शादी का मन्त्र

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Kamini
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Re: शादी का मन्त्र

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इधर प्रिया और निरमा कॉलेज पहुँचे ,आज निरमा की खुशी संभाले नही संभल रही थी,अब उसे और उसके पहले प्यार को एक पर्मानेंट अड्डा मिल गया था,जहाँ दोनो अपने प्रेम को साकार कर सकते थे,ढेरों बातें कर सकते थे,एक दूसरे को नज़र भर देख सकते थे,अभी दोनों कॉलेज में प्रवेश कर ही रही थी कि गेट पे खड़े मजनुओं की टोली में से किसी ने बड़े सुरीले स्वरों को छेड़ दिया-

"वॉशिंग पाउडर निरमा,वॉशिंग पाउडर निरमा!! ढूध सी सफेदी निरमा से आई,रंगीन कपड़ा भी खिल खिल जाये,सबकी पसंद . "

अभी गायक अपने गायन को चरम पे पहुंचाता उसके पहले ही प्रिया पहुंच गई

"काहे बहुत गाना फूट रहा है,क्या बात है??"

"हम तो गाने में ही बता दिये का बात है,तुमको जलन तो नही ना हो रही कि तुमको नही छेड़े ।"

इतना कहते ही सब खी खी हंसने लगे

"तुम्हारा औकात भी नही है,हमको छेड़ने का समझे,अभी
एक हाथ देंगे ना बत्तिसी बाहर आ जायेगी,,फिर हम भी वो वाला विज्ञापन है ना, का हो राजू तुम्हारे दांत तो मोतियों जैसे चमक रहे हैं,वही गा गा के सुनायेंगे।समझे बेटा,।।"

"एक्सक्यूज़ मी!! क्या चल रहा है यहाँ ।"बहुत भारी गहरी सी आवाज़ सुन प्रिया के साथ सभी आवाज़ की दिशा में पलट के देखने लगे

आवाज़ देने वाले ने बहुत शालीनता से प्रिया को देखा और पूछा-"क्या ये लोग आप लोंगो को परेशान कर रहें हैं?"

"हां कर रहे हैं बे!! बोलो का करोगे?? जादा चौधरी ना बनो,समझे।"उनमें से एक कूद पड़ा

"नही समझे,आप समझा दीजिये,कि अगर मैं बीच में बोला तो आप महानुभाव क्या करेंगें।"

"तुम्हारा चौखटा बिगाड़ देंगे घूंसा मार के,वैसे तुम हो कौन बे,जो इतना चपड़ चपड़ कर रहे हो।"

"हम इस महाविद्यालय के एक छोटे से अदना से लेक्चरर हैं,गणित पढ़ाने आये हैं,नाम है भास्कर शुक्ला।"

"ओह हो हो पण्डित जी क्षमा करें "बोल के सारे लड़के गिरते पड़ते भास्कर की चरण धूलि ले लेकर वहाँ से भाग खड़े हुए।।

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एक हाथ देंगे ना बत्तिसी बाहर आ जायेगी,,फिर हम भी वो वाला विज्ञापन है ना, का हो राजू तुम्हारे दांत तो मोतियों जैसे चमक रहे हैं,वही गा गा के सुनायेंगे।समझे बेटा,।।"

"एक्सक्यूज़ मी!! क्या चल रहा है यहाँ ।"बहुत भारी गहरी सी आवाज़ सुन प्रिया के साथ सभी आवाज़ की दिशा में पलट के देखने लगे

आवाज़ देने वाले ने बहुत शालीनता से प्रिया को देखा और पूछा-"क्या ये लोग आप लोंगो को परेशान कर रहें हैं?"

"हां कर रहे हैं बे!! बोलो का करोगे?? जादा चौधरी ना बनो,समझे।"उनमें से एक कूद पड़ा

"नही समझे,आप समझा दीजिये,कि अगर मैं बीच में बोला तो आप महानुभाव क्या करेंगें।"

"तुम्हारा चौखटा बिगाड़ देंगे घूंसा मार के,वैसे तुम हो कौन बे,जो इतना चपड़ चपड़ कर रहे हो।"

"हम इस महाविद्यालय के एक छोटे से अदना से लेक्चरर हैं,गणित पढ़ाने आये हैं,नाम है भास्कर शुक्ला।"

"ओह हो हो पण्डित जी क्षमा करें "बोल के सारे लड़के गिरते पड़ते भास्कर की चरण धूलि ले लेकर वहाँ से भाग खड़े हुए।।

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प्रिया को मम्मी की फेयर ऐंड लवली की याद आ गई,आज तक नहाने के बाद उसने चेहरे को किसी तरह के पृलेप से दूषित नही होने दिया था,आज उसकी वही कमनीय त्वचा फेयर ऐंड लवली के स्पर्श को आतुर होने लगी,उसने कुछ सोच कर निरमा से कहा-

"निरमा हम सोच रहे,जब राज को पढ़ाने जायेंगे ही तो थोड़ा बहुत व्यायाम कसरत भी कर लिया जाये क्या,तुम क्या सोचती हो इस बारे में?"

"हाँ हाँ क्यों नही,ये तो अच्छी बात है,हम भी कर लेंगे कुछ"

"अरे तुम तो ऐसे ही मरकट्टी रेगड़ी हो एकदम सुखी बिलाई लगती हो,और कितना दुबराओगी, हम थोड़ा ज्यादा ही हरे भरे लगते हैं,है ना ?"

"अरे नही प्रिया तुम ऐसे ही प्यारी लगती हो,पर हाँ अगर थोड़ा कम हो जाओगी तो और प्यारी लगोगी,अच्छा बात है ये तो।"

"तो ठीक है,कल राज को पढ़ाने के बाद पूछेंगे की क्या क्या करना है हमको।"

"नेकी और पूछ पूछ,कल तक काहे रुक रही,आज ही यहाँ से लौटते में पूछ लेना।।"

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"अरे नही भई,आज सुबह सुबह हम बहुत सारा ज्ञान दे डालें हैं,अब शाम को पहुंच जाये कि हमको पतला कर दो,ये हमे शोभा नही देता,,कल जब पढ़ाने जायेंगे तब थोड़ा घुमा फिरा के स्टायल से बोलेंगे,,समझी।।"

"हाँ मेरी माँ समझी।।"दोनो सहेलियां खिलखिलाती हुई आगे बढ़ गई ।।।

,"शर्मिला अरी ओ शर्मिला,,कहाँ मरी पड़ी है,,हे राम . एक तो मरे घुटने के दर्द से चला फिरा नही जाता फिर भी तेरी बेटी के लिये कैसे रात दिन एक किये हूँ,,देख तो सही।।"

अपने पेट पर के टायरों को संभाले घुटनों को सहलाते बुआ जी शर्मिला को आवाज़ देती भीतर चली आईं, उनकी आवाज़ से शर्मिला रसोई से हाथ पोछती भागी भागी आई और उन्हें प्रणाम किया।।उनकी आवाज़ बिना सुने ही सीढियों से नीचे उतरती प्रिया ने जैसे ही बुआजी को देखा वापस ऊपर को जाने लगी पर बुआजी की गिद्ध नजरों से बच ना सकी_
"अरी लाड़ो तू भी आ जा,तेरे लिये ही तो आती हूँ बिटिया,,देख कैसा हीरो जैसा रिश्ता लेकर आई हूँ,,आ आकर देख तो जा।।"

अभी उनकी बात पूरी भी नही हुई थी कि वीणा अपनी चमचमाती रानी कलर की साड़ी में लसर फसर वहाँ पहुंच गई ।।

शर्मिला ने दोनो के हाथ में बादाम का हलुआ पकड़ा दिया,"जिज्जी पहले इ खा के बताओ ,कैसा बना है,हमरी लाड़ो को बड़ा पसंद है,उसी के लिये बनाया है,बहुत दिमाग

का काम करती है रात दिन बेचारी,खटती रहती है किताबों के बीच।।

"बस अम्मा यही सब घी में तर हलुआ पूड़ी ठून्गो अपनी लाड़ली को,दिन बा दिन बरगद बनती जा रही है,अरे इतना तेजी से महंगाई नही मोटाती जैसी तेजी से तुम्हरी पेटपुन्छनी मुटा रही, कुछ तो रहम करो अम्मा।।"

"अरे तो का भूका मार दे अपनी लड़कोर को, तुम्हे भी तो खिला पिला के पाला पोसा है बड़की ।।

"हमें खिला पिला के पाला है इसे खिला पिला के मुट्वा रही हो,फरक है दोनो में अम्मा।।

"प्रणाम करते हैं बुआजी,और दीदी कैसी हो,गोलू को कहाँ छोड़ आई आज।"

"उसकी दादी के पास छोड़ा है,अरे दादी हैं इतना तो करे अपने पोता के लिये।।"

किसी बात पे बुआजी ने अपना प्रिय राग छेड़ दिया और वीणा भी उनके सुर से सुर मिलाने लगी।।

"करेला उसपे नीम चढ़ा"प्रिया ने धीरे से गुनगुना कर कहा।।

"का बोली तुम ,हैं!! ए प्रिया,हमे नीम बोल रही हो।खुद का ,

सकल(शक्ल) देखी हो आईना में, कोनो साईड से लड़की नही लगती हो,हम तो समझा समझा के थक गये,कि कभी पार्लर भी चली जाओ।"

"ठीक ए बोल रही हो बिटिया,ऐसा करो लड़का वाला आने वाला है प्रिया को देखने,, . दुई चार दिन में आ जायेगा,तब तक तुम इसका थोड़ा रंग रोगन करा दो।।"
बुआ जी के इस प्रस्ताव का वीणा ने पूरा पूरा समर्थन किया ,पर प्रिया अड़ गई

"हम वो अदनान सामी के लिये पार्लर नही जायेंगे,,हमको नही पसंद वो मौत का कुआँ मे जाना ।"

"पगला गई हो का,,कौन बोला तुमको ऊ मौत का कुआँ है??हम तो जातें हैं थ्रेडिंग कराने,और फेसियल कराने ।"

"हाँ तो तुम जाओ ना दीदी,हमको नही पसंद वहाँ जाना ।।जब हमारा मन करेगा तभी जायेंगे।।"

"तो इतना खेती काहे बढ़ा डाली हो आँखी के ऊपर , कम से कम थ्रेडिंग ही करा लो।।"

"हम काहे करायें,वो लड़का तो हमारे लिये कुछ नही करा रहा।।"

"हाय राम!! मैं कहाँ जाके मरूं,अरे लड़के कभी थ्रेडिंग कराते हैं क्या?? कैसा पागल समान बात करती हो प्रिया।।""
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"जानती हो दीदी लड़के काहे थ्रेडिंग नही कराते जिससे उनका बात सही साबित हो जाये कि ' मर्द को दर्द नही होता' अरे जब तक औरतों वाले काम करोगे ही नही तब तक दर्द पता कैसे चलेगा।।

"अरे सुन ना हमको पता है तू बहुतै ज्ञानी है,अभी चल हमारे साथ कम से कम क्लीन अप करा ले लड़की . चल बुआजी की बात का लाज रख ले11 Full stopअम्मा तुम आज रात के खाने पे आलू टिक्की बना लो,जिससे हमारी धमल्लो खुस हो जाये,चल अब टिक्की के नाम पे चल पार्लर।।"

जाने क्या सोच प्रिया वीणा के साथ चली गई,लौटते में उसे जिम में रुकना था भैय्या जी को सुबह 7:30 पे ज्यादा कुछ पढा नही पाई थी इसीसे शाम 4 का समय फिर से दिया था,,4बजे निरमा वहीं पहुंचने वाली थी।।
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Re: शादी का मन्त्र

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पार्लर से लौटते हुए प्रिया ने जैसे ही जिम में रुकने की इच्छा जाहिर की,वीणा का मन मयूर नाच उठा,अपने मोहल्ले की परिपाटी को निभाते हुए वो भी किसी ज़माने में भैय्या जी की फैन हुआ करती थी,पर नारी सुलभ शील संकोच ने खिड़की से झांक लगा के रोड पे जॉगिन्ग करते भैय्या जी को देखने से ज्यादा की अनुमती नही दी और फिर सरकारी नौकरी करते यू डी सी का आया चमचमाता रिश्ता उसके घर वालों ने लपक लिया,और कभी भैय्या जी को बड़ी अदा से राजकुमार बुलाने वाली वीणा भी संसार के सुर में सुर मिलाती भैय्या जी बोलने लगी।।
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पर आज प्रिया की इच्छा सुन उसके मन में सोया प्यार जाग उठा,,अरे अपने प्रथम प्यार को एक झलक देख लेना पतिदेव से चीटिँग थोड़े है !! वो तो बस ऐसे हीजैसे लगातार चलते बोरिंग से सीरियल के बीच सलमान खान का तूफानी ठंडा एडवरटाइजमेंट जैसे थाली भर बेस्वाद खिचड़ी के साथ भरवा लाल मिर्च का अचार . हाय !!

"ठीक है चलो फिर प्रिया!! हम भी तुम्हारे साथ जिम चले चलतें हैं ।"

"काहे?? तुम क्या करने जाओगी दीदी??"

"अरे तो तुम का करने जा रही हो,,पतला होने का भूत सवार हो गया क्या??"

भैय्या जी नही चाहते थे कि उनकी ट्यूशन वाली बात जिम से बाहर लीक हो इसिलिए उन्होनें अपनी आदत के अनुसार प्रिया को 'मम्मी की कसम' खिला दी थी,अब उस कसम के बोझ तले दबी प्रिया ने असल कारण नही बताया- "हाँ दीदी हम सोच रहे थोड़ा जिम वीम करें,बहुत हट्टी कट्टी हो गये हैं . नही!!"

"हाँ हो तो गयी हो एकदमी टुनटुन लगने लगी हो।।"

"अब इतना तारीफ भी मत करो दीदी,हम सोनाक्षी सिन्हा जैसे फिगर के हैं ।"
,

"ओह्हो बड़ी आई सोनाक्षी!! तो अब का करीना बनने का विचार है।।"

"अब यही मान लो दीदी,बचपन से हमे जानती हो,जो ठान ली तो फिर कर के रह्ते हैं,है ना!!, अब तुम जाओ,हम एक घंटा में घर आ जायेंगे।"

बड़े बेमन से जिम में झांकती फाँकती वीणा घर की तरफ मुड़ गई,उसे प्रिया पे पूरा पूरा विश्वास था,कि चाहे प्रलय आ जाये राज भैय्या उसकी छुटकी बहन जैसी रूपवती पे कभी दृष्टिपात नही करेंगे, इसी विश्वास पे अडिग प्रिया को वहाँ अकेली छोड़ वो घर चली गई ।।

प्रिया वहाँ पहुंची तो निरमा और प्रेम एक ट्रेड मिल पे बैठे गप्पे मार रहे थे,भैय्या जी ज़मीन पे योगा मैट बिछाए किताबों के जाल मे उलझे बौराये बैठे थे,,दो चार छुटभैये इधर उधर वर्जिश करने की बहुत बुरी एक्टिंग कर रहे थे ।।
हड़बड़ाती हुई प्रिया अन्दर गई और भैय्या जी के पास पहुंच के बैठ गई,और किताबें देखने लगी

"अरे इत्ता सारा किताब काहे ले आये,आपको सिर्फ बारहवीं पास करना है,कोई आई ए एस थोड़े ही बनना है अभी।।"

"हमारे पास जो जो रख्खा था,हम सब उठा लाये,काम की तो सभी है ना।।"

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"नही!! आपके काम की कोई नही . आप मान लिजिये कि आप गधे पैदा हुए हैं,स्कूल मे भी गधे ही रहे और कॉलेज में भी गधे ही रहेंगे।।'

"भैय्या जी आपका लिहाज करके चुप हैं,समझा दीजिये इस लड़की को,कहीं हमारा दिमाग सटक गया तो हमारे हाथ से खून ना हो जाये इसका।"
एक गपोड़ी चिल्लाया

भैय्या जी ने बिल्कुल सरकार वाले अमिताभ की स्टायल मे उसे हाथ दिखा के चुप करने का इशारा किया और प्रिया से बोले-"काहे हमरा इतना बेज्जती करती हो बात बात पे!! क्या मज़ा आता है इसमें ।"

"अरे तुम्हारी बेइज्जती नही कर रहे भई!! बस इत्ती सी बात कह रहे कि इतना सब किताब को मारो गोली,बस एक किताब पकड़ो नाम है ' युगबोध'!! और उसमें भी सब पढ़ने का ज़रूरत नही है,हम पिछले दस साल का पेपर देख के महत्वपूर्ण सवाल टिक कर देंगे,बस उसी उसी को तुमको रट्वा देंगे,,समझे।।"इतना सब किताब पकड़ के रट्टा मारोगे,हाथ में और दिमाग में दर्द हो जायेगा,समझे।

"देखा भैय्या जी ई लड़की फिर आपका बेज्जती कर रही,अरे भैय्या जी मर्द हैं ,उनको किताब पकड़ने से दर्द नही होता।।"

"का नाम है तुम्हारा ??"

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"प्रिन्स!! प्रिन्स नाम है हमारा।"चेले ने सीना ठोक के जवाब दिया,उसे नही पता था कि उसने कैसी चतुर बिलाई से पंगा ले लिया था।।

"तो प्रिन्स तुम मर्द नही हो??"

"अरे काहे नही है,,हम भी हैं ।"

" जल्लाद देखे हो कभी?? कैसा दिखता है।"

"नही असली का नही देखे,,हम पिच्चर वाला जल्लाद देखे हैं ,अरे वही मिथुन चक्रवर्ती वाला जल्लाद।"प्रिन्स के चेहरे पे अभूतपूर्व ज्ञान की छटा फहर रही थी।।

"ब्यूटी पार्लर जानते हो?? वहाँ जो काम करती है ना, असल में वो जल्लाद होतीं हैं,समझे . भयानक खून की प्यासी!!
पीपल पे उल्टी लटकी चुड़ैल भी इन पार्लर वालियों से बहुत डरती हैं ।।"

"आपको कैसे पता प्रिया मैडम जी ।।"भैय्या जी ने अपनी भोली मुस्कान बिखेरते हुए पूछा ।।

"अरे कभी टी वी पे किसी भूतनी को मेक'प किये देखे हैं क्या?? सब बाल बिखराये पगलाये घूमती हैं ।।"

"आप मजाक बहुत करती हैं,हैं ना!!" भैय्या जी हँसते हुए बोले
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"नही मजाक नही कर रहे,,आज ही दोपहर को हमारी दीदी और हमारी बात हो रही थी,मर्द और औरत की बराबरी के बारे मे . हम बोले मर्द कभी औरत का बराबरी कर ही नही सकते,जितना दर्द औरत झेल सकती है ,मर्द झेल पायेंगे भला??"

"ए प्रिया तुम बहुत जादा बोलती हो,कहाँ हम मर्द और कहाँ तुम औरतें ।।।प्रिन्स, की बात सुन प्रिया ने अपनी बीन बजानी चालू रखी

" तो प्रिन्स बाबू इतने बड़े मर्द हो तो आ जाओ अखाड़े में ब्यूटी पार्लर के ,और फिर हम देखेंगे तुम्हरी मर्दानगी . एक कुर्सी मे बैठा दो एक लड़की को और दूसरे में तुम्हें या किसी भी मर्द को ,हम लिख के दे रहे हैं बाबु , जब यमराज जैसी शकल की दो ब्युटिशियन हाथ में धागा पकड़ी भौंहो को नोचने आयेंगी ना तब तुम ससुरे मर्द ज्यादा जोर से चिल्लाओगे ।।
अरे थ्रेडिंग तो सबसे सिम्पल दर्द है।।।जब दो खतरनाक खूनी खेल खेलने वाली नागिन आयेंगी तुम्हारे सामने और उनमें से एक तुम्हारा खरीफ की फसल से लहलहाता खेत वाला हाथ पकड़ के उबलता हुआ वैक्स पलट देंगी और उसके बाद अपनी आंखों से आग उगलते हुए एक बोरी का टुकड़ा तुम्हारे हाथ पे बिछा के उसको जमा के जोर से सटाक . खींचेंगी ना तब कसम से कह रहे तुम्हें तुम्हरी अम्मा के साथ साथ नानी भी याद नही आ गई ना तो हमारा नाम बदल देना,,एक बार सह के देखो वो दर्द बबुआ और फिर ,

बोलो मर्द को दर्द होता है कि नही . ऐसे बिलबिला के भागोगे ना कि सीधा मंगल यान से उड़ान भरोगे फिर चाहे कोई कितना भी आवाज़ दे ले रुकने वाले नही तुम मर्द .
बड़े आये मर्द . खुद को कुच्छो नई कराना और हम सलगे ज़माने का दर्द झेले इनके लिये।।

"और सुनो ये फेशियल से चेहरा चमकाने का दावा करने वाली नागिने सबसे पहले चेहरा साफ कर चेहरे पे ब्लीच पोत देती हैं,वो कभी चेहरे पे पुतवा के देखो,रोंम रोम से ऐसे अंगारे फूटेंगे की जीते जी नरक की दावग्नी का स्वाद चख लोगे बबुआ।।
ये सब करा लो उसके बाद हमसे कहना कि मर्द को दर्द नही होता।।"

"अरे प्रिया !! हुआ क्या?? इत्ता काहे भरी बैठी हो।।"निरमा के पूछते ही प्रिया का ध्यान गया कि वो पढ़ना पढाना छोड़ कर बस इधर उधर की बतकही में लगी है।।

"अरे कुछ नही निरमा आज हमें दीदी जबर्दस्ती पकड़ के पार्लर ले गई थी,और बस ये ही कोई काम बिना मर्ज़ी के करना हमे पसंद नही।।"

"अरे कोई बात नही मैडम जी !! पर एक बात है,,आज आप अच्छी भी लग रही हैं ,कुछ कुछ सोनक्षी सिन्हा जैसी ।।" राज भैय्या के ऐसा बोलते ही प्रिया मुस्कुरा पड़ी -" पर राज हमें सोनाक्षी नही पसंद,हमें तो श्रीदेवी पसंद है,भले ही हमारी मम्मी के जमाने की हेरोइन है पर पसंद वही है।।"
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Re: शादी का मन्त्र

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राज भैय्या का मुहँ खुला रह गया क्योंकि दिल ही दिल में उनके भी ख्वाबों की शहजादी श्रीदेवी ही थी।।उनके आसमान के बादल श्रीदेवी के दम पे थे और उस आसमान की बिजलियां थी श्रीदेवी की अंगड़ाई ।।

"तो क्या हुआ आप बन सकती हैं श्रीदेवी !! अगर आप चाहें।"

"वो तो ठीक है पर तुम हमें ये आप आप क्यों कहते हो,तुम हमें प्रिया ही कहा करो,जैसे हम तुम्हें राज कहते हैं ।।"

"ठीक है,,अच्छी बात है,तो अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहें प्रिया,तुम जिम शुरु कर दो।।तुम हमें पढ़ा दिया करो,और हम तुम्हें कसरत करवायेंगे, बस छै महीने मे तुम पूरी श्रीदेवी बन जाओगी।।"

"हाय !! सच्ची"

"और का! चाहे तो हम मम्मी की कसम खा लेते हैं ।"

"अरे नई नई कसम ना खाओ,,चलो तो फिर कल सुबह से हम आते हैं ,सुबह व्यायाम और शाम को पढ़ाई,ठीक है??"

"ठीक है।"राज भैय्या ने मुहर लगा दी।।

प्रिया ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और राज भैय्या ने अपनी ,
मैनिक्यूर्ड (मैनिक्यूर की हुई जैसी दिखती)
उंगलियों से उसका हाथ थाम लिया।।

एक तरफ जहां राज भैय्या प्रिया की बुद्धिप्रद कुशाग्र बातों में आकन्ठ डूबते जा रहे थे ,वही प्रिया को भी भैय्या जी की भोली हरकतों मे कम से कम बात करने लायक मित्र की झलक मिलने लगी थी।।

प्रिया ने जाते जाते पलट के प्रिन्स को बुलाया, प्रिन्स जो अभी तक ब्यूटी पार्लर के स्केरी हाऊस के डर के साये मे कांप रहा था,चुप चाप आकर उसके सामने खड़ा हो गया।।

"ए सुनो!! इतना ना डरो ,तुम्हे इस जनम पार्लर नही जाना पड़ेगा।।और एक बात कहें??"

"जी प्रिया जी !! कहिये।।"

"ये जो शर्ट के दो बटन खोल के सिंघम बने घूमते हो ना कुछ नही होने वाला बबुआ,एक तो दिखते हो जैसे टी बी का मरीज एकदम सुख्खड़,,और उसपे बटन खोले और अपनी सच्चाई दिखा देते हो .
बन्द करो वर्ना लड़कियाँ तुम्हरे फेफड़े की हड्डियां गिन डालेंगी,और फिर शर्त लगाएंगी ,एक बोलेगी 12थी रे तो दुजी कहेगी
नही मैनें तो 14 गिनी।।

हँसते हँसते प्रिया और निरमा घर निकल गये।।

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Re: शादी का मन्त्र

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भाग 3





"अम्मा जी खीर बना के रख दिये हैं,और कद्दू भी छौंक दियें हैं,ये देख लिजिये पूड़ी का आटा,इत्ता हो जायेगा कि और ले लें ।।"

रूपा यानी युवराज शर्मा की दुल्हनीया और राज भैय्या की भाभी आज बड़ी प्रसन्न हैं,हो भी क्यों ना !! आज उनके पिता और भाई शाम के भोजन पर उन सब से मिलने आ रहे हैं ।।
गिरिधर शास्त्री यानी रुपा के पिता कभी कोई काम निराधार नही करते ,,उनके हर कार्य के पीछे लम्बी चौडी योजना होती है।।
गिरिधर शास्त्री का भी शहर में अच्छा खासा नाम है,उस ज़माने के वकालत पढ़े हैं,भले ही प्रैक्टिस ना करें पर मोहल्ले भर के फ़्री के पटवारी हैं,किस की ज़मीन कहाँ अटकी भटकी पड़ी है,उसे कैसे पार लगाना है आदि आदि के आँकड़े उनके जिव्हाग्र पे हमेशा अंकित रहते हैं ।।
किसी के मिट्टी के मोल बिकती जमीन पे उन्होनें करोडों का नफ़ा करवाया है तो किसी के सदियों से फंसे वकालती विरासत के मामले को चुटकियों मे यूँ सुलझा के रख
दिया,जैसे कोई मसला था ही नही।।

पहले पहले तो कुछ लोगों ने उनपे तंज कसने ही उन्हें वकील बाबु कहना शुरु किया पर धीरे धीरे बच्चे बूढ़े सभी के लिये वो वकील बाबु बन गये,यहाँ तक की उनकी अपनी खुद की सगी बीवी भी उन्हें वकील बाबु ही बुलाती है।।
और जब जब वो अपने पल्लू के ओट से उन्हें मीठी सी झिड़की के साथ 'ओकील बाबू' बुलाती ,वकील बाबू खुद को कहीं का मजिस्ट्रेट समझने लगते ,और इसी समझने समझाने में तीन तीन लड़कों के साथ दो दो बिटिया भी घर के आंगन को निहाल करने लगीं ।।
दो बड़े भाईयों के बाद रुपा फिर रेखा और फिर एक छोटा भाई नाहर।।

राधेश्याम शर्मा के बड़े पुत्र युवराज को एक बार उन्होनें पटवारी कार्यालय में अपने पैट्रोल पम्प के कागजों के लिये माथा पच्ची करते देखा था,और वो गोरा चिट्टा उंचा नौजवान उन्हें अपनी बड़ी के लिये भा गया था,बस उन्होनें पूरे परिवार की जन्मकुण्डली बांची और चट मंगनी पट ब्याह निबटा दिया।।
इधर कुछ दिनों से वो रेखा के ब्याह के लिये घर वर ढूँढ रहे थे।।ऐसे ही कभी मायके आई रुपा ने अपनी माँ के कान मे रेखा और राज भैय्या के रिश्ते की बात डाली थी .
जब पति को रात दिन एक ही उलझन मे परेशान देखा तो एक रात श्रीमती जी ने खाने की थाली में आलू मेथी के साथ अपना आइडिया भी परोस दिया-
"ए जी सुनो!! हम का कह रहे,ई बिटिया का देवर है ,
ना ,राज!! हमरी रेखा के लिये उसका रिस्ता काहे नई देखते,घर का घर में ही रिस्ता हो जायेगा, वैसने पहली बार में इत्ता सारा दे चुके हैं अब दुसरी में थोड़ा राहत हो जायेगा।।""

गिरिधर शास्त्री बाहरी बातों में औरतों का हस्तक्षेप अच्छा नही मानते थे,पर इस बात में उन्हें थोड़ा दम लगा।।

"राहत हो जायेगा से मतलब का है तुम्हरा।"

"अरे रूपा के टाईम जो सोफा आलमारी फिज टीवी दिये रहे ,ऊ अब रेखा के टाईम देने की का ज़रूरत।
एकै घर मा दू दू ठो सोफा दू दू फ्रिज का करेंगे समधि ।"

"अच्छा ऐसा बोल रही हो,हां पर गहना उहना तो देबै पड़ी ।"

"तो हम कब मना किये,गहना तो हम बनबा रख्खे हैं,पर तुम एक बार बात तो करो समधि जी से।"

"ठीक बोल रही हो गुड्डू की अम्मा ,हम कलै फ़ोन करते हैं शर्मा जी को,,उनका छुटका देखा भाला है,अच्छा लड़का है।।"

अगले दिन शास्त्री जी के फ़ोन से शर्मा जी की बांछे खिल गई,उन्हें मन मांगी मुराद मिल गई,इत्ते बड़े आदमी की दोनो बेटियाँ उनके घर आ जायेंगी तो समझो उनकी वसीयत का 2 बटा 5भाग उनका हुआ,हालांकी वो जानते थे,शास्त्री पुरानी रीति का आदमी है ,वो लडकियों को जितना देना है ,
शादी मे दे दुआ के खतम करने वालों मे से है,और लडकियों का वसीयत पे कोई अधिकार हो सकता है ये वो कभी नही मान सकता,पर अपनी लड़ाकू फूलन देवी सरीखी बहु रूपा पे उन्हें पूरा विश्वास था,80 एकड़ खेती का ज़मीन नही भी दिये तो 40 एकड़ का आम का बगैचा तो बिटिया लोगों के नाम कर ही देगा गिरिधर शास्त्री!!
उन्होनें युवराज के ब्याह मे रेखा को देखा था, लड़की ऐसी बुरी भी नही थी,कॉलेज तक की पढ़ाई कर चुकी थी,और अभी कोई फैसन वाला कोई कोर्स कर रही थी,उन्होनें इस बारे में अपनी श्रीमती जी से बात की-
"अरे का कह रहे आप,ऊ सिडबिल्ली को हम अपनी बहु ना बनाएँगे, रुपा तो चलो कम से कम काम भी कर लेती है,ज़बान चलाने के साथ,पर ऊ लड़की का तो लक्षनै ठीक नई लगता,जब देखो अन्ग्रेजी मा गिटर पिटर करती रहती है।।"

"अरे तुम कहाँ से कहाँ पहुंच जाती हो,देखो हमरा राज भी तो पढ़ लिख नही पा रहा,उसके लिये कहाँ से कलक्टरनी लायोगी खोज के, औ ई सोचो दुनो बहन एक ही घर मे रहेंगी तो झगड़ा फसाद भी नई होगा,बांट बखरा का झमेला से मुक्ति,भई हमरा तो दुई ठो लड़का है,दुनो एक संग निभा लेंगे।।"

"अरे तो लडकियों का अकाल पड़ गया है का,,जो इक्के घर की दुनो को बहू बनाना चाह रहे।"

"अब तुमसे बहस नही करना चाहते कल शास्त्री आ रहा ,
अपने लड़का के साथ,इहै बातचीत करने,अच्छा से खान पान की तैय्यारी कर लेना, हम जा रहे ठीका में देखने,बहुत दिन से उधर गये नही।

राधेश्याम ज्यादा औरतों के पर्पंच में पड़ने वाले आदमी नही थे,सीधे और शान्त स्वभाव के थे,अपनी बात रखने के बाद एक बार ज़रूर पत्नि का पक्ष सुनते पर जब उसे अपने पक्ष मे नही पाते तो बिना मतलब की बहस करने की जगह एक बार मे अपना निर्णय सुना कर निकल लेते थे,,कम उम्र से उठाई जिम्मेदारियों के कारण पैसों के थोड़े लालची थे,कहीं से मुफ्त में आ रही लक्ष्मी से उन्हें कोई वैराग्य नही था,हालांकी उनकी दिली ख्वाहिश हमेशा ही थी कि उनके दोनो लड़कों की शादी पढ़ी लिखी लड़कियों से हो,पर जब युव के लिये रूपा का रिश्ता आया तो बारहवीं पास रूपा में उन्हें सुलक्षणी बहु का रूप दिखा या सरस्वती मैय्या पे लक्ष्मी मैय्या भारी पड़ गई,पर जो भी हो उन्होनें सहर्ष उस रिश्ते को स्वीकार लिया था,अबकी बार रेखा थी सामने,जो कि अपने पूरे घर परिवार में अकेली थी जिसने अन्ग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करी थी,तो उस अंग्रेज़ी माध्यम का मोह भी शर्मा जी संवरण नही कर पा रहे थे।।

रेखा शास्त्री!! रूपा की छोटी बहन ,अपने पूरे कुनबे में सबसे ज्यादा लिखी पढ़ी मानी जाती थी,एक तो इनकी शिक्षा 'कार्मल कॉन्वेन्ट ' से हुई थी, इन्होनें स्कूल में अपने बाकी भाई बहनों के जैसे सरस्वती वन्दना की जगह प्लेज किया था,,जहां इनके भाई बहन बचपन में किसी भी मेहमान के आने पर समवेत स्वर में "हम होंगे कामयाब एक दिन "गाया ,
करते थे,वही घर की छुटकी बिटिया रेखा उसकी जगह अकेले पूरे गर्व से "we shall overcome ,one day.." गाया करती थी।।
बचपन से इस भेद भाव का असर हुआ कि रेखा के मन में ये पैठ गया कि वो कुछ विशेष है,क्योंकि वो इंग्लिश मीडियम से पढ़ी है,,उसके इंग्लिश मीडियम में पढ़ने का श्रेय जाता था उसकी मासी को,शादी के चार सालों में भी जब हीरा व्यापारी तिलोकचंद त्रिपाठी के घर बाल ग्वाल नही विराजे तो उनकी धर्मपत्नी सुलोचना ने अपनी बड़ी बहन की छोटी लड़की रेखा को गोद लेने की सोची।।
इस सोच-सोच में ही उन्होनें उसे ढेरों कपड़े दिलवाये,विदेशी गुड़िया दिलवाई,चॉकलेट खिलवाई और शहर के सबसे बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल में उसे भर्ती कराया . पर विधाता के खेल . जिस दिन से गोद लेने का कानूनी तीन पांच शुरु होना था उसी दिन सुबह नाश्ते की टेबल पर नाश्ता देख कर ही सुलोचना का जी मचल गया,डॉक्टर ने आते ही हाथ की नब्ज थाम कर हीरा व्यापारी को बधाई दे डाली,,आनन फानन घर में उत्सव का माहौल बन गया,और इस सब में उलझे त्रिपाठी दंपति गोद लेंने लिवाने की रस्म भूल गये .
सब छूट गया,सभी का जीवन खुद मे व्यस्त हो गया पर रेखा का स्कूल नही छूटा,,बीच बीच में जब भी हीरों से लदी फदी मासी अपने बाल गोपाल को कमर पे टिकाई बड़ी बहन से मिलने आती अपनी प्यारी रेखा की इंग्लिश मीडियम बातें सुन खुशी से चौडी हो जाती,और इन्ही सब बातों का धीमा धीमा ज़हर रेखा के खून मे घुलता चला गया।।
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Kamini
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Re: शादी का मन्त्र

Post by Kamini »

दिखने में ठीक ठाक परन्तु कपडों जूतों से बेहद स्टाईलिश रेखा ने जब अपनी दीदी की शादी में अपने दीदी के लुभावने देवर को देखा तो पहली ही नज़र में अपना दिल हार गई,उसे पूरी शादी में अपने खुद के अन्दर माधुरी और राज भैय्या के अन्दर सलमान खान दिखता रहा।।
उसने बड़ी नज़ाकत से जूते भी चुराये और जूतों के बदले पैसों की गुहार भी लगाई,पर उधर सलमान खान नही था,जो ' जूते दो पैसे लो 'की गुजारिश करता,उधर तो राज भैय्या थे,उन्होनें साफ साफ पूछ लिया"कितने चाहिये??"
अब इधर रेखा के पहले ही किसी एक नाज़नीँ ने लपक के -"पूरा पांच हज़ार एक रुपैय्या चाहिये भैय्या जी" बोल दिया।।

भैय्या जी हो हो कर हँस दिये-" बस इत्ता ही चाहिये,अरे हमरे बड़के भैय्या का जूता ही ग्यारह हज़ार का है,ई लो रख लो,और ला दो हमरे भैय्या का जूता।।"

अब बेचारी रेखा जब तक बाकी सखियों को जूते और पैसों के लिये लड़ने का मह्त्व सिखाती बताती तब तक में लाली दौड़ कर जूते का डिब्बा उठा लायी,भैय्या जी नये करारे नोट गिन के लाली के हाथ में रख दिये और जूते का डिब्बा उठाये बिना अपनी माधुरी दीक्षित को देखे ही चल दिये।।

बेचारी रेखा मन मसोस के रह गई ।।

दुसरी बार आस जगी जब उसकी बड़ी बहन रूपा ने उसे कुछ दिन अपने पास रहने को बुलाया,किसी दूर की रिश्तेदारी में ,
होने वाली शादी में पूरा शर्मा परिवार जाने वाला था,बस राज भैय्या और रूपा ही नही जाने वाले थे।।
बिल्कुल माधुरी जैसी कातिल रेड ड्रेस पहन के रेखा अपने सलमान के इंतज़ार मे पलक पांवडे बिछाए बैठी थी कि अब राज आयेगा और उसकी खुली जिप्सी में जाते समय वो भी मन भर के गायेगी-" फूलों कलियों की बहारें,चंचल ये हवाओं की पुकारें . ये मौसम का जादू है मितवा "

पर एक बार फिर भगवान ने उसकी इच्छाओं पे घडों पानी फेर दिया।।राज भैय्या तो आये,जिप्सी में ही आये ,पर भाभी को साथ लिये आये, वहाँ घर में कोई बड़ा ना होने के कारण रुपा को कुछ दो चार दिन के लिये मायके भेज दिया गया।।

मायके के नाम पे खिली रूपा दौड़ी चली आई,दोपहर का भोजन खा कर सलमान खान अपने घर मोहल्ले को निकल गया और माधुरी अकेली विरह अग्नि में जलती रही,और बैकग्राउंड में गाना बजता रहा- "सोचेंगे तुम्हें प्यार करें कि नही।"

रुपा कुछ चार दिन रह कर,अपनी सास को मन भर गालियाँ देकर चली गई,पर जाते जाते अपनी माँ के कान में अपनी छुटकी बहना और राज की शादी का मन्त्र भी फूंक गई।।
ना ना ऐसा बिल्कुल भी नही था कि रुपा की सास दुष्ट थी,जालिम थी,बहुओं पर अत्याचार करने वाली शशिकला और बिंदू टाईप की सास थी,अरे ऐसा होता तो ऐसे नर्क में रूपा अपनी बहन को झोंकने क्यों तैय्यार हो जाती3 Question mark
पर मायके आ कर अपनी माँ बहन के सामने दुखड़ा रोना ,
भी एक कला है,इसका अपना अलग एक मज़ा है,और पकौड़ी की प्लेट के साथ वो मज़ा दुगुना हो जाता है।।

माँ और दीदी को बात करते सुन रेखा खुशी से बावली हो गई,,उसकी मन मांगी मुराद ऐसे टप से उसकी गोद में आ गिरेगी ,इसका उसे भान भी नही था।।
कहाँ वो "हम आपके हैं कौन "के सपने देख रही थी और कहाँ उसे "हम साथ साथ हैं "मिल गई ।।

इन चार दिनों में रेखा ने अपनी बड़ी बहन की खूब सेवा की,बिल्कुल सगी जेठानी मान के।।
उसकी बिदाई के एक दिन पहले उसे अपने साथ शॉपिंग पर ले गई,उसकी साड़ी से मैचींग नेल पॉलिश दिलाई,क्लचर दिलाया,एक छोटा पर्स दिलाया और ब्लू लेडी का पर्फ्यूम भी दिलाया,बड़ी बहन निहाल हो गई,जाते जाते रेखा के गले लग खूब रोयी(रोने का नेग भी ज़रूरी होता है)और चुपके से बोली"अब अगली बार तुम्हें अपने देवर के लिये बिदा करा ले जायेंगे।।"

दीदी के रवाना होते ही रेखा अपने कमरे में जाकर राज की यादों में खोने जा ही रही थी कि फ़ोन पे मैसेज आ गया__
"कैसी हो जान?? दीदी गई? अब तो हमारे लिये समय निकाल लो।"

उफ्फ ये वॉट्सएप्प भी ना,जब ज़रूरत ना हो तभी घि घि बजने लगेगा,रेखा मेसेज चेक कर चुकी थी, अब जवाब ना देना मतलब आधे घन्टे का सर फुटौव्वल,इसिलिए बेचारी ने ,
जवाब दिया-

"मैं ठीक हूं बेबी,अभी मम्मी काम से बुला रही, बाद में बात करती हूं ।"

असल में दीदी की शादी और बाद में भी राज ने कभी रेखा में कोई विशेष दिलचस्पी नही दिखाई थी।उसी समय फैशन डिज़ाइनिंग का शार्ट टर्म कोर्स करने रेखा दिल्ली गई,जहां उसकी मुलाकात रोहित से हो गई,वो भी वहाँ किसी शार्ट टर्म कोर्स के लिये आया था,दोनो अपने अपने शहर से निकल कर इतने बड़े अंजान शहर में अकेले थे सो दोस्ती हो गई पर नही वो दोस्ती वहाँ प्यार में नही बदली,वहाँ दोनो सिर्फ दोस्त ही थे,साथ साथ टपरी में चाय पीना, सैंडविच खाना,और अपनी अपनी क्लास के बारे में चर्चा करना,बस इतना ही!! यहाँ तक की दोनों ने अपने घर परिवार और शहर की भी बात नही की।।
इस पन्द्रह दिन की दोस्ती के बाद दोनो मोबाईल नम्बर एक्सचेंज कर अपने अपने शहर चले गये।।

शुरुवात हुई रोज सुबह की good morning और रात की good night से . फिर धीरे धीरे क्या कर रहे हो??
खाना खाया? क्या खाया?क्या पहना ? वगैरह वगैरह से होते हुए दिन भर की लम्बी चैट में बदल गई ,और आखिर एक दिन दोनो को समझ आ गया कि दोनो प्यार में हैं . प्यार का इजहार हुआ और दोनो की दुनिया बदल गई ।।
अब तो दोनो को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण काम मिल गया "चैटींग "और बाकी सारे काम इस काम के सामने निरे ,
नीरस और बेवजह हो गये।।
रोहित कुछ ज्यादा ही सीरियस होने लगा इसलिए धीरे से अपने परिवार के बारे में बताना शुरु किया . पापा अधिकारी है,बड़ा भाई भी अधिकारी ,दीदी टीचर ,रेखा ने पूछा और तुम??
"मैं तुम्हारा आशिक" इस खुशनुमा रंगीन चैटींग में पहला रोड़ा बनके आयी जात पात की दीवार
बातों बातों में जब रोहित ने बताया कि उसका नाम है रोहित सूर्यवंशी हाय राम !! सूर्यवंशी !!
रेखा का कलेजा मुहँ को आ गया,अब क्या करूं?? पापा तो नही मानेंगे!! दिखने में इतना साफ सुन्दर चिट्टा लड़का ,उसने तो देख कर by defalut सोच लिया था कि कोई दुबे चौबे तिवारी त्रिपाठी उपाध्याय ही होगा बंदा,पर अब क्या करे .
इतनी गहरी उलझन में डूबी लैला को और डुबाने उसकी बड़ी बहन धमक पड़ी और ये आ गया प्रेम कहानी में दूसरा रोड़ा ।।
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