग चौराहे तक आ चुके थे और मा को ल्गा मेरे पास चंदू के चौराहे वाले घर की चाभी होगी ही क्योकि हम दोनो पक्के यार जो थे ।
मा ने निराश शब्दो मे कहा - बेटा मै तूझे मना नही करती लेकिन आज सुबह से मैने पानी तक नही पिया है और उपर से तेरे पापा ने घर से निकलने से पहले एक बार ... तू समझ रहा है ना

मै जान गया मा क्या कहना चाहती थी और सही भी था क्योकि एक बार पापा ने सुबह ही मा को चोद दिया था

मै - कोई बात नही मा देखो बस स्टैंड आ गया
मा - हा लेकिन बस नही लगा है कोई
मै - अरे मा आज त्योहार है तो सारे बस जल्दी जल्दी भर कर निकल रहे है ,,

हम बस के इंतजार मे खड़े बाते कर ही रहे थे कि दो चंचल हसीनाये हमारे पास चल आने लगी । एक साडी मे तो एक चुस्त सूट और पटियाला सलवार मे ,,, दोंनो के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान थी ,, और उनकी मटकती कमर तो बस ,,

मा - अरे विमला तू यहा

ये है विमला मौसी ,,, कमाल का मस्त गदरायी बदन वाकी है और लण्ड खड़ा ना हो जिसका इनको देख कर वो चुतिया ही होगा ,,, 40 36 40 का गजब का भूगोल और सबसे ज्यादा प्रभावित इनके लम्बे बाल की चोटी है जो इनकी गान्ड की छेद तक जाती है ,,, अब ऐसे मे किसी का ध्यान इनके बालो से होते हुए इनकी मोटी फैली हुए गाड़ पर ना जाये ऐसा हो ही नही सकता ।
वैसे तो मेरे मा के बचपन की सहेली है और इनकी भी शादी हमारे चमन पुरा मे हूई है

विमला - क्यू मै यहा नही आ सकती क्या
इतने साथ वाली हसिना ने मा के पैर छुए
मा ने उसको दुलारते हुए - खुश रह कोमल ,,
ये थी कोमल , विमला की बेटी ,, एकदम कातिल हसिना 34 साइज़ की चुची और 36 की गाड़ ,,,सपाट पेट । मेरे क्लास में ही पढ़ती है ।

मा विमला से - अरे तो फोन कर देती इसके पापा एक गाड़ी बुक करवा देते तो हम लोग साथ मे चलते ना ,, अब यहा कबसे खड़ी हू बस ही नही आ रहा है ,,,
इधर मा और विमला बाते किये जा रहे थे तो मुझे कोमल का सामना करने मे थोदी हिचक मह्सूस हो रही थी ।
तो मैने मोबाईल निकाल लिया और खड़े खड़े उसे चलाने लगा ।

कोमल - तुम कालेज क्यू नही आते हो राज
मै थोडा मुस्कुरा कर - नही वो दुकान खुल गयी है ना तो मुझे टाईम नही मिल पाता है और वैसे भी कालेज मे पधाई कहा वहा सब साले ....
मैने अपने जुबान पर रोक लगा दी कही मेरा पहला इम्प्रेशन ही ना खराब हो जाये
कोमल ह्स्ते हुए - क्यू पढाई नही होती तो क्या होती है
मैने एक नजर मा और विमला मौसी की तरफ देखा तो वो लोग बाते करते हुए बस स्टैंड की चेयर पर जा बैठे ,,वैसे भी औरते ही बाते ही अलग है
फिर मैने कोमल की बातो का जवाब बडे इत्मीनान से उसको एक कपल की तरफ इशारे से बताया जो बाहो मे बाहे डाले एक पेड़ के चबूतरे पर बैठे मोबाईल मे कूछ देख रहे थे ।

मै - ये होता है देखी
कोमल मुह पर हाथ रख ह्स्ते हुए - अरे पागल सब थोडी ना ऐसे होते है कालेज मे ,,, और तुम तो ऐसे रियक्ट कर रहे जैसे तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड ही ना हो
मै ह्स्ते हुए - मै इस झमेले नही पड़ता क्योकि मुझे अभी पढ्ना है तो मै शाम को कोचीन्ग कर लेता हू और बाकी समय मा के साथ दुकान पर बिताता हू ,,मुझे अभी पापा का नाम और ऊचा करना है

मैने जानबुझ कर कोमल के सामने खुद को साफ सरिफ बनाया जिसका प्रभाव उस पडा
कोमल - अरे तो तुम तो नाराज हो गये ,, और लड़कियो से दोस्ती करना थोडी ना गलत होता है ।
मै - तो क्या तुम्हारे भी कई लडके दोस्त है
कोमल - नही यार ,, कोई नही है इसिलिए तो तुमसे चुना लगा रही हो की कर को मुझसे दोस्ती हिहिहिहिह
मै समझ गया कोमल मेरे बातो से प्रभावित होकर ही मुझसे जुड़ना चाहती थी ।
मै मुस्कुराकर - हा लेकिन तुम मेरे से दोस्ती क्यू करोगी ,,, मै तो हर समय व्यस्त रहता हू अपने carrier और फैमिली के अलावा कोई टाईम नही है मेरे पास ,,,

इससे पहले कोमल मेरे बातो का जवाब देती कि बस आ गई और मा जल्दी से मेरे पास आई

मा - जल्दी चल बेटा नही तो सीट नही मिलेगी अन्दर

मै ह्स्ते हुए - मा यहा हम सिर्फ चार लोग ही है ,,, फिर मेरी नजर पेड़ के निचे बैठे हुए उन कपल्स पर गयी ,,, चार नही 6 है अब

फिर हम लोग अंदर चले गये
अन्दर दो सीट के दो लाईन खाली थे और एक तीन सीट वाली लाईन खाली थी ।
तो आगे वाली दो सीट पर मा और विमला मौसी बैठ गये उसी के पीछे मै विंडो सीट लेटे हुए कोमल के साथ बैठ गया । और हमारी ही लाईन मे खाली 3 सीट वाली सेट पर वो दोनो कपल बैठ गये ,, चुकी वो दोनो शादीशुदा भी थे ।

फिर 5 मिंट बाद बस निकल पडी अब आने वाले एक घन्टे मे मै मामा के यहा पहुच जाता क्योकि दुरी कम ही सही लेकिन रास्ता खराब ही था ,,, जिससे बस हिचकोले लेटे हुए जाने लगी और मै इसीलिये विण्डो सीट लिया ताकि हिच्कोले मे कोई दिक्कत नही हो । लेकिन कोमल के लिए बहुत दिक्कत होने वाली थी क्योकि उसके सामने वाली सिट के पीछे जो हैण्डल होता है हचका लगने पर पकडने के लिए वो टूटा हुआ था जबकि मेरी सीट के सामने वाला हैण्डल एक दम ठीक था ।
कोमल बड़ी मुस्किल से सामने की सीट पकडे बैठी हुई थी ।

आगे मा और विमला की तो बाते ही खतम नही हो रही थी । यहा हम दोनो शांत थे और बीच बीच में एक दुसरे को देख कर स्माइल पास कर रहे थे । मुझे कोमल के uncomfortable होने का ज्ञान था लेकिन मै उसके बदले अपना सफ़र बेकार नही करना चाहता था ,,,मै तो मामा के यहा होने वाले रोमांच से ही खुश होकर बाहर के नजारे देख रहा था ।
इसी बीच बस एक जोर का झटका दिया तो कोमल मेरे कंधो पर आ गयी और उन्का हाथ मेरी जान्धो को पकड लिया ,,,, फिर उसे इस बात का अह्सास हुआ और वो वापस से मुझे सॉरी बोलते हुए अपनी जगह पर बैठ गई ।
मै अब और ज्यादा कोमल के प्रति सतर्क हो गया और मुझे लगा कि उसे अपनी सीट दे दू । मै कुछ करता इससे पहले बस एक बार और तेज हिचकोले लिया और कोमल हाथ सामने की सीट से छूट गया और वो दुसरी तरफ गिरने को हुई की मैने लपक कर बाये हाथ से उसके पेट के उपर से उस्की कमर को थामा और अपनी तरफ खीच लिया ,,, मेरा हाथ अब भी उसकी कमर पर था ,,,और कोमल की आंखे बड़ी हो गयी वो मेरे हाथो का स्पर्श अपनी नाजुक कमर पर पाकर तेज सांसे लेने लगी ,,जिसका अह्सास मुझे तब हुआ जब मेरी नजर कोमल की उपर निचे होती चुचियो पर गई । मैने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सॉरी बोला
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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कोमल - अरे कोई बात नही तुमने मुझे पकड़ा ना होता तो मेरा सर फत ही जाता आज हिहिहिही थैंक यू राज
मै - ऐसा करो तुम यहा आजाओ ,,, मेने कोमल को अपनी सीट पर आने का इशारा करते हुए कहा

कोमल थैंक्स बोलते हुए अपने सामने की सीट पर खड़ी हुई और मुझे उसकी सीट पर ख्सक्ने का इशारा किया जैसे ही मै कोमल की सीट पर आया तभी बस मे एक और झटका लगा और कोमल मेरे उपर गिर कर मेरी गोद मे ही बैठ गई उसके दोनो हाथ अभी भी सिट पर थे ,,लेकिन मेरे दोनो हाथा उसको सम्भालने के चक्कर मे उसके मुलायम चुचो को पकड चुके थे और कोमल की गाड़ मेरे आधे खड़े लण्ड पर आ गई थी ,,,, एक दो सैकेण्ड के इस घटना मे मेरा लण्ड उत्तेजित होकर फड़फड़ाने लगा जिसका अह्सास कोमल हो चुका था,,लेकिन हम लोग तब तक हस रहे थे कि आज हो क्या रहा है

कोमल मेरे उपर बैठी और मेरे हाथ अभी भी उसके चुची को थामे थे ऐसे मे वो गरदन घुमा कर ह्सते हुए बोली - लग रहा है आज झटके खाते हुए ही जाना पडेगा हीहीहि
मुझे कोमल की बाते डबल मिनिंग की लगी जिससे मेरा लण्ड फिर से फुदक पडा ,,
मै भी हस्ते हुए - ऐसे ही बैठो तुम मै गिरने नही दूँगा
मेरे बोल्ते ही कोमल को पता चला कि वो किस पोजिसन मे हो गयी है और तुरन्त उठ गई जिससे मेरा हाथ उसकी चुची से सरक कर कमर पर आ गय और मेरे सामने कोमल की मोटी गाड़ अपने उभार के साथ सामने आ गई ।

ये सीन देख कर मेरा बचा हुआ उत्तेजित लण्ड अब पुरा खड़ा हो गया , कोमल अब विण्डो सीट पर बैठ गई ।
हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये जा रहे थे । लेकिन मेरे हाथ अब मेरे जीन्स के उपर निकले लण्ड के उभार को छिपाने मे लगे थे।
इस दौरान मुझे बस के झटके से बहुत दिक्कत हो रही थी तभी कोमल ने कहा- राज ऐसा करो तुम मेरे सीट के सामने वाला हैण्डल पकड लो,,, कोमल ने ये बात विण्डो की तरफ खसककर अपनी तरफ आने का इशारा करते हुए बोली । जिसका मतलब मै समझ और कोमल के करीब जा कर बाये हाथ से हैण्डल पकड लिया ,,,, लेकिन होनी को कौन टाल सकता था हम दोनो लाख कोशिस करते कि हमारे शरीर आपस मे टच ना जो लेकिन हर झटके के साथ मेरा कन्धा कोमल से टकराता साथ मे मेरे हाथ की कोहनी कोमल के दाहिने चुची के उभार को छू जाती । सफ़र बहुत ही उत्तेजना से गुजर रहा था ,,अब तक आधा घंटा बीत चूका ,,, कुछ सवारिया नीचे भी उतर चुकी थी।

इसी बीच मैने कोमल से पुछा - तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया कोमल
कोमल अचरज से - कौन सा सवाल
मै - यही कि तुम मुझसे दोस्ती क्यू करना चाहती हो ,,जबकि मै खुद के लिए समय नही निकाल पाता
कोमल मुस्कुराते हुए - तुम एक अच्छे लडके हो राज ,, इतनी कम उम्र में जब बाकी लडके लड़कियो के पीछे भागते हैं और अपनी स्वार्थ के लिए उनका यूज़ करते हैं लेकिन तुम अप्नी जिम्मेदारी समझ कर पापा का नाम आगे बढ़ाना चाहते हो और दुकान चलाते हो, और तुमको सबकी फ़िकर भी है ,,, तो कोई भी अच्छी नियत की लड्की क्यू नही चाहेगी कि उसका तुम्हारे जैसा अच्छा दोस्त हो ।

मै समझ गया कि कोमल मन में मुझे एक आदर्श और सिद्धांतवादी लड़का समझ रही है जिसमे कोई बुराई नही है । मगर उसे क्या पता था मै कल रात से ही मादरचोद बन गया हू हिहिहिहिह ।
फिर मैने उसकी भावनाओ को सराहटे हुए कहा- वो सब ठीक है लेकिन तुम तो जानती हो कि ये समाज एक लड़का और लड़की की दोस्ती को किस नजर से देखता है

कोमल - धत्त पागल मै सिर्फ दोस्ती की बात कर रही हू और तुम कहा गर्लफ्रैंड की बात सोचने लगे हिहिहिही
मै थोदा मज़ाक में - अरे अगर दोस्त एक लड्की हो तो गर्लफ्रैंड ही हुई ना हाहहहाह
कोमल - हा ये बात भी सही है लेकिन हमारी दोस्ती में वो सब कुछ नही होगा हम सब एक अच्छे सीधे साधे दोस्त रहेंगे ठीक है

मै जानबुझ कर - वो सब नही होगा मतलब
कोमल - भक्क तुम तो बुध्दु हो ,,,वो सब मतलब प्रेमी प्रेमिका वाला रिलेशन नही होगा ,, सिर्फ दोस्ती वाला
मै- ओह्ह्ह ये बात ठीक है फिर फ्रेंड्स,,,, मैने हाथ उसकी तरफ करते हुए बोला
कोमल भी मेरे हाथ में हाथ मिलाते हुए खुशी से बोली - हा फ्रेंड्स
मैने भी मौके का फायदा उठाकर अप्नी बाहे खोल कर बोला - हग

कोमल - छीईईई गंदे ,,, मै नही करने वाली हग
मै ह्स्ते हुए - तुम ही बोली ना हम लोग दोस्त है तो दोस्त मे हग करना तो आम बात है

कोमल - हा लेकिन यहा बस मे सब कोई है
मै - तो क्या तुम मुझे अपना लवर समझ रही हो जो शर्मा रही हो ,, हम तो दोस्त है ना
कोमल हस्ते हुए - हा बाबा हम दोस्त ही है ,,ठीक है आजाओ हग्ग्ग

फिर मै कोमल की तरफ झुका और उसके मुझे अपने गरदन्ं और सीने के बीच रख कर हग कर लिया और फिर मैं वाप्स आ गया ।
कोमल के बदन की खुस्बु और उसके जिस्मो का स्पर्श से मेरा लण्ड का उभार और ज्यादा जीन्स पर होने लगा ,,,मै इस बात से अंजान होकर कोमल से बाते किये जा रहा था ,, मगर बार बार कोमल की नजर नीचे होती और फिर दुसरी तरफ देखती थी ।
फिर जब मैने उसकी आँखों का पिछा किया तो पाया कि मेरा लण्ड का सख्त उभार साफ दिख रहा है,,, मुझे शर्म आ गई और मैने तुरन्त अपना हाथ उसपर रख दिया,,, जिसे देख कर कोमल खिडकी की तरफ मुह करके मुस्कुरा रही थी और मै भी बेबस शर्मिदा होकर मुस्कुराता रहा ,,,मगर मेरा लण्ड बैठने वाला कहा था ,,, मै बार घुमा कर कोसिस करने लगा की थोडा शांत हो लेकिन अब मेरे लागातार स्पर्श से वो और ज्यदा कड़ा होने लगा साथ मे दर्द भी ,,जिसका असर मेरे चेहरे के भाव से पता चलने लगा ,,,कोमल ने जब पलट कर मुझे देखा तो उसे मेरा परेसान दर्द से भरा चेहरा दिख रहा था और वो मेरे हाथ को बार बार लण्ड एद्जेस्त करते हुए देख रही थी लेकिन टाइट जीन्स मे वो मुमकिन नही था ।

ऐसे मे कोमल ने वो किया जिसकी उम्मीद कोई भी लड़का पहली मुलाकत मे मिली लड्की से नही कर सकता था ।
कोमल मे अपना दुपट्टा का एक सिरा उठाकर मेरी जांघो पर रख दिया और इशारे के साथ हल्के आवाज मे बोली - दुपट्टे के नीचे खोल कर सही कर लो,, वो वापस मुस्कुराकर खिडकी पर देखने लगी ।

चुकी ज्यादतर सवारी उतर चुकी थी यहा तक की मेरे अगल बगल और वो couple भी उतर गये थे ,,तो मुझे लगा कि मुझे सेट कर लेना चाहिए अब ।
मैने एक नजर कोमल को देखा तो वो कनअखियों से मेरे तरफ देख रही थी मगर से नजर मिलते ही वापस मुस्कुराते हुए खिडकी से बाहर देखने लगी ।
मैने भी दुपट्टे को अपने कमर तक करके अपने जीन्स का बटन खोला और चैन खोल दिया ,,,मा कसम वो राहत मै बयां नही कर सकता था । फिर मैने अंदर हाथ डाला तो पता चला कि मेरा लण्ड अंडरवियर के पेसाब वाले छेद से बाहर आ गया था तभी मुझे उसको सेट करने मे दिक्कत आ रही थी,,,
फिर मैने सोचा ये लण्ड तो इतना जल्दी बैठने वाला है नही क्यू ना थोदा बाहर निकाल कर आराम दे दू ,,, और मैने मोटा फन्फ्नाता लण्ड को जीन्स से बाहर निकाला जो कि कोमल के दुप्प्ते से ढका था । फिर मैने एक नजर कोमल की तरफ देखा तो वो गरदन घुमाये मेरेपुरे क्रिया कलाप पर नजर डालें हुए थी ,,,जैसी ही उसने देखा की मै उसे अपना लण्ड निहारते देख रहा हू वो सॉरी बोल कर वापस खिडकी की तरफ घुम गई ।

मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गयी क्योकि कोमल का इंटरेस्ट मुझे बहुत सारे सपने दिखाने लगा ,,,और मैने इधर उधर देखा और खुद की अपने लण्ड के उपर से दुपट्टा उसकी तरफ उड़ा दिया जिससे मेरा लण्ड तन कर सुपाडे के साथ खड़ा हो गया ।
जैसे ही मैने दुपट्टा उसकी तरफ फेका तो उसके साथ एक छोटी सी आवाज भी दे दी

मै - अरेरेररे ...
मेरे इतना कहने की देरी थी कि कोमल पलट चुकी थी औए उसके सामने मेरा मोटा फुकार मारता लण्ड हिलने लगा । कोमल एक टक मेरे लण्ड को देख्ने लगी ,,,और मै भी इस रोमांच से इत्ना भर गया की मेरे माल की कुछ बुन्दे मेरे सुपाडे पर आ गई । जिसे देख कर मैने वापस कोमल को दुपट्टे के लिए इशारा करते हुए साथ मे लण्ड के आगे हाथ लगा कर छिपाने की कोसिस करते हुए बोला

मै - कोमल सॉरी वो हवा से उधर चला गया दुपट्टा ,, जल्दी दो ना मै बंद कर लू ,,
कोमल झेप गयी और मुस्करा कर बोली - नही वो दाग लग जायेगा इसमे ,
फिर मेरी नजर सुपाड़े पर आये माल की बूद पर गयी ,,
मै - ओह्ह्ह सॉरी ,,, लेकिन मै बंद कैसे करू ।
कोमल इस बीच पुरे ध्यान मेरे लण्ड को देख रही थी
कोमल मुस्करा कर - अब क्या छिपाना है बुधु कही के,, खड़े हो जाओ बन्द कर लो
मै थोडा शर्मया और कोमल की तरफ होकर खड़ा हो गया ,,जिससे मेरा लण्ड कोमल के सामने झूलने लगा ,,,कोमल ने खुद को पीछे की तरफ खीचा ताकि मेरा लण्ड उसको छुए नही ।फिर मैने जीन्स निचे किया और अंडरवियर के छेद को लण्ड के उपर से निकालने की कोसिस करने ल्गा एक दो बार लास्टीक छूत जाने से मेरे कमर मे चोट लगी जिसकी सिसकी और मेरे चहरे के भाव से कोमल को पता चलने लगा । तभी कोमल ने दुपट्टे को हाथ मे लेकर मेरे लण्ड को पकड़ा और उपर की तरफ किया और बेहद बुरा सा मुंह बना कर मानो वो किसी गंदी चीज़ को पकड़ा हो ऐसे
कोमल - हम्म्म्म अब अंदर करो इसको ,,,मैने भी कोसिस करके लण्ड को अन्दर रख दिया और फटाक से जीन्स पहन लिया । और वापस अपनी जगह पर बैठ गया कुछ पल हम दोनो शांत बैठे रहे ।

मै - सॉरी कोमल , और मै चुप हो गया और कोमल को देखने लगा
कोमल खिडकी से बाहर झाकते हुए मुस्कुरारही थी ।
मै - क्या हुआ हस क्यू रही हो
कोमल हस्ते हुए - यार तुम कितनी छोटी अंडरवियर पहनते हो हिहिहिही
मै झेप गया - क्या यार तुम भी मेरी मजबुरी थी कि वो बड़ा हो गया था तो क्या करता ।

कोमल - फिर भी अपनी साइज़ के हिसाब से तो पहनना ही चाहिये ना राज हिहिहिही
मै - हम्म्म्म सॉरी आगे से ध्यान दूँगा हा नही तो
कोमल सारे रास्ते हस्ती रही और ना जाने क्यू उसकी ये दोस्ती मुझे भा गयी । बस से उतरने से पहले हमने सेल्फी भी ली और नम्बर भी एक्सचेंज किये । हालाकि हमे एक ही गाव जाना था लेकिन बस से उतर कर हम दोनो शांत थे मा और विमला मौसी के सामने ।

बस मेरे नाना के गाव के बाहर एक प्राथमिक स्कूल पर रुक गयी । ये गाव था प्रतापपुर । काफी बड़ा गाव था और इस गाव के सबसे बड़े सेठ थे मेरे नाना जी जो कि बहुत बडे जमीदार थे । सैकडों बीघे की खेती और दो दूध की डेयरी , 3 पक्के ट्यूबवेल और एक आलीसान घर जिसमे कयी नौकर और सुख सुविदा की सारी चीजे थी । नाना जी गाव की भलाई के सरकारी स्कूल , सरकारी हस्पताल , पानी की व्य्व्सथा के लिए कयी सारे काम सरकारी कार्यालयों से अपने दम पर करवा लिये थे ।

( नाना के यहा का परिचय पेज 47 पर अपडेट 28 मे दिया गया है )

फिर हम लोग चारो बैग लेकर निकल पड़े गाव मे अन्दर की तरफ ,,, कड़ी धूप भी थी और प्यास से गला भी सुखने लगा था लेकिन उससे भी ज्यादा मै जल्दी से जल्दी नाना के घर जाकर अपने लण्ड को आराम देना चाहता था । लेकिन मा तो ऐसे गाव को देख रही थी कि मानो कितने सालो से ना देखा हो जबकि हर साल वो एक दिन यहा राखी बांधने आती थी ।
मै गाव के अंदर प्रवेश कर चुका था ,,, गाव मे छोटे बच्चो की चहल पहल ,, एक गाड़ी पर 4 5 बच्चे एक साथ बैठ कर चिल्ल्लते हुए घूम रहे थे उनको देखने के लिए गली मुहल्ले की औरते बाहर निकली थी कोई दरवाजे पर था तो कोई किवाड़ की आड़ मे । अहहा कोई कोई औरते बेढंग से साडी लपेटे थी और उनमे चुचे नाभि पेट किसी किसी के दिख भी रहे थे ।
गाव में जो औरते मा को पहचानती थी वो उनको नमस्ते भी कर रही थी ।
तभी सामने से कुछ औरते गोबर की खाची सर पर लिये गाव से बाहर की तरफ जाने लगी । उनमे से भी कुछ ने मा को नमस्ते किया क्योकि वो हमारे डेयरी और खेतो मे काम करने वाली थी । कुछ की कसी हुई कमर चुचे थे कुछ बुढ़ी भी थी ।
मै - जल्दी चलो ना धूप हो गया प्यास लग रही हैं
मा - हा बेटा चल रही हू ज्यादा दूर नही है बस आने ही वाला है ।
इधर विमला का मायके वाली गली आ गई , वो मा से विदा होने लगी और मा बोली की शाम तक आओ मिलने घर पर । मै कोमल को देख कर एक मुस्कान दिया और हम लोग आगे निकल गए,, मैने एक नजर पलट कर देखा तो कोमल की मस्तानी चाल ने फिर से मुझे कायल कर दिया । उसके भी लम्बे बाल कमर तक आते थे ।तभी मैने उसके मोबाइल पर मैसेज किया

मै - तुम ऐसे क्यू चलती हो ,, सीधा सीधा नही चल सकती
कोमल ने मैसेज पढा और मुड कर देखा तो मै उसे ही देखते हुए जा रहा था ,,
फिर वो मोबाईल मे कुछ टाइप करने लगी
फिर मुझे मैसेज की बिप आई तो मैने मोबाइल खोला

कोमल - तुम मुझे पीछे से ताड़ तो नही रहे ना , हसने वाली इमोजी के साथ जमाए
मैने तुरंत मुस्कुरा कर मोबाइल मे sms कर दिया
मै - मै तो बस तुम्हारे बालो को देख रहा था कितने लम्बे है ।
कोमल - बदमाश , मै तुमसे बाद मे निपटूंगी । अभी मेरे मामा का घर आ गया ।
rajan
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मै भी उसको बाय लिख कर चलने ल्गा ,
और कुछ ही दुरी पर एक बड़ा सा मकान सामने आया जो मेरे नाना का घर था और हम लोग मेंन गेट से अंदर चले गए ,,, एक बडे गेट के बाद अंदर बहुत ही बड़ा आंगन और उसी आँगन के तीनो तरफ कमरे बने थे ,, गेट के ही सीध मे अंदर की तरफ एक दरवाजा था जो पीछे टोइलेट बाथरूम और स्टोररूम की तरफ जाता था । जहा से एक सीढ़ी छत पर भी जाती थी ।
घर एक मंजिला ही थी लेकिन कुल 8 कमरे थे जिसमे कीचेन भी शामिल था । तीन गेट के दाई तरफ , तीन बाई तरफ और दो अंदर जाने वाले दरवजे के अगल बगल थे । उसमे दाई तरफ वाला कमरा कीचेन के लिए यूज़ होता था ।
और सारे कमरे के सामने बरामदे भी थे जिसमे चौकी , राशन की बोरिया , दूध के बडे बर्तन रखे जाते थे । मेन गेट के बाई तरफ से ही एक और सीढ़ी छत पर जाने के लिए थी और उसी के जीने के बगल वाले कमरे के सामने एक चौकी थी जिसपे एक पुराना गल्ले का बक्सा और कुछ रजिस्टर रखे हुए थे । मै समझ गया कि ये कमरा नाना का ही है । और भी नौकर चाकर थे जो काम मे लगे थे ।

मै इस सब चीज़ो को देख रहा था कि तभी सामने से रज्जो मौसी किचन से चलती हुई आई ,,, मै मौसी के हिलते चुचे देख कर मस्त हो गया और उन्के साथ बिताये पल याद करने लगा ।

यहा मौसी आई और मा के गले लगी ,, आह्ह दो बडे बडे थन टकरा गये थे ,,, फिर मैने उन काम करने वाले नौकरो के सामने खुद को सभ्य जता कर मौसी के पैर छुने के लिए झुका तो मौसी ने मुझे रोक लिया

मौसी - अरे लल्ल्ला मेरे सीने से लग मेरे लाल ,,,आजा
मेरे मुह मे पानी आया और मौसी ने मुझे सीने से लगा लिया , मै भी मौसी के मुलायाम चुचो के उपर अपने गाल को लगा कर सफ़र की थकान मिटा लेना चाहता था ।
पर ज्यादा देर ये मुमकिन नही था ।
मा - चलो हो गया बहुत मेल मिलाप अंदर चल अब धूप नही लग रही है
मौसी - अरे मेरा लल्ल्ला कितना परेशान हो गया है । चल बेटा हाथ मुह धुल ले चल मै कमरा दिखा देती हू
मै - पहले मुझे ये जीन्स निकालना है फिर कुछ,,
मौसी हस्ते हुए - अरे तो कमरे मे चल कप्डे बदल ले और मन हो तो पीछे जाकर नहा ले ।

फिर मौसी ने मुझे और मा को किचन के दाई तरफ वाला ही कमरा दिया जो किनारे पर था ।
मै जलदी से अंदर गया और जल्दी से जींस निकाल दिया,,,मेरे लण्ड को बहुत राहत हुई ,,सोचा क्यू ना नहा भी लू इसी बहाने लण्ड भी बैठ जायेगा। तो मैने एक लोवर टीशर्ट लिया और तौलिया लपेटे हुए,, किचन के बाई तरफ से दरवाजे से होते हुए पीछे हाते मे चला गया ।

यहा 3 4 पाखाने और 3 4 नहानघर थे ,,, और पाखाने के एक तरफ किनारे पर कपडे धुलने के लिए मोटर भी लगा था ,,, मैने सोचा आँगन खाली है क्यू ना मै मोटर चालू करके ही नहा लू ।
मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।


देखते है दोस्तो आगे क्या होता है । आप सभी के सुझाव और प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।




Update 39

अब तक

मैने तौलिया उतार कर अपना शर्त निकाल दिया और बनियान भी । जैसे ही मै मोटर चालू करने अंडरवियर मे पाखाने की तरफ लगे स्विच के पास गया कि सामने से एक दरवाजा खुला जिसने से एक खुबसूरत लड्की अपने सलवार का नाड़ा बंधते हुए बाहर निकली ,,,जैसी ही उसकी नजर मुझसे मिली और उसने मुझे अधनंगा अंडरवियर मे पाया वो चिल्ला कर वापस पाखाने मे चली गयी ।

अब आगे
मुझे बड़ा अजीब लगा कि कौन थी जो ऐसे ही बिना बात के अंदर वापस भाग गयी। तभी मुझे अंदर से उसकी आवाज आई ।

लड्की - कौन हो तुम और अंदर कैसे आये
मै - दरवाजे से आया हू और कैसे ,,, और यहा नहाने आया हू तुमको कोई दिक्कत है ,,,

मै इससे पहले कि और कुछ बोल्ता कि रज्जो मौसी आ गई मुझे खोजते लेकिन मुझे बड़बड़ाते हुए देख कर हस्ते हुए बोली
मौसी - अरे राज बेटा यहा किससे बात कर रहा है,,,जल्दी से नहा के आ तेरे नाना इंतजार कर रहे हैं ।
मौसी की बात खत्म हुई ही थी कि फटाक से दरवाजा खुला और वो लड्की चहकते हुए बोली - अरे राज भईया आप हो मुझे लगा कि कोई बाहर का है ।

मै अचरज से - हा मै ही राज हू लेकिन तुम कौन हो
मौसी - धत्त पागल ये बबिता है तेरे मामा की बेटी भूल गया क्या
मै खुश होकर - सच मे ,,अरे वाह्ह्ह मेरी गुडिया तो बड़ी हो गई है अब ,,

बबिता - हा और आप अपनी इस गुडिया को पहचाना ही नही ,,, बस यही प्यार है ना आपका
मै बबिता के सवालो से झेप गया क्योकि गलती मेरी थी कि मै उसे पहचान नही सका लेकिन वो भी तो नही पहचानी

मै - हा तो तू कौन सा अपने राजा भईया को पहचान ली
बबिता - सॉरी भईया वो आप बहुत साल बाद आये है ना पुरे 4 साल हो गए तो कैसे पहचानती

मौसी - अरे तुम लोग बाद मे बाते करना ,,राज तू जल्दी से नहा ले और बबिता तू मेरे साथ चल छोटी ( मा ) खोज रही है तुझे

बबिता चहकते हुए - क्या छोटी बुआ भी आई है ,,चलो बुआ चलते है ,,और भईया आप जल्दी से आजाओ नहा कर हिहिहिही

फिर मै जल्दी से नहा लिया और अपना कच्छी बनियान लेके पीछे वाली सीढ़ी से तौलिया लपेटे छत पर चला गया ।
मै जैसे ही पीछे के सीढ़ी से उपर आया मुझे एक लड्की शर्ट स्कर्ट पहने खड़ी दिखी जो हाथ मे मिठाई का डब्बा लिये बाहर वाले जिने की तरफ ताक झाक करते हुए मिठाई खा रही थी । मुझे तुरंत पता चल गया कि ये गीता ही होगी , क्योकि उसकी बचपन की आदत थी मीठाई खाने की इसिलिए मै उसे प्यार से मीठी बुलाता था ,,, इस वक़्त मै गीता के पीछे था तो दूर से वो एक साधरण लड्की ही लग रही थी । मैने सोचा क्यू ना उसको सरप्राइज दू चुपके से
इसी लिये मै कपडे डाल कर दबे पांव गीता के पीछे पहुचा ,, अन्त तक मेरी आंखे सिर्फ गीता की नजरो पर थी लेकिन जैसे ही मैने उसको पीछे से अपनी बाहो मे भरा उसकी गदरायी उभरती जवानी का अंदाजा मुझे हो गया था और उसके उभरे गाड़ मेरे जांघ पर लग गये मेरे नंगे सीने से उसकी मुलायम पीठ ,, मेरे हाथो मे उसका नरम पेट ,, लेकिन मेरे ऐसे पकडते ही वो अपनी कोहनी से मेरे पेट पर एक जोर का वार करती है और मै मीठीईईई मै हूउउउऊ कहते हुए वही बैठ गया

जब गीता मेरे मुह से मीठी शब्द सुनती है तो वो समझ जाती है कि ये उसका राज भईया था
गीता दुखी होकर मेरे कन्धे पकडे हुए उठाती हुई - सॉरी सॉरी भईया मुझे नही पता था आप हो

तब मेरी नजर मेरी मासूम छोटी बहन पर जाती है उसको सामने से देखता हू तो उम्र के हिसाब से उसकी चुचिया बबिता के मुकाबले ज्यदा थी । एक तरफ बबिता के मम्मे छोटे मौसमी जैसे थे वही गीता भरी बदन वाली थी और उसके दूध हापुस आम जैसे शर्त के उपर से दिख रहे थे ।

गीता - प्लीज माफ कर भईया ना प्लीज
मै मुस्कुराते हुए- अरे मेरी मीठी मै तुझसे गुस्सा थोदी ना हूगा ,,, अगर तुम अपने भैया को मीठी मीठी पप्पी दोगी तो हाहहाहहा

गीता शर्माते हुए - क्या भईया आप भी अब मै बड़ी हो गई हू ना
मै - तू और बबिता मेरे लिये हमेशा मेरी गुडिया रानी ही रहोगी ,,, बुढ़ढी हो जाओगी और दाँत गिर जायेन्गे तब भी
हिहिहिहिही

गीता खिझते हुए - भैयाआआ भक्क्क चिडाओ मत हा नही तो
मै - तो लाओ मेरा मीठी,, ये बोल कर अपना एक गाल उसके आगे किया और वो गीता ने भी बचपन की तरह मेरे चेहरे को पकड़ा और गालो को चूम लिया

मै- थैंक्स मेरी मीठी ,,चल अब निचे चले
गीता - हा चलो
फिर हम दोनो निचे आये और मै अपने कमरे मे गया
मैने मेरे बैग से एक टीशर्ट और लोवर निकाला । उसे पहन कर बाहर आया और सबको खोजने ल्गा कि कहा है सब ,, चारो तरफ नजर डाली तो नाना के बगल वाले रूम में कुछ चहल पहल नजर आई तो मै घूम कर बरामदे से होते हुए उसी कमरे के बाहर पहुचा तो कमरा पुरा भरा था । चुकी ये गेस्टरूम जैसा था जिसके एक किनारे एक बेड लगा और ढेर सारे सोफे लगे थे । नाना अक्सर मेहमानों को यही रोका करते थे ।

मै दरवाजे पर पहुचा की मा बोली - कहा रह गया था जल्दी अंदर आ तेरे चक्कर मे सब रुके है ।
मै कमरे मे गया तो नाना बेड पर लेते हुए थे । एक बडे सोफे पर राजेश मामा बैठे थे उन्के बगल मे मेरी दोनो नटखट बहने खड़ी थी ,, मौसी आरती की थाली लिये खडी थी ।

फिर मै जाकर नाना के पैर छुए
नाना - जुग जुग जियो मेरे लाल ,,जरा यहा मेरा शेर ,,अपने नाना के गले नहीं लगेगा
फिर मै मुस्कुरा कर नाना के पास गया और उन्के पेट सोकर उनसे लिप्त गया ,बदले मे नाना ने मेरी पीठ थपथपाइ । फिर मै मामा से मिला

फिर मा ने मुझे मामा के बगल मे ही बिठा दिया और पहले मा और मौसी ने मामा को राखी बांधी,,, फिर मामा ने मा और मौसी को गिफ्ट दिया ।
फिर गीता बबिता आई और मुझे बारी बारी से राखी बांधी ,, फिर मैने उन्हे पापा के कहे अनुसार दो दो हजार रुपये दिये । वो खुशी से मेरे दोनो गालो पर पप्पी देते हुए अपने कमरे मे चली गयी । और हम सारे लोग आपस मे बात करने ल्गे ।
मै - मामा मामी कहा है
मामा - बेटा वो भी अपने मायके गयी है राखी के लिए परसो आयेगी ।
मौसी - चलो सारे लोग खाना खा लो ।
नाना - रज्जो बेटा ,,मेरा खाना तू सबके खाने के बाद मेरे कमरे मे लेटे आना आह्हह थोडी थकान सी है मै पहले आराम करूँगा ।
मा और मौसी मुस्कुरा रहे थे और मै भी जानता था कि वो दोनो क्यू मुस्कुरा रहे थे ।
चुकी नाना का कमरा और गेस्टरूम अगल बगल ही था तो उन कमरे के बीच एक कामन दरवाजा भी था कमरे के अंदर से जिससे एक कमरे से दुसरे कमरे मे जा सकते थे । नाना भी उठे और उसी दरवाजे से अपने कमरे में चले गये और हम लोग खाना खाने किचन मे चले गये । क्योकि काफी बड़ा किचन था और डायनिन्ग टेबल भी वही लगा था । फिर मौसी ने सबके लिए खाना लगाया और हम सब खाना खाने लगे ।
खाने के बाद मामा सबको बोल कर खेत के लिए निकल गये और गीता बबिता भी किचन के काम मे लग गई । वही मै और मा अपने कमरे मे चले गये और मौसी नाना के लिए थाली लगाकर खाना देने चली गयी ।

कमरे मे जाते ही मैने दरवाजा बंद किया और मा को पीछे से हग कर लिया
मा - क्या कर रहा बेटा तू ,,छोड कितनी गर्मी लग रही है दिखता नहीं
मै - तो मै आपके कपडे निकाल दू मा ,, आपको आराम मिल जायेगा हिहिहिह
मा - खुब समझ रही हू कि तू क्यू मेरे कपडे निकालेगा , बदमाश कही का
मैने मा को पीछे से ही उनकी गरदन को चूमते हुए
मै - मा सुनो ना
मा मुस्कुराकर - हा बोल ना मेरा लल्ला
मै - मा क्या अभी नाना मौसी को चोदने वाले हैं,
मा - धत्त पागल वो तो खाना देने गयी है ना
मै - हा तो फिर आप दोनो मुस्कुरा क्यू रहे थे जब नाना ने मौसी को खाना लेकर आने को कहा
मा - तू बहुत ध्यान देने लगा है कि कौन क्या कर रहा
मै - मा बताओ ना क्या सच मे अभी नाना मौसी को चोदेगे
मा हस्ते हुए मुझसे अलग हुई - मुझे क्या पता
मै - तो मै जाऊ पता करने
मा चौकते हुए - तू पागल है ,,कही नही जाना है चल थक गया होगा अब सो जा थोडी देर

मै हस्ते हुए - मतलब मै सही हू मौसी नाना से चूदने ही गयी है ।
मा - हा गयी होगी तुझे क्या चल सो जा अब बहुत कुछ जानने ल्गा है।
फिर मा ने साडी निकाल दी और बिस्तर पर लेट गई ।
मै समझ गया कि मा ऐसे नही मानेगी कुछ सेक्सी सा नाटक करना पडेगा । इसिलिए मै मा के बगल ने लेट कर उनको बगल से हग करते हुए उन्के मुलायम गालो को चूमते हुए
मै - मा सुनो ना
मा आंखे बंद किये मुस्कुरा कर - बोल बेटा सुन रही हू
मै - मा आप कब चुदोगी नाना से ,,,,मा के चुचे ब्लाउज के उपर से सहलाते हुए बोला
मा थोडी झिझ्की फिर बोली - इत्ना आसान नही है बेटा , मै कोई रन्डी नही हू जो चुत खोले उनका लण्ड लेलू ।

मै - मा आप मौसी से बात करके कुछ प्लान करो ना
मा - हम्म्म्म ठीक है बेटा आज रात मे दीदी से बात करती हू
मै - तो मै भी सोउँगा आप दोनो के साथ मा
मा - नही बेटा तू कैसे आयेगा ,, वो रात मे तो राजेश रहेगा ना
मै खुश होते हुए - क्या सच मे आप मौसी और मामा बचपन की तरह आज रात मे मस्ती करने वाले हो ।

मा - हा बेटा दीदी ने कहा है कि आज बहुत दिनों बाद एक साथ हुए हैं तो क्यू ना
मै - वॉव मा ,,, फिर तो मज़ा आयेगा ,,, मा प्लीज मुझे भी देखना है
मा - लेकिन कैसे बेटा,, मुझे शर्म आयेगी ,, और हम लोग कमरे के अंदर रहेंगे, दरवाजा भी बन्द रहेगा ,,
मै - अच्छा तो क्या मौसी और मामा के कमरे के बीच कॉमन दरवाजा नही है
मा - अरे हा वो है ही
मै खुश होते हुए - ठीक है मा फिर आपलोग मामा के कमरे मे ही जाना और मौसी का दरवाजा खुला रखना
मा - हमम ठीक है चल अब सो जा
मै कैसे सोता एक तो मेरी सेक्सी मा मेरे बगल मे बंद कमरे मे अकेली सोयी है और रात मे होने वाले रोमांच की बाते हो रही है ,,, मै सो जाता अगर मेरा लण्ड नही जागता तो ,,वो तो मा के नंगे पेट और डिप गले वाले ब्लाउज से आधी बाहर निकली चुचियो को देख कर लार टपका रहा था ।
फिर मैने थोदा मा के उपर आकर उनकी बाहर निकली चुचियो को जीभ से गिला करने लगा

मा - इस्स्स क्या कर रहा है बेटा ,,,मै बहुत थक गई हू प्लीज मान जा ,,मै तुझे मना करती हू क्या

मै बुरा सा मुह बना कर - सॉरी मा ,आप सो जाओ
मुझे देखकर मा ने मुझे मुस्कराते हुए सीने से चिपका लिया ,,मेरा चेहरा मेरा नाक मेरे होठ आंखे सब मा की मुलायम गद्देदार चुचो मे समा गयी । मै वापस सर उठा कर अपने होठो से मा के मोटे रसिले होठो को चूसने लगा । फिर अलग होकर मा के माथे को चुमा और उन्के बगल मे लेट गया ।
मा - मेरा बच्चा आजा सो जा
फिर मै वापस से मा को हग करके लेट गया । लेकिन मेरी आँखो मे निद कहा मेरा लण्ड बार बार मुझे नाना के कमरे की तरफ जाने को बोल रहा था क्योकि मा तो कुछ करने देती नही ।
rajan
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Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: Incest सपना-या-हकीकत

Post by rajan »

मै सोच ही रहा था ,,, कि मेरा मोबाइल रिंग हुआ और मेंने मोबाईल देखा तो दीदी ने काल किया था ,,तो मै मा को फ्रेश होने का बोल कर निकल गया बाहर और पीछे की सीढ़ी से उपर जीने तक चला गया ।
वहा जाकर मैने दीदी को फोन किया
फोन पर

दीदी - क्या हीरो वहा जाते ही भूल गया मुझे
मै - नही दीदी अभी 3 घन्टे ही तो हुए है घर से यहा आये
दीदी - हा लेकिन मेरे लिए 3 घन्टे भी भारी है ,,तेरी याद तेरे जाने के बाद आ रही है,, घर एकदम काटने को दौड़ रहा है

मै - अच्छा बड़ा प्यार आ रहा है जब घर होता हू तब नही आती याद आपको, तब तो आप दूर भागते हो
दीदी - वो तो बस मेरी जान को परेशान करने का तरीका है
मै - हा तो देखो मुझसे दूर भागने का नतिजा , कैसे तडप रहे हो आप
दीदी - हा भाई अब जल्दी से आजा मै तुझे अपनी बाहो मे भर लू
मै - हा दीदी परसो आ जाउन्गा मै ,,,आई लव यू
दीदी - आई लव यू टू भाई मुआआह्ह्ह्ह
मै - चलो ठीक है मै बाद मे बात करता हु ।
फिर मैने फोन रखा और टहलते हुए सामने छत की रेलिंग पर आ गया ,,, गाव मे सबसे बड़ी छत हमारी ही थी वहा से नजारा हर तरफ कितना मज़ेदार और सुकून भरा था ,, तेज धूप मे मस्त हवा चल रही थी तो कोई दिक्कत नहीं थी खड़े होने मे ,, गाव के बाहर आखिरी छोर पर एक बड़ा सा दो मंजिला मकान था , जहा काफी गाडिया ट्रक लगे थे अनाज लादे मै समझ गया कि वो भी नाना का ही होगा क्योकि और कोई तो है भी उन्के टक्कर का यहा ।
गाव की हरियाली यहा की खुस्बु एक गजब की ताजगी का अहसास दे रही थी और मै ऐसे ही नजारे देखते हुए मेन गेट के बगल की सीढ़ी से निचे उतरने लगा आगन मे काफी काम करने वाले मजदूर थे । मै नाना के यहा की चका चौंध से बहुत प्रभावित था ,,, मै आखिरी सीढ़ी से निचे उतरा तभी मुझे ध्यान आया कि अरे मौसी तो नाना के कमरे मे गयी है कही इन लोगों का कुछ रोमन्च तो नही ना चल रहा है

मै भी एक लम्बी सास भरते हुए इधर उधर देखा और नाना के रूम की तरफ जाने लगा और रूम के दरवाजे के बगल मे लगी चौकी पर बैठ गया जहा गल्ला और रजिस्टर रखा हुआ था ,,और दीवाल से टेक लगा कर बैठ कर मोबाईल निकाल लिया और सारा ध्यान नाना के कमरे में लगा दिया कोई आवाज या कोई सेक्सी सी आह्हह सुनाई दे जाये ,, मगर कारिब दो मिंट तक ऐसा नही हुआ कुछ,,मैने सोचा क्यू ना गेस्ट रूम मे जाकर कुछ जुगाड लगाऊ
मै एक बार इधर उधर देखा और झट से गेस्ट रूम मे घुस गया ,,,, अंदर कूलर चालू था तो मुझे मज़ा ही आ गया थोदा सा खुद को रिलैक्स किया और उस कॉमन दरवाजे के पास चला गया । मैने दरवाजे को बिना छुए उसमे छेद या की-हॉल खोजा कुछ नही मिला । मुझे लगा किस्मत ही खराब है सालि आज एक तो सुबह से खड़े लण्ड ने परेसान किया , और बस मे झटके खाये , फिर मा ने भी कुछ करने नही दिया और अब यहा भी कुछ नही मिलेगा देखने को ।
मै भी सोचा छोडो जाने दो और वही गेस्ट रूम मे मोबाईल चलाते हुए सो गया ।

देखते हैं दोस्तो आने वाले अपडेट मे क्या बाते सामने आने वाली है ।
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