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Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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Re: Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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Re: Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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शहनाज का पेट दर्द और राज

शहनाज को भी नींद नहीं आ रही थी। क्योंकी वो चाहती थी की किसी तरह राज उसके नजदीक आए और उसके बदन से खेले।

आधे घंटे भी नहीं हुए की शहनाज पेट दर्द चिल्लाने लगी। उसने वसीम को जगाया और जोर-जोर से कराहने लगी। वो मछली की तरह तड़पने लगी। वसीम जाग गया और राज भी जागकर इसके रूम में आ गया। वसीम को समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे? घर में कोई दबाई भी नहीं थी और रात काफी हो चुकी थी। शहनाज इधर से उधर छटपटा रही थी। वसीम अपनी बीवी से बहुत प्यार करता था और शहनाज को ऐसे देखकर वो घबरा गया था।

राज बोला- “मुझे देखने दो की कहाँ दर्द है?"

शहनाज सीधी लेटी हुई थी, वो अपने पेट से शर्ट को उठा ली और अब उसका चमकता हुआ पेट राज की नजरों के सामने था। शहनाज अभी मात्र 23 साल की थी और उसके पेट में अभी तक चर्बी जमा नहीं हुई थी, इसलिए उसका पेट पूरी तरह फ्लैट था। शहनाज का ट्राउजर नाभि से नीचे ही था, इसलिए बहुत सेक्सी सा दृश्य था ।

राज ने अपना हाथ बढ़ाया और शहनाज के चिकने पेट को सहलाता हुआ दबाने लगा। शहनाज का पेट गैस की वजह से टाइट था और इसलिए वो दर्द से छटपटा रही थी। राज शहनाज के पेट को दबा दबाकर सहला रहा था।

शहनाज की पेट पूरी गोरी चिकनी थी। शहनाज ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसने टाप को चूचियों तक उठा लिया था। उसका ट्राउजर नाभि से नीचे था और शहनाज का पूरा नाभि क्षेत्र राज के सामने था और उसके लिए फुल अवेलबल था। राज के लिए खुद को रोकना बड़ा मुश्किल हो रहा था। उसने बड़ी मुश्किल से अपने एक्सप्रेशन को संभाल रखा था। वो वसीम के सामने उसकी हसीन बीवी की नाभि को सहला रहा था।

राज शहनाज के पेट को सहला रहा था और शहनाज अपने बदन को ऐंठने लगी। शहनाज का जी चाह रहा था की राज अपना हाथ पैंट के अंदर चूत पे या फिर और ऊपर शर्ट के अंदर ले जाए जहाँ उसकी टाइट चूची बिना ब्रा के खड़ी थी। शहनाज पेट दर्द से जो भी परेशान हो लेकिन उसे मजा बहुत आ रहा था। उसके अंदर ये खुशी तो थी ही को आज राज ने उसकी चूचियों को भी छू लिया और पेट भी सहला लिया।

वसीम परेशान सा चुपचाप खड़ा देख रहा था। उसे परेशानी में राज से पूछा- "क्या हुआ है इसे?"


राज बोला- “कुछ खास नहीं, गैस बन गई है पेट में.." फिर राज ने वसीम को एक बोतल में गरम पानी भरकर लाने को कहा।

वसीम दौड़ता हुआ किचेन की तरफ भगा और पानी गरम करने लगा।

अब रूम में सिर्फ राज और शहनाज थे। शहनाज अपने पेट को उघारे लेटी हुई थी और राज उसके पेट को सहला रहा था। वसीम के जाते ही और तेज दर्द की आक्टिंग करते हुए शहनाज राज का हाथ पकड़ ली और ऊपर अपनी चूची पे रख ली।

उफफ्फ ... राज हड़बड़ा गया। उसे शहनाज से इस बोल्डनेस की उम्मीद नहीं थी। राज हड़बड़ाते हुए हाथ नीचे खींचा की कहीं अगर वसीम ने देख लिया तो पूरा खेल, पूरा प्लान चौपट हो जाएगा। लेकिन शहनाज की पकड़ मजबूत थी। उसने फिर से हाथ ऊपर खींच लिया। इस खींचा तानी में शहनाज का टाप थोड़ा सा और ऊपर उठ गया था और चूची के नीचे का हिस्सा चमकने लगा था।

शहनाज की चूचियां राज के हाथ से दब रही थी नीचे से अब राज खुद को रोक नहीं पाया और उसने हाथ को ढीला कर दिया। शहनाज फिर से राज के हाथ को ऊपर की, और अब राज के हाथ में शहनाज की नंगी चूचियां थी। उफफ्फ... राज ने ना चाहते हुए भी कस के एक बार दबा ही दिया और फिर हाथ हटा लिया।
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Re: Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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शहनाज की प्यास और बढ़ गई। राज का मन तो नहीं था हाथ हटाने का, लेकिन उसे वसीम का डर था की कहीं अगर उसने देख लिया तो हंगामा ना हो जाए और हाथ आया हुआ शिकार उससे दूर ना चला जाए। ये रिस्क वो नहीं ले सकता था।

राज ने बहुत मेहनत और इंतजार किया था इसके लिए राज अलग होकर खड़ा हो गया, क्योंकी वो अगर शहनाज के पास रहता तो शहनाज उसे नहीं छोड़ती।

शहनाज भी हाथ से आए मौके को निकलता देखकर पागल हो गई। वो अपनी पीठ को उठाते हुए अपने टाप के ऊपर से अपनी चूचियां मसलने लगी। उसने चूची मसलते हुए टाप को भी ऊपर कर लिया। राज नजरें नीचे किए खड़ा था, लेकिन चूचियों के चमकते ही उसने कनखियों से देखा। शहनाज की गोल-गोल चूची और उसके बीच में ब्राउन कलर का निपल कयामत ढा रहा था।

वसीम के आने की आहट हुई और शहनाज टाप नीचे करके अपनी चूची ढक ली। वसीम ने बोतल राज को दे दिया।

राज ने उसे बताया- "बोतल को पेट पे रखकर ऊपर से नीचे रोल करो..."

वसीम हड़बड़ाया हुआ था, बोला- “मुझे ये सब नहीं आता, आप ही करिए ना राज जी , आप अच्छा करेंगे...'

शहनाज मन ही मन मुश्कुरा दी की फिर से राज जी उसके जिश्म को टच करेंगे। राज ऐसा नहीं करना चाहता था। क्योंकी उसे डर था की कहीं शहनाज वसीम के सामने कुछ ऐसी वैसे हरकत ना कर दें। लेकिन और कोई उपाय नहीं था।

राज फिर से बेड पे शहनाज के बगल में बैठ गया और बोतल को शहनाज के पेट पे ऊपर से नीचे रोल करने लगा। राज पूरा ख्याल रख रहा था की वो शहनाज को कहीं से टच ना करे। थोड़ी देर में शहनाज का दर्द थोड़ा कम हो गया।

वसीम देख रहा था और अब उसका ध्यान गया की राज उसकी नजरों के सामने उसकी बीवी के पेट को सहला रहा है। जब राज ने एक बार शहनाज के पेट को दबाकर देखा की अब कैसा है यो अचानक वसीम के लण्ड में हरकत हुई। उसका ककोल्ड मन जाग गया था।

वसीम सोचने लगा। वसीम की आँखों में जो दृश्य चल रहे थे उसमें शहनाज नंगी हो चुकी थी और राज उसकी चूचियां चूस रहा था। शहनाज का पेट दर्द कम हो गया लेकिन वो अब भी कुछ ऐसा ही चाह रही थी की राज उसके पेट को सहलाता रहे और चूचियों को मसले। लेकिन राज अपनी जगह से उठ गया और रूम से बाहर आ गया। राज बिल्कुल शातिर खिलाड़ी की तरह अपनी चाल में मस्त था।

सब सोने चले गये। शहनाज की एक तरह से जीत हुई थी। जैसा उसने सोचा था दोपहर में, उसने उसी तरह रंडियों की तरह की हरकत की थी राज के सामने उसने पहले ब्रा के ऊपर से फिर बिना ब्रा के टाप के ऊपर से और फिर अपनी नंगी चूचियों को राज से मसलवा लिया था और पेट तो बहुत देर तक सहलाया था राज ने। शहनाज सोच रही थी की अब राज जी को रिलैक्स लग रहा होगा। अब तो मैंने अपनी तरफ से इतना न्योता दे दिया है। शायद अब वो मेरे से बात करें, मुझे देखें। अब शर्माना घबराना बंद कीजिए राज जी , अब आपको मेरी पैंटी खराब करने की जरूरत नहीं है।

राज बेड पे लेटते ही अपने लण्ड को फ्री किया और सहलाने लगा। उसकी हथेली पे शहनाज की नंगी चूचियों की छुअन अब भी थी। उसकी आँखों के सामने शहनाज की नंगी चूचियां चमक रही थीं। उफफ्फ आग भर गई है रांड़ की चूत में अब ये पूरी तरह तैयार है और अब इसे चोदना होगा, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की देर हो जाए। बस एक-दो दिन और फिर उसके बाद तो तू मेरी पालतू कुतिया बनकर मेरे इशारों पे नाचेगी। राज अपने लण्ड को सहलाता हुवा सो गया।

शहनाज रोज की तरह सवेरे जाग कर घर में झाड़ू की और फ्रेश होकर नहाने चली गई। वसीम भी रोज की तरह सो रहा था लेकिन शहनाज की आहट सुनकर राज की आँखों से नींद उड़ चुकी थी। राज सोने की आक्टिंग करता हुआ शहनाज पे ही नजर रखे हुए था।


थोड़ी देर में राज उठा तो उसे लग गया की शहनाज बाथरूम में है और वसीम सो रहा है। उसके लिए मौका अच्छा था। राज छुप कर शहनाज के बाथरूम में झाँक कर देखने लगा। अंदर उसकी होने वाली रांड़ पूरी नंगी थी। उसका गोरा जिश्म पानी में भीग कर चमक रहा था। सुडौल चूचियां जवानी के नशे में टाइट थीं, जिसे कल राज ने मसला था, भले एक ही बार मसला हो मौका तो भरपूर था उसके पास लेकिन तब सही चाल नहीं होती वो चूची के नीचे चिकना सपाट पेट चूत तक जिसे रात में राज अच्छे से सहला चुका था, लेकिन मजा तब आता जब वो अपने हिसाब से पेट को सहलाते हुए चूमता भी और चूची चूत भी मसलता।

चूत पूरी चिकनी थी, एक भी बाल नहीं। राज के लण्ड के लिए सीधा चिकना रास्ता, चिकनी जांघें शहनाज शावर के नीचे थी और पानी उसके जिश्म को भिगोता हुआ नीचे उतर रहा था।

राज ने एक नजर वसीम पे डाला, तो वो सो रहा था। राज ने अपने लण्ड को बाहर निकाला और सहलाने लगा। आज पहली बार उसने शहनाज के नंगे जिश्म को देखा था। राज कई बार शहनाज के नाम की वीर्य गिरा चुका था। लेकिन आज वो नंगी उसके सामने थी। राज मूठ मारने लगा। अंदर शहनाज का नहाना हो चुका था और राज का वीर्य गिरने वाला था। राज ने बाथरूम के दरवाजा पे ही डोर मैट्रेस के बाद नीचे टाइल्स पे अपना वीर्य गिरा दिया। वीर्य बर्बाद नहीं होना चाहिए। शहनाज को पता चलना चाहिए की यहाँ पे राज ने उसे नहाता देखकर फिर से अपना वीर्य गिराया है। राज अपने रूम में चला गया जिसमें वो रात में सोया था और छुपकर देखने लगा।

थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाजा खुला और शहनाज नजर आई। शहनाज किसी अप्सरा की तरह नजर आ रही थी । कमर के नीचे बँधी क्रीम कलर की साड़ी, स्लीवलेश ब्लाउज़ और उसके बीच में सिंगल लाइन में आँचल, जिससे शहनाज का एक उभर झाँक रहा था। गीले बाल इस हुश्न को और बढ़ा रहे थे।

शहनाज बाथरूम से निकलकर मट्रेस पे पैर पोछी और जैसे ही कदम बढ़ाई की उसका पैर राज के वीर्य पे पड़ा । चिपचिप करते ही वो नीचे देखी तो उसे कोई चमकदार सफेद लिक्विड जमीन पे गिरा हुआ दिखा। उसकी धड़कन तेज हो गई। वो अच्छे से देखने लगी और फिर कन्फर्म होने के लिए वो बैठकर देखने लगी। उफफ्फ ... तो क्या राज जी मुझे नहाता देख रहे थे? ये सोचकर शहनाज गई की राज ने उसे नंगी नहाता हुआ देख लिया है। उसे लगा की कल रात उन्होंने खुद को तो रोक लिया, इसलिए उनकी प्यास अब और बढ़ गई होगी। वो मेरे पेट को सहला तो रहे थे लेकिन मजा नहीं लिया, क्योंकी उन्होंने अपनी फीलिंग्स को दबा रखा है। कोई बात नहीं राज जी , मैं भी देखती हूँ की आप और कितना दबाते हैं खुद को ।

कल रात तो आपने मेरी चूचियों से हाथ हटा लिया था, देखती हूँ की क्या-क्या हटाएंगे और खुद को कितना तड़पाएंगे? मुझसे दूर रहेंगे और छिपकर वीर्य गिराएंगे, ये कौन सी बात हुई? अगर अभी भी आपका डर और शर्म मुझसे खतम नहीं हुआ है तो अब होगा। अब मेरा रण्डीपना और बढ़ेगा और तब देखूँगी की आप खुद को कितना रोकते हैं, और कैसे रोकते हैं? लेकिन एक बात तो तय है की आप बहुत महान इंसान हैं। इतने में तो कोई भी मर्द अब तक बिछ गया होता मेरे ऊपर इसलिए अब मुझे भी जिद होती जा रही है आपको खोलने की।
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Re: Adultery शहनाज की बेलगाम ख्वाहिशें

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शहनाज उंगली से वीर्य को उठाई और उठाते हुए मुँह में चाटने लगी। वो फिर से ऐसा की और जब उसका मन नहीं भरा तो वो जमीन को चाटकर वीर्य चाटने लगी। उसकी चूत गीली होती जा रही थी। वो जब झुक कर वीर्य चाट रही थी तो उसके मंगलसूत्र पे भी राज का वीर्य लग गया था। जब सारा वीर्य चाटने के बाद वो खड़ी हुई तो उसका ध्यान मंगलसूत्र पे लगे वीर्य में गया, जो ब्लाउज़ के ऊपर भी थोड़ा सा लग गया था।

उसके सुहाग की निशानी पे किसी और का वीर्य लगा है, ये सोच ने उसे अंदर से पूरी तरह गीला कर दिया। वो मंगलसूत्र को साफ नहीं की। उसने सोचा की पैंटी ब्रा तो बहुत बार वीर्य से भरी थी, आज मंगलसूत्र को भी वीर्य लगा ही रहने देती हूँ।

राज शहनाज को अपने रूम से देख रहा था और शहनाज की हालत देखकर उसे खुद पे गर्व हुआ की अब शहनाज मन से उसकी रांड बन चुकी है, और अब बस उसके तन पे कब्जा करना बाकी है। राज ने अपने लण्ड को अड्जस्ट किया और बेड पे लेट गया।

शहनाज रूम में आकर चेहरे पे क्रीम लगाई और फिर आँखों में काजल और होठों पे लिप ग्लास। ये उसका रोज का नियम था। उसने सिंदूर की डिब्बी को हाथ में लिया और अपनी माँग में भरने जा रही थी की उसे कुछ ख्याल आया। वो अपने मंगलसूत्र पे लगी वीर्य को उंगली में लगाई और अपनी माँग में भर ली। आहह.... पता नहीं क्या हुआ लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने पूरे मंगलसूत्र के वीर्य को अपनी माँग में भर लिया और फिर सिंदूर लगा ली। सिंदूर शहनाज की माँग में लगे वीर्य से चिपक गया। शहनाज माथे पे लाल कुमकुम लगा ली। वो आईने में खुद को निहार रही थी। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

शहनाज मन ही मन सोच रही थी- “लीजिए राज जी , अब तो मेरे मंगलसूत्र और माँग में भी आपका वीर्य लग गया। अब तो एक तरह से आप भी मेरे पति हुए। अब तो मेरे पूरे जिश्म पे आपका भी हक हैं और मैं चाहकर भी आपको मना नहीं कर सकती। अब तो मुझसे शर्माना छोड़ दीजिए और खुलकर जी लीजिये अपनी जिंदगी..." शहनाज मुश्कुराते और शर्माते हुए रूम से बाहर आ गई।

आज वो इबादत नहीं की और किचेन में जाकर चाय बनाने लगी। वो चाय लेकर पहले राज के कमरे में गई, जहाँ राज को सच में नींद आ गई थी। शहनाज उसे सोता देखकर सोच रही थी- "अभी मुझे नंगी नहाते देखे और वीर्य गिराए, तब तो बहुत मजा आ रहा होगा जनाब को। लेकिन अभी सोने की आक्टिंग कर रहे हैं."
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उसका मन हुआ की राज के साथ कुछ करे लेकिन फिर वो सोची की अभी सही वक़्त नहीं है। वसीम घर में है, और ये कुछ बोले अगर तो मैं कुछ बोल नहीं पाऊँगी। दोपहर का वक़्त तो अपना है आज। उसने फार्मल आवाज में कहा- “राज जी गुड मार्निंग, उठिए चाय हाजिर है, उठिए उठिए "
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