कैसे कैसे परिवार

Post Reply
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: कैसे कैसे परिवार

Post by Masoom »

श्रेया का शयनकक्ष: श्रेया और विक्रम

विक्रम और श्रेया ने एक बार मौखिक सम्भोग का आनंद लिया और दोनों एक दूसरे के मुंह में अपना पानी छोड़ चुके थे. पर दोनों का मन अभी भरा नहीं था. दोनों का पूरा ध्यान इस बात पर ही लगा था की स्मिता मेहुल को कैसे अपने वश में कर रही होगी और मेहुल की क्या प्रतिक्रिया हो रही होगी. दोनों के कान किसी भी ऐसी ध्वनि के लिए संवेदनशील थे जिससे ये पता लगे कि कहीं मेहुल कमरा छोड़कर बाहर तो नहीं जा रहा. ऐसी किसी भी विषम परिस्थिति में उसे रोकना आवश्यक था.

"पापाजी, आज आप मुझे घोड़ी के आसान में ही चोदिये, कहीं दौड़ना पड़ा मेहुल के पीछे तो देर नहीं होगी." ये कहकर श्रेया ने आसन धारण किया और सिर और कमर को झुककर अपनी गांड को ऊँचा उठा दिया.

विक्रम के मन में पहले श्रेया की गांड मारने का विचार आया पर अपने लंड को चूत पर रखकर अंदर पेल दिया. चाहे श्रेया कम आयु की थी पर उसने चुदाई ५ साल पहले ही शुरू कर दी थी. वो इस तगड़े धक्के को भी बड़ी सरलता से झेल गई. विक्रम उसे तेज गति से चोदने लगा. श्रेया भी उसका पूरा साथ दे रही थी और दोनों जल्दी ही अपनी भूख (या प्यास) मिटाकर विश्राम करना चाहते थे.

जल्द ही दोनों एक बार फिर से झड़ गए और एक दूसरे को चूमकर कपडे पहनकर बैठक में चले गए. आज पहरे की रात थी, जब तक स्मिता का सन्देश नहीं आता कि स्थिति काबू में है, उन्हें इसी प्रकार जागते रहना था.

श्रेया ने दोनों के लिए एक छोटा पेग बनाया, टीवी को सायलेंट में डालकर देखते हुए चुस्की लेने लगे. दोनों के दिल इस समय धड़क रहे थे. ४० मिनट से अधिक हो गया था और स्मिता ने कोई भी सूचना नहीं दी थी.

**********

मोहन का शयनकक्ष: महक और मोहन

मोहन अपनी जीभ महक की चूत में डालकर झाड़ू के समान घुमाने लगा. अपनी एक ऊँगली महक की चूत में डालकर उसे कुछ समय के किये ऊँगली से चोदा और अपने होंठों से उसके भगनासे को दबाकर रखा. इस आक्रमण के सामने महक ने हाथ डाल दिए और उसकी चूत भरभरा कर पानी छोड़ने लगी. अब चूँकि भगनासा मोहन के होंठों के बीच ही था तो सारी धार मोहन के मुंह में ही सीधी चली गई. मोहन ने अपने तेजी से अपना मुंह हटाया और अपनी दायीं हथेली में थोड़ा पानी इकठ्ठा किया। फिर महक के दोनों पांव अपने बाएं हाथ से इस तरह ऊपर उठाये कि उसके घुटने पेट से जा लगे. अब महक की चूत और गांड के दोनों छेद मोहन के सामने थे. उसने अपने हाथ में एकत्रित महक का कामरस उसकी गांड की छेद पर मल दिया.

महक समझ गयी कि मोहन आज उसकी गांड का आनंद लेगा, वो भी इस खेल के लिए अपने आपको मनाने लगी. अब महक की गांड पहली बार तो मारी जा नहीं रही थी. समुदाय में गांड मारने के लिए पुरुष लालायित रहते थे. वैसे महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं थीं पर महक चाहती थी कि मोहन एक बार उसकी चूत की खुजली मिटा देता तो अच्छा होता. पर आज की विशेषता को देखकर उसने कोई आपत्ति नहीं की.

"थोड़ी वेसलीन लगा लो. ऐसे दर्द होगा." उसने मोहन से कहा.

मोहन जल्दी से ड्रेसिंग टेबल से वेसलीन की शीशी उठा लाया. तब तक महक घोड़ी की तरह अपनी गांड ऊपर करके लेट गई. मोहन ये देखकर मुस्कुरा दिया. वो पिछले आसन में ही उसकी गांड मारना चाहता था क्यूंकि उसमे गांड का रास्ता और तंग हो जाता था और आनंद अधिक आता था. पर इसमें महक को परेशानी होती थी. तो महक ने उसका ध्यान दूसरी ओर करके अपनी अनुसार मुद्रा ले ली थी. मोहन महक की गांड पर अच्छे से वेसलीन की मालिश की और उतने ही ध्यान से अपने लंड को भी चिकना कर लिया. महक की गांड का छेद इस समय आक्रमण की उत्सुकता से लपलपा रहा था. मोहन ने अपना लंड रखा और हल्के हल्के अंदर उतार दिया.

"आअह, वाह, क्या गजब की गांड है तेरी महक."

"लंड आपका भी कोई कम नहीं. चाहे जितनी बार भी खाऊं हमेशा नया और बड़ा ही लगता है. मेरी गांड को बिल्कुल सही लेवल तक भरता है. मेरी ही गांड का साइज देखकर ये लंड बना है."

"तू मुझसे छोटी है, तेरी गांड इसके साइज की बनी है."

"चलो ठीक है अब चोदो भी, बातें बाद में कर लेंगे. नीचे भी जाना है."

ये सुनकर मोहन को आज के दिन का महत्त्व याद आ गया. उसे अपना वो समय याद आ गया जब वो अपनी माँ के कमरे में था और उसके पिता बैठक में उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे. उसने मन ही मन मेहुल को शुभकामना दीं और इच्छा की कि मेहुल भी उसकी तरह इस पूरे पारिवारिक समारोह में सम्मिलित हो जाये.

ये सोचते हुए उसने महक की गांड में अच्छे लम्बे शॉट आरम्भ किया , पर इन धक्कों में तीव्रता तेजी नहीं थी, अपितु शीघ्रता अवश्य थी. वो कभी भी महक की कठोर चुदाई नहीं करता था, उसकी छोटी बहन जो ठहरी. महक को भी उसके बड़े भाई का प्यार ही भाता था. उसे चोदने वाले और भी थे, कुछ तो ऐसे जो हड्डियां हिला देते थे. उसे कभी कभार वो भी अच्छा लगता था. पर जो प्यार मोहन देता था उसकी कोई तुलना नहीं थी.

कुछ ही मिनटों की चुदाई के बाद मोहन महक की गांड में ही झड़ गया. लगभग साथ में महक भी झड़ चुकी थी. दोनों बाथरूम में जाकर निर्मल हुए और कपड़े पहन कर बैठक पहुंचे जहाँ विक्रम और श्रेया टीवी देख रहे थे. उन्हें देखकर मोहन ने भी दो हल्के ड्रिंक्स बनाये और सब चुपचाप चुस्कियां लेते हुए टीवी देखने लगे.

मोहन ने विक्रम से पूछा "मम्मी का कोई मेसेज।"

"नहीं"

"आशा करनी चाहिए कि सब ठीक रहे. मेहुल अब शायद लड़कियों से न घबराये."

**********
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: कैसे कैसे परिवार

Post by Masoom »

स्मिता का शयनकक्ष: स्मिता और मेहुल

"ओ गॉड! ये क्या है?" स्मिता के चेहरे पर अविश्वास के भाव थे, "क्या है ये?"

स्मिता की आँखों के आगे उसके जीवन का सबसे बड़ा लंड झूल रहा था. मोटा इतना था जितनी कि उसकी कलाई. और लम्बा जितना कि उसकी कोहनी से इसकी कलाई. ये मनुष्य का लंड नहीं था. यही कारण था कि उसे केवल विवाहित महिलाएं ही झेल पाती थीं. कैसे जायेगा वो उसकी चूत में. और गांड, ये सोचते ही स्मिता के शरीर में झुरझुरी सी होने लगी.

"ये, ये, ये तुम्हारा लंड है?"

"आपको क्या लगता है."

"और तुम्हारी प्रिंसिपल इसे अपनी गांड में लेती है?"

"और उसकी माँ, बहन और सास भी."

"क्या? तुमने उसके खानदान की सारी औरतों को चोद दिया है क्या?"

"नहीं, बेटी अभी बाकी है. नहीं, उसे चोदने का कोई प्लान नहीं है. नहीं तो मेरी अन्य ९ रंडियों का क्या होगा."

"रंडी! ये क्या कह रहे हो?"

"अरे मम्मी, जब एक बार आप इस खूंटे से बंध जाओगी न तो रंडी की ही तरह चुदवाओगी मुझ से. अब देर मत करो, लंड चूसो मेरा, आपके पहले छेद का उद्घाटन करना है."

स्मिता ने धीरे से उसका लंड अपने मुंह में डाला और हल्के हलके चूसने लगी. वो ये सोच रही थी कि उनके समुदाय की महिलाएं तो पागल ही हो जाएँगी. फिर उसके मुँह से हंसी निकल गई.

"क्या हुआ?"

"श्रीमती गुप्ता, जो अपने आप को बहुत बड़ी चुड़क्कड़ मानती है और कहती है की ऐसा कोई लंड नहीं बना जो उसकी गांड की गर्मी ठंडी कर सके जब इसे देखेगी तो फट जाएगी हरामजादी की गांड."

"उसकी गांड उस समय देखेंगे. आज आपकी बारी है. पहले अपनी बचा लो फिर दूसरों की सोचना. वैसे सुजाता आंटी की गांड भी मस्त है. परसों के लिए बुक कर दो उन्हें मेरे लिए. परसों में फ्री हूँ ३ बजे के बाद. पर याद रहे उसे कुछ बताना नहीं है."

ये कहते हुए मेहुल ने पहल की और स्मिता के मुंह में अपना लंड डालकर उसका सिर पकड़ा और लंड अंदर तक धकेल दिया. लंड गले में जाकर फंस गया और स्मिता की साँस रुक गई और आँखों में आंसू आ गए. वो सिर हिलाकर छटपटाने लगी. मेहुल ने सिर को छोड़ा और लंड को बाहर खींच लिया पर मुंह से निकला नहीं. स्मिता ने उसे विनती भरी आँखों से देखा.

"जब मैं कह रहा हूँ की चूसो इसे तो इधर उधर की बातें क्यों कर रही हो. अब लगो काम पर और इसकी ठीक से सेवा करो. जब तक मैं न बोलूं, रुकना नहीं."

कहते हुए मेहुल बिस्तर पर पांव चौड़े करके बैठ गया और स्मिता को अपना स्थान लेने का संकेत किया. एक तकिया उठाकर अपने पांवों के बीच डाल दी जिससे स्मिता के घुटने न दुखें. स्मिता ने अपना स्थान ग्रहण किया और ऊपर से नीचे तक लंड को अच्छे से चाटते हुए अपने मुंह में ले लिया और इस बार पूरी तन्मयता से चूसने लगी. हालाँकि मुंह इतना चौड़ा करके चूसने में उसे कठिनाई हो रही थी पर वो मेहुल को अपने प्यार की गहराई से भी अवगत कराना चाहती थी.

मेहुल जानता था कि माँ अधिक देर ये नहीं कर पायेगी अन्यथा उसके जबड़े दुःख जायेंगे. वो उन्हें केवल उन्हें अपना और उनका स्थान दिखाना चाहता था. जो औरतें उससे चुदवाती थीं उन्हें उसके पांवों में झुकना पड़ता था. आज उसकी माँ वहां थी.

"आगे से जब भी हम चुदाई के लिए साथ होंगे तो आपका यही स्थान होगा. फिर मैं आपकी सेवा करूँगा पर पहले आपको मेरे सामने इसी आसन में आना होगा. ठीक है?"

स्मिता ने लंड चूसते हुए सिर हिलाया कि उसे ये स्थिति स्वीकार्य है.

"उठिये अब, मैं नहीं चाहता कि आपको कोई कष्ट हो." मेहुल ने आज्ञा दी.

स्मिता खड़ी हो गई.

"थोड़ा अपने इस सौंदर्य का दर्शन तो कराओ मम्मी. पीछे मुङो और नीचे झुको."

स्मिता ने वैसे ही किया जिससे उसकी गांड मेहुल के मुंह से सामने आ गई. मेहुल ने उसकी कमर पकड़कर धीरे से अपनी ओर खींचा और उसकी गांड में अपना मुंह डाल दिया. स्मिता चिहुंक पड़ी, पर अपने आसन से हटी नहीं.

मेहुल उसकी गांड के चारों ओर अपनी जीभ से चाट रहा था और गांड के छेद के सितारे पर विशेष रूप से ध्यान दे रहा था. स्मिता को गुदगुदी होने लगी तो वो हंस पड़ी. मेहुल ने उसकी ख़ुशी बढ़ने के लिए उसके नितम्ब दोनों हाथों से फैलाये और अपनी जीभ को गांड की गुफा में ढकेल दिया. स्मिता एक झुरझुरी के साथ एकदम से झड़ गई.

"मम्मी, आपकी गांड तो बहुत टाइट है, लगता है किसी अच्छे लंड से इसकी सिकाई नहीं हुई कभी."

स्मिता की अचानक मानो चेतना जाग्रत हुई. वो स्वयं को कोसने लगी कि क्यों उसने तीनों छेदों का नाम लिया. उसे नहीं लगता था कि वो मेहुल का डंडा अपनी गांड में ले पायेगी, चूत तो अम्भ्वतः उसे स्वीकार कर भी ले, पर गांड! ये सोचते ही उसकी गांड फट गई. और अगर गांड में ले भी लिया तो कितने दिन तक उसकी स्थिति थिंक हो पायेगी ये समझना कठिन था.

"अरे मम्मी, घबराओ नहीं, मैंने जितनी आंटियों को चोदा है सब की गांड इतनी ही संकरी थी, कई तो पहली बार गांड में लंड ले रही थीं. पर आज सब उछल उछल कर मुझसे गांड मरवाती हैं. आप मेरा विश्वास करो मैं आपको असीम सुख के सिवा कुछ नहीं दूंगा."

स्मिता ने अपनी सांसे संयत की. मेहुल ने उसकी गांड चाटना बंद करके, उसे सीधे होने के लिए कहा.

"अगर वेसलीन हो, तो ले आईये न प्लीज."

स्मिता गांड मटकाती हुई ड्रेसर से वेसलीन ले आयी. देखा तो मेहुल बिस्तर पर लेट चूका था और दोनों तकिये अपने सिर के नीचे लगा रखे थे.

मेहुल का तना लंड इस समय बहुत ही भयावना लग रहा था.

"पहले अपनी चूत में अच्छे से वेसलीन लगा लीजिये और फिर मेरे लंड पर भी. मैं नीचे रहूँगा, जिससे आप अपनी सुविधा के अनुसार जितना संभव हो उतना लंड डाल पाएं. अपने अनुमान से चुदवाइये अपनी चूत।"

स्मिता ने चैन की साँस ली, कि चलो अपने तरीके से ही लेगी. इतने में मेहुल ने उसे झटका दिया.

"पर गांड मैं अपने ढंग से मारूंगा।"

स्मिता की फिर गांड फट गई. पर ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना सोचते हुए अपने मन को मनाया. स्मिता बिस्तर पर बैठी और अपने पांव चौड़े करते हुए अपनी चूत में वेसलीन लगाने लगी. जब उसे लगा की उसकी चूत अच्छी चिकनी हो गई है, तो उसने मेहुल के लंड को पकड़ा और उसके टोपे पर एक चुम्मा लिया. फिर वेसलीन लगाकर उसे भी बिल्कुल चिकना कर दिया.

"आइये अब सवारी कीजिये. आपका घोड़ा तैयार है."

**********
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: कैसे कैसे परिवार

Post by Masoom »

बैठक में:

इस समय सब परिवार वाले एक गूढ़ चिंतन में डूबे थे. २ घंटे से ऊपर हो चुके थे. रात का लगभग १ बजने को था, पर स्मिता की ओर से कोई सन्देश नहीं आया था.

"कहीं मम्मी और मेहुल सो तो नहीं गए. जाकर देखूं?" महक ने पूछा.

"नहीं, नियम यही है कि मैसेज के पहले कोई भी क्रिया या प्रतिक्रिया नहीं की जाएगी. अगर मेहुल बाहर नहीं गया है तो स्थिति तनावपूर्ण अवश्य है, पर नियंत्रण में है. मुझे स्मिता पर पूरा विश्वास है. वो मेहुल को सांचे में ढाल लेगी. पर हमें अपनी निगरानी हटानी नहीं है." विक्रम ने मना करते हुए स्पष्ट किया.

"ठीक है पापा."

और सब बैचेनी से प्रतीक्षा में लगे रहे.

**********

स्मिता का शयनकक्ष: स्मिता और मेहुल

स्मिता ने बिस्तर पर चढ़ते हुए मेहुल के दोनों ओर पाँव किये, अपनी चूत के छेद पर मेहुल के लंड को लगाया और बहुत धीरे धीरे से उस पर उतरने लगी. लगभग ६-७ इंच लेने के बाद वो रुक गई और आगे झुककर मेहुल को चूमने लगी. मेहुल ने भी उसका भरपूर साथ दिया और उसके मम्मे मसलने लगा. स्मिता इस समय बहुत आनंदित थी और इतनी लम्बाई के लंड कई बार ले चुकी थी. पर चौड़ाई थी जो उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी. इस समय उसे अपनी चूत पूरी तरह से पैक लग रही थी, मानो हवा तक जाने का स्थान न हो.

उसने धीरे धीरे उठक बैठक शुरू की, वेसलीन लगी होने से वो बहुत हो आसानी से चुदवा रही थी. इसी उपक्रम में उसने अपनी गति बढ़ा दी, चौड़ी हुई चूत अब और लंड की मांग करने लगी. वो लंड पर शायद एक दो इंच और उतरी होगी कि उसके ऐसे स्थान पर पंहुचा जहाँ आज तक कोई बिरला ही जा पाया था. इसी गहराई पर उसने अपनी चूत को रोक लिया और अपनी गति बढ़ाते हुए चुदवाने लगी.

"ओह, माँ, क्या लंड है तेरा मादरचोद. पूरी सिलाई खोल दी मेरी चूत की." वो बड़बड़ा रही थी.

उसकी चूत अब दनादन पानी की धार छोड़ रही थी जो मेहुल की जांघों को तर बतर कर रही थीं. वो इस समय वासना के ऐसे उन्माद में थी की उसे किसी भी और चीज़ का भान नहीं था. उसके सारी इन्द्रियाँ एक ही स्थान पर केंद्रित थीं और वो थी उसकी चूत। यही कारण था की जब मेहुल ने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में डालकर मुट्ठी बंधी तो उसे इसका अर्थ न समझ पायी. मेहुल ने धीरे धीरे अपने बंधे हुए हाथ उसकी कमर के बिल्कुल नीचे के हिस्से पर ले जाकर रोक दिए.

हल्की हल्की चुम्मियाँ लेते हुए मेहुल ने बड़े प्यार से पूछा," मम्मी, मज़ा आ रहा है?"

"हूँ. बहुत. बहुत मजा आ रहा है. तेरा लंड वाकई में बहुत शानदार है."

"पर अभी तो आधा ही खाई हो, फिर भी इतना मजा आ रहा है."

"मेरे लिए इतना ही पर्याप्त है , बस मुझे चोदने दे."

"हम्म्म, मम्मी."

"ह्म्म्मम्म"

"पर मैंने आपको पूरा सुख देने का वचन दिया था, है न?"

"हाँ दे तो रहा है. और कितना देगा." अचानक स्मिता के दिमाग की बत्ती जल उठी. कहीं ये सारा तो नहीं जड़ देगा मेरी चूत में., वो हटने का प्रयास करने लगी. पर मेहुल ने उसे अपने बाहुपाश में जकड रखा था.

"मम्मी, मैं हमेशा अपना वचन पूरा करता हूँ."

ये कहकर आधी ऊपर उठी स्मिता को जोर से अपने लंड की ओर खींचा और साथ ही अपनी कमर को बहुत तेजी के साथ ऊपर की ओर उठाते हुए एक जोरदार धक्का मारा. मेहुल का पूरा लंड अब स्मिता की चूत में जड़ तक समा गया था. स्मिता ऐसे आघात से एकदम सन्न हो गई. उसे लग रहा था जैसे किसी ने उसको चाकू से चीर दिया हो. उसकी आँखों से आंसू झरने लगे.


मेहुल स्मिता को उसी स्थिति में पकड़कर उसके बहते हुए आंसू चूम चूम कर पीने लगा. हल्के हल्के चुम्बन भी ले रहा था. एक हाथ से वो स्मिता की पीठ सहला रहा था. कुछ देर इसी तरह रहने पर स्मिता को थोड़ा आराम लगा तो वो रोने लगी. मेहुल ने उसके होंठ चूमते हुए कहा.

"मम्मी, एक बात बताओ."

"पूछ"

"जब बैंड ऐड की पट्टी निकालते है तो धीरे धीरे निकालने में अधिक दर्द होता या एक बार में निकालने में?"

"एक बार में निकालने में दर्द ज्यादा होता है पर ठीक भी जल्दी होता है."

"अब समझीं मैंने ऐसा क्यों किया. अपने आप कभी भी पूरा लंड नहीं लेतीं और जो अब आनंद मिलने वाला है उससे वंचित रह जातीं. मुझे क्षमा करना आपको इस तरह से छलना पड़ा. " मेहुल ताबड़तोड़ चुम्बन जड़ते हुए बोला।

"तू बहुत दुष्ट है. अब?"

"अब मैं आपको नीचे करूँगा और आपकी सही तरह से चुदाई करूँगा, जो आपका अधिकार है." ये कहकर मेहुल ने स्मिता की कमर पकड़कर एक करवट ली और स्मिता उसके नीचे आ गई. इस पूरे उपक्रम में मेहुल के लंड ने अपना स्थान नहीं छोड़ा.

मेहुल ने अब हलके और सधे हुए धक्कों से स्मिता की चुदाई शुरू की. अपने बाएं अगूंठे से वो रह रह कर भग्नाशे को कभी सहलाता, कभी रगड़ता और कभी उँगलियों में लेकर दबा देता. पर उसके इस प्रयास में कोई क्रम नहीं थे. स्मिता को अब वो आनंद आ रहा था जिससे वो इस जीवन में अछूती थी और ये सुख कोई और नहीं उसका सबसे लाडला बेटा ही उसे दे रहा था.

मेहुल ने भी अब गति पकड़ ली थी पर अभी भी वो पूरी लम्बाई का प्रगोग नहीं कर रहा था. उसकी चौड़ाई ही इतना घर्षण पैदा कर रही थी कि स्मिता कि चूत पानी पानी हो रही थी. अब कमरे में फच फच की ध्वनि गूंज रही थी.

"और चोद मुझे, और!" स्मिता ने मेहुल का उत्साह बढ़ाते हुए कहा. मेहुल ने भी अब समझ लिया कि उसकी माँ पूरे लंड के लिए तैयार है. उसने अब अपने धक्के पूरे गहरे और लम्बे कर दिये। बिस्तर कराह रहा था और स्मिता की चूत रो रो कर बेहाल थी. इतना पानी उसने छोड़ा था आज की पूरी बाल्टी भर जाती और अभी भी खेल समाप्त नहीं हुआ था. मेहुल के धक्के स्मिता की बच्चेदानी को हिला दे रहे थे. जिस रास्ते वो निकला था आज वहीँ उसने अपना झंडा गाढ़ दिया था.


"बेटा, अब बस कर. मेरी चूत फट गई है. इतना झड़ी हूँ कि कुछ बचा नहीं. अपने पानी से सींच दे मेरी चूत।"

मेहुल भी अब अधिक दूर नहीं था. उसने अपनी गति में परिवर्तन करते हुए कभी गहरे तो कभी तेज, कभी हलके तो कभी कभी रूककर धक्कों की झड़ी लगा दी. अपने निकट आते हुए उत्सर्ग से भी अंकुश हटा दिया. बस फिर क्या था स्मिता की चूत में तो जैसे एक बाढ़ सी आ गयी. उसका अपना पानी जब मेहुल के रस से मिला तो पूरा बिस्तर गीला हो गया. मेहुल ने पूरा झड़ने के बाद अपना लंड बाहर निकाला स्मिता की चुम्मियाँ लेता हुआ उसकी बगल में लेट गया.

दोनों हांफ रहे थे. फिर एक दूसरे की ओर मुड़कर एक लम्बा चुम्बन लिया.

"कैसा रहा." मेहुल ने पूछा.

"अद्वितीय. परम सुख मिला है आज. तूने सीखा कहाँ से ये सब?"

"बताया न, मुझे बहुत अच्छी शिक्षिकाएँ मिलीं. जो इस कला में बहुत निपुण हैं. उन्होनें बहुत कुछ सिखाया कि किसी स्त्री को कैसे सुख देते हैं."

"पर तू जो जबरदस्ती कर गया, वो."

"उनका कहना है की स्त्री सदैव हर क्रीड़ा के लिए मानती नहीं है, कभी कभी मनाने की असफल चेष्टा से कर लेना सही रहता है."

"क्या मैं पास हो गया?"

मेहुल का मुंह चूमते हुए स्मिता बोली, "एकदम टॉप."

"कुछ पियोगी?"

"हाँ बना दे एक पेग. टाइम क्या हुआ है?"

"१ बजे हैं."

"क्या. अरे मेरा फोन दे और पेग बना कर ला."

स्मिता ने विक्रम को मेसेज किया, "मिशन सफल,"

तब तक मेहुल पेग ले आया और दोनों माँ बेटे नंगे ही चुस्कियां लेने लगे.

**********

बैठक में:

"मिशन सफल,"विक्रम ने अपने फोन पर मेसेज पढ़ा. और सबको बता दिया. सबके मन में आनंद और सफलता की एक लहर दौड़ गई. और सब उठ के एक दूसरे के गले मिले और फिर अपने अपने कमरों में चले गए.

**********
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: कैसे कैसे परिवार

Post by Masoom »

स्मिता का शयनकक्ष: स्मिता और मेहुल

जब दोनों ने दो पेग लगा लिए तो मेहुल ने चिहुल की, "मम्मी, अब आओ, आपके तीसरे छेद का वचन भी पूरा कर देता हूँ." उसे पता था कि आज उसकी माँ किसी भी स्थिति में अपनी गांड नहीं मरवाने वालीं. स्मिता के हाथ पांव कांपने लगे.

वो विनती करने लगी, "बेटा, आज तू बस चूत ही से संतुष्ट हो ले."

मेहुल भी अपनी माँ को अधिक नहीं सताना चाहता था. हाँ अगर वो उसके परिवार की न होकर कोई और होती तो वो बिना गांड फाड़े छोड़ता नहीं.

"ठीक है मम्मी. पर कब."

स्मिता ने कुछ सोचा फिर बोली, "एक आइडिया है. परसों तू सुजाता और मुझे एक ही साथ क्यों नहीं चोदता। मेरी गांड भी तभी मार लेना और सुजाता की भी."

"हम्म आइडिया बुरा नहीं है. परन्तु मुझे स्वीकार नहीं है. मैं सुजाता आंटी को एक बार अकेले में ही चोदना चाहता हूँ. वे भी मुझे मूर्ख समझती हैं और आपको भी अधिक आदर नहीं देतीं. इसके बारे में कुछ करना होगा”, मेहुल के चेहरे पर एक क्रूर मुस्कान थी, “तब तक अपने २-३ राउंड हो जाएँ"

"क्यों नहीं।" ये कहते हुए दोनों माँ बेटे फिर से एक दूसरे के आलिंगन में खो गए.

अभी पूरी रात जो शेष थी.

क्रमशः


...................................
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: कैसे कैसे परिवार

Post by Masoom »

प्रस्तावना

एक बड़े शहर में एक सुंदर कॉलोनी थी. मात्र ८ घर ही घर थे इस कॉलोनी में. इनके स्वामी अधिकतर या तो व्यवसाई थे या ऊँचे पद पर काम करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति. पुरुषों की एक मित्र मंडली थी, और महिलाओं की किटी. आठों भवन दो पंक्तियों में थे. एक ओर इन्होने एक जिम, स्पोर्ट्स हाल और स्विमिंग पूल बनवाया था, और दूसरी ओर एक दो मंज़िला भवन जिसमे लगभग ४०० लोगों की पार्टी आराम से हो सकती थी. इसमें ही एक किचॅन था. पहले रेस्तराँ खोलने का प्लान था पर इतने कम लोगों के लिए उसका कोई औचित्य नहीं था. परन्तु किटी पार्टीस और जेंट्स पार्टीस यहीं होती थीं. हालाँकि सब अच्छे दोस्त थे पर एक दूसरे के जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं करता था. ये पार्टीस ही थीं जिनमें कुछ बातें सामने आती थीं. पर कभी भी इस कमरे से बाहर किसी ने इसको दोबारा नहीं बोला.



६ लोग इन दोनों की प्रबंधन के लिए रखे थे, और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी पहरेदारी के लिए.

अब क्योंकि इस कॉलोनी का कोई नाम भी होना चाहिए, तो हम इसे "संभ्रांत नगर" से बुला लेंगे. ये अलग बात है कि पर्दे के पीछे झाँकने पर कुछ और ही मिलेगा.

हम अब हर घर का लेखा जोखा लेंगे और देखेंगे की उन घरों में कब कब क्या क्या खेल खेले जाते हैं.


अध्याय १ पहला घर: अदिति और अजीत बजाज १


इस घर में वैसे तो चार ही लोग रहते हैं, पर कुछ महीनों से अजीत की माँ शालिनी बजाज भी यहीं आ गई थीं. अपने पति के देहांत के बाद तीन साल तो उन्होंने काट लिए, पर अजीत की बहुत ज़िद के कारण उन्होंने अपना घर बेचकर यहीं रहना शुरू कर दिया था. अब लगभग साल भर निकालने के बाद वो अपने निर्णय से बहुत संतुष्ट थीं. न सिर्फ़ अदिति उनका अत्यधिक आदर सम्मान करती थी, बल्कि बच्चों के साथ रहने से उनका अकेलापन भी अब उन्हें सताता नहीं था. अजीत तो दिन में हमेशा बाहर ही रहता था, पर दोनों सास बहू की खूब पटती थी.



अदिति के बेटी अनन्या और बेटा गौतम भी अपनी दादी का बहुत ध्यान रखते थे. दोनों में बस १.५ साल का अंतर था और कॉलेज में थे. गौतम अनन्या से बड़ा था.

कुछ ही दिन पहले अदिति का एक ऑपरेशन हुआ था जिससे उसको शारीरिक संबंध बनाने की ३ महीने की मनाही थी. अजीत उसे पहले हफ्ते में लगभग तीन से चार दिन चोदता था, पर इस ऑपरेशन ने उस पर अंकुश लगा दिया था. अदिति और गौतम कई बार अपने दोस्तों के घर रुक जाते थे, उनके भी दोस्त ऐसा ही करते थे. सप्ताह में एक दिन तो वो बाहर ही रहते थे. आज भी वो अपने दोस्तों के साथ बाहर थे.

आज शाम को अजीत अपने कार्यालय से घर पहुँचा और मुंह हाथ धोकर अदिति के साथ सोफे पर बैठ गया. अदिति ने उसे उसकी मनपसंद ड्रिंक हाथ में थमाई और एक अपने लिए भी ले ली. तभी किचन से शालिनी भी अपनी ड्रिंक के साथ आ गई. इस प्रकार से एक साथ मदिरा सेवन सामान्य घटना थी. तीनों पूरे दिन में घटित घटनाओं की बातें करने लगे. ड्रिंक्स का एक और राउंड होने के बाद सब खाने के लिए बैठ गये. अजीत को इस सबमें कुछ योजना दिख रही थी. पर वो शांत रहा और उचित समय की प्रतीक्षा करने लगा. खाने के बाद अदिति ने एक और ड्रिंक की बात की तो अजीत चौंक गया. पर उसने हामी भारी और जाकर सोफे पर बैठ गया. तीनों फिर अपनी ड्रिंक्स की चुस्कियाँ लेने लगे.

"हनी, मेरे ऑपरेशन के समय से अपने बहुत धैर्य रखा है." ये कहते हुए उसने अजीत के हाथ में एक गोली थमा दी. गोली देखते ही अजीत सकपका गया.

"पर तुम्हें तो अभी २ महीने तक कुछ भी नहीं करना है." अजीत ने अदिति की ओर देखकर कहा. वो अपनी माँ को भी कनखियों से देख रहा था क्योंकि ये पति और पत्नी के बीच का संवाद था जिसे अदिति उसकी माँ के सामने ही उदित कर रही थी.

"वो तो है. पर मैं चाहती हूँ कि अब मैं भी तुम्हारी और शालिनी की प्रेम कहानी में भागीदार बन जाऊं."
अजीत का दिमाग़ चक्कर खाने लगा. उसकी पत्नी उसकी माँ को नाम से पुकार रही थी. न सिर्फ़ इतना बल्कि उसे संभवतः उन दोनों के बारे में पता था. अजीत ने अपनी माँ को ओर नज़र डाली तो वो मुस्कुरा रही थी.

"मैं तुम्हें हमेशा कहती हूँ कि मुझे इस घर में बहुत प्यार मिला है." शालिनी उठकर अदिति के पास बैठ गई और उसके होंठ चूम लिए. "अदिति को अपने बारे में मैने ही बताया, पर शायद तुम्हें हम दोनों के बारे में कुछ नहीं पता." शालिनी ने फिर से अदिति को चूमते हुए कहा.

"मैने तुम्हारे लिए एक अविस्मरणीय रात्रि शाम का प्रबंध किया है."

इस बार अजीत का ध्यान अपनी माँ की ओर गया, अभी तक उसने ध्यान नहीं दिया थे पर वो इस समय बहुत सुंदर लग रही थी. वो अपने शरीर का बहुत ध्यान रखती थी और इस आयु में भी लोगों को आकर्षित कर सकती थी. अजीत के दिमाग़ पर छाई धुन्ध छटने लगी और उसे योजना का अनुमान होने लगा. उसने बेध्यानी में अपने हाथ की गोली तो एक सिप के साथ खा लिया.

अब ऐसा नहीं था की अजीत इन तीन हफ्तों में सेक्स से वंचित रहा था. वो हफ्ते दो बार तो अपनी सेक्रेटरी को चोद लेता था. इसका लाइसेन्स उसे अदिति ने ही दिया था. दरअसल दोनों काफ़ी खुले विचारों के थे. जब वो कहीं बाहर जाता तो उसे और अदिति के बाहर जाने पर अदिति को कुछ सीमा तक दूसरों को चोदने की छूट थी. पर वो ऐसा कम ही करते थे. वो सोचता था कि अपनी माँ के साथ संबंधों का अदिति को भी पता नहीं था.

"बेडरूम में चलें?" अदिति ने अचंभित अजीत का हाथ पकडकर उसे उठाया और अपनी सास को साथ आने का इशारा किया.

बिस्तर के पास पहुँचकर अदिति ने उसे जोरदार चुंबन दिया और उसे बिस्तर पर धकेल दिया.

"माँ जी, आइए." अदिति बोली.

उन दोनों ने मिलकर कुछ ही क्षणों में अजीत को नंगा कर दिया. अजीत का शरीर काफ़ी गठा हुआ था. जो गोली उसने खाई थी उसके असर से उसका लंड भी बुरी तरह से तना हुआ था. अदिति घुटनों के बल बैठ गई और उसने अजीत का लंड अपने मुँह में भर लिया और पूरे ज़ोर शोर से चूसने लगी. अजीत ने कनखियों से देखा तो उसकी माँ अपने कपड़े उतार रही थी और जल्दी ही वो भी नंगी हो गई. उसने अजीत के चेहरे की ओर आकर अजीत के मुँह पर अपनी पसीजी हुई चूत को रख दिया. अजीत उसकी चूत को चूसने लगा. जल्दी ही उसने अपनी जीभ अंदर डाल दी और घुमाने लगा. नीचे अदिति उसके लंड को चूस रही थी और ऊपर वो शालिनी की चूत.

"माँ जी, आपका बेटा तैयार है सवारी के लिए. चढ जाइए."
"और तुम?"
"मुझे ज़्यादा तनाव नहीं लेना है. मैं आपकी जगह ले लेती हूँ."

ये कहते हुए, अदिति ऊपर आ गई और शालिनी ने अजीत का भारी मोटा लंड अपने हाथ में लिया. २ मिनट के लिए चूसा और फिर दोनों ओर पाँव फैलाकर अपनी रसीली चूत को उस पर उतार दिया. अदिति ने थोड़ा संभाल कर अपनी चूत को अजीत के मुँह पर रखा, अजीत की जीभ फिर हरकत में आ गई. पर अदिति के लिए इसमे थोड़ी मुश्किल हो रही थी. सो वो हट गई और एक तरफ बैठकर अपनी चूत को सहलाने लगी. अजीत को देखकर अच्छा नहीं लगा.



अदिति ने थोड़ा संभाल कर अपनी चूत को अजीत के मुँह पर रखा, अजीत की जीभ फिर हरकत में आ गई. पर अदिति के लिए इसमे थोड़ी मुश्किल हो रही थी. सो वो हट गई और एक तरफ बैठकर अपनी चूत को सहलाने लगी. अजीत को देखकर अच्छा नहीं लगा.

उसने जानने के लिए पूछा, "तो तुम दोनों का क्या रहस्य है."

"हम दिन में एक दूसरे को सुख देते हैं." माँ ने बड़े नपे तुले शब्दों में कहा. अजीत को हँसी आ गई.

"अपने बेटे से यहाँ नंगी होकर अपनी बहू के सामने चुदवा रही हो और बातें ऐसी जैसे कोई सती सावित्री हो. कोई बात नहीं मैं समझ गया."

"अदिति, आओ तुम यहाँ लेट जाओ और माँ को तुम्हें सुख देने दो और मैं उन्हें घोडी बनाकर सुख दूँगा" अजीत ने व्यंग्य से कहा.

अदिति और शालिनी की हँसी छूट गई. पर शालिनी हट गई और उसने अदिति को बिस्तर पर लिटा दिया. खुद घोड़ी बनकर, अदिति की चूत में अपना मुँह घुसा दिया. पीछे से अजीत ने उसकी चूत में लंड पेल दिया.

"ओह, माँ ! तुम्हारी चूत की अब भी कोई तुलना नहीं है ." अजीत ज़ोरदार धक्के लगता हुआ बोला.

शालिनी भी पूरी मस्ती से इस तबाड़तोड़ चुदाई का आनंद ले रही थी. उसका मुँह उसकी बहू के चूत में था और अपनी जीभ पूरी अंदर कर रखी थी. अदिति भी इस समय एक अलग ही लोक में थी. अजीत ने ये दृश्य कभी सपने में भी नहीं सोचा था.उसने अपने धक्कों की गति तेज़ कर दी.

"अओऊउघह" अजीत की आँखों के आगे तारे से नाचने लगे. उसे अपने लंड में एक जबरदस्त फुलाव महसूस हुआ. वो झडने लगा था और उसने अपनी माँ की चूत में अपना रस भर दिया. ये दुनिया का संभवतः सबसे नीच काम था पर वो तीनों अपने वासना में ऐसे रंगे हुए थे कि इस सुख के आगे उन्हें कुछ न दिख रहा था. तभी अदिति और शालिनी का भी पानी छूट गया. शालिनी बेझिझक अपनी बहू का स्वादिष्ट रस पी गई. अदिति भी इस समय निढाल सी हो गई.

"अपने पति और मेरे रस का एक साथ स्वाद लोगी?" शालिनी ने अदिति की चूत पर एक चुंबन लेते हुए पूछा.
अदिति की आँखों में एक चमक आ गई.

"क्यों नहीं"

"तुम लेटी रहो, मैं तुम्हारे मुँह में सीधे परोसती हूँ." ये कहकर उसने अजीत को हटने को कहा और अपने दोनों पाँव अदिति के सिर के पास रखकर अपनी चूत को उसके मुँह से लगा दिया.


अदिति सडप सडप कर शालिनी की चूत से बहता हुआ रस गटक गई. तीनों एक संतुष्टि का अहसास करते हुए एक दूसरे से लिपट गए.


"आई लव यू" तीनों के मुँह से एक साथ निकला.

तीनों हँसते हुए आगे आने वाले नये रोमांच के बारे में सोचते हुए सो गये.
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Post Reply