उलझन मोहब्बत की
कालेज खत्म हुए दो साल हो गए, इसी बीच बहुत कुछ बदल गया था। वक्त भी, हालात भी और नैना का प्यार भी।नैना दो साल पहले ही नए शहर में शिफ्ट हुई थी नौकरी की वजह से। इस बडे महानगर में वह अकेली ही जिंदगी के नए सफर पर निकल पडी, कहने को तो वह बहुत ही बोल्ड और बिंदास थी, लोगों से खूब मिलती जुलती और हँसा करती पर अपने घर में घुसते ही वह एक बेजान शरीर बन कर रह जाती।
घर वालों के फोन आने पर वह ना के बराबर ही बात करती थी, उसने घर वालों से साफ कह दिया था कि कोई भी उससे यहाँ मिलने ना आए और अगर किसी ने यह हरकत की तो वह किसी को बिना बताए किसी और शहर में चली जाएगी फिर कभी लौट कर वापस नही आएगी। उसे मतलब था तो बस अपने काम से। उसने कम्पनी के साथ दो साल का एग्रीमेंट भी साइन कर लिया था जिससे कम से कम दो साल तक तो वह अपने शहर वापस ना लौटे। अब उसका कोई साथी था, तो वह थी तंहाई। दोहरी जिंदगी जीना उसे बहुत अच्छे से आ गया था या कह सकते है कि वक्त ने सिखा दिया था। घर के बाहर वो दुनिया की सबसे खुश लड़की पर घर में आते ही वह एक हारी हुई इंसान जिसका जीने का ना कोई मकसद , ना कोई सपना था।
अगर उसके पास जीने की वजह थी तो बस वह साडी और एक चेन जो राजेश ने चार साल पहले राँयल होटल में उसे पहनाई थी, वह भला कैसे भूल सकती थी उस दिन को, वह दिन उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था। जब भी वह उस हसीं रात को याद करती तो राजेश के एहसास से आज भी सिहर जाती। एेसा लगता था कि जैसे कल ही की बात है। उस दिन वह खुद को राजेश पर हार चुकी थी पर आज उसके पास ना वह खुद थी और ना राजेश।
अब तो राजेश का नाम लेने का हक भी वह खो चुकी थी क्योंकि वह अब किसी और का सुहाग था, नैना को कोई हक ना था उस पर हक जताने का क्योंकि अपनी खुशियों में आग उसने खुद अपने ही हाथों से लगाई थी।
नैना को आज भी याद है वह दिन, जब राजेश ने उससे अपने प्यार की भीख माँगी थी, अपनी सच्ची मोहब्बत का वास्ता दिया पर नैना पर उसकी किसी बात का कोई असर ना हुआ था। उसे आज भी याद है वह दिन, जब राजेश पूरी रात उसके हाँ कहने के इंतजार में तेज बुखार होने के बाद भी , बारिश में उसके घर के बाहर बैठा रहा था पर उसकी किसी दुहाई का नैना पर कोई असर ना हुआ और वह अगले दिन ही चुपचाप बिना किसी से कुछ कहे अपना होम टाउन छोड़ अकेली ही नए सफर की शुरुआत करने इस महानगर में आ गई थी। तीन दिन बाद ही उसे पता चला कि राजेश की शादी तय हो गई है जो दस दिन बाद ही थी।
कितना रोई थी नैना उस रोज । जब से उसने राजेश को धोखा दिया था, तब से वह हर रोज धीरे धीरे खत्म सी हो रही थी पर उसने अपना हर दर्द अपनी हंसी के पीछे छुपा रखा था।
आज भले ही राजेश उसका ना हो पर उसकी यादों पर नैना आज भी अपना हक समझती थी, कालेज की वो सारी यादें उसके जीने का जरिया थी। ना जाने कितने लड़कों ने उसे उसकी खूबसूरती देख प्रपोज किया पर उसने सभी को ठुकरा दिया, उसने अब पूरी जिंदगी अकेले गुजारने का फैसला किया था।
आज नैना सुबह लेट तक सोती रही इसलिए अब वह जल्दी से भाग कर तैयार हुई और कैब लेने के लिए घर से बाहर निकल गई, कैब में बैठे बैठे वह भगवान से प्रार्थना करने लगी कि प्लीज आज टाइम से पहुँचा दो, अगली बार से पक्का , सही समय पर उठू्ंगी।
ऐसा नहीं है कि नैना का बाँस खडूस था और लेट होने पर उसे डाँटेगा । नैना को चिंता इस बात की थी कि उसका बॉस हर काम के लिए उसी पर डिपेंड था और हो भी क्यों ना , नैना अपने ऑफिस की सबसे होनहार एम्पलाई थी। वह अपने बॉस का भरोसा नहीं तोड़ना चाहती थी, बाँस ने आज उसे किसी जरूरी काम से टाइम पर आँफिस आने को कहा था पर वह आज भी लेट हो गई थी।
उफ यह मुंबई का ट्रेफिक और लेट करा देता है, सोचते हुए नैना कैब से निकल आँफिस की बिल्डिंग की ओर भागी, उसका अाँफिस साँतवे फ्लोर पर था तो वह जल्दी से लिफ्ट में घुस गई।
वह जब आँफिस पहुँची तो चारों ओर सन्नाटा था, सभी कुलीग परेशान से एक -दूसरे का मुँह देख रहे थे। नैना को यह सब बडा अजीब लगा क्योंकि पिछले दो साल में , जब से उसने यहाँ नौकरी की थी, यह सबसे शांत दिन था । उसके बॉस मिस्टर खुराना बहुत ही खुश मिजाज आदमी थे , वह सभी एंप्लॉय को दोस्तों की तरह ट्रीट करते थे । यहां सभी हर रोज हंसी खुशी मिल जुल कर काम किया करते थे लेकिन आज लोग इतने खामोश क्यों हैं ? - सोचते हुए नैना सारा की , टेबल की ओर बढ़ी । सारा ने जब उसे देखा तो बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली - हाय नैना, वेलकम ।
नैना ने जब उसे इस तरह मुंह बनाते हुए देखा तो वह हँस पड़ी और बोली - क्या हुआ आज तेरा और बाकी सबका चेहरा कैसे उतरा हुआ है?
तभी सारा ने उसे चुप होने का इशारा किया - श्श.... । धीरे बोल, वो सुन लेगा ।
नैना हैरानी से बोली - कौन सुन लेगा और तुम लोग इतनी परेशान क्यों हो ?
सारा चौंकते हुए - तुझे सच में नहीं पता ?
नैना - मुझे क्या पता होगा ? मैं तो अभी ऑफिस आई हूं ।
सारा - यार , मैंने तेरे फोन पर मैसेज छोड़ा था। तूने चेक किया या नहीं ? ओह, मै तो भूल ही गई थी कि अपने घर में घुसते ही तु बाहर की दुनिया से सारे रिश्ते खत्म कर लेती है। अरे, नया बाँस आया है यार। दिखने मैं जितना ज्यादा हैंडसम है, नेचर में उतना ही खडूस।
, नैना चौंकते हुए बोली - पर खुराना सर...?
सारा - उन्होंने इस नए बाँस के साथ अपनी कम्पनी का मर्जर कर दिया है, सब कुछ बडी जल्दी में हुआ। राजेश सर ने खुराना सर की सारी शर्तें मान ली पर उन्होंने खुराना सर को कहा कि आप अब बैंगलूर का आँफिस देखेंगे और मैं यहाँ का।
नैना - राज...?
सारा - वही, अपना नया बाँस यार। अब तो ये आफिस कैदखाना बन जाएगा यार, कोई मस्ती मजाक नहीं...। हम सब तो मिल लिए उनसे पर तु ही बाकी है, खुराना सर ने तेरी बहुत तारीफ की है उनसे।
नैना राजेश नाम सुनते ही पुरानी यादों मे खो गई, वह अक्सर राजेश को प्यार से राज कह कर बुलाती थी।
तभी चपरासी ने आकर नैना को कह कि खुराना सर अंदर कैबिन में आपको नए बाँस से मिलाने को बुला रहे है।
नैना का दिल अब जोरों से धडकने लगा कि क्या यह वही राजेश है या कोई और? वैसे भी राजेश तो दिल्ली में है तो वह , इतनी दूर आकर क्या करेगा? दुनिया भर में ना जाने कितने लोगों के नाम राजेश है, मैं फालतू में डर रही हूं - सोचते हुए नैना धीरे-धीरे बॉस के कैबिन की ओर बढ़ने लगी। नैना ने जैसे ही केबिन का दरवाजा खोला तो उसे सामने खुराना सर बैठे हुए नजर आए , उन्होंने नैना को अंदर आने के लिए कहा।
नैना जब केबिन के अंदर गई तो उसने देखा कि खुराना सर के सामने एक आदमी बैठा है , नैना को उसे देख अब जान में जान आई । वह समझ गई कि यही राजेश है , वह मन ही मन खुद पर हंसने लगी कि तू भी कितनी बेवकूफ है नैना , राजेश का नाम सुनते ही सबसे पहले तेरे दिमाग में अपने राजेश का ही ख्याल आता है। 2 साल हो गए राजेश को देखे हुए, पता नहीं कैसा होगा कि तभी खुराना की आवाज ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा ।
खुराना सर - इनसे मिलो नैना यह है...
नैना बीच में ही बोल पड़ी - राजेश सर। फिर वह उस आदमी की ओर मुड़ कर बोली नाइस टू मीट यू सर , तब वह आदमी हंसकर बोला - माफ कीजिएगा मैं राजेश नहीं हूं , मेरा नाम विशाल है और मैं राजेश सर के साथ यहाँ काम सम्भाँलूंगा।
, यह सुन नैना अब फिर से घबराने लगी कि तभी नैना के पीछे की तरफ कैबिन के वाँशरूम से किसी के निकलने की आहट सुनाई दी ,वह इंसान इसी ओर आ रहा था तभी विशाल सर ने नैना से कहा - ये लीजिए, आ गये आपके नए बाँस - राजेश सर।