भाई बहन,ननद भाभी और नौकर

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mastram
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Re: भाई बहन,ननद भाभी और नौकर

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Part-6
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर
अगले दिन जब रश्मि रोजाना की तरह अपनी कापी किताबें लेकर कुसुम के पास पहुंची तो उस समय कुसुम अपने बेड पर लेटी हुई थी। रश्मि को देखकर वह बोली-"आज मेरी तबियत कुछ ठीक नही लग रही है।पूरे बदन में हल्का हल्का दर्द महसूस हो रहा है। आज पढ़ाई रहने दो। कल आज के बदले की भी पढ़ाई करवा दूँगी। अभी तुम ऐसा करो इन कापी किताबों को टेबल पर रख दो और जरा मेरे पास आकर मेरे पूरे बदन की मालिश करो।"
रश्मि ने कापी किताबें टेबल पर रख दीं और कुसुम के बेड के पास पहुंच गई . रश्मि अब कुसुम के अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रही थी क्योंकि खुद उसे समझ नही आ रहा था कि पूरे बदन की मालिश कैसे और कहां से शुरू करनी है। कुसुम उसकी उलझन को समझ गयी और उससे बोली-"देखो वह सामने बॉडी लोशन की बोतल रखी हुई है, उसे लेकर आओ फिर मैं तुम्हे बताती हूँ कि मालिश कैसे करनी है।"
रश्मि ने बॉडी लोशन की बोतल को उठा लिया और फिर से कुसुम के पास आकर खड़ी हो गई। कुसुम मन ही मन इस बात से बहुत खुश और उत्तेजित महसूस कर रही थी कि अब रश्मि पूरी तरह से उसके काबू में आ चुकी है और उसकी हर बात को बेझिझक मान रही है।
कुसुम एक पारदर्शी गाउन पहने हुए बेड पर लेटी हुई थी। रश्मि रोजाना की तरह टी शर्ट और निक्कर पहने हुए थी।
दरअसल कुसुम की तबियत ठीक ठाक थी लेकिन वह तबियत खराब होने का बहाना बनाकर रश्मि के साथ थोड़ी मौज मस्ती करने के मूड में थी। पति की गैर हाज़िरी में अपने सेक्स की भूख शायद वह रश्मि से पूरी करना चाहती थीं।
रश्मि इस बात से ही बहुत खुश थी कि उसे आज कुसुम डांट फटकार नही रही थी और बड़े प्यार से बात कर रही थी।
कुसुम ने रश्मि से अब कहा-" ऊपर बेड पर आ जाओ।"
रश्मि बॉडी लोशन की बोतल लेकर बेड पर आ गई और कुसुम की साइड में बैठकर उसकी तरफ देखने लगी।
कुसुम ने अपने पारदर्शी गाउन की फ्रंट ज़िप खोलकर उसे अपने बदन से अलग कर दिया। उसके बदन पर अब सिर्फ एक ब्लैक ब्रा और पैंटी ही बाकी थी।
कुसुम अब रश्मि से कहने लगी-" ऐसा करो कि तुम भी अपने कपड़े उतार दो वरना यह खराब हो सकते हैं।"
रश्मि ने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसके बदन पर भी अब सिर्फ ब्रा और पैंटी ही बचे थे।
अब रश्मि ने बॉडी लोशन को कुसुम के बदन पर लगाकर मालिश करना शुरू कर दिया। कुसुम उसे लगातार गाइड कर रही थी-" यहां मेरी जांघों पर लोशन लगाओ और ठीक से मालिश करो।"
रश्मि कुसुम के दिशा निर्देशों के अनुसार उसके बदन की मालिश करते करते खुद अपने बदन में भी जबरदस्त उत्तेजना और गर्मी महसूस कर रही थी।
अब कुसुम ने रश्मि की तरफ देखकर कहा-"चलो अब अपनी ब्रा और पैंटी भी उतारो।"
कुसुम की हर बात मानने के लिए रश्मि बेबस थी सो उसने अपने बाकी के कपड़े भी उतार दिए और बिल्कुल निर्वस्त्र हो गई। कुसुम ने भी इस बीच अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी थी। अब बेड पर रश्मि और कुसुम दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र अवस्था मे थीं।
शेष अगले भाग में...…
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mastram
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Part-7
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर
कुसुम ने अब रश्मि से अपने पूरे बदन पर लोशन लगवाया और जब रश्मि के हाथ कुसुम के सीने की गोलाइयों को सहलाने लगे तो कुसुम के मुंह से हर्ष मिश्रित उत्तेजना के स्वर निकलने लगे। कुसुम ने उसी वक़्त रश्मि को अपनी तरफ खींच लिया और उसे बिस्तर पर नीचे गिराकर उसके बदन को चूमने चाटने और दबाने सहलाने लगी। कुसुम की हरक़तों से रश्मि भी जबरदस्त उत्तेजना से भर चुकी थी और उसके मुंह से भी हर्ष और उत्तेजना मिश्रित आवाज़ें निकल रही थीं। एक दूसरे को दबाते सहलाते और चूमते चाटते हुए दोनों अपने क्लाइमेक्स पर जल्द ही पहुंच गईं। इसके बाद दोनों बेड पर सीधी होकर लेट गई। क्लाइमेक्स पा लेने के बाद भी कुसुम के शरारती मन मे अभी भी कुछ और शरारत करने की इच्छा बाकी रह गयी थी। दरअसल जब तक रश्मि कुसुम की किसी बात का विरोध न करे और उसके लिए कुसुम रश्मि को सज़ा न दे ले तब तक कुसुम को पूरा मज़ा नही आता था लेकिन आज तो रश्मि ने बिना किसी झिझक या विरोध के कुसुम की सारी बातें न सिर्फ मान लें, बल्कि अपने सारे कपड़े भी बिना किसी झिझक के उतार दिए।
कुसुम ने अपनी शरारत को अंजाम देने का मन बना लिया और रश्मि से कुछ ऐसा करने के लिए कहने का मन बना लिया जिसे रश्मि कभी भी नही मानने वाली थी।
कुसुम ने अपनी साइड में लेटी रश्मि के उरोजों को दबाते हुए कहा-"अब जरा उठो और किचन से मेरे लिए कॉफी बनाकर लाओ।"
रश्मि बेड पर लेटे लेते ही बोली-"भाभी, मैं अर्जुन को फोन कर देती हूँ, वह काफी बनाकर ले आएगा।"
अर्जुन घर का फुल टाइम नौकर था जो किचन के साथ बने साइड रूम में ही रहता था और घर के सभी कामों के साथ साथ कुसुम की किचन में भी सहायता करता था। अर्जुन को भी कुसुम भाभी ने ही अपनी पसंद से नौकरी पर रखा था और उस पर भी कुसुम भाभी अपना पूरा रौब दाब बना के रखती थीं। अर्जुन लगभग 19 साल का गठीले बदन का बिहारी लड़का था-देखने भालने मे भी अर्जुन एकदम ठीक ठाक और फिट था-कुल मिलाकर उसकी पर्सनालिटी ऐसी थी कि अगर उसे ढंग के कपड़ें पहना दिए जाएं तो कोई यह अन्दाजा नही लगा सकता था कि वह किसी घर मे नौकरी करता होगा।
दरअसल आम तौर पर काफी बनाकर लाने का काम अर्जुन का ही था। चाय काफी क्या, अगर घर मे किसी को पानी भी पीना होता था तो वह अर्जुन को ही आवाज़ लगता है-"अर्जुन जरा पानी लेकर आना"
कुसुम को यह मालूम था कि काफी बनाकर अर्जुन ला सकता है लेकिन उसके शरारती मन में कुछ और ही चल रहा था-काफी उसे नही पीनी थी-काफी तो सिर्फ एक बहाना थी-असली मकसद तो रश्मि को एक ट्रैप मे फंसाना था। कुसुम ने थोड़ा अपनी आवाज़ में सख्ती लाते हुए रश्मि से कहा-"जब मैं चाहती हूँ कि मेरे लिए तू खुद कॉफी बनाकर लाये तो तुझे ही काफी बनानी है, अर्जुन को नही। अब फटाफट खड़ी हो जा और जल्दी से मेरे लिए कॉफी बनाकर ला।"
रश्मि न चाहते हुए भी बेड से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी लेकिन कुसुम ने डांटते हुए रश्मि को रोका-" तुझसे कपड़े पहनने के लिए मैंने कब कहा चिकनी ? ऐसे ही बिना कपड़े पहने किचन में जा और कॉफ़ी बनाकर ला।"
रश्मि को काटो तो खून नही। वह विरोध करते हुए कुसुम से बोली-"भाभी, यह आप क्या कह रही हैं। किचन में अर्जुन के सामने क्या मैं निर्वस्त्र हालत में जा सकती हूं ?"
कुसुम भी समझ रही थी कि रश्मि ठीक कह रही थी लेकिन कुसुम के ऊपर तो अपनी शरारत का भूत सवार था सो उसने रश्मि को और उकसाते हुए कहा-" हाँ तूने सही सुना है चिकनी- तुझे निर्वस्त्र अवस्था मे ही किचन में जाना होगा क्योंकि यह मेरा हुक्म है। अगर अर्जुन ने तुझे इस हालत में देखकर अपना आपा खो दिया और तेरे इस मखमली बदन को पकड़कर दबा सहला भी दिया तो कौन सी आफत टूट जाएगी। चल फ़टाफ़ट यहां से निकल वरना तुझे ऐसी सज़ा दूंगी कि तू भी क्या याद रखेगी।"
शेष अगले भाग में..….
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mastram
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Part-8
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर
रश्मि ने कुसुम की तरफ देखकर फिर से विरोध किया-"भाभी, बाहर अगर मम्मी ने मुझे इस हालत में देख लिया तो ?"
अब कुसुम और भड़क उठी और बोली-" बकवास बंद कर। इस समय रात के 8 बज रहे हैं और तू भी अच्छी तरह जानती है कि मम्मीजी 6 बजे ही डिनर करके 7 बजे तक अपने कमरे में ऊपर सोने चली जाती हैं और फिर सुबह को ही नीचे आती हैं। और अगर उन्होंने तुझे इस हालत में देख भी लिया तो कह देना कि भाभी ने सज़ा देने के लिए मेरे कपड़े उतरवाए हैं। बाकी उन्हें मैं खुद समझा दूँगी। अब बहानेबाज़ी बंद कर और फटाफट मेरे लिए कॉफी बनाकर ला।"
रश्मि फिर भी कुसुम की बात मानने को तैयार नही हुई और बोली-"भाभी एक मामूली से नौकर के सामने मैं अपने बदन की नुमायश करने हरगिज़ नही जाऊंगी। तुम्हे जो सज़ा देनी है, वह दे लो।"
कुसुम तो यही चाहती थी सो कहने लगी-"ठीक है, अब तुम्हे सज़ा तो देनी ही पड़ेगी- चलो अपने कान पकड़ो और गिन गिन कर 100 उठक बैठक लगाओ. गिनती की आवाज़ मुझे सुनाई आनी चाहिए, वरना उसे काउंट नही किया जाएगा और तुम्हे ज्यादा उठक बैठक लगानी पड़ेंगी। अब फटाफट शुरू हो जाओ।"
रश्मि ने अब निर्वस्त्र अवस्था मे ही कान पकड़कर गिनती करते हुए उठक बैठक लगानी शुरू कर दीं। कुसुम भी अब बेड से उठकर अपने पारदर्शी गाउन को फिर से पहन लिया और कमरे के अंदर ही बने एक साइड रूम में चली गयी। कुछ देर बाद वह साइड रूम से निकल कर वहीं आ गई जहाँ रश्मि नंगी होकर उठक बैठक लगा रही थी। कुसुम के हाथ में अब एक चमड़े का हंटर था जिसे लेकर वह सोफे पर बैठ गयी और रश्मि को उठक बैठक लगाते हुए देखने लगी। रश्मि अब तक 50 उठक बैठक लगा चुकी थी और अब काफी थकी हुई लग रही थी।
कुसुम ने अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाते हुए कहा-"इधर मेरे नजदीक आकर लगाओ बाक़ी की उठक बैठक।"
कुसुम के हाथ मे चमड़े का हंटर देखकर रश्मि और भी डर गई थी इसलिए वह बिना किसी देरी के कुसुम के सामने आकर खड़ी हो गई और बाकी की उठक बैठक गिनती करते हुए लगाने लगी।
अब कुसुम बीच बीच मे रश्मि की जांघों और टाँगों पर यह कहते हुए हंटर मारने लगी-" ठीक से लगाओ उठक बैठक"
जब 100 उठक बैठक पूरी हो गईं तो कुसुम रश्मि से बोली-"चल अब मुर्गा बन जा"
रश्मि गिड़गिड़ाते हुए बोली-" प्लीज़ भाभी, मैं उठक बैठक लगाते हुए बहुत थक गई हूँ। आज मुर्गा मत बनाओ- फिर कभी बना देना।"
अब कुसुम को वह मज़ा आ रहा था जो वह चाहती थी। रश्मि की तरफ देखकर वह मुस्कराते हुए बोली-"ठीक है, आज तुम थक गई हो तो किसी और दिन तुझे मुर्गा बनाकर देख लेंगे। आज तुझे ऐसी सज़ा देती हूँ जिससे तुझे कोई थकान नही होगी। चल सामने रखी उस कुर्सी को उठाकर ले आ और उसे मेरे सामने रख दे।"
रश्मि सामने रखी कुर्सी उठा लाई और उसे कुसुम के ठीक सामने रख दिया।
अब कुसुम रश्मि से बोली-"कुर्सी को थोड़ा पीछे करो और उस पर बैठ जाओ।"
रश्मि ने कुर्सी को थोड़ा पीछे खिसकाया और उस पर बैठ गयी।
अब कुसुम जो कि सोफे पर बैठी हुई थी, उसने अपनी दोनों टांगे उठाकर रश्मि की गोद मे रख दीं और बोली-"अब तुम बारी बारी से मेरे दोनों पैरों को अपने हाथों में उठाओ और मेरे पैरों के तलवों को अपनी जीभ से चाटो"
इससे पहले कि रश्मि तलवे चाटने शुरू करे, कुसुम अपने पैर के अँगूठे को रश्मि के होंठों पर फिराने लगी-रश्मि ने शर्म के मारे अपनी आंखें बंद कर लीं तो कुसुम ने चमड़े का हंटर जोर से रश्मि के बदन पर मारते हुए कहा-"आंखें खोलकर रखो क्योंकि तुम्हे अपनी सज़ा अपनी आंखों से देखनी भी है।"
कुसुम अब रश्मि को एक 'सेक्स टॉय" की तरह इस्तेमाल कर रही थी। रश्मि उसके पैरों के तलवे चाट रही थी और बीच बीच मे कुसुम उसे चमड़े के हंटर यह कहकर लगा रही थी-"ठीक से तलवे चाट मेरी प्यारी चिकनी ननद"
रश्मि के साथ खेलते खेलते जब कुसुम का मन भर गया तो कुसुम ने उसे आज़ाद करते हुए कहा-"चल अब खड़ी हो जा और अपने कपड़े पहन लें। और हाँ, डिनर करने के बाद मेरे बेड रूम में आ जाना।"
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Part-9
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर
डिनर करने के बाद रश्मि कुसुम के बेडरूम में पहुंच गई । कुसुम रश्मि को अंग्रेजी की ट्यूशन भी अपने बेडरूम में ही पढ़ाती है। इसी बैडरूम से लगा एक साइड रूम है और उस साइड रूम में ही अटैच्ड वाशरूम है।

रश्मि वहां पहुंची तो कुसुम एक सफेद रंग का पारदर्शी गाउन पहनकर अपने बिस्तर पर पैर फैलाकर लेटी हुई थी।

कुसुम ने रश्मि की ओर देखा और बोली-" आ जा बेड पर आकर मेरे पैरों की मालिश कर दे। बहुत थकान सी महसूस हो रही है।"

रश्मि ने जैसे ही कुसुम के पैरों को दबाना शुरू किया, वैसे ही कुसुम के मोबाइल की घंटी बज उठी। रात के साढ़े नौ बजे भला कौन फोन कर रहा है, यह जानने के लिए उसने फुर्ती से अपना फोन उठाकर देखा। कुसुम के छोटे भाई मोहित का फोन था। फोन सुनते ही कुसुम एकदम बोली-"ओह माई गॉड, यह सब कैसे हुआ। मैं अभी निकल रही हूँ-2 घंटे में पहुंच जाऊँगी।"

कुसुम बिस्तर से उठकर बैठ गई और रश्मि से बोली-"पापा को हार्ट अटैक आया है। उन्हे अस्पताल ले गए हैं। मुझे अभी निकलना होगा।मम्मी को तुम सुबह बता देना और मेरे पीछे घर का ख्याल रखना।मेरे इस कमरे की चाबी तुम अपने पास रख लो। अपने सामने ही अर्जुन से कमरे की सफाई करवाना। वैसे भी अर्जुन पर नज़र रखना। मम्मी जी तो पूजा पाठ और भजन
कीर्तन में ही लगी रहती हैं इसलिए तुम्हे ही घर का पूरा ख्याल रखना है। मुझे वहां ज्यादा दिन भी रुकना पड़ सकता है।"

इसके बाद भाभी ने तुरंत अपना पहले से पैक किया हुआ बैग उठाया और ड्राइवर से गाड़ी गैराज के बाहर निकालने को कहा।

रश्मि ने अर्जुन को बुलाकर उससे कुसुम का बैग गाड़ी में रखवाया और फिर कुसुम को कार तक छोड़ने आई-"भाभी, वहां जाकर फोन कर देना।"

कुसुम की कार चली गयी थी और अर्जुन और रश्मि दोनों अब घर के अंदर आ गये थे।
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