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Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

* पात्र ( किरदार) परिचय

01. वसीम- शहनाज का पति, उम्र 25 साल, मैनेजर, तीन महीने पहले शादी,

02. शहनाज- वसीम की पत्नी, उम्र 23 साल, फिगर 32-26-34 का, कमसिन काया

03. शाजिया- शहनाज की बहन, उम्र 20 साल, कद 55", फिगर 32-24-32 की, कुँवारी, बेहद हसीन,

04. राज- उम्र 50 साल, मकान मालिक,

05. जय- उम्र 50 साल, कद 55" इंच, वसीम के बैंक में चपरासी, बहुत ही बदसूरत,

06. आरके - राज और जय से उम्र में बड़ा,

07. दीप्ति- शहनाज की सहपाठी दोस्त, उम्र 23 साल, बहुत खूबसूरत,

08. ज़ुबैदा- वसीम की माँ, बहुत खूबसूरत,

09. नीलोफर- वसीम की बहन, उम्र 23 साल, फीगर 36-26-36 की, हँसमुख, खुले विचार, गदराया बदन,

10. अमन- रिक्शावाला,

11. कुणाल- मुहल्ले का गुन्डा, हट्टा-कट्टा,
चक्रव्यूह ....शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें....उसकी गली में जाना छोड़ दिया

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Re: शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

Post by 007 »

नमस्कार दोस्तों, मैं एक बार फिर से आपका स्वागत करता हूँ और पेश करता हूँ एक और कहानी ,इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं और उनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है और अगर ऐसा कुछ होता है तो यह मात्र एक संयोग हो सकता है। इस कहानी का उद्देश्य सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना है और किसी भी धर्म, जाती, भाषा, समुदाय का अपमान करना नहीं। इस कहानी के कुछ दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं, पाठकगण कृपया अपने विवेक से निर्णय लें। यह कहानी मात्र वयस्कों के लिए लिखी गई है, इसलिए 18 वर्ष से अधिक की उम्र होने पर ही आप इस कहानी को पढ़ें।

* शहनाज ने अपनी पैंटी और ब्रा से राज का वीर्य सूँघा और चाटा

ये कहानी है शहनाज की। शहनाज के समर्पण की। मात्र 23 साल की शहनाज अपनी कमसिन काया से किसी भी मर्द के जिश्म में उबाल ला सकती थी। अमीर और बड़े घर में पली बढ़ी शहनाज की नई-नई शादी हुई थी। अभी वो मात्र 23 साल की थी और अपने जवान जिश्म और मन में ढेरों अरमान लिए वो अपने पति के घर आई थी।

उसका पति वसीम भी एक बैंक में काम करता था। शहनाज बेहद खूबसूरत और मासूम चेहरे वाली लड़की थी जिसका कमसिन जिश्म कातिल अंदाज का था। 32-26-34 के फिगर के साथ वो किसी को भी मदमस्त कर सकती थीं। शहनाज एक बेहद ही शरीफ लड़की थी और यकीन मानिए की उसका कभी किसी के साथ कोई चक्कर नहीं रहा। बचपन से वो लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित होता देखती आई है और इसे बहुत ही सलीके से वो इग्नोर करती आई है।

शहनाज ऐसे साफ महाल में पली बढ़ी, जहाँ लोगों की मदद करना, शिष्टाचार से रहना सीखी थी। शहनाज की शादी के अभी तीन महीने ही हुए थे की उसके पति का ट्रांसफरर एक दूसरे शहर में हो गया। शहनाज अपने जिंदगी से पूरी तरह खुश थी और उसे अपने जीवन से कोई समस्या नहीं थी। ये तीन महीने बड़े ही मजे से गुजरे थे शहनाज के पति के साथ एक शानदार हनीमून मनाकर लौटी थी शहनाज । एक लड़की को जो जो चाहिए था सब मिला था उसे। वसीम हैंडसम था और बहुत केयरिंग था। वो भी शहनाज जैसी हसीन बीवी पाकर बहुत खुश था और दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे।

वसीम नये शहर में जाय्न तो कर चुका था, लेकिन सही घर ना मिल पाने की वजह से वो शहनाज को अपने साथ नहीं ला पाया था। दोनों के दिन और रात बड़ी बैचैनी से कट रहे थे। किसी तरह वसीम ने एक सप्ताह गुजारा और एक घर किराये पे ले लिया। हड़बड़ी में वसीम को कोई घर मिल नहीं रहा था तो उसके बैंक के चपरासी जय ने उसे एक घर बताया जिसे वसीम ने आनन-फानन में देखकर पसंद भी कर लिया और अड्वान्स देकर किराये पे ले लिया।

वसीम ने जो घर किराये में लिया था वो एक हिंदू का घर था। एक 50 साल का हिंदू मर्द राज जो अकेला रहता था। उसका घर बहुत बड़ा सा था और उसने राज को अपने घर का पूरा ग्राउंड फ्लोर किराये पे दे दिया था। ऊपर आधे छत पे दो बेडरूम हाल किचेन था जिसमें राज खुद अकेला रहता था। बाकी आधी छत खाली थी। सीढ़ी से चढ़ते ही लेफ्ट साइड में एक छोटा सा रूम था जिसमें बस कचरा भरा हुआ था। उसके बाद खाली जगह थी जहाँ कपड़े सुखाने की जगह थी और उसके बाद राज का रूम था ।

पूरे छत पे 4 फुट की बाउंड्री की हुई थी। नीचे का पूरा ग्राउंड फ्लोर वसीम और शहनाज को मिल गया था। 4 बेडरुम, बड़ा सा डाइनिंग हाल, किचेन सब मिल गया था वसीम को और वो भी बहुत कम किराये में।

शहनाज भी वसीम के साथ नये शहर और नये घर में शिफ्ट हो गई। शहनाज बहुत खुश थी। उसके सास, ससुर, ननद नीलोफर और मम्मी, पापा और बहन शाजिया भी यहाँ आकर कुछ दिन रहकर गये। सबको घर बहुत अच्छा लगा लेकिन सबको एक ही प्राब्लम थी की ये हिंदू का घर है, लेकिन वसीम ने सबको समझा लिया था।

शहनाज बेहद हसीन थी और अमीर और खुले विचारों के घर के होने की वजह से उसके कपड़े भी माडर्न टाइप के होते थे। हालाँकी वो ट्रेडीशनल और एथनिक इंडियन कपड़े ही पहनती थी। लेकिन फिर भी उनमें थोड़ा खुलापन होता था। उसके लिए तो ये सब नार्मल बात थी, लेकिन लोगों को तो वो अप्सरा, परी, हूर नजर आती थी। नई- नई शादी होने की वजह से उसका जिश्म और खिल गया था और फुल मेकप और ज्वेलरी वैसे ही आग लगा देता था।

दो-तीन महीने होते-होते शहनाज की खूबसूरती की चर्चा पूरे मुहल्ले में होने लगी। शहनाज जब भी घर से बाहर निकलती तो वो भीड़ में भी चमक जाती थी। लेकिन शहनाज इन सब बातों से बेखबर रहती थी और मजे से अपनी जिंदगी जी रही थी।

वसीम भी ऐसी खूबसूरत बीवी पाकर बहुत खुश था। हालाँकी वसीम ने उससे कहा था की जब तुम मार्केट जाती हो तो सब तुम्हें ही घूरते रहते हैं तो शहनाज का जवाब था की ये तो बचपन से हो रहा है मेरे साथ। इसमें मैं क्या कर सकती हूँ? वसीम का मन हुआ की उसे बोले की ऐसे कपड़े यहाँ मत पहनो, लेकिन कहीं उसपे मीन माइंडेड होने का ठप्पा ना लग जाए इस डर से वो कुछ बोल नहीं पाया।

राज यहाँ अकेला रहता था। उसके घर में कोई नहीं था। उसकी बीवी और बच्चे की एक आक्सिडेंट में मौत हो चुकी थी। उसकी एक जूते की दुकान थी और वो सुबह 9:00 बजे अपनी दुकान पे चला जाता था और दोपहर में एक बजे आता था। दो घंटे तक वो आराम करता और फिर 3:00 बजे चला जाता था। फिर वो रात में 8:00 बजे आता था। उसका रोज का यही नियम था ।

वसीम भी सुबह 9:00 बजे बैंक चला जाता था और फिर सीधे शाम में 6:00 बजे घर आता था। दोनों की जिंदगी बड़े प्यार और मजे से काट रही थी। दोनों फिर से एक सप्ताह के लिए बाहर से घूम आए थे। वसीम और शहनाज दोनों में से कोई भी अभी बच्चा नहीं चाहता था, इसलिए शहनाज 6 महीने से प्रेगनेंसी रोकने वाली गोली खाती थी। दोनों की मर्जी अभी खूब मस्ती करने की थी। शहनाज को यहाँ आए तीन महीने हो चुके थे और उन लोगों के जीवन का सफर मजे से काट रहा था।

शहनाज अपने कपड़े को छत पे सूखने देती थी। राज जिस माले पे रहता था उसके सामने आधा छत खाली थी और कपड़े सूखने के लिए वही जगह थी। आज जब शहनाज अपने कपड़े लेकर अपने रूम में आई और उसे समेटने लगी तो उसे अपनी पैंटी कुछ हार्ड सी लगी। उसे कुछ खास समझ में नहीं आया। शहनाज ने इग्नोर कर दिया। उसे लगा की शायद ठीक से साफ नहीं हुआ होगा ।

अगले दिन भी यही हुआ की उसकी पैंटी चूत के पास वाले हिस्से में काफी हार्ड जैसी हो गई थी। जब उसने गौर से अपनी पैंटी को देखा तो उसे लगा की कोई लिक्विड जैसी चीज पैंटी में गिरी है जो सूखकर इतना टाइट हो गई है। इधर वो वसीम के साथ सेक्स भी नहीं की थी तो फिर ये क्या है? उसे कुछ समझ में नहीं आया । शहनाज की पैंटी ब्रा भी मँहगी और डिजाइनर थी। अगले दिन नहाने के बाद वो पैंटी को अच्छे से साफ करके सूखने दी। अगले दिन उसकी पैंटी तो ठीक थी लेकिन उसकी ब्रा टाइट जैसी थी। शहनाज को समझ में नहीं आ रहा था की हो क्या रहा है?
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Re: शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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आज शहनाज जो डिजाइनर पैंटी ब्रा पहनी थी वो बिल्कुल नई और फुल्ली ट्रांसपेरेंट थी। अगले दिन जब शहनाज छत से कपड़े उतारने गई तो उसकी गुलाबी ट्रांसपेरेंट पैंटी चूत के एरिया में पूरी तरह से टाइट थी। शहनाज जब गौर से देखी तो उसे किसी लिक्विड का दाग उसमें नजर आया। नई पैंटी जिसे वो अच्छे से धोई थी, दाग होने का सवाल ही नहीं था।

शहनाज उसे अच्छे से छूकर देखने लगी और फिर अपनी नाक के पास ले गई। एक अजीब सी गंध थी जो शहनाज को बहुत अच्छी लगी। शहनाज फिर से उसे सूँघने लगी, और पूरी तरह से उस गंध को अपने सीने में भरने लगी। दो-चार बार सूँघने पर भी उसका मन नहीं भरा तो वो फिर अपनी पैंटी को चाटकर भी देखी। उसे बहुत अच्छा लगा लेकिन वो कुछ समझ नहीं पाई। शहनाज के दिमाग में बस वही खुश्बू और वही टेस्ट बसी थी ।


अगले दिन शहनाज थोड़ा जल्दी कपड़े को छत से ले आई और नीचे लाते ही वो अपनी पैंटी देखने लगी देखी तो पैंटी कुछ-कुछ गीली ही थी। आज भी उसपे लिक्विड गिरा हुआ था जो अभी पूरी तरह सूखा नहीं था। शहनाज अपनी पैंटी को सूँघने लगी और आज उसे कल से भी ज्यादा अच्छा लगा। सूँघते सूँघते ही उसपे अजीब सा नशा जैसा छाने लगा और वो अपनी पैंटी पे लगे लिक्विड को चाटने लगी।

शहनाज को बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन ये नहीं समझ में आया की ये आखिर है क्या? ना तो वो कभी अपने पति का लण्ड चूसी थी, और न ही वसीम ने कभी उसे ऐसा कहा था। वसीम भी शहनाज की चूत को कभी चाटा नहीं था। शहनाज अभी तक कभी ठीक से पोर्न भी नहीं देखी थी। दो-चार बार उसकी सहेलियों ने उसे दिखाया था, लेकिन थोड़ा सा देखकर वो मना कर देती थी और कहती थी की छी: तुमलोग ये क्या गंदी चीज देख रही हो?"

शहनाज के मन में उस खुश्बू के टेस्ट की याद बस चुकी थी। वो पैंटी ब्रा को सुबह भी सूँघ कर देखी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। शहनाज अब बस शाम का इंतजार कर रही थी ताकी वो फिर से उस खुश्बू को अपने सीने में ले सके।

अगले दिन शहनाज थोड़ा और जल्दी कपड़े को छत से ले आई। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली थी और उसपे गाढ़ा सफेद लिक्विड लगा हुआ था, जिसे देखकर उसका दिमाग सन्न रह गया की ये तो वीर्य है किसी का। उसकी शादी को 6 महीने हो चुके थे और वो अब वीर्य के कलर को तो जानती ही थी। पहले तो उसका मन घृणा से भर गया और उसे गुस्सा भी बहुत आया की कौन है वो कमीना गंदा इंसान जो इस तरह की नीच हरकत कर रहा है? लेकिन इसकी खुशबू उसे बहुत अच्छी लगी थी तो वो वीर्य को फिर से सूँघने लगी और फिर मदहोश होकर उसे अपनी जीभ से भी सटा ली। फिर वो तुरंत ही अपनी जीभ हटा ली, लेकिन अब उसपे अजीब सा खुमार चढ़ चुका था, तो वो उसे धीरे-धीरे सूँघते हुए पूरी तरह चाटकर साफ कर ली। उसे पहले भी बहुत मजा आया था, लेकिन आज ये सोचकर उसकी चूत गीली हो गई की वो किसी अंजान आदमी का वीर्य सूँघ और चाट रही है जो उसने अपने पति के साथ भी नहीं किया है।

शहनाज के दिमाग में यही सब चलता रहा।

शहनाज ने आज बेड पे पहली दफा पहल की और वसीम से अपनी चुदाई करवाई। लेकिन आज पहली बार उसे लगा की जितना मजा आना चाहिए था वो नहीं आया। उसे लगा की वसीम को और अंदर तक डालना चाहिए था। उसे लगा की वसीम को और देर तक उसकी चूत को चोदना चाहिए था। लेकिन वो कह ना सकी और करवट बदलकर उस वीर्य की खुश्बू को याद करती सो गई।

अगले दिन सनडे था और वसीम घर पे ही था और राज चाचा कहीं बाहर गये हुए थे। आज शहनाज जब अपने कपड़े लेकर आई तो उसकी पैंटी ऐसे ही रह गई थी और शहनाज प्यासी ही रह गई आज उस खुश्बू के लिए। उसका मूड आफ हो गया।

वसीम ने पूछा भी- “क्यों, क्या हुआ अचानक उदास हो गई?"

लेकिन शहनाज कुछ जवाब नहीं दी। रात में शहनाज फिर से चुदवाना चाहती थी, क्योंकी कल उसकी प्यास बुझी नहीं थी। लेकिन अपने संस्कारों और शर्मो-हया की वजह से वो वसीम के सामने इजहार नहीं कर पाई। वसीम अपनी प्यासी बीवी को यूँ ही छोड़कर सो चुका था।

अब शहनाज उस खुश्बू और टेस्ट के लिए पागल होने लगी थी। आज शहनाज दोपहर में छत पे जाकर सीढ़ी के बगल में बने स्टोररूम में जाकर छिप गई और देखने लगी की क्या होता है। कौन है जो अपना वीर्य मेरी पैंटी पे गिरा कर चला जाता है?

थोड़ी देर में एक बजते ही राज अपने घर आया और अपने रूम में चला गया। अपने रूम में जाते वक़्त उसने शहनाज की पैंटी ब्रा को देखा जो आज शहनाज ज्यादा अच्छे से फैलाकर टांगी थी। शहनाज के दिमाग में अभी तक राज का ख्याल नहीं आया था की ये ऐसा कर रहा होगा।

राज को देखने के बाद उसे लगा की राज चाचा तो दो घंटे तक अपने रूम में रहेंगे, तब तक तो मैं यही फँसी रहूंगी। उसे लगा था की वो छत पे छिपकर देखेगी की कौन उसकी पैंटी के साथ क्या करता है? लेकिन अब तो लग रहा था की उल्टा वही फँस गई हैं दो घंटे के लिए। कहीं राज चाचा की नजर मुझपे पड़ गई तो क्या सोचेंगे की मैं छिपकर उन्हें देखती हूँ। छिः।

शहनाज वहाँ से निकलने का प्लान बना रही थी। लेकिन राज के रूम का दरवाजा खुला था तो वो डर से स्टोररूम से बाहर नहीं निकल पा रही थी। थोड़ी देर बाद राज चाचा अपने रूम से लुंगी और गंजी में बाहर निकला। वो अपने लुंगी के ऊपर से लण्ड को सहला रहा था। उसने शहनाज की पैंटी को रस्सी से उतारा और मुँह में लेकर चूमने चाटने लगा, जैसे शहनाज की चूत चाट रहा हो। उसकी लुंगी सामने से खुली थी जिसमें से उसने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और दूसरे हाथ से आगे-पीछे करने लगा।
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Re: शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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राज पैंटी लेकर स्टोररूम के सामने आ गया, क्योंकी यहाँ से उसे कोई देख नहीं सकता था दूसरी छत से । शहनाज स्टोररूम के दरवाजे के पीछे थी और दरवाजे में बने सुराख से बाहर झाँक रही थी। उसकी सांस ऊपर रुक गई थी की कहीं राज ने उसे देख लिया तो क्या होगा? राज दरवाजे के ठीक सामने खड़ा अपने लण्ड को आगे-पीछे कर रहा था। उसने शहनाज की पैंटी को अपने लण्ड पे लपेट लिया और आहह आहह.. करता हुआ मूठ मारने लगा।

राज इसी तरह लण्ड सहलाता हुआ शहनाज की ब्रा के पास गया और उसे भी उठा लाया। अब राज के एक हाथ में शहनाज की ब्रा थी जिसे वो ऐसे मसल रहा हो जैसे शहनाज की टाइट चूची मसल रहा हो। वो ब्रा को भी निपल वाली जगह को मुँह में लेकर चूसने लगा जैसे शहनाज की छोटी ब्राउन निपल को चूस रहा हो।

शहनाज को बहुत गुस्सा आया की कितना गंदा है ये इंसान, जिसे वो इतनी इज्जत देती है। लेकिन राज को ब्रा और पैंटी चूसते देखकर अंजाने में ही उसका हाथ अपनी चूत पे जा पहुँचा। उसे वहाँ पे चींटियां रेंगती हुई महसूस होने लगी।

राज अपने लण्ड को शहनाज की पैंटी में लपेटकर मूठ मारे जा रहा था। थोड़ी देर में उसका पानी निकालने वाला था तो उसने ब्रा को नीचे गिरा दिया, और पैंटी को हाथ में लेकर ऐसे फैलाया जिससे की जिस जगह पे चूत रहती है वो जगह ऊपर आ गई। राज ने पैंटी को हाथ में पकड़ा और अपना वीर्य पैंटी पे गिराने लगा।

अब शहनाज को राज का लण्ड साफ-साफ पूरा साइज में दिखा और उसका मुँह खुला का खुला रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड भी होता होगा, ये इसने सोचा भी नहीं था। वो तो अपने पति के 3 इंच के लण्ड को ही देखी थी आज तक ।

राज के लण्ड से मोटी सी धार निकली और शहनाज के पैंटी में जमा हो गया? इतना सारा वीर्य इतना तो वसीम एक हफ्ते में भी ना निकल पाए? उसने शहनाज की पैंटी को वीर्य से भर दिया और उसे स्टोररूम की दीवाल से बाहर निकले लोहे के छड़ में टांग दिया और फिर उसने ब्रा के एक कप को भी वीर्य से भर दिया। फिर लण्ड को ब्रा के दूसरे कप से ही अच्छे से पोछकर साफ कर लिया।

शहनाज को सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था की कैसे इतने बड़े मोटे काले लण्ड से कितना सारा गाढ़ा सफेद वीर्य कैसे गिर रहा है और उसकी पैंटी और ब्रा को भर रहा है। शहनाज को नीचे कुछ गीलापन सा महसूस हुआ और उसे लगा की उसकी चूत गीली हो गई है।

राज ने ब्रा और पैंटी दोनों को अपनी-अपनी जगह पे अच्छे से टांग दिया और अपने लुंगी को ठीक करता हुआ अपने रूम में चला गया।

शहनाज चुपचाप अपनी जगह में खड़ी थी लेकिन वो चाह रही थी की तुरंत ही जाकर अपनी पैंटी ब्रा को उठाकर नीचे ले जाए। लेकिन ऐसा करने में राज को पता चल जाता। राज ने अपने रूम का दरवाजा बंद कर लिया और ऐसा होते ही तुरंत ही शहनाज भागकर नीचे चली गई और राज के जाने का इंतजार करने लगी।

शहनाज से नीचे रहा नहीं जा रहा था और वही दृश्य उसकी आँखों के सामने चल रहा था, जिसमें राज के लण्ड से वीर्य बाहर निकल रहा था और शहनाज की पैंटी को गीला कर रहा था। शहनाज नाइट सूट वाले टाप और ट्राउजर में थी । उसे याद आया की इस पैंटी पे भी उसने इसी तरह अपना वीर्य गिराया होगा, जो उसकी चूत से सटा हुआ है। ये सोचते ही की राज का वीर्य उसकी चूत से सटा हुआ है वो और गीली हो गई। शहनाज सोफा पे लेट गई और उसका हाथ उसकी पैंटी के अंदर चला गया और वो अपनी चूत को सहलाने लगी, जो की गीली हो चुकी थी।

शहनाज को अच्छा लग रहा था और उसकी उंगली उसकी चूत में जा घुसी और वो हस्तमैथुन करने लगी। ये काम वो पहली बार कर रही थी अपने जिंदगी में शहनाज बैठ गई और अपने ट्राउजर और पैंटी को पूरा नीचे करके एंडी के पास कर दी और अच्छे से दोनों जांघों को फैलाकर दोनों तलवों को सटा ली।

शहनाज की चूत अब अच्छे से फैल गई थी और वो अपनी बीच वाली उंगली को पूरी तरह जल्दी-जल्दी अंदर-बाहर कर रहीं थी। आज तक ऐसी आग वो महसूस ही नहीं की थी। शहनाज एक हाथ से अपनी ब्रा को ऊपर की और चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगी। वो पागल हुई जा रही थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो ऐसे ही सोफे पे लेट गई। शहनाज की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थी।

चूत से पानी निकलते ही शहनाज के अंदर के संस्कार और शरीफ औरत जाग गई और उसे बुरा लगने लगा की ये क्या कर रही थी वो? आज पहली दफा वो अपनी चूत में उंगली डाली थी और इस तरह अपने कपड़े उतारकर ऐसी हरकत की थी।

शहनाज सोचने लगी- "मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और किसी दूसरे मर्द के बारे में सोचना भी मेरे लिए पाप है और मैं तो दूसरे मर्द के बारे में सोचकर अपनी चूत से पानी निकल रही थी..” उसे अपने आप पे बहुत गुस्सा और घिन आने लगी।

उसे राज पे भी जोरों से गुस्सा आने लगा की कैसा घटिया नीच गिरा हुआ इंसान है, जो अपने से आधी उम्र की औरत के बारे में ऐसी घटिया बात सोचता है और ऐसी घटिया हरकत करता है। उसने फैसला कर लिया की ये बात वसीम को बताएगी और अब हम इस घर को खाली करके कहीं और किराये पे रहेंगे। शहनाज एक घंटे तक राज के बारे में ही सोचती रही- "सच में ये लोग ऐसे ही होते हैं। क्या जरूरत थी वसीम को यहाँ घर लेने की। एक सप्ताह और दूर रहते हम तो क्या हो जाता? लेकिन कम से कम घर तो मुस्लिम कम्यूनिटी में मिल जाता। कुछ पैसे और लगते तो क्या हुआ??

सोचते-सोचते उसके अंदर से शैतान की आवाज आई तो क्या मुस्लिम कम्यूनिटी में लोग उसे अच्छी नजरों से देखते? क्या वो लोग मेरे बारे में ऐसा नहीं सोचते? वो भी सोचते। ये मर्द जात होती ही ऐसी है की जहाँ हसीन औरत दिखी नहीं की उनके लण्ड टाइट हो जाते हैं। वसीम ही शरीफ है क्या? उस दिन उस दुकान में उस लड़की को कैसी ललचाई नजरों से देख रहा था। सारे मर्द एक जैसे होते हैं। और कम से कम जो भी है वो राज चाचा के मन में है। उन्होंने कभी मेरी तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा ?"

शहनाज की सोच फिर से आगे बढ़ी- "राज नजर उठाकर कहाँ देखते हैं, लण्ड उठाकर देखते हैं। वो तो मजबूर हैं, अगर बस चले तो नंगी ही रखे मुझे और दिन रात चोदता रहे। घटिया इंसान उसे ऐसा सोचते हुए भी शर्म नहीं आई। उसकी बेटी की उम्र की हूँ मैं?"

फिर से शैतान ने शहनाज को आवाज लगाई- बेटी की उम्र का लिहाज है इसलिए तो नजर उठाकर नहीं देखते। एक इंसान जो बहुत लंबे वक़्त से अकेला तन्हा है, उसके सामने अगर मेरी जैसी हसीन कमसिन औरत ऐसे रहेगी तो भला वो इंसान खुद को कैसे रोके? मेरे लिए ये कपड़े नार्मल और जेन्यूवन हैं. लेकिन उनके हिसाब से तो सलवार सूट में भी मैं आग लगाती होऊँगी। सच में उन्होंने खुद पे बड़ा काबू किया हुआ है?

शहनाज का जवाब आया "तो क्या बुर्का पहनकर रहूं?"

फिर शहनाज खुद ही सोचने लगी- "नहीं। लेकिन मैं अब उनके सामने भी नहीं जाऊँगी और हम जल्द से जल्द ये घर खाली कर देंगे। सही है की मैं कुछ भी पहनू उनके अरमानों में तो हलचल होगी ही। वसीम एक सप्ताह में मेरे बिना पागल हो रहा था और ये तो सालों से अकेले हैं...
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Re: शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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शहनाज एक घंटे तक राज के बारे में ही सोचती रही। उसके दिमाग में उथल-पुथल मची हुई थी। वो उसी तरह सोफे पे लेटी हुई थी और उसका ट्राउजर और पैंटी नीचे पैर की एंड़ी के पास थी। शहनाज को राज के अपने काम पे चले जाने की आहट हुई। शहनाज उठकर बैठी और अपने कपड़े ठीक की। फिर वो छत पे आ गई और अपने कपड़े ले आई। पैंटी गीली ही थी और ब्रा भी। शहनाज सोच ली थी की कल से पैंटी ब्रा को छत पे सूखने ही नहीं देगी।

शहनाज उसे धोने जा रही थीं, लेकिन वो बाकी के कपड़े रखकर पैंटी को देखने लगी। ब्राउन कलर की पैंटी पे सफेद वीर्य अब तक हल्का-हल्का दिख रहा था। उसकी आँखों के सामने वो दृश्य घूम गया। कैसे उसके इतने सामने राज का इतना बड़ा मोटा काला लण्ड ढेर सारा वीर्य उसकी पैंटी में गिरा रहा था। वो ब्रा भी उठाकर देखने लगी। उसकी चूत में फिर से हलचल मचने लगी। फिर से उसे एक बार उस वीर्य को सूँघने का मन हुआ और वो पैंटी को नाक के पास ले आई।

उफफ्फ ... अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुश्बू उसके नथुने से टकराई, जिसे वो अपने सीने में भरती चली गई। उसने अपनी पैंटी पे लगे वीर्य पे जीभ को सटाया तो उसे ऐसा एहसास हुआ की वो राज के लण्ड के टोपे को अपनी जीभ से चाट रही है। शहनाज की चूत अब हलचल करने लगी। उसका बदन हिलने लगा ।

शहनाज पैंटी ब्रा को सोफे पे रख दी और पहले अपनी ट्राउजर और पैंटी को उतार दी। इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो उसने टाप और ब्रा को भी उतार दिया और पूरी नंगी हो गई। उसका बदन आग में तप रहा था। वो फिर से पैंटी और ब्रा को उठा ली और नंगी चलती हुई सोफे पे जा बैठी। उसने पैंटी को चाटते हुए कल्पना में राज के लण्ड को चाटना स्टार्ट कर दिया।


उसने पैंटी को रख दिया और ब्रा को उठा लिया और सूँघने चाटने लगी। वो राज के वीर्य लगे पैंटी को अपनी चूत पे रगड़ने लगी और उंगली अंदर-बाहर करने लगी। वो पागलों को तरह अपनी कमर उछालने लगी जैसे वो चुद रही हो। उसने ब्रा के कप को अपने मुँह पर रख लिया और हाथ के सहारे अपने जिश्म को ऊपर उठाई और कमर उठाकर चुदवाने जैसी उंगली अंदर-बाहर करते हुए कमर ऊपर-नीचे करने लगी। उसकी चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया और शहनाज हाँफती हुई सोफे पे पर गई। पहली बार से ज्यादा हाँफ रही थी शहनाज और पहली बार से ज्यादा मजा आया था उसे ।

शहनाज हाँफती हुई सोफे पे ही पड़ गई। उसकी आँखें बंद थी और चेहरे पे असीम सुकून था। जिश्म पसीने से भीग गया था। हवा उसके जिश्म को ठंडक पहुँचा रही थी। उसकी आँख लग गई। वो इसी तरह नंगी ही सोफे पे सो गई थी।

जब से शहनाज बड़ी हुई थी ये पहली बार हुआ था की वो इस तरह घर में नंगी हुई थी और नंगी सोई थी। यहाँ तक की शादी के बाद भी वसीम से चुदवाने के बाद भी वो कपड़े पहनकर ही रूम से बाहर निकलती थी और बाथरूम या किचेन जाती थी।

वसीम ने कहा भी था की यहाँ कौन है जो कपड़े पहन लेती हो, नंगी ही हो आओ बाथरूम से या नंगी ही सो जाओ। लेकिन शर्म की वजह से शहनाज ऐसा कर नहीं पाती थी। चुदाई के बाद वो तुरंत ही कपड़े पहन लेती थी।

लेकिन आज वो अपने मन से घर में नंगी हो गई थी और एक के बाद एक और बार चूत में उंगली डालकर पानी निकाली थी।
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चक्रव्यूह ....शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें....उसकी गली में जाना छोड़ दिया

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