खूनी रिश्तों में प्यार

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Dolly sharma
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Re: खूनी रिश्तों में प्यार

Post by Dolly sharma »

डॉली को जब होश आया तो उसने अपनी आँखे खोली तो उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी वो उठ बैठी जैसे ही डॉली की नज़र उस शख्स के ऊपर पड़ी वो ज़ोर से चीख पड़ी ''' भूत''' एकदम मेरे सीने से लग गयी (हुआ ये की मा मेरे साथ में थी बिल्कुल सही सलामत ) में उसके बालो को सहलाते हुए क्या हुआ ' इतना क्यो डारी हुई हो ''

उंगली से इशारा करते हुए..वो भूत ..

राज:- वो भूत नही है वो तो मा है जिंदा है

डॉली :- क्या... चौक्ते हुए
वो सब क्या था जो कल हुआ ..
ये जब जिंदा है तो कल आक्सिडेंट्स किसका हुआ, दीदी तो मर गयी तो आज जिंदा कैसे हो गयी............................

जल्दी से बताओ मेरा दिल घबरा रहा है.

राज :- अरे बोलने दोगि तब ना बताउंगा तुम तो प्रश्न पर प्रश्नपुच्छे जा रही हो. आक्सिडेंट्स हुआ तो था लेकिन थोड़ा सा सर फटा था.. जो डॉक्टर ने पट्टी बाँध दिया है . रही बात मरने की तो वो एक नाटक था '' दरअसल में मा से दिलो जान से प्यार करता हू मा की तरह नही बिल्कुल हज़्बेंड-वाइफ की तरह..


मा भी मुझको बहुत प्यार करती है.. एक दूसरे के बिना जिंदा नही रह सकते है... लेकिन ये दुनिया हमलोगो के प्यार को स्वीकार नही करती इसलिए मेने कल मा को मरने का नाटक किया.. अब तो मेरी मा मर चुकी है जो तुम्हारे सामने है ये तो मेरी होने वाली बीवी है.. अब मेने सारी सच्चाई तुम्हारे सामने बता दी है बाकी तुम्हारी मर्ज़ी..

लेकिन हा एक बात कह दूं में किसी कीमत पर माँ को नही छोड़ूँगा..
इतना कहकर में खामोश हो गया..

डॉली :- इतना कुच्छ हो गया तुमने मुझे बताने के लिए उचित नही समझा तुम अपने आप क्या समझते हो

.. मुझे क्या करोगे. मेरे क्या होगा तुमने तो मेरा सौतन भी ला दिया एक बात कान खोलकर सुन लो ये दीदी है तो में बर्दास्त कर लेती हू अगर दूसरा कोई के बारे में सोचा भी तो में अपने आप को चाकू मार कर हत्या कर लूँगी..

मेरा तो दिल तो खुस हो गया


मेने डॉली को खींचकर सीने से लगा लिया..मा जो उसी टाइम से मेरा ओर डॉली का बात चीत सुन रही थी. वो भी पीछे से चिपक गयी.......


राज ने दोनो के होंठो पे हल्का सा किस किया..

राज:- चलो आज का खाना रेस्टोरेंट में खाएँगे..

फिर राज अपने होनेवाली दोनो बीवियो को लेकर रेस्टोरेंट गया खाना खाया ओर रूम पे आकर सो गये ..
उस दिन कुच्छ नही हुआ क्योकि राज बचन दे चुका था की अब वो शादी से पहले कुच्छ भी नही करेगा..
............................................
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Dolly sharma
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Re: खूनी रिश्तों में प्यार

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दूसरे दिन राज सुबह ही उठ गया.. छत पर कसरत करने लगा..लगभग एक घंटे के बाद डॉली दूध ले आई..राज ने दूध पिया ओर फ्रेश होकर ड्यूटी पे चला गया...

में जैसे ही थाने पहुँचा तो हवलदार हिम्मत सिंग ने सॅलुट किया..

राज:- कैसे हो हिम्मत सिंग बताओ आज क्या खबर है..

हिम्मत सिंग :- सर आज मिट्टिंग है उसमे आपको जाना है ये डी,जी,पी आसिफ़ सर का आदेश है ..

राज:- कितने बज़े है

हवलदार हिम्मत सिंग-
10:30 बज़े

राज:- चलो जल्दी अभी 10:00 रहे है...

फिर में हिम्मत सिंग को लेकर निकल गया..

जब हम उस जगह पे पहूचे तो में अंदर घुस गया.. अभी मिट्टिंग शुरू हुआ था..
मेने आसिफ़ सर को सॅलुट मारा ओर अपने सीट पे बैठ गया..

डी,जी,पी आसिफ़ ख़ान :- हा तो ऑफिसर्स आपलोग जानते है की हमारे शहर में एक शा अपराधी पैदा हो गया है जो सरेआम कत्ल करके घूम रहा है... उसने जीतने भी कत्ल भी किए वो सब एक ही तरीके से किए है..कोई भी कत्ल हथियार से नही किया है सारी कत्ल बियर के बॉटल तोड़कर यूज किया अभी तक हमारे कोई भी ऑफीसर ये पता नही लगा सके है की वो अपराधी कौन है... इतना कहकर डी.जी.पी. आसिफ़ सर चुप हो गये...

तभी एक ऑफीसर खड़ा होके ' सर मुझे लगता है ये केश सी. बी आई. को सौप देना चाहिए ..
डी.जी.पी. आसिफ़ सर:- नो ये केश सी. बी आई. को नही सौपा जाएगा..

इनस्प. राज यानी में कुच्छ सोचकर सर ये केश मुझे दिया जाए.

डी.जी.पी. आसिफ़ सर :- ठीक है ये लो केश के फाइल्स

में :- लेकिन सर मेरी कुच्छ शर्तें है में अपने तरीके से काम करूँगा.

डी.जी.पी. आसिफ़ सर :- ठीक मेरे तरफ से तुम्हे फुल ऑर्डर है तुम कुच्छ भी करो लेकिन वो अपराधी जिंदा या
मुर्दा मुझको चाहिए..
बेस्ट ऑफ लक राज ..

मिट्टिंग ख़तम हो गया में हिम्मत सिंग के साथ थाने पे आ गया...
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Dolly sharma
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Re: खूनी रिश्तों में प्यार

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राज ने दिन भर ड्यूटी किया और शाम को रूम लौट चला. रास्ते में राज को पता चला की लखनऊ के माशुर डॉक्टर इसी शहर में आज आए है जो प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा किसी का चेहरा बदल सकते है .जो कल से इलाज़ शुरू करेंगे.

राज ने सोचा क्यो ना मा का चेहरा बदलवा दिया जाए फिर तो बिना किसी डर के मा को बीवी बनाउन्गा.. यही सोचते हुए गाड़ी चलाते रूम पे लौट आया. बेल बज़ाने पर डॉली ने डोर खोला. राज ने डॉली के होंठो पे किस किया ओर बेडरूम में जाकर बैठ गया

राज:- डॉली जान पानी पिलाओ तो

डॉली :- जी अभी लाई
डॉली पानी लाने चली गयी............................

तभी बाथरूम में से मा अनिता निकली ओर मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी राज ने बाहों में लेते हुए अपने अनिता जान के होंटो को चूम लिया..

तभी डॉली पानी लेकर आ गयी . मैने पानी पिया. गिलास को एक तरफ रख दिया. में अभी वर्दी में ही था. मेने टोपी निकाल कर एक तरफ रख दिया..मा मेरे शॉर्ट ओर बनियान निकाल कर एक तरफ रख दी..डॉली भी नीचे बैठी ओर जूते निकालकर मेरे पैरो की मालिश करने लगी. मा मेरे बगल बैठकर सीने पे धीरे-धीरे हाथ घुमाने लगी. मा के इस हरकत से मेरे पूरे शरीर में करेंट दौड़ गयी............................

((में तो किसी राजा की तरह बैठा हुआ था. मेरी दो-दो रानिया मेरी सेवा कर रही थी में इस लम्हे को बयान नही कर सकता.. में अपने आप को बड़ा खुदकिस्मत समझ रहा था.))


मा मेरे सीने में अपनी नाज़ुक उंगलिया घुमा रही थी. मेरी साँसे तेज़ होती जा रही थी. शायद मा का भी हाल था. में किसी तरह बर्दास्त किए हुए थे.. अचानक मा मेरे सीने में अपने होंटो से किस पे किस करने लगी.. मेरे मूह से सिसकारी फुट पड़ी..एयाया.. हह .....म्म्म्मम.. एयाया आ.

में मा के होंठो अपने होंठो को भरते हुए चूसने लगा.. में मा के बिना ब्लाउज निकाले ही उनके उभारों को चूसने लगा. मा एयाया हह एम्म्म एयाया आआअँ एम्म्म

मेरा लंड किसी कोबरा साँप की तरह फुफ्कार रहा था.. में झटपट अपनी पैंट ओर अंडरवेर निकाली मा को बेड पर पीठ के बल लिटा कर उनके सारी को पेटीकोट समेत ऊपर कर दिया मा की चूत रस्स बहा रही थी.. मेने उनके टाँगों के बीच बैठ गया लंड को चूत पे सेट करते हुए एक जबरदस्त धक्का लगाया लंड चूत को चीरता हुआ एक ही बार में अंदर चला गया..


मा के मूह से हल्की सी चीख निकल गयी..क्योकि उनको चुदाई किए हुए कई महीने हो गये थे मा की चीख सुनकर डॉली हमारे पास आ गयी.. डॉली:- घबराते हुए क्या हुआ दीदी क्यो इतना ज़ोर चीखी.


राज:- कुच्छ नही हुआ मा के होंठो को चूस

डॉली थोड़ा सा शर्माते हुए मा के होंठो को चूसने लगी..

में मा के दोनो पैरो को अपने कंधे पे रखा ताबड तोड़ चुदाई शुरू कर दी. मा अया आ कर रही थी में तो फुल स्पीड से चुदाई कर रहा था.

मा की चूत अपना रश बहा रही थी. मेरा लंड फॅक.....फॅक.....फॅक.....फॅक...
की आवाजो के साथ अंदर बाहर हो रहा था.



मेरा लंड चूत रस से भीगा हुआ था. में ने डॉली को अलग किया ओर मा के ब्लाउज के ऊपर से ही उनके एक छाती को होंठो में भरते हुए चूसने लगा..

अब मुझसे बर्दास्त नही हो रहा था.. में मा के दोनो उभारों को चूस्ते
लंड को अंदर बाहर किए जा रहा था

मा जोरदार सिसकारी भर रही थी.. एयाया....हह. .एम्म.हगग ..एयाया
जान ओर ज़ोर से आज पूरी तरह भर दो में बहुत प्यासी हू...एयाया...................... एम्म्म .....एयेए...हह

मेने एक जोरदार धक्का लगाया लंड को बच्चेदानी में पेलते हुए बच्चे दानी में ही झड़ने लगा ऐसा लगा जैसे मेरा शरीर से सारा खून मा के चूत में गिर रहा हो..


मा मेरे वीर्य की गरमी सहन नही कर पाई ओर मुझको अपनी बाहों कसते हुए झड़ गयी..मा इतना मस्ती बर्दास्त ना कर सकी ओर मेरे कंधे पर ज़ोर से दाँत गड़ा दी..

हम तो बिल्कुल एक दूसरे में चिपके हुए थे जैसे हम एक हो... मा मेरे पीठ पर हाथ घुमा रही थी..

थोड़ी देर बाद मा मेरे माथे को चूम ली..
मेने उनके माथे को चूम लिया.

तभी मेरी नज़र डॉली के ऊपर पड़ी जो एकदम नंगी होकेर सोफे पे बैठे हुए अपनी चूत सहलाए जा रही थी. एक हाथ से अपने छाती मसल रही रही थी. मस्ती में उसकी आँखे बंद थी..


में बेड से नीचे उतरा डॉली के दोनो टाँगों के बीच बैठते हुए उसके हाथ को हटा ते हुए अलग कर दिया उसकी चूत के दोनो लब आपस में चिपकी हुई थी.. मेने जैसे ही डॉली के हाथ का हटाया तो उसने धीरे से अपनी आँखे खोली तो उसके आँखो में वासना झलक रही थी. मेने डॉली की चूत के फान्खो को अलग किया ओर डॉली के गुलाब के तरह खिले हुए चूत को अपने होंठो में भर कर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा डॉली मेरे सर को अपनी चूत पे दबाते मेरे मूह में ही झड़ गयी.......................

मेरा मूह डॉली की चूत रस से भर गया..डॉली निढाल हो गयी.
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