(12)
रशीद सुबह सवेरे तैयार होकर जब नाश्ते के लिए मेज पर बैठा, तो अपने आपको अकेला पाकर अर्दली से पूछ बैठा, “गुरनाम नाश्ता नहीं करेगा क्या?”
“नहीं वे तो चले गये।” आअर्दली ने प्लेटें साफ करके उसके सामने रखते हुए कहा।
“कहाँ?” रशीद चौंक पड़ा।
“किसी होटल में। कह रहे थे अब मैं वही रहूंगा।”
“लेकिन तुमने उन्हें जाने क्यों दिया?”
“मैंने तो बहुत रोका जनाब, लेकिन वह नहीं रुके। जब आप को जगाने के लिए जाने लगा, तो उन्होंने रोक दिया और बोले साहब को सोने दो, रात देर से लौटे हैं।”
“ओह! लेकिन तुमने उनकी सुनी क्यों? जगा देना था मुझे।”
“क्या करता जनाब! नहीं सुनता, तो गुस्सा करते और फिर उन्होंने कहा रात में आपसे इज़ाजत ले चुके हैं।”
“नॉनसेंस!” वह गुस्से में झुंझलाया और प्लेट में से दो डबल रोटी का पीस लेकर उस पर मक्खन लगाने लगा। अर्दली चाय लेने के लिए किचन में चला गया।
इसी झुंझलाहट में रशीद का हाथ अचानक गले में लटकी उस जंजीर पर पड़ गया, जिसमें ओम का लॉकेट लटक रहा था। उसे झट पूनम की याद आ गई और वह उन भावों का अनुमान लगाने लगा, जो उसे बिछड़ने के बाद उसके मन में उत्पन्न हुए होंगे।
पूनम का हवाई जहाज उड़ने के लिए तैयार हो रहा था। यात्री अपना-अपना सामान जमा करने के बाद श्रीनगर हवाई अड्डे के लॉज में बैठे उड़ान की घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे थे। पूनम भी अपनी आंटी के साथ वही एक सोफे पर बैठी थी। आंटी समय बिताने के लिए कोई पत्रिका पढ़ रही थी और पूनम आते-जाते यात्रियों को देखकर बोर हो रही थी।
इस उकताहट को कम करने के लिए वह उठकर सामने के बुक स्टॉल पर पहुँच गई और वहाँ रखी पत्रिकाओं और पुस्तकों को उलट-पलट कर देखने लगी। जैसे ही उसने रैक में रखी किसी रोचक पुस्तक को उठाना चाहा, पीछे से आई किसी आवाज में उसे चौंका दिया, “काफ़ी बोर है यह किताब।”
पूनम ने पलटकर देखा, तो उसके पीछे रशीद खड़ा मुस्कुरा रहा था। वह गुमसुम खड़ी रशीद को देखती रह गई। रशीद ने फिर अपना वाक्य दोहराया, “मैं पढ़ चुका हूँ। काफ़ी बोर है यह किताब।”
“हो सकता है जो चीज आपको बोर लगती हो, मुझे भली लगे।”
“ऐसा नहीं हो सकता!”
“क्यों नहीं हो सकता?”
“मैं तुम्हारी रुचि को भली-भांति जानता हूँ।”
“झूठ।”
“तो सच क्या है, तुम ही बता दो।”
“सच बहुत कड़वा है मिस्टर रणजीत।” पूनम ने रशीद की आँखों में ऑंखें डालते हुए त्योरी चढ़ाकर कहा।
“ओह! मैं तुम्हारा इशारा समझ गया। तुम्हें मेरी रात वाली बात बुरी लगी। वास्तव में मैं उसके लिए क्षमा मांगने आया था।”
“अरे! आप ही घायल कर दिया, तो अब मरहम लगाने से क्या लाभ?”
“भूल का प्रायश्चित तो करना ही पड़ता है। रात में कुछ अधिक ही भावुक हो गया था। लेकिन पूनम तुम इसका अनुमान नहीं लगा सकती। मेरे उस दोस्त ने पाकिस्तान में मेरी कितनी सहायता की थी। उसकी सौगंध का ध्यान आया, तो मैं अपने बस में ना रहा और तुम पर बरस पड़ा। लेकिन बाद में मुझे अपनी मूर्खता का एहसास हुआ कि दोस्ती को अपने प्यार से कम समझा। अब मैं तुम्हें वचन देता हूँ पूनम कि अपनी हर भावना को तुम्हारे प्यार की भेंट कर दूंगा। मेरा धर्म मेरा ईमान सब कुछ तुम्हारा प्यार होगा।” कहते-कहते रशीद का गला भर आया और उसने अपनी कांपती हुई उंगलियों से टटोलकर उसकी दी हुई निशानी ओम का लॉकेट उसे दिखाने का प्रयत्न किया।
पूनम रशीद की भीगी आँखें देखकर व्याकुल हो उठी। रशीद के दिल की आग ने उसके गुस्से को पल भर में पिघला दिया। वह सोच भी नहीं सकती थी कि रात के अंधेरे में क्रोधित और कठोर दिखाई देने वाला फौजी अफसर दिन के उजाले में एक मोम का पुतला कैसे बन गया।
तभी उनके बीच छाई निस्तब्धता को हवाई उड़ान की घोषणा ने तोड़ा। दिल्ली जाने वाली उड़ान तैयार थी। यात्री लॉज से उठ-उठ कर हवाई जहाज की ओर जाने लगे। समय कम था और दिलों में तूफान उमड़े हुए थे। पूनम ने भाव को नियंत्रित करते पूछा, “दूसरा लॉकेट कहाँ है?”
“मेरे पास है। कल उसे दोस्त को पार्सल करवा दूंगा।” रसीद ने ‘अल्लाह’ वाला लॉकेट जेब से निकाल कर उसे दिखाया।
पूनम ने झट हाथ बढ़ाकर रशीद से उसके दोस्त की निशानी झपट ली और बोली, “लाओ इसे मैं अपने गले का हार बना लूं।”
“तुम?”
“हाँ! आपके दोस्त की दी हुई सौगंध भी ना टूटेगी और मेरा प्यार भी आपके दिल के पास रहेगा।”
“लेकिन?”
“लेकिन वेकिन क्या! आपके लिए दो होंगे, मेरे लिए तो दोनों एक है। ईश्वर, अल्लाह तेरे नाम सबको सम्मति दे भगवान।” यह कहते हुए पूनम ने लॉज की ओर देखा, जहाँ से कमला आंटी बैग हाथ में उठाये उनकी ओर आ रही थी। रशीद ने आगे बढ़कर उनके पांव छुये और फिर उनके साथ-साथ कदम उठाता हवाई जहाज की ओर चल दिया। पूनम ने उसे जल्दी छुट्टी लेने का अनुरोध किया और रशीद ने वचन निभाने की प्रतिज्ञा की। फौजी अफसर होने के कारण किसी ने उसे दरवाजे पर नहीं रोका और वह उनके साथ-साथ हवाई जहाज की सीढ़ी तक आ गया।
जब पूनम आंटी के साथ सीढ़ियाँ चढ़कर हाथ हिलाती हवाई जहाज के अंदर चली गई, तो रशीद को पहली बार अनुभव हुआ कि पूनम से प्रेम का अभिनय करते-करते उसे सचमुच पूनम से गहरा लगाव हो गया है। वह एक अनोखा अपनापन अनुभव करने लगा। कहीं यह अपनापन उसकी निर्बलता ना बन जाये और उसके माथे पर पाप का कलंक न लगा दे, यह सोचकर वह खड़े-खड़े यों कांप गया, जैसे सचमुच उससे यह पाप हो गया हो।
सीढ़ी बंद हो गई। हवाई जहाज के पंखे तेजी से घूमने लगे और उनके शोर से वातावरण जैसे थर्रा गया। थोड़ी ही देर में हवाई जहाज रनवे से ऊँचा उठकर आसमान में उड़ता दिखाई दिया। रशीद मौन खड़ा बड़ी देर तक हवाई जहाज को देखता रहा, जो पूनम को लिए दिल्ली की ओर उड़ा जा रहा था।
हवाई जहाज जब दृष्टि से ओझल हो गया, तो वह वापस जाने को पलटा। लेकिन फिर अचानक उसे ठिठककर वहीं रुक जाना पड़ा। वह आश्चर्य से गुरनाम को देखने लगा, जो एक लंबा ओवर कोट पहने उसके पीछे खड़ा था।
“गुरनाम तुम यहाँ!” उसके मुँह से निकला।
“हाँ! अचानक हेड क्वार्टर से फोन मिला कि मेरे नाम एक पार्सल भेजा गया है।” कहते हुए गुरनाम ने एक छोटा सा पार्सल उसे दिखाया और फिर जेब में रखते हुए बोला, “इसे लेने एयरपोर्ट आया था।”
“क्या है इस पर पार्सल में?” रशीद से पूछे बिना ना रहा गया।
“होगी कोई रिपोर्ट, दुश्मन के जासूसों के बारे में कुछ ताजा क्लूज या कुछ तस्वीरें या फिर फिल्म इत्यादि।” गुरनाम लापरवाही से कह गया।
“लेकिन तुम अचानक ऐसे क्यों चले गये?”
“भई अचानक क्यों? स्नान किया, नाश्ता दिया और तुम्हारे अर्दली को समझा कर आया था कि तुम सुबह उठो, तो मेरे लिए परेशान ना हो जाओ।”
“यह तुमने अच्छा नहीं किया।”
“नहीं यार! अच्छा ही हुआ, जो मैं अपने होटल में चला गया, वरना अगर हेडक्वार्टर का यह संदेश मुझ तक ना पहुँचता, तो मेरे विरुद्ध जरूर कोई एक्शन ले लिया जाता।”
“कहाँ ठहरें रहे हो?”
“अभी तो ओबेरॉय पैलेस में!”
“अभी क्यों?”
“दुश्मन को झांसा देने के लिए अड्डा बदलते रहना पड़ेगा। कभी इस होटल में, कभी उस होटल में। कभी किसी सराय में, तो कभी हाउसबोट में। लेकिन घबराओ नहीं, हर शाम व्हिस्की तुम्हारे ही यहाँ पियूंगा।”
“जरूर तो फिर आज आ रहे हो ना?”
“आज नहीं कल से! आज मेरा अपॉइंटमेंट है एक लड़की से।” गुरनाम ने जबान होठों पर फेरते हुए कहा और फिर कुछ रुककर बोला, “अमां यार रात में हमसे कोई बदतमीजी तो नहीं हुई थी, व्हिस्की पीने के बाद?”
“नहीं तो!”
“न जाने क्यों रात भर सिर बोझिल रहा। कुछ ऐसा याद आता रहा, जैसे मैंने अकारण किसी को गालियाँ दी हो। मेरे साथ ये बड़ी कमजोरी है कि शराब पीने के बाद लड़कियों को छेड़ बैठता हूँ।”