विधवा माँ के अनौखे लाल

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rajsharma
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

अब शाज़िया सोचने पे मजबूर हो जाती है कि आखिर वो क्या करे खिलाये या सारी की सारी बात अनीस के सामने रख दे.....

अनीस अच्छे से समझ रहा था कि माँ क्यों नही आगे कर रही है और जीशान भी लेकिन दोनों भाई इस बात से गौरवान्वित हो रहे थे कि आखिर उनकी मेहनत कुछ तो रंग लाई तभी तो उनकी माँ उनके सामने अधनंगी हालात में बैठी थी अब वो दिन दूर नही था जब उनकी माँ नंगी हो कर उन्न दोनों के साथ सोएगी उनके साथ नंगी रहेगी घर मे नंगी किचन में खाना बनाएगी और नंगी हो कर चुदवायेगी भी एक लन्ड चूत में एक गांड में दोनों की दोनो चुचिया एक जीशान के मुह में और एक मेरे.....ऐसी ही बाते सोचते हुते अनीस का लन्ड बुरी तरह खड़ा हो जाता है लेकिन चादर होने के वजह से वो ढका हुआ था मगर अनीस उसे छुपाने की बिल्कुल भी जद्दोजेहद नही करता.....और जीशान बिना कुछ बोले वहां से उठ कर चला जाता है....अनीस उसको रोकने की कोसिस करता है मगर वो नही रुकता है और चला जाता है।

अनीस - क्या मा क्या हुआ है आपको आप जीशान को क्यों नही खिलाई क्या हो गया अचानक से मैं जब से आया हु देखा है आप उससे बात नही कर रही औऱ अभी अभी जो हुआ मा क्या बात है क्या आओ जीशान से नाराज है क्या जीशान से कोइ गलती हुई है क्या.....

शाज़िया कुछ सोचती है मगर पता नही क्यों वो सच्चाई नही बोलती है और कहती है कि कुछ नही बेटा एक दिन को बाहर से ही खा कर आया था और मैने जो खाना बनाया था उसे वो नही खाया मुझे फेकना पड़ा इसलिए उससे मेरी बहस हुई थीं.... तब से मैं उससे गुस्सा हु.....

वही जीशान उन्न दोनो की बातचीत सुन रहा था और ये सुनते ही उसके लन्ड में एक अजब सी लहर उठी की उसकी माँ ने उसका सच्चाई अनीस को नही बताई मगर ये दोनों भाई तो सारा खेल मिल कर खेल रहे थे....जीशान खुश हुआ कि चलो कम से कम इतना पता तो चला कि माँ भी थोड़ी थोड़ी रजामंदी दिखला रही है तभी तो उसने उसकी बात सामने नही लायी....

तभी अनीस कहता है माँ अब थूक दो गुस्सा और उसे उसके कमरे में जा कर खिला आओ..... शाज़िया भी सोचती है कि चलो छोड़ो इतना भी गुस्सा ठीक नही और वैसे भी जीशान बाहर से ही खा कर आ रहा था जो वो नही चाहती थी.....इसलिए वो वैसी ही उठी और उसके कमरे की तरफ चल दी लेकिन वो सोच रही थी कि जीशान ने कहा था की वो उसे पा कर रहेगा.....मगर अगले ही पल वो सोची अब जो होगा देखा जाएगा वैसे भी अनीस अभी 1 महीने तक यही घर पर ही रहने वाला था तो अगर कुछ होता भी है तो अनीस है यहां...... और वो उसके कमरे में घुसती है दरवाजा उसने खुला छोड़ रखा था तो वो बिना खटखटाये घुस जाती है मगर वो रुक जाती है क्योंकि जीशान किसी की तस्वीर को हाथो में ले कर सुबक रहा था वो ध्यान से सुनने लगी

जीशान - माँ मेरी प्यारी माँ मैं तुझे कैसे समझाऊ की तुम मेरे लिए क्या मायने रखती हो....माँ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु मगर मैं तुम्हे उदास कर कर अपनी हवस शांत नही करना चाहता था तुमने मुझे गलत समझा मा मैं तो तुम्हे प्यार से पाना चाहता हु मा मैं तुम्हे दुनिया की हर वो खुसी देना चाहता हु जिससे तुम हमेसा खुश रहो माँ.... जिस दिन से तुमने मुझे झटक कर खुद से दूर किया था मा मैने उस दिन तुम्हारी आँखों मे मेरे लिए नफरत देखी थी जो मैं नही देख सकता हु मा इसलिए मैं तुम्हारी नजरो आए दूर जाने का फैसला ले लिया था मा क्योकि मैं तुम्हे दुख कतई नही देना चाहता हु इसलिए मैंने खुद को खत्म करने की भी कोशिस की लेकिन नाकाम रहा मुझे माफ़ कर दो ना मा मैं तुम्हारे बगैर रह ही नही सकता....जैसे तुम बचपन मे मुझे अपने सीने से लगा कर रखती थी अपना दूध पिलाती थी जैसे प्यार करती थी मेरी हर जिद्द पूरी करती थी मा मैं सब कुछ वैसा ही वापिस से जीना चाहता हु बिल्कुल तुम्हारे छोटे नन्हे मुन्ने सुरू के तरह....मा प्लीज् मा मुझे माफ़ कर दो ना.....और आओ रोने की एक्टिंग करता है जिसे शाज़िया अच्छे से सुन औऱ देख रही थी....

उसकी आंखें भर आयी थी कि उसने अपने बच्चे को कितना गलत समझा और वो उसकी नाराजगी के कारण खुद को खत्म करने चला गया था हे भगवान ये सब क्या करने जा रहा था मेरा बच्चा....उसकी आँखों से आंसू बहने लगते है मगर वो ये भी समझ नही पा रही थीं को आखिर वो जीशान को कैसे समझाए की वो जो चाहता है वो गलत है लेकिन इन् सब से परे वो जीशान को रोते हुए आवाज लगाती है बेटा जीशान.....

जीशान पीछे घूमते ही अपने आंख के आसुओ को पोछने लगता है

और वो तस्वीर छुपाने की कोसिस करता है लेकिन शाज़िया अपने हाथ से ट्रे बेड पर रख कर उसे गले से लगा लेती है और जीशान उसे दूर हटाने की कोशिशें करता है लेकिन शाज़िया उसे नही छोड़ती जिससे उसकी चुचिया जीशान के सिने में धसने लगती है और

जीशान कहता है माँ मुझसे दूर हट जाओ मा मैं गंदी नजरो वाला जानवर हु मा हट जाओ मा प्लीज हट जाओ और शाज़िया पिछे हटती है लेकिन जीशान के गालों पे अपने हाथ ले जा कर उसके चेहरे को थाम कर कहती है मेरे बच्चे मुझे माफ़ कर दे बेटा मैं गुस्से में पागल हो गयी थीं मेरे बच्चे और उसे फिर से गले से लगा लेती है....तब भी जीशान उसे हटने के लिये ही बोलता रहता है मगर शाज़िया उसके चेहरे को पकड़ कर अपने आधी निकली हुई चुचियो पर लगा देती है और अपने दोनों हाथों को उसके बदन के इर्द गिर्द लपेट लेती है......

दोस्तो कहते है ना जो काम गुस्से और दबाव से नही होता उसे प्यार एक पल में करवा देता है । इसी चीज का प्रयोग जीशान ने किया था ।

इधर शाज़िया मन ही मन वो सोचती है कि वो जीशान की बात मानेगी....
और जीशान अपनी माँ की चुचियो में मुह रगड़ने लगता है मगर तभी अनीस आवाज लगता है माँ ओ माँ क्या हुआ मा कहा हो इधर आओ तभी शाज़िया तुरंत जीशान को अलग कर के कहती है बेटा तू मेरी कसम खा कर कह की तू दुबारा ऐसा कुछ नही करेगा मैं तेरी हर बात मानूँगी....बस्स तू मेरी कसम खा....जीशान कुछ कहता नही और अपना सिर हाँ में हिला देता है और शाज़िया ये कहते हुए उसके कमरे से निकल जाती है कि वो अनीस के सोने के बाद आएगी.... और उसे एक बार फिर से गले लगा कर चली जाती है और ट्रे में से चाय और ब्रेड वही रख जाती है।

जीशान बहुत ही खुश था आखिर उसने शाज़िया को लगभग लगभग पा ही लिया था अब उसके आने का इंतजार था ।
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

अनीस के रूम में आकर वो हस्ते हुए कहती है शैतान है वो बच्चे की तरह करने लगा था इसलिए देर हो गयी

अच्छा बेटा दर्द कम हुआ

अनीस - हा माँ हुआ तुमने जो मालिश करी थी.... देखना तुम्हारी भी मैं ऐसी ही मालिश कर दूंगा तुम्हारा भी बदन का दर्द गायब हो जाएगा....

शाज़िया को एकदम से झटका लगता है कि अनीस ये क्या बोल गया मगर फिर वो कहती है कि अच्छा बेटा अभी खुद तो नंगे बिस्तर पर उल्टे पड़े हुए है और अभी मा की मालिश भी के दोगे.... और हस देती हैं.... मगर शाज़िया इतनी बेबाकी से अनीस के नंगे होने की बात बोल गयी वो खुद में शर्मा गयी.....

अनीस कहता है कोई बात नही मा नंगा हुआ तो क्या हुआ हूं तो तुम्हारे ही सामने ना वैसे भी तुमने मुझे जन्म दिया है तुम मुझे किसी भी हालत में देखो क्या फर्क पडता है.....और उसकी तरफ देखने लगता है..

.शाज़िया बोलती है चुप बदमाश....और कहती है बेटा तू आराम से सो जा थोड़ी देर मैं तब तक दोपहर के खाने की तैयारी करती हूं....और उसके कमरे से बाहर आ जाती है और उसका दरवाजा भी बन्द कर देती है ओर वो जाती जीशान के कमरे मे और जा कर उसको पुकारती है और जीशान हस्ता हुआ अपनी माँ के पास आता है.....शाज़िया अभी भी ब्लाउज औऱ पेटिकोट में थी....

जीशान - माँ मुझे माफ़ करने के लीये थैंकयू माँ यु आर दा बेस्ट मॉम इन थिस वर्ल्ड....औऱ शाज़िया के गले लग जाता है और एक चुम्बन मा के गाल पे रसीद कर देता है......

शाज़िया - बेटा आखिर तूने अपनी जिद पूरी करवा ही ली मैंने तुझे खुद आ कर ही बुलाया बहुत बदमाश है तू....
और एक बात कान खोल के सुन ले और उसके कान पकड़ कर ऐंठ देती है

जीशान - आह मा आह मा दर्द होता है माँ आह

शाज़िया - आज के बाद ये छोड़ कर जाने वाली बात दिमाग मे भी लायी ना तो मेरा मरा मुह देखेगा....

जीशान - मुझे माफ़ कर दो माँ..... आई लव यू माँ आई लव यू सो मच.... और फिर वो कहता है माँ मूझे दूध पिलाओ ना.....शाज़िया शर्मा जाती है और उसे छोड़ कर बेड पर आ कर बैठ जाती है....और अपनी बाहे फैला कर उसे बुलाती है....जीशान सीधा बेड पर चढ़ कर बैठ जाता है और फिर अपना सिर मा की गोद मे रख देता है.....शाज़िया उसे कहती है कि बेटा अब इनमे दूध नही आता....क्या पिएगा.... इनमे कुछ नही है।

जीशान - फिर भी माँ मुझे पीना है इन्हें....ब्लाउज उतारो ना मा

शाज़िया उसके मुह पे हल्के से चपत लगाती है और कहती है चुप बदमाश इत्ता बड़ा हो गया है और ब्लाउज उतारने कह रहा बेशर्म....

जीशान - हस कर प्लीज मा प्लीज....

शाज़िया - खुद से खोल ले मुझसे नही होगा.....और झुक कर उसके सिर को चूम लेती है...

जीशान उछल कर बेड पे बैठ जाता है और कहता है माँ मैं आपका बच्चा हु न तो मैं खुद से कैसे खोल कर पी लू आप खोल कर मुझे खुद से पिलाओ न मा.....और अपना सिर वापिस से उसकी गोद मे रख लेता है।

शाज़िया कहती है बहुत जिद्दी है तू.....और वो अपने ब्लाउज के बटन पर हाथ ले जाती है और अपने बटन खोलने लगती है और एक एक कर अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल देती है और उसकी चुचिया जीशान के आंखों के सामने आ जाती है और जीशान कहता है माँ ब्लाउज पूरा उतार दो और शाज़िया बिना देर किए पूरा का पूरा ब्लाउज उतार देती है और ऊपर से नंगी हो जाती है और कहती है बहुत बदमाश है तू

ये देख कर जीशान की खुसी का ठिकाना नही रहता औऱ वो अपने मुह में उसकी चुचिया को ले कर चूसने लगता है बारी बारी से दोनों को और शाज़िया की चूत गीली होने लगती है.....काफी अर्से के बाद किसी ने उसकी चुचियो को चूसा था.....वो उत्तेजना में आ कर पूरी तरह से झुक कर उसको अपने दोनो उरोजों को उसके मुह तक पहुचाती है ताकि वो अच्छे से चूस सके.....और कहती है चूस बेटा चूस ले इन्हें.....

तभी जीशान उसके उरोजों को कस कर काट लेता है जिससे शाज़िया तड़प उठती है....आह बेटा ओह....और वो उसके दोनों उरोजों को तक़रीबन आधे घण्टे तक बारी बारी से चूसता है....और शाज़िया की चूत गीली हो कर झर झर बहने लगती है.....और वो जीशान को कस कर पकड़ लेती है जिससे जीशान का चेहरा उसके चुचियो में दब जाता है और शाज़िया जब होश में आती है तो वो अपना बदन उठाती है और देखती है कि जीशान का चेहरा लाल हो गया है और वो जोर जोर से साँसे ले रहा है....वो फिर से अपनी लटकती हुई चुचियो को उसके तरफ झुकाती है और उसका सिर चुम लेती है औऱ कहती है माफ करना बेटा और शर्मा जाती है और फिर कहती है कि चलो अब बहुत हो गया अब अभी के लिए इतना काफी है दूध पिलाई बाकी का कोटा रात में....और जीशान चहकते हुए उठता है और ऊपर से अपनी नंगी मा को कहता है थैंक्स मा मुझे समझने के लिए.....


अब शाज़िया उठती है और अपने ब्लाउज को पहन कर उसके बटन लगाने लगती हैं तब जीशान उसके हाथों को पकड़ के रोक लेता है और कहता है माँ इन्हें ऐसे ही रहने दो ना ....


शाज़िया - पागल हो गया है क्या अनीस घर पर ही है तो जीशान फटाक से कहता है कि मैं उसके दरवाजे की कुंडी बाहर से लगा देता हूं वो जब उठेगा तो तुम्हे या मुझे आवाज जरूर लगाएगा तब मैं उसे खोल दूंगा और फिर से जिद्द करने लगता है कि प्लीज मा ।

तब शाज़िया कहती हैं कि ठीक है और वो वापिस से ब्लाउज उतार कर ऊपर से नंगी हो जाती है और किचन में चली जाती है और जीशान हॉल में बैठ कर अपनी माँ को नंगी काम करते हुए देखते रहता है........

शाज़िया की हिलती हुई चुचिया जीशान के लन्ड को अकड़ने पर मजबूर कर रही थी और जब जीशान को बर्दाश्त नही हुआ तो वो अपने लन्ड को बाहर निकाल कर हिलाने लगा काम करते करते जब शाज़िया अचानक से पलटी तो जीशान को और उसके लन्ड को देख के वो पिघलने लगी और कुछ देर तक वो उसे ऐसे ही नीहारती रही फिर जीशान उसे देख कर हस दिया तब शाज़िया उसे अपनी आंखें दिखा कर वापिस अपने काम मे लग गयी.....।
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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(^%$^-1rs((7)
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

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शाज़िया की हिलती हुई चुचिया जीशान के लन्ड को अकड़ने पर मजबूर कर रही थी और जब जीशान को बर्दाश्त नही हुआ तो वो अपने लन्ड को बाहर निकाल कर हिलाने लगा काम करते करते जब शाज़िया अचानक से पलटी तो जीशान को और उसके लन्ड को देख के वो पिघलने लगी और कुछ देर तक वो उसे ऐसे ही नीहारती रही फिर जीशान उसे देख कर हस दिया तब शाज़िया उसे अपनी आंखें दिखा कर वापिस अपने काम मे लग गयी.....।

दोपहर का खाना तैयार करने के बाद शाज़िया वापिस हॉल में आई तब तक जीशान वही लन्ड निकले सोफे पे बैठ कर टीवी पे गाने देख रहा था मगर उसका ध्यान टीवी पर कम शाज़िया पे ज्यादा था.....शाज़िया जब उसके पास आई तो जीशान से बोली कि जा अनीस को उठा दे और फिर खाना खाते है सब मिल कर....तब जीशान ने शाज़िया को झुकने को कहा और उसके झुकते ही उसकी चुचियो को वापिस से मुह में भर लिया और शाज़िया एक बार फिर से पागल होने लगी.....उससे खड़ा होना मुश्किल हो रहा था तब उसने जबरदस्ती अपनी चुचिया जीशान के मुह से छुड़ा कर कहती है क्या है जीशान जा तेरे भाई को उठा दे उसे चोट लगी है खाना खिला दूंगी।

जीशान - मा तुम खुद जाओ ना मैं इसे ऐसे कैसे ले कर जाऊ....(उसका इशारा खड़े लन्ड की तरफ था)......

शाज़िया - और मैं ऐसे जाऊ..... गधा....चल जा और वो जीशान के कमरे में जाती है जहाँ उसकी ब्लाउज उतरी हुई थी.....कमरे में आने के बाद वो सोची की वो कितनी गलत थी जीशान क्या था और क्या समझ बैठी थी और साथ ही साथ किचन में नंगी चुचिया हिला हिला कर काम की ये सब उस्की चूत को और भी गीली बना रहे थे....


शाज़िया वापिस जीशान के कमरे में आ कर अपना ब्लाउज पहनती है और कमरे से निकल जाती है तबतक अनीस भी उठ चुका होता है और रचम सीधे उसके कमरे में जाती है और जीशान बाथरूम में जा कर अपने माँ को सोच सोच कर मुठ मारने लगता है जब शाज़िया अनीस के पास जाती है और उससे पूछती है ।

शाज़िया - बेटा दर्द कैसा है.....

अनीस - अभी काफी आराम है माँ....तुंहरी मालिश ने काफी हद तक आराम दिलवाया....जीशान कहा है...

शाज़िया - वो शायद बाथरूम में गया है...

तभी अनीस जो चादर के नीचे अभी भी नंगा बैठा हुआ था वो अपना हाथ बढ़ा कर बोलता है माँ तुम्हारे ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ है और माँ तुमने साड़ी भी अभी तक नही पहनी है.....

शाज़िया उसके इस सवाल से बहुत ही ज्यादा घबरा और शर्मा जाती है...उसके कुछ बोलते नही बन रहा था....

शाज़िया- वो बेटा वो....आज गर्मी बहुत है ना जब तुझे संभालते वक़्त साड़ी खुल गयी थी तो उससे वक़्त ध्यान ही नही रहा और उसके बाद कामो में इतनी उलझ गयी कि क्या बताऊँ वैसे मुझे गर्मी से काफी राहत मिल रही थी शायद इसलिए भी ध्यान नही रहा....मैं अभी पहन लेती हूं कह कर वो साड़ी उठाने के लिए बढ़ी ही रही थी कि

अनीस ने उसका हाथ पकड़ कर रोक दिया और कहा.....

अनीस - रहने दो मा ऎसे ही ठीक है वैसे भी तुम्हे इन् कपड़ो में ज्यादा आराम है और मेरे और जीशान के अलावा है ही कौन....और उसका हाथ पकड़ कर बेड पे बैठा लेता है और फिर बोलता है ।

अनीस - मा तुम घर मे कैसे भी रह सकती हो मा तुम्हे हमसे घबराने की कोई जरूरत नही है वैसे भी पापा के जाने के बाद काफी दुख और तकलीफे उठायी है तुमने....अब जितना हो सके आराम और खुसी से रहा करो...उसकी नजर बार बार अपनी माँ के खुले हुए ब्लाउज के बटन पर जा रही थी जिसे शाज़िया बखूबी देख रही थी मगर वो अनीस की बाते चुपचाप सुन रही थी....

तभी कमरे में जीशान आया.....और आते के साथ बोला है माँ भइया बिल्कुल ठीक कह रहा है....तुम घर मे साड़ी मत पहना करो.....जब गर्मी लगती है तो उसको खुद में क्यों दबाये रखना और जबकि घर मे केवल हम दोनों ही रहते है....

शाज़िया - चुप करो तुम दोनों कैसे कहते हो मैं केवल ब्लाउज और पेटिकोट में रहू तुम दोनों मेरे बेटे हो इतना बोल ही रही थी शाज़िया की अनीस ने उसके मुह पे हाथ रख दिया और नाटकीय ढंग से बोला....
अनीस - मा मेरी इतनी तनख्वाह तो है नही की मैं एक ऐ.सी. लगवा दु और अगर तुम हमारे कारण खुद को ऐसे जलाओगी तो हमारा दिल दुखेगा.....

शाज़िया उसके कहने का मतलब साफ साफ समझ चुकी थी कि वो उसे क्या कहना चाहता है....और वो नही चाहती थी कि अनीस या जीशान को उसके वजह से दिल दुखे या आंखों में आंसू आये.....उसने तुरंत अनीस को बोला बेटा कैसी बाते करता है मैने कभी कहा क्या तुझे ऐसी किसी भी चीज के लिए......

अनीस - तुमने बोला नही तो क्या मा हमने महसूस किया है कि तुम कैसे एक छोटी से छोटी चीज के लिये तड़पी हो.....और अब हम दोनो ये नही चाहते बिल्कुल भी...

.बस्स जीशान भी शाज़िया का हाथ पकड़ता है और उसके सीने मे सिर सटा कर कहता है माँ तुम हमे समझने की कोसिस करो कुछ गलत नही है इसमें....

तभी अनीस भी शाज़िया की छाती में सिर लगा देता है और शाज़िया उन्न दोनो को अपने सिने में दबा लेती है..... और कहती है मेरे बच्चो मुझे गलत मत समझना मैं कुछ सोच समझ नही पाई थी और अब से मैं एक वादा करती हूं जब भी मुझे कली तकलीफ या किसी चीज की जरूरत होगी मैं तुमदोनो से बोला करूंगी...और जोर से उन्न दोनो को अपने सीने में दबा लेती है ।

उसके ब्लाउज के उससे एक खुले हुए बटन से जीशान ने बड़ी ही चालाकी से ब्लाउज के तीन और बटन खोल दिये अब केवल एक बटन पर उसका ब्लाउज उसके छातियों पर टिका हुआ था औऱ तभी जीशान ने उसकी एक चूची को पूरा का पुरा बाहर कर दिया और निप्पल को चूसने लगा जिसका आभास होते ही शाज़िया ने जीशान को हटाया जीशान भी तुरंत हट गया मगर जब अनीस हटा तो शाज़िया शर्म से दोहरी हो गयी क्योकि उसकी दोनो चुचिया लगभग लगभग नंगी हालात में उसके दोनों बेटों के सामने उन्न दोनो के बीच केवल एक पेटिकोट में बैठी थी....

शाज़िया लगभग चिल्ल्लाते हुए जीशान को कहती है ये क्या करता है तू जीशान मेरा ब्लाउज क्यों खोल दिया....जीशान के बोलने से पहले अनीस कहता है.....
अनीस - मा तुम्हारे दूध पीने की इच्छा हुई कई सालों के बाद तुमने हमे इस तरह अपने सीने से लगाया ना और तुम्हारे ब्लाउज के बटन भी खुले हुए थे इसलिए माँ..... और वो तुरत ग्लानि भाव से घूम जाता है और उठने लगता है मगर दर्द का नाटक करते हुए वो लरखड़ा जाता है जिसे शाज़िया पकड़ती है और तभी अनीस के हाथ से शाज़िया का ब्लाउज का आखिरी बटन टूट जाता है और दोनों चुचिया लटक जाती है....

अनीस - मुझे माफ़ करना मा मैं ने गलत किया मा मैं .....तभी शाज़िया अपनी एक चूची अनीस के मूह में दे देती है....जिसे अनीस कुछ सेकण्ड्स तक ऐसे ही रखे रहता है और फिर चुसने लगता है

अनीस जैसे ही चूची चुसने लगता है इधर जीशान भी दूसरी चूची को मुह में भर लेता है और साथ साथ अपना शॉर्ट्स को उतार देता है और पूरा नंगा हो जाता है.....

और अब आलम ये था कि एक कमरे में शाज़िया ऊपर से अपने ब्लाउज को खोल कर अपनी दोनों चुचियो को अपने बेटों के मुह में दिए अपने दोनों हाथ उनके सरो पे रख कर आंखे बंद किये उसके दोनों बेटे जो भी पूरे तरह से नंगे था उनके साथ अधनंगी हालत में खड़ी थी.....

तभी जीशान ऐसा कुछ करता है जिसकी कल्पना शाज़िया ने की ही नही थी....

जीशान अपनी माँ की चूची के निप्पल को काफी बेदर्दी से दांतों में ले कर चुभलाते हुए चूस भी रहा और काट भी रहा था ठीक वैसा ही अनीस भी कर रहा था और वो दोनों नंगे थे.....
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Re: विधवा माँ के अनौखे लाल

Post by rajsharma »

जीशान अपना लन्ड हाथो में पकड़े हुए था जबकि अनीस का लन्ड चादर के अंदर था मगर पूरी तरह से अकड़ा हुआ और शाज़िया टी चूची चुसाई में मशगूल थी

तभी जीशान शाज़िया के पेटिकोट का नाड़ा खिंच देता है जिससे पेटिकोट एक पल में जमीन पे गिर जाता है....शाज़िया भी पूरी की पूरी नंगी हो जाती है और जीशान अपने हाथ शाज़िया की चुतड़ों पर ले जा कर कस कर दबाता है और उसके चुतड़ों की दरार में अपनी उंगली को ऊपर से नीचे फिराने लगता है....

इधर अनीस का हाथ ज्योही शाज़िया की चुतड़ों को छूता है वो झटके से पीछे होती है जिसका नतीजा ये होता है कि दोनों बेटों ने जो उसके निप्पल्स को दांतो में गड़ा कर चूसे जा रहे थे वो छिल जाते है औऱ शाज़िया चिहुँक उठती है और वो वैसे ही नंगी हालत में जीशान को कहती है ये तुमने मेरी पेटिकोट को क्यों उत्तर दीया और वो अपने पेटिकोट को उठाती है मगर पहनती नही उसे केवल अपने बदन से चीपका लेती है

शाज़िया का ब्लाउज पूरा खुला हुआ था और तो और वो नीचे से भी नंगी थी एक तरह से देखा जाए तो वक वो पूर्ण रूप से नंगी खड़ी थी अपने दोनों बेटों के सामने.....

तभी जीशान के कहने से पहले अनीस कहता है....
माफ करना मा वो मैं जज्बातों में बह गया था तभी मेरी हाथो से तुम्हारा पेटिकोट का नाड़ा खुल गया और तुम नंगी हो गयी माँ.... शाज़िया उसे देखती है ये तुम दोनों क्या कर दिए मुझे ही नंगी कर दिया पहले बोला दूध पीना है और अब इस हाल में नंगी कर के खड़ी कर रखा है मुझे....हालांकि शाज़िया कह तो रही थी मगर वो अपनी पेटिकोट को पहन नही रही थी....

जीशान - माँ ये तो नाइंसाफी है ना हमदोनो भाई नंगे है और तुम कपड़ो में क्यो रहोगी इसलिए शायद भाई ने इसे खोल दिया अब जब उतर ही गयी है तो रहने दो ऐसे ही वैसे भी हमसे क्या छुपा रह गया है तुम्हारा मा हम कोई गैर थोड़े है....

शाज़िया - नही बिल्कुल नहीं मै नंगी नही रहूंगी तुमदोनो को रहना है रहो और अनीस तुम्हे चोट लगी है ना आराम करो अब...खाना लगा देती हूं और ले कर आती हु तब खिलाऊंगी....ये सब बातें बोलते बोलते शाज़िया के हाथ खुद ब खुद अलग हो जाते है और उसका पेटिकोट उसके हाथ मे था और जमीन पे रगड़ा रहा था उसका पूरा बदन उन्न दोनो के सामने था तभी जीशान शाज़िया का हाथ पकड़ कर वापिस से बेड पे बैठा देता है और इस बार शाज़िया का पेटिकोट वही गिर जाता है जहाँ वो खड़ी थी

अब वो केवल एक खुले हुए ब्लाउज में दोनों के बीच पूरी की पूरी नंगी बैठी थी और अनीस कहता है....मा अब जब हम नंगे है ही तो क्या दिक्कत है ऐसे रहने में यह हमारे अलावा और कौन है ही....औऱ तो और ऐसे में हमे जब मन करेगा तब तब हम तुम्हारे ये दूध पी सकते है और ऐसा कह कर वो झुकता है चुचियो की तरफ मगर वो देखता है कि उसकी माँ की चुचियो आए खून निकल रहा था....वो जोर से आवाज लगा कर कहता है माँ....ये क्या हुआ माँ... और उसकी चुचियो को हाथो में ले कर देखता है और जीशान भी वही करता है सामने से आकर उसकी दूसरी चूची को देखता है और सच में रोते हुए कहता है ओह्ह माँ हमे माफ कर दो माँ

जीशान सच मे रो रहा था शाज़िया को फिर से दुख होता है और खुशि भी की ये जीशान उससे कितना प्यार करता है....और वो दोनों उसके खून बहते हुए चुचियो को वापिस से मुह में भर लेते है और शाज़िया फिर से दर्द और मजे के एहसास के समंदर में गोते लगाने लगती है....

कुछ देर के बाद शाज़िया कहती है कि चलो चलो बहुत हो गया दूध पीना अब चलो खाना खाते है...और वो उठने लगती है और उठ कर सामने गिरे हुए पेटिकोट को उठाने लगती है तो अनीस कहता है माँ रहने दो ना....हम भी तो ऐसे ही है...और तुम्हे ऐसे में गर्मी बिल्कुल भी नही लगेगी.....

वो फिर भी पेटिकोट उठा लेती है....औऱ कहती है कि मैं माँ हु तुम्हारी दूध पिलाने की बात अलग थी नंगी रहना एक अलग बात है....2 जवान बेटो के सामने उनकी माँ ऐसे नंगी घूमेगी और उनका ये (उसका इशारा लन्ड की तरफ था) ऐसे ही लहराता रहेगा जिससे तुम्हे तकलीफ होगी और ये मैं बिल्कुल नही चाहती.... और पेटिकोट पहन लेती है और वापिस से अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगती है मैं साड़ी नही पहनूँगी ठीक है लेकिन नंगी नही रहूंगी....कतई नही....

तभी अचानक जीशान शाज़िया का पेटिकोट वापिस से खोल देता है वो उसे कहती है देख जीशान बदमाशी न कर वरना मैं फिर से गुस्सा हो जाऊंगी....

तभी जीशान कहता है अच्छा तो फिर रहना अनीस भैया के साथ मैं तो चल जाऊँगा....और अपना सिर घूम लेता है.....

शाज़िया फिर से वो सब सोच लेती है जो जीशान ने उसे अपने कमरे में बताया था....ओर वो तुरन्त अपना ब्लाउज भी उतार देती है और नंगी खड़ी हो कर कहती है दोनो से की अब ठीक है मेरे बच्चों.... और बेमन से मुस्कुरा देती है जीशान इसे भाप लेता है और शाज़िया को पेटिकोट वापिस करते हुए कहता है माँ तुम उदास मत रहो मा पहन लो पेटिकोट ये लो!....

शाज़िया सोचती है कि कितना प्यार करता है ये मगर वो अनीस के सामने कैसे खुल कर बोलती तभी अनीस कहता है कि माँ अब क्यों आप शर्मा रही हो अब हमदोनो ने आपको नंगी देखा छुआ है अभी भी आप नंगी ही खड़ी हो बल्कि हम दोनों भी नंगे बैठे है...

शाज़िया को भी ये सही ही लगता है कि दोनों से छुपाने के लिए बचा ही क्या है.....और वो फिर कहती है मैं उदास नही हु बस्स थोड़ा अजीब लग रहा है....ऐसे नंगी रहने में .....और घूम कर बाहर जाने लगती है ये कह कर की जीशान अनीस की सहारा दे कर बाहर हॉल में ले आ खाना खाएंगे....औऱ वो चली जाती है...
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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