परदेसी से अंखिया लड़ी
डॉली गर्मियों की छुट्टी में अपनी मौसी के गांव आई थी। उस समय उसकी उम्र तकरीबन……साल की रही होगी। उसकी मौसी की लड़की ज्योति उससे एक साल ही छोटी थी लोकिन वो उसे दीदी कहकर बुलाती थी। डॉली ज्योति के साथ पूरे गांव में फ्राक पहनकर घूमा करती थी। हांलाकि गांव वाले उसे इस लिबास में देखकर फब्तियां कसा करते थे, लेकिन वो किसी की परवाह नहीं करती थी।
एक दिन डॉली और ज्योति गांव की चौपाल पर पहुंची जहां पहले से ही चार-पांच लड़के खड़े थे। उनमें एक लड़का अपेक्षाकृत कुछ बड़ा था, जिसका नाम राज था। डॉली को गांव में घूमते इतने दिन हो गए थे कि वो पहले से ही सभी को जानती थी।
राज ने उससे पूछा आइस-पाइस खेलोगी?\
वो कैसे खेलते हैं? डॉली ने पूछा।
हममें से एक लड़का चोर बनेगा और बाकी सभी छुप जाएंगे। चोर बना लड़का जिसे पहले ढूंढ़ लेगा अगली बार वो दाम देगा। राज ने बताया।
ठीक है, डॉली ने कहा।
चोर बनने का नंबर अमर का आया और वो दाम देने चला गया। सभी छुपने की जगह ढूंढने लगे। राज ने डॉली का हाथ पकड़कर कहा,
मेरे साथ आओ। मैं तुम्हे ऐसी जगह छुपाउंगा कि अमर तो क्या उसका बाप भी नहीं ढूढ पाएगा।
डॉली राज के साथ चली गई। राज उसे पास के एक घर के एकदम पीछे वाले कमरे में ले गया, जहां बहुत अंधेरा था।
डॉली ने कहा, यहां तो बहुत अंधेरा है मुझे डर लग रहा है।
घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूं। राज ने कहा और डॉली का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। राज डॉली के पीछे खड़ा था और डॉली के चूतड़ उसकी जांघों को छू रहे थे। राज ने अपना एक हाथ डॉली के कंधे पर रख लिया। अचानक उसका हाथ फिसलकर डॉली की चूंचियों पर आ गया तो डॉली बोली,
डॉली =यहां से हाथ हटाओ न गुदगुदी होती है।
राज =लेकिन यहां हाथ लगवाने में मजा भी बड़ा आता है।
डॉली =तुम झूठ बोलते हो।
राज =कसम से डॉली अच्छा अगर तुम्हे ठीक न लगा तो मैं हाथ हटा लूंगा।
ठीक है। डॉली ने कहा।
डॉली के इतना कहते ही राज ने उसकी चूंचियां पकड़ ली और दबाने लगा। डॉली की चूंचियां हाथ में आते ही राज का लंड झटके से डॉली के चूतड़ों से टकराया तो वह उछल पड़ी। राज धीरे-धीरे उसकी चूंचियों को दबाने लगा और अब तो डॉली को भी मजा आने लगा। राज ने अपना एक हाथ डॉली की फ्राक में डाल दिया। डॉली की नंगी चूंचियां हाथ में आते ही उसका लंड एक बार फिर झटके के साथ डॉली के चूतड़ों से टकराया, तो डॉली उछलकर बोली,
ये तुम बार-बार मेरे चूतड़ों पर डंडा क्यों मार रहे हो।
राज =ये डंडा नहीं पगली मेरा लंड है। अच्छा ये बताओ तुमने कभी किसी का लंड देखा है।
डॉली =तुम्हे लड़कियों से ऐसी बात करते हुए शर्म नहीं आती। डॉली ने शर्मा कर कहा।
राज =देखो डॉली आदमी अगर शर्म से काम ले तो बहुत सी मजेदार चीजों से वंचित हो जाता है। बताओ न तुमने किसी का लंड देखा है।
डॉली =बड़ों का तो नहीं लेकिन बच्चों का जरूर देखा है। डॉली ने शरमाते हुए जवाब दिया।
राज =हाथ में लोगी।
इतना कहकर राज ने डॉली को कुछ कहने का मौका दिए बिना अपना लंड निकाला और उसके हाथ में रख दिया। जब डॉली ने राज का लंड पकड़ा तो उसे ऐसा लगा मानो उसने गरम-गरम लोहे की राड पकड़ ली हो, दूसरे ही क्षण उसने घबराकर राज का लंड छोड़ दिया। तभी शोर मच गया था। अमर ने किसी को ढूंढ लिया था, और दोनो बाहर आ गए। अब उस लड़के की चोर बनने की बारी आई और राज डॉली को पुरानी जगह पर ले आया।