अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति compleet

Post Reply
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Post by 007 »

अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति--पार्ट -९

दीप्ति तो उन दो उठी हुई टांगों के बीच में घुस कर उस बिचारी चूत पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी. दीप्ति का अनुभव भले ही कम था परन्तु तीव्र इच्छाशक्ति के कारण अपनी प्यारी देवरानी की चूत को जी भर के चाट सहला रही थी. अब किसी को प्यार करने के लिये कोई कायदा कानून तो होता नहीं भाई और फ़िर ये तो खेल ही अवैध संबंधों का चल रहा था.
दीप्ति के इस जोश भरे धावे को अपनी कोमल चूत पर सहना शोभा के लिये जरा मुश्किल हो रहा था. लेकिन दीप्ति जो जैसे जानवर हो गयी थी. बलपूर्वक शोभा को लिटाये रख कर क्या जांघ, क्या चूत, क्या पेड़ू सब जगह अपनी बेरहमी के निशान छोड़ रही थी.
"दीदी, जरा आराम से, प्लीज". शोभा ने याचना की.
पर दीप्ति के कान तो बन्द हो गये थे. मुहं से गुर्राहट का स्वर निकल रहा था और लपलपाती जीभ चूत के होंठों से रस पी रही थी. अपने दांतों का भी भरपूर इस्तेमाल कर रही थी लेटी पड़ी शोभा पर. पहले अन्दरुनी जांघ के चर्बीदार हिस्से को जी भर के खाया. फ़िर चूत के उभरे हुये होंठों को चबाया और तुरन्त ही घांव पर मरहम लगाने के उद्देश्य से अपनी लचीली जीभ को पूरा का पूरा उस गुलाबी सुरन्ग में घुसेड़ दिया. शोभा का दर्द और उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. दीप्ति अगर ऐसे ही करती रही तो उसकी चूत अगले दो दिन तक किसी से चुदने के काबिल नहीं रहेगी. होंठों से थूक बहकर कान तक आ गया था. शोभा ने दोनों हाथों को ऊपर उठा, एक से टेबिल और दूसरे से सोफ़े का किनारा थाम लिया.
उधर दीप्ति भी तरक्की पर थी. शोभा ने तो दो उन्गलियाँ अन्दर डाली थी. दीप्ति ने एक साथ तीन उन्गलियां शोभा की नरम चूत में घुसेड़ दी. उन्गलियों के घर्षण के कारण एक बार के लिये शोभा की चूत में जलन मच गई और उसके मुहं से जोर से आह निकली. लेकिन दीप्ति ने इस सब की परवाह किये बगैर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा. शोभा का शरीर भी इस उन्गली चुदाई की ताल के साथ ऊपर नीचे होने लगा.
तभी दीप्ति को याद आया की कैसे छोटी ने उसकी क्लिट को चूसा था और फ़िर वो किस तरह से झड़ रही थी. उसे अपनी चूत पर वो बिन्दु भी अच्छे से याद था जो अकेला ही उसके नारी शरीर को थरथराने के लिये काफ़ी था. दीप्ति के होठों ने उसकी उन्गलियों का साथ पकड़ा और लगे शोभा कि चूत के मुहाँने को सहलाने. थोड़ी ही देर में उसे भी शोभा की चूत के ऊपर ठीक वैसा ही मटर के दाने जैसा हिस्सा मिल गया जो अब धीरे धीरे उभर कर काफ़ी बड़ा हो गया था. उन्गलियों से चूत चोदन जारी रख कर दीप्ति की जीभ उस छोटे से मांसपिण्ड पर सरकी. शोभा के मुहं से चीख फ़ूट पड़ी "दीदीईईईईईई, चुसो जोर से, मारो मेरी चूत.....", "माई गॉड, आप सच में, सच में...ओह्ह्ह मां".
"क्या सच में? हां? क्या? क्या हूं मैं? बोलो?" दीप्ति ने शोभा के ऊपर चढ़ते हुये अपना रस से सना मुखड़ा देवरानी के चेहरे के सामने किया. हरेक क्या-क्या के साथ अपनी उन्गलियां उसकी चूत में और गहरे तक मार रही थी.
"रंडी है आप दीदी, रंडीईईई...", "ओह दीदीईईई, और चूसो ना प्लीईईईज, मुझे आपकी पूरी जीभ चाहिये अपनी चूत में..." शोभा मस्ती में कराही.
"और मेरी उन्गलियां? ये नहीं चाहिये तुम्हें?" एक झटके में अपना हाथ शोभा की तड़पती चूत में से खींच लिया.
शोभा ने हाथ बढ़ा दीप्ति की कलाई को थाम लिया। "नहीं दीदी ऐसा मत करो. मुझे सब कुछ चाहिये. सब कुछ जो आप के पास है. मैं सब कुछ ले लूंगी अपने अन्दर. उससे भी ज्यादा. और ज्यादा...आह" कहते हुये शोभा ने वापिस अपनी जेठानी का हाथ अपनी उछलती चूत पर रख दिया. दीप्ति फ़िर से पुराने तरीके से शोभा की चूत मारने और चाटने लगी. परन्तु अब शोभा को और ज्यादा की चाह थी. वो उठ कर बैठ गय़ी. दीप्ति उसे बाहों में भरने के लिये बढ़ी तो शोभा ने उसे धक्का देकर नीचे लिटा दिया. और फ़िर दीप्ति के ऊपर आते हुये शोभा ने अपनी टपकती चूत दीप्ति के मुहं के ऊपर रख दी.
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Post by 007 »

शोभा के दोनों हाथ दीप्ति के सिर के पास जमीन पर टिके हुये थे और गांड हवा में उठी हुई थी. धीरे से धड़ नीचे करते हुये शोभा ने अपनी चूत को दीप्ति के होठों पर स्थापित कर दिया. दीप्ति ने हाथ बढ़ा शोभा की पिछली गोलाईयों को जकड़ा और सामने से भांप निकालती चूत को अपने मुहं में भर लिया. इधर नीचे दीप्ति पूरी बेरहमी से अपनी जीभ शोभा की चूत में रगड़ रही थी और ऊपर शोभा बहुत धीरे धीरे शरीर को आगे पीछे कर के अपनी क्लिट को दीप्ति के अगले दांतों पर रगड़ा रही थी. जबर्दस्त सामंजस्य था दोनों का.
आगे जो हुआ उसका दोनों औरतों को कोई गुमान नहीं था. ना तो दीप्ति को आज तक ऐसा आर्गैज्म आया था ना ही शोभा को. लेकिन शोभा के उछलते चूतड़ों की बढ़ती गति और सिकुड़ते फ़ैलते चूत के होठों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता था कि अब क्या होने वाला है.
जब शोभा की चूत की दीवारों से पानी छूटा वो जैसे अन्दर ही अन्दर पिघल गई वो. हरेक झटके के साथ उसका पेट भिंच जाता और फ़िर जोरों से एक हल्की सुनहरी धार चूत से फ़ूट पड़ती. अपने ही हाथों से अपने दुखते चूचों को बेदर्दी से मसल रही थी. उधर नीचे पेट में बच्चेदानी भी अपने आप ही फ़ैल सिकुड़ रही थी. शोभा का खुद पर से काबू खत्म ही हो गया. उसका झड़ना रुक ही नहीं रहा था. एक एक बाद एक लगातार आती बौछारों से दीप्ति का पूरा चेहरा भीग गया. शोभा को दिलासा देने के लिये की वो उसके नितम्बों को कस कर निचोड़ रही थी. ढेर सारा गाढ़ा द्रव्य पी लेने के कारण दीप्ति का गला अवरुद्ध हो गया पर वो लाचार थी.
दम घुटने लगा तो जोर से मुहं से सांस ली और दुबारा से एक साथ शोभा की चूत में रुका हुआ पानी उसके गले में भर गया. पर उसने चूत पर जीभ चलाना नहीं छोड़ा. शोभा का बदन अभी तक उत्तेजना और आनन्द के कारण कांप रहा था. थोड़ी देर में शोभा सुस्त हो कर दीप्ति के ऊपर ही गिर पड़ी. इस शक्तिशाली ओर्गैज्म ने उसके शरीर से पूरी ताकत निचोड़ ली थी. शोभा की चूत अभी तक दीप्ति के चेहरे पर रस टपका रही थी. दीप्ति को समझ में नहीं आ रहा था कि इतने पानी का वो क्या करे. खा पीकर ही तो शुरु की थी ये प्रणय क्रीड़ा दोनों ने और अब तो शोभा के पानी से भी उसका पेट भर गया था. उसके होठों से नकारे जाने पर वो चिकना द्रव्य दीप्ति के गालों और बालों से बहता हुआ जमीन तक आ गया और धीरे धीरे सरकते हुये उसके पैरों तक पहुंच गया. अब दोनों ही औरते एक दूसरे के रस से लथपथ हुई पड़ी थीं.
शोभा दीप्ति के शरीर पर से उतर कर जमीन पर उसके बाजु में आ गयी और उसकी तरफ़ चेहरा कर लेट गयी. दीप्ति ने शोभा की टांग उठा कर अपने ऊपर रखी और इस प्रकार दोनों औरतों की चूत एक दुसरे से चिपक गई. एक दूसरे को बाहों में लिये दोनों ही काफ़ी देर तक चुपचाप पड़ी रहीं. दोनों के जीवन में ऐसा पहले कभी ना हुआ था. दीप्ति शोभा को सहलाते पुचकारते हुये वापिस होशोहवास में आने में मदद कर रही थी.
"आपमें और मुझमें कोई मुकाबला नहीं है दीदी." शोभा बुदबुदाई. "जैसे अजय आपका है वैसे ही मैं भी आपकी ही हूं. आप हम दोनों को ही जैसे मर्जी चाहे प्यार कर सकती है. अगर ये सब मुझे आप से ही मिल जायेगा तो मैं किसी की तरफ़ नहीं देखूंगी" कहते हुये शोभा ने अपनी आंखें नीची कर ली.
शोभा के बोलों ने दीप्ति को भी सुधबुध दिलाई को वो दोनों इस वक्त हॉल में किस हालत में है. कुशन, कपड़े और फ़र्नीचर, सब बिखरा पड़ा था. इस हालत में तो दुबारा पहले की तरह कपड़े पहन पाना भी मुश्किल था. दीप्ति ने शोभा की गांड पर थपकी दी और बोली, "छोटी, हम दोनों को अब उठ जाना चाहिये. कोई आकर यहां ये सब देख ना ले".
"म्म्मं, नहीं", शोभा ने बच्चों की तरह मचलते हुये कहा और दीप्ति के एक मुम्मे को मुहं में भर लिया.
दीप्ति ने समझ बुझा कर उसे अपने से अलग किया. हॉल में बिखरे पड़े अपने कपड़ों को उठा कर साड़ी को स्तनों तक लपेट लिया और ऊपर अपने कमरे की राह पकड़ी. जाती हुई दीप्ति को पीछे से देख कर शोभा को पहली बार किसी औरत की मटकती गांड का मर्दों पर जादुई असर का अहसास हुआ.
दीप्ति ने पलट कर एक बार जमीन पर पसरी पड़ी शोभा पर भरपूर नज़र डाली और फ़िर धीमे से गुड नाईट कह ऊपर चढ़ गई.
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Post by 007 »

अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति--पार्ट -१०

शोभा की आंखें थकान और नींद से बोझिल हो चली थी और दिमाग अब भी पिछले २-३ महीनों के घटनाक्रम को याद कर रहा था. अचानक ही कितना कुछ बदल गया था उसके सैक्स जीवन में. पहले अपने ही भतीजे अजय से अकस्मात ही बना उसका अवैध संबंध फ़िर पति द्वारा संभोग के दौरान नये नये प्रयोग और अब बहन जैसी जेठानी से समलैंगिक सैक्स. किसी मादा शरीर से मिला अनुभव नितांत अनूठा था पर रात में इस समय बिस्तर में किसी पुरुष के भारी कठोर शरीर से दबने और कुचले जाने का अपना अलग ही आनन्द है. काश अजय इस समय उसके पास होता. किस्मत से एक ही बार मौका मिला था उसे परन्तु दीप्ति तो हर रात ही अजय से चुदने का लुत्फ़ लेती होगी. आज अजय मिल जाये तो उसे काफ़ी कुछ नया सिखा सकती है. अजय अभी नौजवान है और उसे बड़ी आसानी प्रलोभन देकर अपनी चूत चटवाई जा सकती है. फ़िर वो दीप्ति के मुहं की तरह ही उसके मुहं पर भी वैसे ही पानी बरसायेगी. मजा आ जायेगा.
पता नहीं कब इन विचारों में खोई हुई उसकी आंख लग गयी. देर रात्रि में जब प्यास लगने पर उठी तो पूरा घर गहन अन्धेरे में डूबा हुआ था. बिस्तर के दूसरी तरफ़ कुमार खर्राटे भर रहे थे. पानी पीने के लिये उसे रसोई में जाना पड़ेगा सोच कर बहुत आहिस्ते से अपने कमरे से बाहर निकली. सामने ही अजय का कमरा था. हे भगवान अब क्या करे. दीप्ति को वचन दिया है कि कभी अजय की तरफ़ गलत निगाह से नहीं देखेगी. पर सिर्फ़ एक बार दूर से निहार लेने से तो कुछ गलत नहीं होगा. दिल में उठते जज्बातों को काबू करना जरा मुश्किल था. सिर्फ़ एक बार जी भर के देखेगी और वापिस आ जायेगी. यही सोच कर चुपके से अजय के कमरे का दरवाजा खोला और दबे पांव भीतर दाखिल हो गई. कमरे में घुसते ही उसने किसी मादा शरीर को अजय के शरीर पर धीरे धीरे उछलते देखा. दीप्ति के अलावा और कौन हो सकता है इस वक्त इस घर में जो अजय के इतना करीब हो. अजय की कमर पर सवार उसके लन्ड को अपनी चूत में समाये दीप्ति तालबद्ध तरीके से चुद रही थी. खिड़की से आती स्ट्रीट लाईट की मन्द रोशनी में उसके उछलते चूंचे और मुहं से निकलती धीमी कराहो से दीप्ति की मनोस्थिति का आंकलन करना मुश्किल नहीं था.
"रंडी, कुतिया, अभी अभी मुझसे से चुदी है और फ़िर से अपने बेटे के ऊपर चढ़ गई" मन ही मन दीप्ति को गन्दी गन्दी गालियां बक रही थी शोभा. खुद के तन भी वही आग लगी हुई थी पर मन तो इस जलन से भर उठा कि दीप्ति ने उसे अजय के मामले में पछाड़ दिया है. उधर दीप्ति पूरे जोशोखरोश के साथ अजय से चुदने में लगी हुई थी. रह रहकर उसके हाथों की चूड़ियां खनक रही थी. गले में पड़ा मंगल्सूत्र भी दोनों स्तनों के बीच उछल कर थपथपा कर उत्तेजक संगीत पैदा कर रहा था और ये सब शोभा की चूत में फ़िर से पानी बहाने के लिये पर्याप्त था. पहले से नम चूत की दीवारों ने अब रिसना चालू कर दिया था. आभूषणों से लदी अजय के ऊपर उछलती दीप्ति काम की देवी ही लग रही थी. शोभा को अजय का लन्ड चाहिये था. सिर्फ़ पत्थर की तरह सख्त अजय का मासपिण्ड ही उसे तसल्ली दे पायेगा. अब ्यहां खड़े रह कर मां पुत्र की काम क्रीड़ा देखने भर से काम नहीं चलने वाला था.
शोभा मजबूत कदमों के साथ दीप्ति की और बढ़ी और पीछे से उसका कन्धा थाम कर अपनी और खींचा. हाथ आगे बढ़ा शोभा ने दीप्ति के उछलते कूदते स्तनों को भी हथेलियों में भर लिया. कोई और समय होता तो दीप्ति शायद उसे रोक पाती पर इस क्षण तो वो एक ऑर्गैज्म से गुजर रही थी. अजय नीचे से आंख बन्द किये धक्के पर धक्के लगा रहा था. उसे मां के दुख रहे मुम्मों का कोई गुमान नहीं था. इधर दीप्ति को झटका तो लगा पर इस समय स्तनों को सहलाते दबाते शोभा के मुलायम हाथ उसे भा रहे थे. कुछ ही क्षण में आने वाली नई स्थिति को सोचने का समय नहीं था अभी उसके पास. शोभा को बाहों में भर दीप्ति उसके सहारे से अजय के तने हथौड़े पर कुछ ज्यादा ही जोश से कूदने लगी.
"शोभा--आह--आआह", दीप्ति अपनी चूत में उठती ऑर्गैज्म की लहरों से जोरो से सिसक पड़ी। वो भी थोड़ी देर पहले ही अजय के कमरे में आई थी. शोभा की तरह उसकी चूत की आग भी एक बार में ठंडी नहीं हुई थी और आज अजय की बजाय अपनी प्यास बुझाने के उद्देश्य से चुदाई कर रही थी. अजय की जब नींद खुली तो मां बेदर्दी से उसके फ़ूले हुये लंड को अपनी चूत में समाये उठक बैठक लगा रही थी. कुछ ना कर पाया लाचार अजय. आज रात अपनी मां की इस हिंसक करतूत से संभल भी नहीं पाया था कि दरवाजे से किसी और को भी कमरे में चुपचाप आते देख कर हैरान रह गया. पर किसी भी तरह के विरोद्ध की अवस्था में नहीं छोड़ था आज तो मां ने.
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Post by 007 »


"शोभा तुम्हें यहां नहीं आना चाहिये था, प्लीज चली जाओ." दीप्ति विनती कर रही थी. शोभा के गदराये बदन को बाहों में लपेटे दीप्ति उसकी हथेलियों को अपने दुखते स्तनों पर फ़िरता महसूस कर रही थी. लेकिन अपने बेटे के सामने.. नहीं नहीं. रोकना होगा ये सब. किन्तु किशोर अजय का लंड तो मां के मुख से अपनी चाची का नाम सुनकर और ज्यादा कठोर हो गया.
दीप्ति ने शोभा को धक्का देने की कोशिश की और इस हाथापाई में शोभा के बदन पर लिपटी एक मात्र रेशमी चादर खुल कर गिर पड़ी. हॉल से आकर थकी हुई शोभा नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई थी. जब पानी पीने के लिये उठी तो मर्यादावश बिस्तर पर पड़ी चादर को ही लपेट कर बाहर आ गई थी. शोभा के नंगे बदन का स्पर्श पा दीप्ति के तन बदन में बिजली सी दौड़ गई. एकाएक उसका विरोध भी ढीला पड़ गया. अजय के लंड को चोदते हुये दीप्ति और कस कर शोभा से लिपट गई.
नीचे अजय अपनी माता की गिली हुई चूत को अपने लंड से भर रहा था तो ऊपर से चाची ने दाहिना हाथ आगे बढ़ा हथेली को संभोगरत मां पुत्र के मिलन स्थल यानि दीप्ति की चूत के पास फ़सा दिया. किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह शोभा ने क्षण भर में ही दीप्ति के तने हुये चोचले को ढूंढ निकाला और तुरंत ही चुटकी में भर के उस बिचारी को जोरों से मसल दिया. लंड पर चाची की उन्गलियों का चिर परिचित स्पर्श पा अजय मजे में कराहा, "चाचीईईईई". "हां बेटा", शोभा चाची ने भी नीचे देखते हुये हुंकार भरी. दीप्ति की चूत अजय के मोटे लंड के कारण चौड़ी हुई पड़ी थी और शोभा भी उसे बख्श नहीं रही थी. रह रह कर बार बार चूत के दाने को सहला छेड़ रही थी. दीप्ति बार बार अजय की जांघों पर ही कमर को गोल गोल घुमा और ज्यादा उत्तेजना पैदा करने की कोशिश कर रही थी. अब शोभा के मन में डर पैदा हो गया कि कहीं अजय उसकी चूत भरने से पहले ही झड़ ना जाये. दीप्ति के कंधे को छोड़ शोभा ने अपना हाथ उसकी बाहों के नीचे फ़सा दिया और बलपूर्वक दीप्ति को अजय के ऊपर से उठाने लगी. लन्ड के बाहर सरकते ही चुत में खाली जगह बन गई. दीप्ति तो पागलों की तरह खुद को शोभा के चंगुल से छुटने की कोशिश करने लगी. पर शोभा यहां ज्यादा ताकतवर साबित हुई. दिमाग चलाते हुये उसने तुरंत ही अपने दुसरे हाथ की पांचों उंगलियों को एक साथ कर दीप्ति की मचलती रिसती चुत में घुसेड़ दिया. दीप्ति की चूत में आया खालीपन तो भर गया परंतु शोभा की उन्गलियां अजय के लंड की भांति गीली और चिकनी नहीं थी अतः पीड़ा की एक लहर उसके चेहरे पर फ़ैल गई. अजय भी गुर्रा पड़ा. वो झड़ने की कगार पर ही था कि उसकी चाची ने मां की चूत को लंड पर से हटा लिया था. अब उसका पानी भी वापिस टट्टों में लौट गया था. शोभा ने दीप्ति को खींच कर जमीन पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर आ गई.
औरतों के बीच चलते इस मदन-युद्ध को देख अजय भौंचक्का रह गया. दोनों ही उसे प्यारी थी. खुद के आनन्द के लिये वो किसी एक को भी छोड़ने को तैयार नहीं था. अपनी चाची के पुष्ट भारी स्तनों और बुलबुलाती चूत की तस्वीर उसके दिमाग में अब भी ताजा थी जिसे याद कर वो रोज ही मुट्ठ मारता था. उसकी मां भी रोज रात को उसे स्त्री शरीर का सुख देती थी. दोनों ही औरतों से उपेक्षित अजय ने अपने बेबस तेल पिये लंड को मुट्ठी में भर लिया.

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Post by 007 »

अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति--पार्ट -११

अजय के सामने ही शोभा दीप्ति को अपने नीचे दबा एक हाथ से उनकी चूत में पांचों उन्गलियां घुसाये दे रही थी और दूसरे से दीप्ति के चूचों को निचोड़ रही थीं. चाची के होंठ दीप्ति के होंठों से चिपके हुये थे और जीभ शायद कहीं मां के गहरे गले में गोते लगा रही थी. आंख के कोने से शोभा चाची ने अजय को लन्ड मुठियाते देखा तो झटके से जेठानी की चूत को छोड़कर अजय की कलाई थाम ली. अजय का हाथ उसके लन्ड पर से खींच कर चाची दीप्ति के कानों मे फ़ुसफ़ुसाई "दीदी, देखो हमारा अजय क्या कर रहा है?"
इस प्रश्न के साथ ही शोभा ने दीप्ति और अपने बीच में चल रहा अजय का विवाद भी जैसे निपटा दिया. और यही तो उन दोनों के बीच चले लम्बे समलैंगिक संभोग का भी आधार था. जिस्मों की उत्तेजना में कुछ भी स्वीकार कर लेना काफ़ी आसान होता है.
हां, अपने बेटे के सामने दीप्ति पूरी तरह से चरित्रहीन साबित हो चुकी थी परन्तु जब उसने शोभा के हाथ को अजय के विशालकाय लंड को सहलाते देखा तो उसे शोभा में अपनी प्रतिद्वंद्धी नहीं, बल्कि अजय को उसके ही समान प्यार करने वाली एक और मां दिखाई दी.
अजय हालांकि रोज अपनी मां को चोदता था और इस तरह से उसकी शारीरिक जरुरतें सीमा में रहती थी. किन्तु मां सिर्फ़ रात में ही उसके पास आती थीं. उसके बेडरूम के बाहर वो सिर्फ़ उसकी मां थीं. अपनी मां के जाने के बाद ना जाने कितनी ही रातों को अजय ने चाची के बारे बारे में सोच सोच कर अपना पानी निकाला था. अन्जाने में ही सही, एक बार तो चाची की चूत के काफ़ी नजदीक तक उसके होंठ जा ही चुके थे और दोनों ही औरतों ने अपने मुख से उसके लण्ड की जी भर के सेवा भी की है. वो भी उन दोनों के इस कृत्य का बदला चुकाने को उत्सुक था. पर किससे कहे, दोनों ही उससे उम्र में बड़ी होने के साथ साथ भारतीय पारिवारिक परम्परा के अनुसार सम्मानीय थी. दोनों ही के साथ उसका संबंध पूरी तरह से अवैध था. अपने दिल के जज्बातों को दबाये रखने के सिवा और कोई चारा नहीं था उसके पास.
इसीलिये जब उसकी चाची ने मात्र एक चादर में लिपट कर उसके कमरे में प्रवेश किया और अपने भारी भारी स्तनों को मां के कन्धे से रगड़ना शुरु किया तो वो उन पर से अपनी नज़र ही नहीं हटा पाया. शोभा की नाजुक उन्गलियां अजय के तने हुये काले लन्ड पर थिरक रही थीं तो बदन दीप्ति के पूरे शरीर से रगड़ खा रहा था. दोनों ही औरतों के बदन से निकला पसीने खुश्बू अजय को पागल किये जा रही थी. दीप्ति ने जब अजय को शोभा के नंगे शरीर पर आंखें गड़ाये देखा तो उन्हें भी अहसास हुआ कि अजय को भरपूर प्यार देने के बाद भी आज तक उसके दिल में अपनी चाची के लिये जगह बनी हुई है. दोनों औरतों के बदन के बीच में दीप्ति की चूत से निकलता आर्गैज्म का पानी भरपूर चिकनाहट पैदा कर रहा था.
"देखो दीदी" शोभा ने अजय के फ़ूले तने पर नजरें जमाये हुए कहा. कुशल राजनीतिज्ञ की तरह शोभा अब हर वाक्य को नाप तोल कर कह रही थी. दीप्ति को बिना जतलाये उसे अजय को पाना था. अजय को बांटना अब दोनों की ही मजबूरी थी और उसके लिये दीप्ति की झिझक खत्म करना बहुत जरूरी था.
"कैसा कड़क हो गया है?" दीप्ति के चूतरस से सने उस काले लट्ठ को मुट्ठी में भरे भरे ही शोभा धीरे से बोली.
दीप्ति के गले से आवाज नहीं निकल पाई. उत्तेजना में उन्होनें शोभा के भारी नितम्बों को थाम कर उसे अपने ऊपर दबाया ताकि जलती हुई चूत की किसी से तो रगड़ मिले. शोभा ने चेहरा दीप्ति की तरफ़ घुमाया और अपने होंठ दीप्ति के रसीले होंठों पर रख दिये. दीप्ति के होंठों को चूसते हुये भी उसने अजय के लंड को मुठियाना जारी रखा. नजाकत के साथ अजय के सुपाड़े पर अंगूठा फ़िराने लगी.
"चाचीईईईईई", अजय सिसक पड़ा. अंगूठे के दबाव से लंड में खून का दौड़ना तेज हो गया.
"इन दोनों को..." दीप्ति के भरे हुये होंठों पर जीभ की नोंक फ़िराते हुये शोभा बोली "यहां होना चाहिये.". अजय लण्ड पर चाची की कसती मुट्ठी से मचल सा गया.
दीप्ति की तो जान ही निकल गई. हे भगवान, शोभा के सामने उसे अपने बेटे का लंड चूसना होगा. लेकिन उसके कुछ कर पाने से पहले ही शोभा ने उसका सिर पकड़ कर अजय के फ़ुंफ़कारते लंड से इंच भर की दूरी पर रख दिया. इन सब कामों में शोभा पूरी सावधानी बरत रही थी कि किसी को भी कुछ भी जोर जबरदस्ती जैसा ना लगे. अजय ने ऊपर को कमर झटका शोभा कि मुट्ठी को चोदने का प्रयास किया पर तब तक शोभा ने अपनी मुट्ठी खोल सिर्फ़ सहारा देने के लिये लंड को दो उन्गलियों से पकड़ा हुआ था.
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
Post Reply