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उलझन मोहब्बत की

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उलझन मोहब्बत की

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उलझन मोहब्बत की

कालेज खत्म हुए दो साल हो गए, इसी बीच बहुत कुछ बदल गया था। वक्त भी, हालात भी और नैना का प्यार भी।नैना दो साल पहले ही नए शहर में शिफ्ट हुई थी नौकरी की वजह से। इस बडे महानगर में वह अकेली ही जिंदगी के नए सफर पर निकल पडी, कहने को तो वह बहुत ही बोल्ड और बिंदास थी, लोगों से खूब मिलती जुलती और हँसा करती पर अपने घर में घुसते ही वह एक बेजान शरीर बन कर रह जाती।

घर वालों के फोन आने पर वह ना के बराबर ही बात करती थी, उसने घर वालों से साफ कह दिया था कि कोई भी उससे यहाँ मिलने ना आए और अगर किसी ने यह हरकत की तो वह किसी को बिना बताए किसी और शहर में चली जाएगी फिर कभी लौट कर वापस नही आएगी। उसे मतलब था तो बस अपने काम से। उसने कम्पनी के साथ दो साल का एग्रीमेंट भी साइन कर लिया था जिससे कम से कम दो साल तक तो वह अपने शहर वापस ना लौटे। अब उसका कोई साथी था, तो वह थी तंहाई। दोहरी जिंदगी जीना उसे बहुत अच्छे से आ गया था या कह सकते है कि वक्त ने सिखा दिया था। घर के बाहर वो दुनिया की सबसे खुश लड़की पर घर में आते ही वह एक हारी हुई इंसान जिसका जीने का ना कोई मकसद , ना कोई सपना था।

अगर उसके पास जीने की वजह थी तो बस वह साडी और एक चेन जो राजेश ने चार साल पहले राँयल होटल में उसे पहनाई थी, वह भला कैसे भूल सकती थी उस दिन को, वह दिन उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था। जब भी वह उस हसीं रात को याद करती तो राजेश के एहसास से आज भी सिहर जाती। एेसा लगता था कि जैसे कल ही की बात है। उस दिन वह खुद को राजेश पर हार चुकी थी पर आज उसके पास ना वह खुद थी और ना राजेश।

अब तो राजेश का नाम लेने का हक भी वह खो चुकी थी क्योंकि वह अब किसी और का सुहाग था, नैना को कोई हक ना था उस पर हक जताने का क्योंकि अपनी खुशियों में आग उसने खुद अपने ही हाथों से लगाई थी।

नैना को आज भी याद है वह दिन, जब राजेश ने उससे अपने प्यार की भीख माँगी थी, अपनी सच्ची मोहब्बत का वास्ता दिया पर नैना पर उसकी किसी बात का कोई असर ना हुआ था। उसे आज भी याद है वह दिन, जब राजेश पूरी रात उसके हाँ कहने के इंतजार में तेज बुखार होने के बाद भी , बारिश में उसके घर के बाहर बैठा रहा था पर उसकी किसी दुहाई का नैना पर कोई असर ना हुआ और वह अगले दिन ही चुपचाप बिना किसी से कुछ कहे अपना होम टाउन छोड़ अकेली ही नए सफर की शुरुआत करने इस महानगर में आ गई थी। तीन दिन बाद ही उसे पता चला कि राजेश की शादी तय हो गई है जो दस दिन बाद ही थी।

कितना रोई थी नैना उस रोज । जब से उसने राजेश को धोखा दिया था, तब से वह हर रोज धीरे धीरे खत्म सी हो रही थी पर उसने अपना हर दर्द अपनी हंसी के पीछे छुपा रखा था।

आज भले ही राजेश उसका ना हो पर उसकी यादों पर नैना आज भी अपना हक समझती थी, कालेज की वो सारी यादें उसके जीने का जरिया थी। ना जाने कितने लड़कों ने उसे उसकी खूबसूरती देख प्रपोज किया पर उसने सभी को ठुकरा दिया, उसने अब पूरी जिंदगी अकेले गुजारने का फैसला किया था।

आज नैना सुबह लेट तक सोती रही इसलिए अब वह जल्दी से भाग कर तैयार हुई और कैब लेने के लिए घर से बाहर निकल गई, कैब में बैठे बैठे वह भगवान से प्रार्थना करने लगी कि प्लीज आज टाइम से पहुँचा दो, अगली बार से पक्का , सही समय पर उठू्ंगी।

ऐसा नहीं है कि नैना का बाँस खडूस था और लेट होने पर उसे डाँटेगा । नैना को चिंता इस बात की थी कि उसका बॉस हर काम के लिए उसी पर डिपेंड था और हो भी क्यों ना , नैना अपने ऑफिस की सबसे होनहार एम्पलाई थी। वह अपने बॉस का भरोसा नहीं तोड़ना चाहती थी, बाँस ने आज उसे किसी जरूरी काम से टाइम पर आँफिस आने को कहा था पर वह आज भी लेट हो गई थी।

उफ यह मुंबई का ट्रेफिक और लेट करा देता है, सोचते हुए नैना कैब से निकल आँफिस की बिल्डिंग की ओर भागी, उसका अाँफिस साँतवे फ्लोर पर था तो वह जल्दी से लिफ्ट में घुस गई।

वह जब आँफिस पहुँची तो चारों ओर सन्नाटा था, सभी कुलीग परेशान से एक -दूसरे का मुँह देख रहे थे। नैना को यह सब बडा अजीब लगा क्योंकि पिछले दो साल में , जब से उसने यहाँ नौकरी की थी, यह सबसे शांत दिन था । उसके बॉस मिस्टर खुराना बहुत ही खुश मिजाज आदमी थे , वह सभी एंप्लॉय को दोस्तों की तरह ट्रीट करते थे । यहां सभी हर रोज हंसी खुशी मिल जुल कर काम किया करते थे लेकिन आज लोग इतने खामोश क्यों हैं ? - सोचते हुए नैना सारा की , टेबल की ओर बढ़ी । सारा ने जब उसे देखा तो बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली - हाय नैना, वेलकम ।

नैना ने जब उसे इस तरह मुंह बनाते हुए देखा तो वह हँस पड़ी और बोली - क्या हुआ आज तेरा और बाकी सबका चेहरा कैसे उतरा हुआ है?

तभी सारा ने उसे चुप होने का इशारा किया - श्श.... । धीरे बोल, वो सुन लेगा ।

नैना हैरानी से बोली - कौन सुन लेगा और तुम लोग इतनी परेशान क्यों हो ?

सारा चौंकते हुए - तुझे सच में नहीं पता ?

नैना - मुझे क्या पता होगा ? मैं तो अभी ऑफिस आई हूं ।

सारा - यार , मैंने तेरे फोन पर मैसेज छोड़ा था। तूने चेक किया या नहीं ? ओह, मै तो भूल ही गई थी कि अपने घर में घुसते ही तु बाहर की दुनिया से सारे रिश्ते खत्म कर लेती है। अरे, नया बाँस आया है यार। दिखने मैं जितना ज्यादा हैंडसम है, नेचर में उतना ही खडूस।

, नैना चौंकते हुए बोली - पर खुराना सर...?

सारा - उन्होंने इस नए बाँस के साथ अपनी कम्पनी का मर्जर कर दिया है, सब कुछ बडी जल्दी में हुआ। राजेश सर ने खुराना सर की सारी शर्तें मान ली पर उन्होंने खुराना सर को कहा कि आप अब बैंगलूर का आँफिस देखेंगे और मैं यहाँ का।

नैना - राज...?

सारा - वही, अपना नया बाँस यार। अब तो ये आफिस कैदखाना बन जाएगा यार, कोई मस्ती मजाक नहीं...। हम सब तो मिल लिए उनसे पर तु ही बाकी है, खुराना सर ने तेरी बहुत तारीफ की है उनसे।

नैना राजेश नाम सुनते ही पुरानी यादों मे खो गई, वह अक्सर राजेश को प्यार से राज कह कर बुलाती थी।

तभी चपरासी ने आकर नैना को कह कि खुराना सर अंदर कैबिन में आपको नए बाँस से मिलाने को बुला रहे है।

नैना का दिल अब जोरों से धडकने लगा कि क्या यह वही राजेश है या कोई और? वैसे भी राजेश तो दिल्ली में है तो वह , इतनी दूर आकर क्या करेगा? दुनिया भर में ना जाने कितने लोगों के नाम राजेश है, मैं फालतू में डर रही हूं - सोचते हुए नैना धीरे-धीरे बॉस के कैबिन की ओर बढ़ने लगी। नैना ने जैसे ही केबिन का दरवाजा खोला तो उसे सामने खुराना सर बैठे हुए नजर आए , उन्होंने नैना को अंदर आने के लिए कहा।

नैना जब केबिन के अंदर गई तो उसने देखा कि खुराना सर के सामने एक आदमी बैठा है , नैना को उसे देख अब जान में जान आई । वह समझ गई कि यही राजेश है , वह मन ही मन खुद पर हंसने लगी कि तू भी कितनी बेवकूफ है नैना , राजेश का नाम सुनते ही सबसे पहले तेरे दिमाग में अपने राजेश का ही ख्याल आता है। 2 साल हो गए राजेश को देखे हुए, पता नहीं कैसा होगा कि तभी खुराना की आवाज ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा ।

खुराना सर - इनसे मिलो नैना यह है...

नैना बीच में ही बोल पड़ी - राजेश सर। फिर वह उस आदमी की ओर मुड़ कर बोली नाइस टू मीट यू सर , तब वह आदमी हंसकर बोला - माफ कीजिएगा मैं राजेश नहीं हूं , मेरा नाम विशाल है और मैं राजेश सर के साथ यहाँ काम सम्भाँलूंगा।

, यह सुन नैना अब फिर से घबराने लगी कि तभी नैना के पीछे की तरफ कैबिन के वाँशरूम से किसी के निकलने की आहट सुनाई दी ,वह इंसान इसी ओर आ रहा था तभी विशाल सर ने नैना से कहा - ये लीजिए, आ गये आपके नए बाँस - राजेश सर।
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(उलझन मोहब्बत की ) ......(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: उलझन मोहब्बत की

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वह इंसान नैना के बगल से निकलता हुआ विशाल के पास जाकर बैठ गया, नैना ने हिम्मत बटोर कर धीरे से अपनी नजरें उस इंसान की ओर की तो वह हैरान रह गई।

हाँ, यह उसका ही राज था। दो साल में कितना बदल गया था वो, अब वह पहले से भी ज्यादा हैंडसम होे गया था, वह हल्की हल्की दाढी रखने लगा था, भाव शून्य चेहरा, आँखों की चमक भी गायब थी पर यह क्या? राजेश ने एक बार उसे देखा और अगले ही पल अपने मोबाइल में व्यस्त हो गया। वह नैना को देख जरा भी ना चौंका तो नैना सोच में पड गई कि क्या वह पहले से ही मेरे बारे में जानता था या उसे अब मेरे होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पडता था?

राजेश ने अब एक बार भी नैना की ओर नहीं देखा, उसका खुद को यूँ नजरअंदाज करना नैना को बहुत तकलीफ दे रहा था फिर भी नैना ने हिम्मत करके धीरे से राजेश से कहा - हेलो सर ।
,
राजेश ने उसकी तरफ नजर उठाए बिना ही रूखे स्वर से कहा - हेलो और फिर वह खड़ा हो विशाल से बोला कि मुझे कुछ जरूरी काम है , मैं अभी थोड़ी देर में वापस आता हूं - कहते हुए वह केबिन से बाहर निकल गया । नैना उसे बाहर जाते हुए देख रही थी , राजेश ने उसे पलट कर एक बार भी ना देखा ।

नैना इस नए राजेश को देख कर हैरान रह गयी, नहीं यह उसका राजेश नहीं हो सकता। वह कभी भी उसे यू इग्नोर नहीं करेगा लेकिन मैंने जो इसके साथ किया , क्या उसके बाद भी वह मुझसे फिर से पहले सा बर्ताव करेगा?

नैना अब जल्दी से भागकर वॉशरूम में चली गई और वहाँ का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। वह वहीं बैठ कर जोरों से रोने लगी , आज उसके जख्म फिर से हरे हो गए थे जिन्हें उसने दो साल पहले ही दफना दिया था। राजेश का सामना करने की हिम्मत नहीं थी उसमें अब, वह सबसे लड सकती थी पर अपने राज का सामना कैसे करेगी?,
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Re: उलझन मोहब्बत की

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नैना वाँंशरूम में बैठी काफी देर तक सिसकती रही, उसकी अब हिम्मत नहीं हो रही थी राजेश का सामना करने की। उसके अंदर का अपराध बोध उसे कचोट रहा था, नैना ने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी किसी को धोखा नहीं दिया था और ना ही किसी का बुरा किया था लेकिन उसकी फूटी किस्मत तो देखो कि उसे अपने ही प्यार को धोखा देना पड़ा।

वजह चाहे जो भी हो पर धोखा धोखा ही होता है और धोखा देने वाला जितना करीबी हो, दर्द भी उतना ही गहरा होता है। तभी सारा ने वाँशरूम के दरवाजे पर बाहर से दस्तक दी - अरे यार, पूरा दिन यहीं बैठे रहने का इरादा है क्या? चल जल्दी आ, नए बाँस के साथ सबकी पहली मीटिंग है- कहते हुए वह वहाँ से चली गई।

नया बाँस... राजेश... नहीं मै नहीं जाऊंगी, कैसे सामना करूँगी उसका? उसने तो मेरी ओर देखा तक नहीं, कितनी नफरत होगी उसके दिल में मेरे लिए.... उसकी बेरूखी मै सहन नहीं कर सकती।

तभी एक बार फिर सारा ने दरवाजे पर दस्तक दी - अरे यार, क्या कर रही है? आना जल्दी बाहर।

नैना अब फटाफट उठी और जल्दी से आँसू पोंछ मुँह धोया , रोने के कारण उसकी आँखें लाल हो रही थी तो उसने सोचा कि वह किसी की ओर देखगी ही नहीं और किसी ने कुछ पूछा तो कह देगी कि आँखों में कुछ गिर गया था। नैना नहीं चाहती थी कि उसके आज पर अतीत की परछाई भी पडे इसलिए वह यह नौकरी छोड़ देगी पर आज तो उसे राजेश का सामना करना ही पडेगा , कम से कम वह आज इसी बहाने उसे जी भर कर देख तो लेगी - सोचते हुए नैना वाँशरूम के बाहर निकली और बाकी लोगों के पास चली गई।

जब वह कुलीग्स के पास पहुँची तो देखा वहाँ मौजूद लड़कियाँ और सारा आपस मे गपसप कर रही थी, नैना को देखते ही सारा बोली - कितना टाइम लगा दिया यार? चलो अब सब जल्दी, लेट हो रहा है।

कांफ्रेंस हाँल में राजेश बैठा विशाल से बाते कर रहा था कि सभी लोग वहाँ आकर बैठ गए, नैना को राजेश के ठीक सामने वाली सीट मिली। नैना बस एक बार राजेश को जी भर , के देखना चाहती थी इसलिए उसने धीरे से अपनी नजरें उठा कर राजेश की ओर देखा - कितना बदल गया था उसका राज। उसके चेहरे पर हर वक्त रहने वाली मुस्कान कहीं गायब हो गई थी, उसके चेहरे की मासूमियत को कठोरता ने अपने अंदर कहीं दबा दिया था।

राजेश को इस बात का पूरा एहसास था कि नैना ठीक उसके सामने बैठी लगातार उसे ही देख रही है पर वह भाव शून्य चेहरे के साथ फाईल पडता रहा।

विशाल ने अब मीटिंग की कमान संभाली फिर थोड़ी देर बाद राजेश ने बोलना शुरू किया, वह सबकी ओर देख रहा था सिवाय नैना के। नैना के कानों मे उसकी आवाज मिश्री की भाँति घुलने लगी, वह पुरानी यादों में खो गई कि कैसे राजेश हर वक्त नैना नैना करके उसके पीछे घूमा करता था और उसे तंग करता था, वह कहता था कि नैना तुम्हें देखे बिना मुझे एक पल भी चैन नहीं मिलता पर आज वही राजेश है जो एक बार भी उसकी ओर नहीं देख रहा था ।

नैना यह सब सोच ही रही थी कि उसके हाथ से पेन छिटक कर उसके बगल में बैठी सारा के पास गिरा, नैना ने सारा को धीरे से पुकारा तो उसने कोई रेसपांस नहीं दिया। जब नैना ने सारा की ओर देखा तो पाया कि वह राजेश को घूरे जा रही , थी। यह देख नैना को उस पर बहुत गुस्सा आया कि उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरे राजेश.... लेकिन राजेश मेरा भी तो नही है फिर मैं कौन होती हूँ किसी को टोकने वाली, सोच नैना अपनी फाईल पढने लगी पर उसे चैन ना था।

उसने फिर सारा की ओर देखा तो पाया कि अभी भी वह मुस्कुराती हुई राजेश को ही देख रही थी, इस बार नैना खुद पर काबू नहीं रख पाई और सारा के पास खिसक कर धीरे से उसके कान में बोली - ये शादी शुदा है।

यह सुनते ही सारा का चेहरा एकदम से उतर गया और उसने दुखी हो अपना माथा पीट लिया और बोली - मेरी तो किस्मत ही खराब है।

उसकी बात सुन कर नैना मुस्कुराने लगी।

सारा - वैसे सर हैं बहुत क्यूट, है ना?

नैना मुस्कुराते हुए बोली - हाँ, बहुत क्यूट।

सारा अब हैरानी से नैना को देखने लगी, नैना ने जब इशारे से इसका कारण पूछा तो वह बोली - बीते दो साल से हम साथ है पर तुने आज तक किसी भी लडके की तारीफ नहीं की , लेकिन आज तुने सर की तारीफ की? मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा।

नैना झेंपते हुए बोली - अब क्यूट लगा तुझे तो मैने तो बस हाँ में हाँ मिला दी तेरा दिल रखने के लिए।

सारा कुछ कहती कि विशाल ने मीटिंग खत्म होने की बात कही, अब विशाल और राजेश को छोड़ सभी लोग कांफ्रेंस हाल से बाहर निकल गए, नैना सबसे पीछे थी। वह जैसे ही हाँल से निकलने को हुई कि विशाल की आवाज उसके कानों में पडी।

विशाल - अरे राजेश, ये तेरी आँखें इतनी लाल कैसे हो रही हैं?

यह सुनते ही नैना वहीं रूक गई और पीछे पलट कर राजेश को देखने लगी।

राजेश - कुछ नहीं, थोड़ी देर पहले आँख में कुछ गिर गया था, कहते हुए राजेश ने जैसे ही दरवाजे की ओर देखा तो सामने नैना खडी थी।

उन दोनों की नजरें आपस में मिली और अगले ही पल राजेश , ने अपनी नजरें हटा ली, और फाईल देखने लगा।

नैना अब हाँल से बाहर आ गई पर उसका दिल अंदर राजेश के पास ही रह गया, वह सोच में पड गई कि क्या सच में राजेश की आँखों में कुछ गिर गया था या मुझे देख उसे मेरा धोखा याद आ गया और उसका दर्द आँसू बन कर बाहर निकल आया ? पूरा दिन हो गया पर राजेश ने एक बार भी मुझसे बात नहीं की ना कोई झगड़ा। क्या समझू इस खामोशी को? क्या राजेश मुझे पूरी तरह भूल आगे बढ चुका है या फिर यह किसी तूफान के आने से पहले की खामोशी है?

नैना इस बार एक नई उलझन में फँस गई थी।

नैना अब जाकर अपनी टेबल पर बैठ गई और रेजिगनेशन लैटर लिखने लगी, अभी वह आधा लैटर ही लिख पाई थी कि सारा ने अचानक से आकर वह लैटर नैना के टेबल से उठा लिया और नैना को चिडाने लगी कि किस के लिए लव लैटर लिख रही हो ? जरा हम भी तो पढे - कहते हुए वह भागने लगी। नैना खड़ी हो वह लैटर उसके हाथ से लेने की कोशिश करने लगी - प्लीज सारा, वापस दो यार। बाहर शोर सुनकर राजेश विशाल के साथ अपने कांफ्रेंस हाल से बाहर निकला ही था कि सारा भागते हुए राजेश से टकराकर कर लडखडा , गई जिसे राजेश से पीछे खड़े विशाल ने संभाल लिया और नैना का रेजिगनेशन लैटर राजेश के हाथ में आ गया। यह देख नैना घबरा गई कि पता नहीं राजेश कैसे रिएक्ट करेगा?

उसने राजेश के हाथ से वह लैटर लेने की कोशिश की लेकिन राजेश ने वह लैटर नैना के हाथ ना लगने दिया और खुद वह लैटर पढने लगा।

नैना अंदर ही अंदर डरने लगी लेकिन राजेश ने इस पर कोई रिएक्शन नही दिया, उसने वह लैटर फाड़ कर वहीं पास ही रखी डस्टबिन में डाल दिया और बडे इत्मीनान से वहाँ से सीधे अपने कैबिन में चला गया।

नैना यह देख हैरान रह गई, उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरा रेजीगनेशन लैटर फाड दिया ? यह लैटर देख राजेश चौंका भी नहीं, क्या वह पहले से जानता था कि मै कुछ ऐसा ही करने वाली हूँ? अब राजेश से बात करनी ही होगी, सोचते हुए नैना फिर से अपना रेजीगनेशन लैटर लिख राजेश के कैबिन की ओर बढ़ी।,
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राजेश कैबिन में अपनी चेयर पर आँखें बंद कर लेटा हुआ था। वह अब पुराने दिनों की यादों में डूबने लगा -

राँयल होटल की पार्टी वाली रात उसकी जिंदगी की सबसे हसीं रात थी, जिस तरह नैना ने उसका प्यार स्वीकार किया था, वो सच में उसके लिए हैरान कर देने वाला था।

" नैना अब सारी उलझन से मुक्त हो सुकून से बैठी हुई खिड़की से बाहर सडक पर पडती हल्की बारिश की बूँदों को देखने लगी, आज सब ठीक हो गया था। नेहा और करन का इजहार और उसका, राजेश का भी पर रिचा के लिए उसे अभी भी थोड़ा बुरा लग रहा था, वह जानती थी कि एक ना एक दिन उसे भी उसका सच्चा प्यार मिल ही जाएगा।


राजेश मुस्कुराते बोला - नैना, एक बात पूँछू?

नैना - हाँ।

राजेश - तुम कहीं किसी दबाव में तो हाँ नहीं कर रही हो मतलब कि तुमने मुझे गलत समझा और फिर सच पता पड़ने पर गिल्ट होने पर तुम मुझे खुश करने को हाँ कह रही हो?

नैना - ऐसा कुछ नहीं है राजेश, जिस तरह मेरे पास होने से तुम्हारे दिल की धड़कन बढ़ जाती है उसी तरह तुम्हारे करीब आने से मेरे दिल की धड़कन बढ जातीं है। मैने ऐसा कभी भी महसूस नहीं किया, मै समझ ही नही पा रही थी कि यह सब है क्या और मैं कैसे प्यार कर सकती हूँ, जब मुझे इसमें भरोसा ही नहीं लेकिन आज तुम्हें खोने के डर से मुझे एहसास हुआ कि मै तुम्हारे बिना नहीं जी सकती। आज मुझे महसूस हुआ है कि तुम कितने जरूरी हो मेरे लिए।

राजेश - मै भी तुम्हारे बिना एक पल भी नही जी सकता। दो साल इंतजार किया है तुम्हारा, अब और नहीं कर सकता। अब कभी मुझे छोड़ कर मत जाना नैना, जीने की वजह बन चुकी हो तुम मेरी।

नैना यह सुन राजेश की ओर बडे प्यार से देखने लगी कि तभी राजेश का ध्यान उसके भीगे बालों और कपडों पर गया, , हालाँकि वह खुद भी भीगा हुआ था पर नैना के आगे उसे कुछ सूझता कहाँ था?

राजेश ने अपनी सीट के पीछे से एक छोटा सा टावल उठाया और नैना की ओर थोड़ा आगे बढ उसके भीगे बालों को पोछने लगा, नैना ने कहा भी कि वह खुद कर लेगी लेकिन राजेश ने उसकी एक ना सुनी। वह कहने लगा कि आज मुझे तुमने हक दे ही दिया है तो इस्तेमाल तो करने दो, क्या पता कल को तुम्हारा मन बदल जाए और फिर तुम फिर से पत्थर दिल बन जाओ ?

कमाल हो तुम भी, जब उस दिन मैने तुम्हारा हाथ पकडा था तो तुमने खींच के थप्पड रसीद दिया था, उस वक्त तो तुम काफी स्ट्रोंग थीं फिर आज क्या हुआ नैना शर्मा?


वह गम्भीर होते हुए कहा - आई ट्रस्ट यू नैना, खुद से भी ज्यादा। बस कभी मेरा भरोसा मत तोडना। जिस दिन तुमने मेरा भरोसा तोडा, उस दिन मैं भी टूट जाऊँगा


नैना ने अब राजेश की ओर देखा, तो उसने शरारत भरी हँसी से कहा - इन सब चीजों के लिए जिंदगी पड़ी है, यू टेक योर टाइम पर मेरी बात हमेशा याद रखना, भरोसा ना टूटे हम दोनों में से किसी का भी।
,

नैना ने हाँ मे सिर हिलाया और बोली - थैंक्स मुझे समझने के लिए और मैं कभी तुम्हारा भरोसा नहीं तोडूंगी। "

ठक - ठक, दरवाजे पर हुई दस्तक ने राजेश को वर्तमान में ला दिया, अब वह चेयर पर सीधा बैठ चेहरे से बह रहे आँसू को पोंछ बोला - कम इन।

सामने से विशाल कैबिन में दाखिला हुआ, वह राजेश का बचपन का दोस्त था लेकिन काँलेज टाइम में वह पढने दूसरे शहर चला गया था। वह आकर राजेश के सामने वाली चेयर पर आ बैठा, राजेश को देखते ही वह उसकी परेशानी समझ गया और बोला - देख रहा हूँ, जब से यहाँ इस शहर मे आए हो , तब से तुम उसी लड़की के ख्यालों में खोए हुए हो। उसे एक बुरा सपना समझकर भूल क्यों नहीं जाते? कब तक यूं ही अंदर ही अंदर घुट कर जीते रहोगे ? तुम्हारे आगे पूरी जिंदगी पड़ी है , उसका और अपने परिवार का तो ख्याल करो।

राजेश ने उसकी बात का कोई जवाब ना दिया, विशाल इस बात से अनजान था कि वह लड़की, जिसकी वजह से उसका दोस्त आज इस हाल में है , नैना ही है। विशाल अब कुछ और कहना ही चाहता था कि दरवाजे पर फिर से दस्तक हुई।

, राजेश ने अंदर आने की परमीशन दी तो सामने नैना अपना रेजीगनेशन लैटर लिए हुए अंदर आ खड़ी हुई। नैना को लगा था कि शायद राजेश कैबिन में अकेला है लेकिन विशाल को देख वह एक बार को ठहरी पर फिर वह पूरे आत्मविश्वास के साथ राजेश की टेबल के सामने आ खड़ी हुई और उसकी ओर लैटर बढाते हुए कहा - मेरा रेजीगनेशन लैटर सर, अब मै और काम नहीं कर सकती यहाँ। राजेश ने अब नजरें उठाकर नैना की ओर देखा और उसके हाथ से लैटर ले पढने लगा।

विशाल हैरानी से नैना को देखते हुए बोला - आप तो बड़ी काबिल है फिर ऐसे अचानक रिजाइन?

नैना विशाल से बोली - वो सर... कि तभी विशाल ने उसे टोकते हुए कहा - बस विशाल कहिए।

यह सुन लैटर पढते हुए राजेश ने गुस्से में विशाल की ओर देखा कि यह नैना से इतना फैमिलियर क्यों हो रहा है? फिर वह चुपचाप लैटर पढने लगा।

नैना - ओके विशाल, दरअसल कुछ पर्सनल वजह है तो मैं नही कर पाऊंगी।

अभी विशाल और नैना आपस में बात कर ही रहे थे कि उन्हें कुछ फटने की आवाज आई, उन्होंने राजेश की ओर देखा तो पाया कि राजेश ने रेजीगनेशन लैटर फाड़ डाला है। नैना की , और गुस्से से देखते हुए राजेश ने लेटर के टुकड़े डस्टबिन में डाल दिए ।

नैना और विशाल यह देखकर हैरान रह गए ।

नैना बोली - यह क्या किया आपने? मैं अपनी जॉब छोड़ना चाहती हूं , आप मेरा रेजीगनेशन लेटर ऐसे नहीं फाड़ सकते। विशाल ने नैना की हां में हां मिलाई और राजेश से बोला कि तुमने लेटर क्यों फाड़ा ?

राजेश अब विशाल की ओर देखता हुआ बोला - कचरे की जगह कचरे में ही होती है , मिस शर्मा जॉब नहीं छोड़ सकती हैं।

नैना अब हैरानी से राजेश की ओर देखने लगी और बोली - क्यों ? क्यों नहीं छोड़ सकती ? मेरी मर्जी है । मैं जब चाहे, जहां चाहे जॉब करूं।

राजेश बडे इत्मीनान से - बिल्कुल , आपकी मर्जी है । आप जब चाहे जिसे छोड़ें ।

नैना समझ गई कि राजेश उसके धोखे के लिए उस पर तंज कस रहा है। वह बोली - सर, आपको कोई हक नहीं किसी एमप्लाई को ऐसे रोकने का।

, विशाल - परेशानी क्या है राजेश?

राजेश - मुझे कोई परेशानी नहीं है विशाल, मै भला कियों रोकूंगा किसी को? ये तो कम्पनी का रूल है जो मिस शर्मा को रोक रहा है।

नैना और विशाल अब हैरानी से राजेश को देखने लगे - उन्हें हैरान देग राजेश बोला - मिस शर्मा ने ये जाँब ज्वाइन करने से पहले इस कम्पनी के साथ तीन साल का बांड साइन किया है। अगर ये तीन साल से पहले जाँब छोड़ कर जाती हैं तो कम्पनी इन पर कोई भी लीगल एक्शन ले सकती है। मिस शर्मा को अभी सिर्फ दो साल ही हुए है, एम आई राइट मिस शर्मा?

नैना परेशानी में बांड वाली बात भूल ही गईं थी, अब उसे यह बात याद आई, वह धीमे से बोली - यस सर।

राजेश - तो उम्मीद है कि यह मैटर यहीं खत्म हो जाए। विशाल मै चलता हूँ, कहते हुए राजेश वहाँ से निकल गया।

विशाल - नैना, बात तो सही है तो आप अब जाँब नहीं छोड़ सकती।

नैना समझ गई कि राजेश उसे इतनी आसानी से जाने नहीं देगा।
,
नैना कैबिन से निकल राजेश के पीछे - पीछे गई। राजेश आँफिस से निकलने को लिफ्ट मे अंदर घुस उसे बंद करने ही वाला था कि नैना जल्दी से लिफ्ट में आ गई और लिफ्ट बंद कर दी।

आज फिर दो साल बाद नैना और राजेश आमने सामने खड़े थे।,
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(उलझन मोहब्बत की ) ......(शिद्द्त - सफ़र प्यार का ) ......(प्यार का अहसास ) ......(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: उलझन मोहब्बत की

Post by rajsharma »

4

नैना और राजेश अब एक दूसरे के सामने खडे थे।

नैना राजेश के गले लगकर आज रो देना चाहती थी और पिछले दो सालों से जो दर्द वह झेल रही है, वह उसे बयाँन करना चाहती थी पर अगर उसने ऐसा किया तो दो साल पहले उसने राजेश से जो चीख चीख कर झूठ बोला था कि वह उससे प्यार नहीं करती, राजेश के सामने आ जाएगा फिर वह झूठ की वजह जाने बिना चैन से नहीं बैठेगा और यह नैना होने देना नहीं चाहती थी।

अब नैना ने खुद को संभाला और सधे लहजे में बोली - हेलो राजेश, कैसे हो?

राजेश जो लिफ्ट से खुद को टिका कर लिफ्ट के दरवाजे की ओर देख रहा था, ने एक बार नैना की ओर देखा फिर नैना को इग्नोर करने के लिए अपनी जेब से फोन निकाला और उसमें कुछ करने लगा।

नैना को यह तो पता था कि राजेश उससे नाराज है और यह उसका हक भी था पर अभी जब वो उसके सामने है और कुछ कहना चाहती है तो वह उसे इस तरह इग्नोर कर रहा है, नैना ने अब थोड़ा आगे झुक कर फोन में झाँका तो पाया कि राजेश फोन मे गेम खेल रहा था।

यह देख नैना हैरान रह गई कि क्या राजेश का प्यार इन दो सालों मे इतना बदल गया कि बात करना तो दूर, वह उसकी तरफ ढंग से देख भी नहीं रहा? क्या वह उससे इतनी नफरत करने लगा है या फिर उसे दुख पहुँचाने के लिए जानबूझकर उसे इग्नोर कर रहा है?

वजह चाहे जो भी हो पर राजेश की इग्नोरेंस से नैना के दिल को ठेस बहुत लगी, उसकी आँखें भर आई कि जो राजेश उसकी एक हल्की सी खरोंच पर हंगामा कर देता था, वह आज उसे जानबूझकर इतनी तकलीफ दे रहा है पर शुरुआत तो नैना नें खुद की थी ना! नैना ने अब खामोश रहना ही बेहतर समझा। चंद पलो में ग्राउंड फ्लोर पर लिफ्ट का दरवाजा खुला और राजेश बिना देर किए वहाँ से निकल गया।


नैना वापस अपने आफिस आ गई और काम में लग गई, वह , खुद को काम में बस डुबो देना चाहती थी कि राजेश की ओर से ध्यान हट जाए पर ऐसा कुछ हो नहीं पा रहा था। आज नैना को काम खत्म करते थोड़ा लेट हो गया, वह अब घर के लिए निकली ।

नैना आफिस से बाहर पहुँची तो अँधेरा हो चुका था, वह अभी टैक्सी के आने का इंतजार कर ही रही थी कि एक कार उसके पास आकर रूकी, नैना कुछ समझ पाती कि ड्राइवर सीट की तरफ से राजेश बाहर निकला और अपने बगल वाली सीट का दरवाजा खोल खडा हो गया। नैना ने उसे नजरअंदाज कर दिया और टैक्सी रूकवाने की कोशिश करने लगी, लेकिन कोई टैक्सी नहीं रूकी। राजेश कार का दरवाजा खोले चुपचाप खड़ा रहा, अब नैना भी चुपचाप आकर कार में बैठ गई। उसने राजेश के चेहरे को देखा पर उस पर कोई भाव नहीं था।

राजेश ने दरवाजा बंद किया और ड्राइवर सीट पर जाकर बैठ गया, अब कार स्टार्ट कर राजेश ने कहा - पता बताओ, कहाँ रहती हो?

नैना ने पता बताया और खिड़की के बाहर देखने लगी। थोड़ी देर तक कार में खामोशी छाई रही कि राजेश ने चुप्पी तोडते हुए कहा - पूछो, क्या पूछ रही थी ?
,
नैना बुझे स्वर से - कुछ नहीं, दो साल बाद मिले हो तो बस हाल चाल पूछ रही थी पर तुम तो फोन पर गेम खेल.....

कहते हुए नैना ने जब राजेश की ओर देखा तो उसे उसके चेहरे पर गुस्से के भाव नजर आने लगे, इसलिए वह चुप हो गई।

राजेश ने रूखे स्वर से कहा - मै तो बस फोन में ही गेम खेल रहा था नैना, वो तुमसे सहन नहीं हुआ पर तुमने जो मेरी जिंदगी के साथ खेल खेला, उसका क्या? पहले मुझे सच्ची मोहब्बत में धोखा दिया और अब हालचाल कैसे है, ये पूछ रही हो?

यह सुनकर नैना चुपचाप कार की खिड़की के बाहर देखने लगी।

राजेश का गुस्सा अब बढता ही जा रहा था।

राजेश - देख लो अच्छे से, जिंदा हूँ मै ,मरा नहीं हूँ। क्यों किया तुमने ये सब, मैने पहले ही कह दिया था कि धोखा मुझे बर्दाश्त नहीं फिर भी तुमने कितनी आसानी से कह दिया कि तुम प्यार नही करती मुझसे। बोलो, जवाब दो?
,
नैना ने धीमे से स्वर में कहा - मैंने कुछ गलत नहीं किया, जो सच था, बस वहीं कहा। कैसे शादी कर लेती, जब प्यार ही नहीं करती थी तुमसे?

यह सुन राजेश ने बीच रास्ते में ही कार रोक दी और नैना को उतरने को कहा।

नैना ने हैरानी से उसे देखा और बोली - तुम ऐसे बीच रास्ते में मुझे ऐसे कैसे छोड़ सकते हो?

राजेश - शुक्र मनाओ कि सिर्फ घर जाने के आधे रास्ते में छोड़ रहा हू, तुम्हारी तरह जिंदगी के बीच सफर में साथ नहीं छोड़ रहा। हाँ, पहले कहा था मैंने कि मैं छोड़ दूंगा घर पर अब मन नहीं है मेरा तो अब तुम अपना खुद देख लो।

नैना ने एक पल को राजेश की ओर देखा फिर कार का दरवाजा खोल उतरने लगी कि राजेश ने कहा - ये मत समझना कि तुम आसानी से बच निकली, मैं सिर्फ तुम्हारे लिए ही यहाँ आया हूँ। इतनी आसानी से नहीं जाने दूंगा तुम्हें, सबक तो तुम्हें मिल कर रहेगा अपने धोखे का। कल से तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ दर्द ही दर्द होगा, तुमने जितने दर्द मुझे दिये है, सब सूद समेत लौटाऊंगा । तैयार रहना।
,
राजेश के दिल में खुद के लिए इस हद तक नफरत देख नैना की आँखें भर आई, वह चुपचाप कार से उतर एक तरफ खडी हो गई और राजेश अपनी कार ले कर वहाँ से निकल गया। नैना काफी देर तक रात के गहराते अँधेरे में राजेश के वापस आने के इंतजार में खडी रही पर वह वापस नहीं आया, आखिर में उसने एक टैक्सी की और घर पहुँची।

नैना को समझ नहीं आ रहा था कि वह खुश हो कि कम से कम से इसी बहाने ही सही पर राजेश के साथ रहने का मौका तो मिलेगा या दुखी हो कि जो राजेश उसे बेपनाह मोहब्बत करता था, वही उससे अब इतनी नफरत करता है कि उसे बर्बाद करना चाहता है।

राजेश का बातें नैना के कानमें पिघले शीशे की तरह घुल रही थी, वह सब कुछ सहन कर सकती है पर राजेश की नफरत कैसे सहन करेगी?

नैना अब निढाल सी अपने बिस्तर पर गिर पड़ी और रोने लगी, पता नहीं कितनी देर तक वह सुबकती रही और फिर कब आँख लग गई।

सुबह होते ही नैना आफिस के लिए तैयार हो गई, उसने तय , किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह कमजोर नहीं पडेगी अब।

उधर राजेश रात में नैना को बीच सडक पर छोड़ तो आया था पर एक पल भी उसकी चिन्ता में सुकून से बैठ ना पाया, सारी रात उसने करवटें बदल-बदल कर निकाली। सच तो यही था कि वह नैना को जितनी तकलीफ दे रहा था, उससे कई गुना ज्यादा तकलीफ उसे नैना को दर्द में देख कर हो रही थीं।

सुबह होते ही वह आफिस के लिए तैयार हो तय कर निकल गया कि वह कमजोर नहीं पड़ेगा, नैना ने जो उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया, उसका सबक तो उसे सिखा कर रहेगा। गलती की है तो सजा भी मिलेगी।

नैना जब आफिस पहुँची तो अपनी टेबल देख हैरान रह गई, टेबल से उसका सारा सामान गायब था। नैना सोच में पड गई कि उसका सामान गया कहाँ?
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