"मम्मा देखो फिर से मुझे ये शुभ माँ से शिकायत करता है तो स्वाति पीछे पलट कर देखे उससे पहले ही नित्या सब सामान को व्यवस्थित करने लगती हैं।
"देखा ना मम्मा भैया को, एक तो मैं इनकी मदद कर रही हूँ और ये मेरे ऊपर ही इल्जाम लगा रहे हैं। " कहते हुए नित्या अपने काम में लग जाती हैं।
"मुझे पता हैं तुम कितनी सीधी हो और कौन किसे परेशान करता हैं। सारी गलती तो दूसरों की होती हैं तुम्हारे ऊपर तो लोग फालतू में ही इल्जाम लगा देते है। शैतान कही की। " नित्या के कान पकड़ते हुए स्वाति बोली।
"उईईई , लग रहा हैं मम्मा ।"
"लग रहा , शैतानी करने में नही लगता कुछ ।"
"पापा देखो ना मम्मा मुझे मार रही हैं । मैने कुछ किया भी नही। " पापा को देखते ही बड़ी मासूमियत से मुँह बनाते हुए नित्या बोली।
"अरे ये तुम क्या कर रही हो मेरी बच्ची को । छोड़ो उसे दर्द हो रहा होगा। " कहते हुए नितिन नित्या के पास जाता हैं तो नित्या भाग कर पापा के पीछे छुप जाती है।
"आपके ही लाड़ प्यार ने बिगाड़ रखा हैं। इतनी बड़ी हो गयी हैं लेकिन बस दिन भर शैतानियां ही आती हैं इसे। जब भी कुछ कहो आ जाते हो बीच बचाव करने।"
"नही पापा , मैने तो कुछ नही किया। भला आपकी गुड़िया कभी शैतानी करती हैं क्या?"
"हा मुझे पता हैं , ये सब मिलकर मेरी गुड़िया को परेशान करते हैं।"
"हा देखो पापा की चमची । बस पापा आ जाय जैसे सारी दुनिया मिल गयी। चढ़ा लो सर पर जितना मन हो । मैं तो चली काम करने । " कहते हुए स्वाति वहाँ से चली गयी।
"अरे कल तो मेरी गुड़िया का बर्थडे हैं , तो बताओ क्या गिफ्ट चाहिए मेरी गुड़िया को।"
"मुझे एक बड़ा सा रेड कलर का टेडी बियर चाहिए ।"
"ओके कल मेरी गुड़िया को उसकी पसंद का गिफ्ट मिल जायेगा। चलो रात होने वाली हैं जल्दी से खाना खा कर फिर सो जाओ ।"
नित्या चाहे जितनी शरारती हो लेकिन घर के हर सदस्य की जान हैं और शुभ उससे जितना लड़ता हैं उससे कही ज्यादा वो उसे चाहता हैं और उसकी देखभाल करता है। सुबह नित्या के उठने से पहले ही शुभ नित्या के लिए सरप्राइज़ प्लान करता है और उसके जागने से पहले ही पूरे कमरे को सजा देता हैं। सुबह जैसे ही नित्या की नींद खुलती हैं तो पूरे कमरे में अंधेरा देख उसे आश्चर्य होता है और वो धीरे से उठकर लाइट जलाती हैं और
लाइट के जलते ही सभी के हैप्पी बर्थडे बोलते ही वो चौक जाती हैं पूरे कमरे को गुब्बारे से सजा देख नित्या ख़ुशी से नाचने लगती हैं और दौड़कर थैंक यू कहते हुए पापा के गले लग जाती हैं।
"बेटा थैंक यू तो भैया को बोलना चाहिए क्योंकि ये सब तो भैया ने किया। " पापा के मुँह से भैया के बारे में सुन वो शुभ के पास जाती हैं और लव यू भैया कहते हुए शुभ के गले से लग जाती हैं।
"अच्छा मेरा गिफ्ट कहाँ हैं ? सब लोग पहले मेरा गिफ्ट दीजिये।"
"तुम्हारा गिफ्ट शाम को पार्टी में मिलेगा और अभी जल्दी से तैयार हो जाओ वरना स्कूल के लिए लेट हो जाओगे।"
नितिन ने आज हॉस्पिटल से छुट्टी ले ली थी और पूरा दिन नित्या के बर्थडे की पार्टी की तैयारी में लगा रहा। पता ही नही चला कब शाम हो गयी। रात के 8 बजने वाले थे और लगभग सभी मेहमान आ चुके थे। बस नित्या के केक काटने का इंतजार कर रहे थे। पिंक कलर की ड्रेस और हाथ में जादू की छड़ी लिए बिलकुल एक परी की तरह तैयार होकर जैसे ही नित्या नीचे आयी सभी की नजरे उस पर टिक सी गयी। नितिन और स्वाति तो नित्या को देख बस भावविभोर हो रहे थे। शुभ नित्या को लेकर आया और फिर नित्या ने केक कट किया । सभी ने नित्या को एक से बढ़कर एक उपहार दिए लेकिन नित्या को तो अपने पापा के गिफ्ट का इंतजार था और जैसे ही नितिन ने उसे रेड कलर का एक बड़ा सा टेडी बियर दिया नित्या एक छोटी बच्ची की तरह नाचने लगी। सभी ने लाइट म्यूजिक पर डांस किया और फिर खाने के बाद सभी अपने अपने घर को जाने लगे।
सभी के जाने के बाद नित्या सभी मिले गिफ्ट को खोलने लगी तो काफी रात होने की वजह से स्वाति ने उसे गिफ्ट खोलने से मना कर दिया और रूम में जाकर आराम करने को कहा लेकिन नित्या कहाँ मानने वाली थी । वो अपने सारे गिफ्ट लेकर ऊपर अपने रूम में जाने लगी तभी अचानक से सीढ़ी पर चढ़ते समय उसके हाथ में बंधा कलावा फॅस जाता है। नित्या काफी छुड़ाने की कोशिश करती हैं और उसी कोशिश में वो धागा टूट कर गिर जाता है और उस धागे के गिरते ही एकदम से तेज हवा चलने लगती है। खिड़कियो में लगे पर्दे तेजी से उड़ने लगते हैं और नित्या गिफ्ट पकड़े वही रुक जाती हैं । तेज हवा के झोंके से उनकी आंखें बंद होने लगती हैं और वो शुभ को खिड़की बंद करने के लिए कहती हैं। तभी नितिन और स्वाति वहाँ आ जाते हैं।
"अरे ये अचानक से मौसम को क्या हो गया ? अभी तक तो एकदम सही था । " कहते हुए स्वाति खिड़की की तरफ बढ़ती हैं और खिड़की को बंद करने के कोशिश करती हैं लेकिन बंद करने में असफल हो जाती है।
"नितिन जल्दी से यहाँ आइये , मेरी मदद कीजिये । " नितिन स्वाति के पास जाता हैं और दोनों लोग मिलकर बड़ी मुश्किल से वो खिड़की बंद करते हैं। तभी अचानक से लाइट चली जाती है और चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा हो जाता है। अँधेरे को देखकर नित्या घबरा जाती हैं और उसके मुँह से चीख निकल जाती हैं।
"अरे बेटा शांत रहो , लाइट अभी आ जायेगी।"
"नितिन हमारे यहाँ तो इन्वर्टर हैं फिर कैसे लाइट जा सकती हैं।"
"शायद इन्वर्टर में कोई प्रॉब्लम हो गयी होगी , तुम कैंडल जलाओ और बच्चों के पास रहों मैं देख के आता हूँ ।" कहते हुए नितिन इन्वर्टर चेक करने चला जाता हैं लेकिन उसे वहाँ कोई भी समस्या नही दिखती और फिर वो मेन स्विच की तरफ जाता हैं वो भी सही होता हैं , तभी उसकी नजर घर घर के बाहर की तरफ जाती हैं तो वो देखकर चौक जाता हैं कि सभी के घर में लाइट हैं सिर्फ उसके घर में ही नही है।
दूसरी तरफ स्वाति कैंडल जलाती हैं और फिर शुभ को देते हो नित्या को कमरे में ले जाने को कहती हैं। शुभ कैंडल लेकर नित्या के साथ कमरे में आ जाता हैं। नित्या हाथ में पकड़े सारे गिफ्ट को बेड पर रख देती हैं। शुभ कैंडल को मेज पर लगाकर बाथरूम में चला जाता हैं।
"स्वाति स्वाति "
"हा जी , कुछ पता चला ?"
"अरे यार सबके यहाँ लाइट आ रही हैं सिर्फ अपने ही घर में नही हैं ।"
"ऐसा कैसे हो सकता हैं?"
"शायद हमारे घर में ही कोई समस्या हैं , मैं अभी इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट में फ़ोन करके किसी को बुलाता हूँ।" कहते हुए नितिन अपना मोबाइल निकाल कर जैसे ही नंबर डायल करने लगता हैं वैसे ही लाइट आ जाती हैं।
"अरे लो आ गयी , शायद एक फेस गया होगा तो आ गया। लेकिन कल आप इन्वर्टर वाले को फोन करके जरूर बोल देना इसे आकर चेक कर ले। " अभी स्वाति और नितिन आपस में बात ही कर रहे थे कि अचानक से शुभ की चीखने की आवाज सुन दौड़कर उसके कमरे में जाते हैं और शुभ को डरा और सहमा देख उसका कारण पूछने लगते हैं तो वो बेड के दूसरी
तरफ देखने का इशारा करता हैं।
बेड के दूसरी तरफ नित्या के सारे गिफ्ट बिखरे पड़े थे और जमीन पर कुछ खून की बुँदे गिरी हुई थी जिसे देख शुभ डर गया था। नितिन अहिस्ता अहिस्ता वहाँ जाता हैं और खून की बूंद को छू कर नाक के ले जाकर सूंघता हैं और फिर जोर से हँसने लगता हैं ।
"क्या हुआ , आप ऐसे हँस क्यों रहे हैं। यहाँ खून गिरा हुआ हैं और आप हँस रहे हैं।"
"ये कोई खून वून नही हैं । टोमेटो सॉस की बूंदे हैं और कुछ नही ।"
"ये पक्का नित्या का ही काम हैं । कोई मौका नही छोड़ती शुभ को डराने और परेशान करने का। मैं इस लड़की का क्या करूँ ? "
"शुभ पता हैं ना नित्या कितनी शरारती हैं , आज तुम्हे उसने फिर उल्लू बना दिया । "
"लेकिन नित्या हैं कहाँ ? आज बताती हूँ इसको , इसकी शरारतों की लिमिट तो बढ़ती जा रही हैं । " कहते हुए स्वाति नित्या को ढूंढने लगती हैं लेकिन नित्या उसे पूरे घर में कहीं भी नही मिलती।
स्वाति गुस्से में नित्या को सभी जगह खोजती हैं लेकिन जब वो कहीं नही मिलती तो परेशान हो जाती हैं और घबराते हुए वो नितिन के पास आकर नित्या के कही भी ना मिलने को बताती हैं।
"यही कहीं होगी , इतनी रात में कहाँ जाएगी ? उसे पता है कि तुम अभी डाटोगी उसे इसीलिए छुप गयी होगी ।"
"अरे यार मैने उसे पूरे घर में देख लिया है वो कहीं भी नही हैं।"
"चलो अच्छा मैं देखता हूँ ।" कहते हुए स्वाति और नितिन दोनों नित्या को पूरे घर में ढूंढने लगते हैं लेकिन वो उसे कहीं नही मिलती। तभी सीढ़ियों से उतरते समय स्वाति के पैरों के नीचे किसी चीज के पड़ जाने से वो रुक जाती हैं और नीचे पड़ी चीज को उठाकर हाथ में लेती हैं जिसे देखते ही नितिन और स्वाति के हृदय की गति तेजी से बढ़ने लगती हैं और उन्हें अतीत में नित्या के साथ हुआ हादसा आँखों के आगे घूमने लगता हैं। वो चीऔर कुछ नही नित्या के हाथ में बंधा अभीमंत्रित कलावा था जिसने उस रात नित्या को किसी अनजाने साये से बचाया था। इतना समय बीत जाने से वो सभी उस घटना को लगभग भूल से गये थे और आज अचानक से कलावा का गिरना , नित्या का गायब होना किसी अनहोनी की आशंका की तरफ इशारा कर रहा था। अब तो नितिन और स्वाति और भी परेशान हो गए और घबराते हुए नित्या को चारों तरफ खोजने लगे। तभी उन्हें पंडित जी बात याद आयी कि इस अभिमंत्रित कलावे को कभी नित्या के बाजू से अलग नही होना चाहिए वरना उसके लिए खतरा हो सकता है। पुरानी सब यादे ताजा होते ही नितिन ने सबसे पहले पंडित जी को फ़ोन लगाया लेकिन उनका फ़ोन नही लगा। परेशान नितिन बार बार पंडित जी को फोन पर फोन कर रहे थे लेकिन फ़ोन हर बार नेटवर्क कवरेज से बाहर ही बता रहा था ।
"क्या हुआ पंडित जी फोन नही उठा रहे हैं क्या ?" स्वाति ने घबराते हुए पूछा।
"पता नही उनका फोन लग ही नही रहा हैं , नेटवर्क कवरेज से बाहर बता रहा हैं।"
"वो तो विदेश गये थे ना , कब वापस आये?"
"अरे हा मैं तो भूल ही गया था , घबराहट में याद ही नही रहा कि वो तो लंबे समय से यहाँ हैं ही नही।"
"फिर अब हमारी मदद कौन करेगा ? कहीं मेरी बच्ची के साथ फिर से वही सब कहीं ऐसा फिर हुआ तो अब हम 5 Full stop" कहते हुए स्वाति रोने से लगी।
"सब्र रखो स्वाति सब अच्छा होगा। इस बार कोई अनहोनी नही
होगी। पहले जो था सब कुछ ख़त्म हो गया था । अब हमारी बच्ची के साथ कुछ नही होगा । चलो हम उसे बाहर ढूंढते हैं । "कहते हुए नितिन ने गाड़ी निकली और स्वाति के साथ उसे ढूंढने निकल पड़ा।
"लेकिन नितिन हम उसे कहाँ और कैसे ढूंढेंगे ?"
"अभी थोड़ी देर पहले ही वो घर से गायब हुई हैं इसका मतलब वो अभी ज्यादा दूर नही गयी होगी यही कही आसपास ही होगी। " नितिन ने अपनी गाड़ी की स्पीड बड़ाई और इधर उधर नित्या को ढूंढने लगा। तभी सड़क पर जल रही मध्यम लाइट में उसे दूर सुनसान इलाके में कोई दिखाई दिया ।
"अरे ये तो नित्या हैं , देखो उसने वही ड्रेस पहन रखी हैं अपनी बर्थडे वाली ।" धीमे धीमे क़दमो से नित्या सुनसान रोड पर बेहवास सी गुमसुम सी चली जा रही थी। स्वाति चिल्लाते हुए बार बार आवाज दे रही थी लेकिन उसे जैसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था। तभी सामने से आते एक ट्रक को नित्या की तरफ बढ़ते देख नितिन और स्वाति की आँखे फटी की फटी रह गयी । स्वाति चिल्लाते हुए नित्या को रोड से हट जाने को कह रही थी लेकिन नित्या पर कोई भी असर नही हो रहा था । उधर से ट्रक वाला भी तेजी से नित्या की तरफ बढ़ रहा था और फिर स्वाति और नितिन के मुँह से जोर से चीख निकल गयी। ट्रक नित्या को कुचलता हुआ आगे की तरफ निकल गया। स्वाति जोर जोर से रोने लगी । ट्रक के निकल जाने के बाद वो दोनों उस जगह पर गये लेकिन उन्हें नित्या नही मिली लेकिन तभी नित्या को सही सलामत देख उनकी सांसो में सांसे आयी। एक अनजान लड़की ने नित्या को ट्रक के उसके पास पहुँचने से पहले ही अपनी तरफ खींच लिया था और उसे मौत के मुँह से बचा लिया।
"आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी बेटी को इस भयानक हादसे से बचा लिया । आपका ये एहसान मैं कभी नही भूल पाऊंगा। " कहते हुए नितिन उस अनजान लड़की के आगे नतमस्तक हो गया। स्वाति ने नित्या को जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया।
"आप कैसे माँ बाप हैं जो इतनी रात में बच्ची को अकेले घर से बाहर निकलने दिया।"
"अब मैं आपको क्या बताऊँ , शायद मै आपको कुछ नही समझा पाउँगा लेकिन बस इतना समझ लीजिए इस एहसान की कीमत मैं कभी नही चुका पाउँगा। अभी बहुत बहुत बहुत धन्यवाद। " कहते हुए स्वाति ने नित्या को पकड़कर गाड़ी में बिठाया ।
"आप इतनी रात में अकेले , बताइये कहाँ जाना हैं मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ ।" नितिन ने बात पलट दी।
"नही यही पास में मेरा घर हैं , मैं चली जाऊंगी। आप लोग परेशान मत होइए।"
"इसमें परेशानी की कौन सी बात । आपने जो किया उसके लिए तो मैं कुछ भी करूँ कम ही हैं। आइये मैं आपको घर तक ड्राप कर दूँ।" कहते हुए नितिन उस अनजान लड़की को गाड़ी में बैठने को कहता हैं।
"आपने सच में हमारे ऊपर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। इस वक्त आपको ईश्वर ने मेरी बेटी के लिए एक फरिस्ता बना कर भेजा था।"