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परदेसी से अंखिया लड़ी

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josef
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परदेसी से अंखिया लड़ी

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परदेसी से अंखिया लड़ी

डॉली गर्मियों की छुट्टी में अपनी मौसी के गांव आई थी। उस समय उसकी उम्र तकरीबन……साल की रही होगी। उसकी मौसी की लड़की ज्योति उससे एक साल ही छोटी थी लोकिन वो उसे दीदी कहकर बुलाती थी। डॉली ज्योति के साथ पूरे गांव में फ्राक पहनकर घूमा करती थी। हांलाकि गांव वाले उसे इस लिबास में देखकर फब्तियां कसा करते थे, लेकिन वो किसी की परवाह नहीं करती थी।

एक दिन डॉली और ज्योति गांव की चौपाल पर पहुंची जहां पहले से ही चार-पांच लड़के खड़े थे। उनमें एक लड़का अपेक्षाकृत कुछ बड़ा था, जिसका नाम राज था। डॉली को गांव में घूमते इतने दिन हो गए थे कि वो पहले से ही सभी को जानती थी।

राज ने उससे पूछा आइस-पाइस खेलोगी?\

वो कैसे खेलते हैं? डॉली ने पूछा।

हममें से एक लड़का चोर बनेगा और बाकी सभी छुप जाएंगे। चोर बना लड़का जिसे पहले ढूंढ़ लेगा अगली बार वो दाम देगा। राज ने बताया।

ठीक है, डॉली ने कहा।

चोर बनने का नंबर अमर का आया और वो दाम देने चला गया। सभी छुपने की जगह ढूंढने लगे। राज ने डॉली का हाथ पकड़कर कहा,
मेरे साथ आओ। मैं तुम्हे ऐसी जगह छुपाउंगा कि अमर तो क्या उसका बाप भी नहीं ढूढ पाएगा।


डॉली राज के साथ चली गई। राज उसे पास के एक घर के एकदम पीछे वाले कमरे में ले गया, जहां बहुत अंधेरा था।

डॉली ने कहा, यहां तो बहुत अंधेरा है मुझे डर लग रहा है।

घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूं। राज ने कहा और डॉली का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। राज डॉली के पीछे खड़ा था और डॉली के चूतड़ उसकी जांघों को छू रहे थे। राज ने अपना एक हाथ डॉली के कंधे पर रख लिया। अचानक उसका हाथ फिसलकर डॉली की चूंचियों पर आ गया तो डॉली बोली,
डॉली =यहां से हाथ हटाओ न गुदगुदी होती है।

राज =लेकिन यहां हाथ लगवाने में मजा भी बड़ा आता है।

डॉली =तुम झूठ बोलते हो।

राज =कसम से डॉली अच्छा अगर तुम्हे ठीक न लगा तो मैं हाथ हटा लूंगा।

ठीक है। डॉली ने कहा।

डॉली के इतना कहते ही राज ने उसकी चूंचियां पकड़ ली और दबाने लगा। डॉली की चूंचियां हाथ में आते ही राज का लंड झटके से डॉली के चूतड़ों से टकराया तो वह उछल पड़ी। राज धीरे-धीरे उसकी चूंचियों को दबाने लगा और अब तो डॉली को भी मजा आने लगा। राज ने अपना एक हाथ डॉली की फ्राक में डाल दिया। डॉली की नंगी चूंचियां हाथ में आते ही उसका लंड एक बार फिर झटके के साथ डॉली के चूतड़ों से टकराया, तो डॉली उछलकर बोली,
ये तुम बार-बार मेरे चूतड़ों पर डंडा क्यों मार रहे हो।

राज =ये डंडा नहीं पगली मेरा लंड है। अच्छा ये बताओ तुमने कभी किसी का लंड देखा है।

डॉली =तुम्हे लड़कियों से ऐसी बात करते हुए शर्म नहीं आती। डॉली ने शर्मा कर कहा।

राज =देखो डॉली आदमी अगर शर्म से काम ले तो बहुत सी मजेदार चीजों से वंचित हो जाता है। बताओ न तुमने किसी का लंड देखा है।

डॉली =बड़ों का तो नहीं लेकिन बच्चों का जरूर देखा है। डॉली ने शरमाते हुए जवाब दिया।

राज =हाथ में लोगी।
इतना कहकर राज ने डॉली को कुछ कहने का मौका दिए बिना अपना लंड निकाला और उसके हाथ में रख दिया। जब डॉली ने राज का लंड पकड़ा तो उसे ऐसा लगा मानो उसने गरम-गरम लोहे की राड पकड़ ली हो, दूसरे ही क्षण उसने घबराकर राज का लंड छोड़ दिया। तभी शोर मच गया था। अमर ने किसी को ढूंढ लिया था, और दोनो बाहर आ गए। अब उस लड़के की चोर बनने की बारी आई और राज डॉली को पुरानी जगह पर ले आया।
josef
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भाग-2




राज डॉली की चूचियां दबाने लगा और डॉली उसके लंड से खेलने लगी। कभी वो उसको मुट्ठी में दबा लेती तो कभी उसके सुपाड़े को हटाकर देखती। राज का लंड हाथ में लेकर बॉबी अपने पूरे जिस्म में अजीब सी सनसनी महसूस कर रही थी। इधर राज उसकी चूचियों को हौले-हौले सहला रहा था, दबा रहा था। तभी राज जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबाने लगा तो डॉली चिल्लाई,

डॉली =क्या करते हो , जोर से दबाने से दर्द होता है न।

राज =सॉरी अब धीरे-धीरे दबाऊंगा। राज ने कहा और डॉली की चूचियां फिर से दबाने लगा।
अचानक राज डॉली की फ्राक के ऊपरी बटन खोलने लगा तो डॉली बोली-
बटन क्यों खोल रहे हो।

राज =तम्हारी चूचियां बाहर निकालने के लिए।

डॉली =क्यों?

राज = उन्हे चूसूंगा। राज ने धीरे से कहा।

डॉली = न बाबा न। बॉबी कांप कर बोली।

राज = क्यों क्या हुआ ? राज ने पूछा

डॉली = तुमने मेरी चूचियों को चूसते समय काट लिया तो?

राज = क्या पहले भी किसी ने तुम्हारी चूंचियों पर काटा है?

डॉली = चूंचियों पर तो नहीं हां मगर मेरे अंकल प्यार करते समय गाल पर जरूर काट लिया करते थे।

राज = घबराओ मत मैं तुम्हारे अंकल जैसा नहीं हूँ, मैं तुम्हारी चूंचियों को बड़े प्यार से चूसूंगा।

फिर ठीक है। डॉली ने कहा।

डॉली के इतना कहते ही राज ने उसकी फ्राक के बटन खोलकर चूंचियों को बाहर निकाल लिया। बॉबी की चूंचियां अभी विकसित होना शुरू ही हुई थीं। उनका आकार छोटे संतरे जैसा था। अग्रभाग पर छोटा सा गुलाबी निपल। राज उसकी चूंचियों को पहले तो धीरे-धीरे सहलाता रहा और फिर एक चूंची अपने मुंह में भरकर धीरे-धीरे चूसने लगा। राज के ऐसा करते ही डॉली के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। उसके हाथ से राज का लंड छूट गया और राज के सिर को सहलाने लगी। राज कभी एक चूंची को मुंह में भरकर चूसता तो कभी दूसरी को। आनंद से बॉबी की आंखें मुंद गईं। वह आनंद के सागर में गोता लगा ही रही थी कि तभी अचानक बाहर शोर मच गया। डॉली जल्दी से अपनी फ्राक के बटन बंद कर राज के साथ बाहर आ गई। वहां पहले से ही सभी लोग जमा हो गए थे।

ज्योति ने डॉली से कहा- दीदी अब घर चलो।

डॉली =तुम चलो मैं अभी थोड़ा और खेलूंगी।

ज्योति =ठीक है मगर जल्दी आ जाना वरना मां नाराज होंगी। इतना कहकर ज्योति वहां से चली गई। नया लड़का दाम देने चला गया और सभी छुपने लगे। राज डॉली को लेकर पुरानी जगह आ गया। अचानक उसने कहा,

राज =क्यों न हम खेल बंद करवा दें। जिससे बार-बार बाहर नहीं भागना पड़ेगा और तुम्हे जी भर कर मजा दूंगा।

ठीक है। डॉली ने कहा।

इसके बाद राज बाहर आया और उसने सभी को बुलाकर खेल बंद करने को कहा। उसके सारे दोस्त चले गए, मगर बॉबी वहीं खड़ी रही। सबके जाने के बाद राज बॉबी को लेकर फिर उसी अंधेर कमरे में आ गया। न जाने क्यों इस बार राज के साथ आने पर बॉबी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसके मन में अनजाना सा खौफ था, मगर उस आनंद के सामने वह खौफ छोटा पड़ गया जो कुछ समय पहले राज से उसे मिल रहा था। वह चुपचाप राज के साथ चली आई।
josef
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Re: परदेसी से अंखिया लड़ी

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josef
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इस बार जब डॉली उसके साथ वहां आई तो न जाने क्यों उसका दिल धड़क रहा था। राज ने डॉली की चूंचियों को बाहर निकाला और चूसने लगा। डॉली राज के लंड से खेल रही थी और उसके मुंह से सिकारियां निकल रहीं थीं। तभी राज ने अपना एक हाथ डॉली के जांघिए में डाल दिया और उसके चूतड़ों को सहलाने लगा। जब कभी राज उसके चूतड़ों की बीच की रेखा पर उंगली फिराता तो डॉली सिहर उठती। अपनी चूंचियों पर राज के होंठों का स्पर्श पाकर तथा राज के लंड को हाथ में लेकर न जाने क्यों डॉली अपनी चूत पर खुजली सी महसूस करने लगी। तभी राज ने उसकी चूचिंयों से मुंह हटाया तो डॉली बोली,
रुक क्यों गए चूसते रहो न।
राज ने कहा, वो तो मैं चूसूंगा ही, मगर क्या तुम मेरे लंड को मुंह में ले सकती हो।
ना बाबा ना।
क्यों?
क्यों मतलब उसी से तुम पेशाब करते हो उसे मैं मुंह में लूं। मुझे घिन आती है।
डॉली तुम शायद नहीं जानती कि मैं अपने लंड की कितनी सफाई रखता हूं।
फिर भी तुम उसी से पेशाब करते हो न, मैं उसे मुंह में नहीं ले सकती।
राज ने जबरजस्ती की तो डॉली बोली,
देखो अगर तुम जबरजस्ती करोगी तो मैं यहां से चली जाऊंगी।
अच्छा नहीं करता जबरजस्ती। मगर मुझे तो करने दोगी।
क्या?
यहां की चुम्मी लेने। राज ने डॉली की चूत पर फ्राक के ऊपर से ही हाथ फिराकर कहा।
छी: तुम्हे इस गंदी जगह मुंह लगाते घिन नहीं आएगी।
घिन कैसी। डॉली तुम नहीं जानती कि जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत चूमता है तो उसे कितना मजा आता है। प्लीज चूमने दो न।
ठीक है। डॉली ने कहा चूम लो।
डॉली के इतना कहते ही राज ने उसकी फ्राक ऊपर उठाकर चड्ढी सरका दी। हालांकि वहां अंधेरा था फिर भी डॉली का चेहरा शर्म से लाल हो गया। राज ने डॉली की चूत पर हाथ फिराया। उसकी चूत का रंग भी उसके रंग के समान ही गोरा था और वो एकदम चिकनी थी, उस पर अभी हलके-हलके रोंए आना शुरू हुए थे। राज डॉली की फाम सी मुलायम और मक्खन सी चिकनी चूत पर हाथ फिरा कर पगला सा गया। उसने डॉली की दोनों टांगों को थोड़ा सा खोला और उसके चूतड़ों पर अपने हाथ टिका कर चिकनी चूत पर मुंह रख दिया। डॉली सिहर उठी वो तो सोच भी नहीं सकती थी कि जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत चूमता है, तो इतना मजा आता है। यह आनंद उस मजे से कई गुना ज्यादा था जो चूंची चुसवाने में मिल रहा था।
राज डॉली की चूत को पहले तो धीर-धीरे चूमता रहा फिर अपनी जीभ निकालकर चाटने लगा। जब राज ने जीभ निकाल कर उसकी चूत के बीच वाले हिस्से को चाटा तो डॉली सिसकारियां लेने लगी। फिर राज ने डॉली की चूत के बीच के भाग में उभरे चने के दाने के सामान रचना पर अपनी गीली जीभ फिराई और उसे जीभ से सहलाने लगा। सहलाते-सहलाते उसने धीरे से उस हिस्से को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसना शुरू किया तो डॉली आनंद से पागल हो गई। उसे ऐसा लगा कि उसके शरीर में खून की जगह गरम-गरम लावा बह रहा है। उसके मुंह से जोर-जोर से सिकारियां निकलने लगी। तभी राज ने अपना मुंह डॉली की चूत से हटा लिया तो डॉली तड़पकर बोली रुक क्यों गए चाटते रहो न।
क्या? राज ने पूछा।
मुझे उसका नाम बोलने में शर्म आती है।
देखो डॉली जब तक तुम नहीं बताओगी मैं नहीं चूसूंगा। राज ने शरारत से कहा।
मेरी चूत। डॉली कंपकंपाते स्वर में बोली।
राज ने फिर से उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए और चाटने लगा। अचानक राज ने अपनी जीभ डॉली की चूत के छेद में डाल दी तो डॉली को इतना मजा आया कि उसने राज का सिर अपनी जांघों के बीच दबा लिया। ताकि वो जीभ का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उसकी चूत में घुसेड़ सके। डॉली का आनंद चरम पर था और उसके शरीर में अजीब सी सनसनी दौड़ रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि वह किसी और ही दुनिया में है। वह आनंद के गहरे सागर में गोते लगा ही रही थी कि उनके कानों में ज्योति की आवाज पड़ी। वो डॉली को ही पुकार रही थी। डॉली और राज दोनों चौंक पड़े। राज ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया और डॉली ने जल्दी-जल्दी चड्ढी पहन ली। वह बाहर जाने लगी तो राज ने उसे रोक लिया। डॉली बोली,
जाने दो वरना ज्योति यहीं आ जाएगी और सब गड़बड़ हो जाएगा।
ठीक है जाओ मगर वादा करो कल दोपहर मेरे घर आओगी। मां तीन से पांच के बीच सोती है। उस समय हमें देखने वाला कोई नहीं होगा। उसी समय आना।
ठीक है आऊंगी, मगर अभी जाने दो। राज ने बॉबी का हाथ छोड़ दिया और डॉली चली गई। जाने से पहले राज उसके चूतड़ों पर हाथ फेरना नहीं भूला था।
josef
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अगले दिन डॉली करीब आधा घंटा देरी से राज के घर पहुंची। राज बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार ही कर रहा था, कि तभी उसने खिड़की से डॉली को आते देखा। डॉली ने पैंट और टॉप पहन रखा था। कुछ देर बाद डॉली राज की नजरों से ओझल हो गई फिर उसके कमरे में प्रविष्ट हुई।
राज ने उसके आते ही पूछा
बड़ी देर कर दी।
क्या करूं ज्योति को नींद ही नहीं आ रही थी। अभी भी उसे सोता छोड़कर आई हूं, जो भी करना हो जल्दी कर लो वरना वो जाग गई तो मुझे ढूंढेगी।
मैं तो वहीं करूंगा जिसमें तुम्हे मजा आता है।
मुझे तो अपनी चूत चटवाने में ही ज्यादा मजा आता है।
तो ठीक है मैं यही करूंगा।
इतना कहकर राज ने डॉली के तमाम कपड़े उतार दिए और उसे बिस्तर पर लेटा दिया। पहले तो कुछ देर वो उसकी चूंचियां दबाता रहा। फिर उसने डॉली की चूंचियो को बारी बारी से चूसा और उसकी चूत पर हाथ फिराता रहा। तभी डॉली बोली
जल्दी से मेरी चूत चाटना शुरू करो न।
और राज ने उसकी टांगों को थोड़ा फैलाया और उसकी चूत के होंठो पर अपना मुंह रख दिया, डॉली ने मारे आनंद के अपनी आंखे मूंद ली। उसके मुंह से आनंद भरी सिसकारी निकलने लगी। राज ने अपनी जीभ निकाल कर डॉली की चूत के बीच वाले हिस्से पर फिराना शुरू किया तो डॉली के मुंह से निकलने वाली सिसकारियों की आवाज भी तेज हो गई। राज ने उसकी चूत के बीच वाले भाग को अपने होंठो के बीच दबाकर चूसना शुरू किया तो डॉली आनंद से पागल हो गई। राज ने अपनी जीभ डॉली की चूत के छेद में घुसा दी और धीरे धीरे जीभ से चूत के छेद को सहलाने लगा। डॉली को इतना मजा आया कि उसने राज के सिर को जोर से अपनी जांघों के बीच दबा लिया। बॉबी को इतना मजा आ रहा था कि उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं।
आह…सी…सी… ओह राज जोर से चाटो न। आह… सी…सी.. मैं मर जाउंगी राज । मेरे शरीर में कुछ हो रहा है। बॉबी बिस्तर पर मचल रही थी और राज उसकी चूत को चाटने में जुटा हुआ था। बॉबी चरम पर पहुंचने ही वाली थी और उसका शरीर ऐंठने लगा था। उसे लग रहा था कि इससे बड़ा आनंद और कोई हो ही नहीं सकता, तभी राज ने अपना मुंह डॉली की चूत से हटा लिया तो वो तड़पकर बोली…
हाय राज रुक क्यों गए चाटते रहो न मेरी चूत। मुझे बहुत मजा आ रहा है।?
नहीं पहले तुम मेरा लंड अपने मुंह में लो तभी मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा। राज ने आंखों में शरारत भरकर कहा।
नहीं मैं तुम्हारा लंड मुंह में नहीं ले सकती, मुझे घिन आती है। बॉबी राज की इस मांग से सकपका गई। वह नहीं चाहती थी कि राज उसकी चूत से एक पल के लिए भी अपना मुंह हटाए।
जब मुझे तुम्हारी चूत चाटते हुए घिन नहीं आई तो फिर भला तुम्हे मेरा लंड मुंह में लेने में कैसे घिन आएगी? राज ने कहा।
फिर भी तुम उसी से पेशाब करते हो, मैं उसे मुंह में नहीं ले सकती। बॉबी की आवाज में अब भी लरज थी।
देखों डॉली ये तो सौदा है। तुम मुझे मजा दो और मैं तुम्हे मजा देता हूं, वरना मैं तो चला सोने। अब राज ने बॉबी के सामने सीधे-सीधे शर्त रख दी।
राज की इस बात पर डॉली सोचने लगी।
राज जानता था कि बॉबी मना नहीं कर सकती। उसने उसे आनंद की जो अनुभूति करवाई थी, उसके लिए बॉबी कुछ भी करने को तैयार हो जाती। यह तो केवल लंड चूसने का मामला था। खैर कुछ ही पल बॉबी ने सोचने में लगाए और अपना सिर सहमति में हिला दिया। बॉबी उसके लंड को मुंह में लेने को तैयार हो गई। तब राज उसके सामने लेट गया। उसने राज की पैंट के बटन खोलकर उसका लंड बाहर निकाला। कुछ देर उसे वैसे ही देखती रही। राज ने उसकी तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखा। बॉबी से उसकी नजरें मिली तो एक बार फिर उसे सहमति में सिर हिलाया और उसे अपने मुंह में डाल लिया।
अब आनंद के सागर में गोते लगाने की बारी राज की थी। बॉबी की गीली जीभ का स्पर्श अपने लंड पर पाते ही राज के मंह से एक सिसकारी सी निकल गई। थोड़ी देर बाद डॉली को भी राज का लंड चूसने में मजा आने लगा और वो बड़े चाव से उसका लंड चूसने लगी। राज के मुंह से जोर-जोर से सिसकारियां निकलने लगी। कभी डॉली उसके लंड को जोर-जोर से चूसने लगती तो कभी वो लंड के ऊपर की चमड़ी हटाकर चाटने लगती। राज को बहुत मजा आ रहा था कि तभी डॉली को शरारत सूझी और उसने राज को लंड पर दांत गड़ा दिए। राज ने तड़पकर उसके मुंह से अपना लंड बाहर खींच लिया।
डॉली ने पूछा, क्यों मजा नहीं आया?
मजा तो आ रहा था, लेकिन तुम्हारे दांतों ने सब किरकिरा कर दिया।
अचछा अब नहीं काटूंगी। कसम से डॉली राज के लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली।
ठीक है। राज ने कहा और डॉली उसके लंड पर झुकने लगी तभी उसके मन में कोई विचार आया और वह रुक गई। राज ने उसकी तरफ प्रश्रवाचक नजर से देखा तो वह बोली,
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि तुम मेरी चूत चाटो और उसी समय मैं तुम्हारा लंड भी चूंसू? दोनों को एक साथ मजा आएगा।
हो क्यों नहीं सकता। राज ने कहा फिर डॉली को लेटा कर इस पोजिशन में आ गया कि उसका लंड डॉली के मुंह के सामने था और डॉली की चूत उसके मुंह के सामने।
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