Adultery सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर

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mastram
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Re: Adultery सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर

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PART-13
शिवानी के सारे कपडे उतारे जा चुके थे और अब वह एकदम निर्वस्त्र अवस्था में सभी के सामने अपने बदन की नुमायश कर रही थी -उसने अपने दोनों हाथ भी ऊपर उठा रखे थे जिसकी वजह से उसका पूरा खूबसूरत बदन और उसके सारे अंग साफ़ साफ़ सबको दिख रहे थे
गौरव,पुनीत,अमित,मोहित और रोहित शिवानी के कपडे उतारने के दौरान ही काफी मज़े ले चुके थे लेकिन अनुराग अभी तक यह सब तमाशा सिर्फ देख रहा था -अब उसे लगा कि उसे भी लगे हाथों शिवानी के खूबसूरत बदन से जी भरकर मज़ा ले लेना चाहिए
अनुराग ने शिवानी की तरफ देखते हुए कहा : इधर आओ मेरे नज़दीक
शिवानी अनुराग के नज़दीक जाकर खड़ी हो गयी
बाकी के सभी लोग उत्सुकता से अनुराग की तरफ देख रहे थे कि अब भला डॉक्टर अनुराग शिवानी के साथ क्या करने वाला है
अनुराग के सामने शिवानी आकर खड़ी हुई तो अनुराग ने उसकी चिकनी जाँघों पर हाथ फेरते हुए कहा : चलो अपनी टाँगे खोलो
शिवानी ने अपनी टाँगे खोल दीं तो अनुराग ने उसकी चिकने योनि प्रदेश पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया और हँसते हुए कहने लगा : वैसे तो इस चिकनी लौंडिया का सारा बदन की मस्त है लेकिन इसका यह चिकना योनि प्रदेश एकदम ख़ास है-यहां हाथ फेरने पर ऐसा लगता है मानो किसी मक्खन के ढेर पर हाथ फेर रहे हों.
यह कहते कहते अनुराग ने अपनी एक उंगली उसकी योनि के अंदर डाल दी और उसे आगे पीछे करने लगा. उंगली को अंदर बाहर करते करते ही अनुराग सबकी तरफ देखकर बोला : आप सब लोगों ने इसका जो इलाज़ किया है, उसका असर दिख रहा है-यह नीचे से पूरी तरह गीली हो चुकी है और इस समय पेले जाने के लिए एकदम तैयार है
अनुराग ने अपनी उंगली उसकी योनि में से बाहर निकाली और शिवानी से बोला : चल नीचे फर्श पर बैठ
शिवानी नीचे बैठ गयी
अनुराग : मुंह खोल अपना
शिवानी ने अपना मुंह खोल दिया
अनुराग ने अपनी उंगली उसके मुंह में डाल दी और बोला : इसे चाट चाट कर साफ़ कर
शिवानी से काफी देर तक उंगली चटवाने के बाद अनुराग उससे बोला : जाओ अब बेंच पर जाकर लेट जाओ-अब तुम्हारा फाइनल इलाज़ किया जाएगा
शिवानी बेंच पर जाकर लेट गयी
अनुराग : अब जैसा मैं कहता हूँ, सब लोग उस तरह से काम करेंगे. अमित,रोहित और मोहित इसके मुंह की तरफ खड़े हो जाएँ और बारी बारी से इस से अपना लण्ड चुसवाएं और बाद में उसे इसकी जीभ से साफ़ भी करवाएं
नीचे इसकी योनि काफी गीली हो चुकी है, वहां मैं, गौरव और पुनीत बारी बारी से अपना लण्ड डालकर इसे नीचे से पेलने का काम करते हैं-यह सारा इलाज़ एक साथ होना चाहिए
शिवानी बेबस थी लेकिन फिर भी वह चीखती चिल्लाती हुई कहने लगी : यह सब मत करो मेरे साथ-और कितना ज़लील करोगे मुझे ? अब मुझे छोड़ दो प्लीज़...
शिवानी की फ़रियाद पर ध्यान दिए बिना सब के सब उसके खूबसूरत बदन को रौंदने के लिए एक साथ टूट पड़े
मोहित, अमित और रोहित ने बारी बारी से लण्ड चुसवाने के बजाये अपने अपने लण्ड एक साथ निकाल लिए और उसके मुंह में एक साथ डालने की कोशिश करने लगे -उन लोगों की इस कोशिश में उनके लण्ड को शिवानी अपने चेहरे और गालों पर महसूस कर रही थी -हर कोई अपना लण्ड उसके मुंह में घुसाना चाह रहा था और जिसका भी लण्ड फिसलकर उसके मुंह से बाहर आ रहा था, वह उसके गालों पर चपत लगाकर कह रहा था : अंदर ले साली चूस इसे
उधर अनुराग ने शिवानी की योनि में अपना लंड डालकर उसे पेलना शुरू कर दिया था और गौरव और पुनीत अपनी बारी का इंतज़ार करते करते उसकी चिकनी जाँघों पर हाथ फेर रहे थे.
जब तीनों ने शिवानी को नीचे से पेल लिया तो उन्होंने अमित, रोहित और मोहित से कहा : अब तुम लोगों ने अपने अपने लण्ड इस लौंडिया से चुसवा लिए हैं-अब तुम सब बारी बारी से इसे नीचे से भी पेलकर मज़ा ले लो -इसके बच्चा तो तभी होगा जब यह नीचे से भी हम सब से पेली जाएगी
यह कहने के बाद अब अनुराग, गौरव और पुनीत शिवानी के मुंह की तरफ चले गए और अमित,मोहित और रोहित शिवानी की योनि की तरफ आ गए और उसे दुबारा से पेलना शुरू कर दिया
जब उन सब ने शिवानी को ऊपर नीचे दोनों तरफ से पेल पेलकर अपनी पूरी तसल्ली कर ली तो अनुराग बोला : अब आज का इलाज पूरा हो गया है-तुम उठकर अपने कपडे पहनो और आज के बाद अपने गौरव देवर जी की आज्ञा का पूरी तरह पालन करो. अगर इनकी बात नहीं मानी तो इन्हे मजबूरन तुम्हे फिर से यहां इलाज़ के लिए लेकर आना पडेगा
शिवानी और बाकी सभी लोगों ने अपने अपने कपडे पहन लिए -वहां से रवाना होने से पहले अनुराग,अमित,रोहित ,मोहित और पुनीत ने एक बार फिर से शिवानी के चेहरे और होंठों को चूमकर आज आखिरी बार मज़े लिए
गौरव शिवानी को लेकर क्लिनिक के बाहर आ गया और अपनी बाइक पर बैठ गया -उसके पीछे शिवानी बैठ गयी
शिवानी ने अपने दोनों हाथों से गौरव को पकड़ रखा था ताकि वह बाइक से गिर ना जाए लेकिन अब गौरव बोल्ड हो चुका था और उसकी हिम्मत अब बढ़ गयी थी. वह शिवानी से बोला : अपने दोनों हाथों को आगे लाकर मेरे लण्ड पर रखो और इसे धीरे धीरे अपने हाथों से सहलाती रहो
गौरव की इस बात को मानने के लिए शिवानी ने अपने बदन को उसकी पीठ से और अधिक कसकर सटा दिया और उसके नरम-मुलायम मखमली मम्मों की गर्मी भी अब गौरव अब अपनी पीठ पर महसूस कर रहा था
घर आने के बाद गौरव ने अपनी मम्मी पापा को बताया : भाभी का मेडिकल चेक अप ठीक से निपट गया है-कोई बहुत ख़ास परेशानी वाली बात नहीं है -मामूली से इलाज़ की जरूरत थी जो डॉक्टर साहब ने कर दिया है और उन्होंने कहा है कि भाभी अब अगले कुछ ही महीनों में गर्भवती हो जायेगी.
इसके बाद गौरव और शिवानी दोनों पहली मंज़िल पर अपने अपने कमरों में आराम करने चले गए
शेष अगले भाग में ...
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mastram
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PART-14
जब से शिवानी गौरव के साथ अपना मेडिकल चेक अप कराकर घर वापस आयी थी, उसकी और गौरव की दुनिया पूरी तरह बदल चुकी थी
गौरव को अब यह लग रहा था कि जिस तरह से आज शिवानी को उसने अपने जाल में बुरी तरह फंसाया है, उसके बाद वह अब उसकी "परफेक्ट स्लेव" बन चुकी है -गौरव इस बात को सोच सोच कर ही उत्तेजित हुआ जा रहा था कि अब शिवानी के साथ वह सब कुछ मनमाने तरीके से कर सकता है जो अभी तक वह सिर्फ पोर्न फिल्मों में ही देखता आया है
गौरव यही सब सोचता सोचता अपने मोबाइल फोन में एक पोर्न वीडियो देखने लगा. वह कमरे में आराम से सोफे पर बैठा हुआ था और उसने अभी तक अपने कपडे जूते वगैरा भी नहीं उतारे थे -पोर्न फिल्म देखते देखते वह जींस में कैद अपने लण्ड पर भी हाथ फिरा रहा था
अचानक ही गौरव को लगा कि उसे अब यह सब करने की क्या जरूरत है-अब उसे पोर्न फिल्म देखकर मास्टरबेशन करने की बजाये शिवानी के साथ सब कुछ लाइव ही करने से भी रोकने वाला कौन है ? यही सोचते हुए उसने मोबाइल को बंद करके एक तरफ रख दिया और शिवानी को ज़ोर से आवाज़ लगाई : शिवानी क्या कर रही हो, इधर आओ मेरे कमरे में
क्योंकि गौरव और शिवानी के कमरे एकदम साथ साथ सटे हुए थे और दोनों के दरवाज़े भी खुले ही रहते थे इसलिए एक कमरे की आवाज़ दुसरे कमरे तक आसानी से चली जाती थी
शिवानी ने गौरव की आवाज़ सुनी तो वह दौड़ी दौड़ी गौरव के कमरे में आ गयी
शिवानी अपने कपडे बदल चुकी थी और उसने इस बीच फ्रेश होकर फ्रंट ज़िप वाला सफ़ेद रंग का गाउन भी पहन लिया था जो उसके खूबसूरत और सेक्सी बदन पर खूब जँच रहा था
गौरव ने अपने लण्ड को सहलाते सहलाते शिवानी की तरफ देखा और उससे बोला : चल नीचे बैठ और मेरे जूते उतार
शिवानी अभी तक क्लिनिक पर उसके साथ हुई दुर्गति को भूल नहीं पायी थी-उसे लगा था कि यह वह सब एक बुरा सपना था और उसे भूलने की कोशिश कर रही थी लेकिन जिस तरह से गौरव उस पर हावी होने की कोशिश कर रहा था उसे देखकर शिवानी को इस बात का अंदाज़ा हो चुका था कि अब आगे आने वाले समय में उसके साथ इस घर में क्या क्या होने वाला है-इस बात को सोचकर ही वह एकदम सिहर सी उठी थी और उसकी योनि भी अपने आप गीली होने लगी थी. वह खुद हैरान थी कि वह यह सब सोच सोचकर इतनी उत्तेजित कैसे हो रही है और गौरव की कड़क आवाज़ सुनकर उसकी योनि गीली क्यों हो रही है
वह यह सोचने में इतनी व्यस्त हो गयी कि गौरव के उस हुक्म को ही भूल गयी जिसमे उसने उसे नीचे फर्श पर बैठकर जूते उतारने का आदेश दिया था
गौरव एकदम गुस्से से बोला : तूने सुना नहीं मैंने क्या कहा ? अब तुझे इस की सजा अलग से मिलेगी -चल अब अपना गाउन खोल और नीचे बैठकर मेरे जूते उतार
शिवानी एकदम अपने सोच विचार से बाहर निकली और अपने गाउन की ज़िप को नीचे खिसकाने लगी -उसकी काले रंग की ब्रा और उसमे कैद उसके मम्मे एकदम क़यामत लग रहे थे-उसने अपनी ज़िप को अपनी नाभि तक लाकर छोड़ दिया और नीचे फर्श पर बैठने लगी लेकिन गौरव ने उसे रोकते हुए कहा : पूरा गाउन खोल साली -तुझे यह बात अब समझ लेनी चाहिए कि मेरी हर छोटी से छोटी बात भी तुझे पूरी तरह माननी है वर्ना तुझे सख्त से सख्त सजा मिलेगी
शिवानी ने अपनी ज़िप को नीचे तक पूरा खिसका दिया और उसकी काले रंग की पैंटी भी अब गौरव के सामने थीं
शिवानी उसी हालत में अब फर्श पर बैठकर गौरव के जूतों के फीते खोलने लगी
जूते उतारने के बाद शिवानी उठने लगी तो गौरव फिर से गुर्राकर बोला : तुझसे उठने के लिए किसने कहा ? जब तक मैं न कहूँ, ऐसे ही बैठी रह और अब मेरे मोज़े भी उतार
शिवानी ने उसके पैरों से अब मोज़े भी उतार दिए
गौरव : अब मेरे पैरों की चूमा चाटी शुरू कर
शिवानी ( गिड़गिड़ाते हुए ) : यह सब क्यों कर रहे हो मेरे साथ ? मैंने क्या किया है आखिर ?
गौरव : तुमने कुछ नहीं किया है मेरी जान. तुम बहुत खूबसूरत हो और मुझे खूबसूरत लौंडियों के साथ इस तरह खेलने में बहुत मज़ा आता है -चल अब देर मत कर और अपने होंठों से मेरे पैरों को चूमते हुए अपनी जीभ से उन्हें चाट चाटकर साफ़ कर
बेबस शिवानी नीचे झुककर उसके पैरों को चूमने चाटने लगी- गौरव ने उससे अपने पैरों के तलवे भी चटवा लिए और फिर उसके बाद अपने पैरों को उसके चेहरे पर रगड़ते हुए बोला : मुझे उम्मीद है कि अब तक तुझे अपनी औकात समझ में आ गयी होगी -अब तेरी असली जगह मेरे क़दमों में ही है- क्या समझी ?
शिवानी : जी
गौरव : क्या जी, ठीक से खुलकर बोल
शिवानी : मेरी जगह आज से आपके क़दमों में ही है
गौरव : आज से मेरी हर बात, मेरी हर इच्छा तेरे लिए एक हुक्म के सामान है-जिसका हर हालत में पालन होना चाहिए -मैं कहूँ कि खड़ी हो जा तो तुझे खड़ा होना पड़ेगा और मैं कहूँ कि बैठ जा तो तुझे बैठ जाना होगा- समझी ?
शिवानी : जी अब मैं समझ गयी हूँ -ऐसा ही होगा
गौरव : "अब मैं समझ गयी हूँ- आगे से ऐसा ही होगा सर" -इस तरह से बोलकर दिखा
शिवानी : जी सर, अब मैं समझ गयी हूँ-आगे से ऐसा ही होगा सर.
गौरव अब हँसता हुआ बोला : चल अब खड़ी होकर अपने बाकी के कपड़े भी उतार दे और घुटनों के बल बैठकर मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले ले
शिवानी ने अपने बाकी के सारे कपडे भी उतार दिए और घुटनों के बल बैठकर उसके लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी
गौरव उसके गालों पर हल्की हल्की चपत लगाते हुए मुस्करा रहा था और बोल रहा था : अब मुझे अपने हाथों का इस्तेमाल करके मास्टरबेशन करने की कोई जरूरत नहीं है- अब तो मुझे तेरे मुंह में लण्ड डालकर ही मास्टरबेशन का असली मज़ा आ रहा है
गौरव अब एकदम निरंकुश हो गया था और शिवानी के साथ इस तरह पेश आता था मानो वह उसकी खरीदी हुई गुलाम हो
शिवानी भी अब हर समय गौरव से डरी और सहमी रहती थी और उसकी हर जायज़ नाजायज़ बात को चुपचाप मान लेने में ही अपनी भलाई समझती थी
विवेक की गैर हाज़िरी में तो गौरव ने शिवानी को अपना "सेक्स टॉय" जैसा बना रखा था
शिवानी भी धीरे धीरे इन सब बातों की अभ्यस्त सी हो गयी थी
गौरव अब किसी भी समय उसके कमरे में घुस आता था और उसका मुंह खुलवाकर उसमे अपन लण्ड डाल देता था -रात को शिवानी गौरव का बिस्तर गर्म करती थी और वह उसे जी भरकर पूरी रात पेलता रहता था
शेष अगले भाग में
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mastram
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Part 15
अगले दिन सुबह लगभग 11 बजे का वक्त था। गौरव और शिवानी नाश्ता करने के बाद अपने अपने कमरे में बैठे हुए थे। हमेशा की तरह गौरव आज भी शिवानी के जिस्म के साथ खिलवाड़ करने की योजना बना रहा था। उसी समय उसके फोन की घंटी बज उठी।
गौरव ने फोन उठाया। उसके बचपन का दोस्त परवेज़ था। पहले वह गांव में ही रहता था लेकिन बाद में वह शहर जाकर सरकारी नौकरी करने लगा था।
परवेज फोन पर बोला : मैं शहर से गांव आज सुबह ही आया हूँ और तुझसे मिलने आ रहा हूँ। तू घर पर ही है ना ?
गौरव बोला : अरे भाई आ जा मैं घर पर ही हूँ और भाभी को भी साथ लेकर आना। उनसे भी मुलाकात हो जाएगी
कुछ ही देर में परवेज अपनी वाइफ हिना के साथ गौरव के घर पहुंच गया। गौरव ने उन दोनों को ऊपर अपने कमरे में ही बुला लिया।
परवेज की वाइफ हिना को गौरव ने पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। वह बला की खूबसूरत थी। दोनों की शादी को 6 महीने ही हुए थे।
गौरव ने हिना को शिवानी से परिचय करवा कर उसके कमरे में ही बिठा दिया और वे दोनों आपस मे बातें करने लगीं। इधर अपने कमरे में गौरव परवेज के साथ गप्पें लगाने लगा।
बातों बातों में परवेज़ ने गौरव को बताया : यार मेरी वाइफ तो शहर की मॉडर्न लड़की है और मुझे अभी भी गांव वाला समझती है। वह अपने मूड के हिसाब से ही काम करती है और फर्स्ट नाईट के अलावा हम लोगों ने पिछले 6 महीने में मुश्किल से 10 बार ही सेक्स किया है। कुछ समझ नहीं आता क्या करूं।
गौरव एकदम चालू लौंडा था। वह समझ गया कि हिना और परवेज की क्या समस्या है।
गौरव उससे बोला : भाई, इसमे सारी गलती तेरी ही है। हर लड़की यह चाहती है कि उसका मर्द उसे रौब दाब में रखे। तुम शायद उसकी यह इच्छा पूरी नही कर पा रहे हो
परवेज : क्या बात कर रहा है यार ? रौब दाब में रखने का क्या मतलब होता है, मैं कुछ समझा नही।
गौरव : देख भाई मेरी तो शादी भी नही हुई है लेकिन मैंने तो अपनी भाभी शिवानी को भी अपने रौब दाब में रखा हुआ है और उससे पूरे मज़े ले रहा हूँ।
परवेज : यार यह औरतों को रौब दाब में रखने का फार्मूला हमे भी सिखाओ।हम तो बड़े परेशान है
गौरव : चल मैं तुझे पहले यह दिखाता हूँ कि औरतों को रौब दाब में कैसे रखा जाता है और उसके मर्दों को क्या फायदे होते हैं
यह कहने के साथ ही गौरव परवेज़ को शिवानी के कमरे में लेकर आ गया जहां वह बिस्तर पर बैठी हिना से बातें कर रही थी
गौरव परवेज के साथ सोफे पर बैठ गया और कड़क आवाज़ में शिवानी से बोला : शिवानी इधर आओ
शिवानी एकदम सकपका गई और बिस्तर से उठकर गौरव के पास आकर खड़ी हो गई
गौरव : तुमने परवेज और हिना को चाय पानी के लिए पूछा अभी तक ?
शिवानी : नही। मैं अब लेकर आ जाती हूँ
गौरव : अब मैंने याद दिला दिया तो तुम चाय पानी लाओगी। मतलब तुम्हे अब यह सब भी मुझे बताना पड़ेगा।
शिवानी : जी गलती हो गई। अब आगे से ऐसा नही होगा
गौरव : तुम्हे इस गलती की सज़ा मिलेगी। चलो कान पकड़ो और दस बार उठक बैठक लगाओ
शिवानी को बहुत शर्म और जलालत महसूस हो रही थी। हिना और परवेज़ बड़ी हैरानी से यह तमाशा देख रहे थे
हिना बीच मे बोलने भी लगी : अरे किसी फॉर्मेलिटी की जरूरत नही है। हम लोग तो चाय नाश्ता घर से करके ही चले थे
गौरव ने हिना की बात अनसुनी करते हुए शिवानी से फिर कहा : जल्दी कान पकड़ और गिनती बोलते हुए दस बार उठक बैठक लगा या फिर मैं तेरे---
इससे पहले कि गौरव आगे कुछ और बोलता, शिवानी ने अपने दोनों कान पकड़ लिए और गिनती बोलते हुए उठक बैठक लगाने लगी
गौरव की जीन्स के अंदर उसका लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था। उसने एक नज़र परवेज़ की तरफ डाली और देखा कि उसकी पैंट के अंदर भी बहुत लंबा टेन्ट बन गया था
शेष अगले भाग में----
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PART-16
जब शिवानी दस उठक बैठक लगा चुकी तो गौरव उससे बोला : ठीक है, अब तुम हिना का ख्याल रखो और देखो उसे हमारे यहां कोई परेशानी न हो- मैं तब तक अपने कमरे में परवेज़ भाई के साथ बातचीत करता हूँ
यह कहकर गौरव परवेज के साथ अपने कमरे में आ गया और शिवानी और हिना अपने कमरे में रह गए
गौरव के जाने के बाद हिना के मन में शिवानी से मज़े लेने का ख्याल आने लगा. दरअसल हिना लेजबियन थी और इसीलिए उसे लड़कों के साथ सेक्स करने में कम दिलचस्पी थी और लड़कियों के साथ मस्ती करने का वह कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी. जब से उसने शिवानी को सब के सामने कान पकड़ कर उठक बैठक लगाते देखा था, तभी वह समझ गयी थी कि शिवानी से आसानी से मज़े लिए जा सकते हैं
शिवानी पहले की तरह दुबारा से बिस्तर पर आकर बैठ गयी और हिना की तरफ देखने लगी हालांकि जो कुछ भी अभी कुछ देर पहले हुआ था, उसकी वजह से वह बहुत ज़लालत महसूस कर रही थी और हिना से आंखें भी नहीं मिला पा रही थी
हिना बहुत शरारती थी और वह शिवानी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली : तुमसे यह उठक बैठक अक्सर लगवाई जाती हैं या फिर कभी कभी ?
शिवानी तो पहले ही इस मामले को लेकर काफी ज़लालत महसूस कर रही थी लेकिन लग रहा था कि हिना उसे और ज्यादा ज़लील करने के मूड में थी
शिवानी ने बात टालने के लिए कह दिया : नहीं, यह सब कभी कभी होता है
हिना : उठक बैठक लगाने के अलावा और क्या क्या करती हो ? जब सजा मिलती है तो क्या तुम्हे उसमे मज़ा भी आता है ?
शिवानी : अरे छोड़ो न- कोई और बात करते हैं
हिना : और क्या बात करें- मुझे तो इन्ही बातों में मज़ा आता है- जिस बात में मुझे मज़ा आएगा वही बात करूंगी या फिर कोई भी बेकार बात करना शुरू कर दूंगी
शिवानी चुप हो गयी और कुछ नहीं बोली
हिना ने टांगों तक की स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था और वह पालथी मारकर बिस्तर पर बैठी हुयी थी- शिवानी ने फ्रंट ज़िप वाला गाउन पहना हुआ था और वह भी उसके सामने ही बिस्तर पर पालथी मारकर बैठी हुयी थी.
अचानक हिना ने अपनी आवाज़ को थोड़ा कड़क करते हुए शिवानी से कहा : ऐसा करो जरा दरवाज़े को अंदर से बंद कर दो
शिवानी बिस्तर से उठी और दरवाज़े को अंदर से बंद करके दुबारा से बिस्तर पर आकर बैठ गयी
शिवानी जैसे ही बिस्तर पर वापस आकर बैठी, हिना उससे बोली : अपने गाउन की ज़िप खोलो और मुझे खुश करो
शिवानी हिना की बात सुनकर एकदम सकते में आ गयी : क्या ???????? तुम यह क्या बकवास कर रही हो ?????? तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना ??????
हिना : ठीक है कोई बात नहीं. मैं अब चलती हूँ और आपके देवर जी गौरव अगर पूछेंगे कि इतनी जल्दी क्यों जा रही हो तो कह दूंगी कि तुम मेरे साथ लगातार बदतमीजी कर रही हो
शिवानी ( घबराये हुए स्वर में) : लेकिन मैंने तो आपसे कोई बदतमीजी नहीं की है
हिना : मेरी बात नहीं मान रही हो यही सबसे बड़ी बदतमीजी है
यह कहकर हिना से बिस्तर से उठकर दरवाज़े की तरफ जाने लगी
शिवानी को लग रहा था कि अगर इसने गौरव से कुछ भी अनाप शनाप बोल दिया तो वह इन सबके सामने ही बहुत ज्यादा ज़लील करेगा
उसने हिना को रोकते हुए कहा : प्लीज़ मत जाओ...रुक जाओ यहीं
हिना भी वहां से कौन सा जाने वाली थी. वह तो सिर्फ शिवानी को अपने जाल में फंसाना चाहती थी
हिना लौटते हुए बोली : मैं यहां एक ही शर्त पर रुकूंगी कि तुम मेरी हर बात मानोगी-बोलो मंज़ूर है ?
शिवानी : हाँ मुझे मंजूर है
हिना अब सोफे पर पैर फैलाकर बैठ गयी और शिवानी से बोली : चलो अब फटाफट अपने सब कपडे उतारो और अपने हाथ ऊपर करके खड़ी हो जाओ
शिवानी ने अब अपने गाउन की ज़िप खोल दी और उसे एक तरफ रख दिया
अब उसके बदन पर सिर्फ एक ब्रा और पैंटी बची थी
हिना ने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराते हुए कहा : साली तू तो एकदम सॉलिड मस्त माल है -तेरा देवर तो तुझे खूब पेलता होगा -पति भी पेलता ही होगा -इतने मस्त माल को कौन छोड़ता है भला -मैं भी कहाँ छोड़ रही हूँ -चल अब बाकी के कपडे भी उतार और अपने हाथ ऊपर उठाकर खड़ी हो जा
शिवानी ने अपनी ब्रा और पैंटी बी उतार दी और अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर खड़ी हो गयी
हिना अब सोफे से उठकर शिवानी के पास आ गयी और उसके निर्वस्त्र बदन पर अपने दोनों हाथ फिराने लगी -शिवानी के दोनों मखमली मम्मों को अपने हाथों से मसलते हुए हिना ने उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया और उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगी
शिवानी को यह सब बड़ा अजीब इसलिए लग रहा था क्योंकि आज से पहले कभी किसी लड़की ने उसके बदन को इस तरह से नहीं दबोचा सहलाया था लेकिन हिना तो एक एक्सपर्ट लेजबियन थी -वह शिवानी के मस्त मस्त नितम्बों को थपथपा कर बोली : चल अपनी टाँगे खोल
शिवानी ने जैसे ही अपनी टाँगे खोलीं, हिना ने उसके योनि प्रदेश को सहलाते हुए अपनी एक उंगली उसकी योनि में दाल दी और फिर शरारती मुस्कान के साथ बोली : क्या कहने हैं-तुम तो एकदम गीली हो चुकी हो-इसका मतलब तुम्हे यह सब पसंद आ रहा है-मैं तो तुम्हे उठक बैठक लगाते देखकर ही समझ गयी थी कि तुम्हे इस बात में मज़ा आता है कि कोई तुम पर हावी होकर अपनी मनमानी करवाये
हिना ने कुछ देर बाद अपनी उंगली शिवानी की योनि में से निकाली और उसे शिवानी के होंठों के नज़दीक ले जाकर बोली : चल मुंह खोल और इसे अपनी जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर
शिवानी से अपनी उंगली को काफी देर तक चटवाने के बाद हिना खुद भी काफी गर्म हो चुकी थी और राहत की तलाश में थी
वह फिर से सोफे पर जाकर बैठ गयी और शिवानी से बोली : इधर आकर घुटनों के बल बैठ और मुझे खुश कर
यह कहकर हिना ने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाते हुए अपनी भीगी पैंटी नीचे खिसका दी और शिवानी के चेहरे को खींचकर अपने योनि प्रदेश पर लाकर बोली : यहां चूमा चाटी करके मुझे खुश कर चिकनी
शिवानी का पूरा चेहरा हिना की योनि से निकल रहे पानी से गीला हो चुका था लेकिन हिना उसके दोनों गालों पर चपत मार मारकर लगातार कहती जा रही थी : ठीक से चाट साली....अपनी जीभ को अन्दर तक घुसाकर मुझे खुश कर
हिना ने अपनी पूरी तसल्ली के बाद शिवानी को अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया-उसके बाद उन दोनों ने वाशरूम में जाकर अपने अपने चेहरे को साफ़ किया और अपने कपडे पहनकर दरवाज़े को अंदर से खोल दिया
शेष अगले भाग में......
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