पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे राशिद ने हम दोनों को अपने कमरे में बुलाया और कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म दिखाने लगा।
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तब नहीं पता था, आज मैं जानती हूँ कि वो टिपिकल ब्लू फिल्म थी.. जिसमें तीन अलग जोड़ों की फिल्म थीं। एक सिंगल जोड़े की थी.. फिर एक मर्द दो औरतों के साथ करता है और तीसरी में एक औरत के साथ दो मर्द करते हैं। यह सब कुछ सिरे से मेरे लिये नया था और काफी हद तक हैरान करने वाला था, लेकिन उसने सवाल करने से मना किया था तो कुछ पूछने या हैरानी जाहिर करने के बजाय होंठ भींचे बैठी रही।मेरे लिये यह देखना बड़ा अजीब था कि जिस लिंग से पेशाब किया जाता था,
मेरे लिये यह देखना भी बड़ा आश्चर्यजनक था कि जिस योनि से सिर्फ पेशाब ही नहीं जारी होती थी, बल्कि माहवारी में गंदा खून भी निकलता था, उसे यूँ चाकलेट की तरह चाटा जा रहा था। और सबसे अजीबोगरीब चीज तो यह थी कि चूतड़ों के बीच जिस छेद से हगा जाता था, उस छेद में भी लिंग घुसा कर अंदर बाहर किया जा रहा था।
साथ ही यह देख कर भी कि कैसे अपना सफेदा निकालते वक्त लड़के अपना लिंग लड़की की योनि से निकाल कर उसके चेहरे पर ले आते और लड़की उनके वीर्य को ऐसे मुंह में ले लेती जैसे कोई बहुत जायके की चीज हो।
छी छी…
मेरी मनःस्थिति दोनों अच्छी तरह समझ रहे थे और इसीलिये दोनों ही मुस्करा रहे थे।
फिर फिल्म खत्म होने पर दोनों मेरे सामने हो गये- किन-किन चीजों पर तुम्हें हैरानी हुई, बताओ.. हम तुम्हें कनविंस करते हैं।
“दोनों अंग कैसे गंदे होते हैं.. उन्हें कैसे चूसा चाटा जा सकता है।”
“गंदगी दिमाग में होती है, वर्ना पीने वाले तो गौमूत्र भी श्रद्धा से पीते हैं और कभी इंसान फंस जाये तो उसे भी पीना पड़ता है। ऊपर स्पेस में जो एस्ट्रोनाट रहते हैं, वे भी अपना पेशाब ही शुद्ध करके पीते हैं। जरूरत साफ सफाई की है। अगर दोनों के अंग साफ हैं तो चूसने चाटने में क्या बुराई?”
“पर लड़की की मुनिया से तो वह वाला खून भी…”
“तो क्या हुआ.. जिस दौरान खून बहता है, उस दौरान न सेक्स करते हैं न ओरल। फारिग होने के बाद लड़की साफ सुथरी हो जाती है.. कोई उसमें खून लगा तो नहीं रह जाता न?”
“और पीछे से.. छी
“अच्छा तुम्हें समलैंगिकों के बारे में पता है, जो एक दूसरे से ही सेक्स करते हैं। बताओ लड़का लड़के से कैसे सेक्स करेगा, दोनों के पास तो एक जैसे मुनिया है।”
“उनकी मजबूरी हो सकती है पर लड़की के साथ..”
“लड़की को भी मजा ही आता है, मजबूरी वाली क्या बात है। आखिर इसमें मजा ही आता है तभी एक लड़का, लड़का हो कर भी दूसरे लड़के के साथ इसी सेक्सुअल रिलेशन के लिये पूरी दुनिया का धिक्कार भी झेल लेता है।”
“पर फिर भी.. वहां से निकली मुनिया को लड़की कैसे चाट.. आक्क!”
“अरे तुम अपने जैसा मत सोचो यार.. यह एक फिल्म के लिये एक्ट कर रहे हैं और एक्ट से पहले छेद की अच्छे से सफाई की जाती है, यह मत सोचो कि वहां गू लगा होगा। उन्हें पहले ही क्लीन कर लिया जाता है।”
“और वह जो मुंह में ले रही थीं सफेदा.. वह ठीक था?”
“ठीक गलत लेने वाले जानें.. लेने वाले लेते ही हैं और वह कोई पेशाब नहीं होता, पेशाब से अलग एक सब्सटेंस होता है। तुम्हें हो सकता है कि खराब लगे, लेकिन जो बार-बार इसे मुंह में ले रही हैं, उन्हें यह भी टेस्टी लगने लगता है।”
“खैर.. अब? अब क्या करोगे?”
“बिस्तर पे आओ।”
हम तीनों बिस्तर पे आ गये.. राशिद ने कमरे की मेन बत्ती पहले ही बुझा रखी थी, बस कंप्यूटर की स्क्रीन की रोशनी हो रही थी।
“अब सब लोग कपड़े उतारो।” राशिद ने कपड़े उतारने की पहल करते हुए कहा।
“मम-मैं क्यों?”
“क्योंकि तुम्हें भी मजा लेना है। मुझसे शर्माओ मत.. अहाना बता चुकी है मुझे सब, जो तुम लोग करती हो। डरो मत.. तुम्हारा दिल नहीं करेगा तो मुनिया नहीं घुसाऊंगा.. बस ऐसे ही मजे ले लेना।”
“तो कपड़े क्यों उतारूं?” मैंने फिर भी जिद की।
“तो ठीक है मत उतारो.. ऐसे ही मजे लो।”
मैं एक ब्लू फिल्म देखने के बाद दिमागी रूप से इस हालत में बिलकुल भी नहीं थी कि उसकी मर्जी के खिलाफ जाऊं.. लेकिन फिर भी मेरी शर्म, मेरी अना, मेरा गुरूर मुझे बेपर्दा होने से रोक रहा था।
पर मेरी मुश्किल अहाना ने आसान कर दी.. वे दोनों नंगे हो गये तो अहाना ने जबरन मेरा कुर्ता उतार दिया और उसके कहने पे राशिद ने मेरी सलवार उतार दी।