विधवा माँ के अनौखे लाल

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rajsharma
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विधवा माँ के अनौखे लाल

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विधवा माँ के अनौखे लाल

इन तीनो को पटना आये 2 साल हो गए थे। शाज़िया एक भरे जिस्म की औरत थी 2 बच्चो की माँ होने के बावजूद उसका बदन भरा हुआ था अच्छे खान पान ओर सुकून भारी जिंदगी उसके सौंदर्य को बनाये हुए थे ।उसके दोनो बेटे बड़ा बेटा अनीस छोटा बेटा जीशान दोनो जवानी की दहलीज को पार कर चुके थे।फिलहाल शादी की कोइ चर्चा नही थी।

बड़ा बेटा घर की जिम्मेदारियो को सही से संभाल रहा था वही छोटा बेटा घर की छोटी मोटी खर्चो के साथ साथ अपना जेबखर्च भी निकाल लेता था।

अब चलते है कहानी की ओर......
अनीस के आफिस जाने से पहले उसके लिए नास्ता तैयार करने के बाद रोज की तरह नहाने के लिए बाथरूम की तरफ जाने को थी। अभी सुबह के 6 ही बज रहे थे इसलिए वो बेफिक्र हो कर अपने काम मे मशगुल थी। दूसरी ओर जीशान की नींद अचानक बर्तनों की खटपट से टूट गयी जो उसकी माँ धो कर किचन के स्लैब पर रख रही थी ।

इस वक़्त शाज़िया ने केवल एक ब्लाउज और पेटीकोट पहन रखा था जिसमे से उसके जवानी के पूरे कटाव अच्छे से दिख रहे थे बर्तन धोने के बाद वो बाथरूम की तरफ चल पड़ी.... इधर सौरभ उठा और बॉथरूम की तरफ जाने को हुआ वो इस बात से अनजान था कि उधर उसकी माँ नहाने के लिए बाथरूम में गयी हुई है

इधर शाज़िया बाथरूम आ कर अपने बदन पे बचे हुए आखिरी दो कपड़ों को भी धोने के लिए नीचे फर्श पर फेंक दिया और उकड़ू बैठ कर अपने कपड़ो को साफ करने में लग गयी थी। और वो मस्त नंगी ही बिना दरवाजा बंद किए नहा रही थी तभी अनीस बाथरूम में अपनी नींद की अधखुली मदहोशी और सुबह सुबह का लंड का तनाव अलग ही कहर ढा रहा था। अचानक वो बाथरूम की तरफ गया जहाँ अपनी माँ को नंगी हालत में देख कर उसकी सारी नींद काफूर हो गयी और उसके लंड ने झटका मारा उधर शाज़िया अपने काम में व्यस्त थी।जीशान इस नजारे को देख कर पूरी तरह से शॉक में खड़ा था

अचानक उसे ये मंजर भाने लगा और वो वही छुप कर अपने माँ के नंगे बदन का नजारा लेने लगा उधर उसकी माँ जो इससे बात से अनजान थी कि उसका सागा छोटा बेटा उसकी जवानी को आंखे फाडे देखे जा रहा था वो नहा रही थी....अब जीशान के दिनचर्या में शामिल हो गया था उसका अपनी माँ के प्रति नजरिया बदल चुका था।

एक दिन जब जीशान शाज़िया को देख रहा था तो शाज़िया को एहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है और वो पीछे मुड़ कर देखती है मगर वहां कोई नही था वो उसे एक वहम समझ कर वपिस नहाने लगी उधर जीशान की सास अटक गयी थी क्योकि उसे डर था कि कही उसकी माँ उसे देख ना ले मगर वो अभी बच गया था और वापिस अपने आंखों को सेकने में लग गया अब वो अक्सर अपनी माँ के नाम की मुठ मारता और अक्सर शाज़िया को किसी ना किसी बहाने छूता प्यार दिखाने के बहाने ही सही मगर छूता और शाज़िया को भी ये एहसास हो चला था कि जीशान के व्यवहार में कुछ बदलाव आया है।

अब देखना आगे है कि ये कहानी कौन सा मोड़ लेती है

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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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अगले दिन सुबह में शाज़िया जब नहाने के लिए जा रही थी तो उसने पहले से ही अपना ध्यान जीशान की तरफ लगा रखा था।

उधर जीशान अपने रोज की तरह अपनी माँ की नंगी देखने के लिए दरवाजे की तरफ जाने को आतुर था । जब शाज़िया नहाने के लिए गयी तो उसने दरवाजा को पूरा खुला ना छोड़ कर थोड़ा सा खुला छोड़ा था ताकि वो अपने वहम को यकीन में बदल सके और हुआ भी ऐसा ही जब शाज़िया अपने बदन के सारे कपड़े उतार कर नहाने के लिए बैठी तो जीशान वहां आ गया मगर आज दरवाजा को बंद देख कर कुछ मायूसी सी हुयी लेकिन अगले ही पल वो दरवाजे की ओट से देखने लगा और उधर शाज़िया का वहम यकीन में बदल चुका था कि उसका खुद का सगा छोटा बेटा उसे नंगी हलात में देखता था । इससे कारण से वो परेशान हो उठी की आखिर ऐसा क्यों कर रहा है उसने सोचा कि अभी के अभी जा कर उसको 2 थप्पड़ लगा कर पुछु की वो ऐसा क्यों कर रहा मगर उसके मन के एक कोने से आवाज आई कि अभी ये सही समय नही है बात करने का।

अनीस के आफिस जाने के बाद वो उससे इसका कारण पूछेगी उधर जीशान इस बात से अनजान था कि उसकी माँ को उसके हरकत का पता चल चुका था।

नास्ते के टेबल पर :-
अनीस - मा आज मुझे आफिस के कुछ काम से कोलकाता जाना होगा एक हफ्ते के लिए काल रात मैं बता नही पाया उसके लिए सॉरी

शाज़िया - बेटा तुम्हे ऐसे अचानक से क्यों जाना है पहले से बता देते तो मैं कुछ तैयार कर के दे देती वैसे भी तू आजकल हमे भूल ही गया है हर वक़्त काम काम काम संडे को भी तू घर पे नही रहता ऐसा भी क्या बिजी है बेटा अब इतनी जल्दी मैं कैसे कैसे क्या तैयारी कर के दु ।

जीशान - बीच मे टोकते हुए कोई बात नही मा भैया ट्रैन में ही कुछ खा लेंगे और हा भैया कोलकाता से हमारे लिए कुछ अच्छी चीज लेते आना ।

शाज़िया - जीशान तू तो चुप ही रह तुझे क्या पता बाहर का खाने से सेहत बिगड़ सकती है और वो कोलकाता आफिस के काम से जा रहा है घूमने या टूर पे नही और तुम अनीस इधर ज्यादातर तुम बाहर का ही खाना खाते हो । इसका ध्यान रखो वरना सेहत खराब हो जाएगी बेटा।

अनीस - सॉरी मा बस ये हफ्ता निकाल लू फिर एक महीने की छुट्टी लूंगा प्रॉमिस।

जीशान - भैया कुछ लाना मत भूलना प्लीज।

अनीस - अच्छा मेरे भाई ।

नास्ता खत्म करने के बाद अनीस अपने जाने की तैयारी करने में लग जाता है ओर शाज़िया उसकी थोड़ी मदद कर देती है उधर जीशान अपने कमरे में पढ़ने बैठ जाता है मगर उसके मन मे ये बात भी आ रही थी आनेवाला हफ्ता कैसा रहेगा और नास्ते के टेबल पर शाज़िया की बेरुखी को देख कर उसे भी कुछ अजीब महसूस हुआ था मगर अब आगे देखना है कि शाज़िया कैसे जीशान से बात करती है और वो बात उनके जीवन मे कौन सा मोड़ लाती है ।
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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अनीस के जाने के बाद शाज़िया सीधे जीशान के कमरे में जाती है जहा जीशान कोतबा खोले आपने मा के नंगे बदन को सोच सोच कर वासन से भरे खयालो में खोया हुआ था।

शाज़िया - जीशान वो चिल्ला कर बोलती है जीशान पलट कर देखता है तो शाज़िया गुस्से से भरी उसके सामने खड़ी थी ऐसे रूप देख कर जीशान को भी यकीन हो गया था कि उसकी करामात उसकी माँ को पता चल गयी है ।

शाज़िया - तू आज सुबह बाथरूम के दरवाजे के पास खड़े हो कर क्या कर रहा था ।

अपनी माँ के इससे सवाल से जीशान बहुत ज्यादा घबरा जाता है उसे जवाब देते नही बन रहा था कि वो क्या बोले....

शाज़िया के बार बार पूछने पर भी जब जीशान ने जवाब नही दिया तो शाज़िया रोते रोते उसके बेड के पास जमीन पे ही बैठ गयी और रोने लगी ।

जीशान - बेड से उतर कर मा के पास गया और बोला
जीशान - मुझे माफ़ कर दो मा मैं बहक गया था आई एम सॉरी मा मैं अब से ऐसा नही करूँगा मा मुझे माफ़ कर दो मा मैं आपका दिल नही दुखाना चाहता था और वो भी सुबकने लगा

शाज़िया - मेरी परवरिश में कहा कौन सी गलती हो गयी जो तू ऐसी ओछी हरकत वो भी मेरे ही साथ कर रहा था....और रोने लगती है

जीशान - नही मा ऐसा मत बोलो मा तुम इससे संसार की सबसे अच्छी मा हो अब्बू के बाद तुमने ही तो हमे सारा कुछ दिया है प्यार दुलार सिख सब कुछ मा हमदोनो भाइयो का सब कुछ तुम ही तो हो माँ
माँ मुझसे ग़लती हो गयी मा मुझे माफ़ कर दो माँ

और शाज़िया बिना कुछ बोले वहां से उठ कर चली जाती है और जीशान मा मा ही करता रह जाता है

इधर शाज़िया खुद को कमरे में बंद कर लेती है और रोते हुए ये सोचने लगती है कि आखिर ऐसा क्यों किया जीशान ने
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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शाम को 6 बज चुके थे मगर अभी भी शाज़िया कमरे से बाहर नही आई थी इधर जीशान अपने कमरे में ये सोचते सोचते सो गया था कि वो अपनी मा को कैसे मनाएगा अचानक फ़ोन की घंटी से उसकी नींद टूटती है फ़ोन अनीस का था

अनीस - भाई मैं कोलकाता के लिए निकल रहा हु तुम अपना ओर मा का ध्यान रखना

जीशान - जी भाई।

अनीस - मा से बात करा दे थोड़ा।

जीशान - माँ अभी अपने कमरे में कुछ काम कर रही है बाद में बात कर दूंगा

अनीस - अच्छा ठीक है बाय

जीशान - हैप्पी जर्नी भईया
और फोन कट गया।

अब जीशान उठ कर शाज़िया के कमरे के तरफ बढ़ता है और उसके कमरे के सामने पहुच कर दरवाज़े के पास खड़े हो कर आवाज लगता है माँ माँ माँ दरवाजा खोलो मा शाम होने को आई मा भैया का फ़ोन आया था वो जा रहे है उनसे बात कर लो माँ।

तब शाज़िया दरवाजा खोलती है और बिना जीशान की तरफ देखे बाथरूम की ओर चली जाती है वहां जा कर अपना चेहरा धो कर कुछ देर वैसे ही खड़ी रहती है और फिर बाहर आती है उसने मन ही मन ये सोच रखा था कि वो जीशान से कोई बात नही करेगी जब तक उसको उसकी गलती का एहसास नही हो जाता। इधर जीशान व्याकुल सा परेशानी में सोच रहा था कि आगे पता नही क्या होगा

रात को खाने के टेबल पर भी शाज़िया जीशान से बात नही करती मगर जीशान अपनी माँ से बात करना चाह रहा था मगर चाह लेने से कुछ नही होता । जीशान किसी न किसी बहाने से शाज़िया से कुछ न कुछ बात कर रहा था कभी रोटी मांगने के बहाने कभी सब्जी कभी पानी शाज़िया चुप चाप उसकी बातों के अनुसार उसको उसकी मांगी हुई चीज दे देती थी। मगर बोल नही रही थी। अंततः जीशान के सबर का बांध टूट गया और वो शाज़िया के बाह को पकड़ कर बोलता है।

जीशान - मा तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही मुझसे गलती हो गई मा मुझे माफ़ कर दो

शाज़िया - ठीक है माफ़ किया मगर मेरा जब तक मन नही होगा तुझसे बात करने का तबतक तू मुझे टोकेगा नही नाही कोई बात करने की कोशिस करेगा ।

जीशान कुछ नही बोलता ओर शाज़िया उसकी हाँ समझ कर वह से किचन में चली जाती है।और जीशान अपने कमरे में

लेकिन जीशान भी अपने मन मे ये ठान लेता है कि वो अपनी माँ को पाकर रहेगा और इसके लिए उसे क्या करना है वो अच्छी तरह से जानता था।

अगली सुबह शाज़िया जब नहाने गयी तो दरवाजा पूरा बंद कर के गयी थी।इधर जीशान ने अपनी योजना के तहत काम करना शुरू कर दिया था वो अपनी माँ को शीशी में उतारना चाहता था और इसका सबसे बढ़िया जरिया था अपनी माँ की सोई हुई कामाग्नि को भड़काना

जब शाज़िया नहा कर अपने काम मे व्यस्त थी तो जीशान अपने कमरे से निकल कर बाथरूम में गया जहाँ उसने अपने माँ के बदन के बारे में सोच सोच कर अपना लंड फुल टाइट कर लिया और अपने लंड को अपने हाफ पैंट में डाल अपने कमरे की तरफ जाने लगा और किचन के पास पहुच कर फ्रीज में से बोतल निकालने के लिए घूमा और सामने शाज़िया से आंखे मिलती है मगर अगले ही पल शाज़िया की आंखे उसके पैंट को फाड़ कर बाहर आने को आतुर लंड की तरफ जाती है और वो मन ही मन बाप रे बाप कर बैठती है मगर अपने चेहरे पे जाहिर नही होने देती मगर जीशान समझ जाता है कि तीर निशाने पे लगा है। उस पूरे दिन जीशान शाज़िया को अपने लंड के दर्शन दिलवाता रहा और शाज़िया सोच सोच के परेशान होती रही कि आखिर जीशान ऐसा क्यों कर रहा है।
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